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12 Jan, 03:49


स्वामी विवेकानंद के प्रेरणादायक विचार

1. आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता

"उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।"
यह विचार युवाओं को अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहने और उसे प्राप्त करने तक निरंतर प्रयास करने के लिए प्रेरित करता है।

"खुद पर विश्वास करो, यही सफलता की पहली सीढ़ी है।"
यह आत्मविश्वास और अपनी क्षमताओं पर भरोसा रखने की प्रेरणा देता है।


2. साहस और शक्ति

"डरो मत। अगर तुम डरते हो, तो तुम हार जाओगे।"
यह विचार युवाओं को जीवन की कठिनाइयों का साहस के साथ सामना करने के लिए प्रेरित करता है।

"जो आग से गुजरता है, वही सोना बनता है।"
यह युवाओं को जीवन के संघर्षों को स्वीकारने और उनसे सीखने की प्रेरणा देता है।


3. कर्म और कर्तव्य

"एक विचार लो। उस विचार को अपनी जिंदगी बना लो। उसके बारे में सोचो, उसके सपने देखो, उसे जियो।"
यह युवाओं को उनके लक्ष्य के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित होने की प्रेरणा देता है।

"तुम अपने कार्य से ही पहचाने जाओगे। काम को पूजा मानो।"
यह कर्मयोग के महत्व को समझाता है और युवाओं को मेहनत करने के लिए प्रेरित करता है।


4. ज्ञान और शिक्षा

"शिक्षा का मतलब केवल जानकारी इकट्ठा करना नहीं है, बल्कि यह जीवन को निर्माण करने वाली प्रक्रिया है।"
यह विचार युवाओं को ज्ञान प्राप्त करने और उसे जीवन में उतारने की प्रेरणा देता है।

"जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते, तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते।"
यह ज्ञान, विश्वास और आत्मनिरीक्षण पर बल देता है।


5. सामाजिक सेवा और नैतिकता

"जीवन का उद्देश्य केवल खुद को ऊंचा उठाना नहीं, बल्कि दूसरों की सेवा करना है।"
यह युवाओं को समाज सेवा और दूसरों की भलाई के लिए प्रेरित करता है।

"तुम दूसरों की मदद करके ही खुद को ऊंचा उठा सकते हो।"
यह विचार सामूहिक भलाई और नैतिकता पर जोर देता है।


6. संघर्ष और आत्म-सुधार

"हर व्यक्ति अपने भाग्य का निर्माता है।"
यह युवाओं को प्रेरित करता है कि वे अपने जीवन की जिम्मेदारी खुद लें।

"अपना जीवन एक लक्ष्य पर केंद्रित करो और अपने पूरे शरीर को उस एक लक्ष्य में झोंक दो।"
यह विचार जीवन में एकाग्रता और समर्पण का महत्व बताता है।

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04 Jan, 03:13


Question Paper for Sr. Teacher (Sanskrit Edu.) Comp. Exam - 2024 (SOCIAL SCIENCE) 👇

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04 Jan, 03:13


Question Paper for Sr. Teacher (Sanskrit Edu.) Comp. Exam - 2024 (G. K. AND EDUCATIONAL PSYCHOLOGY)

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03 Jan, 11:25


अनुच्छेद 14 भारत के संविधान में समानता के अधिकार की गारंटी देता है। इसके तहत "यथार्थपक्षीय वर्गीकरण" (Reasonable Classification) का सिद्धांत विकसित किया गया है।

यथार्थपक्षीय वर्गीकरण का अर्थ

यथार्थपक्षीय वर्गीकरण का तात्पर्य है कि विधायिका या सरकार को यह अधिकार है कि वह विभिन्न वर्गों के व्यक्तियों या वस्तुओं के बीच विभाजन कर सके, लेकिन यह विभाजन उचित और तर्कसंगत होना चाहिए। यह विभाजन अनुच्छेद 14 के तहत "समानता" के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करता, बशर्ते यह दो शर्तों को पूरा करता हो:

1. समुचित उद्देश्य (Rational Nexus): वर्गीकरण का एक उचित और वैध उद्देश्य होना चाहिए।


2. तर्कसंगत आधार (Reasonable Basis): वर्गीकरण और उसके उद्देश्य के बीच तर्कसंगत संबंध होना चाहिए।



