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RSSB Radha Swami Ji

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RSSB Radha Swami Ji

20 Nov, 16:07


https://youtu.be/Km9LxeFhkM4

RSSB Radha Swami Ji

04 Nov, 11:21


https://youtube.com/live/a6q7jhA4lko?feature=share

RSSB Radha Swami Ji

04 Nov, 02:50


*फर्क बस इतना सा है कि किताबों से सीखो तो नींद आती है और जिन्दगी सिखाए तो नींद उड़ जाती है बहुत ज्यादा सोचना विष के समान है इसलिए उतना ही सोंचे जिससे कि जीवन में मिठास बनी रहे सोचना और सोचते ही रहना एक रोग है जो इस रोग से मुक्त है वही सुखी है और स्वस्थ है जिंदगी और भी सुखी और आसान हो जाएगी अगर शिक्षा से पहले संस्कार व्यापार से पहले व्यवहार और भगवान से पहले माता पिता को सम्मान देना सीख लिया जाए बहुत आसान होता है किसी पर भी उंगली उठाना लेकिन बहुत ही मुश्किल होता है किसी को उठाने के लिए उसकी उंगली को पकड़ना अगर दौलत से ही सब कुछ खरीदा जाता तो कोई भी इंसान दुआओं का मोहताज ही ना होता जीवन के इस सफर में हम उस दिन बड़े हो जाते हैं जब अपने आंसू खुद ही पोछकर फिर से खड़े हो जाते हैं*
                 *🙏🏻सत श्री अकाल जी🙏🏻*
   *🌸🪻वाहेगुरु जी सबका भला करे🪻🌸*

RSSB Radha Swami Ji

03 Nov, 11:43


https://youtu.be/iRe87INN6z4

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02 Nov, 04:21


https://whatsapp.com/channel/0029VauweYB2ZjCvg36Llz0R

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02 Nov, 04:14


*एकान्त*

       *संत कहते हैं कि हे भले इनसान अगर तुझे सुख-शांति की चाह है और अगर तू संसार के दु:खों से बचना चाहता है तो दुनियादारों की संगति छोड़कर एकान्त ढूँढ ले जिस जीव ने भी एकान्त में बैठकर उस मालिक की भजन-बंदगी की वह हीरे की तरह चमका प्रभु भक्ति के लिए एकान्त ऐसी जगह है जहाँ लोगों का आना जाना न हो शोर शराबा न हो और शान्तमय वातावरण हो अभ्यास से वातावरण बनता है और वातावरण का अभ्यास पर प्रभाव पड़ता है बेशक भजन सिमरन के लिए रात को उठना मन को काबू करता है और उस वक्त प्रार्थना भी सच्चे दिल से निकलती है दिन के समय हर कोई दुनिया के धंधों में ही मस्त रहता है.......*
                       *🙏 🙏

RSSB Radha Swami Ji

02 Nov, 02:35


😷मौन😷

संत महात्मा अकसर हमें उदाहरण देकर समझाते हैं कि मौन क्या है? और कई बार क्यों ज़रूरी है...?

जैसे समुद्र के अंदर सीपी होती है। कहते हैं कि यह तैरती रहती है, और इसका मुँह ऊपर की ओर खुला रहता है। जब उसके अंदर स्वाति बूँद गिरती है तो इसका मुँह बन्द हो जाता है और यह मौन हो जाती है और समुद्र की तह में बैठ जाती है। यह जितने अधिक दिनों तक मौन रहती है उतना ही कीमती मोती इसके अंदर बनता है। सीपी को पता नही होता कि मोती कितना कीमती है?

