✨💓सायरी for mood✨💓 @shaiyri Channel on Telegram

💓सायरी for mood💓

@shaiyri


✨💓सायरी for mood✨💓 (Hindi)

आपके मन की भावनाओं को छू लेने वाली सबसे खास सायरी कनेक्शन आपके लिए यहाँ है! '✨💓सायरी for mood✨💓' चैनल में आपको हर रोज़ नए शेर और ग़ज़ल का आनंद लेने का मौका मिलेगा। यहाँ आप अपने मन की गहराईयों तक जा सकेंगे और उस खास किताब सायरी के सच्चे मित्र बन सकेंगे। क्या आप एक सायरी के दीवाने हैं? क्या आपको अच्छी कविता पढ़ने का शौक है? अगर हां, तो '✨💓सायरी for mood✨💓' आपके लिए है। यहाँ आपको हर तरह की सायरी, ग़ज़ल और कविता मिलेगी, जो आपके मन को हिला देंगी और आपके मूड को बदलने में मदद करेंगी। इस चैनल को ज्वाइन करें और मनोरंजन का अनूठा संगम अनुभव करें। आपके मन की गहराईयों तक जाने का अनूठा अनुभव करने के लिए, जल्दी से '✨💓सायरी for mood✨💓' चैनल को ज्वाइन करें और इस खास सायरी समुदाय का हिस्सा बनें।

💓सायरी for mood💓

28 Oct, 01:48


“इतना आसान नहीं होता जीवन का किरदार
निभा पाना ! 😉🌈
इंसान को बिखरना पड़ता है रिश्तों को समेटने
के लिए !! 🥺😎🥺😇🙏🌼

💓सायरी for mood💓

30 Sep, 14:15


Hey! Here's my gift to you. Use my referral code and get 10% off on any purchase of Testbook Pass or Testbook Pass Pro. https://link.testbook.com/SkJ0aQI06zb?tbreferrer=2QQ7XC OR use code 2QQ7XC

💓सायरी for mood💓

22 Sep, 04:10


मैं पसंद नहीं अगर
तो इतना वक्त क्यों बिताते हो,

मैं औरों से अलग नहीं
तो सिर्फ़ मुझको क्यों सताते हो,

रिश्तों में नहीं बंधना अगर
तो इतना हक़ क्यों जताते हो,

फर्क नहीं पड़ता मेरे फैसलों से
तो मुझसे उम्मीद क्यों लगाते हो,

डरते नहीं मुझे खोने से अगर
तो बेवजह फ़िक्र क्यों दिखाते हो।

💓सायरी for mood💓

22 Sep, 04:08


ढाई अक्षर की बात कहने में
कितनी तकलीफ़ उठा रखी है

तूने ‘आँखों‘ में छुपा रखी है
मैंने होंठों में दबा रखी है ...

💓सायरी for mood💓

22 Sep, 04:07


https://youtu.be/9O_cW5CcNPU?si=kmrkdo5-4vuxMnWm

💓सायरी for mood💓

26 Jun, 03:12


मैंने भीग कर देखा बारिश में, मैंने पी कर देखा समंदर को और मैंने डूब कर देखा तुझमें

मगर मेरी प्यास कभी भी खत्म नहीं हो पायी...

💓सायरी for mood💓

23 Jun, 13:11


शक करने से शक ही बढ़ता है..विश्वास करने से विश्वास बढ़ता है..यह आपकी इच्छा है के आप किस तरफ बढ़ना चाहते हैं...