महत्वपूर्ण बातें

समानता का मतलब सभी व्यक्तियों के साथ एक जैसा व्यवहार करना नहीं है।

यथार्थपक्षीय वर्गीकरण सामाजिक, आर्थिक, या अन्य व्यवहारिक कारकों के आधार पर किया जा सकता है।


उदाहरण

1. आरक्षण नीति: भारत में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण का प्रावधान यथार्थपक्षीय वर्गीकरण का एक उदाहरण है। इसका उद्देश्य इन वर्गों को सामाजिक और शैक्षिक रूप से सशक्त करना है।


2. कर व्यवस्था: आयकर अधिनियम के तहत उच्च आय वाले व्यक्तियों पर अधिक कर लगाया जाता है, जबकि निम्न आय वर्ग वालों को रियायत मिलती है। यह भी यथार्थपक्षीय वर्गीकरण है क्योंकि इसका उद्देश्य आय में असमानता को कम करना है।



संबंधित न्यायालय का दृष्टिकोण

1. स्टेट ऑफ वेस्ट बंगाल बनाम अनवर अली सरकार (1952): सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वर्गीकरण मनमाना नहीं होना चाहिए। यह केवल समान व्यक्तियों पर लागू होना चाहिए।


2. एम. नागराज बनाम भारत संघ (2006): न्यायालय ने कहा कि यथार्थपक्षीय वर्गीकरण का उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों को संरक्षण देना है।



इस प्रकार, यथार्थपक्षीय वर्गीकरण संविधान में दिए गए समानता के अधिकार को मजबूत करने का कार्य करता है।

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03 Jan, 04:37


भारत में राज्यपालों के लिए सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन की व्यवस्था नहीं है। यह स्थिति उन्हें अन्य संवैधानिक पदाधिकारियों से अलग करती है, क्योंकि अधिकांश अन्य उच्च पदों पर सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन या अन्य वित्तीय लाभ प्रदान किए जाते हैं।

राज्यपाल पद की विशेषताएँ:

संवैधानिक भूमिका: राज्यपाल राज्य में केंद्र सरकार के प्रतिनिधि होते हैं और उनके कर्तव्यों का निर्धारण संविधान के अनुच्छेद 153 से 162 के तहत किया गया है।

कार्यकाल: राज्यपाल का कार्यकाल पाँच वर्ष का होता है, लेकिन वे राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद पर बने रह सकते हैं।

पद के साथ मिलने वाले लाभ: कार्यकाल के दौरान राज्यपाल को वेतन, भत्ते, सरकारी आवास, चिकित्सा सुविधाएँ, और अन्य विशेषाधिकार मिलते हैं।


पेंशन का अभाव:

राज्यपालों के लिए सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन न होने के पीछे कुछ तर्क प्रस्तुत किए जाते हैं:

1. कार्यकाल की अनिश्चितता: राज्यपाल का कार्यकाल निश्चित नहीं होता; वे राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद पर रहते हैं। इस अनिश्चितता के कारण पेंशन की व्यवस्था नहीं की गई है।


2. अन्य लाभों की उपलब्धता: सेवानिवृत्ति के बाद भी कुछ सुविधाएँ, जैसे चिकित्सा लाभ, उन्हें मिलती रहती हैं, जिससे पेंशन की आवश्यकता कम हो जाती है।


3. संवैधानिक परंपरा: संविधान निर्माताओं ने राज्यपाल पद को एक विशिष्ट भूमिका के रूप में देखा, जहाँ सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन की आवश्यकता नहीं समझी गई।

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03 Jan, 04:34


https://youtu.be/4SahHUAdnTI?si=xnKGPQ9V1yLu7Mep

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02 Jan, 13:58


एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने भारत में चुनावी पारदर्शिता और सुधारों के लिए कई महत्वपूर्ण न्यायिक लड़ाइयाँ लड़ी हैं। यहाँ उनके द्वारा दायर प्रमुख मामलों और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों की सूची प्रस्तुत है:

1. भारत संघ बनाम एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (2002):

सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि चुनाव लड़ने वाले सभी उम्मीदवारों को अपनी आपराधिक, वित्तीय और शैक्षणिक पृष्ठभूमि की जानकारी सार्वजनिक करनी होगी, जिससे मतदाताओं को सूचित निर्णय लेने में सहायता मिले।


2. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स बनाम भारत संघ (2013

): ADR की याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) में 'नोटा' (NOTA) बटन शामिल करने का निर्देश दिया, जिससे मतदाताओं को सभी उम्मीदवारों को अस्वीकार करने का विकल्प मिला।


3. लोक प्रहरी बनाम भारत संघ (2018): ADR के हस्तक्षेप के बाद, सर्वोच्च न्यायालय ने उम्मीदवारों को अपने और अपने परिवार के सदस्यों की आय के स्रोतों का खुलासा करने का निर्देश दिया, जिससे आय के असंगत स्रोतों की पहचान हो सके।


4. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स बनाम भारत संघ (2023):
ADR की याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए एक समिति गठित करने का निर्देश दिया, जिसमें प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश और विपक्ष के नेता शामिल होंगे, जिससे नियुक्तियों में पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।


5. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स बनाम भारत संघ (2024)

: ADR की याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित किया, जिससे राजनीतिक दलों को मिलने वाले दान में पारदर्शिता बढ़ी।



इन निर्णयों ने भारतीय चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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02 Jan, 13:58


एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) भारत में एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) है, जो चुनाव सुधार, राजनीतिक पारदर्शिता और लोकतांत्रिक जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए काम करता है। इसका मुख्य उद्देश्य मतदाताओं को जागरूक करना और चुनावी प्रणाली में सुधार लाना है।

स्थापना:

स्थापना वर्ष: 1999

संस्थापक: भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) अहमदाबाद के कुछ प्रोफेसरों ने इसे शुरू किया।

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01 Jan, 04:23


नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ!

नया साल आपके जीवन में खुशियों, सफलता और समृद्धि लेकर आए। यह वर्ष आपके लिए नए अवसरों से भरा हो और आप अपने सभी लक्ष्यों को प्राप्त करें।
इस नए अध्याय में आप अपनी क्षमताओं को पहचानें, अपनी सीमाओं को पार करें और अपने सपनों को साकार करें। कठिनाइयों का सामना करते हुए भी धैर्य और दृढ़ता बनाए रखें।

अपनों के साथ समय बिताएं, प्यार और स्नेह बाँटें, और जीवन के हर पल का आनंद लें।
नया साल आपके लिए शुभ हो और आपका जीवन सफलता, खुशियों और शांति से परिपूर्ण हो।
#ADSIR OFFICIAL 👏🙏🤝

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31 Dec, 08:50


DSSSB PGT Recruitment Advt 10/2024 Notification OUT.

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28 Dec, 11:14


रचनात्मक अविश्वास प्रस्ताव: जर्मनी के
संदर्भ मै


रचनात्मक अविश्वास प्रस्ताव एक विशेष प्रकार का अविश्वास प्रस्ताव है जो सरकार के खिलाफ लाया जाता है। यह प्रस्ताव तब लाया जाता है जब विपक्ष न केवल सरकार के खिलाफ अविश्वास व्यक्त करना चाहता है, बल्कि उसके स्थान पर एक नए नेता को भी प्रस्तावित करता है।


जर्मनी में रचनात्मक अविश्वास प्रस्ताव:
* विशिष्टता: जर्मनी में यह प्रस्ताव अन्य देशों की तुलना में थोड़ा अलग है। यहां, सरकार को तभी हटाया जा सकता है जब विपक्ष द्वारा प्रस्तावित नए नेता को संसद का बहुमत प्राप्त हो।
* उद्देश्य: इसका उद्देश्य सरकार को अस्थिर होने से बचाना और सुनिश्चित करना है कि हमेशा एक वैकल्पिक सरकार तैयार रहे।
* प्रक्रिया: जब ऐसा प्रस्ताव लाया जाता है, तो संसद में मतदान होता है। अगर नए नेता को बहुमत मिल जाता है, तो मौजूदा सरकार को इस्तीफा देना पड़ता है और नया नेता चांसलर बन जाता है।

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28 Dec, 11:13


जर्मनी

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28 Dec, 11:09


वरिष्ठ अध्यापक (संस्कृत शिक्षा) पेपर

▪️ विषय - SST (28-12-2024)

