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बड़ी समस्याएं छोटे समाधान

Kagaz-Par-Totke (Hindi)

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Kagaz-Par-Totke

07 Jan, 13:14


https://youtu.be/z9qNsj4XVFI

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04 Jan, 04:01


सरल भाषा में कुंडली का विश्लेषण:
इस कुंडली में कालसर्प योग बना हुआ है। यह "राहुमुखी कालसर्प योग" है, जिसका मतलब है कि राहु ग्रह की विशेष स्थिति जीवन में कुछ कठिनाइयाँ लेकर आती है।
प्रारंभिक जीवन
व्यक्ति का प्रारंभिक जीवन अच्छा रहा, क्योंकि राहु के सामने ग्रहों की बाधा नहीं थी।
लेकिन जैसे ही व्यक्ति की उम्र 36 वर्ष के करीब पहुँची, राहु का प्रभाव बढ़ गया और जीवन में परेशानियाँ शुरू हो गईं।
नौकरी का नुकसान
अक्टूबर 2018 में जब इस व्यक्ति की नौकरी गई, उस समय इसके जन्म नक्षत्र पुष्य-2 पर मंगल ग्रह का प्रभाव था।
मंगल ग्रह, जो तृतीयेश (परिश्रम) और अष्टमेश (बाधाएँ) है, इस समय परेशानी का संकेत दे रहा था।
यदि यह व्यक्ति समय पर किसी विद्वान ज्योतिषी को कुंडली दिखाता, तो इसे पहले ही उपाय बताए जा सकते थे।
कर्म (नौकरी) और भाग्य की स्थिति
कर्मेश (नौकरी का स्वामी):
कुंडली में कर्मेश और लग्नेश (बुध ग्रह) की स्थिति खराब है।
बुध ग्रह, मंगल के साथ बैठा है, जो इसके लिए परेशानी खड़ी कर रहा है।
यह संकेत देता है कि जीवन में नौकरी से जुड़ी दिक्कतें आएंगी।
मंगल की स्थिति:
मंगल अष्टमेश होकर धन भाव (दूसरा घर) में बैठा है।
इसका मतलब है कि आर्थिक परेशानियाँ भी हो सकती हैं।
भाग्य का स्वामी (शुक्र):
भाग्येश शुक्र कालसर्प योग में फँसा है और शनि की पाप कर्तरी में है।
इससे भाग्य में रुकावटें और कठिनाइयाँ बढ़ती हैं।
मानसिक स्वास्थ्य
पंचम भाव (मस्तिष्क का स्वामी):
पंचम भाव पर केतु का प्रभाव और राहु की दृष्टि है।
साथ ही पंचमेश अपने शत्रु सूर्य के साथ बैठा है, जिससे मानसिक तनाव और स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं।
चंद्रमा (मन का कारक):
चंद्रमा राहु के साथ बैठकर ग्रहण योग बना रहा है।
यह व्यक्ति को मानसिक अशांति और तनाव का कारण बनता है।
सफलता में बाधाएँ
कुंडली के दशम भाव (पद और प्रतिष्ठा) में कोई शुभ ग्रह नहीं है।
दशम भाव का स्वामी बुध, शुभ युति में नहीं है।
दशवांश कुंडली में सूर्य (पद का कारक) नीच होकर बैठा है।
ये सभी कारक बताते हैं कि नौकरी और प्रतिष्ठा में लगातार संघर्ष रहेगा।
उपाय (Solutions)
इन उपायों से व्यक्ति को अपने जीवन में आने वाली कठिनाइयों को कम करने में मदद मिलेगी:
स्वास्थ्य के लिए:
महामृत्युंजय मंत्र का नियमित जाप करें।
यह मंत्र राहु और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को कम करेगा।
शिव पूजा:
हर शनिवार को भगवान शिव के शिवलिंग पर दूध चढ़ाएँ।
इससे राहु के दोष कम होंगे।
राहु की शांति:
राहु ग्रह की शांति के लिए विशेष पूजा करवाएँ।
रत्न धारण करें:
7.25 रत्ती का पन्ना (एमराल्ड) और 7.25 रत्ती का मोती (पर्ल) अभिमंत्रित करवा कर धारण करें।
ये रत्न बुध और चंद्रमा को मज़बूत करेंगे, जिससे मानसिक और पेशेवर जीवन में स्थिरता आएगी।
निष्कर्ष
यह कुंडली स्पष्ट रूप से बताती है कि जीवन में आने वाली परेशानियों का मुख्य कारण राहु, मंगल और कालसर्प योग है। अगर सही समय पर उपाय किए जाएँ, तो इन समस्याओं को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।

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02 Dec, 06:42


https://youtu.be/shW0LZSvGQg

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20 Nov, 03:23


कुंडली का सरल और आसान विश्लेषण 

यह कुंडली एक ऐसे व्यक्ति की है, जिसे जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं: 