💓सायरी for mood💓

11 Feb, 08:44


*ख़ुद तलाशना… क़ातिल अपना…*
*और… फिर कत्ल होना…*

*इसी फ़नकारी… को…*
*बदकिस्मती से… इश्क कहते हैं...*
💕

💓सायरी for mood💓

21 Jan, 13:24


मैं कभी खुद को इस भ्रम में नहीं रखा कि मेरी कमी उसको उदास करेगी
यदि आप बेहतर हैं, तो आपसे भी बेहतरीन ढूंढ लिए जाते हैं✌️😌

💓सायरी for mood💓

21 Jan, 13:23


हम तुम्हे लिखते है💬
आप पढ़ पाओगी क्या

हर जगह तुम्हारी बाते करते है
आप सुन पाओगी क्या

हम कुछ कहना चाहते है
बिन कहे आप, समझ पाओगी क्या

❤️❤️💛❤️❤️

💓सायरी for mood💓

05 Jan, 18:06


तुम्हारे अक़्स से भी मैं तुम्हे पहचान जाऊँगा
तुम्हारे खामोश लफ्ज़ो की बाते भी मैं जान जाऊँगा
अगर हो तुमको बेवफाई का डर तो बता दो मुझको
तुम्हारे वास्ते मैं ज़माने कों भी भूल जाऊँगा

💓सायरी for mood💓

01 Jan, 01:52


नया सवेरा नयी किरण के साथ, 🎊
नया दिन एक प्यारी सी मुस्कान के साथ, 🎊
आपको नया साल 🎉 मुबारक हो ढेर सारी सुभकामनाए के साथ…
हैप्पी न्यू ईयर ! 🥳 🤗

💓सायरी for mood💓

07 Dec, 11:49


I’m inviting you to use Google Pay, a simple and secure payments app by Google. Here’s my code (9h36i8k)- just enter it before your first transaction. On your first payment, you will get a cashback of ₹21. https://g.co/payinvite/9h36i8k

💓सायरी for mood💓

14 Sep, 16:56


🚩  *गाँव-शहर*🚩

तेरी बुराइयों को हर अखबार कहता है,
और तू मेरे गाँव को गँवार कहता है...
ऐ शहर मुझे तेरी औकात पता है,
तू चुल्लू भर पानी को वाटर पार्क कहता है...
थक गया है हर शख्स काम करते करते,
तू इसे अमीरी का बाजार कहता है...
गाँव चलो वक्त ही वक्त है सबके पास,
तेरी सारी फुर्सत तेरा इतवार कहता है...
मौन होकर फोन पर रिश्ते निभाए जा रहा है,
तू इस मशीनी दौर को परिवार कहता है...
जिनकी सेवा में बिता देते सारा जीवन,
तू उन माँ-बाप को खुद पर बोझ कहता है...
वो मिलने आते थे तो कलेजा साथ लाते थे,
तू दस्तूर निभाने को रिश्तेदार कहता है...
बड़े बड़े मसले हल करती यहां पंचायतें,
तू अँधी भ्रष्ट दलीलों को दरबार कहता है...
बैठ जाते हैं अपने पराये साथ बैलगाड़ी में,
पूरा परिवार भी ना बैठ पाये उसे तू कार कहता है...
अब बच्चे भी बड़ों का आदर भूल बैठे हैं,
तू इस नये दौर को संस्कार कहता है...
जिंदा है आज भी गाँव में देश की संस्कृति,
तू भूल के अपनी सभ्यता खुद को तू शहर कहता है...
शहर घुमता है काले चश्मे लगाकर,
गाँव अब भी नजर मिला लेता है...
शहर बीमार होता है दवाओ से,
गाँव बीमारी में भी खुद को जीला लेता है...
शहर से घर को लोग खाली हाथ लौट जाते है,
गाँव में लोग बर्तन भी खाली नहीं लौटाते है...
नकली चेहरे गाँव में भी है मगर उनकी आँखे सच्ची है,
शहर कि भीतरी शोर से आटा चक्की कि पुक-पुक-पुक-पुक अच्छी है...
गाँव में देखो मुस्कुराती है फुल गोभियाँ,
शहर ने पहले बाल रंगे फिर हरी सब्जियाँ...
मेरी दुआ है खूब तरक्की करे यह ज़माना,
मगर गाँव कि लाश पर शहर न उगाना !!