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27 Dec, 20:00


भारतीय संविधान के अनुसार, संसद का सत्र दिल्ली के अलावा किसी अन्य स्थान पर भी बुलाया जा सकता है।


भारतीय संविधान का अनुच्छेद 85 के अनुसार राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों (लोक सभा और राज्य सभा) को ऐसे समय और स्थान पर बुला सकते हैं, जिसे वह उचित समझे।

हालांकि, परंपरागत रूप से, सभी सत्र राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली स्थित संसद भवन में आयोजित किए जाते हैं।
ऐसा करने के कुछ फायदे हो सकते हैं:
* देश के विभिन्न हिस्सों को महत्व देना: यह देश के विभिन्न हिस्सों को महत्व देने और लोगों को संसद के कामकाज में अधिक शामिल करने का एक तरीका हो सकता है।
* विकास को बढ़ावा देना: यदि किसी राज्य में संसद का सत्र बुलाया जाता है, तो इससे उस राज्य के विकास को बढ़ावा मिल सकता है।
* लोगों की भागीदारी बढ़ाना: संसद के सत्र को किसी अन्य स्थान पर बुलाने से आम लोगों की संसद के कामकाज में भागीदारी बढ़ सकती है।
हालांकि, ऐसा करने के कुछ नुकसान भी हो सकते हैं:
* व्यवस्थागत चुनौतियां: संसद के सत्र को किसी अन्य स्थान पर बुलाने के लिए बड़ी मात्रा में व्यवस्थागत तैयारियों की आवश्यकता होती है।
* खर्च: संसद के सत्र को किसी अन्य स्थान पर बुलाने में काफी खर्च आ सकता है।
* सुरक्षा चिंताएं: संसद के सत्र को किसी अन्य स्थान पर बुलाने से सुरक्षा की चुनौतियां भी पैदा हो सकती हैं।
अभी तक भारत में संसद का सत्र दिल्ली के अलावा किसी अन्य स्थान पर नहीं बुलाया गया है। लेकिन, यह एक संभावना है और भविष्य में ऐसा हो सकता है।

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27 Dec, 14:08


सिलीगुड़ी गलियारा, जिसे चिकन नेक के नाम से भी जाना जाता है, पश्चिम बंगाल, भारत में स्थित भूमि का एक संकीर्ण खंड है, जो भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को शेष भारत से जोड़ता है। यह रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पूर्वोत्तर भारत को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाला एकमात्र भूमि मार्ग है।
सिलीगुड़ी गलियारा अपने सबसे संकरे बिंदु पर लगभग 20-22 किलोमीटर चौड़ा है और उत्तर में नेपाल और दक्षिण में बांग्लादेश से घिरा हुआ है। चीन द्वारा नियंत्रित चूंबी घाटी, गलियारे के उत्तर में स्थित है।
सिलीगुड़ी गलियारा पूर्वोत्तर भारत और देश के बाकी हिस्सों के बीच व्यापार, परिवहन और संचार के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी है। सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह एक संवेदनशील क्षेत्र भी है, क्योंकि यह घुसपैठ और हमलों की चपेट में है।

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27 Dec, 09:14


कॉलेजियम प्रणाली भारत में उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण के लिए अपनाई जाने वाली एक प्रणाली है।
यह प्रणाली संविधान या किसी संसदीय अधिनियम द्वारा स्थापित नहीं है, बल्कि उच्चतम न्यायालय के निर्णयों के माध्यम से विकसित हुई है।

इस प्रणाली के तहत, उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए एक कॉलेजियम की सिफारिश की जाती है। इस कॉलेजियम में प्रधान न्यायाधीश और चार वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं। कॉलेजियम द्वारा सिफारिश किए गए नामों को राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
कॉलेजियम प्रणाली की आलोचना की जाती है क्योंकि इसमें पारदर्शिता की कमी है और इसमें राजनीतिक हस्तक्षेप का खतरा रहता है। हाल के वर्षों में, कॉलेजियम प्रणाली को लेकर सरकार और न्यायपालिका के बीच कई विवाद हुए हैं।
कॉलेजियम प्रणाली के विकल्प के रूप में, सरकार ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) का गठन किया था। हालांकि, एनजेएसी को उच्चतम न्यायालय ने असंवैधानिक घोषित कर दिया था।
कॉलेजियम प्रणाली एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और इसके सुधार के लिए कई सुझाव दिए गए हैं। इन सुझावों में शामिल हैं - पारदर्शिता बढ़ाना, कॉलेजियम में शामिल सदस्यों की संख्या बढ़ाना, और कॉलेजियम की सिफारिशों की समीक्षा के लिए एक स्वतंत्र निकाय का गठन करना।

