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whole world is my family
तू ही तू सबमें गुरुवर मेरे
हर पल मुझे ये याद रहें
मालिक... जय बाबा स्वामी 🙏

Samarpan_World (Hindi)

जब भी हम अपने परिवार से दूर होते हैं, तो हमें अकेलापन महसूस होता है। लेकिन 'Samarpan_World' नामक यह टेलीग्राम चैनल आपको आपके सच्चे कुटुंब से जुड़े बनाए रखने के लिए एक मंच प्रदान करता है। यहाँ पर विभिन्न लोग एक साथ आते हैं और एक अद्वितीय और प्यारे परिवार की भावना का अनुभव करते हैं।nnचैनल का नाम 'Samarpan_World' है, जिसका मतलब है 'पूरी दुनिया मेरा परिवार है'। यहाँ सभी एक ही छत के नीचे एकत्रित होते हैं और एक दूसरे के साथ रिश्तों की महत्वपूर्णता को समझते हैं।nnइस चैनल का उद्देश्य है लोगों को साथ जोड़कर एक साझा स्थायी अनुभव देना, जिससे वे अपने जीवन में खुशियों के लिए नई परिभाषाएँ बना सकें। चैनल पर आप सभी को स्वागत है, चाहे आप कहां से भी हों, आप सभी के लिए एक स्थायी घर है जहाँ प्यार और समर्पण के साथ आपसी संबंध बनाए जा सकते हैं।nnइस टेलीग्राम चैनल में हिंदी के अत्यधिक सुंदर भजनों और धार्मिक संदेशों का संग्रह है, जो आपको मालिक के प्रति भक्ति और समर्पण की भावना से भर देगा। तो आइए, 'Samarpan_World' में शामिल हों और इस अनोखी दुनिया का आनंद लें, जहाँ हर कोई आपके साथ एक परिवार बनने के लिए तैयार है।

Samarpan_World

23 Jan, 15:16


जय बाबा स्वामी,

सौराष्ट्र समर्पण आश्रम- सिंधावदर में गुरुकार्य की टीम द्वारा स्वयं स्फुरणा से विविध गुरुकार्य हमेंशा शुरू रहता है।

सात कुटीर का बहोत ही सुंदर रिनोवेशन किया गया...

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23 Jan, 13:17


॥प्रेममय जयते॥

शादी के बाद मुझे पत्नी से इस मार्ग पर चलने की हिम्मत प्राप्त हुई। पहले केवल इच्छा थी लेकिन मेरे में शक्ति नहीं थी, हिम्मत नहीं थी कि इस मार्ग पर चलूँ। *तू बता, ऐसी कौनसी पत्नी होगी जो, उसका पति नौकरी न करे, ऐसी इच्छा करती हो और स्वयं नौकरी करके घर , संभालती हो!*

पूज्य गुरुदेव नें अपनी माताजी से।
हि.का स. यो. ३

॥वसुधैव कुटुम्बकम्॥

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Samarpan_World

23 Jan, 12:24


॥प्रेममय जयते॥

मुझे बचपन में बड़ा आश्चर्य लगता था कि जीवंत गुरुओं को भी उनके जीवनकाल में कठिनाइयों का, लोक-निंदा का, विरोध का सामना करना पड़ा! ऐसा क्यो होता होगा, वह समझ में नहीं आया। पर बड़ा होने पर जाना कि सद्गुरु सत्य के साथ बँधा होता है़। कई बार सत्य कड़वा होता है़। सत्य सुनने की क्षमता सबमें नहीं होती है़ और कई बार संतों के आचरण से लोगों के निजी हित, स्वार्थ प्रभावित होते हैं। उन स्वार्थों के कारण कई लोग उनका विरोध करने लग जाते हैं।

*हिमालयिन योगी* श्री शिवकृपानंद स्वामी (*साक्षात् परमात्मा*),
*हिमालय का समर्पण योग २* (सजीव व पवित्र ग्रंथ)

॥वसुधैव कुटुम्बकम्॥

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23 Jan, 11:50


🙏🏻🌺🙏🏻🪷🙏🏻🌺🙏🏻

॥प्रेममय जयते॥

....इस निर्णय से मेरी पत्नी पर भी आर्थिक दबाव आ गया था। *मेरी पत्नी के जेवर आदि सब बेचना पड़े थे।*.....👇🏻

*मेरी मॉं की मृत्यु बड़े खराब समय में हुई। वह मुझे लेकर परेशान ही थी। मैं नौकरी छोड़कर इस आध्यात्मिक क्षेत्र में आया था तो रिश्तेदारों ने मुझसे तो कुछ नहीं कहा क्योंकि मैंने किसी से संबंध ही नहीं रखे थे। पर मेरे बारे में मेरी मॉं को रिश्तेदारों से खूब ही बुरा-भला सुनना पड़ा था।*

इस निर्णय से मेरी पत्नी पर भी आर्थिक दबाव आ गया था। *मेरी पत्नी के जेवर आदि सब बेचना पड़े थे। ये सब बातें मेरी मॉं को पता थीं। कोई भी मॉं अपने बच्चे का यह सब सुनकर दुःखी ही होगी* जबकि जो निर्णय लिया वह हमारा स्वयं का था। मैं या पत्नी इसी निर्णय पर कायम थे। हमें कोई अफसोस नहीं था। मैं भी इस आध्यात्मिक मार्ग में मेरी पत्नी की सहायता के कारण टिक सका।

*हिमालयिन योगी* महर्षि श्री शिवकृपानंद स्वामी (साक्षात् परमात्मा),
*हिमालय का समर्पण योग ६ (सजीव व पवित्र ग्रंथ)*

॥वसुधैव कुटुम्बकम्॥

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Samarpan_World

23 Jan, 09:06


॥प्रेममय जयते॥

*संस्कृति समझे और अपनाएँ* :

*सोना-चाँदी*

...*आभूषण क्यों पहने जाते हैं?...एक बात अवश्य याद रखें-असली सोना-चाँदी-रत्न तथा मोती ही हमें दोषमुक्त रखने में सहायता करते हैं*....

*आपकी*
*गुरुमॉं*

बचपन में अक्सर देखा करते कि महिलाएँ कई तरह-तरह के गहने पहना करती हैं। गुजरात के पंचमहल जिले में ४-५ वर्ष रहे। वहाँ के जनजातीय लोग चाँदी के भारी-भक्कम गहने पहनते थे। महिलाएँ तथा पुरुष पाँव में जो चाँदी का कड़ा पहनते, वह मुझे बहुत अच्छा लगता था।

धीरे-धीरे समय के साथ सब बदल गया। अब दैनंदिन जीवन (रोजमर्रा) में न तो हाथों में चूडियों की 'खनक' है न पाँव में पायल की 'रुनझुन'। समय के साथ-साथ नारीमुक्ति की भी बात तूल पकड़ने लगी तो नई बातें सुनने को मिलीं। "पुरुषप्रधान समाज ने महिलाओं को गुलाम समझ रखा, तभी तो हाथ नें हथकडी (चूडियाँ) पाँव में पायल का बंधन, नाक में नकैल (नथनी/लौंग) डाली जाती है" जैसे बातों ने मुझे यह सोचने को बाध्य किया कि *आभूषण क्यों पहने जाते हैं?क्या ये सचमुच बंधन हैं? क्या ये शृंगार के लिए धारण किए जाते हैं? क्या ये वैभव का दिखावा करने के लिए धारण किए जाते हैं? या कोई और कारण हैं?*

दर असल *सोना-चाँदी-माणिक-मोती मानव को शुद्ध करने/रखने में सहायक हैं। महिलाएँ खाना पकाएँ या घर के अन्य कार्य करें, उनके माध्यम से चैतन्य घर के कोने-कोने तक पहुँचता है। भारतीय परिवारों में आज भी ९०-९८ प्रतिशत घरों में भोजन तथा घर को व्यवस्थित रखने जैसे कार्य महिलाएँ ही करती हैं। उनके दोष-मुक्त रहने से परिवार पर अच्छा परिणाम देखने को मिलता है।*

प्राचीन समय में शायद इसीलिए स्त्री तथा पुरुष पाँव में कड़ा, कमर में करधनी या कमरपट्टा, बाँह में बाजूबंद, हाथों में चूड़ियाँ या कड़ा, गले में हार, कान में बूंदें पहना करते थे।

आज पुरुषों के गहने तो काफी कम हुए, परंतु स्त्रियाँ आज भी शौक से आभूषण धारण करती हैं। समय के साथ आभूषणों की धातु में, रत्नों में, मोती में बदलाव आया है। हमारी इच्छा है हम कैसे आभूषण पहनें (या न भी पहने), किंतु *एक बात अवश्य याद रखें-असली सोना-चाँदी-रत्न तथा मोती ही हमें दोषमुक्त रखने में सहायता करते हैं।*

नोट : *महिलाएँ (साधिकाएँ) यह लेख पढ़कर आभूषण खरीदने की जिद न करें। 'कुछ मिलना चाहिए' की इच्छा हमारे नाभि चक्र को दूषित करेगी।*

जनवरी २००७

॥वसुधैव कुटुम्बकम्॥

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Samarpan_World

23 Jan, 09:06


🌞🪔🛑🪷🟡🪔🌝

॥प्रेममय जयते॥

*संस्कृति समझे और अपनाएँ* :

*सोना-चाँदी*

...*आभूषण क्यों पहने जाते हैं? क्या ये सचमुच बंधन हैं? क्या ये शृंगार के लिए धारण किए जाते हैं? क्या ये वैभव का दिखावा करने के लिए धारण किए जाते हैं? या कोई और कारण हैं?...एक बात अवश्य याद रखें-असली सोना-चाँदी-रत्न तथा मोती ही हमें दोषमुक्त रखने में सहायता करते हैं*....

*आपकी*
*गुरुमॉं*

👇🏻

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23 Jan, 07:36


॥प्रेममय जयते॥

*पत्रकार :* गुरु की क्या आवश्यकता है?

*मधुचैतन्य (जीवंत पत्रिका) )* - जनवरी २००९,
इस अंक के संत : *प. पू. श्री कलावती देवी - बेळगांव*,

*स्वामीजी :* गुरु की आवश्यकता नहीं होती तो स्कूलों की भी आवश्यकता नहीं थी। सब पुस्तकें खरीदकर पढ़ लेते। पुस्तकों से पहचानने की समझ तो आ सकती है, पर प्राप्त करने का ज्ञान नहीं मिल सकता।

गुरु के सान्निध्य में रहने से ईश्वर प्राप्ति का मार्ग सुगम हो जाता है, भटकना नहीं पड़ता है। कभी-कभी भटकने में ही जीवन बीत जाता है।

समाधान 

॥वसुधैव कुटुंबकम्॥

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GP - 1

Samarpan_World

23 Jan, 07:09


🙏🌺🙏🪷🙏🌺🙏

॥जय गुरुदेव॥

इस ऑनलाइन event का अनुभव --

खुब खुब अच्छा arrangment किया है अपनी team नें।

Well Done team 👍👍👍

ये सब देखते समय भी वहाँ का चैतन्य महसूस होता है। और picture clarity इतनी अच्छी है कि कभी कभी लगता था कि हम वहीं बैठे है।

वो जो Tent बनाया ना white क्लॉथ का। तो जब सब गुरुमॉं को मोबाईल टॉर्च on करके प्रकाश से birthday wish कर रहे थे वो दिखा रहे थे न वो इतना नयनरम्य था। मतलब ऊपर वो white tent और नीचे  सबके अंधेरे में टॉर्च के light जैसे प्रत्येक टीमटीमाता तारा हो। खुब आनंद आया।

