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प्राचीन भारत- के सी श्रीवास्तव, सौरभ चौबे
मध्यकालीन भारत -सतीशचंद्र, सौरभ चौबे
आधुनिक भारत- स्पेक्ट्रम, विपिन चंद्र
विश्व इतिहास - अरविंद भास्कर
आर्या common ,yct pyq

itihaasgyan (Hindi)

यदि आप UGC NET, MPSET, PSC, CTET, TET, KVS और EMRS की तैयारी कर रहे हैं और इतिहास में अपनी माहिरत को सुधारना चाहते हैं, तो 'itihaasgyan' आपके लिए एक उत्कृष्ट प्लेटफार्म है। यह ग्रुप विभिन्न आधार पर विभागीय परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए एक साझा स्थान है जहां वे विशेषज्ञों द्वारा प्रदान की जाने वाली महत्वपूर्ण सामग्री से लाभ उठा सकते हैं। 'itihaasgyan' ग्रुप में, प्राचीन, मध्यकालीन, आधुनिक भारत और विश्व इतिहास के विषय में उच्च प्रोफाइल किताबों के लेखकों द्वारा लिखी गई अद्वितीय सामग्री मिलेगी। यहाँ आपको श्रीवास्तव, सौरभ चौबे, सतीशचंद्र, स्पेक्ट्रम, विपिन चंद्र और अरविंद भास्कर जैसे शीर्ष लेखकों के द्वारा लिखी गई पुस्तकें और माटेरियल उपलब्ध होते हैं। इस ग्रुप में आपको आर्य सामान्य प्रश्न, YCT और PYQ जैसे प्रैक्टिस सेट्स भी मिलेंगे जो आपकी परीक्षा की तैयारी में मदद करेंगे। 'itihaasgyan' ग्रुप एक मंच है जहां छात्र एक-दूसरे से जुड़कर अपनी शिक्षा और ज्ञान को बढ़ा सकते हैं और एक सफल प्राप्ति की दिशा में अपने कदम आगे बढ़ा सकते हैं।

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06 Jan, 16:01


पूना समझौता -
डॉ बी. आर. अंबेडकर व महात्मा गांधी


इस समझौते पर दलित वर्ग की ओर से डॉ बी आर अंबेडकरएम. सी. राजा ने
जबकि स्वर्ण हिंदुओं की तरफ से
मदन मोहन मालवीय ने हस्ताक्षर किए
दर्जन भर से अधिक अन्य लोगों ने भी इस समझौते पर हस्ताक्षर करवाए गए थे
जिसमें महात्मा गांधी के पुत्र देवदास गांधी भी शामिल थे
पूना समझौते पर सर्वप्रथम मदन मोहन मालवीय ने हस्ताक्षर किए उसके बाद डॉक्टर बी आर अंबेडकर ने
अंबेडकर ने राजगोपालाचारी की कलम का प्रयोग इस उद्देश्य से किया और उसे अपने पास ही रख लिया उसके बदले में अपनी कलम राजगोपालाचारी को हस्ताक्षर करने के लिए तथा अवसर की निशानी के तौर पर अपने पास रखने के लिए दे दी
स्त्रोत संपूर्ण गांधी वाडमय, खंड 51
1 सितंबर से 15 नवंबर 1932 प्रकाशन विभाग 1973 पेज नंबर - 486

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06 Jan, 13:24


स्वराज पार्टी
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गाँधीजी के ढुलमुल तरीकों से दुखी होकर 1923 ई . में चितरंजन दास एवं मोतीलाल नेहरू ने सुझाव दिया कि विधान परिषदों का बहिष्कार करने के बदले उनमें प्रवेश कर असहयोग आंदोलन चलाया जाए.
इस सुझाव को राजगोपालाचारी,राजेन्द्र प्रसाद, बल्लभभाई पटेल जैसे कट्टर गाँधीवादियों ने नहीं माना। अतः उन्हें अपरिवर्तनवादी कहा गया।
विधान परिषदों में हिस्सा लेने वाले के समर्थकों को परिवर्तनवादी कहा गया।
1जनवरी 1923 में सी.आर. दास एवं मोतीलाल नेहरू , विट्ठल भाई पटेल , मदन मोहन मालवीय के साथ मिलकर इलाहाबाद में स्वराज पार्टी की स्थापना की।भारतीय भाषाओं में स्वराज का अर्थ है "अपना राज्य"।


स्वराज पार्टी का गठन 1जनवरी 1923 में हुआ था हालांकि इसका पहला अधिवेशन 1923 में इलाहाबाद में मार्च महीने में आयोजित किया गया था
स्वराज पार्टी की स्थापना का कारण था, कांग्रेस में संसद में प्रवेश करने के प्रस्ताव पर सहमति न बनना.

स्वराज पार्टी के नेताओं को प्रो-चेंजर कहा गया, जबकि उनके विरोधियों को नो-चेंजर करार दिया गया.

स्वराज पार्टी के नेताओं ने स्वशासन, नागरिक स्वतंत्रता, और औद्योगिकीकरण के पक्ष में सशक्त भाषण दिए.

स्वराज पार्टी ने परिषद में प्रवेश और सक्रिय राजनीतिक भागीदारी की वकालत की.

स्वराज पार्टी ने प्रांतीय स्तर पर द्वैध शासन के खोखलेपन को उजागर किया.

स्वराज पार्टी ने ब्रिटिश विरोधी भावना को जीवित रखा.

1927 ई. में साइमन कमीशन की नियुक्ति के फलस्वरूप स्वराज दल की प्रासंगिकता समाप्त हो गई.

स्वराजवादी पुनः कॉन्ग्रेस की मुख्यधारा में शामिल हो गए.

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05 Jan, 12:42


💐ब्रिटिश काल की प्रमुख कारखाना अधिनियम💐

1881 का प्रथम कारखाना अधिनियम👉
इसमें 7 वर्ष से कम आयु के बच्चों पर प्रतिबंध था,
7 से 12 वर्ष की आयु के बच्चे 9 घंटे कार्य निर्धारित ,
और बच्चों को महीने में चार दिन का अवकाश अनिवार्य



1891 का दूसरा कारखाना अधिनियम👉
इसमें 9 वर्ष से कम आयु के बच्चो का कारखाने में प्रतिबंध था,
स्त्रियों की कार्य अवधि 11 घंटे ,
व बच्चों के लिए 7 घंटे प्रतिदिन


1911 का अधिनियम 👉
पुरूषो के 11 घण्टे कार्य और आधा घण्टे का आराम

1922 का अधिनियम 👉
12 वर्ष के बच्चों पर प्रतिबंध,
12 से 15 वर्ष के बीच की आयु के बच्चों के लिए कार्य अवधि 7 घंटे प्रतिदिन,
बड़ों के लिए 11 घंटे प्रतिदिन,
सप्ताह में 60 घंटे निर्धारित किया ,
+ ओवर टाइम

