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TGT/PGT History Polity (Hindi)

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30 Jan, 17:15


📄निकोलो कोण्टी

●मूलनिवासी- वेनिस

●यात्रा वर्ष- 1420 -22

●यह सा परिवार देव राय प्रथम के काल में विजयनगर पहुंचा

● विजयनगर आने वाला यह पहला यूरोपीय यात्री था ।

विजयनगर का वर्णन करते हुए बताता है -

"यह नगर 60 मील की परिधि में है, यहां शस्त्र धारण करने वाले 90000 सैनिक हैं, राजा भारत के अन्य सभी राजाओं से शक्तिशाली है"


● सर्वप्रथम निकोलो कोंटी ही विजयनगर में सती प्रथा का वर्णन किया है


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30 Jan, 17:13


सती प्रथा (रोकथाम) अधिनियम, 1987 के तहत अपराधों के लिये दंड के संबंध में मुख्य तथ्य क्या हैं?
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सती प्रथा के संदर्भ में 4 सितम्बर 1987 को राजस्थान में रूप कंवर मामले में केंद्र सरकार द्वारा सती प्रथा (रोकथाम) अधिनियम, 1987 को अधिनियमित किया गया


सती होने का प्रयास: इस अधिनियम की धारा 3 में कहा गया है कि सती होने का प्रयास करने पर एक वर्ष तक का कारावास, जुर्माना या दोनों हो सकता है।

सती प्रथा के लिये प्रेरित करना: इस अधिनियम की धारा 4 में कहा गया है कि जो कोई भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सती प्रथा के लिये किसी को प्रेरित करता है, उसे आजीवन कारावास और जुर्माना भुगतना पड़ सकता है। उदाहरण के लिये, किसी विधवा महिला को यह समझाना कि सती होने से उसके या उसके मृत पति को आध्यात्मिक शांति मिलेगी या परिवार की खुशहाली बढ़ेगी।

सती प्रथा का महिमामंडन: इस अधिनियम की धारा 5 में कहा गया है कि सती प्रथा का महिमामंडन करने पर एक से सात वर्ष की कैद और पाँच से तीस हजार रुपए तक का जुर्माना हो सकता है।


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29 Jan, 13:24


भारत में पहली रेलवे लाइन मुंबई के बोरी बंदर और ठाणे के बीच बनी थी. यह रेलवे लाइन 16 अप्रैल, 1853 को शुरू हुई थी. इस ऐतिहासिक यात्रा का नेतृत्व उस समय के गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौज़ी ने किया था.
भारत में रेलवे से जुड़ी कुछ और खास बातें:
इस रेलवे लाइन पर 14 कोच और 400 यात्री सफ़र करने के लिए चढ़े थे.
सुल्तान, सिंध, और साहिब नाम के तीन लोकोमोटिव ने इस ट्रेन को खींचा था.
पूर्वी भारत में पहली ट्रेन 1854 में हावड़ा से हुगली के बीच चली थी.
दक्षिण भारत में पहली ट्रेन 1856 में रोयापुरम-व्यासरपदी (मद्रास) से वालाजाह रोड (आरकोट) के बीच चली थी.
पहली रेलवे कार्यशाला 1862 में बिहार के जमालपुर में बनाई गई थी.
दिल्ली जंक्शन 1864 में उत्तर में पहला स्टेशन बना था.

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27 Jan, 18:16


भारतीय राष्ट्रीय सेना
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भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथ स्वतंत्रता के मार्ग को आकार दिया। इसके द्वारा स्वतंत्रता प्राप्ति में शांतिपूर्ण साधनों से निराशा के प्रतिरोध के रूप में सशस्त्र प्रतिरोध की ओर बदलाव को दर्शाया गया।

भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) का गठन:

उत्पत्ति और प्रथम चरण:
भारतीय युद्धबंदियों (POWs) से सेना के गठन का विचार मूल रूप से मोहन सिंह का था।
जापानियों ने भारतीय युद्धबंदियों को मोहन सिंह को सौंप दिया जिनको उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय सेना में भर्ती करने का प्रयास किया।
सितंबर 1942 में 16,300 लोगों को शामिल करते हुए INA का पहला डिवीज़न बनाया गया था।
भर्ती और संरचना:
INA में मुख्य रूप से दक्षिण-पूर्व एशिया में जापानियों द्वारा बंदी बनाए गए भारतीय युद्धबंदियों को भर्ती किया गया।
विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों के सैनिकों वाले INA का उद्देश्य एकजुट उपनिवेशवाद-विरोधी प्रतिरोध को बढ़ावा देना था।
रासबिहारी बोस ने INA में शामिल होने के लिये दक्षिण-पूर्व एशिया में भारतीय युद्धबंदियों और नागरिकों की भर्ती में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
दूसरा चरण :
वर्ष 1943 में सुभाष बोस INA के मुख्य कमांडर बने थे।
सुभाष चंद्र बोस ने प्रसिद्ध नारे - "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा" के साथ सिंगापुर में स्वतंत्र भारत हेतु अनंतिम सरकार का गठन किया।

