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Radha Soami Santmat

09 Feb, 14:33


"गुरु महिमा का कोई अंत नहीं है। जितना जानों, जितना समझों उतना कम है। परन्तु अक्सर लोग यकीन तभी करते हैं जब ,स्वयं अपनी आँखों से देखते हैं या उसे अनुभव करते हैं। हम स्वयं गुरु कृपा के हजारों किस्से अपने माता-पिता से सुन चुके हैं। इतना ही नहीं स्वयं गुरु कृपा के पात्र भी बने हैं। परन्तु इस पोस्ट को बनाते समय आज हमें ऐसी ही एक घटना का स्मरण हो रहा है । घटना कुछ साल पहले की ही है,जब हमारे बीच उपस्थित "नीरज जी" अपने परिवार के साथ (हरिद्वार) गंगा तट पर ग‌ए थे। वहाँ लोगों को स्नान करता देख, वो भी गंगा में स्नान करने उतर ग‌ए। गंगा नदी की तीव्र प्रचंड लहरों से यूँ तो सभी लोग वाकिफ हैं। परन्तु शांत प्रवाहित गंगा नदी कब विकराल रूप धारण कर ले इसका अंदाजा किसी को नहीं होता। शायद उन्हें भी नहीं था। उनके नदी में उतरने के कुछ देर बाद ही नदी अपने विकराल रूप में आ गई। नीरज जी के पैर जमीन को छोड़ चुके थे। नदी की तीव्र प्रवाहित लहरों में वे स्वयं को नहीं संभाल पा रहे थे। दूर-दूर तक ऐसा कोई व्यक्ति भी नज़र नहीं आ रहा था जो उन्हें डूबने से बचा सके।मौत को इतनी करीब से देख उन्होंने बाबा जी से गुहार लगाई कि हे मालिक! अब क्या होगा, मैं नहीं बचुंगा। मेरी रक्षा करो..... ये सब इतनी जल्दी हुआ कि उन्हें कुछ समझ भी नहीं आ रहा था। तभी सफेद वस्त्र पहले एक सज्जन ने उनका हाथ थामा और उन्हें मौत के भंवर जाल से बाहर निकाला। उन्हें नदी तट तक सुरक्षित भी पहुंचाया। कुछ संभलने के बाद जब नीरज जी ने चारों तरफ़ नजर दौड़ाई तो वह शख्स उन्हें कहीं नहीं दिखाई दिया । मानों ईश्वर ने ही मानव रूप धारण कर उनकी जान बचाई हो । ये ऊपर वाले की कृपा का ही नतीजा है कि नीरज जी आज अपने परिवार सहित सकुशल जीवन यापन कर रहे हैं और हमारे बीच उपस्थित भी हैं। आज भी जब वो इस घटनाक्रम को याद करते हैं तो डर जाते हैं। साथ ही मालिक का शुक्रिया भी अदा करते हैं, जिन्होंने इतनी मुश्किल घड़ी में उन्हें संभाला। गुरु का ध्यान करोगे तो गुरु कृपा ऐसे ही मिलती है। अगर आप उसे मानते हैं, याद करते हैं तो वो भी आपको याद करता है।
इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी हमें स्वयं नीरज जी ने ही दी थी। जो बात उन्होंने हमें बतायी थी वहीं हम आप सबको बता रहे हैं । नीरज जी ! आज हमने आपकी बात सबके सामने रख दी,उम्मीद है आपको बुरा नहीं लगेगा। परन्तु क्या करें ,यादें हैं कभी भी वापस आ जातीं हैं।

गुरू प्यारी साध संगत जी सभी सतसंगी भाई बहनों और दोस्तों को हाथ जोड़ कर प्यार भरी राधा सवामी जी...🙏🙏

Radha Soami Santmat

07 Jan, 03:11


Radha Soami Ji!