1937 का अधिनियम 👉

मौसमी वे गैर मौसमी कारखाने में अंतर,
बच्चों के लिए कार्य अवधि 5 घंटे प्रतिदिन ,
श्रमिकों के लिए चिकित्सा ,
आराम व मनोरंजन का प्रावधान

1944 का अधिनियम 👉

श्रमिकों की कार्य अवधि 9 घंटे प्रतिदिन,
कारखाने में कैंटीन की व्यवस्था

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04 Jan, 09:08




1. होमरूल आन्दोलन के माध्यम से पहली बार ‘स्व शासन’ की मांग की गई।

2. असहयोग आन्दोलन के तहत पहली बार ‘स्वराज’ की मांग की गई।

3. सविनय अवज्ञा आन्दोलन के तहत ‘स्वतंत्रता’ की मांग की गई।

4. भारत छोड़ो आन्दोलन के तहत ‘पूर्ण स्वतंत्रता’  की मांग की गई।

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03 Jan, 15:40


🔘 रानी वेलु नाच्चियार को ब्रिटिश औपनिवेशिक सत्ता के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाली पहली रानी के रूप में जाना जाता है।

🔘 वे 1780 में अंग्रेज़ों से निडर होकर लड़ी और उन्हें परास्त किया. उन्हें तमिलनाडु के लोग आज भी वीरमंगई अर्थात बहादुर रानी के नाम से जानते हैं.

जयंती पर सादर नमन 💐🙏

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01 Jan, 22:54


15. उत्तर वैदिक काल का विभेदक लक्षण है (व्याख्याता भर्ती परीक्षा 2015)
(1) आर्यों का पूर्व की ओर विस्तार
(2) धातु का प्रयोग
(3) सभा और समिति जैसी राजनैतिक  संस्थाओं का उदय
(4) साम्राज्यों का आविर्भाव
उत्तर (1)आर्यों का पूर्व की ओर विस्तार
 
आर्यों के पूर्व की और विस्तार को लेकर शतपथ ब्राह्मण में विदेध माधव और उसके पुरोहित गौतम राहु गण की पूर्व की ओर यात्रा का वर्णन मिलता है।
 
इसमें लिखा है की सरस्वती नदी के तट पर रहने वाले विदेध माधव ने वैश्वानर अग्नि को अपने मुख में धारण किया ।घृत का नाम लेते ही वह अग्नि मुख से निकलकर पृथ्वी पर आ जाती और नदियों को जला देती इस प्रकार वह नदियों को जलाता हुआ पूर्व की ओर बढ़ गया किंतु वह सदा नीरा या गंडक नदी को जला नहीं पाया इस प्रकार उत्तर वैदिक आर्यों का प्रसार सदानीरा या गंडक नदी तक ही था।
 
विशेष—अथर्ववेद में पहली बार अंग एवं की चर्चा मिलती है अथर्ववेद में मगध के लोगों को व्रात्य कहा है जो की प्राकृत भाषा बोलते थे । व्रात्य शब्द अनार्यो के लिए प्रयुक्त होता था ।इस प्रकार उत्तर वैदिक कालीन लोग अंग और मगध से परिचित तो थे पर वह उनके क्षेत्र नहीं था।
 

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01 Jan, 22:54


कांग्रेस के किस अधिवेशन में पहली बार महिलाओं ने भाग लिया था


(1) 1889, बंबई
(2) 1886, कलकत्ता
(3) 1888, इलाहाबाद
(4) 1893,लाहौर

उत्तर - (1) 1889, बंबई



कांग्रेस का 5 वा अधिवेशन
1889 मुंबई
इस अधिवेशन की अध्यक्षता विलियम वेडरबर्न ने की थी
इस अधिवेशन की प्रमुख विशेषता ये है इसमें पहली बार महिलाओं ने भाग लिया था ।
इस अधिवेशन में कुल 10 महिलाओं ने भाग लिया था जिनमे कादम्बिनी गांगुली (भारत की प्रथम महिला स्नातक ) और पण्डिता रमाबाई प्रमुख थी ।

इसी अधिवेशन में गोपाल कृष्ण गोखले और बाल गंगाधर तिलक ने पहली बार कांग्रेस के किसी अधिवेशन में हिस्सा लिया था।

इस अधिवेशन में इंग्लैंड के सांसद चार्ल्स ब्रेडला भी उपस्थित थे... अपने भारत प्रेम के कारण ब्रैडला को ब्रिटिश पार्लियामेंट का इंडियन मेंबर कहा जाता था !


विशेष— कदंबिनी गांगुली ने पहली बार 1889 में कांग्रेस के मुंबई अधिवेशन में भाग लिया किंतु इन्होंने 1890 के कलकत्ता अधिवेशन को संबोधित किया इस प्रकार यह कांग्रेस के अधिवेशन को संबोधित करने वाली पहली महिला थी ।

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31 Dec, 22:04


शुभ 2025 🥳🙏😊

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31 Dec, 10:57


10 ताजमहल के 'गुंबद' निर्माण का कार्य किसने किया? आरपीएससी सेकंड ग्रेड एग्जाम 2024 सामाजिक विज्ञान

(1) गेरोनिमो वेरोनियो
(2) उस्ताद ईसा इफेंडी
(3) उस्ताद अहमद
(4) इस्माइल खान
(5) अनुत्तरित प्रश्न

उत्तर (4) इस्माइल खान


ताजमहल का निर्माणशाहजहां ने 1632 में प्रारंभ कराया और 1648 में इसका कार्य पूर्ण हुआ।

ताजमहल के वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी थे, तो इसके गुंबद का निर्माण तुर्की के इस्माइल खान अफरीदी ने किया ।

अमानत खान सिराजी ताजमहल के सुलेखक थे जिनका नाम ताजमहल के एक दरवाजे पर लिखे लेख पर मिलता है।

इसके अलावा ताजमहल के मकबरे पर लिखे छंदों के लेखक कवि गयासुद्दीन थे ।

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30 Dec, 12:57


Share Written_Exam_Result_State_Service_Main_Exam_2023_Dated_30_12_2024.pdf

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29 Dec, 10:52


शतपथ ब्राह्मण में उल्लेखित प्रमुख कथाएं/तथ्य :-:

1) मत्स्यावतार द्वारा मनु को बचाने की जलप्लावन कथा।

2) दुष्यंत भारत संवाद।

3) पूरुर्वा उर्वशी संवाद।

4) च्यवन ऋषि का अश्विनी द्वारा यौवन प्रदान करना।

5) पुनर्जन्म कथा।

6) विदेय माधव कथा- आर्यों का पूर्वी विस्तार।

7) उपनयन संस्कार व पुरुषमेघ यज्ञ का उल्लेख है।

8) राम कथा का जिक्र

9) विदेशियों को मलेच्छा गया है।

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28 Dec, 01:14


दिल्ली सल्तनत के शासको से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य


L.p.sharma

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27 Dec, 14:44


MP ESB कैलेंडर जारी

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27 Dec, 00:47


तुम्हारी ख़ामोशी के लफ़्ज़ पर था शोर शर्मिंदा
तुम्हारे लहजे की सादा-ज़बानी याद आएगी

अलविदा सिंह साहेब 🌸

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26 Dec, 14:22


🛑गुप्तकाल | One Liner


● गुप्तवंश की स्थापना कब हुई— 319 ई.