💓सायरी for mood💓

04 Sep, 06:06


लफ्ज़ अक्सर झूठ बोलते हैं,
शख्स कैसा है हरकतें बताती है।

💓सायरी for mood💓

05 Aug, 16:10


"लौट आना"

सुख उन्हें भी कब मिला है
पर पिता ने यह लिखा है

देख तू चिंता न करना
इस समय धीरज सा धरना

है निशा का घोर डेरा
दूर दिखता है सवेरा

भूलना तुम यह नहीं पर
काल की गति है निरंतर

कुछ यहाँ रुकता नहीं है
कल कहीं था कल कहीं है

याद रखना बात मेरी
सुख का आना और देरी

यह नियम कब टूटता है
हर किसी पर बीतता है

प्राण है तू बस हमारा
आँख का ओझल सितारा

धैर्य तू क्यों खो रहा है
इस तरह क्यों रो रहा है

प्राण अपने खो पड़ूँगा
तू जो रोया रो पड़ूँगा

हारने का भय न करना
दुर्गमों की जय न करना

शैल ही तेरा पता हो
पर नदी को रास्ता हो

यह न ढूँढो क्या कहाँ है
मैं यहाँ हूँ माँ यहाँ है

बोझ यदि भारी लगे तो
यदि थकन हारी लगे तो

हर तपन को भूल जाना
दुख मिले तो लौट आना

दुख मिले तो लौट आना

💓सायरी for mood💓

19 Jun, 02:05


साजिशें कुछ यूँ हुई हैं साथ हमारे
गमों में कोई नही रहा पास हमारे..

खंजर से जख्म जिसने भी दिए हमको
वो सभी लोग कभी थे खास हमारे..

हमसे जुबानी जंग ठीक नही साहब
तुम्हे जुबान नही आएंगे रास हमारे...!
🥀🍃🫣

💓सायरी for mood💓

18 Jun, 14:53


इसे कहते है कसक ओर चाहत

ट्रेन चलने को ही थी कि अचानक कोई जाना पहचाना सा चेहरा जर्नल बोगी में आ गया। मैं अकेली सफर पर थी। सब अजनबी चेहरे थे। स्लीपर का टिकिट नही मिला तो जर्नल डिब्बे में ही बैठना पड़ा। मगर यहां ऐसे हालात में उस शख्स से मिलना। जिंदगी के लिए एक संजीवनी के समान था।

जिंदगी भी कमबख्त कभी कभी अजीब से मोड़ पर ले आती है। ऐसे हालातों से सामना करवा देती है जिसकी कल्पना तो क्या कभी ख्याल भी नही कर सकते ।

वो आया और मेरे पास ही खाली जगह पर बैठ गया। ना मेरी तरफ देखा। ना पहचानने की कोशिश की। कुछ इंच की दूरी बना कर चुप चाप पास आकर बैठ गया। बाहर सावन की रिमझिम लगी थी। इस कारण वो कुछ भीग गया था। मैने कनखियों से नजर बचा कर उसे देखा। उम्र के इस मोड़ पर भी कमबख्त वैसा का वैसा ही था। हां कुछ भारी हो गया था। मगर इतना ज्यादा भी नही।

फिर उसने जेब से चश्मा निकाला और मोबाइल में लग गया।

चश्मा देख कर मुझे कुछ आश्चर्य हुआ। उम्र का यही एक निशान उस पर नजर आया था कि आंखों पर चश्मा चढ़ गया था। चेहरे पर और सर पे मैने सफेद बाल खोजने की कोशिश की मग़र मुझे नही दिखे।

मैंने जल्दी से सर पर साड़ी का पल्लू डाल लिया। बालो को डाई किए काफी दिन हो गए थे मुझे। ज्यादा तो नही थे सफेद बाल मेरे सर पे। मगर इतने जरूर थे कि गौर से देखो तो नजर आ जाए।

