Abhijeet Srivastava Telegram Posts
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Yah dekhna atyant sukhad hai ki sanatan path se bhatake log punah sanatan path par wapasi kar rhe hain...
Delhi BJP govt TERMINATES all Co-terminus appointments made by Atishi, Kejriwal & other AAP govt ministers 🔥
Officers, officials & staff from various depts, corporations, boards, hospitals, etc 'deployed in diverted capacity' in the offices of CM & ministers have been 'relieved' from duties with immediate effect.
Officers, officials & staff from various depts, corporations, boards, hospitals, etc 'deployed in diverted capacity' in the offices of CM & ministers have been 'relieved' from duties with immediate effect.
अमेरिकी सरकार की एक शाखा - The United States Agency for International Development (USAID) - ने भारत में मतदान के नाम पर कुछ NGO को 2.1 करोड़ डॉलर (आज के लगभग 175 करोड़ रुपये) दिए थे। राष्ट्रपति ट्रम्प पूछते है कि भारत में मतदान के लिए 2.1 करोड़ डॉलर खर्च करने की क्या ज़रूरत थी? ट्रम्प आगे कहते है कि पूर्व अमेरिकी सरकार भारत में किसी अन्य को चुनाव में जितवाने का प्रयास कर रही थी तथा उन्हें यह तथ्य भारत सरकार को बताना चाहिए।
राष्ट्रपति ट्रम्प का प्रश्न सर्वथा उचित है।
लेकिन ध्यान देने की बात यह है कि यह धन अमेरिकी सरकार की केवल एक शाखा से भारतीय चुनावो को प्रभावित करने के लिए दिया गया था जिसे अब अमेरिकी सरकार के मुखिया स्वीकार रहे है। सीधे अमेरिकी विदेश मंत्रालय, सीआईए, एवं सरकारी थिंकटैंक्स (जैसे कि फ्रीडम हाउस, विश्वविद्यालय) से भी पैसा दिया गया होगा। फिर निजी संस्थाए, जैसे कि सोरोस, ओमीदियार इत्यादि भारत में सत्ता परिवर्तन के लिए कहीं अधिक विशाल मात्रा में पैसा पंप कर रही थी।
पिछले दिसंबर में भाजपा ने आरोप लगाया था कि अमेरिका के खुफिया तंत्र ने भारत की छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए मीडिया पोर्टल ओसीसीआरपी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ मिलीभगत की है। भाजपा ने यह आरोप विदेशो में छपी रिपोर्ट के आधार पर लगाया था।
लेकिन आरोप-प्रत्यारोप से परे एक अन्य तथ्य है जिसे नाकारा नहीं जा सकता है।
पिछले वर्ष भारत स्थित अमेरिकी दूतावास ने घोर मोदी विरोधी, साथ ही सनातन विरोधी, दो लोगो - सायमा रहमान एवं आकाश बनर्जी (यह देशभक्त के नाम से X पर लिखता है) को अपने कार्यक्रमों में बुलाया था। इन कार्यक्रमों का घोषित उद्देश्य था "बदलाव" लाना, समानता बढ़ाना, एवं सोशल मीडिया पर कंटेंट क्रिएट करने के बारे में ट्रेनिंग देना था। यह लोग सनातन धर्म के बारे में अपशब्द बोल चुके है, आतंकियों के समर्थन में लिखते आये है एवं एक समुदाय की महिलाओ को परदे में रखने का समर्थन करते है।
इस एम्बेसी को एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिला जो अगर मोदी सरकार का समर्थक ना हो तो कम से कम राजनीतिक रूप से न्यूट्रल होता।
एक इंटरनेट सर्च से ऐसे कई उदाहरण मिल जाएंगे जब अमेरिकी दूतावास ने पिछले कुछ वर्षो में मोदी सरकार विरोधी तत्वों को प्रोमोट किया था।
कई अन्य नाम घूमते रहते है जिनके लिए आरोप लगता रहता है कि वे अमेरिकी समर्थन से राजनीती कर रहे है।
स्वयं राहुल गाँधी कई बार अमेरिकी एवं यूरोपियन सांसदों से मोदी सरकार को हटाने के लिए मदद की अपील कर चुके है। ऐसे कई वीडियो इंटरनेट पर उपलब्ध है।
विदेश मंत्री जयशंकर ने हाल ही में म्यूनिख में कहा कि पश्चिमी देशो के राजदूत भारत में जो कार्यवाई करते है, अगर भारत के राजदूत उसका एक अंश (फ्रैक्शन) भी आपके देशो में करे, तो आप विद्रोह कर देंगे।
भारतीय विपक्ष विदेशी समर्थन के आधार पर सत्ता में आना चाहता है। चाहे इसके लिए दुष्प्रचार फैलाना पड़े, दंगे करवाना पड़े।
अभिजात वर्ग 2019 के संसदीय चुनावो के बाद प्रधानमंत्री मोदी से निपटने के लिए हिंसा, झूठ, छल और कपट का सहारा ले रहा है। इस हिंसा को भड़काने के लिए अभिजात वर्ग (इसमें इटैलियन माफिया भी शामिल है) अलगाववादी तत्वों, कट्टरपंथियों, नक्सलियों, घुसपैठियों और अपराधियों का उपयोग कर रहा है.
