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आज शाम हमारे ज़हन नें फ़िर से... तमाशा शुरू किया...

मजबूरन... मयख़ाने की ओर लौटना पड़ा हमें.


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❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

26 Jan, 18:26


मैनें देखा तो पैर का निसान नज़र नहीं आया,
वो ज़ख़्म दे तो गया सामनें मगर नहीं आया,

कैसे देखता होगा वो आईने की ओर रोज़,
जो कहता था उससे दगाबाज देखा नहीं जाता,

ये बड़ा मुद्दा रहा की मैं रुका रहा उसके लिए,
तमाशा ये हुआ कि उसने रुकना नहीं सोचा..!!

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26 Jan, 15:20


#Episode 84

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25 Jan, 20:14


मैं मनहूसियत की परछाई हूं...

इश्क़ की मिसालों में पुकारेंगे मुझे
जब ये लोग पंखे से उतारेंगे मुझे...

तवायफों को गले लगाकर सुकून अगर मिलता
तो आशिकों का इलाज़ होता कोठे पे...

हुआ ना कोई अब तक इतना परेशान
कोई कैसे समझेगा परेशानी मेरी...

मेरे कमरे से हटा दिए गए
चाकू, छुरी, रस्सी और पंखे
मेरा इश्क़ कशियत है मेरे घरवालों के लिए...

किसी को कहीं दिख जाऊ तो बताना मुझे
एक अरसां हुआ मैं खुद से मिला नहीं...

गया जो छोड़कर तो फिर ना आया वापिस
अभी तक है मेरे ज़हन में घुम रहा
उसका वो खुदा हाफ़िज़...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

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25 Jan, 15:30


#Episode 83

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

25 Jan, 12:00


मैं मर गया

मैं मर गया, उस पल, जब ख्वाब टूटे,
जब अपनों के बीच भी अकेले छूटे।
जब सवालों के जवाब खामोश रहे,
जब दुनिया के शोर में अपने मौन रहे।

मैं मर गया, जब भरोसे का दम घुटा,
जब दिल का हर कोना वीरान छूटा।
जब रिश्तों की गर्माहट राख बन गई,
जब उम्मीदों की रोशनी धुंधला गई।

मैं मर गया, जब चेहरे मुस्कुराहट छिपाने लगे,
जब अपने ही घाव नजरें चुराने लगे।
जब हर सुबह एक बोझ बन गई,
जब ज़िंदगी की किताब अधूरी रह गई।

पर क्या मरना अंत है? शायद नहीं,
हर अंत में छिपा एक नया कहीं।
शायद यह मौत एक आगाज है,
खुद को फिर से पाने का अंदाज है।

तो हां, मैं मर गया, पर फिर जीऊंगा,
अपने दर्द से खुद को सींचूंगा।
जहां अंधेरा था, वहां दीया जलाऊंगा,
अपने टुकड़ों को जोड़, नया मैं बन जाऊंगा।

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

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24 Jan, 18:04


तुम्हे पता है तुम हर जगह हो
इन‌ बातों में तुम
सारी रातों में तुम
इस कमरे में तुम
इन‌ दीवारों में तुम
इस शराब की बोतल में तुम
इस ग्लास में शराब पर उसमें भी तुम
दिन‌ के उजाले में तुम
रात के अंधेरे में तुम
और तो और
मेरी हर सांस में तुम
जान ज़िगर दिल में तुम
इन हवाओं में तुम
इन बरसातों में तुम
जागती सोती रातों में तुम
जज्बातों में तुम
दुनिया की हर कायनातों में तुम
आंखें बन्द करता हूं तो तुम
खोलता हूं तो भी तुम
मुझे अब तुम्हारे साथ की
तुमसे करनी जो बात थी अब उसकी जरूरत नहीं
तुमसे प्यार करने के लिए मुझे तुम्हारी ही जरूरत नहीं...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

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24 Jan, 17:21


मौत के उस रोज़ के बाद मेरा ईश्वर जब मुझसे कहेगा कि बताओ मेरी बनाई दुनियां में क्या अच्छा क्या बुरा लगा तुमको... तो मैं...

बताऊंगा कि....मैं फला, फला फला की संतान,

शुक्रगुजार हूं ...

उन तमाम रिश्तों का जो मैनें हासिल किए बिना किसी मेहनत के,
उन रिश्तों का जो मैनें बनाए अजनबियों से,
उन रिश्तों का जो टिके रहे अंत तक, चले गए बीच में, हंसाते रुलाते मगर याद बनाते,
उन सभी यादों का जो मेरी तिजोरी को मेरा कहलवानें की हकदार बनाती हैं,
कमाई हुई दौलत का और उस दौलत से खरीदी हुई ख़ुशी का,
सही-ग़लत फ़ैसलों का,
सही जगह काम आए सही मुकद्दर का,
हवा का, पानी का, खेत खलिहान, सुन्दर बागान का,
जानवर, पंछी, हिम गुच्छों का
निखरे हुए कोमल पुष्पों का,
उन्नत दिमाग़, दिखते न दिखते जीव-निर्जिवो का,
खाने के तमाम लज़ीज़ व्यंजनों का,
वगैरह वगैरह हज़ार और चीज़ का लेकिन सबसे ज़रूरी सबसे शानदार प्रेम के भाव का...


और बताऊंगा कि मैं नाखुश हूं...

भूख की तड़प से - भूख रोटी की, दौलत की, जिस्म की, शोहरत की, ईल्म की,
ग़लत लोगों के उत्थान से,
सड़ी सोच के अभिमान से,
लकीरों से बंट जाने से,
उजाले के घट जानें से,
धर्म से ख़ासकर, हां, उनके जानकारों से भी,
राजनीति के मद से,
मृत्यु के व्यापार से,
वगैरह वगैरह हज़ार और चीज़ से लेकिन,
सबसे नाखुश सबसे बदतर- सोचने समझने की ताक़त से..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

24 Jan, 13:28


क्यू खोने दिया उसे ए मुसाफ़िर
शायद यह किस्मत का खेल था, जो उसे रोक न सके मुसाफ़िर।

क्यू बीच मझधार में हाथ छोड़ा ए मुसाफ़िर
मजबूरी या गलतफ़हमी ने बीच राह तेरा साथ छोड़ा मुसाफ़िर।

चाहा था मैने साथ निभाना तेरा
तेरी चाहत की गहराई को महसूस किया था मैंने भी पूरा।

पर कभी तू देख ही नहीं सका प्यार मेरा
शायद मैं खुद को जताने में नाकाम रहा या तू समझ न सका।

कितने भी छोड़ तो पुराने लम्हों के पीछे
उन यादों का असर ही कुछ ऐसा है, जो पीछा नहीं छोड़ता।

फिर भी वो दौड़ कर आते है पीछे पीछे
वो लम्हे दिल में बसे हैं, भले ही दूरियां बढ़ जाएं।

कैसे करूं मैं शुरुआत नईं
शुरुआत मुश्किल है, पर तुझसे मिले दर्द ही नया रास्ता दिखाएंगे।

तेरी यादें आज भी बसी है यहीं कहीं.....!!!
यादें भले साथ रहें, पर वक्त नई मंज़िल की तरफ बढ़ा ही देगा...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

24 Jan, 11:34


तुझे पहली बार देखना भी याद है
फिर तुझसे पहली बार बात करना भी याद है
याद है तेरे इंतज़ार में रातों को जागना और
तुझे देखने के लिए इंतजार करना

तेरे साथ हंसना भी याद है और तेरे लिए
रोना भी तुझे सब कुछ बताना भी याद है
और बहुत बातें छुपाना भी

हां याद है तेरी आंखें तेरी हंसी और
तेरी आवाज़ भी,
याद है तुझे दूर से देखना
और तेरे पास होने का अहसास भी

तुझे रोज याद करना भी याद है और
तुझे रोज भुलाने की कोशिश करना भी
तुझे मिलने की खुशी भी याद है
और तेरे ना मिलने का ग़म भी...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

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23 Jan, 18:24


तेरा ख्याल मेरे मन से ना जाए
तो मैं क्या करूं
तू ही बता तेरी याद बेहिसाब आ जाए
तो मैं क्या करूं...