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26 Dec, 15:41


संसदीय समितियाँ
परिचय: संसदीय समितियाँ (PC) संसद सदस्यों (MP) की समितियाँ होती हैं जिन्हें सदन द्वारा नियुक्त या निर्वाचित किया जाता है अथवा अध्यक्ष/सभापति द्वारा नामित किया जाता है। 



ये समितियाँ अपना अधिकार अनुच्छेद 105 (सांसदों के विशेषाधिकार) और अनुच्छेद 118 (कार्य-प्रक्रिया और संचालन के नियम) से प्राप्त करती हैं।


आवश्यकता: संसद में सीमित समय के कारण, विस्तृत चर्चा, विशेषज्ञ इनपुट और अंतर-दलीय सहमति के लिये PC आवश्यक है। 
वे विधेयकों और नीतियों की गहन जाँच करते हैं, प्रभावी विधायी कार्य सुनिश्चित करते हैं और राजनीतिक ध्रुवीकरण से बचते हैं।
संसदीय समितियों के प्रकार:
स्थायी समितियाँ संसद के अंतर्गत स्थायी और सतत् निकाय हैं जो विधायी कार्यों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। 
इनमें वित्तीय समितियाँ (व्यय की जाँच), विभागीय समितियाँ (मंत्रालयों की देखरेख), जाँच समितियाँ (मुद्दों की जाँच), संवीक्षा समितियाँ (नीतिगत जवाबदेही सुनिश्चित करना), दिन-प्रतिदिन की व्यावसायिक समितियाँ (प्रक्रियाओं का प्रबंधन) और सेवा समितियाँ (लॉजिस्टिक्स को संभालना) शामिल हैं। 

तदर्थ समितियाँ विशिष्ट कार्यों के लिये गठित अस्थायी पैनल हैं, जिनमें जाँच समितियाँ और विशेषज्ञ सिफारिशों के लिये सलाहकार समितियाँ शामिल हैं। 
अपना कार्य पूरा हो जाने पर वे समाप्त हो जाती हैं।

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26 Dec, 11:17


Copenhagen, Denmark is a city that aimed to become the world's first carbon-neutral capital by 2025

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24 Dec, 18:06


भाग 5

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24 Dec, 18:05


भाग 4

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24 Dec, 18:05


भाग 3

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25 Nov, 15:14


राजस्थान उपचुनाव 2024 परिणाम
"राजस्थान उपचुनाव - 2024"

🔻13 नवंबर 2024 को राजस्थान विधानसभा की कुल 7 सीटों पर उपचुनाव हुए जिनका परिणाम 23 नवंबर 2024 को आया।

🔻विधानसभा क्षेत्र एवं विजेता प्रत्याशी:-
1. खींवसर - रेवंतराम डांगा ( बीजेपी )
2. झुंझुनूं - राजेंद्र भांबू ( बीजेपी )
3. चौरासी - अनिल कटारा ( बाप )
4. सलूंबर - शांता मीणा ( बीजेपी )
5. देवली उनियारा - राजेंद्र गुर्जर ( बीजेपी )
6. रामगढ - सुखवंत सिंह ( बीजेपी )
7. दौसा - दीनदयाल बैरवा ( काँग्रेस )

उपचुनावों के बाद विधानसभा में विभिन्न राजनीतिक दलों की स्थिति:-
1. बीजेपी - 119 सीटें
2. कॉंग्रेस - 66 सीटें
3. निर्दलीय - 08 सीटें
4. बाप - 04 सीटें
5. बसपा - 02 सीटें
6. RLD - 01 सीट

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19 Oct, 07:26


https://youtu.be/Osabb53Ittc?si=QzlAge_3VCmLGbXH

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15 Oct, 07:32


Written mistake

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15 Oct, 07:31


Please change fact

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09 Oct, 15:17


https://youtu.be/1FEH2Twyu-E?si=tdEPgjEnBtaSSl6H

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