● गुप्त वंश की स्थापना किसने की— श्रीगुप्त द्वारा (उत्तराधिकारी घटोत्कच)

● गुप्त वंश के किस शासक ने ‘महाधिराज’ की उपाधि धारण की— चंद्रगुप्त प्रथम ने

● आर्यभट्ट कौन था— खगोल वैज्ञानिक व गणितज्ञ

● आर्यभट्ट किस वंश के समकालीन था— गुप्त वंश के

● गुप्त शासकों की राजदरबारी भाषा क्या थी— संस्कृत

● गुप्त राजवंश के किस शासक ने हूणों के आक्रमण को रोका— स्कंदगुप्त ने

● गुप्त राजवंश किसके लिए प्रसिद्ध था— कला एवं स्थापत्य के लिए

● अजंता व एलौरा कलाकृतियाँ किस काल से संबंधित हैं— गुप्त काल से

● कालीदास किसके राजदबारी कवि थे— चंद्रगुप्त II ‘विक्रमाद्वित्य’

● अंजता चित्रकारी किस धर्म से संबंधित हैं— बौद्ध धर्म से

● एरण अभिलेख का संबंध किस शासक से है— भानुगुप्त से

● चीनी यात्री फाह्यान किसके शासन काल में भारत आया— चंद्रगुप्त द्वितीय

● भारतीय संस्कृति का स्वर्ण युग किस युग को कहा जाता है— गुप्त युग को

● ‘सेतुबंध’ की रचना किस वंश के शासक ने की— वाकाटक.

● किस गुप्तकालीन शासक को कविराज कहा गया है— समुद्रगुप्त को

● कौन-सा गुप्त शासक भारतीय नेपोलियन के नाम से प्रसिद्ध था— समुद्रगुप्त

● स्कंदगुप्त को किस लेख से ‘शक्रोपम’ कहा गया है— कहौमस्तम लेख

● गुप्त काल के सबसे लोकप्रिय देवता कौन थे— विष्णु

● दिल्ली में स्थित ‘लौह स्तंभ’ किस सदी में निर्मित हुआ— चौथी सदी में

● फाह्यान द्वारा लिखित ग्रंथ ‘फो-कुओ-की’ में किसका वर्णन मिलता है— बौद्ध धर्म के सिद्धांतों का

● ‘अमरकोष’ नामक ग्रंथ की रचना किसने की और वे किस शासक से जुड़े थे— अमर सिंह ने, चंद्रगुप्त II से


● हरिषेण किसका राजदरबारी कवि था— समुद्रगुप्त का

● गुप्त काल की सोने की मुद्रा को क्या कहा जाता था— दीनार

● ‘कुमारसंभव’ महाकाव्य को किसने रचा— कालीदास

● नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना किस युग में हुई— गुप्त युग में

● गुप्त युग में भू-राजस्व की दर क्या थी— उपज का छठा भाग

● नगरों का क्रमिक पतन किस युग की विशेषता थी— गुप्त युग की

● किस वंश के शासकों ने मंदिरों और ब्राह्मणों को सबसे अधिक ग्राम अनुदान में दिए— गुप्त वंश

● महरौली स्थित लौह स्तंभ किसकी स्मृति में है— चंद्रगुप्त II

● कालीदास द्वारा रचित ‘मालविकाग्निमित्र’ नाटक का नायक कौन था— अग्निमित्र

● समुद्रगुप्त की सैनिक उपलब्धियों का वर्णन किस अभिलेख में है— प्रयाग

● बाल विवाह की प्रथा कब आरंभ हुई— गुप्त युग में


● सर्वप्रथम कौन-सा ग्रंथ यूरोपीय भाषा में अनुदित/अनुवादित हुआ— अभिज्ञान शाकुंतलम्

● सती प्रथा का प्रथम उल्लेख कहाज्ञ से मिलता है— एरण अभिलेख से


● गुप्तकालीन सिक्कों का सबसे बड़ा ढेर कहाँ से प्राप्त हुआ— बयाना (भरतपुर)


● किस गुप्त शासक को नालंदा विश्वविद्यालय का संस्थापक माना जाता था— रूपक

● कालीदास की कौन-सी कृति की गिनती विश्व की सर्वाधिक प्रसिद्ध 100 कृतियों में की जाती हैं— अभिज्ञान शाकुंतलम्

● गणित की दशमलव प्रणाली के अविष्कार का श्रेय किसे दिया जाता है— मौर्य युग को

● किस विद्धान ने गणित को एक पृथक विषय के रूप में स्थापित किया— आर्यभट्ट

● गुप्तकाल की प्रसिद्ध पुस्तक ‘नवनीतकम्’ का संबंध किस क्षेत्र में है— चिकित्सा के क्षेत्र से

● ताँबे के सिक्के जारी करने वाला प्रथम गुप्त शासक कौन था— रामगुप्त

● मिहिरकूल का संबंध किससे था— हूण से

● कौन-से गुप्त राजा ने विक्रमाद्वित्य की उपाधि ग्रहण की थी— चंद्रगुप्त II


● किस गुप्त शासक ने दक्षिण में 12 राज्यों पर विजय प्राप्त की— समुद्रगुप्त ने

● ‘सर्वराजोच्छेता’ की उपाधि किसने धारण की— समुद्रगुप्त ने

● चंद्रगुप्त प्रथम ने गुप्त संवत् की स्थापना कब की— 319 ई..

● गुप्त संवत् एवं शक संवत् में कितना अंतर है— 241 वर्ष

● किस वंश के शासकों ने चाँदी की मुद्राओं का प्रचलन किया— गुप्त वंश के शासकों ने

● किसने समुद्रगुप्त को भारत का नेपोलियमन कहा था— विन्र्सेट स्मिथ ने

● गुप्तकाल में प्रमुख शिक्षा केंद्र कौन-से थे— पाटलिपुत्र, उज्जयिनी

● गुप्तवंश का अंतिम शासक कौन था— विष्णुगुप्त

● सती होने का प्रमाण प्रथम बार कब मिला— 510 ई..

● ‘सूर्य सिद्धांत’ नामक ग्रंथ किसने लिखा— आर्यभट्ट ने

● नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना कब हुई— 415-454 ई.

