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Jindgi gulzar hai

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Jindgi gulzar hai (Hindi)

जीवन एक सुंदर बाग है, और आपकी दास्तानें इसे और भी खूबसूरत बना सकती हैं। 'जिंदगी गुलज़ार है' नामक टेलीग्राम चैनल आपको इसी खूबसूरती के साथ जोड़ता है। यहां आपको जीवन की अनमोल बातें, मोटिवेशनल कथाएं, और सफलता के रहस्यमयी तरीके मिलेंगे।nn'जीने की कला' के माहिरों द्वारा संचालित यह चैनल आपको हर दिन नई सोच और प्रेरणा से भरपूर करेगा। आप जीवन को एक और नजरिये से देखेंगे, सुनेंगे और महसूस करेंगे।nn'जिंदगी गुलज़ार है' चैनल आपको खुद को पहचानने में मदद करेगा, आपकी सोच को बदलेगा, और आपको अपने उद्देश्यों की ओर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगा। इस चैनल में शामिल होकर आप अपने जीवन को एक नए रंग और उत्साह से भर पाएंगे।nnजीवन को एक उच्च पहचान देने वाले 'जिंदगी गुलज़ार है' चैनल में आपका स्वागत है! जुड़ें और अपने जीवन को सजाएं इस मधुर गुलजार से।

Jindgi gulzar hai

20 Jul, 10:18


ठुकरा दी जानी चाहिए हर वो रानी,
जिसको साथ जीने में हो परेशानी..🖤

Jindgi gulzar hai

01 Jul, 04:57


वो जब पास आती है, जैसे दिल को सुकून मिलता है,
उसकी हर नज़र में, जैसे जन्नत का नूर खिलता है।

Jindgi gulzar hai

27 Jun, 05:34


तेरे बिना ये रातें अधूरी, चाँद भी गुमसुम है,
तेरी यादों में डूबा, दिल भी बेकरार सा है।

Jindgi gulzar hai

20 Jun, 03:54


उसकी खामोशी में छुपी एक अदा है,
उसकी हर बात में, बसी एक दुआ है।

Jindgi gulzar hai

19 Jun, 05:34


तेरी राहों में चलते चलते, दिल ने क्या नहीं पाया,
तेरी चाहत में खोकर, खुद को फिर नहीं पाया।

Jindgi gulzar hai

15 Jun, 05:09


वो पलकों की छाँव में छुपे अरमान सारे,
उसकी हँसी में जैसे गुलाबों के नज़ारे।

Jindgi gulzar hai

13 Jun, 04:35


आँखों की चमक में, दिल की गहराई है,
उसकी बातों में जैसे, चाँदनी की परछाई है।

Jindgi gulzar hai

12 Jun, 13:03


बहुत कुछ लिखना होता
है...
कई बार..!!.
आज भी लिखना था
इस चक्कर में आज बीत गया
और कल हो गया...!!!
कई बार शब्द नहीं मिले
कई बार शब्दों को मैं...
हम दोनों
दो अलग दिशाओं की
यात्रा पे हैं...!!!
शायद अब एक जगह
ना मिले...!!!

Jindgi gulzar hai

11 Jun, 12:16


तेरी यादों का मौसम, हर पल मुझसे मिलता है,
हर सास में तेरा नाम, दिल में बस तू ही बसता है।

Jindgi gulzar hai

10 Jun, 04:58


मोहब्बत की राहों में चलते चलते, हम भी खो गए,
उसके ख्वाबों में डूबे, जैसे चाँद सितारों में खो गए।

Jindgi gulzar hai

09 Jun, 05:29


खामोशियाँ भी बातें करती हैं, हर आहट में एक साज़ है,
उसकी मुस्कान में छुपी, अनकही बहुत सी राज़ है।

Jindgi gulzar hai

08 Jun, 15:55


उसकी आँखों में बसी एक खामोशी है,
हर लफ़्ज़ में छुपी एक कहानी है।
वो जब भी हँसता है, जैसे चाँदनी बिखरती है,
और उसकी चुप्पी में, रातों की तन्हाई है।

Jindgi gulzar hai

06 Jun, 04:10


हाथ न मिलने के इस दौर में
हम तुमसे गले मिलना चाहते हैं
-इमरान मिर्ज़ा

Jindgi gulzar hai

05 Jun, 03:35


हमारे नसीब में कांटे आए...
फूलों से हमारा वास्ता ही क्या...