हसरत ऐसी है तुझे एक नज़र
सामने देखकर छु लूं
और किस्मत ये लम्हा ही ना लाए
तो मैं क्या करूं...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

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22 Jan, 16:21


आंखें भी
चमक उठती है
सोते हुए हमारी..

मेरी आंखों को अभी
ख्वाब छुपाने नहीं आते...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

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22 Jan, 13:02


सजदे हर दिन की इबादत बन चुके हैं
तेरी चाहत में हर पल सजते हैं...

जिस दिन तेरा दीदार हो जाएगा
दिल का हर ख्वाब हकीकत बन जाएगा...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

22 Jan, 08:22


तुझमें भोलापन भी है
सोखी भी है
देख सकती काश
अपना हुस्न मेरी आंख से
तुने सब पाया है
आशिक की नज़र पायी नहीं
जबसे देखा तुझको,
दुनिया की तरफ़ देखा नहीं
जबसे चाहा तुझको,
अपनी याद भी आयी नहीं
तुझको पाना ज़िंदगी है
तुझको खोना मौत है
और कुछ इसके सिवा
मेरे फंसाने में नहीं
मांग लूंगा मैं खुदा से
या चुरा लूंगा तुझे
तुझ जैसा मोती दुसरा
उसके खजाने में नहीं
तेरे दिल पर हक मेरा है या नहीं?
दिल धड़कने भी लगा है या नहीं?
प्यार धड़कन में छुपा है या नहीं?

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

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22 Jan, 02:54


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21 Jan, 10:05


फ़िर से नया एक ख़्वाब लिखा है
राधा को बेहिसाब लिखा है

कभी लिख्खी पुष्प मालाएँ तो
कभी राधा को ग़ुलाब लिखा है

कभी लिखा प्यार राधा को
कभी लिखा ऐतबार राधा को

कभी लिखा करार इस मन का
कभी लिखा इन्तजार राधा को...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

20 Jan, 14:39


मैनें हर बार की तरह इस बार भी देर से समझा,
यही वजह है कि समझदार हंस रहे हैं सब,

मैं कम अक्ल होकर भी परेशान नहीं हूं,
वो तेज़ तर्रार लोग छटपटा रहें हैं सब..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

20 Jan, 07:56


वो
ख़ुदा की कोई तवज्जो नहीं फ़रियादों में
कहाँ अब कोई असर मेरी मुनजातों में
आसाँ है ना कह देना कि कोई काम पड़ गया
उससे पूँछों जिसने काटी है रात आँखों में
ना जाने क्यों इंतज़ार रहता है कि वो कुछ बोलें
ना जाने क्या भुलावा है उसकी बातों में
मिल भी जाता है तो भी दूरी बहुत लगती है
अब तो बस दर्द ही मिलता है मुलाक़ातों में
इतना रोये हैं हम भी बिछड़ के अब के बरस
हमारे साथ साथ अब्र भी रो रहे बरसातों में
तैर कर छोड़ गया डूबती कश्ती में हमें
हिसाब-ए-दोस्ताँ भी मिल गया है खातों में...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

19 Jan, 09:27


उनकी तस्वीर को सीने से लगाए रखा
एक आग थी, उसे दिल में जलाये रखा..

याद आती थी तो रह रह के पुकारा उसको
उसके एहसास को अपने पास बिठाए रखा...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

18 Jan, 12:29


तुने रूलाकर रख दिया...
ऐ जिंदगी हमको..

जा के मेरी मां से पुछ...
कितने लाडले थे हम....!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

18 Jan, 10:49


साथ चलो ...कुछ दूर ही सही
उम्र भर ना सही पर
थोड़ी दूर तो साथ चलो
लेकर हाथो में हाथ
करनी है तुमसे ढेर सारी बात
चलो अब खामोशी छोड़ो
कुछ तो बात करो,
बस थोड़ी दूर तक तो
साथ चलो
बीत जाए कुछ
पल जीवन के तुम्हारे साथ
यही तमन्ना है मेरी
करने को पूरी मेरी
ख़्वाहिश सुनो
सिर्फ थोड़ी दूर तक
तो साथ चलो
बाहों में भर लूँ तुम्हे
जी भर के
आंखों में कर लूं
कैद तुम्हे
हक़ीक़त में ना सही मगर
ख्वाबो में देने साथ
अरे ! कुछ दूर तो
साथ चलो
उम्र भर ना सही
मगर कुछ दूर तक तो
साथ चलो....!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

18 Jan, 08:48


अपनी बेरुखी थोड़ी सी कम कर दो
वरना ये दिल रो-रो के थम जाएगा
तुम्हें लगेगा सब कुछ है जैसा
पर हर ख्वाब मेरा बुझ जाएगा
तेरे खामोश लफ्ज़ों की चोट है
जो हर घड़ी मेरी रूह से होती है
तेरी बेरुखी का ये आलम है
हर साँस मेरी अधूरी होती है
अब ये दूरी मत और बढ़ाओ
थोड़ा तो मुझे अपना बनाओ
ज़िंदगी को अपनी वीरान बनाकर
दुनिया के सारे गमों को हर जाऊंगा
लोग समझेंगे कि मैं आफलाइन हूं
और फिर एक दिन मैं मर जाऊंगा...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

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17 Jan, 14:05


तुने रुलाकर रख दिया
ऐ जिंदगी हमको
ख्वाबों का मोल समझाया
और उम्मीदों को तोड़ दिया
हर मुस्कान में छुपा लिया गम
और हर कदम पर कसौटी रख दी
जा के मेरी मां से पूछ
कितने लाडले थे हम
मां की गोद में सजी थी दुनिया
उसकी लोरियों में बहती थी नदियां
उसकी नजरों में बसी थी तस्वीर
जिसमें बस थी खुशियों की तकदीर
पर जिंदगी, तूने कैसा इम्तिहान लिया
हर हंसी पर एक आंसू का मोल दिया
फिर भी दिल की गहराइयों में
मां की ममता आज भी है छुपी
ओ जिंदगी, ये खेल तेरा समझ ना आया
पर मां की दुआओं ने हर ग़म हरा दिया
अब भी लाडले हैं उसके
उसकी नजरों में हम सदा के लिए...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

16 Jan, 18:51


झुमके, बिंदी और काजल सब छूटे मुझसे
तेरी यादों ने बस लिया हर ख्वाब मुझसे...

न ही ये बिखरी जुल्फें संभली
तेरे बिना अब कोई सुबह न निकली...

कि बाद तेरे ये दिल दीवाना हुआ ही नहीं
तेरे इश्क़ का असर कम हुआ ही नहीं...