इस अनंतिम सरकार द्वारा ब्रिटेन एवं संयुक्त राज्य अमेरिका पर युद्ध की घोषणा की गई तथा धुरी शक्तियों द्वारा इसे मान्यता दी गई।
दिल्ली चलो अभियान👉
जनवरी 1944 में INA मुख्यालय को रंगून (बर्मा में) में स्थानांतरित कर दिया गया था और सेना को "दिल्ली चलो" के साथ वहाँ से मार्च करना था।
जापानी सेना द्वारा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को INA को दे दिया गया था, इन द्वीपों का नाम क्रमशः शहीद द्वीप एवं स्वराज द्वीप रखा गया।
बहादुर समूह के कर्नल मलिक ने भारत में पहली बार मणिपुर के मोइरांग में INA का ध्वज फहराया।
भारतीय राष्ट्रीय सेना का प्रभाव
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राष्ट्रवादी भावनाओं को बढ़ावा
INA के गठन से राष्ट्रवादी भावनाओं के साथ स्वतंत्रता की आकांक्षाओं को बढ़ावा मिला।
INA कैदियों की रिहाई के लिये जिस तीव्रता से अभियान चलाया गया वह अभूतपूर्व था।
राष्ट्रवादी ताकत के साथ मिलकर अंग्रेज़ों के खिलाफ संघर्ष करने वाले भारतीयों में गर्व और एकता की भावना पैदा हुई।
अंग्रेज़ों पर व्यापक दबाव:
दक्षिण-पूर्व एशिया में INA के सैन्य अभियानों ने इस क्षेत्र में ब्रिटिश सेना पर काफी दबाव डाला था।
कुछ संघर्षों में INA की सफलता ने ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन की कमज़ोरी को उजागर किया।
INA युद्धबंदियों पर मुकदमे के खिलाफ बड़े पैमाने पर दबाव के कारण ब्रिटिश नीति में निर्णायक बदलाव आया।
अंतर्राष्ट्रीय आयाम:
INA ने द्वितीय विश्व युद्ध के संदर्भ में अंग्रेज़ो के खिलाफ संघर्ष के लिये जापान और जर्मनी जैसी धुरी शक्तियों के साथ गठबंधन किया।
इस अंतर्राष्ट्रीय आयाम से भारत का स्वतंत्रता संघर्ष की ओर वैश्विक स्तर पर ध्यान गया।
बलिदान की विरासत:
बोस के नेतृत्व में INA सैनिकों द्वारा दिये गए बलिदान की समृद्ध विरासत रही।
स्वतंत्रता के लिये बलिदान देने के क्रम में INA की विरासत भारतीय आकांक्षाओं का प्रतीक बन गई।
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27 Jan, 18:15


महात्मा गाँधी के उपनाम

महात्मा - रविन्द्रनाथ टैगोर

राष्ट्रपिता -सुभाषचंद्र बोस

बापू - जवाहर लाल नेहरू

वन मैन बाऊन्ड्री फोर्स -माउन्ट बेन्टन

मिकी माऊस - इंग्लेंड के छात्रो द्वारा
हाड़

मांस का पुतला -अल्बर्ट आइन्सटीन

देशद्रोही फ़किर - विंस्टन सर्चिल

अर्द्धनग्न फ़किर - फ्रेंक मौरिस

जादूगर -शेख मुजिर उर रहमान

मलन्ग बाबा - उतरी पश्चिमी सीमान्त क्षेत्र के लोगो द्वारा

राजनैतिक बच्चा - एनी बिसेंट

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27 Jan, 18:09


भारत छोड़ो आन्दोलन प्रमुख बिंदु

8 अगस्त, 1942 को महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन को समाप्त करने का आह्वान किया और मुंबई में अखिल भारतीय काॅन्ग्रेस कमेटी के सत्र में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया।
गांधीजी ने ग्वालिया टैंक मैदान में अपने भाषण में "करो या मरो" का आह्वान किया, जिसे अब अगस्त क्रांति मैदान के नाम से जाना जाता है।
स्वतंत्रता आंदोलन की 'ग्रैंड ओल्ड लेडी' के रूप में लोकप्रिय अरुणा आसफ अली को भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान मुंबई के ग्वालिया टैंक मैदान में भारतीय ध्वज फहराने के लिये जाना जाता है।
'भारत छोड़ो' का नारा एक समाजवादी और ट्रेड यूनियनवादी यूसुफ मेहरली द्वारा गढ़ा गया था, जिन्होंने मुंबई के मेयर के रूप में भी काम किया था।
मेहरअली ने "साइमन गो बैक" का नारा भी गढ़ा था।
कारण
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क्रिप्स मिशन की विफलता: आंदोलन का तात्कालिक कारण क्रिप्स मिशन की समाप्ति/ मिशन के किसी अंतिम निर्णय पर न पहुँचना था।
संदर्भ

इस मिशन को स्टेफोर्ड क्रिप्स के नेतृत्व में भारत में एक नए संविधान एवं स्वशासन के निर्माण से संबंधित प्रश्न को हल करने के लिये भेजा गया था।
क्रिप्स मिशन के पीछे कारण

दक्षिण-पूर्व एशिया में जापान की बढ़ती आक्रामकता, युद्ध में भारत की पूर्ण भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिये ब्रिटिश सरकार की उत्सुकता, ब्रिटेन पर चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बढ़ते दबाव के कारण ब्रिटेन की सत्तारूढ़ लेबर पार्टी के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल द्वारा मार्च 1942 में भारत में क्रिप्स मिशन भेजा गया।

पतन का कारण

यह मिशन विफल हो गया क्योंकि इसने भारत के लिये पूर्ण स्वतंत्रता नहीं बल्कि विभाजन के साथ डोमिनियन स्टेटस की पेशकश की।
नेताओं के साथ पूर्व परामर्श के बिना द्वितीय विश्व युद्ध में भारत की भागीदारी
द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटिश सरकार का बिना शर्त समर्थन करने की भारत की मंशा को भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस द्वारा सही से न समझा जाना।
ब्रिटिश विरोधी भावना का प्रसार

ब्रिटिश-विरोधी भावना तथा पूर्ण स्वतंत्रता की मांग ने भारतीय जनता के बीच लोकप्रियता हासिल कर ली थी।
कई छोटे आंदोलनों का केंद्रीकरण

अखिल भारतीय किसान सभा, फारवर्ड ब्लाक आदि जैसे काॅन्ग्रेस से संबद्ध विभिन्न निकायों के नेतृत्त्व में दो दशक से चल रहे जन आंदोलनों ने इस आंदोलन के लिये पृष्ठभूमि निर्मित कर दी थी।
देश में कई स्थानों पर उग्रवादी विस्फोट हो रहे थे जो भारत छोड़ो आंदोलन के साथ जुड़ गए।
आवश्यक वस्तुओं की कमी
द्वितीय विश्व युद्ध के परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था भी बिखर गई थी।
मांगें
फासीवाद के खिलाफ द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीयों का सहयोग पाने के लिये भारत में ब्रिटिश शासन को तत्काल प्रभाव से समाप्त करने की मांग की गई।
भारत से अंग्रेज़ों के जाने के बाद एक अंतरिम सरकार बनाने की मांग।
आंदोलन के तीन चरण थे