Huzur maharaj ji ka pahla satsang 🙏🏻😇

Radha Soami Santmat

05 Jan, 16:20


Today Dubai Question Answer
🙏🌹❤️🆚❤️🌹🙏
boy question

baba ji mai truck chalta hu yehh dubai me hum log bhaut sara saman lekar bhar bhi jata ji

baba ji hum jis restaurant me khana khate hai wahh par

veg aur non veg dono milta hai

baba ji wahh par khanae see hamare bhi karma banege ji


baba ji answer

hanji bikul beta banege beta hume sabh kuch dekha na aur hume jho insan non veg khata hai usi se bhi thora dhur rahna chaiye kyuki yeh karmi ka marg hai jho jho tu karege wahi tu barega

mere kam hai ki aap sabhi ko sach ka ahsas ki baat batu ji sach yeh hai
karma banege ji


Lady Question🌸

Baba ji Meri Mother Ne

Byy Pass karwa Hai Aur Woo Hum Sabhi Ko Bolti Hai Ji Ki Me Kisi Ke Upar Depends Nhi Reh Sakti Ji


Baba ji Answer💐

Beta Dependence Ka Yeh Matlab Nhi Hai Ji

Yeh Toh Karma Ki Baat Hai Ji

Phle Hum Chote Hote the Toh Hum Apne Maa Baap Ke Upar Depends the Ab Woo Hum Par Hai Ji


Yeh Sab Karma Ki Baat Hai

Isliye Mai Hamesha Kehta Hu Karma Ka Hisab Toh Sabhi Ko Dene Hai Ji

Chote Ko Vee Bade Ko Vee


Boy Question🌸

phle uss boy ne rote rote baba ji ko Radha Soami ji bola

fir baba ji meri life me bahut kush chal raha hai mai bahut dukhi hu aur depression me hu


baba ji Answer💐

beta yeh hamare pishle janma ke karma hai ji isliye hamari life me bhaut khush chal raha hai aur hum dukhi hai

fir woo larka babaji ke samne behosh😟 ho Gaya

fir baba ji ne sewadar ko ishara kiya fir medical staff wale usee lekar Gaye ji

Boy Question🌸

Baba ji Hum Dubai Me Rahte Hai jaha Par Hum Se Bahut Sari Galtiyan Ho Jati Hai Ji

Baba ji Kya App Hume Baksh lo gaye ji


Baba ji Answer💐


Bikul Nhi Ji

Ab Time Chala Gaya Ji Baksh Ne Ka Yeh Baba Bhaut Khatarnaak Hai Ji Yeh Kisi Ki Bhi Galatiyon Ko Bhi Nhi Bakshshe Gaa

Jo Apne Karma Kiya Uska Hisab Kitab Jarur Hoga Ji

Sirf Bhajan Simran Karte Karte Hi Hume Uss Karma Ke Hisab Kistab Ko Dete Waqt Himaat Milegi Ji


Aur Kuchh Bhi Nhi Hone Wala Hai Ji



Boy Question🌸

Baba ji Apka Ajj 3 Saal Baad Apka Program Dubai Me Ho Raha Hai

Baba ji App Har Saal Dubai Aya Karoo Please

Baba ji Answer💐

Accha Beta Mai Apke Ata Hu Aur Mere Pass Nhi Ate Hai Ji


Mai Toh Roj Roj Ata Hu Apke Pass Par App Sabhi Ate Hi Nhi Mere Pass

Apko Kya Lagta Hai Baap Ko Apne Baccho Ki Yaad Nhi Ati

Baba ji Ki Eyes Par Uss Waqt Thora Pani Agya Ji

Kabhi Kabhi App Sabhi Bhi Ajyae Karo

Apne Bhaap Se Milne Beta
🙏🌹❤️🆚❤️🌹🙏
(Baba Ji ka Heart touching and Emotionally Jawab see🥺🤲🏻)