विपक्षी राजनीति का यही सच है।
साभार: अमित सिंघल जी
राष्ट्रपति ट्रम्प का प्रश्न सर्वथा उचित है।
लेकिन ध्यान देने की बात यह है कि यह धन अमेरिकी सरकार की केवल एक शाखा से भारतीय चुनावो को प्रभावित करने के लिए दिया गया था जिसे अब अमेरिकी सरकार के मुखिया स्वीकार रहे है। सीधे अमेरिकी विदेश मंत्रालय, सीआईए, एवं सरकारी थिंकटैंक्स (जैसे कि फ्रीडम हाउस, विश्वविद्यालय) से भी पैसा दिया गया होगा। फिर निजी संस्थाए, जैसे कि सोरोस, ओमीदियार इत्यादि भारत में सत्ता परिवर्तन के लिए कहीं अधिक विशाल मात्रा में पैसा पंप कर रही थी।
पिछले दिसंबर में भाजपा ने आरोप लगाया था कि अमेरिका के खुफिया तंत्र ने भारत की छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए मीडिया पोर्टल ओसीसीआरपी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ मिलीभगत की है। भाजपा ने यह आरोप विदेशो में छपी रिपोर्ट के आधार पर लगाया था।
लेकिन आरोप-प्रत्यारोप से परे एक अन्य तथ्य है जिसे नाकारा नहीं जा सकता है।
पिछले वर्ष भारत स्थित अमेरिकी दूतावास ने घोर मोदी विरोधी, साथ ही सनातन विरोधी, दो लोगो - सायमा रहमान एवं आकाश बनर्जी (यह देशभक्त के नाम से X पर लिखता है) को अपने कार्यक्रमों में बुलाया था। इन कार्यक्रमों का घोषित उद्देश्य था "बदलाव" लाना, समानता बढ़ाना, एवं सोशल मीडिया पर कंटेंट क्रिएट करने के बारे में ट्रेनिंग देना था। यह लोग सनातन धर्म के बारे में अपशब्द बोल चुके है, आतंकियों के समर्थन में लिखते आये है एवं एक समुदाय की महिलाओ को परदे में रखने का समर्थन करते है।
इस एम्बेसी को एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिला जो अगर मोदी सरकार का समर्थक ना हो तो कम से कम राजनीतिक रूप से न्यूट्रल होता।
एक इंटरनेट सर्च से ऐसे कई उदाहरण मिल जाएंगे जब अमेरिकी दूतावास ने पिछले कुछ वर्षो में मोदी सरकार विरोधी तत्वों को प्रोमोट किया था।
कई अन्य नाम घूमते रहते है जिनके लिए आरोप लगता रहता है कि वे अमेरिकी समर्थन से राजनीती कर रहे है।
स्वयं राहुल गाँधी कई बार अमेरिकी एवं यूरोपियन सांसदों से मोदी सरकार को हटाने के लिए मदद की अपील कर चुके है। ऐसे कई वीडियो इंटरनेट पर उपलब्ध है।
विदेश मंत्री जयशंकर ने हाल ही में म्यूनिख में कहा कि पश्चिमी देशो के राजदूत भारत में जो कार्यवाई करते है, अगर भारत के राजदूत उसका एक अंश (फ्रैक्शन) भी आपके देशो में करे, तो आप विद्रोह कर देंगे।
भारतीय विपक्ष विदेशी समर्थन के आधार पर सत्ता में आना चाहता है। चाहे इसके लिए दुष्प्रचार फैलाना पड़े, दंगे करवाना पड़े।
अभिजात वर्ग 2019 के संसदीय चुनावो के बाद प्रधानमंत्री मोदी से निपटने के लिए हिंसा, झूठ, छल और कपट का सहारा ले रहा है। इस हिंसा को भड़काने के लिए अभिजात वर्ग (इसमें इटैलियन माफिया भी शामिल है) अलगाववादी तत्वों, कट्टरपंथियों, नक्सलियों, घुसपैठियों और अपराधियों का उपयोग कर रहा है.
विपक्षी राजनीति का यही सच है।
साभार: अमित सिंघल जी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने FII प्राथमिकता शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए मियामी, फ्लोरिडा में कहा- "... हमें भारत में मतदान पर 21 मिलियन डॉलर खर्च करने की क्या ज़रूरत है? मुझे लगता है कि वे किसी और को निर्वाचित करने की कोशिश कर रहे थे। हमें भारत सरकार को बताना होगा... यह एक बड़ी सफलता है..."
BIG 🔥 US President Donald Trump says, "... Why do we need to spend $21 million on voter turnout in India? I guess they were trying to get somebody else elected. We have got to tell the Indian Government... This is a total breakthrough..."
Just now: Trump Orders Agencies to Disclose Details of Wasteful Spending.
अब देखो और क्या क्या खुलासे होते हैं. ✌️
अब देखो और क्या क्या खुलासे होते हैं. ✌️
BJP Delhi के विधायक दल का नेता चुने जाने पर श्रीमती रेखा गुप्ता जी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं! कल लेंगी मुख्यमंत्री पद की शपथ!
It's official announcement
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The Supreme Court today (February 19) ruled that while a second FIR for the same offence is impermissible, a second FIR for a different offence is permissible.