पहला चरण- शहरी विद्रोह, हड़ताल, बहिष्कार और धरने के रूप में चिह्नित, जिसे जल्दी दबा दिया गया था।
पूरे देश में हड़तालें तथा प्रदर्शन हुए तथा श्रमिकों ने कारखानों में काम न करके समर्थन प्रदान किया।
गांधीजी को पुणे के आगा खान पैलेस (Aga Khan Palace) में कैद कर दिया गया और लगभग सभी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।

दूसरे चरण: में ध्यान ग्रामीण इलाकों में स्थानांतरित किया गया जिसमें एक प्रमुख किसान विद्रोह देखा गया, इसमें संचार प्रणालियों को बाधित करना मुख्य उद्देश्य था, जैसे कि रेलवे ट्रैक और स्टेशन, टेलीग्राफ तार व पोल, सरकारी भवनों पर हमले या औपनिवेशिक सत्ता का कोई अन्य दृश्य प्रतीक।

अंतिम चरण:  में अलग-अलग इलाकों (बलिया, तमलुक, सतारा आदि )में राष्ट्रीय सरकारों या समानांतर सरकारों का गठन किया गया।

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21 Jan, 18:40


शकरखेडा़ युद्ध - मुबारिज खान और निजाम 1724 में

पालखेडा़- बाजीराव प्रथम और निजाम के मध्य 1728 में


संगोला संधि

1750 रघुजी भोंसले की अध्यक्षता में संगोला की संधि राजा राम-2 और  पेशवा के बीच हुई इस संधि द्वारा मराठा छत्रपति केवल नाम मात्र के राजा रहेगी और  पेशवाओं के अधीन वास्तविक शक्ति हाथ में आ गई

अलीनगर की संधि, 9 फ़रवरी 1757 ई. को बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला और ईस्ट इंडिया कम्पनी के बीच हुई, जिसमें अंग्रेज़ों का प्रतिनिधित्व क्लाइव और वाटसन ने किया था 

     जून में अंग्रेज़ों ने मीर ज़ाफ़र और नवाब के अन्य विरोधी अफ़सरों से मिलकर सिराजुद्दौला के विरुद्ध षड़यंत्र रचा। इस षड़यंत्र के परिणाम स्वरूप 23 जून, 1757 ई. को प्लासी की लड़ाई हुई, जिसमें सिराजुद्दौला हार गया तथा मारा गया...


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21 Jan, 18:39


शिक्षा का अधोमुखी निसयंदन सिद्धांत

‘शिक्षा समाज के उच्च वर्ग को ही दी जाए, इस वर्ग के शिक्षित होने पर शिक्षा का प्रभाव छन-छन कर जनसाधारण तक पहुंचेगा।’ शिक्षा के अधोमुखी निसयंदन सिद्धांत का वस्तुत: यही अर्थ था।
इस सिद्धांत का क्रियान्वयन सरकारी नीति के रूप में लॉर्ड ऑकर्लैंड द्धारा किया गया।
बहरहाल, मैकाले ने भी इसी सिद्धांत पर कार्य किया था।

सन् 1854 से पूर्व उच्च शिक्षा के विकास की गति काफी धीमी थी।
लॉर्ड आर्कलैण्ड ने बंगाल को 9 भागो में बाँटा और प्रत्येक जिले में विद्यालय स्थापित किए।
सन् 1840 तक इस प्रकार के 40 विद्यालय स्थापित हो चुके थे।

सन् 1835 में लॉर्ड विलियम बैटिक के कार्यकाल में ही कलकत्ता मेडिकल कॉलेज की आधारशिला रखी गई और सन् 1851 में पूना संस्कृत कॉलेज तथा पूना अंग्रेजी स्कूल को मिलाकर पूना कॉलेज बनया गया।

संयुक्त प्रांत (आधुनिक उत्तर प्रदेश) के लेफ्टिनेंट गवर्नर जेम्स टॉमसन् ने सन् 1847 में रुड़की इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की। इसे आज भारत के प्रथम इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में जाना जाता हैं

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18 Jan, 05:11


शकरखेडा़ युद्ध - मुबारिज खान और निजाम 1724 में

पालखेडा़- बाजीराव प्रथम और निजाम के मध्य 1728 में


संगोला संधि

1750 रघुजी भोंसले की अध्यक्षता में संगोला की संधि राजा राम-2 और  पेशवा के बीच हुई इस संधि द्वारा मराठा छत्रपति केवल नाम मात्र के राजा रहेगी और  पेशवाओं के अधीन वास्तविक शक्ति हाथ में आ गई

अलीनगर की संधि, 9 फ़रवरी 1757 ई. को बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला और ईस्ट इंडिया कम्पनी के बीच हुई, जिसमें अंग्रेज़ों का प्रतिनिधित्व क्लाइव और वाटसन ने किया था 

     जून में अंग्रेज़ों ने मीर ज़ाफ़र और नवाब के अन्य विरोधी अफ़सरों से मिलकर सिराजुद्दौला के विरुद्ध षड़यंत्र रचा। इस षड़यंत्र के परिणाम स्वरूप 23 जून, 1757 ई. को प्लासी की लड़ाई हुई, जिसमें सिराजुद्दौला हार गया तथा मारा गया...


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18 Jan, 05:11


बंकिम चंद्र चटर्जी ने 1882 में आनंद मठ की रचना की थी जिसमें उल्लेख मिलता है कि इस पुस्तक में सन्यासी विद्रोह का चित्रण किया गया था जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ पहले विद्रोह माना जाता है 

लेकिन असल में ये था कि बंकिम चंद्र चटर्जी उस समय डिप्टी कलेक्टर हुआ करते थे उन्होंने प्रारंभ में सन्यासी विद्रोह के ऊपर "आनंद मठ' का जो पहला संस्करण लिखा उसमें अंग्रेजों के विरुद्ध लिखा  लेकिन बाद में जब नौकरी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की धमकी मिली तो उन्होंने मूल पाठ से न केवल अंग्रेजों के प्रति समस्त विद्वेषपूर्ण सन्दर्भो हटा लिया बल्कि यह भी दर्शाया की बंगाल के नवाब के मुस्लिम अधिकारी ही बदमाश थे जिनके विरुद्ध देशभक्तों का आंदोलन हुआ था... लेकिन भारतीय इतिहास में केवल एक पहलू पढाया जाता है...
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18 Jan, 04:35