मेरे मन में ऐसे लगा कि किसी दुल्हन नें घूंघट ओढ़ा हो जिसपर golden तारो की सजावट है। खुब अच्छा लगा।

वहाँ की पवित्र भूमि को मोबाईल से ही स्पर्श कर नमन किया। पता नहीं क्या अजीब जादू है? पूज्य गुरुदेव का चैतन्य ही होगा जो सिर्फ मोबाईल से वो सब देखते वक्त बहुत प्रसन्न व आल्हाददायी लगता था।

निजधाम का भी दर्शन गुरुकृपा में हुआ।

🌺🙏🌺

Thank You सभी को जिनकी वजह से हम इस event का लाभ घर बैठकर भी वहीं उपस्थित है इस भावना से लें पाए।

आप सभी को प्रणाम और ढेर सारा प्यार

🪔🙏🪔

पूज्य गुरुदेव आप सबको खुब खुब आशीर्वाद दें।

🪷🙏🪷

बाकी भी बहुत कुछ केहेना है इस खुशी से भरे event के बारे में। पर पूज्य गुरुदेव नें अभी इतनाही share करने कहा।

बाकी जब वो आज्ञा देंगे।

💟॥जय हो गुरुतत्त्व॥💟

🌺🌺🦚🌺🪷🌺🦚🌺🌺

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Samarpan_World

23 Jan, 04:34


Photo from Vinnita

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23 Jan, 03:18


॥प्रेममय जयते॥

*"साईभक्तों" को संदेश* --

साईबाबा ने धर्म से उठने के लिए इसलिए कहा था। *धर्म से ऊपर उठकरके सोचो और परमात्मा एक है! परमेश्वर एक है! सबका मालिक एक है! ये इशारा दिया था।* तो उनके उपदेशों को हमने हमारे जीवन में कितना चरितार्थ किया, कितना माना, कितना उस उपदेशों पर चले, आज वो आत्मचिंतन करने का दिन है। केवल आरती करना, पूजा करना, प्रसाद चढ़ाना, मन्नत माँगना इससे उनके कार्य को कोई बढ़ावा नही मिलेगा, उनके कार्य का कोई विस्तार नहीं होगा।

*महर्षि श्री शिवकृपानंद स्वामी*,
श्री साईबाबा समर्पण ध्यान महाशिविर, शिर्डी, २३/५/२०१३

*सर्वधर्म समभाव के ऊपर मैं कार्यरत था* और कार्य करते-करते, करते-करते जैसे वो शिर्डी के साईबाबा के क्षेत्र में आ गया, उनकी प्रॉपर्टी (आध्यात्मिक ज्ञान) मुझे खुद-ब-खुद ट्रान्सफर हो गई। मेरा उनके साथ कुछ भी संबंध नहीं है; *संबंध है तो कार्य समान है, एक-सा कार्य है* और कार्य के कारण समानता आ गई है और कार्य समानता के कारण शक्तियाँ रुपांतरित हो गईं, शक्तियाँ ट्रान्सफर हो गईं और बूँद से सागर की शक्ल आ गई।

*महर्षि श्री शिवकृपानंद स्वामी*

॥वसुधैव कुटुम्बकम्॥

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Samarpan_World

23 Jan, 03:04


॥प्रेममय जयते॥

*हे गुरुवर मैं क्या मांगू?*
*मेरी झोली तूने भर दा*...

*मधुचैतन्य (जीवंत पत्रिका* - अप्रैल २००६,
इस अंक के संत : *श्री ब्रह्मचैतन्य महाराज गोंदवलेकर*

हे गुरुवर मैं क्या मांगू?
मेरी झोली तूने भर दा,
कुछ न बचा मैं क्या मांगू।

तूँ ही मेरा सबकुछ स्वामी,
तुझे ही मैं ईश्वर जानू।

जब से मिला तू इस दुनियाँ में,
सब कुछ बदल गया ऐसे।

चित्त में बसा हूँ ऐसे स्वामी,
मुख में वसी जिव्हा जैसे।

एक ही वस है दिनदी गुरुवर,
इसे कभी ना ठुकराना
जैसे बसे हो चित्त में मेरे,
ऐसे ही बसते रहना... ऐसे ही बसते....

*कविता-भजन*

॥वसुधैव कुटुम्बकम्॥

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Samarpan_World

23 Jan, 01:11


*॥भावेंविण देव न कळे निःसंदेह। गुरुविण अनुभव कैसा कळे॥*

॥प्रेममय जयते॥

....*संत ज्ञानेश्वरजी ने आज से ७००-८०० सालों पूर्व समाज में रहकर जो मोक्षप्राप्ति का मार्ग बताया था, उसमें*...

*मधुचैतन्य (जीवंत पत्रिका)* - अक्टूबर २०१२,
इस अंक के संत : *श्री माता निर्मला देवी*

संत ज्ञानेश्वरजी ने आज से ७००-८०० सालों पूर्व समाज में रहकर जो मोक्षप्राप्ति का मार्ग बताया था, उसमें सामूहिकता का बड़ा महत्त्व था। और उन्होंने इच्छा की थी कि पवित्र आत्माओं के समूह निर्मित हों और निर्मित होकर सामूहिक रूप से मोक्षप्राप्ति हो, कलेक्टिविटी में मोक्षप्राप्ति हो। अकेले प्राप्त करने की है, हिमालय जाओ। अगर समाज में रहके करने का है तो सामूहिकता में आओ। ये दो ही मार्ग हैं, दो ही रास्ते हैं। कौनसा मार्ग चुनने का है, कौनसे मार्ग पे चलने का है, ये आपके ऊपर निर्भर है। इसीलिए, जब भी कभी सामूहिकता का अवसर मिले, उसको चूको मत।

- *परम पूज्य सद्गुरु श्री शिवकृपानंद स्वामीजी*

॥वसुधैव कुटुम्बकम्॥

ALDS - 5

Samarpan_World

22 Jan, 23:41


॥प्रेममय जयते॥

॥जय गुरुदेव॥

*GDA, Gurugraam, Samarpan Ashram Dandi, 2024 की अनुभूति/अनुभव -*

*"गुरुग्राम, दांडी में"* ४५ दिन अपने सच्चे परिवार के साथ और ज्यादा तर समय *गुरुकृपा मे  inward* रेहेने के बाद" अब धर्मशाला मे रहेना अच्छा नहीं लगताl

😒😔😕🙁☹️😶

But परमात्मा की इच्छाl उसकी इच्छा के आगे किसिकी चली हैं? स्विकार है। स्विकार करो और शांत रहो। स्विकार करने के अलावा और कोई मार्ग भी तो नहीं है।

🌺🙏🏻🌺

But हमें मैदान छोड़कर भागना भी तो नहीं होता है न! अपने मैदान को ही गुरुकृपा मे गुरुग्राम बनाना है। 🤗 😇 ✌🏻

Yesssssssssss.....👍🏻

पूज्य गुरुदेव(परमात्मा) आगे भी जो भी हो सबकुछ आपकी इच्छानुसार ही १००℅ सब हो। आप सदा सच्चे खुश रहे। आपकी सच्ची खुशी ही मेरा मोक्ष है। 🪔🙏🏻🪔

खुब खुब.... धन्यवाद पूज्य गुरुदेव (परमात्मा)/मेरे अंदर के निराकार परमचैतन्य, श्री गुरुतत्त्व, गुरुतत्त्व team, मेरा अपना प्यारा Vasai Main Centre और उससे जुडे सभी Souls, मेरे आई-बाबा और इसके अलावा भी जिन -जिनकी वजह से मैं इस गहन ध्यान अनुष्ठान, 2024, गुरुग्राम, समर्पण आश्रम दांडी का लाभ लें पाई वो सभी आत्माओं को भी।🙏🏻

परमचैतन्य आप सभी को खुब खुब शुभाशिर्वाद दें। आप सबका भी आत्मिक विकास एवं सर्वांगीण विकास परमचैतन्य की असीम, कृपा करुणा मे होता ही रहे। ये परमचैतन्य के श्री चरणों मे शुद्ध प्रार्थना है।
🌺🙏🏻🌺

Special Thanks to "अपने चैतन्यमयी साधना स्थली, पवित्र स्थान, समर्पण आश्रम दांडी, नवसारी" को और उसमें बसे "गुरुग्राम" को।
❤️🙏🏻❤️

🦚🪷॥जय हो समर्पण आश्रम, दांडी, नवसारी, गुजरात की॥🪷🦚

अपनी साधना स्थली, समर्पण आश्रम दांडी की और गुरुग्राम की भी आगे भी बहुत अच्छी आध्यात्मिक प्रगति हो, उन्नति हो, और होती ही रहे। इन दोनों का पूज्य गुरुदेव की इच्छा नुसार जल्द से जल्द संपूर्ण विकास हो, ढेर सारी संपूर्ण विश्व की आत्माए उसका लाभ लें और लेती रहे यही परमचैतन्य के श्री चरणों मे शुद्ध प्रार्थना है। आप सभी को सप्रेम प्रणाम

🪷🙏🏻🪷

I Love U Our Dear "Chaitanyamayi Sadhana Sthali, Samarpan Ashram Dandi, Navsari, Gujarat_ Bharat and उसमें बसा 'Hamara Gurugram'

🦚🌸🦚🦋🦚🌸🦚

आपको ढेर सारा प्यार और प्रणाम।

🌹🙏🏻🌹

💟॥जय हो गुरुतत्त्व॥💟

॥वसुधैव कुटुम्बकम्॥

🏔️🗻🪔🧘🏻‍♂️🧘🏻‍♀️🪔🏔️🗻

GDASDA - 18

Samarpan_World

22 Jan, 23:38


*गहनध्यान अनुष्ठान, गुरुग्राम, समर्पण आश्रम दांडी, नवसारी, 2024*

Samarpan_World

02 Jan, 17:24


हे गुरुवर 🪻

शुक्राना आपका हमे, रामू भिखारी से राजा बनाने के लिए।
शुक्राना आपका रोज सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठाने के लिए।
शुक्राना आपका गुरुकार्य के माध्यम से हमारे कर्म मिटाने के लिए।
शुक्राना आपका हमारे लिए गुरु शक्तिधाम निर्माण करवाने के लिए।
शुक्राना आपका हमारे सारे नाटक देखते हुए, हमे संभालने के लिए।
शुक्राना आपका हर क्षण हमारे साथ रहने के लिए।
शुक्राना आपका हमारी भटकन समाप्त करने के लिए।
शुक्राना आपका हमे अंतर्मुखी करने के लिए।
शुक्राना आपका हमारे हर पाप क्षमा करने के लिए।
शुक्राना आपका हमारी आत्मा की मां बनने के लिए।

Samarpan_World

02 Jan, 16:57


*मधुचैतन्य है अमृतधारा*

*पठनमात्र से मिले किनारा*....

