इस्माइल (28 मिनट)
निर्देशक : नोरा अल-शरीफ़
1949 में एक शरणार्थी शिविर में रहने वाला एक युवा फिलिस्तीनी आसन्न मौत से बचने के लिए संघर्ष करता है, जब वह और उसका छोटा भाई लापरवाही से एक बारूदी सुरंग में प्रवेश कर जाते हैं।
फ़िलिस्तीनी चित्रकार इस्माइल शमौत के जीवन के एक दिन से प्रेरित, यह फ़िल्म एक ऐसे युवक की दिलचस्प कहानी बताती है जो 1948 में इज़रायली सेना द्वारा बेदखल करके शरणार्थी शिविर में भेजे जाने के बाद अपने माता-पिता के गुज़ारे के लिए संघर्ष कर रहा था। दयनीय जीवन और कष्टदायक परिस्थितियों के बावजूद वह रोम जाकर पेंटिंग सीखने के अपने सपने को छोड़ता नहीं है। एक दिन अपने छोटे भाई के साथ रेलवे स्टेशन पर पेस्ट्री बेचकर लौटते समय वे अनजाने में एक ऐसे इलाक़े में दाख़िल हो जाते हैं जहाँ इज़रायली सेना ने बारूदी सुरंगें बिछा रखी हैं। मौत का सामना करते हुए और खुद को और अपने भाई को बचाने के लिए संघर्ष करते हुए हम इस्माइल की जिजीविषा और हौसले से रूबरू होते हैं।
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Oceans of Injustice (अन्याय के महासागर), (11 मिनट 15 सेकेंड)
फ़राह नबलुसी की यह बेहद काव्यमय लघु फ़िल्म आज़ादी, इंसाफ़ और बराबरी के लिए फ़िलिस्तीनी अवाम के संघर्ष के बारे में लोगों को जागरूक करती है।
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