शकरखेडा़ युद्ध - मुबारिज खान और निजाम 1724 में

पालखेडा़- बाजीराव प्रथम और निजाम के मध्य 1728 में

संगोला संधि

1750 रघुजी भोंसले की अध्यक्षता में संगोला की संधि राजा राम-2 और पेशवा के बीच हुई इस संधि द्वारा मराठा छत्रपति केवल नाम मात्र के राजा रहेगी और पेशवाओं के अधीन वास्तविक शक्ति हाथ में आ गई

अलीनगर की संधि, 9 फ़रवरी 1757 ई. को बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला और ईस्ट इंडिया कम्पनी के बीच हुई, जिसमें अंग्रेज़ों का प्रतिनिधित्व क्लाइव और वाटसन ने किया था

जून में अंग्रेज़ों ने मीर ज़ाफ़र और नवाब के अन्य विरोधी अफ़सरों से मिलकर सिराजुद्दौला के विरुद्ध षड़यंत्र रचा। इस षड़यंत्र के परिणाम स्वरूप 23 जून, 1757 ई. को प्लासी की लड़ाई हुई, जिसमें सिराजुद्दौला हार गया तथा मारा गया...
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17 Jan, 07:32


महावंश में लिखा है कि निगरोध( एक नाम सुमनरो भी) ने राजा को क्षणिकता का सिद्धांत समझाया क्योंकि निग्रोध राजा अशोक निग्रोध के राजा के सिंहासन पर बैठने से व्याकुल हो गए थे इससे प्रश्न होकर राजा अशोक ने 60 हजार बौद्ध भिक्षुओं का दान नियत किया जो पहले ब्राह्मणों को दिया जाता था इस घटना से एक रात्रि पूर्व सम्राट अशोक एक स्वप्न देखा था जो इस प्रकार था कि  धर्म  से इतर कार्य करने पर कालाशोक को लोटोकुंबिया नरक में देखते है तथा उनकी बहन आनंदी उनको बौद्ध के बारे में बतलाती है । ये संपूर्ण घटना महावन विहार की है। अभिषेक के चौथे वर्ष इसी समय ही संघमित्रा और सुमन व उपगुप्त तीशय ने बौद्ध धर्म किया था
वहीं महावंश में अद्वितीय महकोला नागराज का प्रकरण भी आता है जिसने चार बुद्धों के दर्शन किए थे उनके द्वारा बुद्ध की प्रतिकृति उत्पन्न की जिससे अशोक ने सर्वप्रथम बुध को देखा और 7 दिवस तक जश्न मनाया (ये प्रमाण भी है अशोक के काल में बुद्ध की मूर्ति बनाने का) यह घटना 260bc के पूर्व की प्रतीत होती है

वहीं दिव्यदान  के अनुसार राजा लुंबिनी पहुंचा साथ में उपगुप्त भी थे वहां सम्राट पूर्णरूपेण बौद्ध हुए
इसी द्विवदान में भिक्षु बाल्पाणिदित्य (एक नाम समुद्र भी)  के प्रभाव से बौद्ध धर्म में दीक्षित हुए मेरी निजी राय में ये  निग्रोध व बाल्पाणिदित्य एक ही व्यक्ति प्रतीत होते है क्योंकि ये दोनों ही बालक बताए गए है )
वहीं आगे वर्णन आता है कि उपगुप्त को गुरु बनाकर बौद्ध धर्मों की तीर्थ यात्रा की यहां गौर करने वाली बात ये है कि उपगुप्त भी पूर्ण संघ को समर्पित या राजकीय पद को त्याग नहीं पाए थे  परंतु निग्रोध पूर्ण रूपेण बौद्ध थे

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13 Jan, 03:49


हैदर अली
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👉एक अज्ञात परिवार में जन्मे हैदर अली (1721-1782) ने अपने सैन्य जीवन की शुरुआत राजा चिक्का कृष्णराज वाडियार की मैसूर सेना में घुड़सवार के रूप में की थी।
👉वह अशिक्षित किंतु बुद्धिजीवी था और कूटनीतिक एवं सैन्य रूप से कुशल था।
👉वह वर्ष 1761 में मैसूर का वास्तविक शासक बना एवं उसने फ्राँसीसी सेना की सहायता से अपनी सेना में पश्चिमी ढंग से प्रशिक्षण की शुरुआत की।
अपने उत्कृष्ट सैन्य कौशल के साथ उसने निजाम की सेना एवं मराठों को पराजित कर दिया और वर्ष 1761-63 में डोड बल्लापुर, सेरा, बेदनूर व होसकोटे पर कब्ज़ा कर लिया तथा समस्याएँ उत्पन्न करने वाले दक्षिण भारत (तमिलनाडु) के पॉलीगरों को अपने अधीन कर लिया।
👉विजयनगर साम्राज्य के समय से ही दक्षिणी भारत के कुछ हिस्सों में पॉलीगरों अथवा पलक्कड़ों को सैन्य प्रमुख एवं प्रशासन संचालकों के रूप में नियुक्त किया जाता था। वे काश्तकारों से कर भी वसूलते थे।
👉अपनी पराजय से उभरते हुए माधवराव के अधीन मराठों ने मैसूर पर आक्रमण किया एवं वर्ष 1764, 1766 और 1771 में हैदर अली को पराजित किया।
👉शांति स्थापित करने के लिये हैदर अली को उन्हें बड़ी रकम चुकानी पड़ी, लेकिन वर्ष 1772 में माधवराव की मृत्यु के बाद हैदर अली ने वर्ष 1774-76 के दौरान कई बार मराठों पर आक्रमण किया एवं नए क्षेत्रों पर कब्ज़ा करने के साथ-साथ उसके द्वारा हारे गए सभी क्षेत्रों को भी पुनः प्राप्त कर लिया गया।https://t.me/TGT_PGT_HISTORY_POLITY

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13 Jan, 03:49


हरियाणा pgt पेपर

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10 Jan, 09:08


🔴महत्वपूर्ण नारे (SLOGANS)

