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Zuletzt aktualisiert 06.03.2025 09:32
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⏺️ *उम्र सीमा घटा कर दोबारा डिग्रियां लेकर बनी सहायक अध्यापक बर्खास्त*
_पांच साल की नौकरी के बाद पकड़ा गया फर्जीवाड़ा , वेतन की वसूली ऊपर से जेल...._
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मुगलकालीन भू-राजस्व प्रणाली
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मुगल काल में भू राजस्व प्रणाली कि अगर बात करते हैं तो यह 1580 टोडरमल की दहशाला प्रणाली से शुरू होता है हालांकि इस प्रणाली के निर्माण का श्रेय टोडरमल को दिया जाता है लेकिन वास्तव में इसे लागू करने का श्रेय शाह मंसूर को दिया जाए ,दहशाला जब्ती प्रणाली का ही एक रूप था जिसमें 10 वर्षों के औसत उपज के आधार पर कर का आकलन किया जाता था
दस्तूल अल अमल भू राजस्व के नियमों का संकलन था
जरीब ,इलाही और तनब भूमि के मापन में काम आने वाली रसिया होती थी
1588 मे अकबर के द्वारा गज ए सिकंदरी के स्थान पर गज ए इलाही को अपनाया गया
उस समय उपज 33% भू राजस्व के रूप में लिया जाता था लेकिन मुल्तान राजस्थान में 25% ही लिया जाता था हालांकि सर्वाधिक भू राजस्व शाहजहां के समय 50% तक लिया गया था लेकिन सर्वाधिक करों की वसूली औरंगजेब के समय हुई थी शाहजहां ने इजारेदारी प्रथा शुरू की थी जिसके तहत जमीन ठेके पर दी गई
भू राजस्व प्रणालियों में नगद जो कर लिया जाता था उसे जब्ती और जो नगद या उपज के किसी भी रूप में लिया जाता था उसे गल्ला बख्शी कहां जाता था जो खेत बटाई लक बंटाई और रस बटांई मैं प्रचलित था
नशक एव कनकुत मे खड़ी फसल का अनुमान के आधार पर कर का निर्धारण किया जाता था
उसमें तीन प्रकार के किसान प्रचलित थे
खुदकाशत - यह वह किसान थे जिनके पास खुद के गांव में खुद की जमीन होती थी राजस्थान में इस प्रकार के किसानों को घारु हाला या गवेती कहा जाता था
पाहीकाशत- इस प्रकार के किसानों को खेती करने के लिए दूसरे गांव जाना पड़ता था हालांकि वहां पर इनका खुद का खेत होता था
मुजारियन- यह दूसरों के खेतों में कार्य करते थे एक तरह से मजदूर थे
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प्रश्नों का व्याख्यान सहित हल
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मुगल काल में भू राजस्व प्रणाली कि अगर बात करते हैं तो यह 1580 टोडरमल की दहशाला प्रणाली से शुरू होता है हालांकि इस प्रणाली के निर्माण का श्रेय टोडरमल को दिया जाता है लेकिन वास्तव में इसे लागू करने का श्रेय शाह मंसूर को दिया जाए ,दहशाला जब्ती प्रणाली का ही एक रूप था जिसमें 10 वर्षों के औसत उपज के आधार पर कर का आकलन किया जाता था
दस्तूल अल अमल भू राजस्व के नियमों का संकलन था
