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⚔️🕉️सनातन धर्म सर्वोच्च 📿🚩🚩

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⚔️📿"मैं ज्ञान में ब्राह्मण हूँ
व्यवस्था में वेश्य हूँ,
रणभूमि में क्षत्रिय हूँ
और सेवा करने मैं शुद्र हूँ,
अत: मैं सिर्फ हिंदू हूं"।!🌸🧿

🕉️🇮🇳जय सनातन ..🔱🚩

🌼🌸"सनातन जिसका ना आदि हैं ,ना अंत, सनातन सर्वोच्च है, और अनंत काल तक रहेगा"।।❤️🕉️⚔️🚩
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Última Actualización 06.03.2025 04:05

सनातन धर्म: एक दिव्य एवं शाश्वत परंपरा

सनातन धर्म, जिसे आमतौर पर हिंदू धर्म के रूप में जाना जाता है, एक प्राचीन और अद्वितीय धार्मिक प्रणाली है जो सैकड़ों वर्षों से भारतीय उपमहाद्वीप की संस्कृति और समाज का अभिन्न हिस्सा रहा है। यह धर्म केवल एक धार्मिक विश्वास प्रणाली तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर भी है जिसका आधार प्रेम, करुणा, और आत्मा की खोज पर है। सनातन का अर्थ है 'अनंत' और इस धर्म के अनुयायी इसे शाश्वत और सदियों पुराना मानते हैं। इसकी शिक्षाएँ, परंपराएँ, और रिवाज आज भी लोगों के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। इसमें वेद, उपनिषद, पुराण, और विभिन्न धार्मिक ग्रंथ शामिल हैं जो जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। इसके अतिरिक्त, यह धर्म विभिन्न आस्थाओं और विश्वासों का समावेश करता है जो इसे विश्व के अन्य धर्मों से अलग बनाता है।

सनातन धर्म के मूल तत्व क्या हैं?

सनातन धर्म के मूल तत्वों में वेद, उपनिषद, और अन्य धार्मिक ग्रंथ शामिल हैं। वेद वे धार्मिक ग्रंथ हैं जो मानवता के लिए ज्ञान और मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। इनमें भक्ति, पूजा, और ज्ञान की परंपरा की गहराई से विवेचना की गई है। उपनिषद वे ग्रंथ हैं जो वेदों के गूढ़ अर्थों को समझाते हैं, और मानव जीवन के उद्देश्य को स्पष्ट करते हैं।

इसके अतिरिक्त, सनातन धर्म में कर्म, पुनर्जन्म, और धर्म का सिद्धांत शामिल है। कर्म का सिद्धांत बताता है कि हमारे कार्यों के परिणाम हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं। पुनर्जन्म का विश्वास यह दर्शाता है कि आत्मा एक शरीर को छोड़कर दूसरे में प्रवेश करती है, जो जीवन के चक्र को दर्शाता है।

सनातन धर्म के अनुयायी कौन हैं?

सनातन धर्म के अनुयायियों को आमतौर पर हिंदू कहा जाता है। यह धर्म मुख्य रूप से भारत, नेपाल, और विश्व के अन्य हिस्सों में फैले हिंदू समुदायों द्वारा माना जाता है। हिंदू धर्म का पालन करने वाले लोग विभिन्न उपास्य देवताओं, त्यौहारों, और धार्मिक अनुष्ठानों का पालन करते हैं।

इसके अनुयायियों में विभिन्न जातियां और उपजातियां शामिल हैं, जो विभिन्न धार्मिक परंपराओं और रिवाजों का पालन करती हैं। यह विविधता इस धर्म की समृद्धि और इसकी मानवता के प्रति अपार करुणा को दर्शाती है।

सनातन धर्म की पूजा और अनुष्ठान कैसे होते हैं?

सनातन धर्म की पूजा और अनुष्ठान विविधता में भरे होते हैं। पूजा में विशेष रूप से देवताओं की आराधना, मंत्रोच्चारण, और भोग अर्पित करना शामिल होता है। पूजा करते समय विभिन्न पवित्र वस्तुओं और फूलों का उपयोग किया जाता है। हिन्दू पर्वों पर विशेष अनुष्ठान भी किए जाते हैं, जैसे दीपावली, होली, और रक्षाबंधन।

इसके अलावा, दैनिक पूजा में घर में स्थापित मूर्तियों के समक्ष दीप जलाना और प्राथना करना आवश्यक होता है। हिंदू धर्म में ध्यान और योग का अभ्यास भी महत्वपूर्ण होता है, जो आत्मा की शुद्धि और मानसिक शांति को बढ़ावा देता है।

सनातन धर्म और आधुनिकता में क्या संबंध है?