1. जय जवान जय किसान
►- लाल बहादुर शास्त्री

2. मारो फिरंगी को
►- मंगल पांडे

3. जय जगत
►- विनोबा भावे

4. कर मत दो
►- सरदार बल्लभभाई पटले

5. संपूर्ण क्रांति
►- जयप्रकाश नारायण

6. विजय विश्व तिरंगा प्यारा
►- श्यामलाल गुप्ता पार्षद

7. वंदे मातरम्
►- बंकिमचंद्र चटर्जी

8. जय गण मन
►- रवींद्रनाथ टैगोर

9. सम्राज्यवाद का नाश हो
►- भगत सिंह

10 स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है
►- बाल गंगाधर तिलक

11.इंकलाब जिंदाबाद
►- भगत सिंह

12. दिल्ली चलो
►- सुभाषचंद्र बोस

13. करो या मरो
►- महात्मा गांधी

14. जय हिंद
►- सुभाषचंद्र बोस

15. पूर्ण स्वराज
►- जवाहरलाल नेहरू

16. हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान
►- भारतेंदू हरिशचंद्र

17. वेदों की ओर लौटो
►- दयानंद सरस्वती

18. आराम हराम है
►- जवाहरलाल नेहरू

19. हे राम
►- महात्मा गांधी

20. भारत छोड़ो
►- महात्मा गांधी

21. सरफरोशी की तम्मना अब हमारे दिल में है
►- रामप्रसाद बिस्मिल

22.सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा
►- इकबाल

23. तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा
►- सुभाषचंद्र बोस

24. साइमन कमीशन वापस जाओ
►- लाला लाजपत राय

25. हू लिव्स इफ इंडिया डाइज
►- जवाहरलाल नेहरू


◼️ महाद्वीपों की सर्वोच्च चोटियाँ◼️

🔸एशियामाउंट एवरेस्ट

🔸दक्षिणी अमेरिकाएकांकागुआ

🔸उत्तरी अमेरिकामैककिनले

🔸अफ्रीकाकिलिमंजारो

🔸यूरोपएलब्रुश पर्वत

🔸अंटार्कटिकाविंसनमैसिफ

🔸आस्ट्रेलियाकोसिउस्को

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08 Jan, 14:55


🌿🌿  नार्गाजुन की प्रमुख रचनाएं

रसरत्नाकर , लौहशास्त्र , अरोग्य मंजरी , सिद्ध नागार्जुन , रतिशास्त , योग - सार , योगाष्टक , कक्षपुटतन्त्र , रसेन्द्र मंगल , उतरतन्त्र ( सुश्रुत संहिता का पूरक ग्रंथ )  , उपाय कौशल ह्रदय ( चीनी भाषा में )  , प्रमाण विघटन ( तिब्बती भाषा में ) , शून्यताससप्तति , प्रज्ञापारमिताशास्त्र , महयमककारिका , विग्रहव्यावर्तनी , नीतिशास्त्र , प्रज्ञाशतक , रत्नावली
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30 Dec, 15:41


औरंगज़ेब के बारे में जो सबसे बड़ी बात महात्मा गांधी को खींचती थी,


लेकिन औरंगज़ेब के बारे में जो सबसे बड़ी बात महात्मा गांधी को खींचती थी, वह थी औरंगज़ेब की सादगी और श्रमनिष्ठा. 21 जुलाई, 1920 को 'यंग इंडिया' में लिखे अपने प्रसिद्ध लेख 'चरखे का संगीत' में गांधी ने कहा था, "पंडित मालवीयजी ने कहा है कि जब तक भारत की रानी-महारानियां सूत नहीं कातने लगतीं, और राजे-महाराजे करघों पर बैठकर राष्ट्र के लिए कपड़े नहीं बुनने लगते, तब तक उन्हें संतोष नहीं होगा. उन सबके सामने औरंगज़ेब का उदाहरण है, जो अपनी टोपियां खुद ही बनाते थे."

इसी तरह 20 अक्तूबर, 1921 को गुजराती पत्रिका 'नवजीवन' में उन्होंने लिखा, "जो धनवान हो वह श्रम न करे, ऐसा विचार तो हमारे मन में आना ही नहीं चाहिए. इस विचार से हम आलसी और दीन हो गए हैं. औरंगज़ेब को काम करने की कोई ज़रूरत नहीं थी, फिर भी वह टोपी सीता था. हम तो दरिद्र हो चुके हैं, इसलिए श्रम करना हमारा दोहरा फर्ज है."

ठीक यही बात वह 10 नवंबर, 1921 के 'यंग इंडिया' में भी लिखते हैं, "दूसरों को मारने का धंधा करके पेट पालने की अपेक्षा चरखा चलाकर पेट भरना हर हालत में ज्यादा मर्दानगी का काम है. औरंगज़ेब टोपियां सीता था. क्या वह कम बहादुर था?"


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30 Dec, 15:37


अकबरकालीन चित्रकार:-

अबुल फजल ने आईन-ए- अकबरी के 34वें भाग में अकबर के दरबार के 17 विशिष्ट चित्रकारों का उल्लेख किया है, जिनमें से 13 हिन्दू थे-

मीर सैय्यद अली, ख्वाजा अब्दुस्समद, दसवंत, बसावन, केशव (केसु), लाल, मुकुन्द, मिस्कीन, फर्रुख 'कलमाक', माधव, जगन, महेश, खेमकरण, तारा, सांवला (सांवलदास), हरिवंश व राम।।
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25 Dec, 06:37


भारतीय इतिहास
"दिल्ली"
अन्य नाम - इन्द्रप्रस्थ, योगिनीपुर, कुव्वत-उल-इस्लाम (इस्लाम का प्रमुख केन्द्र), बगदाद द्वितीय।
यह वर्तमान में भारत की राजधानी हैं। ऐसा माना जाता है कि मूल दिल्ली उस स्थान पर थी जहां कभी महाभारत में वर्णित पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ थीं। इस नगर की प्राचीनता इस बात से सिद्ध होती है कि आज भी वहां इंद्रप्रस्थ नाम के गांव अस्तित्व में हैं।

ऐतिहासिक दृष्टि से दिल्ली का संस्थापक अनंगपाल तोमर (11वीं सदी) को माना जाता हैं। जिसका उल्लेख पृथ्वीराज रासो में मिलता हैं। जिसमें इसे 'ढिल्ली' या 'ढिल्लिश' कहा गया हैं। उदयपुर की बिजोलिया के 1170 ई. के अभिलेख से दिल्ली पर चहमानों द्वारा अधिकार किए जाने का उल्लेख मिलता हैं।