०गुप्त काल में राज्य को देश अथवा राष्ट्र कहा जाता था।

०गुप्त काल में प्रांतों की संख्या मुख्य रूप से ‘8’ थी।

०गुप्तकाल में ‘भुक्ति’ का प्रधान प्रांतपति, उपरिक, महाराज अथवा गोप्ता कहलाता था।

०उपरोक्त सभी राज्यपालों की तरह प्रांतों में केंद्रीय शासन का प्रतिनिधित्व करते थे। .

०भुक्ति के अंतर्गत कई विषय (जिले) हुआ करते थे।

०विषय का शासक विषयपति होता था। वह तन्नियुक्तक भी कहलाता था।

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25 Dec, 14:58


तारीफे पसंद ना कीजिये ..
ये पंख लगा देती है।

इनसे तो बेहतर कमियाँ है..
जो खुद से और ज़मीन से मिला देती है।

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24 Dec, 14:21


UGC NET Dec 2024 Exam City Intimation Out . Link- https://ugcnetdec2024.ntaonline.in/advancecityintimationslip/index

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24 Dec, 14:20


Share Provisional_Answer_Key_SET_12_Subjects_2024_Dated_24_12_2024.pdf

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24 Dec, 12:16


🌿🌿 कुषाण शासको के सिक्के ........

🌿 कुजुल कड्फिसेस  ---  इसके सिक्कों पर अंतिम यूनानी राजा " हर्मियस " की आकृति है अत: प्रारम्भ में वह हर्मियस का सामंत था . मार्शल को तक्षशिला की खुदाई से इसके बहुसंख्यक सिक्के मिले थे . यह केवल तांबे के सिक्के है जिस पर " धर्मथिदस " एवं ऊँट की आकृति अंकित है . तथा सिक्कों पर रोमन सम्राट " आगस्टस " या " टाइबेरियस " की भी आकृति अंकित है ...

🌿 विम कड्फिसेस  --- इसने " स्वर्ण " , " ताम्र "  एवं  " रजत " की मुद्राओं को जारी किया था ...
स्वर्ण ( तीन मूल्यों -- द्वि - दीनार , दीनार , पाद - दीनार )  के रूप में है . ताम्र ( अर्ध  और पाद ) 17 ग्राम के है . एवं रजत ( चांदी ) ..... तक्षशिला से प्राप्त विम - कडफिसेस के चांदी  के सिक्कों पर " नाइके " का अंकन है . ( .....  विम कड्फिसेस के पश्चात् कुषाण मद्राओं पर खरोष्ठी लिपि एवं प्राकृत भाषा तिरोहित हो गई .... )

उसके कुछ सिक्के भीटा , कौशाम्बी तथा बिहार के बक्सर तथा बसाढ़ से भी प्राप्त हुए है तथा सिक्कों पर शिव , नंदी एवं त्रिशूल की आकृति के साथ " महेश्वर " की उपाधि मिलती है ...

🌿  कनिष्क  ..... इसके सिक्कों पर ही सबसे पहली बार प्रभामण्डलयुक्त खङी मुद्रा में बुद्ध की आकृति एवं लेख बोद्दो एवं शकमनों ( शाक्यमुनि बुद्ध का अंकन है ... pyq ) कनिष्क के सोने के सिक्के दो मानो - दीनार और पाद - दीनार के है . अपने सभी सिक्कों पर कनिष्क लम्बा कोट , शलवार और टोपी पहने अग्नि - वेदिका के सम्मुख खङा है . ( सिक्कों पर उसका नाम " शाव नानो शाव कनेष्की ) के रूप में अंकित होने लगा .. )

.... कनिष्क ने सिक्कों पर ईरानी , यूनानी , ब्राह्मण एवं बौद्ध ... चार धर्म के देवताओं का अंकन किया है .  इसके अतिरिक्त ... अहुरमज्द , दुवस्प , बहुमन , शिव , हेलियोस , सेलिनी , ईरानी देवता अतश , भारतीय लक्ष्मी सदृश्य लेकिन लक्ष्मी नही ऐश्वर्य की देवी अरदोक्षों .... (  pyq )  यूनानी देवता आइसो (  pyq ... )  का चतुर्भजी रूप , स्कन्द और गणेश आदि का अंकन हुआ है  ....  सोने के सिक्कों पर बुद्ध खङे है और उनका नाम बोद्दो लिखा है ... तांबे के सिक्कों पर शाक्यमुनि बुद्ध लिखा है  ( pyq ) ....

🌿 हुविष्क ..... इसके सिक्कों पर सर्वाधिक संख्या में हिन्दू - देवी देवताओं का अंकन हुआ है ( pyq ) यह अंकन कनिष्क के सिक्कों पर अंकित देवी - देवताओं की तुलना में अधिक है .

इसके अतिरिक्त ... उमा , पाशुपत धर्म , शिव त्रिमुख , मृग , पाश , वज्र , शिव के साथ ईरानी देवी नाना का युग्म , स्कन्दकुमार , विशाख , महासेन ( pyq  ...) तथा धनुषधारी कार्तिकेय , विष्णु , धनुर्धारी गणेश , बुद्ध , वरूण आदि का अंकन उसकी मुद्रा पर दिखता है ...

🌿  वासुदेव प्रथम ....  बैक्ट्रिया तथा अफगानिस्तान से इसके " शिव - नन्दी " प्रकार के सिक्के जिस पर " वासु " नाम उत्कीर्ण है मिलते है ...

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22 Dec, 11:35


इतिहास दर्शन कथन


हम शायद एक ऐसे युग की दहलीज पर खड़े हैं जिसमें दुनिया के लिए इतिहास उतना ही महत्वपूर्ण होगा जितना कि 1600 और 1900 के बीच प्राकृतिक विज्ञान था
आर जी कोलिंगवुड

ऐतिहासिक तथ्य एक प्रकार का अनुमान होता है
एलन बुलाक

एक तथ्य साधारण सा स्वयं व्यवस्थित सिद्धांत होता है जिस की विश्वसनीयता के विषय में गंभीर संदेह ना हो।
प्रो वाल्श

सभी इतिहास विचारों का इतिहास है, अतएव तथ्य कुछ नहीं होते अपितु सब कुछ उनकी व्याख्या ही होती हैं।
आर जी कालिंगवुड़

इतिहासकार का इतिहास ही उसकी व्याख्या होती है।
जी आर एल्टन

मूल्यों के संदर्भ के बिना कारण कार्य संबंधों की खोज असंभव है, कारणों की खोज के पीछे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से मूल्यों की खोज आवश्यक होती है।
मानेके

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22 Dec, 09:24


छात्रों के ऐतिहासिक महाआंदोलन की जीत...

