Ayurvedic Solutions & Remedies

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Ayurvedic Solutions & Remedies

04 Jun, 02:22


"सेंधा नमक"
भारत से कैसे गायब कर दिया गया... आप सोच रहे होंगे की ये सेंधा नमक बनता कैसे है ?? आइये आज हम आपको बताते है कि नमक मुख्यत: कितने प्रकार का होता है। एक होता है समुद्री नमक, दूसरा होता है सेंधा नमक "rock salt"सेंधा नमक बनता नहीं है पहले से ही बना बनाया है। पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को ‘सेंधा नमक’ या ‘सैन्धव नमक’, लाहोरी नमक आदि आदि नाम से जाना जाता है जिसका मतलब है ‘सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ’। वहाँ नमक के बड़े बड़े पहाड़ है सुरंगे है । वहाँ से ये नमक आता है। मोटे मोटे टुकड़ो मे होता है आजकल पीसा हुआ भी आने लगा है यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मदद रूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है । इससे पाचक रस बढ़ते हैं। अतः: आप ये समुद्री नमक के चक्कर से बाहर निकले। काला नमक ,सेंधा नमक प्रयोग करे, क्यूंकि ये प्रकृति का बनाया है, भारत मे 1930 से पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था विदेशी कंपनीयां भारत में नमक के व्यापार मे आज़ादी के पहले से उतरी हुई है , उनके कहने पर ही भारत के अँग्रेजी प्रशासन द्वारा भारत की भोली भाली जनता को आयोडिन मिलाकर समुद्री नमक खिलाया जा रहा है, हुआ ये कि जब ग्लोबलाईसेशन के बाद बहुत सी विदेशी कंपनियों अन्नपूर्णा,कैप्टन कुक ने नमक बेचना शुरू किया तब ये सारा खेल शुरू हुआ ! अब समझिए खेल क्या था ?? खेल ये था कि विदेशी कंपनियो को नमक बेचना है और बहुत मोटा लाभ कमाना है और लूट मचानी है तो पूरे भारत में एक नई बात फैलाई गई कि आयोडीन युक्त नामक खाओ , आयोडीन युक्त नमक खाओ ! आप सबको आयोडीन की कमी हो गई है। ये सेहत के लिए बहुत अच्छा है आदि आदि बातें पूरे देश में प्रायोजित ढंग से फैलाई गई । और जो नमक किसी जमाने में 2 से 3 रूपये किलो में बिकता था । उसकी जगह आयोडीन नमक के नाम पर सीधा भाव पहुँच गया 8 रूपये प्रति किलो और आज तो 20 रूपये को भी पार कर गया है।
दुनिया के 56 देशों ने अतिरिक्त आयोडीन युक्त नमक 40 साल पहले बैन कर दिया अमेरिका में नहीं है जर्मनी मे नहीं है फ्रांस में नहीं ,डेन्मार्क में नहीं , डेन्मार्क की सरकार ने 1956 में आयोडीन युक्त नमक बैन कर दिया क्यों ?? उनकी सरकार ने कहा हमने आयोडीन युक्त नमक खिलाया !(1940 से 1956 तक ) अधिकांश लोग नपुंसक हो गए ! जनसंख्या इतनी कम हो गई कि देश के खत्म होने का खतरा हो गया ! उनके वैज्ञानिकों ने कहा कि आयोडीन युक्त नमक बंद करवाओ तो उन्होने बैन लगाया। और शुरू के दिनों में जब हमारे देश में ये आयोडीन का खेल शुरू हुआ इस देश के बेशर्म नेताओं ने कानून बना दिया कि बिना आयोडीन युक्त नमक भारत में बिक नहीं सकता । वो कुछ समय पूर्व किसी ने कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया और ये बैन हटाया गया।
आज से कुछ वर्ष पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था सब सेंधा नमक ही खाते थे ।
सेंधा नमक के फ़ायदे:- सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप और बहुत ही गंभीर बीमारियों पर नियन्त्रण रहता है क्योंकि ये अम्लीय नहीं ये क्षारीय है (alkaline) क्षारीय चीज जब अमल मे मिलती है तो वो न्यूटल हो जाता है और रक्त अमलता खत्म होते ही शरीर के 48 रोग ठीक हो जाते हैं, ये नमक शरीर मे पूरी तरह से घुलनशील है । और सेंधा नमक की शुद्धता के कारण आप एक और बात से पहचान सकते हैं कि उपवास ,व्रत में सब सेंधा नमक ही खाते है। तो आप सोचिए जो समुद्री नमक आपके उपवास को अपवित्र कर सकता है वो आपके शरीर के लिए कैसे लाभकारी हो सकता है ??
सेंधा नमक शरीर में 97 पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है ! इन पोषक तत्वों की कमी ना पूरी होने के कारण ही लकवे (paralysis) का अटैक आने का सबसे बडा जोखिम होता है सेंधा नमक के बारे में आयुर्वेद में बोला गया है कि यह आपको इसलिये खाना चाहिए क्योंकि सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को दूर करता है।
यह पाचन में सहायक होता है और साथ ही इसमें पोटैशियम और मैग्नीशियम पाया जाता है जो हृदय के लिए लाभकारी होता है। यही नहीं आयुर्वेदिक औषधियों में जैसे लवण भास्कर, पाचन चूर्ण आदि में भी प्रयोग किया जाता है।
समुद्री नमक के भयंकर नुकसान :- ये जो समुद्री नमक है आयुर्वेद के अनुसार ये तो अपने आप में ही बहुत खतरनाक है! क्योंकि कंपनियाँ इसमें अतिरिक्त आयोडीन डाल रही है। अब आयोडीन भी दो तरह का होता है एक तो भगवान का बनाया हुआ जो पहले से नमक में होता है । दूसरा होता है “industrial iodine” ये बहुत ही खतरनाक है। तो समुद्री नमक जो पहले से ही खतरनाक है उसमे कंपनिया अतिरिक्त industrial iodine डाल को पूरे देश को बेच रही है। जिससे बहुत सी गंभीर बीमरियां हम लोगों को आ रही है । ये नमक मानव द्वारा फ़ैक्टरियों में निर्मित है।

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05 Jan, 13:22


*हड्डियों में चुभने वाली और कंपकंपी पैदा करने वाली ठंड पड़ना शुरू हो चुकी है...*
*ये 10 गुणकारी चीजें आपकी ठंड में गर्म रखेंगी और आपके भीतर पैदा करेगी जबरदस्त रोग प्रतिरोधक क्षमता....*

*(1). हल्दी -*
सर्दी से बचने के लिए यह भी औषधी के रूप में प्रयोग की जाती है। आप हल्दी का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा कीजिए और शरीर में गर्माहट बनाए रखिए। यह एंटीबायोटिक का काम भी करेगी।

*(2). लहसुन -*
लहसुन एक बेहतरीन एंटीबायोटिक होने के साथ-साथ सर्दी-जुकाम में प्रयुक्त होने वाली औषधी भी है।
ठंड के दिनों में लहसुन की चटनी, सब्जी बनाई जा सकती है।
इसके अलावा आप इसे रोटी के साथ कच्चा या फ्राय करके भी खा सकते हैं।

*(3). मेथी -*
मेथी दाने से बनाए जाने वाले लड्डुओं का सेवन खास तौर पर ठंड में किया जाता है।
यह शरीर में गर्माहट बनाए रखने में मददगार है।
मेथी की सब्जी का भी ज्यादा से ज्यादा सेवन करना इन दिनों में फायदेमंद होगा।

*(4). सूखे मेवे -*
सूखे मेवों का सेवन करना भी ठंड से बचाव के लिए बेहद मददगार साबित होगा।
अगर इन्हें गुड़ और घी के साथ मिक्स करके लड्डू बनाकर सेवन करेंगे तो यह और भी सेहतमंद हो जाएंगे।

*(5). शहद -*
शहद का सेवन करना यूं तो लाभदायक होता ही है, ठंड के दिनों में यह विशेष रूप से लाभदायक होगा। गर्म पानी के साथ इसका सेवन वजन कम करने में भी मददगार है और फुर्ती लाने में भी।

*(6). काली मिर्च -*
इन दिनों में काली मिर्च को अपनी डाइट में शामिल करें।
चाहें तो सूप, सलाद और स्प्राउट के साथ या फिर लाल मिर्च की जगह खाने में इसे शामिल करें।

*(7). अदरक -*
अदरक का सेवन इस मौसम में शरीर में गर्मी लाने के साथ ही इम्युनिटी बढ़ाने के लिए भी बेहतरीन है।
इसे दाल, सब्जी, सूप आदि में भी शामिल करें या फिर चटनी के साथ।

*(8). गुड़ -*
सर्दी में जुकाम और खांसी होने पर गुड़ का काढ़ा पिलाया जाता है, क्योंकि य‍ह शरीर को गर्माहट देता है। रोजाना गुड़ का सेवन करते रहने पर आपको सर्दी के दुष्परिणाम नहीं झेलने पड़ेंगे।
🙏🙏

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15 Dec, 01:43


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Ayurvedic Solutions & Remedies

15 Dec, 01:42


-- देशी शौचालय के बजाय हमेशा यूरोपियन कमोड वाले शौचालय का ही इस्तेमाल करें। यदि न हो तो समय रहते बदलवा लें, इसकी तो जरुरत पड़नी ही है, अभी नहीं तो कुछ समय बाद।