Radha Soami Santmat

05 Jan, 15:54


Dubai

Radha Soami Santmat

21 Dec, 07:34


🙏🙏 राधा स्वामी जी 🙏🙏

साखी

एक भाई ने जवानी के दिनों में हुज़ूर महाराज जी से नामदान लिया था जी, और शुरू से ही क्रोध लोभ अहंकार जैसे बुरे विकारों से दूर रहता था जी, लेकिन इसके अंदर सिर्फ एक कमी थी कि ये भजन सिमरन नहीं करता था, जब भी हुजूर जी इस भाई से मिलते तो समझाते कि भाई भजन सिमरन कब करेगा,, तो इसका जवाब होता की अभी तो बहुत उम्र पड़ी है अभी बच्चे बहुत छोटे हैं पहले ये अपने पैरों पर खड़े हो जाएं फिर मैं काम से retirement le लूंगा और सारा समय भजन सिमरन को ही दूंगा,,,हुजूर महाराज जी सत्संगी की बात सुन कर मुस्कुराए और कह देते कि जैसी तेरी मर्जी,, कुछ साल और बीत गए तो हुजूर जी फिर इस सत्संगी के पास आए और कहने लगे कि भाई अब तो तेरे बच्चे भी अपने पैरों पर खड़े हो गए तेरा सारा व्यापार संभाल रहे हैं अब तो तेरे पास समय ही समय है ,,, तो इस बात पर सत्संगी का जवाब होता है अभी कहां महाराज जी अभी मेरे बच्चों को बिजनेस की इतनी समझ कहां है इसलिए मुझे खुद ही इनके साथ बैठना पड़ता है हुजूर जी फिर से कह देते कि जैसी तेरी मर्जी ,,,, कुछ साल और बीत गए तो हुजूर जी फिर इस सत्संगी के पास आए और कहने लगे कि भाई अब तो कर ले भजन सिमरन तो सत्संगी का जवाब होता की हुज़ूर जी अभी तो मुझे अपने पोते पोतियों को संभालना है मेरे बच्चे इन्हें सम्भाल नहीं पाते ये बड़े हो जाएं तो फिर मेरे पास वक्त ही वक्त है हुज़ूर जी फिर मुस्कुरा कर कह देते कि जैसी तेरी मर्जी,,,,कुछ साल बाद हुज़ूर जी के पास खबर आई कि उस सत्संगी ने चोला छोड़ दिया है,, हुज़ूर जी उस सत्संगी के घर गए तो वहां देखा कि घर के बाहर एक कुत्ता बैठा हुआ है ,,, और ये उसी सत्संगी का अगला जन्म था हुजूर ने फिर से पूछा कि भाई अब तू कहे तो तुझे मुक्ति दिलवा दूं तू कुत्ते की जूनी में आया है सत्संगी कहने लगा अभी कहां महाराज जी ,,, मुझे खुद मेरे घर की रखवाली करनी पड़ती है बच्चे बहुत लापरवाह हैं घर में चोर ना घुस जाए इसलिए मुझे खुद यहां बैठ कर रखवाली करना पड़ती है ,, कुछ साल बाद हुज़ूर जी फिर इस सत्संगी के घर गए और इस बार सत्संगी सांप की जूनी में जा चुका था और उसी घर के अंदर घुस गया था और इसके बच्चे पोत पोतियों ने लाठियों से इसको मार दिया ,, और अब ये सत्संगी कीड़े की जूनी में पहुंच चुका था और उसी घर के बाहर एक नाली में रहने लगा था हुज़ूर जी इसके पास आए और पूछा कि भाई अब कोई कसर रह गई है या अब कर दूं तुझे मुक्त ,, कीड़े की जूनी में गया सत्संगी कहने लगा कि अब मुझे मुक्ति दिलवा दो अब यहां और नहीं रहा जाता,,,

महाराज जी मुस्कुरा पड़े और कहने लगे कि भाई अगर तभी मेरी बात मान ली होती जब तू इंसानी जूनी में था तो मैं वहीं से तुझे अपने साथ ले जाता लेकिन तूने मेरी बात नहीं मानी और इतना कुछ भोग कर तुझे अकल आई है,,,

साध संगत जी ये हाल उस अकेले सत्संगी का नहीं है हम सबका भी यही हाल है इसलिए समय रहते हमें भजन सिमरन पर ध्यान देना है जी ,,,,

🙏🙏🙏 राधा स्वामी जी 🙏🙏🙏

Radha Soami Santmat

19 Dec, 14:01


*एक बार सोचना🥺*

एक सेवादार भाई ने ऐसा मैसेज भेजा कि जिसने मुझे अपने आप पर सोचने पर मजबूर कर दिया।
वो भाई लिखते हैं...
"शुरू शुरू में मुझे बाबा जी की दया से सेवा का मोका मिला।मुझे डेरे में कोई नहीं जानता था,ना मेरे पास कोई बैज था।ना कोई पहचान।
बस दिल में शुक्राना था, कि हे मालिक आप का लाख लाख शुक्र है,जो आपने मुझ तुच्छ को इस अनमोल सेवा का मौका बक्शा,और साथ ही डर भी था कि कहीं कुछ गलत न कर बैठूं,कहीं किसी का दिल न दुखा बैठूं।मुझे जहां भी सेवा मिलती, मैं बड़े प्रेम से,आंखों में शुक्राने के आंसू लिए चुपचाप वो सेवा करता रहता और मेरा सिमरन खूब चलता।लंगर मिलता तो कई बार तो शुक्राने के आंसुओं से मेरी थाली भी गीली हो जाती। मैं जैसे तैसे आंसू छुप छुपा कर लंगर करता।