तेरे दिल से निकाले, आवारा ही रहे हम
तेरे बिना फिर कोई रास्ता मिला ही नहीं...

कि बाद तेरे मेरा कोई ठिकाना हुआ ही नहीं
तेरी यादों के सिवा मेरा कोई आशियाना कभी हुआ ही नहीं...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

16 Jan, 06:48


तुम ज़िंदगी में
भरपूर दौलत कमाना
सीख पाओ या नहीं
मगर बेहतरीन लहज़ा
जरूर सीख लेना
क्यूंकि शब्दों के चयन में
अगर तुम कच्चे रह गये तो
ये तुम्हारे करीबी लोगों को
हमेशा तकलीफ़ देगा
चाहे तुम्हारा ह्रदय
कितना ही साफ़ हो
क्यूंकि ज़ख़्मी करने की
सबसे तेज धार
किसी तलवार की नहीं
बल्कि शब्दों की ही होती है
जो बिना छुए भी
किसी व्यक्ति को
अंदर तक चीर सकते हैं...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

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15 Jan, 15:38


तुम ना लगा पाओगे
मेरी तबाही का अंदाजा...

तुमने देखा ही कहां है
मुझे शाम होने के बाद...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

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14 Jan, 14:08


कईं शामें गुजरी थीं
उनकी बातों के सहारे
जिनकी मिठास में खोकर
दिल को मिलतेे थे नज़ारे
कई रातें उन बातों को
भूलाने में लगी
पर उसकी यादों के साये ने
कभी मेरा पिछा नहीं छोड़ा
चाँदनी रातों में वो फुसफुसाहट
हर ख़ामोशी को बयां करती है
अपने ग़मों से लड़ते हुए
उसकी यादें मुझसे खेलती है
मेरे ख्वाबों में हर पल
उसकी बातें तैरती हैं
जिनसे दिल को सुकून मिलता
वो लम्हें अब और नहीं लौटते
वक़्त ने सिखाया बहुत कुछ
पर उनका अहसास चुराया
कईं शामें गुजरी थीं
पर मेरी रुह ने अब भी तन्हाई पायी..!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

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13 Jan, 17:05


सोचों कितनी शिद्दत से
मोहब्बत की होगी मैंने
कि अब तुझे देखने से भी डरता हूं...
सोचता हूं कि क्या करूंगा
अगर तुझसे मिला
क्या रोक पाऊंगा
अपने आंसू को बहने से मैं
ये दिल जो इतने समय से
पत्थर कर रखा है मैंने
क्या फिर से
तेरे नाम से धड़कने लगेगा
रूह कांप जाती है
ये सोचकर भी
कि अगर तुम
किसी ओर की हो गई
तो क्या होगा मेरा हाल...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

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12 Jan, 19:07


महंगी है तु कोहिनूर से भी
खुबसूरत है तु हूर से भी...

दूर से दिखते हैं चांद में दाग़
मगर बेदाग है तु दूर से भी...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

11 Jan, 15:40


क़ैदी जो बंद था वो भूल गया था,
उसे तो अब क़ैद में ही मज़ा आनें लगा था,

जब आज़ाद किया गया तो रोने लगा वो,
कहने लगा कि उसको ऐसी सज़ा न दो,

कोई तो जुर्म होगा जो कर दें अभी तुरंत,
बाहर नहीं जाना है हमको क्षमा करो,

ये देखते ही जेलर को गुस्सा बहुत आया,
दूर से ही गालियां बरसाते वहां आया,

बोला कि रोटी चुराने की इतनी ही सज़ा है,
बड़े आदमी थोड़ी हो की हमेशा का मज़ा है..!!

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11 Jan, 15:23


किताबों की संगत का असर हो रहा है हमपर,

दिखावे का नक़ाब नज़र आ रहा है सब पर..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

10 Jan, 16:04


उनकी उम्मीद थी जो टूट गई तो दुःखी हैं,

हमें तो जैसे डिग्रियां हासिल हैं इन मसअलों में..!!

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08 Jan, 14:24


तुम्हारा साथ भी छुटा
तुम अजनबी भी हुए...

मगर जमाना अब भी तुम्हें
मुझ में ढूंढता हैं....!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

08 Jan, 09:08


तुम्हारी उपस्थिति में
ह्रदय भर जाता है...
और तुम्हारी अनुपस्थिति में आँखे...

और दोनो परिस्थितियो में
मेरे भीतर से प्रेम का उभर जाना
कोई नही जानता
कोई नही.....
तुम भी नही....!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

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07 Jan, 22:42


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07 Jan, 14:47


फिर इसे इत्तेफ़ाक न कह ऐ मेरे शहर की ज़ालिम हवा के पैगम्बर,

तुमने मेरे अधर छुए तो लगा कि उसने चूमी है मेरी तस्वीर कोई...!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

07 Jan, 14:15


इंसान तो शायद बुरा माने,
कागज़ को नहीं बुरा लगता,
यादों में आग लगा नहीं सकते,
इसमें तो आसान होगा,

रोना है तो रो सकते हैं
लिखते लिखते हर्ज़ ही क्या,
नहीं कुरेदता है वो दुःख को
नहीं पूछता मर्ज है क्या,

नाम किसी का लिखना चाहें
आपकी मर्ज़ी लिख सकते हैं
बदनाम किसी को करना चाहें
आपकी हस्ती कर सकते हैं,

नंगा करना है नंगे को ?
कीजिए कीजिए बढ़िया है,
भूल की माफ़ी मांगनी है ?
मांग लीजिए बढ़िया है,

अच्छा करना है तो ठीक है,
बुरा वुरा हो तो भी ठीक,
कौन यहां है आपसास में,
जो कर देंगे वही है ठीक,

शस्त्र गिरे हैं उठ जाएंगे,
लड़ना आप शुरू करिए,
मुर्दा हैं तो जी जाएंगे,
लिखना आप शुरू करिए..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

07 Jan, 13:52


कितना ज़लील कितना गिरा
कितना बुरा उन्हें कह दूं,

हर एक बात से मुकर जाते हैं
कितना मरा उन्हें कह दूं.. (१)


रोज़ पहुंचते मंदिर-मस्जिद
रोज़ दुआ की लिस्ट बढ़ाते,

चाहिए उन्हें भी वैसा कोई
जैसा स्वयं नहीं बन जाते.. (२)


काबिलियत की सूई से वो
बांध रहे हैं खुली हवा को,

भ्रम है उनको ठीक होगा सब
एक दफा आ जाए धन तो..(३)

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

07 Jan, 12:36


जिस्म की दरारों से
रूह नजर आने लगी...

बहुत अंदर तक तोड़ गया है
मुझे इश्क़ तेरा...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

06 Jan, 09:44


ठेकेदार समाज के....

