NTA CUET (PG) – 2025, कम्प्यूटर आधारित परीक्षा (CBT) का आयोजन 13 मार्च से 01 अप्रैल 2025 तक किया जायेगा।
History Point टेलीग्राम पोस्ट
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अंतिम अपडेट 01.03.2025 10:47
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महत्वपूर्ण सूचना –
NTA CUET (PG) – 2025, कम्प्यूटर आधारित परीक्षा (CBT) का आयोजन 13 मार्च से 01 अप्रैल 2025 तक किया जायेगा।
NTA CUET (PG) – 2025, कम्प्यूटर आधारित परीक्षा (CBT) का आयोजन 13 मार्च से 01 अप्रैल 2025 तक किया जायेगा।
व्याख्या - 1935 के भारत शासन अधिनियम के तहत प्रशासन की विभिन्न विषयों की तीन सूचियों का वर्गीकरण किया गया -
1. संघीय सूची -59
2. प्रांतीय सूची -54
3. समवर्ती सूची -36
इसके अलावा शेष बचे विषयों को 'अवशिष्ट सूची' में रखा गया, जिनकी शक्तियां वायसराय को दी गई।
1. संघीय सूची -59
2. प्रांतीय सूची -54
3. समवर्ती सूची -36
इसके अलावा शेष बचे विषयों को 'अवशिष्ट सूची' में रखा गया, जिनकी शक्तियां वायसराय को दी गई।
✔️ 1833 के चार्टर एक्ट की धारा 53 में एक 'विधि आयोग' की नियुक्ति का प्रावधान रखा गया था, जिसका कार्य भारत में प्रचलित विभिन्न कानूनों को संहिताबाद करना था ।
✔️ पहला विधि आयोग 1835 में लॉर्ड मैकाले की अध्यक्षता में गठित किया गया था।
✔️ पहला विधि आयोग 1835 में लॉर्ड मैकाले की अध्यक्षता में गठित किया गया था।
असफलता से कैसे उबरे? | Failure Motivation session | Dr Ganpat Singh Rajpurohit
https://youtu.be/0wln1IvhPkM
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🔰 गिरमिटिया मजदूर : ये वे भूतपूर्व श्रमिक /मजदूर थे जिन्हे अनुबंध पर अफ्रीका ले जाया गया था । इनके अनुबंध को गिरमिटिया नाम दिया गया ।
▪️ 1913/14 में इन मजदूरों पर 3 पाउंड का कर लगाया गया ।
▪️ इस कानून के विरोध में गांधीजी ने 2000 मजदूरों के साथ केसल से ट्रांसवाल ( ट्रांसवाल मार्च ) यात्रा की ।
▪️ सरकार ने कार्यवाही करते हुए गांधीजी और कस्तूरबा गांधी को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया ।
▪️ 1913/14 में इन मजदूरों पर 3 पाउंड का कर लगाया गया ।
▪️ इस कानून के विरोध में गांधीजी ने 2000 मजदूरों के साथ केसल से ट्रांसवाल ( ट्रांसवाल मार्च ) यात्रा की ।
▪️ सरकार ने कार्यवाही करते हुए गांधीजी और कस्तूरबा गांधी को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया ।
▪️ इसके प्रथम प्राचार्य अरविंद घोष बने तथा सतीशचन्द्र मुखर्जी को अधीक्षक बनाया गया ।
▪️ सतीशचन्द्र मुखर्जी ने भारतीय विश्विद्यालय आयोग के विरोध में 1902 में ' बंगाल एडुकेशन सोसायटी ' की स्थापना की थी ।
आज से आप आधुनिक भारत के हिस्ट्री पॉइंट के handwritten नोट्स ऑर्डर कर सकते हैं । यह ऑर्डर केवल www.rajkirtibooks.com पर किया जा सकता हैं, जो एड्रेस आप फिल करेंगे उसी स्थान पर नोट्स पहुंचा दिए जाएँगे । डिलीवरी करने का अनुमानित समय 5-7 दिन हैं ।
आधुनिक भारत के नोट्स भी मध्यकाल की भाँति दो भाग में जारी किए हैं, पहला भाग 1707 से 1857 तक का भारत है जोकि। 270 पेजेज का हैं। वहीं दूसरा भाग 1857 से 1950 तक का भारत कवर किया है जिसमें 293 पेजेज हैं । आप इसकी डेमो पीडीएफ ऑर्डर वेबसाइट से देख सकते हैं ।
अभी तक मध्यकाल और आधुनिक के नोट्स जारी किए जा चुके हैं। अब विश्व इतिहास के नोट्स अंतिम चरण में है , इसके बाद प्राचीन और फिर राजस्थान के नोट्स जारी होंगे ।
आप हेल्पलाइन 9461826161 पर अधिक जानकारी ले सकते हैं, शेष आज एक वीडियो के मार्फ़त पूर्ण जानकारी और दे दी जाएगी।
✍️ डॉ गणपत सिंह राजपुरोहित
आधुनिक भारत के नोट्स भी मध्यकाल की भाँति दो भाग में जारी किए हैं, पहला भाग 1707 से 1857 तक का भारत है जोकि। 270 पेजेज का हैं। वहीं दूसरा भाग 1857 से 1950 तक का भारत कवर किया है जिसमें 293 पेजेज हैं । आप इसकी डेमो पीडीएफ ऑर्डर वेबसाइट से देख सकते हैं ।
अभी तक मध्यकाल और आधुनिक के नोट्स जारी किए जा चुके हैं। अब विश्व इतिहास के नोट्स अंतिम चरण में है , इसके बाद प्राचीन और फिर राजस्थान के नोट्स जारी होंगे ।
आप हेल्पलाइन 9461826161 पर अधिक जानकारी ले सकते हैं, शेष आज एक वीडियो के मार्फ़त पूर्ण जानकारी और दे दी जाएगी।
✍️ डॉ गणपत सिंह राजपुरोहित
हम पहली गलती यहीं करते है !