संभव हो तो कमोड के पास एक हैंडिल लगवा लें। कमजोरी की स्थिति में इसे पकड़ कर उठने के लिए ये जरूरी हो जाता है।

बाजार में प्लास्टिक के वेक्यूम हैंडिल भी मिलते हैं, जो टॉइल जैसी चिकनी सतह पर चिपक जाते हैं, पर *इन्हें हर बार इस्तेमाल से पहले खींचकर जरूर जांच-परख लें।*

-- *हमेशा आवश्यक ऊँचे स्टूल पर बैठकर ही नहायें।*

बाथरुम के फर्श पर रबर की मैट जरूर बिछाकर रखें ताकि आप फिसलन से बच सकें।

-- *गीले हाथों से टाइल्स लगी दीवार का सहारा कभी न लें, हाथ फिसलते ही आप ‘डिस-बैलेंस’ होकर गिर सकते हैं।*

-- बाथरुम के ठीक बाहर सूती मैट भी रखें जो गीले तलवों से पानी सोख ले। कुछ सेकेण्ड उस पर खड़े रहें फिर फर्श पर पैर रखें वो भी सावधानी से।

-- *अंडरगारमेंट हों या कपड़े, अपने चेंजरूम या बेडरूम में ही पहनें। अंडरवियर, पाजामा या पैंट खडे़-खडे़ कभी नहीं पहनें।*

हमेशा दीवार का सहारा लेकर या बैठकर ही उनके पायचों में पैर डालें, फिर खड़े होकर पहनें, वर्ना दुर्घटना घट सकती है।

*कभी-कभी स्मार्टनेस की बड़ी कीमत चुकानी पड़ जाती है।*

-- अपनी दैनिक जरुरत की चीजों को नियत जगह पर ही रखने की आदत डाल लें, जिससे उन्हें आसानी से उठाया या तलाशा जा सके।

*भूलने की आदत हो, तो आवश्यक चीजों की लिस्ट मेज या दीवार पर लगा लें, घर से निकलते समय एक निगाह उस पर डाल लें, आसानी रहेगी।*

-- जो दवाएं रोजाना लेनी हों, उनको प्लास्टिक के प्लॉनर में रखें जिससे जुड़ी हुई डिब्बियों में हफ्ते भर की दवाएँ दिन-वार के साथ रखी जाती हैं।

*अक्सर भ्रम हो जाता है कि दवाएं ले ली हैं या भूल गये।प्लॉनर में से दवा खाने में चूक नहीं होगी।*

-- *सीढ़ियों से चढ़ते उतरते समय, सक्षम होने पर भी, हमेशा रेलिंग का सहारा लें, खासकर ऑटोमैटिक सीढ़ियों पर।*

ध्यान रहे अब आपका शरीर आपके मन का *ओबिडियेंट सरवेन्ट* नहीं रहा।

— बढ़ती आयु में कोई भी ऐसा कार्य जो आप सदैव करते रहे हैं, उसको बन्द नहीं करना चाहिए।

कम से कम अपने से सम्बन्धित अपने कार्य स्वयं ही करें।

— *नित्य प्रातःकाल घर से बाहर निकलने, पार्क में जाने की आदत न छोड़ें, छोटी मोटी एक्सरसाइज भी करते रहें। नहीं तो आप योग व व्यायाम से दूर होते जाएंगे और शरीर के अंगों की सक्रियता और लचीला पन कम होता जाएगा। हर मौसम में कुछ योग-प्राणायाम अवश्य करते रहें।*

— *अपना पानी, भोजन, दवाई इत्यादि स्वयं लें जिससे शरीर में सक्रियता बनी रहे।*

बहुत आवश्यक होने पर ही दूसरों की सहायता लेनी चाहिए।

— *घर में छोटे बच्चे हों तो उनके साथ अधिक समय बिताएं, लेकिन उनको अधिक टोका-टाकी न करें।

-- *ध्यान रखें कि अब आपको सब के साथ एडजस्ट करना है न कि सब को आपसे।*

-- इस एडजस्ट होने के लिए चाहे, बड़ा परिवार हो, छोटा परिवार हो या कि पत्नी/पति हो, मित्र हो, पड़ोसी या समाज।

*एक मूल मंत्र सदैव उपयोग करें।*

1. *नोन* अर्थात नमक। भोजन के प्रति स्वाद पर नियंत्रण रखें।

2. *मौन* कम से कम एवं आवश्यकता पर ही बोलें।

3. *कौन* (मसलन कौन आया कौन गया, कौन कहां है, कौन क्या कर रहा है) अपनी दखलंदाजी कम कर दें।

*नोन, मौन, कौन* के मूल मंत्र को जीवन में उतारते ही *वृद्धावस्था* प्रभु का वरदान बन जाएगी जिसको बहुत कम लोग ही उपभोग कर पाते हैं।


*🙏🏻धन्यवाद!🙏🏻*

Ayurvedic Solutions & Remedies

15 Dec, 01:42


*अगर ब्लैडर चोक हो जाए...*

मूत्राशय भरा हुआ है,
और पेशाब नहीं हो रहा है,
या पेशाब करने में असमर्थ हो रहे हैं.. तो क्या करें?? 👉

यह एक प्रसिद्ध एलोपैथी चिकित्सक 70 वर्षीय ईएनटी विशेषज्ञ का अनुभव है।
आइए सुनते हैं अनुठा अनुभव..👉

एक सुबह वे अचानक उठे। उन्हें मुत्रत्याग करने की जरूरत थी, लेकिन वे कर नहीं सके (कुछ लोगों को बाद की उम्र में कभी-कभी यह समस्या होती है)। उन्होंने बार-बार कोशिश की, लेकिन लगातार कोशिश नाकाम रही। तब उन्होंने महसूस किया कि एक समस्या खड़ी हो गयी है।

एक डॉक्टर होने के नाते, वे ऐसी शारीरिक समस्याओं से अछूते नहीं थे; उनका निचला पेट भारी हो गया। बैठना या खड़े़ रहना दुस्वार होने लगा, तल-पेट में दबाव बढ़ने लगा ।

तब उन्होंने एक जाने-माने यूरोलॉजिस्ट को फोन पर बुलाया और स्थिति के बारे में बताया। मूत्र-रोग विशेषज्ञ ने उत्तर दिया: "मैं इस समय एक बाहरी क्षेत्र के अस्पताल में हूँ, और आपके क्षेत्र के क्लिनिक में दो घंटे में पहुँच पाऊँगा। क्या आप इतने लंबे समय तक इसका सामना कर सकते हैं?"
उन्होंने उत्तर दिया: "मैं कोशिश करूँगा।"
उसी समय, उन्हें बचपन की एक अन्य एलोपैथिक महिला-डॉक्टर का ध्यान आया। बड़ी मुश्किल से उन्होंने अपनी दोस्त-डाक्टर को स्थिति के बारे में बताया।
उस सहेली ने उत्तर दिया:- *"ओह, आपका मूत्राशय भर गया है। और कोशिश करने पर भी आप मुत्रत्याग कर नहीं पा रहे... चिंता न करें। जैसा मैं बता रही हूं, वैसा ही करें। आप इस समस्या से छुटकारा पा जाएंगे।"*
और उसने निर्देश दिया:-
"सीधे खड़े हो जाइये, और जोर से बार-बार कूदिये। कूदते समय दोनों हाथों को ऊपर यूॅं उठाए रखें, मानो आप किसी पेड़ से आम तोड़ रहे हों। ऐसा 10 से 15 बार करें।"
बूढ़े डॉक्टर ने सोचा: "क्या? सचमुच मैं इस स्थिति में कूद पाऊंगा? इलाज थोड़ा संदिग्ध लग रहा था। फिर भी डॉक्टर ने कोशिश की...
3 से 4 बार छलांग लगाने पर ही उन्हें पेशाब की तलब लगी और उन्हें राहत मिल गयी।
उन्होंने इतनी सरल विधि से समस्या को हल करने के लिए अपनी मित्र डॉक्टर को सहर्ष धन्यवाद दिया।
अन्यथा, उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ता, मूत्राशय की जाॅंच, इंजेक्शन, एंटीबायोटिक्स आदि के साथ साथ कैथेटर डालना होता... उनके और करीबी लोगों के लिए मानसिक तनाव के साथ लाखों का बिल भी होता।

कृपया वरिष्ठ नागरिकों के साथ साझा करें। इस असहनीय अनुभव वाले किसी भी व्यक्ति के लिए यह एक बहुत ही सरल उपाय है....

सभी *वरिष्ठ नागरिक* (55 से ऊपर की उम्र के) कृपया अवश्य पढ़ें, हो सकता है आपके लिए फायदेमंद हो ..