कम पढ़े लिखे कम समझदार,
मारपीट करनें वाले हुडदंग करानें वाले,
रैलियों में कुर्सी लगानें वाले भीड़ बुलानें वाले,
सभा का मंत्री सचिव उपसचिव वगैरह,
बने हैं ठेकेदार समाज के....(१)

सबको सही ग़लत बतानें वाले ख़ुद ही न मानने वाले,
धरम जाति में कट्टरता जतानें वाले,
बदलाव को नकार देने वाले,
अपनें को ऊंच औरों को नीच जताने वाले,
बने हैं ठेकेदार समाज के....(२)

जो पुराना सब अच्छा नया बुरा बुरा है सब,
सही को सही ग़लत को ग़लत ना मानने वाले,
जो उनका नेता कह रहा वही आख़िरी सच कहने वाले,
रिश्तों को खिलवाड़ समझने वाले,
बनें हैं ठेकेदार समाज के....(३)

घर में महिला के बोलने की मनाही,
बाहर उत्थान चिल्लाने वाले,
अपना बच्चा पढ़े विदेश और देश शिक्षा महान कहने वाले,
लाशों पर बनी गद्दी पर बैठ हुक़ूमत करने वाले,
बनें हैं ठेकेदार समाज के....(४)

इश्क़ पता चलनें पर दोनों को क़त्ल करने वाले,
बेटी बेटे की नापसंदगी पर भी ब्याह करवाने वाले,
गैरों से शारीरिक संबंध रखने वाले,
प्रेम विवाह अपराध मानने वाले,
बनें हैं ठेकेदार समाज के....(५)

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

05 Jan, 15:44


आज तुझे नहीं सोचूंगा...

बस यही सोचते सोचते
तुझे दिनभर सोचा मैंने...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

05 Jan, 12:00


ज़मीन पर चुनाव

सफ़ेद कुर्ते में जा रहे थे डकैत दिन में
किया लपककर प्रणाम सब ने,

वहीं बगल में एक साधु को चोर कहकर
मारा बहुत लोगों जी भर के..(१)


निकल पड़े हैं आवारे गुंडे
गिरेंगे पैरों में आकर के सबके,

कहेंगे बदलाव होगा तभी जब
गिरोह को सत्ता में लाएंगे अबके..(२)


ग़रीबों को दारू मिलेगी विदेशी
मिलेगी निठल्लों को मुर्गी की दावत,

जो पढ़ के हैं बैठे मिलेगा भरोसा
की नौकर बनाएंगे रोटी की बाबत..(३)


दाढ़ी और धोती में कौन बड़ा है
बहस का यही होगा मुद्दा अकेला,

जो हम कह रहे हैं वही सत्य शाश्वत,
जो कुछ कहा तो होगा झमेला..(४)


सड़कों को नाला स्कूलों को अड्डा,
हर एक मोड़ पर नया ठेका खुलाएंगे,
चोरी छिनौती का पुण्य कहेंगे,
औरत को बाजार बेचा करेंगे,
पत्रकारों को बढ़िया पदवी दिलवाएंगे,
फोकट में सारी दुनियां घुमाएंगे,
सरकारी परीक्षा को महंगे में बेचेंगे,
छात्र कहेगा तो डंडा बरसाएंगे,
थाने कचहरी में व्यापार होगा,
अमीरी की क़िस्मत का व्यवहार होगा,
धड़ल्ले बिकेगा तमंचा और गांजा,
लेकिन फसल का ना बाज़ार होगा,
दूध दही फल पर टैक्स लगाएंगे,
फिल्मों को हां टैक्स फ्री कर दिखाएंगे,
शहीदों की शहादत पर सियासत करवाएंगे,
लेकिन व्यवस्था ना एक बढ़ाएंगे,
बड़े कर्ज़ों को माफ़ी का हक़ होगा,
चवन्नी अठन्नी में कुड़की कराएंगे,
दुश्मन को अपनें खेमें में घुसाएंगे,
बाक़ी जो होगा ख़रीद ले आएंगे,

कहना तो चाहते थे यही लेकिन साहेब,
इसके उलट बाण बौछार होगा

गांव को अपनें अमरीका बनाएंगे,
भाषण यूं ऐसा धुंआधार होगा..(५)

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03 Jan, 20:02


बात कलेजे को चीरते हुए निकली और कहने वाले ने कहा कि मज़ाक था,

सुनने वाले ने आंखों में देखकर कहा मज़ाक नहीं था तुम्हारा सच था शुक्रिया..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

03 Jan, 14:57


बता रहा था कोई की खयाल कैसे होता है,
जैसे तुम सोचते हो वैसे तो नहीं होता है,

एक तरीका है एक मिजाज़ है और वो अनायास है,
कुछ भी कैसे भी कहना करना ठीक है लेकिन
ऐसे नहीं होता कि हुआ ना हुआ एक ही होता है,

कुछ नज़ाकत हो कुछ शर्म की बूंद हो,
कुछ हया में गुफ्तगू रहे, कुछ हक़ीक़त के साथ कल्पना की धुंध हो,

प्रेम की बातचीत में आलिंगन का मिश्रण हो,
छुवन हो, संधि हो, एक दूसरे के बंदी हो,

अधरों पर आए बात मगर चुपचाप रहना,
आंखों में अश्क़ आनें से पहले ही अंदर रखना,
हाथ की हथेलियों में हाथ की हथेलियां हों,
या फिर ऐसा हो किसी की गोद और किसी का सर रखना,

बिजली तन में रहे मन में रहे और रहे सासों में,
सुकून तन में रहें मन में रहे और रहे सासों में,
मिलने का सुख तन में रहे मन में रहे और रहे सासों में,
वक़्त हो चला है इसका दुःख तन में रहे मन में रहे और रहे सासों में,

यही बता रहा था कोई की खयाल कैसे होता है,
जैसे तुम सोचते हो वैसे तो नहीं होता है..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

02 Jan, 17:53


अधूरी सी रह जाएंगी ये हमारी तुम्हारे लिए कही गई बातें,

तुम तक पहुंच जाएं अगर तो हम समझेंगे कि शायर हो गए..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

02 Jan, 17:46


वक़्त गलत जगह से हटा कर सही जगह लगाना था,
और ये ग़लत क्या है सही क्या बस यही जान जाना था,

ये सही ग़लत ग़लत सही जो हुआ सो हुआ होता रहा,
मगर जो अब समझ जानें के बाद होगा तब अपराध संगीन होगा..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

01 Jan, 15:39


बढ़ती उम्र जता रही है हैसियत दिखा रही है,
ना शादी ना पैसा ना नाम ना कुछ और,

कहीं से निकले थे कि हासिल करके लौटेंगे,
ना हासिल हो रहा है ना लौटने की हिम्मत हो रही है,

पर बाक़ी है यकीनन ज़िंदगी की रातें बहुत सारी,
मिलेगा ज़रूर बहुत कुछ मां की दुआ बता रही है..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

31 Dec, 17:45


कहीं एक रात की बात है,
वही मुलाक़ात की बात है,
मैं और मेरी तन्हाई बैठ के रोते हैं,
दिन में तड़प तड़प के सोते हैं,
रात तो सर्द है नींद कहां आएगी,
दिन में आसूं छुपाना है बिस्तर में छिप जाएगी,
बाहर निकले तो लोग सवाल पूछेंगे,
ना चाहते हुए ज़ख्म नोचेंगे,
भला यही है कि यहां से बेहतर हो जाएं,
ग़ैरों के लिए न सही अपनों की खातिर लड़ जाएं,
जिए ज़िंदगी ज़िंदगी की तरह,
मां बाप भाई बहन की लिए ही सही लेकिन,
कुछ कायदे का कर जाएं..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

31 Dec, 17:40


उसके शहर में होता तो ज़रूर जाता दीदार की खातिर,

अब जब कोई है नहीं तो कहां जाएं सर्द रातों में..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

31 Dec, 17:38


ये सिफ़ारिश तो बहुत पुरानी है, बेकार है, भूल जाओ इसको,

यही कह रहे हैं फ़रिश्ते आज भी जब सुना है कुछ बदल रहा है..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

30 Dec, 15:55


मैं ऐसी मौत चाहता हूं... कि... वो आए और... मैं मुस्कुरा कर कहूं कि.... आ मैं तैयार हूं...