हमारी जो मांगे पूर्ण हुई वह निम्न लिखित हैंI

1. 87% वाले सभी छात्रों की कॉपी दिखाई जाएंगी..
2. अधिकतम पोस्ट पर भर्ती होगी ..
3. इंटरव्यू के मार्क्स कम होगे एवं बिना पहचान के आयोजित होंगे..
4. 87/13 का शीघ्र निराकरण होगा
5. MPPSC में सुधार हेतु एक कमेटी का निर्माण होगा(एक सदस्य छात्रों की ओर से रहेगा) देश के सभी राज्य आयोग के नियमों का परीक्षण करके MPPSC में युक्तियुक्त सुधार किए जाएंगे
6. सहायक प्राध्यापक के साक्षात्कार जल्द आयोजित होंगे।
7. सरकार भर्ती प्रक्रिया में सुधार हेतु एक पोर्टल बनाएगी जिसमें छात्रों से सुझाव लिए जाएंगे।

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22 Dec, 07:49


महादजी सिंधिया :- 18वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में मराठा सरदारों में सबसे शक्तिशाली महादजी सिंधिया था। पानीपत के तृतीय में अपने परामर्शदाता राना खां की सहायता से महादजी के प्राण तो बच गए किन्तु वह लंगड़ा हो गया। इस कारण 'लंगड़ा माधोजी' के नाम से प्रसिद्ध हुआ। 1772 में महादजी सिंधिया शाहआलम द्वितीय को दिल्ली के सिंहासन पर पुनः बैठाने में सफल रहा। 1784 में वह शाहआलम द्वितीय का वकील-ए- मुतलक बन गया और पेशवा को बादशाह का 'नायब-ए- मुनायब' बनवाने में सफल रहा। सिंधिया ने फ्रांसीसी व पुर्तगाली अफसरों और बंदूकधारियों की सहायता से एक शक्तिशाली सेना बनाई व आगरा के पास शस्त्र निर्माण का एक कारखाना स्थापित किया। 1784 में सिंधिया ने डी बायने नामक फ्रेंच कमांडर को अपनी सेना को प्रशिक्षित करने के लिए नियुक्त किया ।
राजस्थानी स्रोतों के अनुसार 1787 में हुए तुंगा (लालसोट) के युद्ध में जयपुर व जोधपुर की संयुक्त सेनाओं ने महादजी सिंधिया की सेना को परास्त किया। 1790-91 में सिंधिया ने मेड़ता में राजपूतों की संयुक्त सेना को परास्त किया, अजमेर उसके नियंत्रण में आ गया और जोधपुर के शासक ने उसे कर देना स्वीकार कर लिया। राजपूताने में सिंधिया की इस विजय से होल्कर की ईर्ष्या इस सीमा तक बढ़ गई कि 1 जून 1793 को लाखेरी के युद्ध में दोनों की सेनाएं भिड़ गईं, जिसमें होल्कर को पराजय का मुंह देखना पड़ा। 12 फरवरी 1794 को पूना के समीप बनवाड़ी के शिविर में महादजी की मृत्यु हो गई। उसके 13 वर्षीय भतीजे दौलतराव को उसका उत्तराधिकारी बनाया गया ।

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21 Dec, 12:32


सिक्ख गुरू ..........

🌿  गुरू नानक देव जी - 1469 - 1539 ई. ( संगत का सकल्प , लंगर की संस्था )

🌿  गुरू अंगद देव जी - 1504 - 1552 ई. ( गुरू मुखी लिपि को लोकप्रिय बनाना , लंगर प्रथा का विस्तार  , उदासी मत का खण्डन , गोइंदवाल साहिब की स्थापना  )

🌿  गुरू अमरदास जी - 1479  - 1574 ई. ( गोइंदवाल साहिब में बाऊली का निर्माण , मंजी प्रथा  )

🌿  गुरू रामदास जी -  1534 - 1581 ई. ( रामदासपुरा की स्थापना , मसन्द प्रथा का आरम्भ , अकबर के साथ मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध )

🌿  गुरू अर्जुन देव जी - 1563 - 1606 ई. (  हरिमन्दिर साहिब का निर्माण , तरनतारन की स्थापना , करतारपुर एवं हरगोबिन्द पुर की स्थापना , आदि ग्रन्थ साहिब का संकलन , अमृतसर की स्थापना )

🌿  गुरू हरिगोबिन्द जी - 1595 - 1645 ई. ( मीरी तथा पीरी तलवारें धारण करना , अकाल तख्त का निर्माण )

🌿  गुरू हर राय - 1630 - 1661 ई. ( दारा की सहायता )

🌿  गुरू हरकृष्ण - 1656 - 1664 ई. ( बाबा - बकाला का उच्चारण )

🌿  गुरू तेग बहादुर जी - 1621 - 1675 ई. ( कश्मीरी पण्डितों की पुकार पर .... बलिदान ( हिंद की चादर ..... भी कहा जाता है )

🌿   गुरू गोबिन्द सिंह - 1666 - 1708 ई. ( खालसा पंथ का सृजन ......
          जापु साहिब , बचित्र नाटक , जफरनामा , चण्डी दी वार , अकाल उस्तति  प्रमुख रचनाएं


( Note ...... Most important  )

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21 Dec, 09:55


🍂मुगलकालीन वजीर

○●बाबर -निजामुद्दीन खलीफा

○● हुमायूं- उवैस मोहम्मद

○● जहांगीर -शरीफ खान  ,एत्माद्उद्दौला, आसफ खां

○●शाहजहां -आसफ खान, सादुल्ला खां

○●औरंगजेब- मीर जुमला, फाजिल खां, जाफर खां, असद खां(31वर्ष, सर्वाधिक)

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20 Dec, 15:02


जंहाआरा


जहांआरा शाहजहां की पुत्री थी जो मुगल काल में सर्वाधिक चर्चित चेहरा रही थी 1648 में जब शाहजहानाबाद बसाया गया था तब उसकी पांच इमारती इन्हीं की देखरेख में बनी थी सूरत बंदरगाह से होने वाली आय इन्हीं के पास आती थी साहिबी  इनका पर्सनल जहाज था जो व्यापार के लिए यूरोपीय देशों तक जाया करता था मुगल उत्तराधिकार में लड़े गए युद्ध के दौरान इन्होंने दारा शिकोह का पक्ष लिया था लेकिन दारा शिकोह की पराजय हुई फिर भी औरंगजेब ने इसे साहिबा तुज जमानी  की उपाधि प्रदान की थी इनके समय आने वाले फ्रांसीसी यात्री वर्नियर ने अपनी पुस्तक  travel in the Mughal Empire मे  लिखा है कि शाहजहां और जहांआरा के बीच अवैध संबध थे लेकिन  इसी के साथ इटली से आने वाले यात्री मनुची जो दारा शिकोह  कि सेना में पहले तोपची था और शिकोह  की पराजय के पश्चात उन्होंने चिकित्सक का पैसा अपना लिया था ने इसका खंडन किया है