धीरे धीरे समय बीत गया,और आज भी बाबा जी ने मुझे सेवा बक्शी हुई है।
आज मेरा बैज भी है,और सारे भाई इसको पक्का बैज कहते हैं। आज मुझे डेरे में बहुत भाई जानते हैं।और बड़े बड़े इंचार्ज साहिबान में भी काफी पहचान है। मेरी कार और फोन की भी पर्ची बनी हुई है।और यहां तक की मुझे वो वाकी टाकी भी दिया जाता है।
और ये सब इसलिए क्योंकि मैं पक्का सेवादार हो गया हूं।
पर,, पता नहीं क्यों आज मुझे शुक्राने के आंसू नहीं आते?
आज मुझे वो डर भी महसूस नहीं होता।और आज मैं अक्सर "उसने" ऐसा किया,"वो" ऐसे है,जैसी बातें करता हूं।
आज मेरा सिमरन नहीं चलता।आज मेरी बोली में मिठास नहीं रही।
और लंगर में मैं अक्सर सोचता और बोलता हूं की ओह आज फिर से वही बना है,,या वो नही है क्या?
आज मुझमें "मैं" "मेरा" जैसे भाव बहुत उफान पर हो जाते हैं।
ऐसा लगता है जैसे आज मेरी सेवा को तारीफ चाहिए,आज मेरे बारे में डेरे में ज्यादा से ज्यादा भाई जाने।और यहां तक कि मेरे भजन सिमरन के समय में कमी हो गई है।आज मैं अकेला चुपचाप किसी कोने में सेवा नहीं कर पाता हूं,आज मुझे सेवा पर कार का,फोन का पास चाहिए।
और न जाने कितनी सहुलियत मन मांगता है।
अब मुझे समझ नहीं आता कि क्या मैं वाकई "पक्का" सेवादार हो गया हूं? मैं बहुत हैरान हूं😔😔🤐🤐

"क्या यह हाल हम सबका नहीं है सोचिये" ?

Radha Soami Santmat

18 Dec, 23:04


*एक सवाल पूछें अपने आप से हम लोग ?..*

*...क्या हमारी वो ही लगन है जो लाइन में पर्ची लेने के वक़्त थी --*
*-- हाथ पैर कांप रहे थे कि कहीं हमें बाहर ना निकाल दें --*
*--और हम लगातार फरियाद और प्रार्थना कर रहे थे कि एक बार नामदान की बक्शीश मिल जाये हमें ,तो हम बहुत भजन-सिमरन करेंगे --*
*🧘🏻‍♂तो क्या नामदान की बक्शीश के बाद उतनी तड़फ उतनी विरह उतनी कशिश के साथ पूरा पूरा वक़्त सच्ची लगन से देते हैं हैं हम लोग , वो भी अपने ही लिये ना कि किसी और के लिये --*
*--अगर नहीं तो --*
*-- क्यूँ नहीं --*
*-- क्या सतगुरु पर विश्वास नहीं है --*
*-- या फिर आसानी से मिल गया इसलिये ☝🏻नाम की कद्र नहीं है --*
*--अगर कद्र नहीं तो ; एक बार ब्यास जाओ , नामदान की पर्चियों की लाइन में लगी संगत को जाकर देखो ; और जिनको पर्ची नहीं मिली उनकी आंखों में वो दर्द ,और तड़फ देखना जो वो जुबान से बयान नहीं कर सकते --*
*-- जब आप पूछोगे क्यूँ नहीं मिली पर्ची तो उनकी आंखों से आसुओं की धारा बह जायेगी --*😭
*आखिर कहाँ है वो हमारे सतगुरु के लिए प्यार ? कहाँ है वो कसमें वादे ?--*
*क्या हम सतगुरु से बेवफाई नहीं कर रहे हैं ? अगर हमें जब कोई दोखा दे दे तो हम कितना दुखी होते हैं ; --*
*--मान लीजिए आपसे किसी ने उधार पैसे लिये और आपने दया करके उसे पैसे दे भी दिये मगर ;-- और कुछ दिनों बाद वो आपसे बोलचाल ही बन्द कर दे और कहे कि पैसे आयेंगे तब लौटा दूंगा तब कैसा लगेगा आपको ?--*
*कितना गुस्सा आयेगा आपको--*