आंखों में आंखें डालकर,
डरकर नहीं...... लड़कर,
और फिर दोनों मुस्कुराएं और.... बस कहानी ख़त्म..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

30 Dec, 14:56


कहीं से आकर कोई चला भी गया,

हम बुरे थे फिर बर्बाद हो के रह गए..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

30 Dec, 09:25


किसी से कोई गिले-शिकवे हो
तो माफ़ कर देना यारों

सुना है दिसम्बर के बिछड़े
फिर कभी नहीं मिलते...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

27 Dec, 19:10


बिना इश्क़ बिताई जाए या मुकम्मल हो ये इश्क़,

अधूरा रह जानें पर शख़्स अधूरा ज़िन्दा रहता है..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

27 Dec, 19:03


पसंद करना और पसंद आना,
फ़र्क़ है साहेब,

इश्क़ होना और इश्क़ निभाना,
फ़र्क़ है साहेब..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

27 Dec, 19:01


ज़रा मैं नींद में था
बुरा सपना भी साथी था,

नहीं मै डूब नहीं पाया,
लौट आनें का आदी था..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

21 Dec, 17:50


निभाई जाए तो ठीक है वरना तो इश्क़ क्या,

करता तो हर एक शख़्स है उसमें खास क्या..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

18 Dec, 18:40


मैनें तो चुना था तुझे अपनें आप के लिए,

तेरी पसंद मैं नहीं तो कोई बात नहीं..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

17 Dec, 17:06


मैं अपनें बाद कुछ नहीं जानना चाहता जहान में,

मैनें खुली आँखों से देखे हैं ऐसे ऐसे हादसे की क्या कहूँ..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

15 Dec, 14:32


कैसा निकलती होगी जान मैं एक हादसा बताता हूं,

चाहनें वाला नज़र झुका कर दूसरी ओर चल देता होगा..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

15 Dec, 14:17


मैनें जाना है कि चौबीस घंटे में कितनी दफा टिक टिक करती है सूइयां..

कुछ इस तरह बेसब्र होकर किया है इंतेज़ार तेरे दीदार का..😍❤️

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

13 Dec, 08:18


कुछ मिला ही नहीं है मलाल करके
हमने देखा है खुद से सवाल करके...

जिसे देख कर तुम दिल हार बैठे हो
चला जाएगा एक दिन बवाल करके...

जो हासिल है, बस वही तुम्हारा है
इसको ही रखना है, संभाल करके...

शिकायत में माहिर है दुनिया ये सारी
खूबियां है तो दिखाओ कमाल करके...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

12 Dec, 19:16


इतने भरम तो हैं ही ऐ परवरदिगार तेरी बनाई दुनियां में,

बस इस भरम की दुआ है कि तू आज अभी से मेरा है..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

12 Dec, 19:06


किराए की दुनियां सिखा रही है बहुत कुछ,
बता रही है औकात दिखा रही है असलियत,

रुपयों की खनक से होती है दोस्ती यारी वारी,
वरना दिख जाती है वही जो हो सही नियत..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

12 Dec, 18:55


बहुत मजबूत बने कोई इसमें किसी को क्या लेना क्या देना,

तकलीफ़ तब है जब किसी को मजबूर कर के बना जाए..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

11 Dec, 14:48


कुछ लोग समझते हैं फरिश्ते हैं गांव में,
मां बाप से पूछो क्यों चले आए थे छोड़कर,

राजनीति की दलदल में फंस गया है गांव,
रौशनी कहीं और निकल आई छांव रह गया है गाँव,

यूं तो ऐसा है कि मन जाने को तड़पता है,
मगर वहां ना रोजी है ना रोटी का अता पता है,

बुरे नहीं है लोग लोग तो वैसे हैं जैसे यहां हैं,
बस काम नहीं है तो लगे हैं एक दूसरे को नंगा करनें में,

इस प्रतियोगिता में ख़ुद ही पड़े हैं,
पढ़ तो रहे हैं मगर बढ़ नहीं रहे,

वही सरकारी नौकरी, वही दामाद की खोज,
वही खेत का बवाल, वही घूम घूम खाने की मौज,

नहीं, बुरा कुछ भी नहीं है,
मगर सोच में बदलाव की रफ़्तार बहुत धीमी है,

नकली धर्म जाती समाज की जड़े बहुत जकड़ी हैं,
असल छोड़कर दलालों की पकड़ यहां तगड़ी है,

भागी किसकी बिटिया, कौन ब्याह लाया नीच लड़की को,
कहां फौजदारी हुई, कौन हांक गया बकरी को,

पटीदार ने दहेज़ दस लाख दिया हम तो बारह देंगे ही,
उसने कर्ज़ा आठ लिया हम तो दस लेंगे ही,

बिक गए खेत, घर है बस नाम का,
मुफ़्त है राशन मिल रहा सरकार का,

आदत है, हां आदत है हर दफा वही करने का,
चुनाव के पहले पैर छुआनें बाद में पैर पड़ने का,

बाक़ी कुछ कसर कानून पूरी करता है,
एक थोड़ा झगड़ा हो मुकद्दमा तमाम उम्र चलता है,

जो शहर निकल आए वो बुरा भला कुछ तो उसे बताते हैं,
हां त्यौहार पड़ जाए याद गज़ब जताते हैं,

लौटना चाहते हैं वहां कुछ न करने के लिए,
चलो बस किसी तरह काट लेंगे ज़िंदगी वहीं गांव में गांव के प्रेम में रहनें के लिए..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

11 Dec, 14:21


क्यों कैसे??

क्या हुआ कैसे हुआ
क्यों यहाँ पर पहुँचे हैं हम
आँसू पछतावा, जलन
और काँपते, थकते क़दम...

सिमटती सी दीवारें हैं
दर बंद से होते सभी
ग़म-ओ-ज़िल्लत, घुटन, बिछड़न
और एक टूटी क़लम...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

03 Dec, 18:27


वो तो तू हो गया जुदा मुझसे,

वरना मैं कहता कहीं मैं ख़ुदा तो नहीं..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

03 Dec, 17:55


बहुत समझाया उसने मनाया उसने की मान जाएं हम,

आखिरकार वही गया छोड़कर और हुए तबाह हम..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

02 Dec, 17:12


तेरे साथ वाली तस्वीरों ने भरम रखा है कि तू था,

मैं तो भूल जाना चाहता हूं कुछ कुछ किस्से अपनें..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

02 Dec, 17:05


ये आदत उनकी ये भूल जानें की आदत,

कहीं ऐसा ना हो हमें ही भूल जाएं ..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

01 Dec, 13:24


काम उनका था मदद मांगी भी उन्होंने,
मैं खामखा बदनाम हुआ सारी बस्ती में,

यूं तो ठीक था कि कुछ तो कहते हैं कहने वाले,
मगर उन्होंने सबसे कहा कि दाग है मेरी हस्ती में..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

01 Dec, 13:14


नर्म लहज़ा है उनका फिर भी डरते हैं हम,

कहीं बिगड़ गए वो तो हमारा क्या होगा..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

01 Dec, 04:15


ये इतवार वाला दिन, तुम्हारी याद वाला दिन,

चले आओ यार, आज ही तो है यार वाला दिन..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