*आप जानते हैं कि मन चाहे कितना ही जोशीला हो पर साठ की उम्र पार होने पर यदि आप अपनेआप को फुर्तीला और ताकतवर समझते हों तो यह गलत है। वास्तव में ढलती उम्र के साथ शरीर उतना ताकतवर और फुर्तीला नहीं रह जाता।*

आपका शरीर ढलान पर होता है, जिससे ‘हड्डियां व जोड़ कमजोर होते हैं, पर *कभी-कभी मन भ्रम बनाए रखता है कि ‘ये काम तो मैं चुटकी में कर लूँगा’।* पर बहुत जल्दी सच्चाई सामने आ जाती है मगर एक नुकसान के साथ।

सीनियर सिटिजन होने पर जिन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए, ऐसी कुछ टिप्स दे रहा हूं।

-- *धोखा तभी होता है जब मन सोचता है कि ‘कर लूंगा’ और शरीर करने से ‘चूक’ जाता है। परिणाम एक एक्सीडेंट और शारीरिक क्षति!*
ये क्षति फ्रैक्चर से लेकर ‘हेड इंज्यूरी’ तक हो सकती है। यानी कभी-कभी जानलेवा भी हो जाती है।

-- *इसलिए जिन्हें भी हमेशा हड़बड़ी में काम करने की आदत हो, बेहतर होगा कि वे अपनी आदतें बदल डालें।*

*भ्रम न पालें, सावधानी बरतें क्योंकि अब आप पहले की तरह फुर्तीले नहीं रहे।*

छोटी सी चूक कभी बड़े नुक़सान का कारण बन जाती है।

-- *सुबह नींद खुलते ही तुरंत बिस्तर छोड़ खड़े न हों, क्योंकि आँखें तो खुल जाती हैं मगर शरीर व नसों का रक्त प्रवाह पूर्ण चेतन्य अवस्था में नहीं हो पाता ।*

अतः पहले बिस्तर पर कुछ मिनट बैठे रहें और पूरी तरह चैतन्य हो लें। कोशिश करें कि बैठे-बैठे ही स्लीपर/चप्पलें पैर में डाल लें और खड़े होने पर मेज या किसी सहारे को पकड़कर ही खड़े हों। अक्सर यही समय होता है डगमगाकर गिर जाने का।

-- गिरने की सबसे ज्यादा घटनाएं बाथरुम/वॉशरुम या टॉयलेट में ही होती हैं। आप चाहे अकेले हों, पति/पत्नी के साथ या संयुक्त परिवार में रहते हों लेकिन बाथरुम में अकेले ही होते हैं।

-- *यदि आप घर में अकेले रहते हों, तो और अधिक सावधानी बरतें क्योंकि गिरने पर यदि उठ न सके तो दरवाजा तोड़कर ही आप तक सहायता पहुँच सकेगी, वह भी तब जब आप पड़ोसी तक समय से सूचना पहुँचाने में सफल हो सकेंगे।*
— *याद रखें बाथरुम में भी मोबाइल साथ हो ताकि वक्त जरुरत काम आ सके।*

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10 Sep, 06:29


सरसो का तेल:-

💚सरसों का तेल खाने के लिए उत्तम है,आयुर्वेद में सरसों के तेल कों तिल के तेल के समान ही उत्तम माना जाता है

💚सरसों के तेल में कोलैस्ट्राल का स्तर कम होने के कारण ह्रदय रोगों में भी यह लाभदायक बताया जाता है

💛हाथों की खुश्की-
हाथों में खुशकी और खुदरापन होने की स्थिति में सरसों के तेल से हल्की मालिश करें , त्वचा मुलायम हो जाएगी

💛शरीर दर्द और थकान-
शीत मौस्म में धूप में बैठकर सभी उम्र के लोगों को तेल की मालिश करनी चाहिए | शिशुओ को धूप में लिटाकर इस तेल से मालिश करने से उनकी थकान दूर होती है , नींद अच्छी आती है, तथा शरीर के दर्द से राहत मिलती है

सरसों का तेल वातनाशक और गर्म होता है । इसी कारण शीतकाल में वातजन्य दर्द को दूर करने के लिए इस तेल की मालिश की जानी चाहिए । जोडों का दर्द , मांसपेशियों का दर्द , गठिया , छाती का दर्द, ब्रोंकाइटिस आदि की पीड़ा भी सरसों के तेल से दूर हो जाती है ।

💛उबटन-
बेसन में सरसों का तेल मिलाकर उबटन की तरह त्वचा पर मलने से त्वचा गोरी हो जाती है तथा उसमें कमल के समान ताजगी आ जाती है ।

💛मसूड़ों के रोग-
सरसों के तेल में मधु ( शहद ) मिलाकर दांतों एंव मसूडों पर हल्के हल्के मलते रहने से मसूड़ों के सभी रोग भाग जाते है , तथा दांत भी मजबूत होते है।

💛जुखाम-
जुकाम होने या नाक के बंद होने पर दो बूंद सरसों तेल नाक के छिद्रों में डाल कर सांस जोर सें खीचने पर बंद नाक खुल जाती है और जुकाम से भी राहत मिलती है

💛पुरुषो के गुप्तांग-
लिंग में ढीलापन हो या टेढापन हो सरसों के तेल की लगातार मसाज से ठीक हो जाता है

💛वक्षस्थल का ढीलापन-
महिलाओ के छातियों में ढीलापन आ गया हो तो सरसों तेल में लहसुन की कली जलाकर बनाए तेल से मसाज करें , सुबह खाली पेट लहसुन की चार पाँच कलीयाँ भी खांए , बहुत लाभ होगा।

💛कान दर्द-
कान में सरसों तेल गर्म करके डालने से कान दर्द ठीक होता है , अगर कोई कीडा वगैरा घुस गया हो तो वो भी बाहर निकल जाता है , अगर सरसों तेल में लहसुन की कली जलाकर ओर नीम का तेल मिलाकर डाला जाय तो बहरापन में बहुत उपयोगी सिद्ध होगा ।

💛दाँत-
सरसों के तेल में सेंधा नमक मिलाकर सुबह-शाम दांतों पर मलने से दांतों से खून आना , मसूड़ों की सूजन, दांतों के दर्द में आराम मिलता है ,साथ ही दांत चमकीेले ओर सुन्दर भी बनते है ।

💛आँख-
पैरों के तलवों एव अंगूठों में सरसों का तेल लगाते रहने से नेत्र ज्योति बढ़ती है

💛नींद-
रात को हाथ पाँवों में तेल लगा कर सोने से मच्छर नही काटते , नींद अच्छी आती है

💛बाल-
बालों में सरसों का तेल लगाते रहने से बाल मजबूत होते है , मोटे घने होते है । सिर दर्द भी नही होता ।

💛सूजन-
शीतकाल में पैरों की उंगलीयों में सूजन आ जाती है । ऐसी अवस्था में सरसों का तेल में थोड़ा सा पिसा हुआ सेंधा नमक मिलाकर गर्म करलें । ठंडा होने पर उंगलियों पर लेप लगा कर रात में सों जाएं । कुछ ही दिनों मे आराम दिखाई देगा ।

💛पेट के रोग-
हाने से पूर्व नित्य नाभि में दो बूंद सरसों का तेल लगाने से पेट से संबंधित रोग कम ही होते है । पाचन क्रिया भी अच्छी रहती है , होठ नही फटते ।

इलाज से बेहतर बचाव है
स्वदेशी बने प्रकृति से जुड़े
धन्यवाद
🙏

Ayurvedic Solutions & Remedies

12 Jul, 14:55


.....आइए डॉक्टर बने.....🙄

🖤......दरअसल कुछ जानकारी दे रहा हु, की आप जो दवाएँ खाते है या डॉक्टर लिखता है वह किसलिये दे रहा है.......

क्योंकि आजकल अगर जरूरत 1 दवा की है डॉक्टर 4 साथ मे देगा क्योंकि कम्पनी विदेश का टूर जो देती है ....

😊....आज इतना सीख ले, साइडइफेक्ट फिर कभी बता देगे!

❤️......प्रत्येक अंग्रेजी दवा के अंत मे एक शब्द होता है जिससे जान सकते है वह दवा किस काम आएगी.....😊

CAIN.........❤️❤️

Xylocaine
Benzocaine
Amylocaine
Lidocaine

ये एक लोकल इनेस्थेटिक है, अर्थात ये दवाईया किसी अंग को सुन्न करने के लिए दी जाती है

MYCIN........❤️❤️

Azithromycin
Erythromycin
Neomycin
Strptomycin

ये एंटीबायोटिक है अर्थात इंफेक्शन के लिए दी जाती है

OLOL.........❤️❤️

Metaprolol
Atenolol
Esmolol
Bisoprolol

ये बीटा ब्लॉकर्स होते है अर्थात इनका प्रयोग हाइपरटेंशन, या हार्ट अटैक /HIGH BP में करते है

MIDE & ZIDE.........❤️❤️

Furosemide
Bumetanide
Benzthiazide
Chlorothiazide

ये डाइयुरेटिक्स है अर्थात यूरीन को बढ़ाती है, शरीर मे सूजन होती है या BP ज्यादा होता है उन्हें देते है

VIR........❤️❤️

Acyclovir
Ritonavir
Indinavir

ये एन्टीवायरल है अर्थात वायरस के इंफेक्शन में प्रयोग करते है

PAM........❤️❤️

Diazepam
Lorazepam

ये एंटीएंजाइटी है अर्थात घबराहट बेचैनी नींद न आने में दी जाती है

STATIN......❤️❤️

Atorvastatin
Simvastatin
Lovastatin

इसका प्रयोग एंटी हायपर लिपिडेमिक्स में होता है अर्थात जिनका कोलस्ट्रॉल बढ़ जाता है उन्हें देते है

SONE........❤️❤️

Betamethasone
Cortisone
Dexamethasone

ये स्टेरॉइड है अर्थात सूजन को दूर करने के लिए

AZOLE.........❤️❤️

Ketoconazole
Fluconazole
Econazole
Miconazole

एंटीफंगल है अर्थात फंगल इंफकेशन में दी जाती है

TIDINE.........❤️❤️

Ranitidine
Cimetidine
Famotidine
Roxatidine

ये H2 रिसेप्टर ब्लोकर है अर्थात पेट मे एसिड को कम करती है, पेप्टिक अल्सर में प्रयोग होता है