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🧘🏻‍♂️ 📖 म  धु  चै  त न्य 📖🧘🏻‍♀️

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llवसुधैव कुटुंबकम्ll

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Samarpan_World

02 Jan, 16:53


॥प्रेममय जयते॥

२ जनवरी - विश्व अंतर्मुखी दिवस ❤️

... कभी इन बातों से निराश मत होना। इन सब बातों का उपयोग *अंतर्मुखी होने के लिए करो। जितना अंतर्मुखी होंगे उतना ही आपका कनेक्शन परमात्मा के परम चैतन्य के साथ होगा*... 👇🏻

*मधुचैतन्य (जिवंत पत्रिका)* - सितंबर २०२३
इस अंक के संत : *श्री प्रमुख स्वामी महाराज*

परमात्मा का कार्य मुझे कभी-कभी लगता है, एकदम कुम्हार जैसा है। हम देखते हैं ना, कुम्हार मटके के अंदर एक कपड़े का गट्ठा लेता है, नीचे से ऐसा हाथ लगाता है मटके को और ऊपर से लकड़ी से ठोकते रहता है। ठोकते भी रहेगा और पीछे से हाथ भी लगाएगा। यानी इतना भी नहीं ठोकता कि मटका टूट जाए और इतना भी सपोर्ट नहीं करता कि उसकी बाहर से वो लेवलिंग नहीं हो। बस परमात्मा भी ऐसा ही है। आपको भी इतने विघ्न डालेगा और अंदर से सपोर्ट भी करेगा। आप देखो, विघ्न डालने के बाद में क्या होगा? बाहर की परिस्थिति खराब हो जाएगी। और बाहर की परिस्थिति खराब हो जाएगी, घर की परिस्थिति खराब हो जाएगी फिर आप क्या करोगे? और अंतर्मुखी हो जाओगे, और इन्साइड हो जाओगे।

देखिए, होता है न, जैसे हम कहीं खराब जगह से जा रहे हैं, बदबू आ रही है। हम ऑटोमेटिकली उस जगह से जल्दी पार कर जाते हैं। तो वैसे ही, जैसे ही आपको तकलीफ हो रही है, जैसे आपको परेशानी हो रही है ना, तुरंत आप अंतर्मुखी हो जाओगे। अंतर्मुखी हो जाओगे तो क्या होगा? जितना अंतर्मुखी होओगे उतनी आपकी प्रगति होगी, उतनी आपकी प्रोग्रेस होगी। तो ये सब घटनाएँ जो आपके जीवन में घट रही हैं ना, ये सबके जीवन में घट रही हैं। सिर्फ अपने लोगों में नहीं, जितने महापुरुष हो गए सबके जीवन का आप चरित्र देखो। सबके जीवन के चरित्र में ये घटनाएँ घटी हैं। इसलिए कभी इन बातों से परेशान मत होना, कभी इन बातों से निराश मत होना। इन सब बातों का उपयोग अंतर्मुखी होने के लिए करो। जितना अंतर्मुखी होंगे उतना ही आपका कनेक्शन परमात्मा के परम चैतन्य के साथ होगा, उतनी अधिक आपको अनुभूतियाँ होंगी, उतना ही अधिक आपको अनुभव आएगा।

पूज्य गुरुदेव,
गुरुपूर्णिमा - ३/७/२०२३,
गुजरात समर्पण आश्रम, महुडी, गुजरात

॥वसुधैव कुटुंबकम्॥

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Samarpan_World

02 Jan, 16:53


॥प्रेममय जयते॥

२ जनवरी - विश्व अंतर्मुखी दिवस ❤️

... कभी इन बातों से निराश मत होना। इन सब बातों का उपयोग *अंतर्मुखी होने के लिए करो। जितना अंतर्मुखी होंगे उतना ही आपका कनेक्शन परमात्मा के परम चैतन्य के साथ होगा*... 👇🏻

*मधुचैतन्य (जिवंत पत्रिका)* - सितंबर २०२३
इस अंक के संत : *श्री प्रमुख स्वामी महाराज*👇🏻

Samarpan_World

02 Jan, 16:42


llप्रेममय जयतेll

*समर्पण से आज है मेरी पहचान*

*मधुचैतन्य (जिवंत पत्रिका)* - जुलाई २०२४
इस अंक के संत : *योगिनी आनंद लहरी (माजीबा)*

हर दिन जीवन के तीस मिनट
संकल्प करके दे दिए है बाबा को मैंने दानl
समर्पण से आज है मेरी पहचान!
कहते स्वामी बिना अपेक्षा करो नियमित ध्यान
खाना, पिना, चाहे नहाना छोडो,
पर मत कभी छोडो ध्यानl
समर्पण से आज है मेरी पहचान!

दांडी आश्रम जाकर भी यदि ना किया मंगलमूर्ती का ध्यान
आश्रम जाना व्यर्थ गया जप ले फिर तू बाबा स्वामी का नामl
समर्पण से आज है मेरी पहचान!
*आओ दांडी आश्रम, आश्रम नहीं, यह तो महसूस होगा सुख धाम*
आत्मसाक्षात्कार मिले, है ऐसा यहा श्री गुरुशक्तिधामl
समर्पण से आज है मेरी पहचान!

भाव समर्पण

llवसुधैव कुटुंबकम्ll

🧘🏻‍♂️🧘🏻‍♂️🧘🏻‍♂️🧘🏻‍♂️🧘🏻‍♀️🧘🏻‍♀️🧘🏻‍♀️🧘🏻‍♀️

Samarpan_World

02 Jan, 16:38


llप्रेममय जयतेll

*किसी भी कीमत पे कलेक्टिविटी को मत छोडोl*

पूज्य गुरुदेव
GP 2010

llवसुधैव कुटुंबकम्ll

🧘🏻‍♂️🧘🏻‍♂️🧘🏻‍♂️🧘🏻‍♂️🧘🏻‍♀️🧘🏻‍♀️🧘🏻‍♀️🧘🏻‍♀️

Samarpan_World

02 Jan, 16:35


llप्रेममय जयतेll

गहनध्यान अनुष्ठान के दौरान हो रही गतिविधिया : (2)

Continue.....(1)

*मधुचैतन्य (जीवंत पत्रिका)* - मई २०२४
इस अंक के संत : *श्यामचरण लाहिडी महाशय*

🔆  गुरुग्राम वासियों ने गुरुकार्यरत साधकों के लिए प्रेमपूर्वक भोजन और भजन संध्या का आयोजन किया, जिसमें रामकाका, श्री अंबरीष जी और श्रीमती शिना ओमप्रकाश जी के हस्तों महाआरती संपन्न हुईl पूर्ण वातावरण हवन कुंड के धूप से प्रसन्न और चैतन्यपूर्ण थाl

🔆  रहिवासी साधकों को श्रीमती सुमंगला खामणकरजी की शास्त्रीय संगीत की कार्यशाला का भी लाभ प्राप्त हुआl

🔆  १० फरवरी से २ मार्च के दौरान आयोजित समर्पण यज्ञ कार्यशाला में करीब ८५ साधकोंने श्री रामकाका से यज्ञ का प्रशिक्षण लियाl कार्यशाला के पश्चात सभी को श्री अंबरीष जी, श्री किरण कनाबर जी एवं श्री धर्मेश गाबाणी जी के हस्तों प्रमाणपत्र प्रदान किए गएl

🔆  १५ दिन के अनुष्ठान वाले निवासियों को प्रस्थान के समय श्रीमती शिना ओमप्रकाश जी द्वारा नंदिनी गौशाला के गोबर से निर्मित धूप भेट स्वरुप दिए गएl

🔆  पूरे अनुष्ठान के दौरान प्रतिदिन दोपहर ३ बजे से ४ बजे तक परम पूज्य गुरुमॉ की उपस्थिती में पिछले दो अनुष्ठानों (वर्ष २०२२ एवं २०२३) के दौरान ज्ञान सभा में हुए संवादों के अंश उस समय शामिल साधिका डॉ. हेमांगिनी भट्ट के द्वारा ध्यानखंड में उपस्थित साधकों के समक्ष प्रस्तुत किएl इस अनुष्ठान में शामिल विदेशी साधकों के लिए इस संवाद का अनुवाद भी दो साधकों (यश सिंपी एवं शीतल दत्तानी) द्वारा किया जाता रहाl

🔆  श्री गुरुशक्तिधाम के दो बडे कक्षों में गुरुतत्त्व, बालसंस्कार, मंगलकारी कृषी, दान से आत्मसमाधान, निसर्ग और आत्मा जैसी विभिन्न प्रदर्शनी का आयोजन किया गया थाl

           ---- *श्री रामभाई पटेल*

॥वसुधैव कुटुंबकम्ll

🧘🧘🧘🧘🧘‍♀🧘‍♀🧘‍♀🧘‍♀

Samarpan_World

02 Jan, 16:19


*२/१/२०२५* 🙏🏻

Samarpan_World

02 Jan, 15:48


Photo from Jigna Shah 🙇🏼‍♀️

Samarpan_World

02 Jan, 13:28


https://www.youtube.com/live/POlt3TOe2Ik?si=A05BkX-2Iwckjwwn

Samarpan_World

02 Jan, 13:15


श्री ज्ञानेश्वर महाराज संस्थान कमिटी, आळन्दि 🙏🏻

*२/१/२०२५* 🙏🏻

Samarpan_World

02 Jan, 13:10


*पनवेल नगरपरिषद*

आद्यक्रांतिवीर वासुदेव बळवंत फडके नाट्यगृह, पनवेल

Samarpan_World

02 Jan, 13:09


🙏 जय बाबा स्वामी 😇
गुरुकृपा से जॉन 1 और 2 मिलकर 4 जनवरी को शाम 8 बजे वासुदेव बलवंत फड़के नाट्य गृह (पनवेल)में नागपुर आश्रम फंड केलिए गुरुकार्य के रूप में
*ऑल ध बेस्ट* नाटक का आयोजन किया गया है
सभी अपने अपने फ्रेंड्स,रिश्तेदार, पहचान वाले को यह जानकारी देकर सभी को टिकट लेने के लिए प्रेरित करें|
आप सभी से बिनती है🙏🙏🙏 कि इस कार्य में अपना योगदान अवश्य करें 😇🙏😇 टिकट चार्ज का चार्ट साथ में पोस्ट कर रहे है
हार्बर जॉन 1, 2
जोनल आचार्य

Samarpan_World

02 Jan, 12:37


स्वामिजी प्रणाम,

अम्ब्रिषजी का पॉडकास्ट ट्रेलर सर्क्युल्यूएटर करना है टेलीग्राममैं।

रिगर्ड्स

Samarpan_World

02 Jan, 12:12


॥प्रेममय जयते॥

Year 2025 *'Dhyan Varsh'* 🧘🏻‍♂️🧘🏻‍♀️

https://youtu.be/0YzRNf9bhLY?feature=shared

.....*पूज्य गुरुमाँ के चरणकमल पर कृतज्ञता व्यक्त करते हुए हम सादर नमन करते है!*......👇🏻

*मधुचैतन्य (जीवंत पत्रिका)* - जनवरी २०२५,
इस अंक के संत : *भगत कंवर राम*

🌺 📖 *मधुचैतन्य दिवस - २१ जनवरी* 📖🌺

🌹💞 *निःस्वार्थ प्रेम का उत्सव* 💞🌹

परम पूज्य गुरुदेव के आशीर्वाद से जिसका प्रारंभ हुआ एवं जिसे उन्होंने जीवंत पत्रिका की संज्ञा दी है, ऐसी पत्रिका यानी *'मधुचैतन्य'* पिछले २५ सालों से घर-घर जाकर चैतन्य वर्षा करते आ रही है तथा इस वर्ष, २०२५ में अपनी यात्रा की *रजत जयंती* मनाने जा रही है।

गुरुशक्तियों एवं साधकों के बीच स्नेहसेतु समान इस जीवंत पत्रिका *'मधुचैतन्य'* को पूज्य गुरुमॉं ने अपनी छत्र छाया से सँवारा है, संजोया है, आशिर्वादित किया है। पूज्य गुरुमाँ के चरणकमल पर कृतज्ञता व्यक्त करते हुए हम सादर नमन करते है!