1276 ई. में पालम बावली अभिलेख से दिल्ली का एक और नाम योगिनीपुर मिलता हैं।

सल्तनतकालीन शासकों में कुतुबुद्दीन ऐबक को छोड़कर सब ने दिल्ली को राजधानी के रूप में प्रयोग किया। लोदियों ने 1504 में आगरा को राजधानी बनाया, हुमायूँ ने दिल्ली को पुनः मुगलों की राजधानी बनाया। और शाहजहां ने भी शाहजहानाबाद नगर बसाकर दिल्ली को राजधानी के रूप में प्रयोग किया।

दिल्ली को विदेशी आक्रमणकारियों सामना करना पड़ा जो इस प्रकार हैं -
1398 में तैमूर, 1739 में नादिरशाह तथा 1757 ई. में अहमदशाह अब्दाली के रूप में। 1803 को अंग्रेजों ने दिल्ली पर अधिकार कर ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया, 1857 के विद्रोह मैं दिल्ली को मुख्य केंद्र बनाया गया। कालांतर में अंग्रेजों ने बंगाल को राजधानी बना लिया लेकिन 1912 में एक बार फिर दिल्ली भारत की राजधानी बनी जो आज तक कायम हैं।


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22 Dec, 05:43


टीपू सुल्तान
👇👇👇👇

👉टीपू सुल्तान का जन्म नवंबर 1750 में हुआ। वह  हैदर अली का पुत्र था एवं एक महान योद्धा था जिसे ‘मैसूर टाइगर’ के रूप में भी जाना जाता है।

👉वह उच्च शिक्षित था तथा अरबी, फारसी, कन्नड़ और उर्दू भाषा में पारंगत था।
👉टीपू ने अपने पिता हैदर अली की तरह एक कुशल सैन्य बल के उत्थान एवं रखरखाव पर अधिक ध्यान दिया।
👉‘फारसी वर्ड्स ऑफ कमांड’ के साथ उसने यूरोपीय मॉडल पर अपनी सेना का गठन किया ।
हालाँकि उसने अपने सैनिकों को प्रशिक्षित करने के लिये फ्राँसीसी अधिकारियों की सहायता ली, लेकिन उसने उन्हें (फ्राँसीसियों को) एक हित समूह के रूप में विकसित नहीं होने दिया।
👉टीपू नौसेना बल के महत्त्व के बारे में भली-भाँति अवगत था।
वर्ष 1796 में उसने एक नौवाहन बोर्ड का निर्माण किया एवं 22 युद्धपोतों एवं 20 लड़ाकू जहाज़ों के बेड़े के निर्माण की योजना बनाई।
उसने मैंगलोर, वाज़िदाबाद और मोलीदाबाद में तीन डॉकयार्ड स्थापित किये। हालाँकि उसकी ये योजनाएँ फलीभूत नहीं हुईं।
👉वह विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का संरक्षक भी था और उसे भारत में ‘रॉकेट प्रौद्योगिकी के प्रणेता’ के रूप में श्रेय दिया जाता है।
👉उसने रॉकेट संचालन की व्याख्या करते हुए एक सैन्य पुस्तिका लिखी।
👉वह मैसूर राज्य में रेशम उत्पादन का भी प्रणेता था।
👉टीपू लोकतंत्र प्रेमी एवं एक महान कूटनीतिज्ञ था जिसने वर्ष 1797 में जैकोबियन क्लब की स्थापना के लिये श्रीरंगपटनम में फ्राँसीसी सैनिकों को समर्थन दिया था।
👉टीपू स्वयं जैकोबियन क्लब का सदस्य बन गया और उसने स्वयं को ‘नागरिक टीपू’ कहलवाया।
👉उसने श्रीरंगपटनम में स्वतंत्रता का वृक्ष लगाया।


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22 Dec, 04:47


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22 Dec, 04:46


विभिन शिक्षक भर्ती हेतु जरूरी पात्रता
(राजस्थान के संदर्भ में)

Asst. professor : MA+NET/SET
Background (BA, BSc) क्या है कोई फर्क नहीं पड़ता।

1st Grade : MA+BEd
Background (BA, BSc) क्या है कोई फर्क नहीं पड़ता, जिससे MA उसी विषय से तैयारी कर सकते हो।

2nd Grade : BA/BSc+BEd
जो विषय BA/BSc में है केवल उन्हीं में से।

3rd Grade (Level 2) :
BA/BSc+BEd+REET
(leval 2)
जो विषय BA/BSc में है केवल उन्हीं में से।

3rd Grade (Level 2) :
BA/BSc+Deled(BSTC)+REET
(leval 2)
जो विषय BA/BSc में है केवल उन्हीं में से।

3rd Grade (Level 1) :
Deled(BSTC)+REET
(leval 1)

सभी में अंतिम वर्ष में अध्यनरत फॉर्म भर सकता है,
परीक्षा के पहले दिन तक सभी जरूरी पात्रता पूरी हो जानी चाहिए

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22 Dec, 04:02


जंहाआरा


जहांआरा शाहजहां की पुत्री थी जो मुगल काल में सर्वाधिक चर्चित चेहरा रही थी 1648 में जब शाहजहानाबाद बसाया गया था तब उसकी पांच इमारती इन्हीं की देखरेख में बनी थी सूरत बंदरगाह से होने वाली आय इन्हीं के पास आती थी साहिबी  इनका पर्सनल जहाज था जो व्यापार के लिए यूरोपीय देशों तक जाया करता था मुगल उत्तराधिकार में लड़े गए युद्ध के दौरान इन्होंने दारा शिकोह का पक्ष लिया था लेकिन दारा शिकोह की पराजय हुई फिर भी औरंगजेब ने इसे साहिबा तुज जमानी  की उपाधि प्रदान की थी इनके समय आने वाले फ्रांसीसी यात्री वर्नियर ने अपनी पुस्तक  travel in the Mughal Empire मे  लिखा है कि शाहजहां और जहांआरा के बीच अवैध संबध थे लेकिन  इसी के साथ इटली से आने वाले यात्री मनुची जो दारा शिकोह  कि सेना में पहले तोपची था और शिकोह  की पराजय के पश्चात उन्होंने चिकित्सक का पैसा अपना लिया था ने इसका खंडन किया है

1645 मे जहां आरा बुरी तरह जल गई थी बाद में आरिफ नामक एक दास के लरहम लगाने से यह ठीक हुई , यह अंतिम समय तक कुवांरी रही क्योंकि इसके समकक्ष या इसके योग्य वर पूरे हिंदुस्तान में इनको कहीं नहीं मिला
दारा शिकोह की पराजय के पश्चात यह औरंगजेब के पास  राज्य का विभाजन का प्रस्ताव लेकर गई थी जिसके तहत औरंगजेब को दक्षिण भारत मुराद को गुजरात सूजा को बंगाल और दारा शिकोह है को पंजाब का क्षेत्र मिलना था लेकिन औरंगजेब ने इस प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया और दौराई के युद्ध में जो मुगल उत्तराधिकार के लिए लड़ा जाने वाला अंतिम युद्ध के पश्चात साम्राज्य का प्रमुख बन बैठा...