SETRON.........❤️❤️

Ondasetron
Grenisetron
Dolosetron

5HT3 एनटागोनिस्ट होती है अर्थात उल्टी, चक्कर मे दी जाती है

OFLOXACIN.......❤️❤️

Ciprofloxacin
Norfloxacin
Levofloxcin

ये एंटीबैक्टीरियल है

NIDAZOLE.........❤️❤️

Metronidazole
Ornidazole
Tinidazole

ये एन्टीअमेबिक है अर्थात दर्द के साथ दस्त में दी जाती है

TRIPTAN..........❤️❤️

Sumatriptan
Rizatriptan
Naratripton

5HT एगोनिस्ट होती है अर्थात माइग्रेन में दी जाती है

PROFEN.........❤️❤️

Ibuprofen
Ketoprofen
Flurbiprofen

ये नॉन स्ट्रोइडल एंटी इन्फ्लामेट्री ड्रग्स होती है अर्थात सूजन, बुखार ,दर्द आदि में दिया जाता है

PRAZOLE........❤️❤️

Pantoprazole
Omeprazole
Esomeprazole
Rabeprazole

ये प्रोटोन पम्प इन्हेबिटर है अर्थात पेट मे एसिड कम करती है और पेट मे हाइड्रोजन पोटेशियम पम्प को बन्द कर देती ह, गेस्ट्रो सम्बन्धी पेप्टिक अल्सर में प्रयोग करते है

GLIPTIN........❤️❤️

Sitagliptin
Vildagliptin
Alogiptin
Linagliptin

DDP 4 इन्हेबिटर है, अर्थात डाइबिटीज में प्रयोग होता है !

सीखते रहिये.......😊 ........🙏🙏

Ayurvedic Solutions & Remedies

26 Jun, 05:14


खाना अच्छे से पचे इसके लिए वाग्भट्ट जी ने सूत्र दिया !!

"भोजनान्ते विषं वारी"
---------------
🔸🔸 (मतलब खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना जहर पीने के बराबर
है )🔸🔸

* इसलिए खाने के तुरंत बाद पानी कभी मत पिये!*

अब आपके मन मे सवाल आएगा कितनी देर तक नहीं पीना ???

तो 1 घंटे 48 मिनट तक नहीं पीना !

अब आप कहेंगे इसका क्या calculation हैं ??

बात ऐसी है !

जब हम खाना खाते हैं तो जठराग्नि द्वारा सब एक दूसरे मे मिक्स होता है और फिर खाना पेस्ट मे बदलता हैं है !

पेस्ट मे बदलने की क्रिया होने तक 1 घंटा 48 मिनट
का समय लगता है !

उसके बाद जठराग्नि कम हो जाती है !

(बुझती तो नहीं लेकिन बहुत
धीमी हो जाती है )

पेस्ट बनने के बाद शरीर मे रस बनने की परिक्रिया शुरू होती है !

तब हमारे शरीर को पानी की जरूरत होती हैं ।

तब आप जितना इच्छा हो उतना पानी पिये !!

जो बहुत मेहनती लोग है (खेत मे हल चलाने वाले ,रिक्शा खीचने वाले पत्थर तोड़ने वाले)

उनको 1 घंटे के बाद ही रस बनने
लगता है उनको घंटे बाद
पानी पीना चाहिए !

अब आप कहेंगे खाना खाने के पहले कितने मिनट तक पानी पी सकते हैं ???

तो खाना खाने के 45 मिनट पहले तक आप पानी पी सकते हैं !

अब आप पूछेंगे ये मिनट का calculation ????

बात ऐसी ही जब हम पानी पीते हैं
तो वो शरीर के प्रत्येक अंग तक जाता है !

और अगर बच जाये तो 45 मिनट बाद मूत्र पिंड तक पहुंचता है !

तो पानी - पीने से मूत्र पिंड तक आने का समय 45 मिनट का है !

तो आप खाना खाने से 45 मिनट पहले ही पाने पिये !
पानी ना पीये खाना खाने के बाद।
इसका जरूर पालण करे !

Ayurvedic Solutions & Remedies

26 Jun, 05:14


खाना खाने के बाद पेट मे खाना पचेगा या खाना सड़ेगा
ये जानना बहुत जरुरी है ...

हमने रोटी खाई,हमने दाल खाई,हमने सब्जी खाई, हमने दही खाया
लस्सी पी ,
दूध,दही छाझ लस्सी फल आदि|,
ये सब कुछ भोजन के रूप मे हमने ग्रहण किया
ये सब कुछ हमको उर्जा देता है
और पेट उस उर्जा को आगे ट्रांसफर करता है |
पेट मे एक छोटा सा स्थान होता है जिसको हम हिंदी मे कहते है "अमाशय"
उसी स्थान का संस्कृत नाम है "जठर"|
उसी स्थान को अंग्रेजी मे कहते है
" epigastrium "|

ये एक थेली की तरह होता है
और यह जठर हमारे शरीर मे सबसे
महत्वपूर्ण है
क्योंकि सारा खाना सबसे पहले इसी मे आता है।

ये बहुत छोटा सा स्थान हैं
इसमें अधिक से अधिक 350GMS खाना आ सकता है |
हम कुछ भी खाते सब ये अमाशय मे आ जाता है|

आमाशय मे अग्नि प्रदीप्त होती है उसी को कहते हे"जठराग्न"।
|ये जठराग्नि है वो अमाशय मे प्रदीप्त होने वाली आग है ।

ऐसे ही पेट मे होता है जेसे ही आपने खाना खाया की जठराग्नि प्रदीप्त हो गयी |
यह ऑटोमेटिक है,जेसे ही अपने रोटी का पहला टुकड़ा मुँह मे डाला की इधर जठराग्नि प्रदीप्त हो गई|
ये अग्नि तब तक जलती हे जब तक खाना पचता है |

🔹अब अपने खाते ही गटागट पानी पी लिया और खूब ठंडा पानी पी लिया|

और कई लोग तो बोतल पे बोतल पी जाते है |

अब जो आग (जठराग्नि) जल रही थी वो बुझ गयी|

🔹आग अगर बुझ गयी तो खाने की पचने की जो क्रिया है वो रुक गयी|

🔸अब हमेशा याद रखें खाना जाने पर हमारे पेट में दो ही क्रिया होती है,

एक क्रिया है जिसको हम कहते हे "Digestion" और दूसरी है "fermentation"
फर्मेंटेशन का मतलब है सडना
और डायजेशन का मतलब हे पचना|

🔸आयुर्वेद के हिसाब से आग जलेगी तो खाना पचेगा,खाना पचेगा तो उससे रस बनेगा|

जो रस बनेगा तो उसी रस से मांस,मज्जा,रक्त,वीर्य,हड्डिया,मल,मूत्र और अस्थि बनेगा और सबसे अंत मे मेद बनेगा|

🔸ये तभी होगा जब खाना पचेगा|🔸

यह सब हमें चाहिए|

ये तो हुई खाना पचने की बात
🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸
अब जब खाना सड़ेगा तब क्या होगा..?

खाने के सड़ने पर सबसे पहला जहर जो बनता है वो हे यूरिक एसिड (uric acid )

|कई बार आप डॉक्टर के पास जाकर कहते है की मुझे घुटने मे दर्द हो रहा है,
मुझे कंधे-कमर मे दर्द हो रहा है

तो डॉक्टर कहेगा आपका यूरिक एसिड बढ़ रहा है आप ये दवा खाओ, वो दवा खाओ
यूरिक एसिड कम करो|

और एक दूसरा उदाहरण खाना

जब खाना सड़ता है, तो यूरिक एसिड जेसा ही एक दूसरा विष बनता है जिसको हम कहते हे
LDL (Low Density lipoprotive)
माने खराब कोलेस्ट्रोल (cholesterol )|

जब आप ब्लड प्रेशर(BP) चेक कराने डॉक्टर के पास जाते हैं तो वो आपको कहता है (HIGH BP )

हाई-बीपी है आप पूछोगे कारण बताओ?

तो वो कहेगा कोलेस्ट्रोल बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ है |

आप ज्यादा पूछोगे की कोलेस्ट्रोल कौनसा बहुत है ?