*हम भी सतगुरु से ऐसे ही कहते हैं ; टाइम नहीं मिलता , मन नहीं लगता , वगैरा वगैरा --*
*-- पर फिर भी सतगुरु हमें बड़े प्यार से समझाते हैं कि सिमरन करो --*

*जिस दिन से हमें पता चल गया ना कि नाम की कमाई का कितना ज्यादा फायदा है उस दिन से सिमरन --सिमरन और सिर्फ सिमरन ही करते रहेंगे हम लोग --*
*--सतगुरुजी को स्टेज पर तो सब लोग हस्ते हुए ही देखना चाहते हैं ; पर असल में उनकी खुशी किस में है ये हमें अच्छी तरह पता है तो क्या हम उन्हें देते हैं वो खुशी रोज़ाना ?--*
*जब उस कुल मालिक ने हम पर इतनी दया की है ,हमें पूरा गुरु भी मिला है ; --*
*तो आइये हम लोग भी ये प्रण करें कि हम अपने सतगुरु को खुश करेंगे ताकि सतगुरु को भी लगे कि उनके बच्चे अब नालायक नहीं रहे , और कहना मानने लगे हैं --*

*🧘🏻‍♀सिमरन करने लगे हैं -----🧘🏻‍♂


RADHA SOAMI JI

Radha Soami Santmat

17 Dec, 14:53


*सत्संग का फल*

*एक था मजदूर। मजदूर तो था, साथ-ही-साथ किसी संत महात्मा का प्यारा भी था। सत्संग का प्रेमी था। उसने शपथ खाई थी! मैं उसी का बोझ उठाऊँगा, उसी की मजदूरी करूँगा, जो सत्संग सुने अथवा मुझे सुनाये. प्रारम्भ में ही यह शर्त रख देता था। जो सहमत होता, उसका काम करता।*
*एक बार कोई सेठ आया तो इस मजदूर ने उसका सामान उठाया और सेठ के साथ वह चलने लगा। जल्दी-जल्दी में शर्त की बात करना भूल गया। आधा रास्ता कट गया तो बात याद आ गई। उसने सामान रख दिया और सेठ से बोला:- “सेठ जी ! मेरा नियम है कि मैं उन्हीं का सामान उठाऊँगा, जो कथा सुनावें या सुनें। अतः आप मुझे सुनाओ या सुनो।*
*सेठ को जरा जल्दी थी। वह बोला- “तुम ही सुनाओ।” मजदूर के वेश में छुपे हुए संत की वाणी से कथा निकली। मार्ग तय होता गया। सेठ के घर पहुंचे तो सेठ ने मजदूरी के पैसे दे दिये। मजदूर ने पूछा:- क्यों सेठजी ! सत्संग याद रहा?” “हमने तो कुछ सुना नहीं। हमको तो जल्दी थी और आधे रास्ते में दूसरा कहाँ ढूँढने जाऊँ? इसलिए शर्त मान ली और ऐसे ही ‘हाँ… हूँ…..’ करता आया।*
*हमको तो काम से मतलब था, कथा से नहीं।”भक्त मजदूर ने सोचा कि कैसा अभागा है ! मुफ्त में सत्संग मिल रहा था और सुना नहीं ! यह पापी मनुष्य की पहचान है। उसके मन में तरह-तरह के ख्याल आ रहे थे. अचानक उसने सेठ की ओर देखा और गहरी साँस लेकर कहा:- “सेठ! कल शाम को सात बजे आप सदा के लिए इस दुनिया से विदा हो जाओगे। अगर साढ़े सात बजे तक जीवित रहें तो मेरा सिर कटवा देना।”जिस ओज से उसने यह बात कही, सुनकर सेठ काँपने लगा। भक्त के पैर पकड़ लिए। भक्त ने कहा:- “सेठ! जब आप यमपुरी में जाएँगे तब आपके पाप और पुण्य का लेखा जोखा होगा, हिसाब देखा जाएगा।* *आपके जीवन में पाप ज्यादा हैं, पुण्य कम हैं। अभी रास्ते में जो सत्संग सुना, थोड़ा बहुत उसका पुण्य भी होगा। आपसे पूछा जायेगा कि कौन सा फल पहले भोगना है? पाप का या पुण्य का ? तो यमराज के आगे स्वीकार कर लेना कि पाप का फल भोगने को तैयार हूँ पर पुण्य का फल भोगना नहीं है, देखना है। पुण्य का फल भोगने की इच्छा मत रखना। मरकर सेठ पहुँचे यमपुरी में।*
*चित्रगुप्तजी ने हिसाब पेश किया। यमराज के पूछने पर सेठ ने कहा:- “मैं पुण्य का फल भोगना नहीं चाहता और पाप का फल भोगने से इन्कार नहीं करता। कृपा करके बताइये कि सत्संग के पुण्य का फल क्या होता है? मैं वह देखना चाहता हूँ।” पुण्य का फल देखने की तो कोई व्यवस्था यमपुरी में नहीं थी। पाप- पुण्य के फल भुगताए जाते हैं, दिखाये नहीं जाते। यमराज को कुछ समझ में नहीं आया। ऐसा मामला तो यमपुरी में पहली बार आया था।*
*यमराज उसे ले गये धर्मराज के पास। धर्मराज भी उलझन में पड़ गये। चित्रगुप्त, यमराज और धर्मराज तीनों सेठ को ले गये। सृष्टि के आदि परमेश्वर के पास । धर्मराज ने पूरा वर्णन किया।*
*परमपिता मंद-मंद मुस्कुराने लगे। और तीनों से बोले:- “ठीक है. जाओ, अपना-अपना काम सँभालो।” सेठ को सामने खड़ा रहने दिया। सेठ बोला:- “प्रभु ! मुझे सत्संग के पुण्य का फल भोगना नहीं है, अपितु देखना है।”*
*प्रभु बोले:- “चित्रगुप्त, यमराज और धर्मराज जैसे देव आदरसहित तुझे यहाँ ले आये और तू मुझे साक्षात देख रहा है, इससे अधिक और क्या देखना है?”*
*एक घड़ी आधी घड़ी,आधी में पुनि आध। तुलसी सत्संग साध की, हरे कोटि अपराध।*।
*जो चार कदम चलकर के सत्संग में जाता है, तो यमराज की भी ताकत नहीं उसे हाथ लगाने की*।
*सत्संग-श्रवण की महिमा इतनी महान है. सत्संग सुनने से पाप-ताप कम हो जाते हैं। पाप करने की रूचि भी कम हो जाती है। बल बढ़ता है दुर्बलताएँ दूर होने लगती हैं।*