सनातन धर्म ने समय के साथ कई परिवर्तन देखे हैं, लेकिन इसकी मूल धारणा और शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं। आधुनिक युग में, हिंदू धर्म ने कई नए विचारों का स्वागत किया है और तकनीकी और सामाजिक परिवर्तनों के साथ अपने आप को ढाला है।

मौजूदा समय में, कई युवा पीढ़ी इस धर्म के मूल सिद्धांतों को अपनाते हुए इसे आधुनिक संदर्भ में ढालने का कार्य कर रहे हैं। यह धर्म विज्ञान, तर्क और आधुनिकता के साथ सामंजस्य बैठाने की कोशिश कर रहा है, जिससे यह और भी प्रभावशाली बनता जा रहा है।

सनातन धर्म के प्रमुख त्यौहार कौन से हैं?

सनातन धर्म के प्रमुख त्यौहारों में दीपावली, होली, दशहरा, और जन्माष्टमी शामिल हैं। दीपावली, जिसे 'दीपों का पर्व' भी कहा जाता है, अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है और इसे अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने का पर्व माना जाता है।

होली प्रेम और भाईचारे का पर्व है, जो रंगों के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। दशहरा रावण वध का प्रतीक है, और इसे विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है। जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्म का उत्सव है, जो भक्तिभाव के साथ मनाया जाता है।

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Radhe radhe ji

09 Feb, 07:00
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*🕉️कहा जाता है कि यदि हम मंत्र के जाप से पहले इसमें ॐ’लगा लेते हैं तो इस दौरान हुई कोई भी गलती मान्य नहीं होती है. वह भी शुद्ध हो जाती है. ॐ’का प्रयोग कर लेने से गलती होने पर भी व्यक्ति को दोष नहीं लगता है.*

08 Feb, 14:24
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🕉️आखिर हर मंत्र से पहले 'ॐ' बोला क्यों जाता है, इससे आपकी जिंदगी में क्या बदल जाता है⚜️
*🕉️'ॐ' को हिंदू धर्म में पवित्र और शक्ति का प्रतीक माना गया है. यह मंत्र जाप को प्रभावशाली और शुद्ध बनाता है. धार्मिक ग्रंथों और महंतों के अनुसार, 'ॐ' की ध्वनि सकारात्मक ऊर्जा और शांति प्रदान करती है.*

*🕉️हिंदू धर्म में ‘ॐ’ को अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली माना गया है. हर मंत्र की शुरुआत ‘ॐ’ से होती है. यह मात्र एक ध्वनि नहीं, बल्कि संपूर्ण सृष्टि का प्रतीक है. जब हम ‘ॐ’ का उच्चारण करते हैं, तो एक अद्भुत ऊर्जा का अनुभव होता है. यह ध्वनि ब्रह्मांड से उत्पन्न पहली ध्वनि है और इसमें सभी वेदों और तपस्वियों का सार समाहित है.*

*🕉️ॐ या ओम प्रतीक*

*🕉️ओम एक दृश्य प्रतीक और एक पवित्र ध्वनि या मंत्र दोनों है जिसे सुना और बोला जा सकता है। यह शब्दांश तीन ध्वनियों 'अ', 'उ' और 'म' से बना है - ओम।*

*🕉️'ए' (उच्चारण एक लम्बी "आवे" के रूप में) । यह ध्वनि शुरुआत का प्रतिनिधित्व करती है - ब्रह्मांड और उसके भीतर की हर चीज का निर्माण। इसे 'चेतन या जागृत अवस्था' का प्रतीक माना जाता है। हिंदू परंपरा में इस ध्वनि को ब्रह्मा - निर्माता के साथ जोड़ा जाता है। ध्वनि पेट में उत्पन्न होती है, और ऊपरी छाती में कंपन करती है। खुलेपन की भावना पैदा करने के लिए अपनी जीभ को मुंह के निचले हिस्से में रखें और अपने होठों को अलग रखें।*

*'🕉️उ' (एक लम्बी "ऊह" ध्वनि) । यह ध्वनि स्थिरता को दर्शाती है जो आपको साथ लेकर चलती है और वह ऊर्जा जो आपको और दुनिया को सुरक्षित रखती है और बनाए रखती है। यह हिंदू भगवान, विष्णु - संरक्षक से जुड़ा हुआ है। 'अ' ध्वनि से, होंठ एक साथ हिलना शुरू करते हैं और ध्वनि धीरे-धीरे आगे बढ़ती है, ऊपरी तालू के साथ घूमती है और गले में कंपन करती है।*