उसी कृतज्ञता के भाव की अभिव्यक्ति करते हुए, आइए हम सभी २१ जनवरी -- *पूज्य गुरुमॉं के जन्म दिवस* को *मधुचैतन्य* के रुप में मनाएँ।

---- *'मधुचैतन्य' संपादकीय मंडल*

🌸🌻🌸🌻🌸🌻🌸

॥वसुधैव कुटुम्बकम्॥

🪻 *खुब, खुब,खुब... धन्यवाद Our Dear 'मधुचैतन्य' संपादकीय मंडल'* 🪻

आप सभी को *सप्रेम प्रणाम*

🪷🙏🏻🪷

🌞 *सभी मधुचैतन्य प्रेमियों को खुब खुब अभिनंदन* 🌝

👍🏻👍🏻👍🏻

🪔🙏🏻🪔

💟॥जय हो गुरुतत्त्व॥💟

🗻🧘🏻‍♂️🧘🏻‍♂️🧘🏻‍♀️🧘🏻‍♀️🗻

Samarpan_World

02 Jan, 12:11


॥प्रेममय जयते॥

.....*पूज्य गुरुमाँ के चरणकमल पर कृतज्ञता व्यक्त करते हुए हम सादर नमन करते है!*......👇🏻

*मधुचैतन्य (जीवंत पत्रिका)* - जनवरी २०२५,
इस अंक के संत : *भगत कंवर राम*

🌺 📖 *मधुचैतन्य दिवस - २१ जनवरी* 📖🌺

🌹💞 *निःस्वार्थ प्रेम का उत्सव* 💞🌹

परम पूज्य गुरुदेव के आशीर्वाद से जिसका प्रारंभ हुआ एवं जिसे उन्होंने जीवंत पत्रिका की संज्ञा दी है, ऐसी पत्रिका यानी *'मधुचैतन्य'*...... 👇🏻

Samarpan_World

24 Dec, 14:40


कुछ लोगो ने आज बताया के मेरे जैसा प्रोफाइल बना के कोई व्यक्ति कई सारे मेरे फॉलोअर्स / फ्रेंड्स को व्हाट्सएप पे / टेलीग्राम पे डोनेशन या मदद मांग रहा है

जैसे आप सभी को पता है की
में मेरे वर्कशॉप्स के लिए भी कोई पैसे नही लेता हूं

कृपया कोई भी मेरे नाम पे या मेरे जैसा प्रोफाइल बनाके कुछ भी मदद / डोनेशन मांगे तो आप बिल्कुल ही ध्यान न दे और उसे रिपोर्ट करे

Samarpan_World

24 Dec, 13:03


Jab muzhe pata chala ki 12th September ko KBC shoot date fix hui tabse aatma ek hi baat baar baar dohora rahi thi ki Himalay ka Samarpan yog aur Adhyattmik Satya Amitabh Bachchan ko bhed swaroop deni hai..wo bhet swikar karte hai ya nahi ye bhi khayal nahi aaya. Maine meri behen aur pati ko is bare bataya..mai jab waha KBC set per gai to KBC staff ko kaha ki Amitabh ji ko bhed dene hi to aap denge kya, to unhone kaha ke Amitabh ji khud bhet swikar karte hai to aap khud unhe de dijiye, aisa laga muzhe ki Swamiji ka hi karya karne ke liye Gurushaktiyone hume madhyam banakar beja.....

Samarpan_World

24 Dec, 10:28


माध्यम .....🙏

Samarpan_World

24 Dec, 10:26


॥प्रेममय जयते॥

समर्पण ध्यान (गुरुतत्त्व - हिमालयिन समर्पण ध्यानयोग) *'संपूर्ण'* ध्यान है।

*महर्षि* श्री शिवकृपानंद स्वामी (*साक्षात् परमात्मा*)

॥वसुधैव कुटुम्बकम्॥

🧘🏻‍♂️🧘🏻‍♂️🧘🏻‍♂️🧘🏻‍♂️🧘🏻‍♀️🧘🏻‍♀️🧘🏻‍♀️🧘🏻‍♀️

Samarpan_World

24 Dec, 09:29


अनुभूति एका साधिकेची

शिबिराच्या सातव्या दिसा म्हळ्यार (आज्ञा चक्रा दिसा) हांवे मंगलश्री ध्यान सेंटरार शिबीर अटेंड केलें. ध्यान मुद्रेंत बशील्ल्या उपरांत, कांय क्षणां भितर, आज्ञा चक्रार जोरान चक्र घुवींल्या सारखें जावपाक लागलें आनी म्हजे कुडीच्या दाव्या वटेतल्यान एकदम थंड थंड वायब्रेशन येवपाक सुरु जालें, जें शिबीर सोप मेरेन जाणवुक लागिल्लें. जणू कांय हांव बशील्या थंय ACच चालू आशिल्ली. जेन्ना हांवे एके साधिके कडेन हि अनुभुती शेर केली, तेन्ना तीणें म्हळें, तू जयं बशील्लें, थंय तर खूप कालोर जातालो. हि चैतन्याची अनुभूती म्हाका स्वामीजींच्या कृपा दृष्टिक लागूनच फाव जाली.


P. P. स्वामीजीक कोटी कोटी धन्यवाद.
🌹🌹👏👏🌹🌹

जय बाबा स्वामी

Samarpan_World

24 Dec, 07:08


*मधुचैतन्य है अमृतधारा*

*पठनमात्र से मिले किनारा*....

:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::

🧘🏻‍♂️ 📖 म  धु  चै  त न्य 📖🧘🏻‍♀️

*मधुचैतन्य के लिए अपने सुझाव, अनुभव, लेख, कविता-भजन इत्यादि कृपया इस निचे दिए ईमेल पर भेजिएl* 👇🏻

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llवसुधैव कुटुंबकम्ll

🧘🏻‍♂️🧘🏻‍♂️🧘🏻‍♂️🧘🏻‍♂️🧘🏻‍♀️🧘🏻‍♀️🧘🏻‍♀️🧘🏻‍♀️

Samarpan_World

24 Dec, 07:01


*Aarati* by pratham shishya ---

https://youtu.be/kSsi4_GVsuw?feature=shared

🪔 *Tattvanaad* 🪔

॥प्रेममय जयते॥

*आपकी गुरुमाँ*-

*मधुचैतन्य (जीवंत पत्रिका)* - अक्टूबर २००४
इस अंक के संत : *भक्त श्री जलाराम बाप्पा*

बचपन से मेरे मन में यह प्रश्न उठता रहा कि आरती की क्या आवश्यकता है? मैंने अपने माता-पिता से भी पूछा, किंतु संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। "ईश्वर कण-कण में है" - ऐसा पिताजी अक्सर कहा करते थे, किन्तु उसी ईश्वर के प्रतीक (मूर्तियाँ , फोटो) की आरती क्यों? इसका उत्तर उनके पास नहीं था।

सन २००१ में मैंने एक भजन लिखा था, "शत शत तुम्हें प्रणाम।" गुरुपूर्णिमा के लिए स्वामीजी तथा हम सभी को लेने के लिए नवसारी से एक साधक अहमदनगर आया था। मैंने स्वामीजी तथा उस साधक को भजन सुनाया। भजन का चैतन्य स्वामीजी को अच्छा लगा तथा भजन में छिपा भाव साधक को बहुत भाया। उसने कहा, "स्वामीजी ध्यान के पश्चात यह भजन गाना अनिवार्य कर दीजिए।" स्वामीजी मुस्कुराते हुए बोले , "अरे, यह कोई आरती थोड़े ही है जो अनिवार्य की जाए!"

तब उसी शाम को आधी आरती लिखी तथा अहमदनगर-नवसारी यात्रा के दौरान शेष आरती लिखी। नवसारी पहुँचकर नहाकर मैंने स्वयं स्वामीजी की (फोटो की) आरती करके देखी। यह आरती करते-करते मैंने महसूस किया कि *आरती के समय सभी चक्र शुद्ध होते जा रहे थे अर्थात जब हम दीपक तस्वीर के चारों और घुमाते हैं , तब अग्नितत्त्व से हमारा सूक्ष्म शरीर (ऑरा) दोषमुक्त होता है।*

इतने वर्षो के बाद मैं समझ पाई कि आरती द्वारा हम अपना ही ऑरा स्वच्छ करते हैं। पुराने समय में लोग धर्म के नाम पर कुछ भी करने को तैयार रहते थे। शायद इसीलिए ऋषि-मुनियों ने आरती को धर्म से जोड़ा था। अनुभव के आधार पर आज मैं ही नहीं, देश-विदेशी साधक भी मानते है कि आरती स्वयं को शुद्ध करने में सहायक है। *गुरु तथा ईश्वर की आरती कर हम उनपर कोई उपकार नहीं करते हैं। हम केवल स्वयं का भला करते हैं। चाहें तो आप भी आजमाइए।*

आरती,
*संस्कृति समझें और अपनाए*

॥वसुधैव कुटुंबकम्॥

🧘🏻‍♂️🧘🏻‍♂️🧘🏻‍♂️🧘🏻‍♂️🧘🏻‍♀️🧘🏻‍♀️🧘🏻‍♀️🧘🏻‍♀️

Samarpan_World

24 Dec, 05:16


*STATE OF COLARADO*

Proclamation

......Governor of the state of Colarado.....

*HIMALAYAN SAMARPAN MEDITATION WEEK*

4th Nov.24 to 10th Nov.24

🗻🧘🏻‍♂️🧘🏻‍♂️🧘🏻‍♂️🧘🏻‍♀️🧘🏻‍♀️🧘🏻‍♀️🗻

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https://www.gurutattva.org

Samarpan_World

24 Dec, 04:12


••❀ गहन ध्यान अनुष्ठान ❀••

••❀ इस बार ❛गहन ध्यान अनुष्ठान❜ में लगा कि सभी आत्माओं को गहन ध्यान अनुष्ठान क्या है , यह समझाऊँ ; कारण जब तक महत्व नहीं समझता तब तक गहन ध्यान अनुष्ठान का लाभ साधक ले नहीं पाएँगे।

••❀ सबसे बड़ी घटना है , ❛माध्यम❜ का एक स्थान पर ४५ दिन स्थिर रहना। ❛माध्यम❜ तो सालभर तक भटकते ही रहता है , कभी इस गाँव से उस गाँव तो कभी इस देश से उस देश।

••❀ यानी ❛अनुष्ठान❜ का समय ऐसा होता है,
जब ❛माध्यम❜ पूर्ण समय एक ही स्थान पर स्थिर होता है।

••❀ ❛माध्यम❜ ४५ दिन होता है पर दिखता किसी को भी नहीं है। यानी सभी को ही ❛माध्यम❜ पर चित्त रखने के लिए ❛सूक्ष्म शरीर❜ का ही ❛माध्यम❜ अपनाना पड़ता है।

••❀ यानी यह ❛अनुष्ठान❜ का समय ही सालभर में ऐसा होता है , जब सभी साधक सूक्ष्म शरीर से ही जुड़े होते हैं और सूक्ष्म शरीर के माध्यम से ❛माध्यम❜ की पवित्र आत्मा भी लाखों साधकों से जुड़ी हुई होती है।

••❀ ❛पवित्र आत्मा❜ के सूक्ष्म शरीर से जुड़ने के लिए अब साधकों को भी ❛आत्मा❜ बनकर जुड़ना पड़ता है।

••❀ यानी इन दिनों में ❛पवित्र आत्मा❜ के साथ लाखों पवित्र आत्माओं की सामूहिकता जुड़ी हुई होती है।

••❀ ❛पवित्र आत्मा❜ अपने गुरुओं से भी जुड़ी हुई होती है।

••❀ यानी इन दिनों में साधक ध्यान करने बैठता है तो आसानी से ध्यान लग जाता है , यही सभी का अनुभव है।

••❀ इस प्रकार से ❛दांडी आश्रम❜ तो विश्वचेतना का एक केंद्र बिंदु ही बन जाता है -- लाखों पवित्र और शुद्ध आत्माओं की सामूहिकता और वह भी सूक्ष्म शरीर के माध्यम से होती है।