सभी प्यारे दोस्तों को भाई बहनों को हाथ जोड़ कर प्यार भरी राधा सवामी जी...🙏🙏

Radha Soami Santmat

12 Dec, 03:58


Today is 12 December, birthday of our beloved Maharaj charan Singh ji. Maharaj ji was born on 12 December 1916. He was nominated as the successor of Beas Guru Gaddi in 1951 by Maharaj Jagat Singh ji. He initiated many people during his tenure as Satguru and spread Sant mat teachings all around the world through his satsangs, books and world tours. Maharaj ji merged into the Supreme Light on 1 June 1990. We all miss Maharaj ji a lot. Let us remember him today and always by following his teachings sincerely. 🙏🌹🌼🌻🌸🌷

Radha Soami Ji

Radha Soami Santmat

09 Dec, 10:06


*महाराज जी के जानशीन सतगुरु गुरिन्दर सिंह जी का गद्दीनशीनी के समय का भाषण*

*_जून 10, 1990_*

*हुजूर महाराज जी जिस तरह चोला छोड़कर चले गए हैं उसका दुःख हम सबको इतना है कि बयान नहीं किया जा सकता। वह एक छोटी-सी बीमारी का बहाना करके उस प्रेम और ज्योति के स्त्रोत में वापस समा गए, जहाँ से वह आए थे, जिसके कारण संसार में एकदम अंधेरा छा गया। डॉक्टरी तौर पर तो हुजूर ठीक हो सकते थे लेकिन उन्हें सौंपा हुआ रूहानी कार्य समाप्त करके उन्होंने चोला छोड़ने का फ़ैसला कर लिया था। यह दास इस समय संगत की सेवा में कुछ कहने-सुनने के योग्य नहीं है पर फिर भी बड़े महाराज जी और प्यारे सतगुरु महाराज जी के हुक्म के अनुसार आपकी सेवा में हाज़िर हुआ हूँ। मैं तो कुछ निजी कार्यों के लिए और महाराज जी के चरणों में ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त बिताने के लिए डेढ़ महीने की छुट्टी पर आया था, सारी संगत की तरह मुझे भी महाराज जी के इतनी जल्दी चोला छोड़ जाने की कल्पना तक नहीं थी। मैंने तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरे सतगुरु इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी का भार मेरे सिर पर डाल देंगे। मैं अपने आप को इस सेवा के योग्य नहीं समझता और मैं तो संगत के चरणों की धूल हूँ। मैं जब अपनी कमज़ोरियों की ओर ध्यान देता हूँ तो सोचता हूँ कि संगत की सेवा का यह भारी बोझ किस तरह उठाऊँगा*

