इतना करने के बाद भी सब खुश नहीं होंगे , क्योंकि हर व्यक्ति आपकी व्याख्या स्वयं की दृष्टि से करेगा , और ये दृष्टि उसकी विचारधारा और हितों से सीधे तौर पर प्रभावित होती हैं ।इसलिए कार्य वो कीजिए जो आपकी पसंद और मौलिकता के अनुसार हो , वो नहीं जिसे दुनियाँ खुश हो ।
सबको खुश रखने के किए कार्य करने वाला व्यक्ति स्वयं एक मोड़ पर दुखी होगा , स्वयं का वजूद भूल जाता है । संजीदगी और जीवंत बने रहने के लिए हमेशा अपनी पंसद और मौलिकता के अनुसार कार्य कीजिए ।
✍️डॉ गणपत सिंह राजपुरोहित