दूसरा उदाहरण संत-महात्मा समझाते है कि दही का। आप फरमाते है- हम दूध गम॔ करते हैं फिर उसको ठंडा करके उसे जावन लगाते है, और उसको मौन रहने के लिए आठ-दस घंटे के लिए छोड़ देते है। दूध को नहीं पता कि उसके अंदर से कितना कीमती मक्खन और घी होता है।

इसी प्रकार से हम सतगुरू के शिष्य हैं जिनको सतगुरू ने अपना ही रूप बनाना है और हमारे अंदर वह नाम रूपी बीज डाला हुआ है, जिसको अंकुरित करना हमारी जिम्मेदारी है, इसको अंकुरित करने के लिये हमें उस सीपी और दूध की तरह मौन रहना है।

लेकिन हमारी हालत तो बिल्कुल इससे उलट है, मौन रहना तो दूर, कभी अपने आपको घन्टे-दो घन्टे भी शांत नही रह सकते। बस सोने के अलावा बोलना या फिर अपनी ही धुन में लगा रहना, दुनियावी धन्धों में लगे रहते हैं।

हमें तो बस सतगुरू के उपदेश अनुसार अपने आपको ढालने की आवश्यकता है। जिस दिन हमने अपने आपको उनके अनुरूप ढाल लिया, उसी समय हमारा मन मौन की तरफ बढ़ना शुरू हो जायेगा और एक दिन ऐसा आयेगा कि हमारा इस मौन से बाहर निकलने मन ही नहीं करेगा...

पर मौन की शुरुआत होती है भजन सुमिरन से। तो देर किस बात की करिए शुरुआत!!!

             🧘‍♀️राधा स्वामी जी🧘‍♀️

RSSB Radha Swami Ji

01 Nov, 12:18


https://youtu.be/DS9n4SzITlw?si=HBCWLnAYgVNSQ__6

RSSB Radha Swami Ji

23 Aug, 12:10


*इंसान तभी सफल हो पाता है जब वो जरूरत और चाहत के बीच का फर्क समझ लेता है अगर जिंदगी में कामयाब होना चाहते हो तो बोलने से ज़्यादा सुनने की आदत डालो मत रखिए इतनी नफरत अपने दिलों मे क्योंकि जिस दिल मे नफरत होती है उसमे इंसानियत कभी नही बसती तर्कसंगत व्यक्ति अपनी सोच और समझ के साथ ही आगे बढ़ता चला जाता है भावनाओं और अरमानों के जरिए नहीं ज़िन्दगी गुज़र जाती है ये ढूँढने में कि ढूंढना क्या है अंत में तलाश सिमट जाती है इस सुकून में कि जो मिला वो भी कहाँ साथ लेकर जाना है दूसरों को भी उतनी ही जल्दी माफ़ कर दिया करो जितनी जल्दी आप ऊपर वाले से अपने लिए माफी चाहते हो हमारी गलती पीठ की तरह होती है खुद के सिवाय बाकी सबकी दिखती है यहाँ सब सभी को जानते हैं लेकिन यहाँ कोई स्वयं को नहीं जानता*
                
                   *🙏🏻सत श्री अकाल जी🙏🏻*
    *🌹🍁वाहेगुरु जी सबका भला करें🍁🌹*

RSSB Radha Swami Ji

17 Aug, 04:55


शरीर और आत्मा का वार्तालाप*
सुबह के 3 बजे
*आत्मा*- चलो ! आत्मा की साधना का समय हो गया है...उठो, उठो ना...

*शरीर*- सोने दो ना...! अभी क्यों तंग कर रही हो, रात को बहुत देर से सोया था । थोड़ी देर बाद उठकर साधना करूँगा।

*आत्मा*- ठीक है और थोड़ी देर बाद ही सही।

सुबह के 5 बजे

*आत्मा*- अब तो उठ जाओ भाई ! सूरज भी अपनी किरणें फैलाता हुआ हमें जगा रहा है, उठो ना।

*शरीर*- कितना परेशान करती हो...ठीक है, उठ रहा हूँ, बस 5 मिनट और...

थोड़ी देर बाद शरीर उठा और साधना के लिए बैठ गया और 10 मिनट बाद ही उठने लगा। तब...
*आत्मा बोली*- अरे अरे...! क्या हुआ ? इतनी जल्दी क्या है, अभी तो मुझे शांति मिलना शुरु हुई और तुम उठ गये...

*शरीर*- अरे...! मुझे घर का और आफिस का कितना काम है तुम्हारी समझ में तो कुछ नहीं आता और अभी नाश्ता भी करना है ।

*आत्मा*- ठीक है तो शाम को साधना तो करोगे ना...