30 Nov, 17:46


बदल रहे हैं मौसम हवाएं भी हैं बदल रही,

मेरे महबूब तुम ना लौट आना अब ख़ाहिश नहीं रही...!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

27 Nov, 16:57


बातों से कहां मिलते हैं महबूब जहां में, सब किताबी बातें हैं,

दौलत के साथ साथ क़िस्मत और जाती धर्म की बड़ी बातें हैं..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

26 Nov, 17:05


17 की उम्र से हैं सफेद बाल मेरे
मुझ से मत पूछो घर का हाल मेरे
अच्छा लगता है बात करके आईने से
बहुत मिलते हैं उस लड़के से ख्याल मेरे
बचपन से तलब है जन्नत की और
जहन्नुम के है अमाल मेरे
कम उम्र मेरी और ये धुएं का शौक़
यार सिगरेटों ने दबा दिए गाल मेरे
मुझको मौत आ जाए इस शायरी से पहले
वरना तकलीफ देंगे तुमको सवाल मेरे...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

26 Nov, 16:49


सच कहना मुश्किल था पर बड़ी हिम्मत लगी और कह दिया,
और अच्छा किया कह दिया,
मुझे लगा था वो बुरा मानेगा लेकिन,
उसने कहा उसे भी उम्मीद यही था मुझसे,
ये बात और है कि ज़रा लगा ख़राब पर अच्छा लगा कि पहली बार मना किया मैनें,
मना किया उस चीज़ के लिए जो पसंद नहीं थी मुझको,
काश ये हुनर पहले ही सीखा होता,
तो इतना नहीं दिल मेरा दुखा होता,
बहरहाल कल से मैं ये क़ानून बनाने वाला हूं,
हर ना-पसंद चीज़ को ना करने वाला हूं..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

26 Nov, 16:23


मैं लिख पाऊं कुछ तो
मैं खुद को लिखूंगा
खुद के हिस्से का दर्द
गम सब लिखूंगा
वो मायूसी भरे दिन
वो रोती हुई रातें लिखूंगा
कुछ ख्वाब अधूरे
कुछ शिकायतें लिखूंगा
कुछ शोर अपना
कुछ सन्नाटे लिखूंगा
सबसे दूर लेकिन
खुद के करीब लिखूंगा
मैं खुद को बदनसीब लिखूंगा
लिखूंगा मैं खुद को खुली किताब में
फिर उस किताब को बेनाम लिखूंगा...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

26 Nov, 16:22


पसंद का प्रेम से लेना देना होगा ही,

मगर रोज़ पसंद बदल जाए तो क्या...!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

22 Nov, 17:32


प्यादे हैं हम रोज़ सियासत खेला करती है हमसे ही,
वोट का मौसम आ जाए तो भीख मांगते हमसे ही,

हम ना सुधरते भिखमंगो को आका मान बैठते हैं,
जेलों को भरने वाले भरते हैं जेबें हमसे ही...!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

22 Nov, 17:19


एक बार की नींद बहुत अच्छी होगी,

ये रोज़ रोज़ का सोना बुरा होता है..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

21 Nov, 18:41


कैसे पार पाऊं इस बात से कि वो मुझे बुरे हैं बहुत बुरे,

मगर मैं क्या कहूंगा उनसे कि मैं बहुत अच्छा हूं..?

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

21 Nov, 18:34


मैं कमज़ोर पड़ रहा हूं आवाज़ उठाने के मामले में,

मुझे लगता है कभी तो शर्म आएगी उसे अपनी गलतियों पर..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

21 Nov, 17:14


क्यों ये अख़बार मुझे हर रोज़ एक से लगते हैं,

दुनियां में कभी कुछ अच्छा होता ही नहीं क्या..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

21 Nov, 17:08


नहीं है मेरे पास कोई जिसे मैं दोस्त कह सकूं,

मेरे बस की नहीं कि सबको दोस्त कह सकूं..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

21 Nov, 06:23


जो आईने में था दिखाता
मुझे वो सख्स चाहिए...

में खो गया हूं
मुझको मेरा अक्श चाहिए...

मेरी किस्मत के कागज
अब तक कोरे थे तो क्या..

नई कहानी लिखनी है
बस कुछ लफ्ज़ चाहिए...

यहां सदियां लग गई
पत्थर को हीरा होने मैं...

मुझे भी वक्त बदलने के लिए
थोड़ा सा वक्त चाहिए....!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

20 Nov, 14:54


मैं ये तो नहीं कहता कि साहब रोना ज़रूरी है,

मगर रोते वक़्त हमारा अकेले होना जरूरी है..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

20 Nov, 14:45


नहीं बिगड़ पाएंगे हम शायद अब की बार,

हमनें देखा है मां-बाप की मुश्किलों का पहाड़...!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

19 Nov, 07:17


कोई हालात को नहीं समझ पाता...
तो कोई जज़्बात को नहीं समझ पाता,

कोई कोरा कागज़ भी पढ़ लेता है...
तो कोई पूरी किताब नहीं समझ पाता,

ये तो बस अपनी-अपनी समझ है..
कोई चेहरे पर मुस्कान देखकर
दिल का दर्द समझ लेता है...

तो कोई आँखों का पानी देख कर
दर्द-ए-दिल  नहीं समझ पाता...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

17 Nov, 06:02


कभी कभी दिल चाहता है,
सब कुछ त्याग निकल जाए...
एक अंतहीन सफ़र पर...
जहाँ ना किसी मंज़िल की तमन्ना हो...
ना रास्तों की उलझन...
ना मिलन की ख़ुशी...
ना बिछोह का डर...
बस तन्हाई ही साथी हो।

आकाश की चादर...
घास का बिछौना...
मन और तन सब वैरागी हो...
ना बेवजह का हँसना...
ना दिल दुखने पर रोना...
अपने अंतर्मन को खँगालते,
हर पल बस ख़ुद के साथ हो...🤍

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❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

15 Nov, 15:51


ये बचाएंगे इस जग जहान के परवरदिगार को,
वो, जिनके पास ना नौकरी है, ना अपना घर है,
जो परिवार का तक पेट पालने की काबिलियत नहीं रखते,
जानकारी के नाम पर खोखले भाषण है उनके ज़हन में,
पढ़ाई में बस पास होने भर की चंद फ़िज़ूल किताबों की लाईनें हैं,

भीड़ हैं ये...
किसी के इशारों पर खुश और उन्हीं के लिए दुखी,
ताकत बस बातों की है, ना तन की ना धन की ना अध्यात्म की,

पिता की रोटी को इज़्ज़त नहीं मां के दुलार को ठोकर,
बाक़ी मंदिर मस्जिद भरे दे रहे लोग वहां रो रो कर,

दावा उसे बचाने का,
हास्यास्पद है,
जाती के नारे, धर्म के प्रचार, भाषा का झगड़ा, मृत्यु के बाद का सच, पूर्व जन्मों का रहस्य, मजहबी किताबों की श्रेष्ठता, ग्रह नक्षत्रों की चाल, पड़ोसी दुश्मन, सब पर चर्चा ख़ूब है...