••❀ सुक्ष्म शरीर से जुड़ने के लिए साधक को प्रथम ❛आत्मा❜ होना पड़ता है। जब तक शरीर में रहकर भी शरीरभाव विहीन नहीं होते , सूक्ष्म शरीर से जुड़ा ही नहीं जा सकता है।

■ ४५ दिन में शरीर के अणु रेणु सबमें आमूल परिवर्तन आ जाता है। शरीर के सारे 'सेल' में बदलाव आ जाता है।

■ ४५ दिन के अनुष्ठान में साधक ❛आत्मा से परमात्मा❜ तक की यात्रा कर लेता है।

■ सद्गुरु अपने प्रत्येक साधक से ही चित्त से जुड़ता है। लेकिन ❛अनुष्ठान❜ का समय ऐसा होता है , जब साधक भी अपने सद्गुरु से चित्त से जुड़ता है।

-- परम पूज्य श्री शिवकृपानंद स्वामीजी
-- दिनांक : ०९/०२/२०१७
।। पवित्र आत्मा ।।
(पृष्ठ : ५४,५५)

Samarpan_World

24 Dec, 04:07


माध्यम को परमात्मा मत समझो , माध्यम को परमात्मा मानो। यह मानना और समझना , इसमें भी अंतर है। मानना हमारा भाव होता है जो आत्मा से प्रगट होता है। समझना बुद्धि से होता है और बुद्धि का संबंध शरीर के साथ है।

हिमालय का समर्पण योग - भाग ६

Samarpan_World

24 Dec, 01:49


🙏 गुरुरूपी परमेश्वराच्या चरणी कोटी कोटी वंदन 🙏

हे परमेश्वर,

तुमच्या सानिध्यात आमचे जीवन धन्य धन्य आहे 🌹🌹 तुम्हाला साष्टांग नमस्कार. ज्ञानेश्वर माऊलींनी ६ व्या अध्यायात म्हटल्या प्रमाणे, तुमच्या अवतार कार्यातून आम्हाला आज हि अनुभूती मिळत आहे.

तेणे कारणे मी बोलीन बोली अरुपाचे रूप दाविन
अतींद्रिय परी भोगवीन इंद्रियाकरवी

पहाटे समुद्र किनारी ध्यान करतांना, टाळू भागावर सूक्ष्म थंड लहरी वर्तुळाकार वाढत वाढत सहस्त्रचक्रातून हळू हळू शरीरात जाताना पहिल्यांदा जाणवल्या. अशी अनुभूती करून देणारी तूच आमची ज्ञानेश्वर माउली 🌹🌹

माउली पुन्हा एकदा तुम्हाला साष्टांग नमस्कार 🙏🙏

Samarpan_World

24 Dec, 00:51


*महुडी आश्रम गर्भ ग्रह और विश्व ध्यान दिवस की अनुभूति*
मेरा नाम राजीव है और में उत्तर प्रदेश आगरा से हु। मुझे काफी दिनों से गुरु सानिध्य पाने की तीव्र इच्छा हो रही थी स्वामी जी की बहुत याद रही थी तो बस मैं निकल पड़ा गुरु सानिध्य पाने के लिए विश्व ध्यान दिवस पर।
जब स्वामी जी स्टेज पर आए और जब तक रहे तब तक में ध्यान की मुद्रा में बैठा रहा तो मैने अनुभव किया कि मेरी दोनों हाथों की हथेलियां बर्फ़ के समान ठंडी ठंडी पड़ गई थी और बीच में एक बार गुलाम की खुशबू भी आई और मैने अपने दोनों पैर के तलवों पर भी वाइब्रेशन फील किए ये अनुभूति तो विश्व ध्यान दिवस पर हुई ।। *इसके बाद दूसरे दिन में आश्रम पहुंचा मंगल मूर्ति के* सानिध्य में 1 घंटे का ध्यान करने के बाद मुझे जहां गर्भ ग्रह बन रहा है वहां के दर्शन करने की इच्छा हुई क्योंकि इससे पहले में उदर कभी नहीं गया था पहली बार जा रहा था। 11:30 में दर्शन करने जा रहा था तो बीच रास्ते में मुझे एक दिल्ली के साधक मिल गए वो भी गर्भ ग्रह के दर्शन करने के लिए जा रहे थे तो हम दोनों बाते करते हुए साथ साथ जा रहे थे *जैसे ही गर्भ ग्रह वाला* एरिया आया और हमने उदर अपने कदम रखने शुरू किए तो अचानक से मेरे पूरे बॉडी में ऊपर से नीचे तक नीचे से ऊपर तक वाइब्रेशन ही वाइब्रेशन होने लगे ठंडे ठंडे मानो की हमारा पावर हाउस से सीधा कनेक्शन जुड़ गया हो और जहां नाभि चक्र होता है तो वहां पर मेरे navel के आसपास पूरा एकदम बर्फ के समान ठंडा पड़ गया वो हिस्सा मानो की वहां पर किसी ने बर्फ का एक टुकड़ा रख दिया हो इतना ठंडा पड़ गया और ऐसा तब तक रहा लगातार जब तक हमने वो एरिया छोड़ नहीं दिया मेरे साथ जो दूसरे साधक थे मैने उनको ये सारी बातें बताई वहीं पर तो वो सोच में पड़ गए पर उन्होंने अपनी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
स्वामीजी बोलते है न कि महुडी आश्रम पावर हाउस बनेगा तो सच में वो पावर हाउस ही है मुझे तो वहां की जबर्दस्त अनुभूति हुई है वो भी ऐसे ही चलते फिरते वो तो सच में कोई अलग ही High लेवल की चीज है मेरे तो आंखों से आंसू ही निकल आए जब ये अनुभूति हुई मुझे तो थैंक यू स्वामी जी n गुरुशक्तियों आपको कोटि कोटि नमन 👏👏♥️♥️ जय बाबा स्वामी

Samarpan_World

05 Dec, 16:49


॥प्रेममय जयते॥

यह बाहर की (परमात्मा) की खोज एक निश्चित समय, निश्चित स्थान तक ही सीमित है। यानी आप एखादे निश्चित निसर्ग स्थान पे जाएन्गे, वहाँ आपको अच्छा लगेगा... किसी मंदिर में जाकर बैठेगे, अच्छा लगेगा... किसी साधु के पास जाके बैठेगे, अच्छा लगेगा। यानी हम डिपेंड (आधारित) हैं साधु पे, गुरु पे, स्थान पे, मंदिर पे, मूर्ती पे। लेकिन यह जो बाहर के स्थान हैं न, ये बाहर के स्थान हमारे पास सदैव नहीं रह सकते।

बाहर के परमात्मा और भीतर के परमात्मा में ये ही अंतर है। बाहर का परमात्मा स्थायी नहीं है। निश्चित स्थान के ऊपर है, निश्चित जगह पे है, निश्चित टाईम पे है। लेकिन वही भीतर का परमात्मा चौबिसों (चौबिस) घंटे खुला हुआ है।

पूज्य गुरुदेव
समाधान
मधुचैतन्य मार्च २०१६

॥वसुधैव कुटुंबकम्॥

🧘🧘🧘🧘🧘‍♀🧘‍♀🧘‍♀🧘‍♀

Samarpan_World

05 Dec, 11:21


प्रणाम गुरुदेव,
आपकी कृपा से आज दिनांक ५/१२/२०२४ को चंडीगढ़ के सेक्टर २२ सी के गवर्नमेंट मॉडल स्कूल के सातवीं कक्षा के बच्चों का ध्यान सत्र सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
सभी बच्चों को ध्यान में बहुत अच्छी अनुभूतियाँ हुईं हैं।
स्कूल के प्रिंसिपल की इच्छा थी कि हम कम कम बच्चों को ध्यान सिखायें जिस से बच्चे अच्छी तरह ध्यान सीख सकें और अपने प्रश्न पूछ सकें।अन्य कक्षाओं के बच्चों के लिए भी ऐसे ध्यान सत्र आयोजित किए जायेंगे।
चंडीगढ़ में गुरुकार्य आपकी इच्छानुसार हो यही आपके श्री चरणों में शुद्ध प्रार्थना है।

प्रबंधक
उत्तर भारत

Samarpan_World

05 Dec, 10:31


🙏 हिमालयन समर्पण ध्यान 🙏

'मृत्यु' से न डरें , रोज स्वागत के लिए तैयार रहें -----
मनुष्य की मृत्यु इतनी बुरी नहीं होती। जितना बुरा उसका भय होता है। जो मर जाते हैं उन्हें तो पता भी नहीं चलता है कि वह मर गए हैं। 'जीवन' और 'मृत्यु' के बीच बस एक सांस का ही तो अंतर होता है। मृत्यु का भय केवल शरीर के अटैचमेंट (लगाव) के कारण ही होता है।

पवित्र आत्मा::
परम पूज्य श्री शिवकृपानंदस्वामी जी 🙏

Samarpan_World

05 Dec, 10:17


🙏 हिमालयन समर्पण ध्यान 🙏

मेरे शरीर की 'धर्मपत्नी' का भी मैं हृदय से आभारी हूँ । उसका भी जन्म इसी कार्य में सहायता करने के लिए ही हुआ था , उससे संबंध केवल पति और पत्नी का नहीं था , वह पूर्व जन्म का ही पूर्व नियोजन था । बीज कितने ही अच्छे किस्म का क्यों न हो , वह वृक्ष तब तक नहीं बन सकता , जब तक पौधे की ठीक देखभाल करने वाला 'माली ' न हो ।

पवित्र आत्मा:
परम पूज्य श्री शिवकृपानंदस्वामी जी 🙏

Samarpan_World

05 Dec, 09:41


llप्रेममय जयतेll

*समर्पण ध्यान का खजाना*

*मधुचैतन्य (जिवंत पत्रिका) - जुलाई २०१०*
*इस अंक के संत : संत श्री अखा भगत*

जीवन है बस आनाजाना,
समर्पण ध्यान का मिला खजानाl

स्वामीजी का प्यार सुहाना,
मिल कर गाए सब एक गानाl

साथ साथ रहें हम सब साधक,
गुरु सान्निध्य में बने हम पावकl

समर्पण सेंटर है हमारा प्यारा,
वहीं होता है मंत्र ध्यान न्याराl

जुडते हैं बन कर भाई-भाई,
सामूहीकता की छत्री जो पाईl

भूत भविष्य को करें हम अर्पण,
गुरुचरणो में सबकुछ समर्पणl
सात समंदर पार पहुचा ये प्यार,
जगमगा उठा है सारा संसारl

ज्योत जगी है समर्पण की हर दिल में,
बाबा की मूर्ति बसी है मनमंदिर मेंl

आयें, मिलकर चलें एक पथ पर,
मोक्ष पाए समर्पित साधक बनकरl

कविता-भजन

llवसुधैव कुटुंबकम्ll

🧘‍♀🧘‍♀🧘‍♀🧘‍♀🧘🧘🧘🧘

Samarpan_World

05 Dec, 04:14


https://youtu.be/kFo5--9GMUU?si=LUwXqUSlsBuHgsGX

Samarpan_World

05 Dec, 02:44


https://youtu.be/9qEUtpEf-s4?si=O4-oZ_-xtF68QNch

Samarpan_World

05 Dec, 00:57


🌺 The Black Shade of the Past 🌺
Every human life carries a black shade of the past. It is just that a few people become so accustomed to that colour that they fail to see the pink hue of the "present." Such individuals neither experience nor recognise the joys of life. As a result, they remain unaware of happiness throughout their lives.

Therefore, meditation is the only solution for liberation from this black shade, as meditation is essentially living in the present. Understand this if you can—I am writing this not for others but for you alone.