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19 Dec, 10:41


ऐबक इतना ज़्यादा दान करता था कि उसे 'लाख-बख्श' कहते थे, मतलब लाखों देने वाला। पर उसे घमंडी बेवकूफ बिलकुल पसंद नहीं थे। एक बार एक कवि ने उसे गंदी कविता सुनाई, सोच रहा था कि हर लाइन के बदले उसे सोने का सिक्का मिलेगा, तो सुल्तान ने उसे गधे का पेशाब (toilet) का कटोरा दिया।

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18 Dec, 08:54


रजिया के राज में जो अमीर लोग उसके खिलाफ थे, उसकी एक वजह ये भी थी कि वो याकूत नाम के एक हब्शी गुलाम के बहुत करीब थी। इसामी नाम के एक पुराने इतिहासकार के हिसाब से, याकूत 'जब वो घोड़ी पे चढ़ती थी तो उसके बगल में खड़ा रहता था। एक हाथ से उसकी बांह पकड़ के उसे घोड़ी पे चढ़ने में मदद करता था... जब राज्य के बड़े लोगों ने देखा कि वो कितनी छूट ले रहा है, तो उन्हें बहुत बुरा लगा और वो आपस में कहने लगे, "जिस तरह से इस आदमी ने अपने आप को बाकी नौकरों से ज़्यादा ताकतवर बना लिया है, अगर इसने राज की मुहर भी हथिया ली तो कोई हैरानी नहीं होगी। "

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07 Dec, 15:58


1. दरगाह ख्वाज़ा मुइनुद्दीन चिश्ती - अजमेर
2. दरगाह ख्वाज़ा फखरुद्दीन चिश्ती- सरवाड़, अजमेर
3. दरगाह हिसामुद्दीन चिश्ती - सांभर झील, जयपुर
4. दरगाह सूफी हिसामुद्दीन चिश्ती - नागौर
5. दरगाह फखरुद्दीन शरीफ (दाउदी बोहरा संप्रदाय की दरगाह) - गलियाकोट, डूंगरपुर
6. दरगाह मौलाना ज़ियाउद्दीन साहब - जयपुर
7. दरगाह हजरत अमानीशाह - जयपुर
8. दरगाह मिस्कीन शाह - जयपुर
9. दरगाह शेख मोहम्मद दरवेश - मोती डुंगरी, जयपुर
10. दरगाह शेख अलाउद्दीन - सांगानेर, जयपुर
11. दरगाह हाजिब शक्करबर शाह (पीर शक्कर बाबा) - नरहड़ , झुंझुनूं
12. दरगाह हजरत दीवान ए शाह - कपासन, चित्तौड़गढ़
13. दरगाह हजरत चलफिरशाह- चित्तौड़गढ़
14. दरगाह तारागढ़ - अजमेर
15. चिल्ला बड़े पीर साहब - अजमेर
16. दरगाह अब्दुल वहाब (बड़े पीर साहब) - नागौर
17. दरगाह हजरत जमालुद्दीन साहब - दौसा
18. दरगाह मस्तान शाह बाबा - पाली
19. दरगाह दुल्ले शाह उर्फ चोटिले शाह - पाली
20. दरगाह अब्बनशाह - प्रतापपुरा, सांचौर (जालौर)
21. दरगाह दौलतशाह बाबा - चौमूं, जयपुर
22. दरगाह शेरों के पिनकारे वाले बाबा- कोटा
23. दरगाह आधर सिल्ला - कोटा
24. दरगाह रोले - नागौर
25. दरगाह बाला पीर - कुम्हारी, नागौर
26. दरगाह अम्बावगढ़ - उदयपुर
27. दरगाह इमरत रसूल - उदयपुर
28. दरगाह अफजल शाह उर्फ कोड़े शाह - जोधपुर
29. दरगाह मसीउल्लाह - मंडौर रोड, जोधपुर
30. दरगाह सिफ़त हुसैन - जोधपुर
31. दरगाह बुरहानुद्दीन - ग्राम तला, जयपुर
32. दरगाह रुकनुद्दीन - दाउदपुर, अलवर
33. दरगाह कमरुद्दीन शाह (कयामखानियों के पीर) - झुंझुनूं
34. दरगाह नजमुद्दीन परवाना - फतेहपुर शेखावटी, सीकर
35. संत हमीदुद्दीन या सुल्ताने तारकीन शाह की दरगाह - नागौर
36. काकाजी की दरगाह - प्रतापगढ़
37. संत हजरत हमीदुद्दीन चिश्ती/ मिट्ठे शाह/ महाबली सरकार/शहंशाहे मालवा की दरगाह - गागरोण किला (झालावाड़)
38. दरगाह सैयद बादशाह - शिवगंज (सिरोही)
39. दरगाह कबीर शाह - करौली
40. दरगाह हजरत अब्दुल गनी बाबा - नाथद्वारा