कल RAS प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया जिसमें तक़रीबन 21500+ अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा के लिए क्वालीफाई किया गया । प्रारंभिक परीक्षा के अंक अब आगे किसी काम के नहीं हैं , अब पूरी कहानी आगे RAS मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार पर रहेगी।
परीक्षा में उत्तीर्ण होना निःसंदेह खुशी का विषय होता है, और ख़ुद पर भरोसा बढ़ता है कि मैं क़ाबिल हो रहा हूँ , मेरी तैयारी ठीक दिशा में है। इसलिए ख़ुश होना भी चाहिए । मगर ये ख़ुशी इतनी हावी नहीं होनी चाहिए कि हम इस परिणाम को सब कुछ मान लें , आगे कई दिन ख़ुशी मनाने में गँवा दें।
यहाँ अभ्यर्थी से पहली गलती होती है, हर जगह पास होने के स्टेटस लगाना,पोस्ट करना , समाज के ग्रुप में नेम ऐड करवाना , फ़ोन , कॉल व संदेश से बधाइयाँ लेना इत्यादि कार्यों से एक तो कई दिन ख़राब होते है साथ ही परिणाम देने का सामाजिक दबाव बढ़ जाता है , आप सुर्खियों में रहते है , आपको भी आनंद आ रहा होता हैं, फिर हम भी असल पढ़ाई की बजाय दिखावें की पढ़ाई की दुनियाँ में आ जाते है , अंततः हम विफल होते है और यही सुर्खियों में लाने वाले लोग आपकी मजाक बनाते है , फिर आप तनाव में आते है , दुखी होते है ।
इसलिए कहते है खुशी तब मनायें जब वाक़ई में अंतिम रूप से चयन हुआ हो । मुझे याद है प्रथम बार आईएएस प्रारंभिक उत्तीर्ण होने के बाद , मैं ख़ुद इस चक्रव्यूह में फँसा था। जिसका परिमाण कई वर्षों तक भोगा था , आज भी कोई मिलता है तो पूछ लेता है आपका आईएएस का क्या हुआ ? और मेरा मन ख़राब सा हो जाता है और सोचता हूँ कि काश मैं भी सब कार्य चुपचाप करता !
✍️ डॉ गणपत सिंह राजपुरोहित
कल RAS प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया जिसमें तक़रीबन 21500+ अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा के लिए क्वालीफाई किया गया । प्रारंभिक परीक्षा के अंक अब आगे किसी काम के नहीं हैं , अब पूरी कहानी आगे RAS मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार पर रहेगी।
परीक्षा में उत्तीर्ण होना निःसंदेह खुशी का विषय होता है, और ख़ुद पर भरोसा बढ़ता है कि मैं क़ाबिल हो रहा हूँ , मेरी तैयारी ठीक दिशा में है। इसलिए ख़ुश होना भी चाहिए । मगर ये ख़ुशी इतनी हावी नहीं होनी चाहिए कि हम इस परिणाम को सब कुछ मान लें , आगे कई दिन ख़ुशी मनाने में गँवा दें।
यहाँ अभ्यर्थी से पहली गलती होती है, हर जगह पास होने के स्टेटस लगाना,पोस्ट करना , समाज के ग्रुप में नेम ऐड करवाना , फ़ोन , कॉल व संदेश से बधाइयाँ लेना इत्यादि कार्यों से एक तो कई दिन ख़राब होते है साथ ही परिणाम देने का सामाजिक दबाव बढ़ जाता है , आप सुर्खियों में रहते है , आपको भी आनंद आ रहा होता हैं, फिर हम भी असल पढ़ाई की बजाय दिखावें की पढ़ाई की दुनियाँ में आ जाते है , अंततः हम विफल होते है और यही सुर्खियों में लाने वाले लोग आपकी मजाक बनाते है , फिर आप तनाव में आते है , दुखी होते है ।
इसलिए कहते है खुशी तब मनायें जब वाक़ई में अंतिम रूप से चयन हुआ हो । मुझे याद है प्रथम बार आईएएस प्रारंभिक उत्तीर्ण होने के बाद , मैं ख़ुद इस चक्रव्यूह में फँसा था। जिसका परिमाण कई वर्षों तक भोगा था , आज भी कोई मिलता है तो पूछ लेता है आपका आईएएस का क्या हुआ ? और मेरा मन ख़राब सा हो जाता है और सोचता हूँ कि काश मैं भी सब कार्य चुपचाप करता !
✍️ डॉ गणपत सिंह राजपुरोहित