तो वो आपको कहेगा LDL बहुत है |

इससे भी ज्यादा खतरनाक एक विष हे
वो है VLDL
(Very Low Density lipoprotive)|

ये भी कोलेस्ट्रॉल जेसा ही विष है।
अगर VLDL बहुत बढ़ गया तो आपको भगवान भी नहीं बचा सकता|

खाना सड़ने पर और जो जहर बनते है उसमे एक ओर विष है जिसको अंग्रेजी मे हम कहते है triglycerides|

जब भी डॉक्टर आपको कहे की आपका "triglycerides" बढ़ा हुआ हे तो समज लीजिए की आपके शरीर मे विष निर्माण हो रहा है |

तो कोई यूरिक एसिड के नाम से कहे,कोई कोलेस्ट्रोल के नाम से कहे, कोई LDL -VLDL के नाम से कहे समझ लीजिए की ये
विष हे और ऐसे विष 103 है |

ये सभी विष तब बनते है जब खाना सड़ता है |

मतलब समझ लीजिए किसी का कोलेस्ट्रोल बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट मे ध्यान आना चाहिए की खाना पच नहीं रहा है ,

कोई कहता हे मेरा triglycerides बहुत बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट मे डायग्नोसिस कर लीजिए आप ! की आपका खाना पच नहीं रहा है |

कोई कहता है मेरा यूरिक एसिड बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट लगना चाहिए समझने मे की खाना पच नहीं रहा है |

क्योंकि खाना पचने पर इनमे से कोई भी जहर नहीं बनता|

खाना पचने पर जो बनता है वो है मांस,मज्जा,रक्त ,वीर्य,हड्डिया,मल,मूत्र,अस्थि

और

खाना नहीं पचने पर बनता है यूरिक एसिड, कोलेस्ट्रोल
,LDL-VLDL|

और यही आपके शरीर को रोगों का घर बनाते है !

पेट मे बनने वाला यही जहर जब
ज्यादा बढ़कर खून मे आते है ! तो खून दिल की नाड़ियो मे से निकल नहीं पाता और रोज थोड़ा थोड़ा कचरा जो खून मे आया है इकट्ठा होता रहता है और एक दिन नाड़ी को ब्लॉक कर देता है
*जिसे आप heart attack कहते हैं !

तो हमें जिंदगी मे ध्यान इस बात पर देना है
की जो हम खा रहे हे वो शरीर मे ठीक से पचना चाहिए
और खाना ठीक से पचना चाहिए इसके लिए पेट मे ठीक से आग (जठराग्नि) प्रदीप्त होनी ही चाहिए|

क्योंकि बिना आग के खाना पचता नहीं हे और खाना पकता भी नहीं है

🔹* महत्व की बात खाने को खाना नहीं खाने को पचाना है |

आपने क्या खाया कितना खाया वो महत्व नहीं हे।

Ayurvedic Solutions & Remedies

25 May, 10:25


❤️
याद रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें:-
1. बीपी: 120/80

2. पल्स: 70 - 100

3. तापमान: 36.8 - 37

4. सांस : 12-16

5. हीमोग्लोबिन:
नर -13.50-18
मादा - 11.50 - 16

6. कोलेस्ट्रॉल: 130 - 200

7. पोटेशियम: 3.50 - 5

8. सोडियम: 135 - 145

9. ट्राइग्लिसराइड्स: 220

10. शरीर में खून की मात्रा :
पीसीवी 30-40%

11. शुगर लेवल:
बच्चों के लिए (70-130)
वयस्क: 70 - 115

12. आयरन: 8-15 मिलीग्राम

13. श्वेत रक्त कोशिकाएं WBC:
4000 - 11000

14. प्लेटलेट्स:
1,50,000 - 4,00,000

15. लाल रक्त कोशिकाएं RBC:
4.50 - 6 मिलियन..

16. कैल्शियम:
8.6 - 10.3 मिलीग्राम/डीएल

17. विटामिन डी3:
20 - 50 एनजी/एमएल

18. विटामिन बी12:
200 - 900 पीजी/एमएल

*वरिष्ठ यानि 40/ 50/ 60 वर्ष वालों के लिए विशेष टिप्स:*


1- *पहला सुझाव:*
प्यास न लगे या जरूरत न हो तो भी हमेशा पानी पिएं... सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं और उनमें से ज्यादातर शरीर में पानी की कमी से होती हैं।

2- *दूसरा सुझाव :*
शरीर से अधिक से अधिक काम ले, शरीर को हिलाना चाहिए, भले ही केवल पैदल चलकर... या तैराकी...या किसी भी प्रकार के खेल से।

3- *तीसरा सुझाव:*
खाना कम करो....
अधिक भोजन की लालसा को छोड़ दें... क्योंकि यह कभी अच्छा नहीं लाता है। अपने आप को वंचित न करें, लेकिन मात्रा कम करें। प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट आधारित खाद्य पदार्थों का अधिक प्रयोग करें।

5- *चौथा सुझाव*
जितना हो सके वाहन का प्रयोग तब तक न करें जब तक कि अत्यंत आवश्यक न हो... आप कहीं जाते हैं किराना लेने, किसी से मिलने... या किसी काम के लिए अपने पैरों पर चलने की कोशिश करें। लिफ्ट, स्लाईडर का उपयोग करने के बजाय सीढ़ियां चढ़ें।

5- *पांचवां सुझाव*
क्रोध छोड़ो...
चिंता छोड़ो... चीजों को नज़रअंदाज़ करने की कोशिश करो...
विक्षोभ की स्थितियों में स्वयं को शामिल न करें .... वे सभी स्वास्थ्य को कम करते हैं और आत्मा के वैभव को छीन लेते हैं। सकारात्मक लोगों से बात करें और उनकी बात सुनें !

6- *छठा सुझाव*
उम्र के ढलते पडाव में पैसे रकम आदि का मोह छोड़ दे
अपने आस-पास के लोगो से खूब मिलें जुलें हंसें बोलें!
पैसा जीने के लिए बनाया गया था, जीवन पैसे के लिए नहीं।

7- *सातवां सुझाव*
अपने आप के लिए किसी तरह का अफ़सोस महसूस न करें, न ही किसी ऐसी चीज़ पर जिसे आप हासिल नहीं कर सके, और न ही ऐसी किसी चीज़ पर जिसे आप अपना नहीं सकते इन सभी के बारे में अफसोस करने के बजाय हमेशा अनदेखा कर भुल जाए!
अपनी जरूरत वाली प्राथमिक सुविधाओं के अलावा अन्य किसी भी तरह की सुविधाओं की अपेक्षा नहीं रखें ! इच्छाओं को सिमित रखें !
इसे अनदेखा करें और इसे भूल जाएं।

8- *आठवां सुझाव*
पैसा, पद, प्रतिष्ठा, शक्ति, सुन्दरता, जाति की ठसक और प्रभाव ....
ये सभी चीजें हैं जो अहंकार से भर देती हैं.... लेकिन आज है और कल नहीं है अत: उसके पिछे जरूरत से ज्यादा समय व्यर्थ नहीं करें !
विनम्रता को प्राथमिकता दे जो लोगों को प्यार से आपके करीब लाती है।

9- *नौवां सुझाव*
अगर आपके बाल सफेद हो गए हैं, तो इसका मतलब जीवन का अंत नहीं है। यह एक बेहतर जीवन की शुरुआत हो चुकी है। आशावादी बनो, याद के साथ जियो, यात्रा करो, आनंद लो। यादें बनाओ!

10- *दसवां सुझाव*
अपने से छोटों से भी प्रेम, सहानुभूति ओर अपनेपन से मिलें! कोई व्यंग्यात्मक बात न कहें! चेहरे पर मुस्कुराहट बनाकर रखें !
अतीत में आप चाहे कितने ही बड़े पद पर रहे हों वर्तमान में उसे भूल जाये और सबसे मिलजुलकर रहें!
🙏

Ayurvedic Solutions & Remedies

21 May, 03:56



मखाने के फायदे:-

मखाने कमल के बीजों की लाही है। मखाना को देवताओं का भोजन कहा गया है। पूजा एवं हवन में भी यह काम आता है। इसे आर्गेनिक हर्बल भी कहते हैं। क्योंकि यह बिना किसी रासायनिक खाद या कीटनाशी के उपयोग के उगाया जाता है। लोग मखाने को खीर के रूप में या फिर नमक में भून कर भी खाते हैं। मखाना पोषक तत्वों से भरपूर एक जलीय उत्पाद है। मखाना स्वास्थ्य के लिये भी काफी फायदेमंद है। मखाने के बीज किडनी और हृदय के लिये लाभप्रद हैं।

💚मखाने के सेवन नींद अच्छी आती है। रात में सोते समय दूध के साथ मखाने का सेवन करने से नींद न आने की समस्या दूर हो जाती है। इसके अलावा मखानों का नियमित सेवन करने से शरीर की कमजोरी दूर होती है और हमारा शरीर सेहतमंद रहता है। मखाने में मौजूद प्रोटीन के कारण यह मसल्स बनाने और फिट रखने में मदद करता है।

💜मखाने के औषधीय गुण

💛इसे खाने से पेट भरता है जल्दी-
मखाने में कैलोरी, वसा और सोडियम कम होती है इसीलिए इसे किसी भी वक़्त खाया जा सकता है। यही नहीं इसे खाने से पेट भी जल्दी भरता है। जिससे भूख कम लगती है।

💛चेहरा बनाए खूबसूरत-
मखाना एंटी-एजिंग के साथ एंटी-आक्सीडेट से भी भरपूर होता हैं जो उम्र को रोकने में सहायता करता है। जिस वजह से आप लंबे समय तक जवां बने रहते हो। झुर्रियां और बालों का सफेद होना भी मखाने से कम हो जाते हैं।

💛ब्लड प्रेशर की शिकायत वाले जरुर खाएं-
इसमें कम सोडियम होता है लेकिन पोटेशियम और मैग्नीशियम इसमें अच्छी मात्रा में पाया जाता है। तो जिन्हें ब्लड प्रेशर की शिकायत है वे मखाना खा सकते हैं।