1645 मे जहां आरा बुरी तरह जल गई थी बाद में आरिफ नामक एक दास के लरहम लगाने से यह ठीक हुई , यह अंतिम समय तक कुवांरी रही क्योंकि इसके समकक्ष या इसके योग्य वर पूरे हिंदुस्तान में इनको कहीं नहीं मिला
दारा शिकोह की पराजय के पश्चात यह औरंगजेब के पास  राज्य का विभाजन का प्रस्ताव लेकर गई थी जिसके तहत औरंगजेब को दक्षिण भारत मुराद को गुजरात सूजा को बंगाल और दारा शिकोह है को पंजाब का क्षेत्र मिलना था लेकिन औरंगजेब ने इस प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया और दौराई के युद्ध में जो मुगल उत्तराधिकार के लिए लड़ा जाने वाला अंतिम युद्ध के पश्चात साम्राज्य का प्रमुख बन बैठा...

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17 Dec, 14:13


Vigyapti_AP_History_Dated_17_12_2024.pdf

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21 Nov, 14:32


*📢#RESULT_OUT 🔥🔥🔥| 📢 #UP_Police_Constable_Result_Out*

🎯 जारी हो गया यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा का परिणाम!
उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड ने कांस्टेबल परीक्षा 2023 का रिजल्ट जारी कर दिया है। उम्मीदवार नीचे दिए गए लिंक से अपना परिणाम देख सकते हैं।
🔗 रिजल्ट चेक करें: https://ctcp24.com/UP401SL2023/CandLogin.aspx

📌 वेबसाइट: uppbpb.gov.in

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20 Nov, 00:55


UGC NET EXAM December 2024

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18 Nov, 14:06


प्रमुख धर्मनिरपेक्ष साहित्यिक स्रोत

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16 Nov, 12:29


तीर्थंकर - प्रतीक चिह्न

ऋषभदेव - बैल
अजितनाथ - हाथी
संभवनाथ - अश्व
पद्मप्रभ - कमल
सुपार्श्वनाथ - स्वास्तिक
मल्लिनाथ - कलश
नमिनाथ - नीलकमल
नेमिनाथ - शंख
पार्श्वनाथ - सर्प
महावीर स्वामी - सिंह
जैन संस्थापकों को तीर्थंकर, जबकि जैन महात्माओं को निर्गंथ कहा गया। जैन धर्म में कुल 24 तीर्थंकर माने जाते हैं, जिन्होंने समय-समय पर जैन धर्म का प्रचार-प्रसार किया। ये हैं

1. ऋषभदेव 2. अजितनाथ 3. संभवनाथ 4. अभिनंदन 5. सुमतिनाथ 6. पद्मप्रभु 7. सुपार्श्वनाथ 8. चंद्रप्रभ 9. पुष्पदंत (सुविधिनाथ) 10. शीतलनाथ 11. श्रेयांसनाथ 12. वासुपूज्य 13. विमलनाथ 14. अनंतनाथ 15. धर्मनाथ 16. शांतिनाथ 17. कुंथुनाथ 18. अरनाथ 19. मल्लिनाथ 20. मुनिसुब्रत 21. नमिनाथ 22. नेमिनाथ या अरिष्टनेमि 23. पार्श्वनाथ एवं 24. महावीर स्वामी

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15 Nov, 14:03


🔸🔸वीडी सावरकर (1883 से 1966):–

जन्म- 28 मई 1883
मित्र मेला /परिवर्तित नाम अभिनव भारत संस्था आरंभ की ।
1906 में लंदन गए वकालत के लिए...
1857 की क्रांति पर एक पुस्तक प्रकाशित की और क्रांति को आजादी की पहली लड़ाई बताया .....
प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने 1857 के गदर को गदर ना कहकर भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की संज्ञा दी .....
इंडिया हाउस जैसे क्रांतिकारी समूह से संबंध रखने के कारण 1910 में गिरफ्तार कर इन्हें बन्दी बनाकर 8 जुलाई 1910 को इंग्लैंड से मोरिया जलयान द्वारा भारत लाया जा रहा था समुद्र में कूद गए लेकिन पकड़े गए ....
अंडमान दीप की सेल्यूलर जेल में भेज दिया.....
दो बार आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.....
1921 में जेल से मुक्ति मिली....
भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया...
भारत विभाजन की स्वीकृति के कारण कांग्रेस के कट्टर विरोधी हो गए थे....
सावरकर 1937 में हिंदू महासभा के अध्यक्ष बने .....
1938 में इसे राजनीतिक दल घोषित कर दिया .....
काला पानी उनके द्वारा लिखा गया उपन्यास है ,मेरा आजीवन कारावास उनकी आत्मकथा है जिस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

....💐❤️ 🔱

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15 Nov, 02:46


भगवान् बिरसा मुंडा की जयंती की सभी को शुभकामनाएं

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13 Nov, 13:28


Vigyapti_Info_Admit_Card_SET_2024_Dated_13_11_2024.pdf

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05 Nov, 12:23


महिलाओं को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

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03 Nov, 17:31


मुगल काल में भारत आने वाले यूरोपिय यात्री~

थॉमस स्टीवंस-1579

राल्फ फिंच -1588-91

जॉन मिल्डेन हाल-1599-1606

मांस राट-1578

विलियम हॉकिंस -1608

विलियम फिच-1608

पालकैनिंग -1612

निकोलस विथिंगटन -1614

विलियम एडवर्ड-1615

निकोलस डांउटन-1615

टाॅमस रो-1615

थॉमस कोर्यत-1612-17

फ्रांसिस्को पैलसार्ट -1620-27

मैनरीक-1612

पियेत्रो देलावेले -1622

महमूद बल्खी -1624-25

मुतरबी-1626

ट्रैवर्नियर -1641-42

बर्नियर-1656/58

पीटर मुंडी -1628-34

मनूची-1656

मांंडेल्स्लो1638

जीन थेवेनाट-1666

एब्बे कैरे-1670

जाॅन फ्रायर-1672

ओविंगटन-1690-93

डॉक्टर जोवान्ना करेरी-1690

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03 Nov, 15:33


महत्वपूर्ण अभिलेख

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01 Nov, 11:46


मध्य प्रदेश स्थापना दिवस की शुभकामनाएं 🥳💐

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01 Nov, 09:43


🔸🔸प्रमुख युद्ध........💐💐

🔹शूरमार युद्ध –
641-42 A.D.

नरसिंहवर्मन-1 व पुलकेशिन-II

नरसिंहवर्मन विजेता।।

🔹परिमल युद्ध –
641-42 A.D.