Lots of blessings to all of you.
Your own,
🌺 Baba Swami
Gujarat Samarpan Ashram
Mahudi, Gandhinagar, Gujarat
05/12/2024

Samarpan_World

05 Dec, 00:25


🌺भुतकाल का काला रंग🌺
प्रत्येक मनुष्य के जिवन मे भुतकाल का काला रंग होता है । केवल कुछ मनुष्य उसी रंग के इतने आदी हो जाते है । की उन्हे " वतेमान " का गुलाबी रंग दिखता ही नही है । वे जिवन भर जिवन मे क्या सुख मीला व न अनुभव करते है । और न उन्हे सुख का कभी भी ऐह सास होता है ।
इसलिये ध्यान ही एकमात्र उपाय है । काले रंग से मुक्ती का क्योकी ध्यान करना ही वतेमान जिना है । समझ सके तो समझो यह दुसरो के लिये नही तुम्हारे ही लिख रहा हु।
आप सभी को खुब खुब आशिवाद ।
आपका अपना
🌺 बाबा स्वामी
गुजरात समर्पण आश्रम
महुडी गांन्धीनगर गुजरात
५/१२/२०२४

Samarpan_World

04 Dec, 22:49


स्वामिजी प्रमाण

३ इवेंट १५ दिसंबर को पूनम ध्यान
लेसिस्टर, यूके आश्रम , सोमरसेट
मैं रखा है

टेलग्रह्म मैं शेयर करना है।

रिगर्ड्स
पारस

Samarpan_World

02 Dec, 12:19


The Himalayan Meditation 8 days video shibir
Masjid Bandar Mumbai

Samarpan_World

02 Dec, 11:10


🙏 हिमालयन समर्पण ध्यान 🙏

आध्यात्मिक स्थिति पाने के लिए समाज को त्यागने की आवश्यकता नहीं है, सामान्य समाज में रहते हुए भी यह स्थिति पाई जा सकती है, पर रहना कमल के समान होगा।

हिमालय का समर्पण योग भाग--२
परम पूज्य श्री शिवकृपानंदस्वामी 🙏

Samarpan_World

02 Dec, 11:05


🙏 हिमालयन समर्पण ध्यान 🙏

युद्ध कभी भी विश्व में शांति नहीं ला सकते हैं जबकि सारे युद्ध शांति के लिए ही लड़े जाते हैं। कभी बंदूक से शांति आ सकती है? क्योंकि बंदूक निर्जीव है, शांति संजीव है, निर्जीव से संजीव की निर्मिति हो ही नहीं सकती है।

हिमालय का समर्पण योग भाग--२
परम पूज्य श्री शिवकृपानंदस्वामी जी 🙏

Samarpan_World

02 Dec, 10:59


🌹हिमालयन समर्पण ध्यान 🌹

मेरा जीवन भी आत्मा के प्रभुत्व में ही चल रहा था और जो गति थी , वहीं शक्ति थी , वहीं माया थी । उस पर शिव यानी आत्मा का नियंत्रण संपूर्ण था। इसलिए गति नियंत्रित थी ।

हिमालय का समर्पण योग भाग--२
परम पूज्य श्री शिवकृपानंदस्वामी जी 🙏

Samarpan_World

02 Dec, 10:36


॥प्रेममय जयते॥

सामूहिकता निर्माण करने के लिए फोटो, आरती, हवन, ये सब 'बाबागाड़ियाँ' हैं लेकिन ये सब नए साधकों के लिए हैं। कब तक बच्चे बने रहोगे? आप आपका सारा ध्यान 'ध्यान' करने में लगाओ। अन्यथा इन 'बाबागाडीयों' पर ही आप निर्भर रहोगे, अपने पैरों पर कभी खड़े नहीं हो पाओगे।

पूज्य गुरुदेव के आशीर्वचन
मधुचैतन्य (जीवंत पत्रिका) - अक्टूबर - १४

॥वसुधैव कुटुम्बकम्॥

🧘🧘🧘🧘🧘‍♀🧘‍♀🧘‍♀🧘‍♀

Samarpan_World

02 Dec, 02:55


https://youtu.be/aT0gwumHi38?si=QMNg6R4DOrfnIVhk

Samarpan_World

02 Dec, 01:45


https://youtube.com/shorts/rvQjCL7yO4Q?si=2Pil5agZee1CFyah

Samarpan_World

02 Dec, 00:31


स्वामिजी प्रणाम,

क्रिसमस पार्टी अरेंज ऐट यूके समर्पण आश्रम ऑन २२ने दिसंबर सेलिब्रेट क्रिसमस ।

एपीके आशीर्वाद से सभी बच्चे और बड़े जुड़े यही सूद ओछाँ है

रिगर्फ़्स
पारस

Samarpan_World

02 Dec, 00:31


https://www.samarpanmeditationuk.org/upcoming-events

Samarpan_World

01 Dec, 22:31


आज २ दिसंबर है। आज ही के दिन वर्ष २०१८ में अहमदाबाद में गुजरात होमगार्ड का शिविर सफलता पूर्वक संपन्न हुआ था। आज छः वर्ष पूर्ण हुए ❤️

Samarpan_World

29 Nov, 21:53


आज ३० नवंबर है। आज ही के दिन वर्ष २०१९ में उज्जैन मध्यप्रदेश में पत्रकारों का शिविर संपन्न हुआ था। आज पांच वर्ष पूर्ण हुए ❤️

Samarpan_World

29 Nov, 21:46


स्वामिजी प्रणाम,

२०२५ सोमरसेट ८ डे शिविर आयोजित किया है ।

आपके आश्रीवाद से आधिकसे आधिक आत्मा जूदे। यही शुड ओछा हैं

टेलग्रह्म मैं शेयर करना है स्वामिजी

रिगर्ड्स
पारस

Samarpan_World

29 Nov, 21:46


गुरुदेव,

🪷गुरुचरणी प्रणाम🪷🙇‍♂️

गुरूकृपा में ईटन (Eton), भोसरी पुणे की मल्टीनेशनल कंपनी में २०० (ऑनलाइन और ऑफलाइन) आयटी कर्मचारियों के लिए समर्पण ध्यानयोग का सेशन चैतन्यपूर्ण वातावरण में सम्पन्न हुआ।
योगासन योग नही और समग्र योग क्या है, ईसके बारे मे बताया। सभी ने ध्यान सुरु करने का आश्वासन दिया।
कूछ तस्वीरे गुरुचरणों में भेज रहा हु।🙇‍♂️

Samarpan_World

29 Nov, 16:28


GURUTATTVA HAMARA

https://youtu.be/phhol11E0Lw?feature=shared

......अमृत जो बाँटे *ध्यान* का.....

*असंभव को संभव करने की ताकद इस ध्यान में है।*

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॥जय हो गुरुतत्त्व॥

Samarpan_World

29 Nov, 16:27


llप्रेममय जयतेll

ये जप-जाप, फोटो-आरती ये सब बाबा-गाडिया हैंl तो उसके ऊपर डिपेंड मत रहोl धीरे-धीरे *परमेश्वर को अपने भितर महसूस करोl*

पूज्य गुरुदेव

llवसुधैव कुटुंबकम्ll

🧘🏻‍♂️🧘🏻‍♂️🧘🏻‍♂️🧘🏻‍♂️🧘🏻‍♀️🧘🏻‍♀️🧘🏻‍♀️🧘🏻‍♀️

Samarpan_World

29 Nov, 12:10


https://pokharaclick.com/2024/11/27/43867/

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29 Nov, 10:56


🙏 हिमालयन समर्पण ध्यान 🙏

अपने आपको गुरु मानना नहीं है और अपने आपको शिष्य मानना नहीं । आप अपने आपको केवल आत्मा मानो तो आपका यह गुरु शिष्य का भेद भी समाप्त हो जाएगा। यह गुरु शिष्य का भेद भी बाहरी है, अंदर से तो हम दोनों एक ही है। मुझे से अगर अंदर से मिलना हो तो आप अपने आपको मिलों , आप मुझ से मिल जाओगे।

हिमालय का समर्पण योग:: ६
परम पूज्य श्री शिवकृपानंदस्वामी जी 🙏

Samarpan_World

29 Nov, 10:45


🙏 हिमालयन समर्पण ध्यान 🙏

हम 'मै'के अहंकार को अगर कम करने का प्रयास करेंगे तो वह रुप बदलेगा। वह छुपा रुस्तम है। वह अलग अलग भेष बदलता है लेकिन समाप्त नहीं होता है। उसे अगर समाप्त तो शरीर भाव को ही समाप्त करना होगा। और फिर न शरीर भाव होगा और न शरीर का अहंकार।

हिमालय का समर्पण योग भाग--१
परम पूज्य श्री शिवकृपानंदस्वामी जी 🙏

Samarpan_World

29 Nov, 10:45


Video from Vinnita 💕💕

Samarpan_World

29 Nov, 10:27


॥प्रेममय जयते॥

*गृहस्थ धर्म सर्वश्रेष्ठ धर्म है। कई साधको के मन में विचार आते है गृहस्थ धर्म अच्छा है कि नहीं? एकदम बढिया है।* कैसे? 👇

*प्रश्न : हमें जीवन का उद्देश्य पता है। जीवन का उद्देश्य है आध्यात्मिक प्रगती करके मोक्ष पाना है। लेकिन जीवन का कार्य की हम यह कैसे करे? संन्यास मार्ग में जाए, गृहस्थ में रहे तो कैसे करे वह जो करना है?

*हिमलयिन योगी महर्षि श्री शिवकृपानंद स्वामी* (साक्षात परमात्मा)

....तुमको सिर्फ शॉर्ट में समझा देता हू।देखिए जैसे ये जमीन है।ह ! जमीन के नीचे एखादा बीज गया। और बीज टूटा फूटा। और उसके बाद में से उसमे से अंकुर निकला। और बीज के रुट्स निकले। तो बीज याने एक व्यक्ति जिसने शादी की जो  गृहस्थ हो गया।

और बीज फूटा याने क्या? अपना .. शादी जैसे की वैसे अहंकार टूट जाता है।
क्योंकि अपना अस्तित्व कुछ नहीं रेहेता है। जो बीबी बोलेगी  वो करना पडता है। (पूज्य गुरुदेव हसते हुए) ये सत्तर साल का अनुभव मैं बोल रहा हू। अपना कुछ मत नहीं रेहेता है। तो वो बीज जब टूटता है न उसके बाद में ये स्थिती होती है गृहस्थ की।अच्छा! उसके जो रुट्स निकलते है रुट्स याने बालबच्चे। लेकिन वो उसके बावजूद  भी जमीन के ऊपर आता है। उसकी दो पत्ति उगती है। और उसके लिए पुरा आकाश पडा हुआ है। *माने चाहे जितनी आध्यात्मिक प्रगती कर सकता है।* जबकी उसके रुट नीचे जड़े हुए जमे हुए है। ये स्थिती सामान्य गृहस्थ की रेहेती है।

*माने गृहस्थ व्यक्ति वो व्यक्ति है जो जितनी चाहे उतनी आध्यात्मिक प्रगती कर सकता है।* लेकिन उसको काम के विचार नहीं आएन्गे क्योंकि वो काम सुख भोग चुका रेहेता है। एक बीज वो है।

दुसरा बीज वो है जो एकदम हवा में उड गया। और साधु बन गया, हो गया। माने घर का कोई विवाद था इसलिए साधु बन गया, प्रेमिका मर गई इसलिए साधु बन गया, पत्नी मर गई इसलिए साधु बन गया। माने कोई तो भी जीवन की ऐसी घटना घटी जिससे वो साधु हो गया। याने उसने संसार छोडा नहीं है लेकिन संसार छूट गया।तो जिस प्रकार से गुरुत्वाकर्षण शक्ति खेचती है न वैसे कामशक्ति खेचती है उस साधु को भले वो नब्बे साल का हो जाए।वो बोलता है स्वामीजी काम के विचार आते है ये समस्या है।