मैं उठकर बाथरूम गई। हैंड बैग से फेसवाश निकाला चेहरे को ढंग से धोया फिर शीशे में चेहरे को गौर से देखा। पसंद तो नही आया मगर अजीब सा मुँह बना कर मैने शीशा वापस बैग में डाला और वापस अपनी जगह पर आ गई।

मग़र वो साहब तो खिड़की की तरफ से मेरा बैग सरकाकर खुद खिड़की के पास बैठ गए थे।

मुझे पूरी तरह देखा भी नही बस बिना देखे ही कहा, " सॉरी, भाग कर चढ़ा तो पसीना आ गया था । थोड़ा सुख जाए फिर अपनी जगह बैठ जाऊंगा।" फिर वह अपने मोबाइल में लग गया। मेरी इच्छा जानने की कोशिश भी नही की। उसकी यही बात हमेशा मुझे बुरी लगती थी। फिर भी ना जाने उसमे ऐसा क्या था कि आज तक मैंने उसे नही भुलाया। एक वो था कि दस सालों में ही भूल गया। मैंने सोचा शायद अभी तक गौर नही किया। पहचान लेगा। थोड़ी मोटी हो गई हूँ। शायद इसलिए नही पहचाना। मैं उदास हो गई।

जिस शख्स को जीवन मे कभी भुला ही नही पाई उसको मेरा चेहरा ही याद नही😔

माना कि ये औरतों और लड़कियों को ताड़ने की इसकी आदत नही मग़र पहचाने भी नही😔

शादीशुदा है। मैं भी शादीशुदा हुँ जानती थी इसके साथ रहना मुश्किल है मग़र इसका मतलब यह तो नही कि अपने खयालो को अपने सपनो को जीना छोड़ दूं।

एक तमन्ना थी कि कुछ पल खुल के उसके साथ गुजारूं। माहौल दोस्ताना ही हो मग़र हो तो सही😔

आज वही शख्स पास बैठा था जिसे स्कूल टाइम से मैने दिल मे बसा रखा था। सोसल मीडिया पर उसके सारे एकाउंट चोरी छुपे देखा करती थी। उसकी हर कविता, हर शायरी में खुद को खोजा करती थी। वह तो आज पहचान ही नही रहा😔

माना कि हम लोगों में कभी प्यार की पींगे नही चली। ना कभी इजहार हुआ। हां वो हमेशा मेरी केयर करता था, और मैं उसकी केयर करती थी। कॉलेज छुटा तो मेरी शादी हो गई और वो फ़ौज में चला गया। फिर उसकी शादी हुई। जब भी गांव गई उसकी सारी खबर ले आती थी।

बस ऐसे ही जिंदगी गुजर गई।

आधे घण्टे से ऊपर हो गया। वो आराम से खिड़की के पास बैठा मोबाइल में लगा था। देखना तो दूर चेहरा भी ऊपर नही किया😔

मैं कभी मोबाइल में देखती कभी उसकी तरफ। सोसल मीडिया पर उसके एकाउंट खोल कर देखे। तस्वीर मिलाई। वही था। पक्का वही। कोई शक नही था। वैसे भी हम महिलाएं पहचानने में कभी भी धोखा नही खा सकती। 20 साल बाद भी सिर्फ आंखों से पहचान ले☺️

फिर और कुछ वक्त गुजरा। माहौल वैसा का वैसा था। मैं बस पहलू बदलती रही।

फिर अचानक टीटी आ गया। सबसे टिकिट पूछ रहा था।

मैंने अपना टिकिट दिखा दिया। उससे पूछा तो उसने कहा नही है।

टीटी बोला, "फाइन लगेगा"

वह बोला, "लगा दो"

टीटी, " कहाँ का टिकिट बनाऊं?"

उसने जल्दी से जवाब नही दिया। मेरी तरफ देखने लगा। मैं कुछ समझी नही।

उसने मेरे हाथ मे थमी टिकिट को गौर से देखा फिर टीटी से बोला, " कानपुर।"

टीटी ने कानपुर की टिकिट बना कर दी। और पैसे लेकर चला गया।

वह फिर से मोबाइल में तल्लीन हो गया।

आखिर मुझसे रहा नही गया। मैंने पूछ ही लिया,"कानपुर में कहाँ रहते हो?"

