ନେତ୍ରରୁ ମୋହର କୋଟି ସୂର୍ଯ୍ୟ ଜାତ ନିଶ୍ଵାସରୁ ଅଣଚାଶ,
ଲୋମକେ ସପତ ବ୍ରହ୍ମାଣ୍ଡ ବହିଛୁ ଏଣୁ ବିରାଟ ପୁରୁଷ।
महापुरुष अच्युतानंद दास ने अपने मालिका ग्रंथ में लिखा कि महाप्रभु कल्कि अपनी इच्छा मात्र से सातों महादेश समेत पूरी पृथ्वी को नष्ट कर सकेंगे। उनके नेत्रों में जहां करोड़ों सूर्यों का तेज होगा, वहीं निःश्वास में उनचास पवन की शक्ति विद्यमान होगी। अर्थात वे केवल अपनी दृष्टि से ही कुछ भी जलाकर राख कर सकेंगे, अपने निःश्वास से ही हिमालय जैसे विशाल पर्वत को आकाश में उड़ा दे सकेंगे। उनके एक रोम छिद्र में अनंत कोटि ब्रह्माण्ड स्थित होंगे।
संक्षेप में कहा जाए तो महाप्रभु कल्कि अपने निवासस्थान में बैठे पूरी पृथ्वी पर प्रलय ला सकेंगे। कहने की जरूरत नहीं कि महाप्रभु 64 कलाओं से युक्त होंगे।