हम क्या कर रहे हैं क्या करना है कैसे जीना है इसी बात की नहीं पूछ है....!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

15 Nov, 08:01


कुछ अधुरी ख्वाहिशों का
सिलसिला हैं ज़िंदगी...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

12 Nov, 16:09


नक़्शा-ए-दिल-फ़िगार तेरी उल्फ़त में तिश्ना लब रहा
 
काश इतना आसाँ होता
तेरी फुर्कत में मरना जानाँ..!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

12 Nov, 11:30


ख़ाहिश भी ऐसी कि नया जिस्म मिले रोज़,

दिखावा भी ऐसा की लोग परवरदिगार मान लें..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

12 Nov, 11:24


थक कर लेटते ही उसको मरा मान लिया गया,

अजीब हैं लोग भी मार देने का उतावलापन भी क्या कमाल है...!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

12 Nov, 11:20


एक इबादत हम भी कर रहे हैं उनकी सलामती के लिए,
एक इबादत वो भी कर रहे होंगे मेरी बर्बादी के लिए,

ख़ुदा तो एक ही है,
देखते हैं आख़िर में क्या होता है...!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

10 Nov, 17:53


वो सिलसिले कहां गए तेरे साथ रोज़ टहल आने के,

मैं अपनें मुकद्दर को क्या कहूं है तो मेरा अपना है..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

07 Nov, 13:13


ये धुन जो सुन रहे हो, उसकी सदा लगती है
साँस लेती है वो कि सुबह की सबा लगती है...

अब हम मंदिर-ओ-मस्जिद में क्यों जायें
वो बोलती है तो आयत-ए-खुदा लगती है...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

06 Nov, 18:10


मैनें न तुम्हें जाना ना जानना चाहता हूं,

तुम अब मैं और मैं तुम हो जाना चाहता हूं..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

06 Nov, 17:53


कुछ तमाशा करो और कुछ नया तमाशा हो,
ये दुनियां आए दिन नए करतब देखती रहती है,

अच्छा अरे अच्छा जानें दो जानें ही दो,
लोगों को बुरा दिखाओ आँखें बुरा खोजती रहती हैं...!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

06 Nov, 06:51


बहुत जवाब दे दिये
अब सवाल को सवाल ही रहने देते हैं...

सफाई दे दे कर थक गए
अब खुद पर इल्ज़ाम ही रहने देते हैं...

जब वो खुश है हमें इतना रूलाकर
तो उनके चेहरे पर इस मुस्कुराहट को ऐसे ही रहने देते हैं...

ज़िंदगी में दर्द तो आते-जाते रहेंगे
गम ही तो है थोड़ा और रहने देते हैं...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

04 Nov, 10:44


वो : कैसी रही दीवाली??

मै  : वो सिलसिले
     वो शौक
     वो निसबत नहीं रही
     वो दिल नहीं रहा
     वो तबीयत नहीं रही...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

03 Nov, 16:58


जो रो रहे हैं उनका शायद रोना ज़रूरी था,

बेवज़ह कुछ लोगों को रुलाया बहुत है....!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

01 Nov, 15:41


क्या लिखूं
तुझे लिखूं या तेरी यादों को लिखूं
तेरे साथ बीते पलों को लिखूं
या तेरे ना होने के एहसास लिखूं
तेरी उस मुस्कान को लिखूं
या तेरी उन नजरों को लिखूं
आखिर लिखूं तो क्या लिखूं
तुझे लिखूं या तेरे ना होने के एहसास को लिखूं...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

31 Oct, 17:29


एक बगावत की चिंगारी थी,

सारी दुनियां जल गई...!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

31 Oct, 17:27


कहीं कोई जल रहा कहीं कोई मर रहा,

ये नशा है इश्क़ का नशा कहीं उतर रहा...!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

29 Oct, 09:49


मुकर जाना भी क्या ख़ूब उनकी आदत है,

उनके झूठ पर यक़ीन करना मेरी आदत है...!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

29 Oct, 09:44


मुबारक उन्हें जिन्हें मिली दुनियां,

मेरे हिस्से में तू आए और क्या चाहिए..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

28 Oct, 16:11


हर लफ्ज़ फिर से तोला सोचा समझा लेकिन क्या हुआ,

उसे तो जो समझ में आया था कहा कहता गया और चला गया..!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

27 Oct, 09:33


आज फिर तेरी यादों की सुबह सी हैं,
हल्की सी कोहरे की धुंध और ओस सी आंखों में नमी सी है...
पलकें भारी हैं रात से अभी भी यादों के बोझ से,
जैसे मीलों का सफ़र तय किया हो और सफर मैं हैं...

लब्जो पे ख़ामोशी हैं और कदम लड़खड़ा रहे हैं,
सांसों में बेचैनी हैं और आंखों में उम्मीद लिए हैं...
कभी मिलोगे इस उम्मीद से अपने घर का दरवाज़ा खोले हुए हैं...

ये सफ़र यही न थम जाए जरा मुझसे पूछिए,
तुझसे मिलने की अर्जी ख़ुदा के दरबार में लगाए हुए हैं...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

25 Oct, 16:53


वो बेटे कभी बिगड़ नहीं पाते
जिन्होंने माता-पिता का संघर्ष देखा है....!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

24 Oct, 18:12


कोई कहीं से आएगा और कहेगा जाओ अब सब बेहतर होगा कल से,

मै कहूंगा जानें दो उस कल के इंतज़ार में आज की उदासी रह जाएगी...!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

24 Oct, 18:06


कुछ तमाशा तुमने बनाया कुछ शायद लोगों की आदत है,

मैं बिखरता इससे पहले ही पता चला ये तुम्हारी आदत है...!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

23 Oct, 12:40


गांव की मिट्टी में पले बढ़े हैं

हमें अदाएं कम
मर्यादाएं ज्यादा पसन्द है...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

22 Oct, 10:09


तुम्हारे बाद कहां किसी की हसरत रहेगी

खामखां उम्र भर
मोहब्बत से नफ़रत रहेंगी...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

21 Oct, 09:24


ये सर्द रात
ये आवारगी
ये नींद का बोझ

हम अपने शहर में होते
तो घर चले जाते...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

-जावेद अख्तर साहब

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

20 Oct, 11:26


#Episode 82

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

20 Oct, 10:16


आईने की बातचीत हुई मुझसे तो जान पाया मैं,

बदला बदला सा रहता हूं और बदल गया हूं मैं...!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

20 Oct, 09:59


बस्तियां ज्यों ही जली अख़बार सब चिल्ला उठे,
आग बुझने से पहले अख़बार सब गुमसुम हुए,

ये हल्ला ये बातचीत ये बैठकें सब ख़ूब हुईं,
जो होना था वही हुआ आख़िर में कुछ नहीं हुआ,

वो भाग-नसीब की बात थी जिसे मरना था वो मर गया,
जिन्हें बचना था वो बच गए...!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

20 Oct, 09:28


अबकी इतवार वाला दिन ज़रा ठहर के गुज़रे तो अच्छा होता,

रोज़ रोज़ कमाने को काम करना गुलामी सा लगता है...!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

19 Oct, 11:57


मैं अपने बारे में लिखूं भी तो क्या लिखूं
थोड़ा अच्छा या काफी बुरा लिखूं...!!

मैं कहानी हूं पूरी या किस्सा अधूरा लिखूं
मैं कौन हूं मैं खुद को क्या लिखूं...!!

अपनी उम्र से तजुर्बों में बढ़ा लिखूं
या उम्मीदों की लाशों पर चला लिखूं...!!

ना समझेगा कोई भला मैं क्या लिखूं
लोग समझते हैं सुलझा हुआ
तो खुद को क्या उलझा हुआ लिखूं...!!