वह मोबाइल में नजरें गढ़ाए हुए ही बोला, " कहीँ नही"

वह चुप हो गया तो मैं फिर बोली, "किसी काम से जा रहे हो"

वह बोला, "हाँ"

अब मै चुप हो गई। वह अजनबी की तरह बात कर रहा था और अजनबी से कैसे पूछ लूँ किस काम से जा रहे हो।

कुछ देर चुप रहने के बाद फिर मैंने पूछ ही लिया, "वहां शायद आप नौकरी करते हो?"

उसने कहा,"नही"

मैंने फिर हिम्मत कर के पूछा "तो किसी से मिलने जा रहे हो?"

वही संक्षिप्त उत्तर ,"नही"

आखरी जवाब सुनकर मेरी हिम्मत नही हुई कि और भी कुछ पूछूँ। अजीब आदमी था । बिना काम सफर कर रहा था।

💓सायरी for mood💓

18 Jun, 14:53


मैं मुँह फेर कर अपने मोबाइल में लग गई।

कुछ देर बाद खुद ही बोला, " ये भी पूछ लो क्यों जा रहा हूँ कानपुर?"

मेरे मुंह से जल्दी में निकला," बताओ, क्यों जा रहे हो?"

फिर अपने ही उतावलेपन पर मुझे शर्म सी आ गई।

उसने थोड़ा सा मुस्कराते हुवे कहा, " एक पुरानी दोस्त मिल गई। जो आज अकेले सफर पर जा रही थी। फौजी आदमी हूँ। सुरक्षा करना मेरा कर्तव्य है । अकेले कैसे जाने देता। इसलिए उसे कानपुर तक छोड़ने जा रहा हूँ। " इतना सुनकर मेरा दिल जोर से धड़का। नॉर्मल नही रह सकी मैं।

मग़र मन के भावों को दबाने का असफल प्रयत्न करते हुए मैने हिम्मत कर के फिर पूछा, " कहाँ है वो दोस्त?"

कमबख्त फिर मुस्कराता हुआ बोला," यहीं मेरे पास बैठी है ना"

इतना सुनकर मेरे सब कुछ समझ मे आ गया। कि क्यों उसने टिकिट नही लिया। क्योंकि उसे तो पता ही नही था मैं कहाँ जा रही हूं। सिर्फ और सिर्फ मेरे लिए वह दिल्ली से कानपुर का सफर कर रहा था। जान कर इतनी खुशी मिली कि आंखों में आंसू आ गए।

दिल के भीतर एक गोला सा बना और फट गया। परिणाम में आंखे तो भिगनी ही थी।

बोला, "रो क्यों रही हो?"

मै बस इतना ही कह पाई," तुम मर्द हो नही समझ सकते"

वह बोला, " क्योंकि थोड़ा बहुत लिख लेता हूँ इसलिए एक कवि और लेखक भी हूँ। सब समझ सकता हूँ।"

मैंने खुद को संभालते हुए कहा "शुक्रिया, मुझे पहचानने के लिए और मेरे लिए इतना टाइम निकालने के लिए"

वह बोला, "प्लेटफार्म पर अकेली घूम रही थी। कोई साथ नही दिखा तो आना पड़ा। कल ही रक्षा बंधन था। इसलिए बहुत भीड़ है। तुमको यूँ अकेले सफर नही करना चाहिए।"

"क्या करती, उनको छुट्टी नही मिल रही थी। और भाई यहां दिल्ली में आकर बस गए। राखी बांधने तो आना ही था।" मैंने मजबूरी बताई।

"ऐसे भाइयों को राखी बांधने आई हो जिनको ये भी फिक्र नही कि बहिन इतना लंबा सफर अकेले कैसे करेगी?"