*शरीर*(परेशान होते हुए) - हाँ भाई ! हाँ जरूर करूँगा।

सारा दिन निकल गया। आत्मा दिनभर के काम, राग-द्वेष के परिणामों से आकुलित हुई और शाम को शरीर से बोली - अरे ! शाम हो गई, अब तो फ्री हो गये होंगे। अब तो चलो साधना के लिए...।

*शरीर (चिल्लाते हुए)*- क्यों सारा दिन तंग करती रहती हो...देखती नहीं अभी ऑफिस में दिन भर काम करके आया हूँ, बहुत थक गया हूँ ।

*आत्मा*- अरे ! फिर तो बहुत अच्छी बात है, यदि तुम थके हुए हो तो एक बार आत्मा की साधना करोगे तो थकान तुरन्त दूर हो जायेगी।

*शरीर*- अभी नहीं ! अभी थोड़ा टीवी देख लूँ । रात को पक्का बैठूँगा...।

रात को थकान से शरीर की आँखें बंद हो रही हैं। मुश्किल से शरीर स्थिर होकर बैठा और नींद आने लगी। शरीर उठा और सोने के लिए जाने लगा तो...

*आत्मा बोल उठी*- अरे अरे! क्या हुआ ? अभी-अभी तो बैठे थे, अचानक उठकर कहाँ जाने लगे ?

*शरीर*- मैं बहुत थक गया हूँ, कल सुबह 3 बजे आत्म साधना के लिए जरूर बैठूँगा।

आत्मा चुप हो गई तभी शरीर ने मोबाइल पर अपने एक मित्र का मैसेज देखा और सोचा - अरे वाह ! ये तो मेरे दोस्त का मैसेज है। थोड़ी देर चैटिंग कर लूँ फिर सो जाऊँगा और वह चैटिंग करने लगा।

*आत्मा*- देखो ! चैटिंग करने के लिए नींद भाग गई और साधना के नाम पर इसे नींद आ रही थी और जिस आत्मा के कारण यह जीवन जी रहा है उसके नाम पर नींद आने लगती है। चलो....! कल देखते हैं।

RSSB Radha Swami Ji

16 Aug, 03:44


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*🙏राधास्वामी जी🙏*

उठो गुरु प्यारो नाम जपने का समय हो गया है।

*अमृत नाम महा रस मीठा जिसने पिया उसने सचखण्ड पाया।*

*"हर रात के पिछले पहर में एक गजब की (अनमोल) दौलत लुटती है। जो जागते हैं वह पाते हैं जो सोते हैं वह खोते हैं।"*

एक यही वह समय है जिसमें जागने वाला कमाता है
और सोने वाला गंवाता है।

अमृत वेला बड़ा ही सुहाना
चुपचाप है सारा जमाना।
नाम दी माला जपया करो
अमृत वेले उठया करो।।

अमृत वेले अमृत वरसे।
भर-भर अमृत पिया करो।
अमृत वेले उठया करो।। 

🙏🙏🙏
सद्गुरु ने याद किया है जो वादा किया है उसको निभाना है सद्गुरु को दिया वचन उसको पूरा करना है।
🙏🙏🙏
🙏गुरु प्यारो उठो🙏

ड्यूटी का समय हो गया है।

मन लग्गे या ना लग्गे
फर्ज समझ के बैठो।
ड्यूटी समझ के बैठो।
थोड़ी देर तो बैठो।

*भजन-सुमरिन* शरीर से नहीं जी, *मन* से करवाओ...

🙏🙏राधास्वामी जी🙏🙏

RSSB Radha Swami Ji

14 Aug, 09:59


🙏

🌎



_*खाली मुठ्ठी बाकी है*_
  
_*तीन पहर तो बीत गये,*_
_*बस एक पहर ही बाकी है।*_
_*जीवन हाथों से फिसल गया,*_
_*बस खाली मुट्ठी बाकी है।*_

_*सब कुछ पाया इस जीवन में,*_
_*फिर भी इच्छाएं बाकी हैं।*_
_*दुनियाँ से हमने क्या पाया,*_
_*यह लेखा जोखा बहुत हुआ,*_
_*इस जग ने हमसे क्या पाया,*_
_*बस यह गणनाएं बाकी हैं।*_