हम अपने बारे में और जानते ही नहीं
चलो छोड़ो भी आज खुद को सरफिरा लिखूं...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

17 Oct, 15:36


खुशियाँ कम और उम्मीदें बहुत हैं,
जिसे भी देखो परेशान बहुत है

करीब से देखा तो निकला रेत का घर,
मगर दूर से इसकी शान बहुत है

कहते हैं सच का कोई मुकाबला नहीं,
मगर आज झूठ की पहचान बहुत है

मुश्किल से मिलता है शहर में कोई अपना,
यूँ तो कहने को इंसान बहुत है...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

15 Oct, 10:42


भटक गए हम राहों में
मंजिल का ठिकाना नहीं था...

ले गई जिंदगी उन राहों में
जहां हमें जाना नही था...

कुछ क़िस्मत की मेहरबानी
कुछ हमारा कसूर था...

हमने खो दिया सबकुछ वहां
जहां हमे कुछ पाना नहीं था...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

15 Oct, 05:41


मैं कभी रो ना सका तुझे भुलाने के लिए
और भी तो दर्द है याद आने के लिए
पर एक तेरी याद ही मेरी ज़िंदगी का मसला है
वरना और भी तकलीफे है तड़पाने के लिए
कोई सबकुछ छोड़ कर साथ चलने को आमादा है
कोई किसी के साथ चलता नही जमाने के लिए
सलवटे भी गिनी हुई है तेरे हर लिबास की हमने
जैसे एक तेरी ही गली है कही आने जाने के लिए
वक़्त ने छीन ली वो मुस्कान जो तेरे आने से थी
अब कोई खुशी ही नही दुनिया दिखाने के लिए
अब तो किसी बात से खौफ नही होता
लिख देता हूं कुछ भी तुझसे दूर जाने के लिए...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

13 Oct, 16:42


इक खाब बेचकर लाया था मैं वो तोहफ़ा,

मलामत भरी नज़र से उसने सब बयां कर दिया...!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

13 Oct, 15:09


#Episode 81

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

12 Oct, 08:43


इधर उधर घूमती फिरती थी अल्हड़पन में

ज़िंदगी जब से सयानी हुई
गुमसुम है...!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

11 Oct, 11:28


#Episode 80

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

11 Oct, 05:55


कुछ सवालों में दर्द अभी बाकी है,
कुछ ख़यालों में ख़्वाब अभी बाकी है।

पी लेने दो मुझे थोड़ा ग़म अकेला,
कुछ पियालों में ज़हर अभी बाकी है।

मुसलसल रह आया हूँ मैं गुलज़ारों में,
कुछ उजालों में छाँव अभी बाकी है।

दिल की बातों को हमने दिल में दबा लिया,
कुछ अल्फ़ाज़ों में राज़ अभी बाकी है।

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❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

10 Oct, 16:28


किसी मोड़ पे शायद होंगे हाथों में हाथ
कुछ ऐसे कटी तेरे ख्यालों में इक रात...!!

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@choudhary_nikhil_jaat

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

08 Oct, 17:46


ये रंग बदल गए हैं वैसे नहीं रहे,
ये ढंग बदल गए हैं वैसे नहीं रहे,

बस ये सोचकर की क्या कैसा नहीं रहा,
जिनको करना चाहिए वो कुछ कर नहीं रहे,

शिकायत है कि आदत है जो भी है बुरा है यार,
सफर में बढ़ते जाना है मगर सुधर नहीं रहे,

जो पीछे था वो अच्छा था रहा होगा उससे क्या,
जो आगे है उसे बेकार मान चल उधर नहीं रहे,

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

08 Oct, 17:08


रहने दे उधार एक मुलाकात यूं ही

सुना है
उधार वालों को लोग भूलाया नहीं करते....!!

·—·—·—·—🖤🖤—·—·—·—·

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

07 Oct, 17:33


तुमने बोला हज़ार दफा झूठ मैनें कुछ कहा?
तुम मुकर जाते हो हर बार मैनें कुछ कहा?

मैं तो इबादत के इस मकाम पर हूं,
मैनें खुदा माना तुमको खुदा ने कुछ कहा?

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

06 Oct, 18:20


मैं, मैं चुप नहीं हूं यार,
बहुत चीखता हूं मैं,
मुझे अकेले मत छोड़ो,
ख़ुद से जूझता हूं मैं,

मुझे समझाओ,
समझने को तैयार हूं मैं,
मैं गलत सही जो कुछ भी हूं,
जीना चाहता हूं यार,
मगर कोई पूछने वाला चाहिए,
कि तुमको क्या हुआ है यार,

एक बार नहीं दस बार कहे,
मैं दस बार कहूंगा ठीक हूं मैं,
वो फिर भी पूछना ना छोड़े,
मैं रो दूं तबतक ज़िद ना छोड़े,
मैं...., मैं..... मैं कह दूंगा मुश्किल सारी,
बतलाऊंगा दुनियां दारी,
फिर बात खतम हो जाएगी,
मेरी चुभन खतम हो जाएगी,
मैं गले लगाकर खुदा कसम
दुनियां वापस आ जाऊंगा।

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

05 Oct, 04:54


एक ख्वाहिश थी की एक ऐसा कंधा हो
जिसपे सिर रखकर सोने का अधिकार सिर्फ मेरा हो
एक ऐसा दिल हो
जिसमें रहने की जगह सिर्फ मेरी हो
एक ऐसी आंख हो जिसमें सिर्फ मेरे लिए प्यार हो
एक ऐसी मंजिल हो जहां सिर्फ मेरा इंतजार हो
एक ऐसा साथी हो
जिसको मेरे भूखे रहने पे खाया न जाए
जो मेरी गैर मौजूदगी में भी सिर्फ मेरा हो
जिसके दिल पे पूर्ण अधिकार
सिर्फ और सिर्फ मेरा हो
मगर ख्वाहिश कहां पूरी होती है.... खैर..!!

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❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

04 Oct, 16:24


अगर तु मुझसे बात ना करके खुश हैं
तो भरोसा रख
तुझे मेरी आवाज़ तक सुनाई नहीं देगी...!!

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❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

03 Oct, 16:18


कई गए पता लगाने की इश्क़ क्या है, क्यों है, इतना कितना है...

कुछ मर गए कुछ पागल हुए कुछ ख़ुद ही आशिक़ बाहर निकले...!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

03 Oct, 16:13


खिड़कियां भी ना जानें किसके इंतजार में हैं सदियों से,

हर सुबह खुलकर अंदर आनें देती हैं तमाम चीज़ें जहान की...!!

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

03 Oct, 16:06


तुमने देर कर दी आनें में,
किसी की बड़ी चाहत थी मेरा उसका होना,

वो अकेला सफर में तड़प रहा था मेरी खातिर,
मैं उसका हो गया फिर मुझे नहीं आया सबका होना,

❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

02 Oct, 05:36


वो रात
वो बात
वो मुलाकात
वो हंसी
वो खुशी
वो याद
वो वादे
वो बीता हुआ कल
वो गुजरा हुआ पल
वो तेरा साथ
वो मेरे हाथो में तेरा हाथ..
वो सब एक कहानी थी
जो अधूरी रह गई
तू मिलकर भी न मिल सका
और मैं भूलकर भी न भुल सका
वो तेरी एक निशानी रह गई...!!

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❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

01 Oct, 09:49


#Episode 79

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