और तिसरा एक बीज है जिसने पूर्व जन्म में ये सब भोग लिया है। वो इस जनम में शादी नहीं करेगा। संसार नहीं बसाएगा। कुछ नहीं। लेकिन वो अध्यात्म में भी नहीं जाता।

तो बीज को तीन पार्ट में विभाजित कर सकते है। *तो सबसे अच्छा गृहस्थ मार्ग है जो तृप्त होकरके आध्यात्मिक प्रगती कर सकता। उसके लिए पुरा आकाश खुला हुआ है।*

ये मेरेको आए हुए अनुभव है। नब्बे नब्बे साल के साधु मेरेको बोलते है कि स्वामीजी काम के विचार आते है। और ये कोई जवान साधु नहीं पूछता। buddha जिसके कबर में पैर लटक रहे है। वो बोलता है काम के विचार आ रहे है। कारण क्या है? जवानी में जब मसल्स स्ट्रॉंग थे न तब तो उन्होंने अपने विचारो पे कंट्रोल कर लिया। और बुढापे में सारे मसल्स वीक हो गए तब विचार आना चालू हो गए। तो उससे अच्छा गृहस्थ है न सबकुछ करके वो तृप्त हो चुके।  वो निकल चुका है।

गृहस्थ को भी जीवन में खूब सारे प्रॉब्लेम फेस करना पडते है पर वो भागता नहीं डटा रेहेता है।

*इसलिए गृहस्थ धर्म सर्वश्रेष्ठ धर्म है।* जो साधु को भी चलाता है संन्यासीको भी चलाता है आश्रमो को भी चलाता है और खुद को भी चलाता है। और बच्चे पैदा करके प्रकृती को भी योगदान देता है।

और ये कार्य  तो साधु नहीं कर सकते न इसलिए तो मुझको हिमालय से संसार में भेजा है।

इसलिए न कई साधको के मन में विचार आते है गृहस्थ धर्म अच्छा है कि नहीं? *एकदम बढिया है।*

9/11/24

॥वसुधैव कुटुम्बकम्॥

🧘🧘🧘🧘🧘‍♀🧘‍♀🧘‍♀🧘‍♀

Samarpan_World

29 Nov, 10:16


https://www.pokharanews.com/2024/11/280638/

Samarpan_World

29 Nov, 10:16


यहॉ के टिवीयो पर लाईव्ह प्रसारण होगा

Samarpan_World

23 Nov, 21:47


आज २४ नवंबर है। आज ही के दिन वर्ष २०२२ में एम्स नागपुर में डॉक्टरों के लिए शिविर संपन्न हुआ था। आज एम्स शिविर को दो वर्ष पूर्ण हुए ❤️

Samarpan_World

23 Nov, 15:19


॥प्रेममय जयते॥

समाज में बैठकर के ध्यान करना कठीण है। तो तुमकोकठीण ध्यान भी करते आना चाहिए।

सौ लोगों का सेंटर है, दो-सौ लोगों का सेंटर है, उनके बीच में जाकर, उनके साथ में रहकरके भी तुमको ध्यान करते आना चाहिए। *दो-सौ लोगों के साथ बैठे हो फिर भी चित्त अंदर है, फिर भी चित्त भीतर है। दो-सौ लोगों के बीच में बैठे हैं लेकिन कोई फरक नहीं पड रहा है कि हम कहाँ बैठे हैं! एहसास ही नहीं है कि दो-सौ लोगों के बीच में बैठे है।* तो ऐसा करोगे न, तो उससे धीरे-धीरे आपको अन्तर्मुखी होने की प्रॅक्टिस होगी।

पूज्य गुरुदेव
मधुचैतन्य २०१७

॥वसुधैव कुटुंबकम्॥

🧘🧘🧘🧘🧘‍♀🧘‍♀🧘‍♀🧘‍♀

Samarpan_World

23 Nov, 15:13


॥प्रेममय जयते॥

आप जब समर्पण ध्यान में आकर भी अपने अहंकार के कारण झगडते हो, वाद-विवाद करते हो, वैरभाव रखते हो तो मुझे आपको एक ही बात कहनी है - कोई भी बूंद कभी भी न सागर तक पहुंची है और न पहुंचेगी। *समाज में रहकर मोक्षप्राप्ती करने का 'सामूहिक ध्यान' ही एकमात्र मार्ग है।*

पूज्य गुरुदेव
सान्निध्य

॥वसुधैव कुटुंबकम्॥

🧘🧘🧘🧘🧘‍♀🧘‍♀🧘‍♀🧘‍♀

Samarpan_World

23 Nov, 15:00


GURUTATTVA HAMARA

https://youtu.be/phhol11E0Lw?feature=shared

......ध्यान का ये *संस्कार* शुद्ध रे......

यह कोई ध्यान की पद्धति नहीं है। यह तो एक पवित्र आत्मा द्वारा एक पवित्र आत्मा पर किया गया एक *संस्कार* है।

https://www.gurutattva.org

॥जय हो गुरुतत्त्व॥

Samarpan_World

23 Nov, 14:41


https://youtu.be/Mzy0akpPoXk?feature=shared

*श्री गुरु चरणारविंदम्* 🙏🏻

सदैव चैतन्यधारा वहंती श्रीगुरुचरणारविन्दम्।

🪷 *परम पूज्य गुरुदेव के श्रीचरण कमल* जहाँ से सदैव चैतन्य की धारा बहती रहती है।

Tattvanaad

Samarpan_World

23 Nov, 11:08


॥प्रेममय जयते॥

आपने देखा होगा गतवर्ष भारत में G20 के बहोत सारे सम्मेलन हुए थेl और बहुत सारे संमेलन में एक ही घोष वाक्य सब जगह लिखा हुआ था। आप लोगो ने भी उसमे अटेंड किया होगाl "वसुधैव कुटुंबकम" "वसुधैव कुटुंबकम" "वसुधैव कुटुंबकम"। सब जगह एक ही लिखा हुआ हैl हिंदु संस्कृती में इस घोष वाक्य का बहुत बडा महत्त्व हैं। लेकीन कोई विदेशी आए और आने के बाद में उन्होंने अगर पूछा ये कैसे संभव है? तो हमारे पास इसका कोई उत्तर है क्या?

देखिए, ऐसा कोई उपासना पद्धति नहीं है जिस उपासना पद्धति को विश्व के सारे ही लोग मानते हो। ऐसा कोई उपासना पद्धति नहीं है। उसके बाद ऐसा कोई ग्रंथ है क्या जिस ग्रंथ को विश्व के सारे ही लोग मानते हो? नहीं। ऐसा कोई भी ग्रंथ नहीं है। उसके बाद में ऐसी कोई भाषा है क्या जिसको विश्व के सारे ही लोग बोलते हो? नहीं। ऐसी कोई भाषा भी नहीं है। तो कौनसा ऐसा मार्ग है, कौनसा ऐसा रास्ता है जिस रास्ते से इस लक्ष्य को पाया जा सकता है कि वसुधैव कुटुंबकम् यानी पुरा विश्व एक कुटुंब है और सब एक समान है। एक जैसे है परिवार जन है? ये केवल कोई कल्पना होगी क्या ? कोई कल्पना नहीं है। लेकिन उन्होंने जो सोचकर के बताया था... तो आप देखिए ऐसा कोई भी रास्ता नहीं है, कोई भी मार्ग नहीं है जिससे वसुधैव कुटुंबकम् की कल्पना साकार हो सकती है।

जब कोई मार्ग नहीं है, कोई रास्ता नहीं है तो ये कल्पना कैसे दी होगी? उन्होंने जो कल्पना दी थी न, जो आधार था उसका वो आधार ही *योग* था। पिछले तीस वर्शो से मैं दुनियाभर में घुमकर के ये अनुभव किया है कि योग ही एक ऐसा माध्यम जिस माध्यम से मनुष्य मनुष्य के साथ जुडता है। इसिलीए आज ७२ राश्त्रो के लोग इसके साथ जुड़े हुए है। जो अलग-अलग जाति के है, अलग -अलग धर्म के है, अलग -अलग देश के है, अलग-अलग भाषा के है, अलग-अलग रंग के है और सभी लोग एक दुसरे के साथ में जुड़े हुए है। कारण क्या है? सबका शरीरभाव समाप्त हो गया है।
शरीर भाव ही हमारी सिमाए निश्चित किए है। जैसे-जैसे आपका शरीर भाव समाप्त होगा आत्मभाव बढेगा और जैसे-जैसे आत्मभाव बढेगा ये सारी शरीर की सिमाए समाप्त हो जाएगी।

*हिमालयीन योगी* महर्षी श्री शिवकृपानंद स्वामी (साक्षात परमात्मा)
२२/११/२४

॥वसुधैव कुटुंबकम्॥

🧘🧘🧘🧘🧘‍♀🧘‍♀🧘‍♀🧘‍♀

Samarpan_World

23 Nov, 02:20


https://youtu.be/84KCxJX4N9w?si=5VCikSFHUjros_mh

Samarpan_World

23 Nov, 01:13


स्वामीजी प्रणाम

आप की कृपा में, हाल ही में लुधियाना, जीटीबी नगर में ‘एक दिवसीय शिबीर’ संपन्न हुआ जिसमें 20 लोगों में से 12 नयी आत्माएँ आपके चरणों से जुड़ी🙏🏻

आदर
अमनप्रीत कौर

Samarpan_World

05 Nov, 01:10


https://youtu.be/FIXkMRkvrmQ?si=yu5HmL3zeGLUfrmK

Samarpan_World

04 Nov, 21:28


साल २००५ - प्रथम सिंगापुर यात्रा ❤️

Samarpan_World

04 Nov, 21:28


५ नवंबर - विश्व सुनामी जागरूकता दिवस ❤️

Samarpan_World

04 Nov, 16:46


जय बाबा स्वामी,

स्वामीजी, "राजा रामदेव आनंदीलाल पोद्दार केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान" में आज का सत्र बहुत बढ़िया रहा। लगभग 50 कर्मचारी वहाँ मौजूद थे और सभी को ध्यान सत्र बहुत पसंद आया, वे प्रतिदिन सुबह अपनी ड्यूटी शुरू करने से पहले 10 मिनट के लिए अस्पताल में अपने-अपने विभागों में ध्यान करेंगे। स्थानीय आचार्य और क्षेत्रीय आचार्य को अस्पताल के कर्मचारियों से मिलवाया गया।

इस सत्र के दौरान उनकी उपस्थिति के लिए गुरुशक्तियों का धन्यवाद।

🙏🙇‍♀️

Samarpan_World

04 Nov, 15:45


*॥प्रेममय जयते॥*

"अंतर्मुखी" हुये बिना हमारी आध्यात्मिक यात्रा प्रारंभ ही नहीं हो सकती है।

बाबा स्वामी

*॥वसुधैव कुटुंबकम्॥*

🧘🏻‍♂🧘🏻‍♂🧘🏻‍♂🧘🏻‍♂🧘🏻‍♀🧘🏻‍♀🧘🏻‍♀

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04 Nov, 15:35


॥प्रेममय जयते॥

आत्मा की आवाज
*ब्रह्मनाद*
पूज्य गुरुदेव

.....एक युवक अपने भविष्य के जो सपने देखता है , वह सब कुछ मेरे पास था , फिर भी मैं अतृप्त था और यह भी महसूस कर रहा था कि सारे गुरु बाहर और बाहर जाने का ही मार्ग क्यों बताते हैं और बाहरी ज्ञान से तृप्ति क्यों नहीं होती? बाहरी ज्ञान कितना भी प्राप्त करो , तो भी सदैव ऐसा लगता था कि यह कितना बडा क्षेत्र है और अभी मुझे इस क्षेत्र में कितना पाने का ही है और जब वह पा लेता , तो दूसरा क्षेत्र सामने आ जाता था और बाद में वह क्षेत्र भी एक छलावा लगता था और लगता था कि बाहरी ज्ञान के सभी रास्तेंं बाहर की ओर दूर-दूर चले जाते हैं। ये वो रास्ते हैं जिन पर जीवन भर चला तो भी वे रास्तें कभी समाप्त ही नहीं होंगे।