_*इस भाग दौड़ की दुनियाँ में,*_
_*हमको एक पल का होश नहीं,*_
_*वैसे तो जीवन सुखमय है,*_
_*पर फिर भी क्यों संतोष नहीं,*_
_*क्या यूँ ही जीवन बीतेगा ?*_
_*क्या यूँ ही सांसे बंद होंगी ?*_
_*औरों की पीड़ा देख समझ,*_
_*कब अपनी आँखे नम होंगी ?*_
_*मन के भीतर कहीं छिपे हुए,* _
_*इस प्रश्न का उत्तर बाकी है।*_


_*मेरी खुशियां, मेरे सपने,*_
_*मेरे बच्चे, मेरे अपने,*_
_*यह करते करते शाम हुई,*_
_*इससे पहले तम छा जाए,*_
_*इससे पहले कि शाम ढ़ल जाए,*_
_*दूर परायी बस्ती में,*_
_*एक दीप जलाना बाकी है।*_
_*जो भी सीखा इस जीवन में,*_
_*उसको अर्पण करना भी बाकी है।*_


_*तीन पहर तो बीत गये,*_
_*बस एक पहर ही बाकीh है।*_
_*जीवन हाथों से फिसल गया,*_
_*बस खाली मुट्ठी बाकी है।*_

_*Radhasoami ji 🙏*_



................... ✍🏽

RSSB Radha Swami Ji

13 Aug, 03:07


🙏❤️🌹🆚🌹❤️🙏

✍️गुरु  सामान  दाता  नही  जग  में ,सब  जग  मागन्           हारा  रे  ! क्या  राजा  क्या बादशाह  सबने  हाथ  पसारा  रे  !!

भोजन छोड देना लेकिन सतगुरु के सिमरन और ध्यान को मत छोडना।
आप जितने अधिक समर्पित होगे ध्यान करने में, उतनी अधिक गहराई प्राप्त करेगे। ध्यान ऐसी नाजुक चीज है कि इसे पकने के लिए महिनो लगते हैं, साल लगते हैं।
लेकिन ये प्रेम की बेल है, इसे अगर  हर रोज भजन-सिमरन का पानी ना मिले तो एक या दो दिन में कुम्हलाने लग जाती है।
ध्यान सबसे ऊंची भक्ति है, बाकि सब कुछ इससे नीचे है  !
अगर एक दिन नींद नहीं आई तो आप ज्यादा से ज्यादा कुछ नहीं खोते हैं। बगैर नींद के कोई पांच से सात दिन तक रह सकता है। अगर आप भोजन करना छोड़ते हैं तो ठीक है, इंसान तीन महीने तक भोजन के बिना जीवित रह सकता है। आप एक दिन के लिए पानी के बिना भी जी सकते हैं, आपकी मौत नहीं होगी लेकिन आम तौर पर लोग इस तरह की मामूली चीजो को ज्यादा महत्व देते हैं और सोचते हैं कि एक या दो दिन तक वे वास्तव में महत्वपूर्ण चीजो के बिना रह सकते हैं। लेकिन यह याद रखो कि यदि आपने भोजन नहीं किया, पानी नहीं पीया तो चल सकता है लेकिन यदि आप सिमरन और ध्यान नहीं करते हैं तो आप क्या पाना चाहते थे और आपने क्या खोया, आप वास्तव में नहीं जान पायेंगे कि आपने क्या खो दिया है।
हम लोगों का सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि हमे पता ही नहीं चलता कि हमने कितना अनमोल सुअवसर खोया है? खोने के अलावा हम लोगो को कभी पता नहीं चलता कि वे क्या हासिल करना चाहते थे?
भाईयों और बहनो, जागो और मोह ममता की नींद को त्यागो।
फिर दूसरा मौका नहीं मिलेगा।
जब आज हम इतने कीमती तोहफो की कदर नहीं कर रहे हैं।
*_पहला तोहफा मनुष्य जन्म_*
*_दुसरा सतगुरु की शरण_*
*_तीसरा नामदान_*
अब यह हमारी ही मर्जी है कि हम जागे या सोये रहे,
*जाग प्यारी, अब क्या सोवै, रैन गई दिन काहे को खोवे ?*
*जिन जागा, तिन माणक पाया !*
*बौअरी ने सब सोय गंवाया !!*
🌹🆚🙏🙏🙏🙏🙏🆚🌹

