🙏🙏 राधा स्वामी जी 🙏🙏
साखी
एक भाई ने जवानी के दिनों में हुज़ूर महाराज जी से नामदान लिया था जी, और शुरू से ही क्रोध लोभ अहंकार जैसे बुरे विकारों से दूर रहता था जी, लेकिन इसके अंदर सिर्फ एक कमी थी कि ये भजन सिमरन नहीं करता था, जब भी हुजूर जी इस भाई से मिलते तो समझाते कि भाई भजन सिमरन कब करेगा,, तो इसका जवाब होता की अभी तो बहुत उम्र पड़ी है अभी बच्चे बहुत छोटे हैं पहले ये अपने पैरों पर खड़े हो जाएं फिर मैं काम से retirement le लूंगा और सारा समय भजन सिमरन को ही दूंगा,,,हुजूर महाराज जी सत्संगी की बात सुन कर मुस्कुराए और कह देते कि जैसी तेरी मर्जी,, कुछ साल और बीत गए तो हुजूर जी फिर इस सत्संगी के पास आए और कहने लगे कि भाई अब तो तेरे बच्चे भी अपने पैरों पर खड़े हो गए तेरा सारा व्यापार संभाल रहे हैं अब तो तेरे पास समय ही समय है ,,, तो इस बात पर सत्संगी का जवाब होता है अभी कहां महाराज जी अभी मेरे बच्चों को बिजनेस की इतनी समझ कहां है इसलिए मुझे खुद ही इनके साथ बैठना पड़ता है हुजूर जी फिर से कह देते कि जैसी तेरी मर्जी ,,,, कुछ साल और बीत गए तो हुजूर जी फिर इस सत्संगी के पास आए और कहने लगे कि भाई अब तो कर ले भजन सिमरन तो सत्संगी का जवाब होता की हुज़ूर जी अभी तो मुझे अपने पोते पोतियों को संभालना है मेरे बच्चे इन्हें सम्भाल नहीं पाते ये बड़े हो जाएं तो फिर मेरे पास वक्त ही वक्त है हुज़ूर जी फिर मुस्कुरा कर कह देते कि जैसी तेरी मर्जी,,,,कुछ साल बाद हुज़ूर जी के पास खबर आई कि उस सत्संगी ने चोला छोड़ दिया है,, हुज़ूर जी उस सत्संगी के घर गए तो वहां देखा कि घर के बाहर एक कुत्ता बैठा हुआ है ,,, और ये उसी सत्संगी का अगला जन्म था हुजूर ने फिर से पूछा कि भाई अब तू कहे तो तुझे मुक्ति दिलवा दूं तू कुत्ते की जूनी में आया है सत्संगी कहने लगा अभी कहां महाराज जी ,,, मुझे खुद मेरे घर की रखवाली करनी पड़ती है बच्चे बहुत लापरवाह हैं घर में चोर ना घुस जाए इसलिए मुझे खुद यहां बैठ कर रखवाली करना पड़ती है ,, कुछ साल बाद हुज़ूर जी फिर इस सत्संगी के घर गए और इस बार सत्संगी सांप की जूनी में जा चुका था और उसी घर के अंदर घुस गया था और इसके बच्चे पोत पोतियों ने लाठियों से इसको मार दिया ,, और अब ये सत्संगी कीड़े की जूनी में पहुंच चुका था और उसी घर के बाहर एक नाली में रहने लगा था हुज़ूर जी इसके पास आए और पूछा कि भाई अब कोई कसर रह गई है या अब कर दूं तुझे मुक्त ,, कीड़े की जूनी में गया सत्संगी कहने लगा कि अब मुझे मुक्ति दिलवा दो अब यहां और नहीं रहा जाता,,,
महाराज जी मुस्कुरा पड़े और कहने लगे कि भाई अगर तभी मेरी बात मान ली होती जब तू इंसानी जूनी में था तो मैं वहीं से तुझे अपने साथ ले जाता लेकिन तूने मेरी बात नहीं मानी और इतना कुछ भोग कर तुझे अकल आई है,,,
साध संगत जी ये हाल उस अकेले सत्संगी का नहीं है हम सबका भी यही हाल है इसलिए समय रहते हमें भजन सिमरन पर ध्यान देना है जी ,,,,
🙏🙏🙏 राधा स्वामी जी 🙏🙏🙏