नरसिंहवर्मन-1 व पुलकेशिन- द्वितीय

नरसिंह वर्मन विजेता।।


🔹 मणिमंगलाई युद्ध –
642 A.D.
नरसिंह वर्मन प्रथम व पुलकेशिन- द्वितीय

नरसिंहवर्मन विजेता ।।

🔹त्रिपक्षीय युद्ध –
8-10वी सदी

पाल, प्रतिहार व राष्ट्रकूट
▪️प्रतिहार विजेता।।

🔹कोन्गु युद्ध –
चेर व अज्ञात शासक

चेर विजेता।।

🔹वैण्निका युद्ध -
चोल बनाम चैर, पाण्ड्य सहित 11 शासक

चोल विजेता।।

🔹 बेल्लूर का युद्ध –
परान्तक बनाम पाण्ड्य व श्रीलंका
परान्तक विजेता ।।

🔹 तक्कोलम का युद्ध
949 A.D.

परान्तक बनाम राष्ट्रकूट व पश्चिमी गंग
परान्तक विजेता।

🔹तिलकाड़ का युद्ध -
गंग बनाम वेंगी के चालुक्य (विष्णुवर्धन)

विष्णुवर्धन विजेता

🔹कोप्पम का युद्ध
1052 A.D.
में........💐❤️

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01 Nov, 09:43


V.D. सावरकर की पुस्तक का प्रभाव इतना जबरदस्त




Haryana board 8th class

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31 Oct, 04:08


शुभ दीपावली 🪔🪔🙏🙏

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30 Oct, 10:06


हरियाणा असिस्टेंट प्रोफेसर फॉर्म रीओपन

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25 Oct, 02:53


कारलायल सर्कुलर
बंग भंग (बंगाल विभाजन) विरोधी आन्दोलन के दौरान चलाए गए बहिष्कार व स्वदेशी आन्दोलन में  विधार्थियो व नौजवानों ने बढ - चढकर भाग लिया, तब ब्रिटिश सरकार ने आन्दोलन के दमन के लिए अनेक प्रकार के हथकंडे अपनाए...
बंगाल में ब्रिटिश सरकार के मुख्य सचिव कारलायल (कार्लाइल) ने  विधार्थियो को धमकी दी कि यदि सभी सरकारी या सरकारी सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों का कोई भी सदस्य इस आन्दोलन में शामिल होगा तो उन्हें दी जाने वाली सरकारी सहायता बंद कर दी जाएगी,यही कार्लाइल सर्कुलर था...
तब  कृष्ण कुमार मित्र ने एन्टी सर्कुलर सोसायटी बनाकर विधार्थियो को संगठित करके, उन्हें इस बहिष्कार व स्वदेशी आन्दोलन में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना प्रारंभ किया...
इसके अलावा कलकत्ता में राष्ट्रवादी नेताओं ने विधार्थियो का एक सम्मेलन बुलाया गया, जिसमें राष्ट्रीय शिक्षा के प्रचार तथा विस्तार की योजना बनाई गई और सरकारी शिक्षण संस्थानों के बहिष्कार के साथ राष्ट्रीय विधालयों की स्थापना का लक्ष्य रखा गया...
इसी क्रम में राष्ट्रीय शिक्षा के आदर्श को आगे बढाते हुए अगस्त 1906 कलकत्ता में बंगाल नेशनल काॅलेज की स्थापना की गई , अरविंद घोष इस काॅलेज के प्रथम प्रिंसिपल बने थे, सुबोध मलिक द्वारा इस काॅलेज को एक लाख रूपये का दान देकर आन्दोलन को प्रोत्साहित किया...
रविन्द्रनाथ टैगोर, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, विपिनचन्द्र पाल आदि राष्ट्रवादी नेताओं के प्रयासों से 15 अगस्त 1906 को राष्ट्रीय शिक्षा परिषद (National Council of Education) की स्थापना की गई...
डाॅन सोसायटी ने भी राष्ट्रीय शिक्षा को प्रसारित करने का कार्य किया था, इस सोसायटी की स्थापना सतीश चन्द्र मुखर्जी द्वारा रैले कमीशन (विश्वविद्यालय कमीशन)  के विरोध में की गई थी


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23 Oct, 16:01


💛 रबातक अभिलेख, अफगानिस्तान 💛

✍🏼 रबातक अभिलेख अफगानिस्तान के सुर्खकोतल के काफिर का किला नामक पहाड़ी पर स्थित है।
✍🏼 यहाँ पर 23 पंक्तियों का यह विशालतम अभिलेख बैक्ट्रियाई भाषा एवं ग्रीक लिपि में है।
✍🏼 इसमें कुषाण शासकों की वंशावलियाँ दी गई है। रबातक लेख में कनिष्क संवत् का उल्लेख मिलता है।
✍🏼 इसमें कनिष्क की उपाधि " देवपुत्र एवं सम्राटों का सम्राट " दी गयी है।
✍🏼 कनिष्क द्वारा अपने अधिकारी शफर को बागो-लग्गो (देवकुल) या मंदिरों के (नाना देवी एवं उसके पूर्वजों की) निर्माण हेतु दिया गया आदेश भी रबातक लेख में सुरक्षित है।
✍🏼  नोकोनजोका नामक पुरोहित का भी उल्लेख रबातक लेख में है।
✍🏼 इसमें कनिष्क दावा करता है कि उसने नाना देवी से राज्य प्राप्त किया था।

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23 Oct, 01:26


केन्द्रीय हिन्दी समिति ने हिंदी वर्णमाला में संशोधन करते हुए "ळ" को विशिष्ट व्यंजन के रूप में शामिल किया है, अब कुल वर्णों की संख्या 52 से बढ़कर 53 हो गई है।

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21 Oct, 12:51


🔸🔸{12 } मिसल व उसके संस्थापक

🔹मिसल : नेता/ संस्थापक ≈

1. फैजलपुलिया/सिंहपुरिया मिसल......
नवाब कपूर सिंह

2. अहलूवालिया मिसल,.......
जस्सा सिंह अहलूवालिया

3. भंगी मिसल......सरदार हरि सिंह

4. रामगढ़िया मिसल.......
जस्सा सिंह इच्छोगीलिया

5. कन्हैया मिसल...
जय सिंह

6. सुकरचकिया मिसल.
चरत सिंह

7. फलकिया मिसल
चौधरी फूल सिंह

8. निशान वालिया मिसल..... संगत सिंह व मोहर सिंह

9. करोड़ सिंधिया मिसल ...बघेल सिंह

10. शहीद मिसल/निहंग मिसल..
दीप सिंह

11. नक्कई मिसल... सरदार होरा सिंह

12. डल्लेवालिया मिसल... गुलाब सिंह

....❤️💐

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20 Oct, 14:29


Happy karwa chauth to all aspirants 🙏❤️📚

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20 Oct, 02:05


आपकी कामयाबी ही आपका उत्सव है, जब तक कामयाब नहीं हो जाते हर उत्सव आपके लिए व्यर्थ है!!