*महाराज जी की दया-मेहर के बिना मैं कुछ भी करने के योग्य नहीं हूँ। मैं समझता हूँ जो सेवा हुजूर महाराज जी मुझे सौंप गए हैं, वह सेवा सतगुरु खुद ही मुझसे एक कल-पुरज़े की तरह करवा लेंगे।*

*हालात की वजह से मैं अपने आप को खोया-खोया और स्तब्ध महसूस करता हूँ पर इस समय सतगुरु का हुक्म मानने के सिवाय मेरे पास कोई चारा नहीं। मैं इस आशा और विश्वास के साथ सेवा आरंभ करने जा रहा हूँ कि संगत मुझे अपना दास समझकर पूरा सहयोग देगी और जो प्यार का भंडार उनके पास महाराज जी के लिए है, उसमें से थोड़ा-सा प्यार मेरी झोली में भी डालने की कृपा करेगी। इन शब्दों के साथ मैं अपने आप को संगत की सेवा में अर्पण करता हूँ।*

*आओ, हम सब बाबा जी और अपने प्यारे सतगुरु से प्रार्थना करें कि वे इस दुःख-भरी घड़ी में अपनी मेहर और बख़्शिश का हाथ अपने सेवकों के ऊपर रखें जैसे कि वे सदा रखते आए हैं। हम सबको चाहिए कि महाराज जी की ऊँची और सच्ची शिक्षा को मानें-जो लगभग चालीस वर्ष तक वह हमें देते रहे हैं-कि नाम जपने के बिना जीव का उद्धार नहीं हो सकता और सुरत को शब्द के साथ जोड़ना ही मालिक की प्राप्ति का एकमात्र रास्ता है। हम सबको हुजूर महाराज जी की उच्च और महान शिक्षा में पूरा विश्वास रखकर, उनके जीवन के उच्च उदाहरण से प्रेरणा लेकर अपने जीवन को सही ढंग से ढालकर अच्छे सत्संगी बनने की कोशिश करनी चाहिए और प्रेम प्यार के साथ भजन-सिमरन करना चाहिए।*

*सतगुरु के अंतिम दर्शन करने के लिए दूर-दूर से और भारी गिनती में संगत डेरे आई और आज भी मैं देख रहा हूँ कि देश-विदेश से भारी गिनती में संगत मौजूद है। इस कड़ाके की गरमी में संगत को काफ़ी मुश्किलें आई होंगी और हो सकता है कि हमारे प्रबंध में कई कमियाँ रही हों, जिसके लिए मैं संगत से माफ़ी चाहता हूँ।*

*हम आप सबके हृदय से आभारी हैं कि आप महाराज जी को हमारे साथ श्रद्धांजलि भेंट करने के लिए आए हैं और मुझे भी आप सबसे मिलने का मौक़ा प्राप्त हुआ है।💐🥺🌸😞*

Radha Soami Santmat

30 Nov, 11:42


RSSB Book Stall at Ahmedabad Internation Book Festival

Radha Soami Santmat

29 Nov, 16:59


*RSSB - BAV @ Ahmedabad International Book Festival*


गुरु प्यारे भाईयों और बहनों,

स्नेह और आदर के साथ यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि *राधा स्वामी सत्संग ब्यास* इस साल *अहमदाबाद इंटरनेशनल बुक फेस्टिवल* में भाग ले रहा है।

🗓 *तारीख*: 30 नवंबर 2024 से 8 दिसंबर 2024

📍 *स्थान*: स्टाल no. 118, हॉल-B,
*इवेंट सेंटर* (Entry from Gate no.4)
*साबरमती रिवरफ्रंट*,
*अटल ब्रिज के पास*,
*फ्लावर पार्क के पास* , *पालड़ी*
*अहमदाबाद*

(https://maps.app.goo.gl/En9fQpcamt8e13aw8)

*समय*: सुबह 11:00 बजे से रात 9:00 बजे तक

हम आप सभी *संगत और सेवादारों* को सप्रेम आमंत्रित करते हैं ,
प्रवेश निशुल्क है, और आपकी उपस्थिति का हार्दिक स्वागत है।

सप्रेम,

एडमिनिस्ट्रेशन,
अहमदाबाद

Note .. Parking facility available at Multilevel parking opposite event centre

Radha Soami Santmat

24 Nov, 10:02


Naam Daan Registration Programme 2025 (1st Half) for Beas and Major Satsang Centres.