RSSB Radha Swami Ji

11 Aug, 14:43


🙏❤️🌹🆚🌹❤️🙏
एक कबूतर कबूतरनी का जोड़ा आकाश में विचरण कर रहा था, तभी उनके ऊपर एक बाज उनको खाने के लिए उनके ऊपर उड़ने लगा।
तब वह दोनों जेसे-तेसे भागने लगे तब जमीन पर एक शिकारी भी उनको मारने के लिए आ गया ।
उस समय कबूतर भगवत नाम का स्मरण कर रहा था। और उसे कोई भय नही था,
पर उसकी पत्नी को डर लग रहा था। वह सोच रही थी की की मेरा पति तो गुरु का जप कर रहा है इसे कोई डर नही है। और हमारी दोनों और से मृत्यु निश्चित है।
या तो हमें बाज मार डालेगा या वो नीचे शिकारी है वो मार देगा, अब हमारा क्या होगा हम तो मरने वाले हैं।
तभी सदगुरू की कृपा से वहाँ जमीन पर एक सांप आ जाता है और वह सांप वहां खड़े शिकारी को ढस लेता है। और उसने जो तीर अपने धनुष पर लगा रखा था वो हाथ से छूट कर उस बाज के लग जाता है। और उनके पास दोनों तरफ से आई हुई मृत्यु टल जाती है।
इस पद से मुझे ये शिक्षा मिली कि चाहे कितनी भी विपत्ति क्यों ना आ जाए सदगुरू का स्मरण नही छोड़ना चाहिए,
🙏🌹🆚🗣हमारे बाबाजी हमें सारी विपत्तियों ये निकाल लेते हैं। बस उनका ही आसरा होना चाहिए।
🙏❤️🌹🆚🌹❤️🙏

RSSB Radha Swami Ji

10 Aug, 14:31


🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹

आज का हुकुमनामा
दरबार साहिब अमृतसर
ग्रंथ साहिब पृष्ठ ८७०

रागु गोंड बाणी कबीर जीउ की घरु २

गोंड ॥

खसम मरै तउ नार न रोवै ॥      
उस रखवारा अउरो होवै ॥        
रखवारे का होइ बिनास ॥    
आगै नरक ईहा भोग बिलास
॥                                        
एक सुहागन जगत पिआरी ॥ 
सगले जीअ जंत की नारी ॥

कबीर साहब फरमाते हैं

माया को स्त्री बना के रखने वाला मनुष्य आखिर मर जाता है, यह माया रूपी पत्नी उस के मरने पर रोती भी नहीं, क्यों कि इसका रखवाला, पति, स्वामी कोई और बन जाता है, सो, यह माया रूपी नारी कभी भी विधवा नहीं होती । इस माया का रखवाला मर जाता है, और इस माया के भोगों में यहां मस्त रहने के कारण वह आगे अपने लिए नर्क बना लेता है।

यह माया रूपी नारी एक एैसी सोहागन नारी है जिस को सारा जगत प्यार करता है, सारे जीव-जंतु इसको अपनी स्त्री, पत्नी बना के रखना चाहते हैं, अपने वश में रखना चाहते हैं ।

🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹

RSSB Radha Swami Ji

10 Aug, 06:16


*जिसने सुमिरन नही किया उसने कुछ भी नही किया* !
            *चाहे उसने लाखो दान पुण्य किये हो ग्रंथ पढे हो  चाहे रोज सत्संग सुनता हो पर सुमिरन के बिना व्यर्थ है*,
           *सुमिरन के बिना सतगुरु के रूहानी दर्शन कभी नहीँ हो सकते*सच्ची तडप से 15 मिनट भी की गयी भक्ति कुछ दिनो तक की जाने वाली भक्ति से भी ज्यादा बेहतर है*
                       
       *रब  रब करदे  उमर  बीत  गई ,*
*रब  की  है , कदे  सोच्या   ही  नहीं ,*
*बहुत  कुछ  मंग  लया  ते  बहु  कुछ  पा  लया ,*
*रब  नूं  ही  पाणा  है , कदी  सोचया  ही  नहीं ।।*