*'🕉️म' ('ममम' ध्वनि )। यह समापन की ध्वनि और अंत की शुरुआत को दर्शाता है और शिव से जुड़ा हुआ है। शिव को अक्सर 'विध्वंसक' के रूप में जाना जाता है, लेकिन वे परिणति, पूर्णता, अंतिमकरण की शक्ति भी हैं। ध्वनि बनाते समय, हम अपनी जीभ को मुंह के ऊपर ले जाते हैं और अपने होठों को एक साथ लाते हैं ताकि एक लंबी गुनगुनाहट की आवाज़ पैदा हो।*

*🕉️एक चौथी ध्वनि भी है: मौन। सांस और ध्वनि के फीके पड़ जाने के बाद हमारे पास जो अवशेष या ऊर्जा बचती है, वह है शांति। स्थिरता से उठकर, स्थिरता द्वारा बनाए रखा जाता है और फिर से मौन में लुप्त हो जाता है...*

*🕉️मंत्रों के साथ ‘ॐ’ क्यों जोड़ा जाता है?*

*🕉️किसी भी मंत्र से पहले ‘ॐ’ लगाने से उसकी शक्ति और प्रभाव बढ़ जाते हैं. यह मंत्र को शुद्ध और प्रभावशाली बनाता है. हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, ‘ॐ’ के बिना मंत्र अधूरा माना जाता है. इसके साथ मंत्र का जाप करने से उस मंत्र में एक विशेष गति आती है और वह सिद्ध हो जाता है.*

*🕉️मंत्र जाप में शुद्धि का कारक*

*🕉️‘ॐ’ का उपयोग मंत्र जाप के दौरान किसी अशुद्धि को समाप्त करने में सहायक होता है. यदि मंत्रोच्चारण में कोई त्रुटि हो जाए, तो ‘ॐ’ उसे शुद्ध कर देता है. इससे मंत्र जाप करने वाले व्यक्ति को किसी दोष का भय नहीं रहता. इसीलिए हर मंत्र से पहले ‘ॐ’ लगाया जाता है.*

*🕉️भगवद्‌गीता में ‘ॐ’ का उल्लेख*

*🕉️भगवद्‌गीता और अन्य धर्मशास्त्रों में भी ‘ॐ’ की महिमा का उल्लेख किया गया है. कहा गया है कि ‘ॐ’ के साथ मंत्र जाप करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. यह मंत्र की शक्ति को कई गुना बढ़ा देता है. ‘ॐ’ का उच्चारण धर्मशास्त्रों के पाठ के समान फलदायी होता है और इससे इच्छाएं पूर्ण होती हैं.*

*🕉️अन्य धर्मों में ‘ॐ’ का स्थान*

*🕉️केवल सनातन धर्म ही नहीं, बल्कि भारत के अन्य धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराओं में भी ‘ॐ’ को प्रमुख स्थान दिया गया है. यह शब्द एकता, शांति, और ध्यान का प्रतीक है. विभिन्न योग और ध्यान प्रक्रियाओं में ‘ॐ’ का उच्चारण शरीर और मन को शांति प्रदान करता है.*

*🕉️कठोपन‍िषद में भी है वर्णन-*

*🕉️वहीं कठोपन‍िषद में भी इसके पीछे का रहस्य बताया गया है. इसमें कहा गया है कि ओम शब्‍द में वेदों का सार, तपस्वियों और योग‍ियों का सार समाया हुआ है. ऐसे में जब भी मंत्रों का जाप करें तो इसकी शुरुआत ॐ’से करें. धार्मिक ग्रंथों की मानें तो यदि हम किसी मंत्र से पहले ॐ’लगाते हैं तो उससे शक्ति संपन्‍न हो जाती है और वह पूर्णतया शुद्ध हो जाता है.*

*🕉️माना ये भी जाता है कि बिना ॐ’के कोई भी मंत्र फलदायी नहीं होता है. मंत्र में ॐ’लगा लेने से उसकी शक्ति कई गुना अधिक हो जाती है. इससे एक शक्ति जागृत होती है और आपकी बात ईश्वर तक जल्दी पहुंचती है.*

*🕉️गलती नहीं होती है मान्य-*

08 Feb, 14:24
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मन गंगा की लहरों सा यमुना के करीब है,
दिल संगम सा प्रयागराज मे ठहरा हुआ है 🚩

29 Jan, 06:02
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