💛मधुमेह के लिए-
डायबिटीज चयापचय विकार है, जो उच्च रक्त शर्करा के स्तर के साथ होता है। मखाना मधुमेह के रोगी के लिए एक उत्तम नाश्ता है। यह उनके लिए पौष्टिक तो है ही किंतु साथ ही में यह उनके रक्त शर्करा स्तर को भी नियंत्रण में रखता है।

💛हड्डी और दांत के लिए फायदेमंद-
इसमें कैल्शियम पाया जाता है जो आपकी हड्डी और दांत के लिए फायदेमंद है।

💛वजन कम करने के लिये अच्छा- जो लोग अपना वजन कम करना चाहते हैं उनके लिए मखाना किसी वरदान से कम नहीं है। इसमें वसा नहीं होती है साथ ही इसे खाने से पेट भी भर जाता है। तो भूख भी कम लगती है।

💛शरीर की कमजोरी दूर करे-
रात को दूध में मखाने डालकर खाने से आपको अच्छी नींद आती है। यह शरीर की कमजोरी को दूर करता है साथ ही तनाव को भी खत्म कर देता है।

इलाज से बेहतर बचाव है
स्वदेशी बने प्रकृति से जुड़े
धन्यवाद
🙏

Ayurvedic Solutions & Remedies

17 Apr, 04:54



सीने में दर्द के लिए उपाय:-

💜ऐसी चीजें न खाए जो एसिड को बढ़ाती हो

💚सीने में दर्द हमेशा हार्ट अटैक का मामला नहीं होता, सीने या छाती में दर्द के और भी कई कारण हो सकते हैं, एसीडिटी, सर्दी, कफ, तनाव, गैस, बदहजमी और धूम्रपान से भी छाती में दर्द होती है।

💚वैसे जब कभी भी छाती में दर्द हो तो तत्काल ड़ॉक्टर से संपर्क करना चाहिए ,ताकि हार्ट अटैक की शंका को दूर किया जा सके। ,हार्ट अटैक में छाती की दर्द को एंजाइना कहते हैं जो कोरोनरी आर्टरी में रक्त के प्रवाह की प्रक्रिया बाधित होने या बलगम की वजह से उत्पन्न अवरोध के कारण होता है इसलिये छाती के दर्द को कभी भी नजरअंदाज नहीं करनी चाहिए भले ही वह गैस या एसिडिटी का दर्द ही क्यों न हो, अगर आप यह पता लगा लेते हैं कि दर्द हार्ट अटैक की नहीं बल्कि अन्य वजह से है तो इसके घरेलू इलाज आप कर सकते हैं।

💛लहसुन (Garlic)-
लहसुन को वंडर मेडिसीन कहा गया है जो हर तरह की बिमारियों में रामबाण का काम करता है। सेहत के लिए तो रामबाण है ही हार्ट के लिए तो सबसे ज्यादा लाभकारी है। लहसुन में कई तरह के विटामिन, मिनरल्स, कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, थियामिन, राइबोफ्लाविन, नियासिन और विटामिन सी का खजाना है। इसके अलावा इसमें सल्फर, आयोडीन और क्लोरीन की मात्रा भी पाई जाती है।
लहसुन के एक या दो कली अगर आप रोज सुबह खाली पेट खा रहे हैं तो यह न सिर्फ आपके कोलेस्ट्रोल को कम करेगा बल्कि हृदय की धमनी के दीवार पर फैट की परत को बनने से भी रोकेगा। नतीजा आपके हार्ट में ऑक्सीजन और रक्त का प्रवाह सुचारू रहेगा। अगर छाती में दर्द की शिकायत गैस से भी है तो यह काफी कारगर होती है। लहसून का सेवन कई तरीकों से किया जा सकता है। कच्चा लहसून खाना ज्यादा असरदार होता है।

💛अदरक (Ginger)-
अदरक के कई औषधीय गुण हैं। अगर आपको गैस या एसीडिटी से हार्टबर्न हो रहा है, छाती में दर्द हो रहा हो तो अदऱक की चाय आजमा सकते हैं। यह छाती के दर्द के साथ, कफ, खांसी समेत कई बिमारियों के इलाज में काम आता है।

💛हल्दी (Turmeric)-
हल्दी में दर्द निवारक गुण होते हैं।एंटी इंफ्लामेट्री दवा के रुप में इसे आयुर्वेद और चाइनीज मेडिसीन में भी इस्तेमाल किया जाता है। हल्दी में पाए जाने वाले खास कंपाउड करक्यूमिन (Curcumin) में दर्द को चूसने वाले गुण होते हैं। यह दिल की सेहत के लिए भी गुणकारी है।
हल्दी को सबसे ज्यादा लोग गर्म दूध में डालकर पीते हैं।
दर्द वाले स्थान पर हल्दी का लेप भी लगाया जाता है।

💛तुलसी (Basil)-
तुलसी में सिर्फ एंटी बैक्टीरियल गुण ही नहीं बल्कि एंटी इंफ्लामेट्री गुण भी होते हैं। इसके अलावा तुलसी में ऐसे कई कंपाउड पाए जाते हैं जो दिल के सेहत के लिए भी गुणकारी है। तुलसी में Eugenol और करक्यूमिन पाया जाता है जो दिल के सेहत के लिए काफी फायदेमंद है।
अगर छाती में दर्द है तो तुलसी-अदरक का काढ़ा बनाकर उसमें शहद की बूंदे डाल कर पी लीजिए काफी फायदा करेगा।

💜अन्य उपाय-

💙अनार के जूस से भी छाती दर्द कम होता है।
💙ओमेगा 3 फैटी एसिड सरसों के तेल में पाया जाता है, इसके सेवन करने से हार्ट की बीमारी कम होती है।
💙अखरोट का सेवन करें।
💙मुलैठी के जड़ का सेवन करें छाती के दर्द में काफी काम करता है।
💙अलसी का सेवन करें

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Ayurvedic Solutions & Remedies

17 Apr, 04:09



सप्त धातु:-

💚7 धातु + 3 दोष ( वात पित कफ)+1 मल =11
आयुर्वेद के अनुसार शरीर में सप्त धातु होतें हैं, पूरा शरीर इनके द्वारा ही ऑपरेट होता है, आज हम आपको जो सप्त धातु पोषक चूर्ण के बारे में बताने जा रहें हैं ये उत्तम रसायन है, यह नस नाड़ियों एवम वात वाहिनियों को शक्ति प्रदान करता है. सात्विक भोजन औ सदाचरण के साथ इसके निरंतर सेवन से रोग प्रतिरोधक शक्ति बनी रहती है, और वृद्ध अवस्था के रोग नहीं सताते.

-अश्वगंधा (असगंध) 100 ग्राम,
-आंवला चूर्ण 100 ग्राम,
-हरड 100 ग्राम,

इन तीनो चीजों के चूर्ण को आपस में मिला लीजिये, अभी इसमें 400 ग्राम पीसी हुयी खांड मिश्री मिला लीजिये. और इसको किसी कांच की भरनी में भर कर रख लीजिये. प्रतिदिन एक चम्मच गर्म पानी के साथ या गर्म दूध के साथ ये चूर्ण पूरे साल फांक सकते हैं. जो व्यक्ति पूरी उम्र इसको खायेगा उसकी तो आयु कितनी होगी इसका अंदाजा भी लगा पाना मुश्किल है. अगर कोई व्यक्ति इसको 3 महीने से 1 साल तक खायेगा तो उसका शरीर भी कई सालों तक निरोगी रहेगा. इस योग को बनाने के लिए बस एक बात का ध्यान रखें के सभी वस्तुएं साफ़ सुथरी ले कर ही चूर्ण बनवाएं, कीड़े वाली अश्वगंधा ना लें. इसलिए ये सामग्री किसी विश्वसनीय दुकानदार से ही लें.

💙सप्त धातुओं का वर्णन –
1. रस
2. रक्त
3. मांस
4. मेद
5. अस्थि
6. मज्जा
7. शुक्र

अगर कोई रोगी या बीमार व्यक्ति जिसको चाहे कब्ज हो या कोई भी बड़ा रोग हो उसको इस चूर्ण को सेवन करने से पहले एक बार शरीर को शोध लेना चाहिए, उसके लिए हमने एक बहतरीन चूर्ण बताया था शरीर शोधन चूर्ण शरीर की सात धातुओं को पोषण देने वाला बहुत उत्तम चूर्ण है

पहले वाली धातु अपने से बाद वाली धातु को पोषण देती है और धातुओं को जितना भी पोषण मिलेगा शरीर उतना ही मजबूत होगा । यह आयुर्वेद का एक बहुत गूढ़ सिद्धांत है

💙इस पोस्ट में हम इस बारे में ज्यादा गहराई में ना जाते हुये आपको एक ऐसे चूर्ण के बारे में बता रहे हैं जो इन सात धातुओं को पोषण देता है और इसको घर पर निर्मित करना भी बहुत आसान है

-अश्वगंधा 100 ग्राम
-तुलसी बीज 50 ग्राम
-सौंठ 100 ग्राम
-हल्दी चूर्ण 50 ग्राम
-हरड़ 30 ग्राम
-बहेड़ा 60 ग्राम
-आवंला 90 ग्राम

इन सभी चीजों को ऊपर लिखी गयी मात्रा में लेकर धूप में सुखाकर मिक्सी में पीस कर और सूती कपड़े में छानकर चूर्ण तैयार कर लें । एयर टाईट डिब्बे में बंद रखने पर यह चूर्ण 6-8 महीने तक खराब नही होता है । ये सभी चीजें आपको अपने आस पास किसी जड़ी-बूटी वाले के पास बहुत आसानी से मिल जायेंगी ।