RSSB Radha Swami Ji

10 Aug, 02:58


*😌इश्क- ए- हक़ीकी😌*

*एक बार कोई मालिक का खोजी, वक्त के कामिल मुर्शिद के घर पहुंचा और विनती कर दीक्षा मांगी। उस मुर्शिदे ने भी उसे अपनी पनाह मे ले लिया।*
*लगन काफी गहरी थी, काफी समय तक उसकी सोहबत मे रहकर उसकी और उसकी संगत की आदर सेवा करता रहा।*

*मौज मे आकर उस्ताद ने दीक्षा दे  दी और हिदायत दी..... हर रोज़  बिना नागा सुमिरन करना है।*
*कुछ समय बाद उसका ध्यान पक्का हो गया। अब उस्ताद ने उसे घर भेज दिया*

*और फिर वह परिवार सहित छुट्टियां मनाने विदेश चला गया और वहां उसका सुमिरन छूट गया।*

*मुर्शिद ये सब देख रहा था।  फिर एक दिन जब वह वापिस घर लौटा..... तो उसका मुर्शिद भी काफी फकीरी और मायूसी की हालत मे पहुंचा।*
*वह शागिर्द अपने उस्ताद की ऐसी हालत देख कर परेशान हो गया और पूछा कि यह कैसे ????*

*मुर्शिद ने इश्क भरी निगाहों से कहा.....*
*"बेटा मोहब्बत मे छुट्टियां नही होती, मै हर रोज तुम्हारी राह देखता था मगर तुमने मुझे याद ही नही किया। तुम्हारे इश्क की चाहत ने मेरा यह हाल बना दिया।"*

*वह शागिर्द पैरो पर गिर पड़ा और कहा मेरे रहनुमा मुझे माफ कर दीजिए। फिर वह अन्दरुनी उस मुकाम पर पहुंचा जिसकी उसे तलाश थी।*

*अगर हम सतगुरु से प्रेम करते हैं.....तो सतगुरु हमें हमारे प्रेम से भी बहुत अधिक प्रेम करते हैं*
*अगर हम सतगुरु को तंदुरुस्त, स्वस्थ और प्रसन्न देखना चाहते हैं तो बिना नागा भजन सिमरन करना पड़ेगा*
    *🙇‍♂️राधा स्वामी जी🙇‍♂️*

RSSB Radha Swami Ji

10 Aug, 02:48


_एक बार लोगो ने बीबी राबीया बसरी को एक हाथ मे जलती हुई टहनी और एक हाथ मे पानी का बर्तन लेकर दौड़ते हुऐ देखा ईस पर लोगो ने राबीया बसरी से पुछा के यह आप अपने हाथों मे जलती टहनी और पानी का बर्तन क्यूँ लेकर जा रही है ईस पर बीबी राबीया बसरी ने कहा मै स्वर्ग को आग लगाने जा रही हुँ और नरको की आग को बुझाने जा रही हुँ  ताकि लोगों के दिलो से स्वर्ग की ख्वाहिश और नरक का डर निकाल सकुं राबीया ने कहा कि पुरी कायनात परमात्मा की भक्ति या तो स्वर्ग की ख्वाहिश के लिऐ करती है और यां फिर नरको के डर से मगर खुदा का दीदार ख्वाहिश और डर की ईबादत से नही खुदा से सच्चे ईश्क से मिलता है हम सत्तसंगीयों की भक्ति मे भी बहुत कमीयां है हम भक्ति नही व्यापार करते है 10 मिनट के सिमरन के लिऐ कितनी ख्वाहिशें आगे रखते है किसी को व्यापार मे फायदा चाहिए किसी को पेपर मे नंबर अच्छे चाहिए  कोई यमदूतों से बचना चाहता है कोई 84 कटना चाहता है मगर साहिबजी से साहिब जी को कोई नही माँगता है वाकई कोई विरला ही होगा मै ऐसे विरले सत्तसंगीयों को नमन करता हुँ.>_