जरीब ,इलाही और तनब भूमि के मापन में काम आने वाली रसिया होती थी
1588 मे अकबर के द्वारा गज ए सिकंदरी के स्थान पर गज ए इलाही को अपनाया गया
उस समय उपज 33% भू राजस्व के रूप में लिया जाता था लेकिन मुल्तान राजस्थान में 25% ही लिया जाता था हालांकि सर्वाधिक भू राजस्व शाहजहां के समय 50% तक लिया गया था लेकिन सर्वाधिक करों की वसूली औरंगजेब के समय हुई थी शाहजहां ने इजारेदारी प्रथा शुरू की थी जिसके तहत जमीन ठेके पर दी गई
भू राजस्व प्रणालियों में नगद जो कर लिया जाता था उसे जब्ती और जो नगद या उपज के किसी भी रूप में लिया जाता था उसे गल्ला बख्शी कहां जाता था जो खेत बटाई लक बंटाई और रस बटांई मैं प्रचलित था
नशक एव कनकुत मे खड़ी फसल का अनुमान के आधार पर कर का निर्धारण किया जाता था
उसमें तीन प्रकार के किसान प्रचलित थे
खुदकाशत - यह वह किसान थे जिनके पास खुद के गांव में खुद की जमीन होती थी राजस्थान में इस प्रकार के किसानों को घारु हाला या गवेती कहा जाता था
पाहीकाशत- इस प्रकार के किसानों को खेती करने के लिए दूसरे गांव जाना पड़ता था हालांकि वहां पर इनका खुद का खेत होता था
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नहर-ए-बहिश्त, दिल्ली के लाल किले में बनी एक नहर थी, जिसे शाहजहां ने बनवाया था. इसे 'जन्नत की नदी' भी कहा जाता था. यह नहर यमुना नदी से आती थी और किले के अंदर बने महलों और बागों से होकर बहती थी।
नहर-ए-बहिश्त की खास बातें
👉शाहजहां ने इसे जन्नत की नदी इसलिए कहा था क्योंकि इस नहर का बहाव और इसके किनारे की हरियाली, जन्नत जैसा अहसास कराती थी।
👉इस नहर से पूरे शाही किले में पानी की सप्लाई की जाती थी
👉इस नहर का निर्माण अहमद लाहौरी ने कराया था, जिन्होंने ताजमहल भी बनवाया था।
👉1857 में मुग़ल सल्तनत खत्म होने के बाद अंग्रेज़ों ने लाल किले के शाही बुर्ज़ को तोड़ दिया था जिसके बाद ये नहर भी सूनी पड़ गई थी।
👉साल 2021 में आर्कियोलॉजिकल सर्व (ASI) ने इसे फिर से तैयार कराया है.
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👉शाहजहां ने इसे जन्नत की नदी इसलिए कहा था क्योंकि इस नहर का बहाव और इसके किनारे की हरियाली, जन्नत जैसा अहसास कराती थी।
👉इस नहर से पूरे शाही किले में पानी की सप्लाई की जाती थी
👉इस नहर का निर्माण अहमद लाहौरी ने कराया था, जिन्होंने ताजमहल भी बनवाया था।
👉1857 में मुग़ल सल्तनत खत्म होने के बाद अंग्रेज़ों ने लाल किले के शाही बुर्ज़ को तोड़ दिया था जिसके बाद ये नहर भी सूनी पड़ गई थी।
👉साल 2021 में आर्कियोलॉजिकल सर्व (ASI) ने इसे फिर से तैयार कराया है.
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कितना संयोग की बात है
कल हमने एक दोस्त से कॉल पर बात की तो उसको हमने यही एग्जाम का मंथ बताया था...
