gaurav ✍️
परिभाषा - ऊर्जा स्थानांतरण का माध्यम
✌️तरंग के प्रमुख प्रकार -
1.यांत्रिक तरंगें -
👉वे तरंगें, जो केवल ठोस, द्रव अथवा गैसीय माध्यम में चलती हैं।
👉विशेषता निर्वात में नहीं चलती हैं।
2.अयांत्रिक तरंगें-
👉वे तरंगे, जिनके संचरण के लिए माध्यम अनिवार्य नहीं होता।
👉विशेषता ठोस, द्रव व गैसीय माध्यम के साथ-साथ निर्वात में भी चलती हैं।
✌️यांत्रिक तरंगों के प्रकार -
1.अनुप्रस्थ तरंगें -
👉वे यांत्रिक तरंगें, जो केवल ठोस और द्रव के ऊपरी सतह तक उत्पन्न की जाती हैं।
👉विशेष ये तरंगें द्रव के भीतरी सतह, गैस व निर्वात में नहीं उत्पन्न की जा सकतीं।
👉अनुदैर्ध्य तरंगों का संचरण संपीडन और विरलन में।
2.अनुदैर्ध्य तरंगें -
👉वे यांत्रिक तरंगें जो ठोस, द्रव व गैस सभी माध्यमों में संचरण करती हैं।
👉विशेष केवल निर्वात में संचरण नहीं।
👉उदाहरण - ध्वनि तरंग , वायु में उत्पन्न तरंग , भूकंप से उत्पन्न तरंग
✌️महत्वपूर्ण अयांत्रिक तरंगें -
1.एक्स तरंगें -
👉 खोजकर्ता विल्हेम रॉन्जन
👉उपयोग -
क्रिस्टल की संचरना जानने में,
आंतरिक रोगों में
2. रेडियो तरंगें -
👉खोजकर्ता - मारकोनी
👉लघु रेडियो तरंगें - खोजकर्ता हेनरिक हर्ट्ज
👉उपयोग -
प्रयोग टीवी के रिमोट कंट्रोल में,
MRI में, रडार में
3.अवरक्त तरंगें -
👉खोजकर्ता - विलियम हर्शेल
👉प्रयोग -
नाइट विजन उपकरणों में, टीवी के रिमोट कंट्रोल में, कोहरे में फोटोग्राफी करने में
4.पराबैंगनी किरण -
👉खोजकर्ता - रिटर
👉 उपयोग -
दूध के जीवाणु को नष्ट करने में , रोगी की सिकाई में
✌️तरंगदैर्ध्य (λ) -
👉दो श्रृंग अथवा दो गर्त के बीच की न्यूनतम दूरी।
👉मात्रक - एंगस्ट्रॉम
✌️ध्वनि -
👉यांत्रिक तरंग
👉प्रकृति - अनुदैर्ध्य तरंग
👉संचरण केवल ठोस, द्रव व गैस माध्यम में , विशेषता निर्वात में संचरण नहीं होता।
✌️ध्वनि तरंगों के प्रकार -
1.अवश्रव्य आवृत्ति 20 Hz से कम
2.श्रव्य आवृत्ति 20 Hz 20,000 Hz के मध्य
3.पराश्रव्य आवृत्ति 20,000 Hz से अधिक
👉 मनुष्य केवल श्रव्य तरंगों को सुनता है।
👉 ध्वनि की चाल माध्यम के घनत्व पर निर्भर करती है।
👉सर्वाधिक ठोस में
👉न्यूनतम गैस में
👉वायु में ध्वनि की चाल 332 मी./से.
✌️पराश्रव्य तंरग -
👉प्रायोगिक रूप में सर्वप्रथम गाल्टन की सीटी से उत्पन्न
👉दाब विद्युत प्रभाव (पीजो इलेक्ट्रिक इफेक्ट) की विधि द्वारा क्वार्ट्ज के क्रिस्टल से उत्पन्न
👉प्रयोग - दूध के जीवाणु नष्ट करने में,
चिमनी से कालिख साफ करने में, यंत्र कारखानों के कल-पुर्जों की सफाई में, संकेत भेजने में, कीमती कपड़ों की सफाई में, गठिया तथा मस्तिष्क के ट्यूमर के उपचार में।
👉पराश्रव्य तरंगों का उपयोग सोनार नामक यंत्र और सोनोग्राफी में भी किया जाता है।
✌️ध्वनि के लक्षण -
1.तारत्व -
👉 जिसके कारण ध्वनी पतली या मोटी हो जाती है।
👉स्त्रियों की आवाज का तारत्व अधिक, अतः पतली ध्वनि
👉पुरुषों की आवाज का तारत्व कम, अतः मोटी ध्वनि
2.गुणता -
👉जिसके आधार पर दो पुरुषों, दो महिला अथवा दो वाद्य यंत्रों की आवाज में अंतर किया जाता है।
3.तीव्रता -
👉जिसके आधार पर ध्वनि को मंद अथवा तेज ध्वनि के रूप में वर्गीकृत करते हैं।
👉मात्रक - डेसीबल
✌️प्रतिध्वनि (Echo) -
👉 किसी ध्वनि का किसी परावर्तक सतह से टकराकर पुनः सुनाई देना।
👉कार्यकारी सिद्धांत ध्वनि का परावर्तन
👉स्पष्ट प्रतिध्वनि सुनने के लिए स्रोत व परावर्तक सतह के मध्य कम-से-कम 17 मी. की दूरी होनी चाहिए।
👉प्रतिध्वनि का उपयोग -
दूरी ज्ञात करने में, गहराई ज्ञात करने में, ऊंचाई ज्ञात करने में ।
✌️अनुनाद (Resonance)-
👉जब किसी ध्वनि की आवृत्ति किसी वस्तु की स्वाभाविक आवृत्ति के बराबर होती है, तो वस्तु में उत्पन्न बड़े आयाम के कंपन को अनुनाद कहते हैं।
👉अनुनाद के कारण घटित होने वाली घटना: चलती बस में कंपन महसूस होना,
बादल गर्जने से खिड़की में झनझनाहट होना, सेना के पुल पर फ्लैगमार्च से पुल में उत्पन्न कंपन।
✌️ध्वनि का विवर्तन -
👉ध्वनि के मार्ग में अवरोध के आने से ध्वनि का अवरोध के किनारे से मुड़कर आगे बढ़ना।
👉विवर्तन के कारण घटित घटना , बाहर के कोलाहल को कमरे के अंदर सुनना, कमरें के अंदर की ध्वनि को कमरे के बाहर सुनना।