Radha Soami Santmat

21 Nov, 12:26


डेरा ब्यास में सेल्फ कैशलेस रिचार्ज एटीएम मशीनें शुरू हो गई हैं..🙏🏻

आपकी सुविधा के लिए गेट नंबर 5 पर डेरा कूपन-कार्ड रिचार्ज मशीन लगाई गई है....

Radha Soami Santmat

20 Nov, 15:11


2025 India Satsang Schedule
Updated on 20
th November 2024

Radha Soami Santmat

20 Nov, 15:10


2025 India Satsang Schedule
Updated on 20
th November 2024

Radha Soami Santmat

18 Nov, 03:54


😇🙏🏻😇

Radha Soami Santmat

04 Nov, 05:52


आज के दिन 4 नवंबर 1951 को हुज़ूर महाराज चरण सिंह जी गुरु गद्दी पर बिराजमान हुए थे। आप ने राधा स्वामी सत्संग ब्यास के सतगुरु के रूप में 40 साल संगत की सेवा, सत्संग और नाम का प्रचार किया। आप ने इस समय के दौरान 12, 92, 699 जीवों को नाम की बख़्शिश की।
🤲🙏🙇💐

Radha Soami Santmat

01 Nov, 16:32


Radha Soami Ji 🙏 ❤️
Jin Sangat ko ajj RSSB Suratgarh Centre Rajasthan mein Naamdaan ki parchi mili hai ji unko 4 November 2024 ko Baba Ji Naamdaan ki bakhshish kareinge ji🙏

Pandal Entry Timing 6:00 A.M. to 7:00 A.M. hai ji

Note :- Sangat apne sath Naamdaan parchi aur Aadhar Card jrur laye ji🙏🙏🙏

Radha Soami Santmat

29 Oct, 09:36


2025 India Satsang Schedule

Updated on 29th October 2024

Radha Soami Santmat

22 Oct, 03:20


राधा स्वामी जी संगत को सुचित किया जाता है जी दिल्ली भाटी केंद्र के अक्टूबर माह का नामदान कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है संगत को बताया जाता है कि अक्टूबर महीने का नामदान कार्यक्रम अब दिसंबर महीने में होगा टेंशन की कोई बात नहीं है राधा स्वामी जी 🙏

Radha Soami Santmat

08 Oct, 07:58


Baba Gurinder Singh and Hazur Jasdeep Singh were invited to Armenia at the invitation of the Patriarch Raphael Bedros, of the Armenian Catholic Church. The invitation included a visit to the Holy Father, Pope Francis at the Vatican.

At the meeting with the Patriarch, Baba Ji and Hazur Ji spoke about the common ties that bind all faiths to the Creator. While we may have been separated by distance and language, our journey to return home and live in His will remains the unifying goal.

On the 5th of October Baba Gurinder Singh and Hazur Jasdeep Singh had an audience with Pope Francis. The Patriarch Raphael Bedros was also present at the meeting.

Baba Ji started the meeting with an introduction of RSSB and stressed the commonality between the different faiths of the world. As an example he spoke about the importance of the “Word” and the “Shabad” amongst our paths. In both Catholicism and Sant Mat the creation began with the Word/Shabad and is sustained with the energy of the Creator through the Shabad. Baba Ji mentioned RSSB publishes over a hundred books that highlight the commonality between the faiths of the world and that the ultimate goal of all is to be one with the Creator.

The Holy Father, Pope Francis, stated that he respected any institution that laid emphasis on the unity amongst all people. That amongst this time of global uncertainty and conflict, harmony was essential and all of us must work towards that common goal.
Baba Ji also presented a set of books to Pope Francis, published by RSSB, that highlight how each faith in its own way has sought to lay a path of the journey of the soul to return to its Creator.

Baba Ji and Hazur Ji also visited Armenia, this was their first visit to the country and they left with fond memories of the people, the culture and the history of this ancient country.

The Holy Father Pope Francis requested Baba Ji to pray for him as he would in turn pray for Baba Ji. 🙏