💜सेवन विधी :-
10 साल से कम उम्र के बच्चों को चौथाई से एक ग्राम, 16 साल तक के किशोर को 2 ग्राम और उससे बड़े व्यक्ति को 3-5 ग्राम तक सेवन करना है रात को सोते समय पानी, शहद, मलाई अथवा दूध के साथ

💙इस चूर्ण के सेवन से मिलने वाले लाभ :-

💛 शरीर में समस्त धातुओं को उचित पोषण देता है जिससे शरीर मजबूत और गठीला बनता है ।
💛 पाचन सही रखता है जिससे खाया पिया शरीर को पूरी तरह से लगता है
💛 बालों में चमक और मजबूती लाता है
💛 त्वचा कांतिमय बनती है
💛 शरीर में कैल्शियम की कमी नही होती जिससे हड्डियॉ मजबूत होती हैं
💛 वात दोष के बढ़ने से हो जाने वाले रोगों से बचाव रहता है
💛 शरीर में एलर्जी और अन्य इंफेक्शन जल्दी से नही होते हैं

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Ayurvedic Solutions & Remedies

08 Apr, 11:03



बीमारियों का किलर, स्ट्रांग इम्युनिटी:-

💚रोजाना एक सेब डॉक्टर से दूर यानी रोगों से दूर रखता है। यह बात सौ फीसदी सच है, लेकिन इसके अलावा भी कुछ खास पौष्टिक तत्व हैं, जो आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। अगर आप चाहती हैं, कि आपका इम्यून सिस्टम दुरुस्त रहे तो रोज आपकी प्लेट रंगीन फलों और सब्जियों से भरी होनी चाहिए।

💛दही
अगर आप अभी तक दही सि़र्फ लस्सी से जोड़कर देखती हैं और इसे केवल स्वाद के लिए खाती हैं तो अब नियमित रूप से खाना शुरू कर दें।
दही में चमत्कारी गुण होते हैं जो न केवल आपको फिट रखते हैं, कई गंभीर रोगों से भी बचाते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक इसमें प्रोबायोटिक्स या लाइव ऐक्टिव कल्चर्स पाया जाता है, जो आंतों की समस्या और इन्फेक्शन को दूर रखने में मदद करता है।
शोध से यह साबित हो चुका है कि देशी गाय के दूध से बना दही रोजाना 80-100 ग्राम दही खाने से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है।

💛ओट्स और बार्ली
इनमें बीटा ग्लुकैन होता है, जो एक प्रकार का फाइबर होता है। इसके अलावा इसमें एंटीमाइक्रोबियल और एंटीऑक्सीडेंट तत्व होते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।
मात्रा: एक बाउल रोजाना।

💛लहसुन
इसमें एलिसिन पाया जाता है, जो इन्फेक्शन और बैक्टीरिया का मुकाबला करता है।
एक शोध में पाया गया कि लहसुन का सेवन नियमित करने वालों को जुकाम जल्दी नहीं होता।
शोध से यह भी पता चला है कि हफ्ते में 6 कली से अधिक लहसुन खाने वालों में कोलोरेक्टल कैंसर की आशंका 30 प्रतिशत और स्टमक कैंसर की 50 प्रतिशत कम होती है।
मात्रा: दिन में 2 कली लहसुन

💛शकरकंद
आपकी त्वचा को स्वस्थ और मजबूत बनाने के लिए विटमिन ए की जरूरत होती है।
शकरकंद में विटमिन ए पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है।
शरीर में विटमिन ए पाने का सबसे बेहतरीन उपाय यह है कि अपने आहार में बीटा कैरोटिन युक्त चीजें शामिल करें जैसे कि शकरकंद।
बीटा कैरोटिन हमारे शरीर में विटमिन ए में बदल जाता है।
मात्रा: आधा कप सर्विग

💛मशरूम
इम्यून सिस्टम को मजबूत के लिए मशरूम कुदरत का वरदान है। मशरूम व्हाइट ब्लड सेल्स को बढ़ाता और सक्रिय कर देता है। इस तरह संक्रमण बहुत जल्द ही दूर हो जाता है।
मशरूम में ग्लुकैन और बीटा दोनों पाए जाते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं।
शिटाके और रेइशी मशरूम में सबसे अधिक रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले तत्व व एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं।
मात्रा.-हफ्ते में दो-तीन बार 100 ग्राम मशरूम थोड़े से तेल में भून कर खाने से अधिक लाभ देगा।

💛काली मिर्च
रोजाना 2 काली मिर्च को पीसकर एक गिलास पानी मे आधा रह जाने तक उबाले, छानकर पिये
सर्दी के मौसम में सबसे अच्छा है

इलाज से बेहतर बचाव है
स्वदेशी बने प्रकृति से जुड़े
धन्यवाद
🙏

Ayurvedic Solutions & Remedies

01 Apr, 18:19



लौकी:-

💚लौकी में पानी 96.1%; कार्बोहाइड्रेट 2.5%; प्रोटीन 0.2%; वसा 0.1%, रेशा 0.6%; होता है, सोडियम 1.8; मैग्नीशियम 5.0, पोटेशियम 87.0; कैल्शियम 20.2; ताँबा 0.3, लोहा 0.7; फॉस्फोरस 10, गंधक 10; विटामिन बी 1 0.03; विटामिन बी-5 0.2; विटामिन सी 6.0-ये प्रति 100 ग्राम में , मि.ग्रा. की मात्रा में पाये जाते हैं। तथा 100 ग्राम लौकी से 12 कैलोरी ऊर्जा मिलती है।

💛पानी को कमी (De-hydration)-
उल्टी, दस्त, तेज बुखार के कारण शरीर में पानी की कमी होने पर समान मात्रा में नारियल का पानी और लौकी का रस मिलाकर पिएं

💛पेट के रोग-
एक कप लौकी का रस सुबह खाली पेट प्रतिदिन पीने से पेट के सभी सामान्य रोग व कब्ज ठीक हो जाते हैं।

💛लौकी या घीया को काटकर इसका पेस्ट पैर के तलवों पर मलने से पैरों की गर्मी, जलन, दूर होती है। लौकी का रस भी लगाया जा सकता है।

💛दस्त –
लौकी का रायता दस्तों में लाभप्रद हजउसमें सेंधा नमक, भुना जीरा, कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर दिन में 3 बार खाएँ।

💛गला दर्द –
एक गिलास लौकी जूस में दो चम्मच शहद मिलाकर पीने से लाभ होता है।

💛गठिया-
लौकी के 100 मि.ली. रस में 3 ग्राम सोंठ का चूर्ण मिलाकर पीने से गठिया की सूजन तथा दर्द से आराम मिलता है।

💛मधुमेह(शुगर)–
मधुमेह में लौकी लाभ करती है। सलाद के रूप में या जूस कच्ची लौकी खा सकते हैं। Lauki Juice में थोड़ा नमक मिलाकर पिये

💛गर्भावस्था:-
लौकी गर्भाशय संबंधी विकारों में लाभदायक है। इसलिए जिन स्त्रियों को बार-बार गर्भस्राव या गर्भपात हो जाता है, उन्हें कुछ दिनों तक लौकी का सेवन सब्जी या रस के रूप में अवश्य करना चाहिए इससे गर्भाशय मजबूत होगा

💛सिरदर्द (Headache)-
लौकी को पीसकर माथे पर लेप करने से गर्मी के प्रभाव से होने वाला सिरदर्द ठीक हो जाता है। लौकी का तेल सिर में नित्य लगायें। सिरदर्द दूर हो जायेगा, रात को सिर की लौकी के तेल से मालिश करके सोयें। नींद अच्छी आयेगी |

💛बालों के लिए लौकी तेल के फायदे –
लौकी का तेल बालों में लगाने से बालों को मजबूती मिलती है और रूसी तथा बालों का झड़ना कम होता है

💛बुखार –
तेज बुखार होने पर घबरायें नहीं, तेज ज्वर होने पर पैर के तलवों पर पानी के छींटे मारते हुए लौकी का गूदा (पीसी हुई लौकी का पेस्ट) रगड़ें। इससे बुखार की तेज गर्मी कम हो जाती है। ज्वर हल्का हो जाता है। इससे तलवों की जलन भी कम हो जाती है।

💛जलन, चर्मरोग (Skin Care)-
लौकी के रस का प्रभाव ठंडा होता है अत: जिन रोगों में जलन, अधिक प्यास लगती है, उनमें लौकी का रस पीना लाभदायक होता है। एक कप लौकी के रस में एक चम्मच शहद (Honey) मिलाकर पीने से शरीर की गर्मी , अम्लपित्त (एसिडिटी), पेट की जलन, आँखों की जलन, रक्तविकार, फोड़े-फुन्सी, आदि रोगों में लाभ होता है

💛रक्तस्राव –
शरीर के किसी अंग से अगर रक्त बह रहा हो तो लौकी के छिलकों को बारीक पीसकर उस स्थान पर लगाकर पट्टी बाँध देने से रक्त का बहना बंद हो जाता है। साथ ही लौकी का छिलकों सहित रस निकालकर पीना चाहिए

💛मूत्रपिंड:-
यूरिन संबंधी रोगों तथा गुर्दे के दर्द में लौकी का आधा कप रस निकाल कर उसमें चुटकी भर सेंधा नमक और नींबू का रस मिलाकर सुबह पीने से यूरिन खुलकर आता है