---

1. पढ़ाई और नौकरी की समस्या 
- कुंडली में द्वितीय भाव: 
  यह भाव धन, वाणी और परिवार से जुड़ा होता है। 
  - इसमें राहु बैठा है, जो भ्रम और मुश्किलें पैदा करता है। 
  - द्वितीय भाव के स्वामी (धनेश) शुक्र और भाग्येश शुक्र पर मंगल (शत्रु ग्रह) का असर है। 
  - इस कारण, व्यक्ति की पढ़ाई में बाधा आई। वह कक्षा 10 में फेल हो गया और पढ़ाई पूरी नहीं कर सका। 

- नौकरी: 
  पढ़ाई छूटने के बाद व्यक्ति को फैक्ट्रियों में छोटी-छोटी मजदूरी करनी पड़ी। 

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2.
- शनि का प्रभाव: 
  - लग्न (व्यक्तित्व) और कर्मभाव (करियर) पर शनि की तीसरी दृष्टि थी। 
  - शनि का स्वभाव अलगाव पैदा करना और बार-बार कर्म (नौकरी या काम) में रुकावट डालना होता है। 
  - इसके कारण व्यक्ति की नौकरियां बार-बार छूटती रहीं। 

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3. धन की तंगी क्यों? 
- धन का भाव (द्वितीय भाव) और उसका स्वामी (धनेश शुक्र) कमजोर स्थिति में थे। 
- मंगल: 
  - कुंडली में मंगल अशुभ स्थिति में है। 
  - यह अष्टमेश (लंबी बाधाओं का स्वामी) है और धन के भाव को पीड़ित कर रहा है। 
- इस वजह से व्यक्ति को लगातार धन की कमी का सामना करना पड़ा। 

---

4. दशम भाव और करियर की समस्या 
- दशम भाव: 
  - यह व्यक्ति के करियर और कर्म से जुड़ा4 होता है। 
  - इस कुंडली में दशम भाव पर कोई शुभ ग्रह का प्रभाव नहीं है। 
- कर्मेश बुध: 
  - कर्मेश बुध, शनि के साथ युति में है। 
  - साथ ही, शनि की महादशा भी चल रही थी। 
  - इस कारण व्यक्ति के करियर में स्थिरता नहीं आ सकी। 

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5. उपाय (समाधान): 
इस व्यक्ति को ज्योतिषीय उपाय बताए गए, ताकि ग्रहों का प्रभाव सुधारा जा सके: 

1. पन्ना रत्न धारण करें: 
   - 7% रत्ती का पन्ना चांदी में बनवाकर पहनें। 
   - पन्ना बुध ग्रह को मजबूत करेगा, जिससे करियर में स्थिरता आएगी। 

2. काली चीजों से दूर रहें: 
   - काले कपड़े, काली उड़द या कोई भी काली वस्तु न पहनें या इस्तेमाल न करें। 
   - यह उपाय शनि और राहु के नकारात्मक प्रभाव को कम करेगा। 

3. मंत्र और हवन: 
   - शनि और राहु के मंत्र का जाप करें। 
   - इन ग्रहों की शांति के लिए हवन कराएं। 

4. शुक्र ग्रह की शांति: 
   - हर शुक्रवार को चीटियों को मीठा खिलाएं। 
   - एक कटोरी मिश्री मंदिर में दान करें। 
   - यह उपाय शुक्र ग्रह को मजबूत करेगा, जिससे धन और सुख में सुधार होगा। 

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निष्कर्ष: 
इस कुंडली में शनि, राहु और मंगल का प्रभाव जीवन में सबसे बड़ी रुकावटें पैदा कर रहा था। पढ़ाई छूटना, बार-बार नौकरी जाना, और धन की तंगी—सब इन्हीं ग्रहों के कारण हुआ। उपायों से ग्रहों के अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है और जीवन में सुधार लाया जा सकता है।

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16 Nov, 12:34


https://youtu.be/Xa0G9Rnwxa4

Kagaz-Par-Totke

30 Oct, 17:21


Kagaz-Par-Totke pinned «नमस्ते , जो लोग सम्पर्क नहीं कर पा रहे हैं वो इस नम्बर पर telegram के द्वारा मैसेज करें। 9810473359 टेलीग्राम के द्वारा ही मैसेज करना हैं। whatsapp के द्वारा नहीं करना हैं। धन्यवाद।»

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30 Oct, 17:20


नमस्ते , जो लोग सम्पर्क नहीं कर पा रहे हैं वो इस नम्बर पर telegram के द्वारा मैसेज करें।
9810473359
टेलीग्राम के द्वारा ही मैसेज करना हैं। whatsapp के द्वारा नहीं करना हैं।
धन्यवाद।

