मीठे पानी की प्रमुख झील :- Part -1
1 जयसमगंद झील ( उदयपुर)
• निर्माता- महाराज जयसिंह
• निर्माण काल- 1685- 1691
• नदी- गोमती
• जयसमंद झील पर “7 टापू” स्थित है।
• इस झील पर स्थित सबसे बड़े टापू का नाम “बाबा का भाखड़ा” है। एवं सबसे छोटे टापू को “प्यारी” के नाम से जाना जाता है ।
• इन टापू पर रहने वाली जनजाति भील मीणा जनजाति है।
• जयसमंद झील राजस्थान की मानव निर्मित सबसे बड़ी झील है।
• ताजमहल पर रूठी रानी का महल इस झील के किनारे चित्रित है।
• इसे “जलचर ओं की बस्ती” कहा जाता है। यहां पर सर्वाधिक जलीय जीव पाए जाते हैं।
• श्यामपुर – भाट नेहरे:- सिंचाई के लिए जयसमंद झील से निकली गई है।
2 नक्की झील ( माउंट आबू)
• निर्माण- लोक कहावतों के अनुसार देवताओं के नाखूनों द्वारा हुआ है।
• यह एक क्रेटर झील है अर्थात ज्वालामुखी झील।
• राजस्थान की सबसे ऊंची झील नक्की झील मानी जाती है इसकी ऊंचाई 1200 मीटर है।
• यह झील राजस्थान में जमने वाली एकमात्र झील है।
• इसे राजस्थान की सबसे गहरी झील(35 मी) कहते हैं।
• इसके पास पाई जाने वाली चट्टाने निम्न है।
1 टॉड रॉक – मेंढक जैसी चट्टान।
2 नंदी रॉक – शिव के बैल जैसी चट्टान।
3 नन रॉक – घुंघट कूड़े दुल्हन जैसी चट्टान।
• हिल स्टेशन वाली झील कही जाती है यहां का सनसेट पॉइंट( सूर्यास्त) बहुत प्रसिद्ध है।
• गरासिया जनजाति अस्थियों का विसर्जन इसी झील में करती है।
3 राजसमंद झील (राजसमंद)
• निर्माता- राजसिंह
• निर्माण कार्य- 1662 ई
• नदी- गोमती
• इस झील के निर्माण में सर्वाधिक लोगों का(60,000) योगदान है।
• इस दिल के किनारे 25 काले रंग के संगमरमर के शिलालेख स्थित है।
• ” नौ चौकी पाल” ( सीढ़ियां) राजसमंद झील में है।
• इन पर मेवाड़ का इतिहास रणछोड़ भट्ट तैलंग द्वारा संस्कृत भाषा में लिखा गया है। जिसमें मेवाड़ के बप्पा रावल से राजसिंह तक का इतिहास है।
• द्वारकाधीश मंदिर और घेवर माता की छतरी इसी जिले के किनारे निर्मित है।
• हाल ही में इस झील के किनारे सूर्य घड़ी के अवशेष मिले हैं।
4 पिछोंला झील (उदयपुर)
• निर्माण- 1388 ई
• निर्माता- बंजारा( राणा लाखा के समय)
• नदी- सिसारमा, बुझड़ा।
• शाहजहां ने अपने विद्रोह काल में इसी झील पर शरण ली थी।
• महाराणा जगत सिंह द्वितीय ने पिछोला झील में जगनिवास नामक महल बनवाए
• जगमंदिर से प्रेरित होकर शाहजहां ने ताजमहल का निर्माण कराया था।
• स्वरूप सागर नहर पिछोला और फतहपुर को जोड़ती है।
• पिछोला का अतिरिक्त पानी फतहनगर में जाता है।
• सौर ऊर्जा द्वारा संचालित प्रथम नाव इसी झील में चलाई गई थी।
• पिछोला में प्रसिद्ध निर्माण:–
1 जगमंदिर – जगत सिंह प्रथम
2 जग निवास – जगत सिंह द्वितीय
3 नटनी का चबूतरा (राणा लाखा)
5 फतेह सागर ( उदयपुर)
• निर्माण- महाराजा जयसिंह (1688)
• पुनः निर्माण – फतेह सिंह ( 1888)
• नदी – सिसीरमा,बुझड़ा
• उपनाम- ड्यूक ऑफ कनॉट, देवाली तालाब, कनॉट बांध
• फतेह सागर में प्रसिद्ध :-
1 नेहरू उद्यान
2 सौर ऊर्जा वेधशाला- इस झील के पास गुजरात के सहयोग से बनाई गई है।
3 टेलीस्कोप- इस झील के पास बेल्जियम के सहयोग से बनाया गया है।
6 उदय सागर( उदयपुर)
• निर्माता- उदय सिंह
• निर्माण काल- 1559
• नदी – आयड नदी
• आयड नदी उदय सागर में गिरने के बाद बेडच कहलाती है।
Patwari, VDO, LDC ®

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Understanding the Role of Patwari and Other Government Positions in Rajasthan
राजस्थान, जो भारत के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में स्थित है, सरकारी नौकरियों के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। इस राज्य में विभिन्न पदों के लिए प्रतियोगी परीक्षाएँ आयोजित की जाती हैं, जिनमें पटवारी, ग्राम विकास अधिकारी (VDO), और लोवर डिविज़न क्लर्क (LDC) शामिल हैं। ये पद स्थानीय प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और राज्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं। पटवारी, विशेषकर, भूमि रिकॉर्ड को बनाए रखने, राजस्व संग्रहण और स्थानीय लोगों के साथ संपर्क स्थापित करने में महत्वपूर्ण होते हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए जानकारी हासिल करना और सही मार्गदर्शन प्राप्त करना बहुत आवश्यक है। इस लेख में हम इन पदों की जिम्मेदारियों और महत्व पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
पटवारी का क्या काम होता है?