💛पित्ती (Urticaria)-
पित्ती निकलने पर शरीर में जहाँ-जहाँ पित्ती निकली हो, लौकी का रस लगायें तथा लौकी की सब्जी खायें।

💛नकसीर (Epistaxis)-
नकसीर बह रही हो तो लौकी के रस में रुई भिगोकर, हल्की-सी निचोड़कर माथे पर लगा कर रखें इससे तरावट आयेगी और नाक से रक्तस्राव भी बन्द हो जायेगा। लेकिन ध्यान रहे, रस आँखों में बह कर न जाने पाए

💛दाग धब्बे:-
लौकी के ताजा छिलके पीसकर चेहरे पर लगाये त्वचा खिल उठेगी। तथा लौकी का गूदा रगड़ने से काले दाग मिट जाते हैं

💛आँखें दुखना
– लौकी को पीसकर लुगदी पतले कपड़े में रखकर ऑंखें बन्द करके पोटली ऊपर रखकर चालीस मिनट सोयें। शीघ्र लाभ होगा

💛रक्तशोधक –
लौकी को उबालकर बिना नमक डाले नित्य खाने से रक्त साफ हो जाता है। फुन्सियाँ निकलना बन्द हो जाती हैं।
आधा कप लौकी के रस में मिश्री मिलाकर सुबह-शाम पीने से रक्त साफ हो जाता है।

💛पीलिया- लौकी को आग में सेंककर भुर्ता-सा बना लें, फिर इसे निचोड़कर रस निकालकर थोड़ी सी मिश्री मिलाकर पियें। साथ ही लौकी का सूप भी पियें।

💙लौकी इंजेक्शन लगी न हो
💙लौकी कड़वी न हो

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Ayurvedic Solutions & Remedies

01 Apr, 18:06



पपीता:-

💚आवंला के बाद अकेला फल जिसमे सभी विटामिन, कैल्शियम पाए जाते है

💚फरवरी से मार्च तथा मई से अक्तूबर के बीच का समय पपीते की ऋतु मानी जाती है। कच्चे पपीते में विटामिन ‘ए’ तथा पके पपीते में विटामिन ‘सी’ की मात्रा भरपूर पायी जाती है।

💜पपीते में कैल्शियम, फास्फोरस,लौह तत्व, विटामिन- ए, बी,सी, डी प्रोटीन, कार्बोज, खनिज आदि अनेक तत्व एक साथ हो जाते हैं। पपीते का बीमारी के अनुसार प्रयोग निम्नानुसार किया जा सकता है।

💛पपीते में ‘कारपेन या कार्पेइन’ नामक एक क्षारीय तत्व होता है जो रक्त चाप को नियंत्रित करता है। इसी कारण उच्च रक्तचाप के रोगी को एक पपीता (कच्चा) नियमित रूप से खाते रहना चाहिए।

💛खूनी बवासीर हो या बादी (सूखा) बवासीर। बवासीर के रोगियों को प्रतिदिन एक पका पपीता खाते रहना चाहिए। बवासीर के मस्सों पर कच्चे पपीते के दूध को लगाते रहने से काफी फायदा होता है।

💛पपीता यकृत तथा लिवर को पुष्ट करके उसे बल प्रदान करता है। पीलिया रोग में जबकि यकृत अत्यन्त कमजोर हो जाता है, पपीते का सेवन बहुत लाभदायक होता है। पीलिया के रोगी को प्रतिदिन एक पका पपीता अवश्य खाना चाहिए। इससे तिल्ली को भी लाभ पहुंचाया है तथा पाचन शक्ति भी सुधरती है।

💛महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म एक आम शिकायत होती है। समय से पहले या समय के बाद मासिक आना, अधिक या कम स्राव का आना, दर्द के साथ मासिक का आना आदि से पीड़ित महिलाओं को ढाई सौ ग्राम पका पपीता प्रतिदिन कम से कम एक माह तक अवश्य ही सेवन करना चाहिए। इससे मासिक धर्म से संबंधित सभी परेशानियां दूर हो जाती है।

💛जिन प्रसूता को दूध कम बनता हो, उन्हें प्रतिदिन कच्चे पपीते का सेवन करना चाहिए। सब्जी के रूप में भी इसका सेवन किया जा सकता है।

💛सौंदर्य वृद्धि के लिए भी पपीते का इस्तेमाल किया जाता है। पपीते को चेहरे पर रगड़ने से चेहरे पर व्याप्त कील मुंहासे, कालिमा व मैल दूर हो जाते हैं तथा एक नया निखार आ जाता है। इसके लगाने से त्वचा कोमल व लावण्ययुक्त हो जाती है। इसके लिए हमेशा पके पपीते का ही प्रयोग करना चाहिए।

💛कब्ज सौ रोगों की जड़ है। अधिकांश लोगों को कब्ज होने की शिकायत होती है। ऐसे लोगों को चाहिए कि वे रात्रि भोजन के बाद पपीते का सेवन नियमित रूप से करते रहें। इससे सुबह दस्त साफ होता है तथा कब्ज दूर हो जाता है।

💛समय से पूर्व चेहरे पर झुर्रियां आना बुढ़ापे की निशानी है। अच्छे पके हुए पपीते के गूदे को उबटन की तरह चेहरे पर लगायें। आधा घंटा लगा रहने दें। जब वह सूख जाये तो गुनगुने पानी से चेहरा धो लें तथा मूंगफली के तेल से हल्के हाथ से चेहरे पर मालिश करें। ऐसा कम से कम एक माह तक नियमित करें।

💛नए जूते-चप्पल पहनने पर उसकी रगड़ लगने से पैरों में छाले हो जाते हैं। यदि इन पर कच्चे पपीते का रस लगाया जाए तो वे शीघ्र ठीक हो जाते हैं।

💛पपीता वीर्यवर्ध्दक भी है। जिन पुरुषों को वीर्य कम बनता है और वीर्य में शुक्राणु भी कम हों, उन्हें नियमित रूप से पपीते का सेवन करना चाहिए।

💛हृदय रोगियों के लिए भी पपीता काफी लाभदायक होता है। अगर वे पपीते के पत्तों का काढ़ा बनाकर नियमित रूप से एक कप की मात्रा में रोज पीते हैं तो अतिशय लाभ होता है।

💛कैंसर में , डेंगू में‌ पपीता पर सफल खोज हो चुकी है, पपीता के पत्तो का काढ़ा कैंसर और डेंगू को समाप्त कर देता है

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01 Apr, 17:57


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01 Apr, 17:56


💚कान का दर्द –
हींग को तिल के तेल में पकाकर उस तेल को छानकर इस तेल की बूंदें कान में डालने से कान दर्द से राहत मिलती है।

💚शक्ति
शारीरिक शक्ति बढ़ाने या कमजोरी दूर करने के लिए भुनी हींग, पीपर, सोंठ तथा कालीमिर्च बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। प्रतिदिन सुबह-शाम चौथाई चम्मच चूर्ण गरम पानी के साथ सेवन करें।

💚मासिक धर्म
मासिक धर्म की समस्याओ में हींग का सेवन करने से स्त्रियों के गर्भाशय का संकुचन होता है और मासिक धर्म खुलकर आता है। इसके अतिरिक्त इससे स्त्रियों का पेट दर्द भी दूर होता है।

💚प्रसूता स्त्री का सिर चकराना –
घी में सेंकी हुई हींग देशी घी/गाय का घी के साथ सेवन करने से प्रसूता स्त्री को आने वाले चक्कर (सिर चकराना) और दर्द (लेबरपेन्स) मिटते हैं।

💚विषैले दंश :-
बिच्छू, ततैया, मधु मक्खी आदि के काटने पर काटे गए अंग पर लगाने से दर्द और सूजन दूर होते हैं।

💚मलेरिया से सुरक्षा –
जिन जगहों पर मलेरिया फैला हो वहां भोजन के साथ हींग का सेवन करने से आंतों को लाभ होता है तथा मलेरिया से भी सुरक्षा होती है।

💚टायफाइड में अफारा होने पर -
टायफाइड/मोतीझरा बुखार में रोगी को अफारे (पेट फूलने) की समस्या होने पर हींग को नौसादर और हीरा बोल के साथ सेवन कराना लाभकारी है।

💜हींग को लम्बे समय तक प्रतिदिन सेवन न करें। जिन स्त्रियों को मासिक स्राव/माहवारी अधिक हो उन्हें तो हींग का सेवन बंद कर देना चाहिए ।

💜गर्भवती स्त्रियां इसका सेवन कम ही करें। पित्त प्रकृति/गर्म तासीर के लोग हींग को केवल औषधि/दवा के तौर पर ही सेवन करें।

💜दूध पीने वाले शिशु को यदि गर्मी की समस्या है हो तो ऐसी स्त्रियों को हींग का सेवन नहीं करना चाहिए।

💜अधिक समय तक हींग सेवन मूत्र मार्ग में जलन होती है |

💜अधिक हींग के सेवन से पेशाब और पसीने से बदबू आने लगती है। हींग मस्तिष्क (दिमाग) को और गर्म प्रकृति/मिजाज के लोगों के लिए हानिकर है।

💜इसके अतिरिक्त हींग लीवर की बीमारी से पीड़ित लोगो के लिए भी हानिकारक है।

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