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Har shabd ek kahani sunata hai.
Aaiye ise saath mein sunte hai.
📖✨
PART OF @astralrealm01
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آخر تحديث 09.03.2025 12:03
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One of the delusionary nazm by Jaun sahab for his imaginary love Mrs. Fareha
(Nazm lyrics in comments)
(Nazm lyrics in comments)
इंद्र जिम जंभ पर बाड़व ज्यौं अंभ पर रावन सदंभ पर रघुकुलराज है!
पौन बारिबाह पर संभु रतिनाह पर ज्यौं सहस्रबाहु पर राम द्विजराज है!
दावा द्रुमदंड पर चीता मृगझुंड पर भूषन बितुंड पर जैसे मृगराज है!
तेज तम-अंस पर कान्ह जिम कंस पर यौं मलेच्छ-बंस पर सेर सिवराज है ॥
The legacy of Shivaji Maharaj remains vibrant and influential to this day.
ASPIRE.
RECLAIM.
CONQUER.
ऐसा राजा पुन्हा न होणे…
शिवजयंती की सबको हार्दिक शुभकामनाये🦁❤️🚩
पौन बारिबाह पर संभु रतिनाह पर ज्यौं सहस्रबाहु पर राम द्विजराज है!
दावा द्रुमदंड पर चीता मृगझुंड पर भूषन बितुंड पर जैसे मृगराज है!
तेज तम-अंस पर कान्ह जिम कंस पर यौं मलेच्छ-बंस पर सेर सिवराज है ॥
The legacy of Shivaji Maharaj remains vibrant and influential to this day.
ASPIRE.
RECLAIM.
CONQUER.
ऐसा राजा पुन्हा न होणे…
शिवजयंती की सबको हार्दिक शुभकामनाये🦁❤️🚩
तुझे यूँ किसी और संग देख, मेरी रूह जल गई,
भीगी बाती थी, फिर भी शौक़ से जल गई।
मेरा दिल था कभी गुलज़ार सा, खिलता ही रहा,
तेरी यादों की लपट आई, और कली जल गई।
~केशव 🌹✨
#admin
@Jon_Targyerian
भीगी बाती थी, फिर भी शौक़ से जल गई।
मेरा दिल था कभी गुलज़ार सा, खिलता ही रहा,
तेरी यादों की लपट आई, और कली जल गई।
~केशव 🌹✨
#admin
@Jon_Targyerian
हर कौशल का सामर्थ समझ
जीवन को न यूं व्यर्थ समझ
खेती-बाड़ी करने वाले
धूप-दिहाड़ी करने वाले
पत्नी-बच्चों की खातिर
कष्टों से यारी करने वाले
माटी की रक्षा करने में
अपने प्राण गंवा देते हैं
व्यर्थ नहीं जीवन जीते हैं
चौकीदारी करने वाले
ऊपर वाले की रचना का
उसके करतब का तू अर्थ समझ
जीवन को न यूं व्यर्थ समझ
©रणवीर
#admin
@ranveerkashyapp
जीवन को न यूं व्यर्थ समझ
खेती-बाड़ी करने वाले
धूप-दिहाड़ी करने वाले
पत्नी-बच्चों की खातिर
कष्टों से यारी करने वाले
माटी की रक्षा करने में
अपने प्राण गंवा देते हैं
व्यर्थ नहीं जीवन जीते हैं
चौकीदारी करने वाले
ऊपर वाले की रचना का
उसके करतब का तू अर्थ समझ
जीवन को न यूं व्यर्थ समझ
©रणवीर
#admin
@ranveerkashyapp
माँ
बुझे दरख़्तों की क्यारी में
तुलसी जैसी मेरी माँ
याद आई है आज बहुत
कोई राग शनय सी मेरी माँ
मंदिर के प्रांगण में बजती
राधा-मोहन हरि हरि
भजनों सी कानों में घुलती
मिसरी जैसी मेरी माँ
ज़रा जरा सी हर चेहरे पर
अब भी हंँसती-खिलती है
थोड़ी मम्मी थोड़ी चाची
थोड़ी मैं सी मेरी माँ
©रणवीर
(#admin)
बुझे दरख़्तों की क्यारी में
तुलसी जैसी मेरी माँ
याद आई है आज बहुत
कोई राग शनय सी मेरी माँ
मंदिर के प्रांगण में बजती
राधा-मोहन हरि हरि
भजनों सी कानों में घुलती
मिसरी जैसी मेरी माँ
ज़रा जरा सी हर चेहरे पर
अब भी हंँसती-खिलती है
थोड़ी मम्मी थोड़ी चाची
थोड़ी मैं सी मेरी माँ
©रणवीर
(#admin)