🙏 _*राधास्वामी जी!*_🙏

@rssb_satsang

................ ✍🏽

RSSB Radha Swami Ji

09 Aug, 14:33


🙏_ये साखी मुझे मेरे पापा जी ने छोटे होते सुनायी थी ये सावन सिंह महाराज जी की साखी है एक बजुरग महिला थी जिसका इकलौता बेटा विदेश में रहता था और उसकी माँ  भारत में रहती थी और उस बीबी ने सावन सिंह महाराज जी से नामदान लिया हुआ था और बह बहुत भजन सिमरन करती थी और उसका विश्वास बहुत था अपने गुरु पर एक बार उसके लड़के ने भारत वापिस आने के लिये टिकट बुक करवा दी और बह अपनी फ़्लाइट का इंतज़ार कर रहा था जब उसकी फ़्लाइट की अनाउसमेंट हुई तो वह गेट की तरफ़ बड़ा ही था कि एक सफेद दाड़ी बाला बाबा जिसके सिर पर पगड़ी और हाथ में लकड़ी की खूँटी थी उस ने खूँटी आगे कर दी और उसे रोकते हुए कहा की बेटा ये आपकी फ़्लाइट नहीं है अभी इंतज़ार करो बाद मे जाना उस लड़के ने कहा नहीं बाबा मेरे पास टिकट है ये मेरी ही फ़्लाइट है लेकिन बाबा नहीं माना और उस का रास्ता रोक कर खड़े हो गया बहुत देर तक जब बाबा नहीं माना तो लड़का थक कर वापिस बैठ गया और जैसे ही बाबा वहाँ से चला गया तो बह गेट की तरफ़ भागा लेकिन जैसे ही गेट के पास पहुँचा तो बाबा ने फिर खूँटी आगे कर के उसे थोड़े डाँटने वाले स्वर में कहा कि तुझे समझ नहीं आता कि ये तेरी फ़्लाइट नहीं है चल वापिस जा ओर इसके बाद जो फ़्लाइट ✈️ आयेगी उस मे चलेजाना अंत में थक कर बह वहाँ अगली फ़्लाइट का इंतज़ार कर ने लगा और दूसरी फ़्लाइट से अपने घर वापिस भारत आ गया और अपनी मॉल के पास आ गया तभी रेडियो में ख़बर आयी की जिस फ़्लाइट में बह आ रहा था उसका एक्सीडेंट हो गया तब उसने अपनी मॉं से कहा कि मॉं के उस खूँटी वाले बाबा की सारी बातें बतायी की कैसै बाबा ने मुझे उस फ़्लाइट में आने नहीं दिया नहीं तो मैं भी आज तेरे पास नां होता जब उसकी मॉं ने उसकी सारी बात सुनी तो उसकी आँखों में आँसू आ गये ओर उसने बेटे से कहा तू रूक और बह उठ कर दूसरे कमरे में चली गई और बाबा सावन सिंह जी की तस्वीर ले आयी और लड़के को दिखा कर बोली कि क्या यही बह बाबा थे तो लड़का बौला हाँ मॉं यही थे जिन्होंने मुझे उस फ़्लाइट में चडने नही दिया नहीं तो मैं आज तेरे पास ना होता ये होता है सतगुरू का अपने सच्चे भक्तों से प्यार_
_*राधास्वामी जी*🙏_

@rssb_satsang

...................... ✍🏽

RSSB Radha Swami Ji

09 Aug, 12:38


🙏 बाबा जमल सिंह महाराज जी के अनमोल वचन 🙏

इस संसार को एक सराय, एक मुसाफिर की सराय समझो। तभी तुम मोक्ष का द्वार खोजने का प्रयास करोगे। अगर यह सराय मुसाफिर की सराय है, तो मंजिल कहां है। इसे अपने हृदय में महसूस करना बहुत जरूरी है। यह तभी संभव है जब हम निरंतर सिमरन भजन करेंगे और हुकम में रहेंगे। यही कर्म का मार्ग है। कंठ और शब्दों से कुछ नहीं होगा। दिन-रात अपनी मर्जी से संदेश भेजते रहो। कुछ नहीं होगा। असली हुकम शब्द सुनना है। यह कीमती समय लाखों की संख्या में जा रहा है। इसका ख्याल रखो। भजन-सिमरन और धुन का अभ्यास करते रहो। इसे तब तक करते रहो, जब तक तुम अपने घर नहीं पहुंच जाते।

नानक के घर में सिर्फ नाम ही खजाना है.....l

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