"भाई शादी के बाद भाई रहे ही नही। भाभियों के हो गए। मम्मी पापा रहे नही।"

कह कर मैं उदास हो गई।

वह फिर बोला, "तो पति को तो समझना चाहिए।"

"उनकी बहुत बिजी लाइफ है मैं ज्यादा डिस्टर्ब नही करती। और आजकल इतना खतरा नही रहा। कर लेती हुँ मैं अकेले सफर। तुम अपनी सुनाओ कैसे हो?"

"अच्छा हूँ, कट रही है जिंदगी"

"मेरी याद आती थी क्या?" मैंने हिम्मत कर के पूछा।

वो चुप हो गया।

कुछ नही बोला तो मैं फिर बोली, "सॉरी, यूँ ही पूछ लिया। अब तो परिपक्व हो गए हैं। कर सकते है ऐसी बात।"

उसने शर्ट की बाजू की बटन खोल कर हाथ मे पहना वो तांबे का कड़ा दिखाया जो मैंने ही फ्रेंडशिप डे पर उसे दिया था। बोला, " याद तो नही आती पर कमबख्त ये तेरी याद दिला देता था।"

कड़ा देख कर दिल को बहुत शुकुन मिला। मैं बोली "कभी सम्पर्क क्यों नही किया?"

वह बोला," डिस्टर्ब नही करना चाहता था। तुम्हारी अपनी जिंदगी है और मेरी अपनी जिंदगी है।"

मैंने डरते डरते पूछा," तुम्हे छू लुँ"

वह बोला, " पाप नही लगेगा?"

मै बोली," नही छू ने से नही लगता।"

और फिर मैं कानपुर तक उसका हाथ पकड़ कर बैठी रही।।

बहुत सी बातें हुईं।

जिंदगी का एक ऐसा यादगार दिन था जिसे आखरी सांस तक नही बुला पाऊंगी।

वह मुझे सुरक्षित घर छोड़ कर गया। रुका नही। बाहर से ही चला गया।

जम्मू थी उसकी ड्यूटी । चला गया।

उसके बाद उससे कभी बात नही हुई । क्योंकि हम दोनों ने एक दूसरे के फोन नम्बर नही लिए।

हांलांकि हमारे बीच कभी भी नापाक कुछ भी नही हुआ। एक पवित्र सा रिश्ता था। मगर रिश्तो की गरिमा बनाए रखना जरूरी था।

फिर ठीक एक महीने बाद मैंने अखबार में पढ़ा कि वो देश के लिए शहीद हो गया। क्या गुजरी होगी मुझ पर वर्णन नही कर सकती। उसके परिवार पर क्या गुजरी होगी। पता नही😔

लोक लाज के डर से मैं उसके अंतिम दर्शन भी नही कर सकी।

आज उससे मीले एक साल हो गया है आज भी रखबन्धन का दूसरा दिन है आज भी सफर कर रही हूँ। दिल्ली से कानपुर जा रही हूं। जानबूझकर जर्नल डिब्बे का टिकिट लिया है मैंने।

अकेली हूँ। न जाने दिल क्यों आस पाले बैठा है कि आज फिर आएगा और पसीना सुखाने के लिए उसी खिड़की के पास बैठेगा।

एक सफर वो था जिसमे कोई हमसफ़र था।

एक सफर आज है जिसमे उसकी यादें हमसफ़र है। बाकी जिंदगी का सफर जारी है देखते है कौन मिलता है कौन साथ छोड़ता है...!!!❤️ ©Copy

💓सायरी for mood💓

12 Jun, 08:36


करलू जो कैद तुम्हे इश्क के दायरे में,

लोग जल जायँगे तुम्हे मेरे इतना करीब देख के.....
 
               

💓सायरी for mood💓

07 Jun, 06:01


वो अच्छा है तो अच्छा है, बुरा है तो भी अच्छा है 🥰
मिज़ाज-ऐ-इश्क़ में ऐब-और-हुनर देखे नहीं जाते...💞