डांट अपनी ..फटकार अपनी...
प्यार से हमारा वास्ता ही क्या....

तानो की देखी तनातनी हमने...
वरना जख्मों से हमारा वास्ता ही क्या..?

शाम को लौट के घर ही है आना....
घर से दूजा रास्ता ही क्या..??

और वो तो जी भर के
कुछ पल..देख लिया तुमको....
वरना इस नाचीज़ का शायरी से
वास्ता ही क्या..???

Jindgi gulzar hai

03 Jun, 05:04


हसरतों के बाजार में
नीलाम हो रहे थे
कुछ रिश्ते...

मैने उस रोज तुमको नजरें चुराते देखा..!!

हमने सोचा तुम तो रुकोगे
मेरे पास हर हाल में मगर....

मैने उस रोज तुमको..सबसे पहले
जाते देखा..!!

किसने कहा कि जहां हम रहते थे
वहां कोई नहीं रहता...
मैने तेरे बाद वहां कबूतर को घोंसला
बनाते देखा..!!

और धूप तेरे बाद उतना नहीं सताती मुझको...जितना तू डरती थी...
मैने तेरे बाद छांव में पावों को
जलते देखा..!!

Jindgi gulzar hai

02 Jun, 11:19


सुबह की नींद खुलने के साथ
खुल जाती है ज़िंदगी...

चिड़ियों की चहक के बीच
मां जब उठाती है
तो थोड़ा सा हूं - हूं करके
फिर सो जाना...और मां का फिर से
उठाना....फिर अंगड़ाई लेते हुए
दिन को गले लगा लेना...

फिर चाय की छोटी छोटी
घूंट के साथ...पौधों की छोटी
टहनियों पर..चिड़ियों..तितलियों
को अटखेलियां करते हुए देखना....
दिन बना देता है....

मन का प्रकृति से जुड़ाव
उतना ही जरूरी है
जितना की सुबह वाली चाय...!!
ये वो लोग नहीं जानते
जो चाय नहीं पीते😁☕️

Jindgi gulzar hai

02 Jun, 09:00


बहुत कुछ लिखना होता
है...
कई बार..!!.
आज भी लिखना था
इस चक्कर में आज बीत गया
और कल हो गया...!!!
कई बार शब्द नहीं मिले
कई बार शब्दों को मैं...
हम दोनों
दो अलग दिशाओं की
यात्रा पे हैं...!!!
शायद अब एक जगह
ना मिले...!!!

Jindgi gulzar hai

31 May, 04:05


कुछ इस अदा से निभाना है किरदार मेरा मुझको ,
जिन्हें मुहब्बत ना हो मुझसे वो नफरत भी ना कर सके!

Jindgi gulzar hai

29 May, 04:56


बहुत कुछ लिखना होता
है...
कई बार..!!.
आज भी लिखना था
इस चक्कर में आज बीत गया
और कल हो गया...!!!
कई बार शब्द नहीं मिले
कई बार शब्दों को मैं...
हम दोनों
दो अलग दिशाओं की
यात्रा पे हैं...!!!
शायद अब एक जगह
ना मिले...!!!

Jindgi gulzar hai

27 May, 03:49


कल तक कायल थे हम
जिनके आजाद विचारों के...

वो कातिलों में गिने जाते हैं
बेबस और लाचारों के...

पत्रकारिता बिकी हुई..
उसकी है क्या बात सखी...

सच का गला घोंट कर जिसने
गड्डियां गिनी हजारों की...