*कुंभमेळ्याबाबत डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर यांचे विचार*
*"कुंभमेळ्यात नागव्या साधूंच्या पायाखाली हजारो नागरिक तुडवून मेले. ही घटना काय दर्शविते ? मी मंत्री असतो आणि अधिकार माझ्या स्वाधीन असते तर मी या साधुंना सेना पाठवून हाकून लावले असते. अवश्य असते तर गोळीबारही केला असता. गिरीकंदात राहणाऱ्या या साधुंना लोकात यावयाचे असेल तर त्यांनी वस्त्रे लेवून नीट रीतीने आले पाहिजे. पण आमच्या राज्यकर्त्यांनी याप्रसंगी काय केले ? लोकांच्या धार्मिक अंधश्रद्धांचा लोकप्रियतेसाठी त्यांनी त्याचा चक्क वापर केला."*
- *डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर*
*डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर लेखन आणि भाषणे*
*खंड १८ (३), पृष्ठ क्र. ४०९*
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डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर विचारमंच 🙌💐

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Last Updated 05.03.2025 13:42
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डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर: भारतीय समाज के अग्रदूत
डॉ. भीमराव आंबेडकर, जिन्हें आमतौर पर डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय अधिवक्ता, अर्थशास्त्री, समाज सुधारक और राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था। आंबेडकर ने अपने जीवन में जातिगत भेदभाव और सामाजिक असमानता के खिलाफ निरंतर संघर्ष किया। उनके विचारों ने न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर सामाजिक न्याय और अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाई। उन्होंने 'महेर' जैसी सामाजिक परंपराओं के खिलाफ आवाज उठाई और दलितों के अधिकारों के लिए अपने संघर्ष में अडिग रहे। आंबेडकर ने एक सशक्त समाज की आवश्यकता पर जोर दिया और उनके विचार आज भी विभिन्न सामाजिक आंदोलनों में प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं।
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के मुख्य विचार क्या थे?
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकारों पर जोर दिया। उनका मानना था कि समाज में हर व्यक्ति को समान अधिकार मिलना चाहिए, चाहे उनकी जाति, धर्म या जातीयता कुछ भी हो। उन्होंने कहा कि जाति भेदभाव केवल एक सामाजिक समस्या नहीं, बल्कि एक राजनीतिक और आर्थिक चुनौती भी है। आंबेडकर का यह विश्वास था कि अनुसूचित जातियों और अन्य कमजोर वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व और संसाधनों की आवश्यकता है।
वे व्यक्ति की गरिमा और स्वतंत्रता के प्रति सम्मान की आवश्यकता को भी समझते थे। उन्होंने भारतीय संविधान में समानता और स्वतंत्रता के अधिकारों को शामिल करने के लिए खासी मेहनत की। उनकी सोच ने भारत के संविधान को दुनिया के सबसे लोकतांत्रिक दस्तावेजों में से एक बना दिया।
डॉ. आंबेडकर ने भारतीय संविधान में क्या योगदान दिया?
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को भारतीय संविधान का मुख्य वास्तुकार माना जाता है। उन्होंने संविधान सभा की बैठक में प्रमुख भूमिका निभाई और भारत के लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण अनुच्छेदों का निर्माण किया। आंबेडकर ने विशेष रूप से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए कई प्रावधानों को जोड़ा, जैसे कि समानता का अधिकार और भेदभाव के खिलाफ रोकथाम।
उन्होंने अल्पसंख्यकों और कमजोर वर्गों को उनके अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक सुरक्षित स्थान सुनिश्चित करने का भी प्रयास किया। उनके विचारों ने भारतीय संविधान को एक ऐसे ढांचे में ढाला, जिसने समाज में स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे के मूल तत्वों को स्थापित किया।
डॉ. आंबेडकर का दलित आंदोलन में क्या योगदान था?
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने दलित समुदाय के अधिकारों के लिए अपनी आवाज उठाई और उनकी गरिमा को पुनर्स्थापित करने के लिए प्रयासरत रहे। उन्होंने दलितों को शिक्षा और राजनीतिक प्रतिनिधित्व के महत्व के बारे में जागरूक किया। उनके नेतृत्व में कई सामाजिक आंदोलनों का आयोजन हुआ, जिसने दलितों को संगठित होने और अपनी समस्याओं को सार्वजनिक रूप से उठाने में मदद की।
इसके अतिरिक्त, डॉ. आंबेडकर ने 1935 में 'पूना पैक्ट' के तहत दलितों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्रों की मांग की, जिससे उन्होंने राजनीतिक अधिकारों को सुरक्षित करने का प्रयास किया। उनका विश्वास था कि केवल शिक्षा और संगठित होने से ही दलित समाज अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ सकता है।
आंबेडकर के विचारों का आज के समाज पर क्या प्रभाव है?
डॉ. आंबेडकर के विचार आज भी भारत के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य पर गहरा प्रभाव डालते हैं। उनके द्वारा स्थापित किए गए सिद्धांतों ने कई सामाजिक आंदोलनों को प्रेरित किया है, जो आज भी जातिवाद और भेदभाव के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। उनके विचारों ने न केवल दलित समुदाय को सशक्त किया है, बल्कि समाज के अन्य कमजोर वर्गों को भी उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया है।
वर्तमान में, आंबेडकर के विचारों का अध्ययन कई शैक्षणिक संस्थानों में किया जाता है और उनका आदर्श तेजी से युवा पीढ़ी को प्रेरित कर रहा है। उनके विचारों ने राजनीतिक दलों को भी प्रभावित किया है, जो अब जनहित और समानता पर अधिक ध्यान केंद्रित करने लगे हैं।
डॉ. आंबेडकर का परिवार और शिक्षा का सफर कैसा रहा?
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर का परिवार एक सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार था, लेकिन उनके पिता एक सेना के अधिकारी थे। उनकी शिक्षा का सफर बहुत कठिन था, क्योंकि उन्हें जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ा। हालांकि, उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से माट्रिक और स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका और इंग्लैंड में अध्ययन किया।
आंबेडकर ने कोलंबिया विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री प्राप्त की, जहां उन्होंने भारतीय समाज के मुद्दों पर गहन अध्ययन किया। उनकी शिक्षा ने उन्हें समाज में व्याप्त असमानताओं को समझने और उनके खिलाफ आवाज उठाने का साहस दिया।
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डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर विचारमंच एक तेजी से विकसित हो रहा टेलीग्राम चैनल है जो डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के विचारों और उपनिषदों पर आधारित है। यह चैनल उन लोगों के लिए है जो समाज में परिवर्तन और समरसता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से काम कर रहे हैं। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर विचारमंच चैनल पर आपको उनके विविध विचारों के बारे में जानकारी मिलेगी, जो समाज में समरसता, समानता, और न्याय के लिए उन्होंने लगातार संघर्ष किया। इस चैनल के माध्यम से आप अपने ज्ञान को बढ़ा सकते हैं और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के समाजवादी विचारों को समझ सकते हैं। अगर आप एक समाज सुधारक हैं और समाज में समरसता और न्याय को बढ़ावा देने के लिए उत्साहित हैं, तो डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर विचारमंच चैनल जरूर जोड़ें और उनके विचारों की गहराई में जाएं। यह चैनल आपके लिए एक स्रोत होगा जो आपको समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद करेगा।