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19 Oct, 13:09


🔸🔸 औरंगजेब के शासनकाल में सूबों की संख्या 20 और 21 का प्रमाण के सम्बन्ध में विद्वानों के दोनों मत मिलते हैं .........👇👇

डॉ हरिश्चंद्र वर्मा व डॉक्टर एल पी शर्मा 20 सूबों के संबंध में राय देते हैं
किंतु दत्ता राय चौधरी एवं मजूमदार ,, बी के अग्निहोत्री औरंगजेब के शासनकाल में सूबों की संख्या 21 बताए थे जिसमें 14 सूबे उत्तर भारत में 6 सूबे दक्षिण भारत में और एक सूबा अफगानिस्तान में बताया गया। 💐💐

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19 Oct, 13:08


🔸🔸सैयद हुसैन अली ने 1719 ई. में पेशवा बालाजी विश्वनाथ से दिल्ली की सन्धि करके मराठों से सैन्य सहायता लेकर फर्रुखशियर को अपदस्य कर अंधा बना दिया तथा 10 दिन बाद उसकी हत्या कर दी गई।
👉 मुगल साम्राज्य के इतिहास में किसी अमीर द्वारा किसी मुगल बादशाह की हत्या का यह प्रथम उदाहरण था । फर्रुखशियर को
घृणित कायर सम्राट कहा गया था।
....💐💐

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17 Oct, 15:12


Congratulations to all 🥳🥳💐

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17 Oct, 15:12


UGC NET result June 2024 out

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17 Oct, 14:57


https://ugcnet.ntaonline.in/frontend/web/scorecard/ugc-final-score-card2024

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17 Oct, 08:32


UGC NET result date... official update 👍

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17 Oct, 03:43


(1)कुंडलपुर तीर्थ मध्य प्रदेश के दमोह जिले में स्थित एक प्रमुख जैन तीर्थ है।

(2)यह भगवान आदिनाथ की जन्मभूमि मानी जाती है और उनकी 15 फीट ऊंची प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है।

(3) तीर्थ परिसर में 63 अन्य जैन मंदिर भी हैं। कुंडलपुर दिगंबर जैन समुदाय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जहां हर साल हजारों श्रद्धालु आते हैं।

विशेष –:महीने में यहां बड़े धार्मिक आयोजन होते हैं।

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17 Oct, 03:32


सुप्रीम कोर्ट में न्याय की देवी की नई मूर्ति लगाई गई है. जजों की लाइब्रेरी में लगाई गई मूर्ति की खासियत यह है कि इसकी आंखों पर पट्टी नहीं बंधी है. परंपरागत मूर्ति की तरह इसके एक हाथ मे तराजू तो है पर दूसरे हाथ में तलवार की जगह भारत का संविधान है. सांकेतिक रूप से देखा जाए तो नई मूर्ति साफ संदेश दे रही है कि न्याय अंधा नहीं है. वह संविधान के आधार पर काम करता है. ऐसा बताया जा रहा है कि यह मूर्ति चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की पहल पर लगाई गई है.

#SupremeCourt #sc

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13 Oct, 12:47


🔸ऑपरेशन बारबरोसा – हिटलर का सोवियत संघ पर आक्रमण ।।

🔹 ऑपरेशन सी लॉयन - हिटलर का इंग्लैण्ड पर आक्रमण ||

▪️ऑपरेशन टॉर्च - मित्र राष्ट्रों की इटली में प्रवेश करने की योजना ।।💐❤️

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13 Oct, 12:21


🔸🔸बिजोलिया शिलालेख (भीलवाड़ा):-

बिजोलिया शिलालेख राजस्थान के पाश्वर्नाथ जैन मंदिर के पास एक चट्टान पर उत्कीर्ण है, जिसे 1169 ई. (1226 वि.स.) में जैन श्रावक लोलाक द्वारा मंदिर के निर्माण की स्मृति में बनवाया गया था।

प्रशस्तिकार या रचनाकार – गुणभद्र
उत्कीर्णकर्ता – गोविन्द
भाषा – संस्कृत

बिजोलिया शिलालेख में सांभर (शाकम्भरी) एवं अजमेर के चौहानों का वर्णन है। इसके अनुसार चौहानों के आदिपुरुष वासुदेव चौहान ने 551 ई. में शाकम्भरी में चौहान राज्य की स्थापना की तथा सांभर झील का निर्माण करवाया था।

Note – सांभर झील में मेन्था (मेढा), रूपनगढ़, खारी तथा खण्डेला नदियों का पानी आता है।
~~वासुदेव चौहान ने अहिच्छत्रपुर (नागौर) को अपनी राजधानी बनाया।

बिजोलिया शिलालेख में सांभर तथा अजमेर के चौहानों को वत्सगोत्रीय ब्राह्मण बताया गया है।
1169 ई. (1226 वि.स.) के बिजोलिया शिलालेख से चौहानों के समय की कृषि, धर्म तथा शिक्षा व्यवस्था पर प्रकाश पड़ता है।
शिलालेख पत्थर अथवा धातु जैसी अपेक्षाकृत कठोर सतहों पर उत्कीर्ण किये गये पाठन सामाग्री को कहते है। शिलालेखों का अध्ययन ‘एपीग्राफी’ (पुरालेखशास्त्र) कहलाता है।

🔸🔸बिजौलिया शिलालेख में कुछ क्षेत्रों के प्राचीन नाम भी दिए गये है जैसे

प्राचीन नाम : वर्तमान नाम
जाबालिपुर - जालौर
नड्डुल - नाडोल
शाकम्भरी - सांभर
ढिल्लीका - दिल्ली
श्रीमाल - भीनमाल
मंडलकर - मांडलगढ़
विंध्यवल्ली - बिजौलिया
नागह्रद - नागदा ।। 💐💐

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12 Oct, 09:23


🔸🔸'मनसब' शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम अकबर कालीन ऐतिहासिक लेखों में मिलता है।

मनसब कोई उपाधि या पद-संज्ञा नहीं थी। यानि इसका अभिप्राय किसी विशेष पद या कार्य के सम्पादन से नहीं है। बल्कि यह शब्द मुगल प्रशासनिक सेवा अनुक्रम में इसके प्राप्तकर्ता (मनसबदार) की स्थिति एवं पद (रैंक) का बोध करवाता था।

इस प्रकार मनसब का अर्थ पद या श्रेणी (ओहदा) था। मोटे तौर पर देखें तो किसी व्यक्ति को दिए गए मनसब या दर्जे से सरकारी सोपान व्यवस्था में उसका स्थान एवं वेतन दोनों निर्धारित होता था।।
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12 Oct, 03:22


बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक पावन पर्व विजयादशमी की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं🙏🙏

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