पटवारी मुख्य रूप से भूमि रिकॉर्ड को बनाए रखने का कार्य करते हैं। वे खेतों के आकार, फसल के प्रकार, और भूमि के स्वामित्व के बारे में जानकारी एकत्र करते हैं। उन्हें राजस्व संग्रह के लिए भी जिम्मेदार ठहराया जाता है और स्थानीय प्रशासन में मदद करते हैं।
इसके अलावा, पटवारी विभिन्न सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में भी शामिल होते हैं। वे स्थानीय लोगों को सही जानकारी देने और उनकी समस्याओं का समाधान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
ग्राम विकास अधिकारी (VDO) की भूमिका क्या होती है?
ग्राम विकास अधिकारी (VDO) का मुख्य कार्य गांव के विकास को प्रोत्साहित करना होता है। वे सरकारी योजनाओं को लागू करने में मदद करते हैं और स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर काम करते हैं। VDO को ग्रामीण विकास योजनाओं से संबंधित सभी गतिविधियों की निगरानी करनी होती है।
VDO ग्राम पंचायत के कार्यों के प्रति जिम्मेदार होते हैं और स्थानीय निवासियों की समस्याओं को सुनने और हल करने में सहायता करते हैं। वे गाँव में शिक्षा, स्वास्थ्य, और अन्य सामाजिक कल्याण की गतिविधियों को भी प्रोत्साहित करते हैं।
लोवर डिविज़न क्लर्क (LDC) का कार्य क्या है?
लोवर डिविज़न क्लर्क (LDC) का कार्य प्रशासनिक कार्यों का संपादन करना होता है। उन्हें दस्तावेज़ों को संभालना, डेटा एंट्री करना और कार्यालय के सामान्य कार्यों में सहायता करनी होती है। LDC पद का महत्व कार्यालय में कार्यों की सुगमता और समय पर कार्य पूर्ण करने में होता है।
इसके अलावा, LDC को विभिन्न रिपोर्ट तैयार करने, फ़ाइलों का रख-रखाव और अन्य कर्मचारियों के साथ समन्वय करना होता है। यह पद विभिन्न सरकारी विभागों में आवश्यकतम होता है।
राजस्थान में RAS और REET परीक्षाएँ क्या हैं?
राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) परीक्षा उन उम्मीदवारों के लिए है जो प्रशासनिक पदों पर काम करना चाहते हैं। यह परीक्षा राज्य के विभिन्न पदों के लिए लागू होती है और इसमें प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा शामिल होती हैं। RAS परीक्षा को पास करने के बाद, उम्मीदवारों को विभिन्न प्रशासनिक पदों पर नियुक्त किया जाता है।
REET (राजस्थान पात्रता परीक्षा) एक अन्य महत्वपूर्ण परीक्षा है जो शिक्षकों की भर्ती के लिए आयोजित की जाती है। यह परीक्षा प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए अनिवार्य है।
राजस्थान में सरकारी नौकरी की तैयारी कैसे करें?
राजस्थान में सरकारी नौकरी की तैयारी के लिए उम्मीदवारों को पहले परीक्षा पैटर्न और सिलेबस को समझना चाहिए। उन्हें समय प्रबंधन और नियमित अध्ययन की आदत डालनी चाहिए। कई अध्ययन सामग्री, ऑनलाइन कोर्स और coaching संस्थान उपलब्ध हैं जो सहायता कर सकते हैं।
इसके अलावा, नियमित रूप से समाचार पत्रों और मैगज़ीन का अध्ययन करना महत्वपूर्ण है ताकि करंट अफेयर्स पर अपडेट रहें। अभ्यास प्रश्नपत्र हल करने से आत्मविश्वास बढ़ता है और परीक्षा के तंत्र को समझने में मदद मिलती है।
राजस्थान में सरकारी नौकरी के लिए योग्यता क्या होती है?
राजस्थान में सरकारी नौकरी के लिए योग्यता विभिन्न पदों के अनुसार भिन्न होती है। आमतौर पर, उम्मीदवार को किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री होनी चाहिए। कुछ पदों के लिए विशेष योग्यता और अनुभव की आवश्यकता हो सकती है।
उदाहरण के लिए, पटवारी पद के लिए, उम्मीदवार को राजस्व मामलों और भूमि रिकॉर्ड के प्रबंधन की समझ होनी चाहिए। वहीं, शिक्षण पदों के लिए, REET परीक्षा पास करना अनिवार्य होता है।
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