फिर लगता था कि भीतर जाने का कोई मार्ग ही नहीं है या भीतर के मार्ग का जानकार अभी मेरे जीवन में आया नहीं है। क्या भीतर का भी कोई मार्ग है? क्या भीतर भी जाया जा सकता है ? क्या अपने-आप को जाना जा सकता है ? क्योंकि एक प्याज के छीलके की तरह बाहरी ज्ञान को कितना भी प्राप्त करो , उसके अंत में कुछ हासिल नहीं होता है और मैं ठग गया ऐसा लगता है और अंदर जाने के मार्ग की बात किसी से करता तो सामने वाला मुझे पागल ही समझता था , क्योंकि अंदर जाने का कोई मार्ग होता है उसकी उसे जानकारी नहीं थी और अंदर जाने का कोई मार्ग ही नहीं होता यह उन्हें पूरा विश्वास भी होता था। इसलिए , सभी मुझे अचरज भरी दृष्टि से देखते थे और इस अंतरमन के मार्ग पर चले हुए संतों और गूरूओंं के बारे में सुना वे अब कोई भी जीवित ही नहीं थे। तो अब उनसे मिलने का और उनसे पूछने का प्रश्न ही नहीं उठता था। अब प्रश्न था यह भीतर का मार्ग खोजा कैसे जाए और किसी ऐसे गुरु की खोज कैसे की जाए जो भीतर का मार्ग बता सके ? इसी प्रश्न को लेकर मैं सालों पागलो की तरह भटका हूँ।

क्रमशः ....

*॥वसुधैव कुटुंबकम्॥*

🧘🏻‍♂🧘🏻‍♂🧘🏻‍♂🧘🏻‍♂🧘🏻‍♂🧘🏻‍♀🧘🏻‍♀🧘🏻‍♀🧘🏻‍♀🧘🏻‍♀

Samarpan_World

04 Nov, 14:43


॥प्रेममय जयते॥

आज आदर्श वही संत महात्मा हैं, *जिनकी खोज भीतर की रही है और जो भीतर के मार्ग पर चले है।*

पूज्य गुरुदेव
आत्मा की आवाज

॥वसुधैव कुटुंबकम्॥

🧘🧘🧘🧘🧘‍♀🧘‍♀🧘‍♀🧘‍♀

Samarpan_World

04 Nov, 13:23


GURUTATTVA HAMARA

....*हिमालय में जन्मा आत्मज्ञान है ये*......

https://youtu.be/phhol11E0Lw?feature=shared

*"आत्मज्ञान" अपने आपको जानने का समझने का एकमात्र मार्ग है।*

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Samarpan_World

04 Nov, 12:17


🌹🙏 हिमालयन समर्पण ध्यान 🙏🌹

सशक्त प्रभावशाली चित्त के धनी व्यक्ति ही समाज को संरक्षण प्रदान करेंगे , सुरक्षा प्रदान करेंगे । उन्हीं के करीब, उन्हीं के पास मनुष्य समाज शांति का अनुभव करेगा ।

हिमालय का समर्पण योग भाग--२
परम पूज्य श्री शिवकृपानंदस्वामी जी 🙏

Samarpan_World

04 Nov, 12:13


🌹 हिमालयन समर्पण ध्यान 🌹

प्रकृति का नियम है -- बनाना और बिगाड़ना। वास्तव में, बिगाड़ना भी सदैव बनाने के लिए ही होता है । इसीलिए इस चक्र को अच्छी घटना या बुरी घटना नहीं समझना चाहिए। यह निरंतर चलने वाली क्रिया है । यह प्रकृति के तहत होती ही रहती है ।

हिमालय का समर्पण योग भाग--२
परम पूज्य श्री शिवकृपानंदस्वामी जी 🙏

Samarpan_World

03 Nov, 03:49


https://youtu.be/c33O1sH79TI?si=tWz8iLD5ZvvJp8yU

Samarpan_World

02 Nov, 21:37


भाईदूज की शुभकामनाएं ❤️

Samarpan_World

02 Nov, 21:37


3rd November - Japan Culture Day ❤️

Samarpan_World

02 Nov, 14:32


अभी आ रहा है

Samarpan_World

26 Oct, 07:44


॥प्रेममय जयते॥

आपको 'समर्पण परिवार' में अच्छे-बुरे सभी प्रकार की आत्माए दिखती होंगी। वे बाहर से ऐसे ही दिखती हैं लेकिन अंदर से सभी 'पुण्यात्माऍ' ही हैं। केवल अंतर हैं *समझ* का। किसी को आत्मसाक्षात्कार' का महत्व समझा है, किसी को इस जन्म में अभी समझा नहीं है। उसे भी समझेगा लेकिन बाद में।

क्योंकि 'आत्मसाक्षात्कार' से मोक्षप्राप्ती तक एक लम्बा सफर उसे पूर्ण करना है। इसलिए आप आपके मन में किसी के प्रति भी 'बुरा भाव' न लाए। आपको यह 'आत्मसाक्षात्कार' का महत्व समझा तो आवश्यक नहीं कि दूसरे भी इसी जनम में समझे।

पूज्य गुरुदेव
सान्निध्य

॥वसुधैव कुटुंबकम्॥

🧘🧘🧘🧘🧘‍♀🧘‍♀🧘‍♀🧘‍♀

Samarpan_World

26 Oct, 07:18


॥प्रेममय जयते॥

आप जब समर्पण ध्यान में आकर भी अपने अहंकार के कारण झगडते हो, वाद-विवाद करते हो, वैरभाव रखते हो तो मुझे आपको एक ही बात कहनी है - कोई भी बूंद कभी भी न सागर तक पहुंची है और न पहुंचेगी। *समाज में रहकर मोक्षप्राप्ती करने का 'सामूहिक ध्यान' ही एकमात्र मार्ग है।*

पूज्य गुरुदेव
सान्निध्य

॥वसुधैव कुटुंबकम्॥

🧘🧘🧘🧘🧘‍♀🧘‍♀🧘‍♀🧘‍♀

Samarpan_World

26 Oct, 06:55


॥प्रेममय जयते॥

पानी की प्रत्येक बूंद का सफर विशाल समुद्र से ही प्रारंभ हुआ था। विशाल समुद्र की सामूहिकता से वह दूर हुई थी, तभी वह सागर से बूंद बन गई थी और *फिर वह बूंद से सागर की विशाल सामूहिकता में समाना चाहती है।* अब यह कितने प्रयत्नो में होता है, यह सब उसके जीवन में आए अनुभव और सामूहिक प्रयास पर ही निर्भर करता है।

पूज्य गुरुदेव
सान्निध्य

॥वसुधैव कुटुंबकम्॥

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Samarpan_World

26 Oct, 06:20


॥वसुधैव कुटुंबकम्॥

ज्या मार्गावर मी होतो त्या मार्गाची आवड कोणत्याही व्यक्तीला नव्हती. लोकांच्या दृष्टीने हे सर्व काम न करण्याचे बहाणे होते. मी आळशी आहे. मला काम करायचे नाही, समाजात असा विरोधाभासी वातावरणाचा मला अनुभव येत होता.

पूज्य गुरुदेव
हि. स. यो. २

🧘🧘🧘🧘🧘‍♀🧘‍♀🧘‍♀🧘‍♀

Samarpan_World

26 Oct, 06:18


॥वसुधैव कुटुंबकम्॥

साधारणपणे मी लोकांच्यात जात नसे. कोणत्याही व्यक्तीला माझ्या जास्त जवळ येऊ देत नव्हतो. कारण थोडीशीही ओळख झाली की कोणताही मनुष्य मला पहिला प्रश्न विचारत असे तो हा की, नोकरी कुठे करता. आणि या प्रश्नाचे उत्तर माझ्याजवळ नव्हते. म्हणूनच विशिष करुन मी माणसांपासून दूरच राहत असे. मला सदैव वाटे की हा प्रश्न मला कोणी विचारु नये.

पूज्य गुरुदेव
हि. का स. २

🧘🧘🧘🧘🧘‍♀🧘‍♀🧘‍♀🧘‍♀

Samarpan_World

26 Oct, 06:14


॥वसुधैव कुटुंबकम्॥

जेव्हापासून जोतिष हे धन कमवण्याचे साधन असे समजले जाऊ लागले तेव्हापासून त्यातील सत्य निघून गेले. नंतर मग त्या शास्त्राची शुद्धता राहिली नाही, पवित्रता राहिली नाही.

पूज्य गुरुदेव
हि. स. यो. २

🧘🧘🧘🧘🧘‍♀🧘‍♀🧘‍♀🧘‍♀

Samarpan_World

26 Oct, 06:11


॥वसुधैव कुटुंबकम्॥

जो पर्यंत हा आंतरिक मार्ग दाखवणारा कोणी मार्गदर्शक जीवनात येत नाही तोपर्यंत आपल्या आतही काही मार्ग आहे आणि त्यावरुन चालावयाचे आहे याचा मनुष्याला पत्ता ही लागत नाही.

*मी किती भाग्यवान आहे की गुरुदेव माझ्या जीवनात आले आणि हा मार्ग दाखवून मला माझ्या जीवनात या मार्गाचा पत्ता लागू शकला.*

पूज्य गुरुदेव
हि. स. यो. २

॥प्रेममय जयते॥

🧘🧘🧘🧘🧘‍♀🧘‍♀🧘‍♀🧘‍♀

Samarpan_World

26 Oct, 01:09


।।जय बाबा स्वामी।।

**विविध भारती सेवा* पर *परम पूज्य गुरुमाँ* के कार्यक्रम का दूसरा भाग, *आज 25 अक्टूबर, शुक्रवार*, को प्रसारित किया जाएगा।


यह कार्यक्रम *भारत* में (प्रसारण आवृत्ति 90 से 110 मेगाहर्ट्ज के बीच है) और *विदेशों* में भी प्रसारित किया जाएगा।

यह कार्यक्रम *सखी सहेली कार्यक्रम में दोपहर 3.00 बजे से 4.00 बजे* के बीच प्रसारित किया जाएगा।

आप इस कार्यक्रम को *NewsonAir ऐप* पर सुन सकते हैं। ऐप को डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए *लिंक पर क्लिक* करें।

https://play.google.com/store/apps/details?id=com.parsarbharti.airnews

इस कार्यक्रम में गुरुमाँ ने *बच्चों और युवाओं को एक बेहतरीन संदेश* दिया है।

आप सभी इस कार्यक्रम का लाभ अवश्य उठाएँ और अपने परिवार और दोस्तों के साथ भी इस संदेश को साझा करें।

जय आत्मेश्वर 🙏🏻

Samarpan_World

26 Oct, 01:00


आज २६ अक्टूबर है। आज ही के दिन वर्ष २०१८ में पुलिस अधीक्षक पुणे ग्रामीण में रक्षक शिविर संपन्न हुआ था। आज छः वर्ष पूर्ण हुए ❤️

Samarpan_World

26 Oct, 00:03


https://youtu.be/oxDHhawIG1c?si=YhWG10YhxQGuQ5MI