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28 Oct, 04:53


कुंडली का सरल विश्लेषण:

1. लग्न (जन्म का घर) की स्थिति 
इस व्यक्ति की कुंडली में जन्म का घर (लग्न) और उसके मालिक शुक्र ग्रह पर केतु और राहु की नजर है। यानी, लग्न, लग्न का मालिक और इसके कारक सूर्य तीनों पर असर पड़ रहा है। इसका मतलब है कि इन तीनों ग्रहों के कारण इस व्यक्ति के व्यक्तित्व में कुछ संघर्ष रहेगा और उसे अपनी पहचान बनाने में मुश्किलें आ सकती हैं।

2. पाप कर्तरी योग का असर 
लग्न को शनि और मंगल के बीच घिरने से "पाप कर्तरी योग" बन रहा है, जिसका मतलब है कि इस व्यक्ति के जीवन में चुनौतियां और मुश्किलें बनी रहेंगी। इस योग से व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

3. सप्तम भाव और पत्नी सुख 
कुंडली में सप्तम भाव (पत्नी और रिश्तों का घर) पर राहु बैठा है, जो कि उथल-पुथल वाला ग्रह माना जाता है। इस घर का मालिक मंगल बारहवें घर में बैठकर अपनी तीखी नजर से फिर सप्तम भाव को देख रहा है, और सूर्य भी अपनी नजर इस भाव पर डाल रहा है। इसका मतलब है कि इस व्यक्ति के रिश्तों में समस्याएं बनी रहेंगी और उसे पत्नी सुख का अनुभव नहीं मिल पाएगा। इसी सप्तम भाव का असर व्यक्ति के व्यवसाय पर भी पड़ता है, तो यहां भी संघर्ष की संभावना बनी रहती है।

4. नवांश कुंडली में सप्तम भाव 
नवांश कुंडली में भी सप्तम भाव का मालिक मंगल बैठा है और अपनी अलगाववादी (रिश्तों को तोड़ने वाली) प्रवृत्ति दिखा रहा है। इसका अर्थ है कि व्यक्ति को जीवनसाथी से सुख नहीं मिलेगा और रिश्तों में दूरी बनी रह सकती है।

उपाय 
1. राहु के मंत्र का जाप करें और राहु की शांति के लिए हवन करवाएं।
2. रोज "आदित्य हृदय स्तोत्र" का पाठ करें।
3. मंगल की शांति के लिए भी पूजा करें।

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11 Oct, 08:44


https://youtu.be/l-w4XtyEwtk

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09 Oct, 06:56


सरल विश्लेषण

1. व्यापार के लिए महत्वपूर्ण भाव: पंचम भाव (कर्म) और सप्तम भाव (व्यापार) के साथ-साथ गुरु और बुध ग्रह मजबूत होने चाहिए। ये व्यापार में सफलता लाने में मदद करते हैं।

2. अशुभ स्थिति: इस व्यक्ति की कुंडली में पंचम और सप्तम भाव के स्वामी शुक्र और बृहस्पति, 12वें भाव में चले गए। इससे व्यापार में नुकसान होने के संकेत मिलते हैं। राहु की दृष्टि पंचम भाव पर और शनि की दृष्टि सप्तम भाव पर है, जो व्यापार को और कमजोर बनाता है। पंचम और सप्तम भाव दोनों ही व्यापार के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।

3. बुध ग्रह का प्रभाव: बुध जो व्यापार का मुख्य कारक है, राहु की दृष्टि में है। इससे व्यापार में और भी मुश्किलें पैदा होती हैं, क्योंकि बुध ग्रह का व्यापार पर सीधा प्रभाव होता है।

4. शनि और केतु की दशा: जब शनि की महादशा में केतु की अंतरदशा आई, तब से व्यापार गिरने लगा। केतु की दृष्टि व्यापार के भाव पर थी, जिससे नकारात्मक असर हुआ और व्यापार में पूरी तरह ठहराव आ गया।

5. दशमांश में स्थिति: कुंडली के दशमांश (जो व्यापार और करियर को दर्शाता है) में शनि अपनी मकर राशि में मजबूत है। यदि यह व्यक्ति लोहा या काले रंग से जुड़े सामान को व्यापार में शामिल करता, तो व्यापार में स्थिरता बनी रहती। लेकिन इसने प्लास्टिक आइटम चुना, जो शनि की ऊर्जा के अनुकूल नहीं था। यदि यह व्यक्ति शुरुआत में ही पंचमेश और सप्तमेश को मजबूत करता और शनि की शांति करवाता, तो शायद इसका व्यापार ठप्प नहीं होता।

इस प्रकार, कुंडली के विश्लेषण से पता चलता है कि ग्रहों की स्थिति व्यापार के लिए अनुकूल नहीं थी।