इतिहास का एग्जाम 18 मई 2025 को होगा
सब्जेक्ट नॉलेज टेस्ट 20 जुलाई 2025
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तिष्यरक्षिता
यह श्रीलंका के सम्राट तिष्य की दासी थी और एक बार इन्होंने शासक तिष्य को सर्पदंश से पीड़ित होने पर उसका जहर भी अपने मुंह से पिया था इस प्रकार वह शासक की प्रियपात्री बन गई थी इसी समय भारत में मौर्य शासक अशोक का शासनकाल चल रहा था और उन्होंने श्रीलंका में बौद्ध धर्म प्रचार करने के लिए अपने पुत्र महेंद्र तथा संघमित्रा को भेजा था जब यह दोनों वापस आए तब शासक ने तिष्यरक्षिता को वहां के शासक ने अशोक के लिए भेंट स्वरूप भेजी... अशोक उसमें जनकल्याणकारी कार्यों में व्यस्त था तथा बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार में व्यस्त होने के कारण इसको वह ज्यादा समय नहीं दे पाया तब इससे विमुख करने के लिए तिष्य रक्षिता ने उस बोधि वृक्ष को ही कटवा दिया लेकिन दोनों के बीच उम्र का ज्यादा अंतर होने के कारण मेलजोल नहीं बैठ पाया तब तिष्यरक्षिता ने कुणाल जो उस समय में तक्षशिला का गवर्नर हुआ करता था के पास विवाह का प्रस्ताव रखा लेकिन कुणाल ने इसे इनकार कर दिया तब षडयंत्र पूर्वक तिष्यरक्षिता ने कुणाल की आंखें निकलवा दी हालांकि अशोक को इसका पता लगने पर उन्होंने तिष्यरक्षिता की हत्या करवा दी थी
इस प्रकार एक पक्षीय प्यार ने एक युवा राजकुमार की आंखें छिन ली
यहां इस तथ्य को लिखित करना प्रासंगिक होगा कि मौर्य सम्राट अशोक के मुख्य रूप से 5 रानियां थी जिसमें कुणाल पद्मावती का पुत्र था तथा कुणाल का पुत्र सम्प्रति था जो जैन धर्म का अनुयाई था।
यह श्रीलंका के सम्राट तिष्य की दासी थी और एक बार इन्होंने शासक तिष्य को सर्पदंश से पीड़ित होने पर उसका जहर भी अपने मुंह से पिया था इस प्रकार वह शासक की प्रियपात्री बन गई थी इसी समय भारत में मौर्य शासक अशोक का शासनकाल चल रहा था और उन्होंने श्रीलंका में बौद्ध धर्म प्रचार करने के लिए अपने पुत्र महेंद्र तथा संघमित्रा को भेजा था जब यह दोनों वापस आए तब शासक ने तिष्यरक्षिता को वहां के शासक ने अशोक के लिए भेंट स्वरूप भेजी... अशोक उसमें जनकल्याणकारी कार्यों में व्यस्त था तथा बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार में व्यस्त होने के कारण इसको वह ज्यादा समय नहीं दे पाया तब इससे विमुख करने के लिए तिष्य रक्षिता ने उस बोधि वृक्ष को ही कटवा दिया लेकिन दोनों के बीच उम्र का ज्यादा अंतर होने के कारण मेलजोल नहीं बैठ पाया तब तिष्यरक्षिता ने कुणाल जो उस समय में तक्षशिला का गवर्नर हुआ करता था के पास विवाह का प्रस्ताव रखा लेकिन कुणाल ने इसे इनकार कर दिया तब षडयंत्र पूर्वक तिष्यरक्षिता ने कुणाल की आंखें निकलवा दी हालांकि अशोक को इसका पता लगने पर उन्होंने तिष्यरक्षिता की हत्या करवा दी थी
इस प्रकार एक पक्षीय प्यार ने एक युवा राजकुमार की आंखें छिन ली
यहां इस तथ्य को लिखित करना प्रासंगिक होगा कि मौर्य सम्राट अशोक के मुख्य रूप से 5 रानियां थी जिसमें कुणाल पद्मावती का पुत्र था तथा कुणाल का पुत्र सम्प्रति था जो जैन धर्म का अनुयाई था।
🔱🔥 अकाल मृत्यु वो मरे जो कर्म करे चाण्डाल का , काल भी उसका क्या करे जो भक्त हो महाकाल का 🙏🙏🌺🌺
🔱🔱🪔 ऊँ नम: पार्वती पतये हर-हर महादेव 🙏🙏
🙏 आप सभी को महाशिवरात्रि पर्व की हार्दिक बधाई।।
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