० गुड: A अभिप्रेरणा कार्य को आरंभ रखने, जारी रखने और नियमित करने की प्रक्रिया है।
B किसी क्रिया को उत्तेजित करने जारी रखने एवं अपेक्षित लक्ष्य तक पहुंचाने की एक विशिष्ट शक्ति को भी प्रेरणा कहते हैं।
० मैक्डूगल: अभिप्रेरणा के शारीरिक और मनोवैज्ञानिक दशाएं है, जो किसी कार्य को करने के लिए प्रेरित करती है।
० स्किनर: अभिप्रेरणा अधिगम का सर्वोच्च राजमार्ग है।
० वूडवर्थ: अभिप्रेरणा व्यक्तियों की दशा का वह समूह है जो किसी निश्चित उद्देश्य की पूर्ति के लिए निश्चित व्यवहार को स्पष्ट करती है।
० क्रो एंड क्रो के अनुसार: अभिप्रेरणा से अभिप्राय सीखने में रुचि उत्पन्न करने से है तथा यह सीखने का अधिकार है।
० गिल फोर्ड के अनुसार: अभिप्रेरणा किसी कार्य को प्रारंभ करने एवं उसे नियंत्रण बनाए रखने वाली विशेष आंतरिक व्यवस्था है।
० यंग के अनुसार: अभिप्रेरणा कार्य को प्रारंभ करने, उसे दिशा देने तथा उसकी गति को बनाए रखने वाली प्रक्रिया है।
० मैक्डोनाल्ड के अनुसार: अभिप्रेरणा व्याक्ति में एक आंतरिक शक्ति परिर्वतन है जो भावात्मक जागृति तथा पूर्वानुमति लक्ष्य प्रतिक्रियाओं द्वारा होता है।
० थॉमसन के अनुसार: अभिप्रेरणा आरंभ से लेकर अंत तक मानव व्यवहार के किसी एक या प्रत्येक कारक को प्रभावित करते हैं, जैसे:– अभिवृत्ति, रुचि, प्रणोंदय, आकांक्षाएं, कामनाएं , इच्छाए आदि।
० हिलागार्ड एवं एटकिंसन के अनुसार: अभिप्रेरणा से हमारा अभिप्राय उसे अवस्था से है जो प्राणी को कार्य करने के लिए उत्तेजित करती है अथवा प्राणी के एक बार कार्य करने के लिए तैयार हो जाने के बाद उसे उत्साहित तथा निर्देशित करती है।
० ब्लेयर, जोन्स एवं सिंपसन के अनुसार: अभिप्रेरणा एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सिखने वाले की आंतरिक शक्तियों तथा आवश्यकताएं उसके वातावरण में विभिन्न लक्ष्यो की ओर निर्देशित करती है।
० जॉनसन: अभिप्रेरणा सामान्य क्रियोओ का प्रभाव है जो मानव के व्यवहार को उचित मार्ग पर ले जाती है।