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07 Oct, 07:58


https://youtu.be/WtUwie0snIg

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06 Oct, 06:29


https://youtu.be/XTvf6Ddz5AM

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04 Oct, 15:42


यंत्रों में त्रिभुज, वृत्त, चौकोर, और अन्य आकृतियाँ बनाई जाती हैं। ये आकृतियाँ ब्रह्मांडीय ऊर्जा और विभिन्न ग्रहों की स्थिति को दर्शाती हैं।
जैसे श्री यंत्र में त्रिभुज, चक्र, और बिंदु (ब्रह्म बिंदु) होते हैं।

Kagaz-Par-Totke

04 Oct, 15:41


कई यंत्रों में अंक विशेष क्रम में या खास तरीकों से लिखे जाते हैं। जैसे, श्री यंत्र में 9 अंक होते हैं, जो धन और समृद्धि का प्रतीक है।

Kagaz-Par-Totke

04 Oct, 15:38


बीज मंत्र शक्तिशाली ध्वनि होते हैं, जो देवताओं की शक्तियों को बुलाने का माध्यम होते हैं। जैसे:
ॐ, ह्रीं, क्रीं, श्रीं, आदि।
ये मंत्र यंत्र की ऊर्जा को सक्रिय करने के लिए होते हैं और उसे विशेष उद्देश्य जैसे धन प्राप्ति, रोग निवारण, या सुरक्षा प्रदान आदि करने में सक्षम बनाते हैं।

Kagaz-Par-Totke

04 Oct, 12:47


https://youtu.be/1UmNv3x8gr4

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03 Oct, 06:17


https://youtu.be/klxSBYDH6z8

Kagaz-Par-Totke

03 Oct, 04:00


माँ के आगमन पर्व# शारदीय नवरात्र की सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। माता रानी सबका मंगल करे, सब के दुख, दर्द, कष्ट दूर करे और सभी को अपने आशीर्वाद से उनके जीवन में खुशी, समृद्धि भर दे।
जय माता दी 💐💐🚩🚩🚩🚩🙏🙏

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02 Oct, 03:56


इस पति-पत्नी की कुंडली का सरल विश्लेषण:

तलाक के कारण:

- रोज़ लड़ाई-झगड़े: यह जोड़ा अक्सर एक-दूसरे से मारपीट करता था। पति ने तलाक की बात उठाई, लेकिन पत्नी भी तलाक चाहती थी। पत्नी को घर और पैसे की चिंता थी। वह चाहती थी कि पति घर छोड़कर कहीं और चला जाए, पर खुद वहीं रहे।

- ज्योतिषीय कारण:

1. स्त्री की कुंडली (लग्न कुंडली):
- सप्तम भाव (जो शादी और पार्टनर का होता है) का स्वामी गुरु, पंचम भाव (प्यार और रोमांस का भाव) में बैठा है। इसका मतलब है कि शादी प्यार से हुई थी।
- लेकिन सप्तम भाव पर केतु, राहु और सूर्य की नज़र है। ये ग्रह शादी के सुख को बिगाड़ रहे हैं, जिससे प्यार की शादी में परेशानियाँ आईं।
- स्त्री की नवांश कुंडली में गुरु सही जगह पर है, पर मंगल के प्रभाव में होने से यह अशुभ योग बन गया। इस वजह से शादी में और दिक्कतें आईं।

2. पुरुष की कुंडली:
- पुरुष की कुंडली में सप्तम भाव का स्वामी बृहस्पति है, जो लग्न में बैठकर सप्तम भाव को देख रहा है। इसका मतलब है कि तलाक के बाद पुरुष को जल्दी दूसरी शादी का प्रस्ताव मिल सकता है।
- पुरुष की कुंडली में शुक्र पाप कर्तरी योग में है, जो पत्नी के साथ सुख बिगाड़ता है। इसके अलावा, शुक्र 12वें भाव में है, जो किसी और स्त्री के साथ संबंधों की ओर इशारा करता है। इसी वजह से पुरुष ने अपनी पत्नी को तलाक देना चाहा।
- सप्तम भाव पर राहु की दृष्टि है, जो अनैतिक संबंधों को बढ़ावा देती है। यह इस पुरुष की शादी में बड़ी परेशानी का कारण बना।
- नवांश कुंडली में सप्तमेश राहु के साथ आकर पति-पत्नी के रिश्ते को और बिगाड़ देता है।

निष्कर्ष:
दोनों ही तलाक चाहते थे। पति के बाहर के संबंध और पत्नी की आर्थिक मांगें उनके बीच विवाद का बड़ा कारण बनीं। इसलिए यह शादी अंत में टूट गई।

Kagaz-Par-Totke

02 Oct, 03:56


यदि समय रहते उपाय किये गए होते तो निश्चित तौर पर शादी को बचाया जा सकता था और जीवन में प्यार व एकता लाई जा सकती थी।

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