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07 Dec, 15:56


♂️भारतीय संविधान के महत्वपूर्ण अनुच्छ

♂️ Part 🔻1

♂️अनुच्छेद  ♂️विषय

1  -संघ का नाम और राज्यक्षेत्र     
3  -नए राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन
13  -मूल अधिकारों को असंगत या उनका अल्पीकरण करने वाली विधियां
14  -विधि के समक्ष समानता
16  -लोक नियोजन के विषय में अवसर की समता। 
17  -अस्पृश्यता का अंत     
19  -वाक् स्वातंत्र्य आदि विषयक कुछ अधिकारों का संरक्षण
21  -प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण
21A  - प्राथमिक शिक्षा अधिकार।
25  -अंतः करण की और धर्म अबाध रुप से मानने, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता। 
30  -शिक्षा संस्थानों की स्थापना और प्रशासन करने का आल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार। 
31C  -कुछ निदेशक तत्वों को प्रभावी करने वाली विधियों की व्यावृत्ति।
32  -मौलिक अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए रिट सहित उपचार।
38  -राज्य लोक कल्याण की अभिवृध्दि के लिए सामाजिक व्यवस्था बनाएगा।
40  -ग्राम पंचायतों का संगठन   
44  -नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता।
45  -6 वर्ष से कम आयु वाले बालकों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का उपबंध।
46  -अनूसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य कमजोर वर्गों के शिक्षा और अर्थ संबंधी हितों की अभिवृध्दि।
50  -कार्यपालिका से न्यायपालिका का पृथक्करण। 
51  -अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की अभिवृध्दि।
51A  -मौलिक कर्तव्य                                                        
72  -क्षमा आदि की और कुछ मामलों में, दंडादेश के निलंबन, परिहार या लघुकरण की राष्ट्रपति की शक्ति।
74  -राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देने के लिए मंत्रिपरिषद।   बेस्ट स्टडी चैनल-स्टडी फॉर सिविल सर्विसेज
78  -राष्ट्रपति को जानकारी देने आदि के संबंध में प्रधानमंत्री के कर्तव्य।     
110  -धन विधेयक की परिभाषा।                                               
112  -वार्षिक वित्तीय विवरण                              
123  -संसद के विश्रांतिकाल में अध्यादेश प्रख्यापित करने की राष्ट्रपति की शक्ति।

♂️Important Articles of the Constitution

♂️Articles  ♂️ Subject

1  -Name and Territory of the Union
3  -Formation of new states and alteration of areas, boundaries or names of existing states  
13  -Laws inconsistent with or in derogation of the fundamental rights 
14  -Equality before law
16  - Equality of opportunity in matters of public employment
17  -Abolition of untouchability
19  -Protection of certain rights regarding freedom of speech, etc.
21  -Protection of life and personal liberty   
21A  -Right to elementary education
25  -Freedom of conscience and free profession, practice and propagation of religion
30  -Right of minorities to establish and administer educational institutions 
31C  -Saving laws giving effect to certain directive principles 
32  -Remedies for enforcement of fundamental rights including writs
38  -State to secure a social order for the promotion of  welfare of the people
40  -Organization of village panchayats
44  -Uniform civil code for the Citizens
45  -Provision for early childhood care and education to children below age of 6 years.
46  -Promotion of educational and economic interests of scheduled castes, scheduled tribes and other weaker sections 
50  -Separation of judiciary from executive
51  -Promotion of international peace security 
51A  -Fundamental duties
72  -Power of president to grant pardons, etc., and to suspend, remit or commute sentences in certain cases   
74  -Council of ministers to aid and advise the president. best study channel - study for civil services
78  -Duties of prime minister as respects the furnishing of information of the president, etc.
110  -Definition of Money Bills 
112  -Annual financial statement (Budget)
123  -Power of president to promulgate ordinances during recess of Parliament

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30 Nov, 09:56


Photo from Abyas The Practice

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21 Nov, 12:54


पत्रिका         —     संपादक
✍️ - द लीडर  —मदन मोहन मालवीय
✍️ -दैनिक आज  —शिवप्रसाद गुप्त
✍️ -वाइस ऑफ इंडिया  —दादाभाई नौरोजी
✍️ -संवाद प्रभाकर  —ईश्वरचन्द्र गुप्त
✍️ -विचार लाहिरी   —कृष्णशास्त्री चिपलुंकर
✍️ -बामाबोधिनी  —उमेश चन्द्र दत्ता
✍️ -महिला  —गिरीश चन्द्र सेन
✍️ -भारती  —द्विजेन्द्रनाथ टैगोर
✍️ -सुप्रभात  —कुमुदिनी तथा बसन्ती मित्र
✍️ -नवयुग   —मुजफ्फर अहमद

Magazine  —     Editor
✍️ -The leader  —Madan Mohan Malviya
✍️ -Daily today  —Shivprasad Gupta
✍️ -Prabudha Bharat and Udbodhan  —Swami Vivekananda
✍️ -Samvad Prabhakar  —Ishwar Chandra Gupta
✍️ -Vichar Lahiri  —Krishnashastri Chiplunkar
✍️ -Bamabodhini  —Umesh Chandra Dutta
✍️ -Mahila  —Girish Chandra Sen
✍️ -Bharati  —Dwijendranath Tagore
✍️ -Suprabhat  —Kumudini and Basanti Mitra
✍️ -Navyug (Magazine)  —Muzaffar Ahmad
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13 Nov, 14:46


नाम  —संबंधित घटना
✍️ - कर्नल मिशेल  —बहरामपुर में स्थित 19वीं नेटिव इन्फ्रैंट्री के कमांडिंग ऑफिसर
✍️ - जनरल हीरेसी  —बैरकपुर में स्थित 34वीं नेटिव इन्फ्रैंट्री के कमांडिंग ऑफिसर
✍️ - जनरल हैविट  —मेरठ के कमांडिंग ऑफिसर
✍️ - ह्यूज व्हीलर  —विद्रोह के समय कानपुर में कमांडिंग ऑफिसर
✍️ - सर विलियम वेडरबर्न   —सहकारिता आन्दोलन
✍️ - अल्बर्ट मायर  —इटावा पायलट प्रोजेक्ट
✍️ - ब्रिटिश सरकार  —अधिक अन्न उपजाओ अभियान
✍️ - महात्मा गांधी जी  —सेवाग्राम प्रोजेक्ट
✍️ - फ्रांसिस्को द अल्मेडा  —ब्लू वाटर नीति बनाई थी।
✍️ - अल्फेन्सो द अल्बुकर्क  —अपने साथी देशवासियों को भारतीय महिलाओं से विवाह कर लेने की प्रेरणा दी थी।
✍️ - नीनू डी कुन्हा  —पुर्तगाली राजधानी को कोचीन से गोवा के लिए स्थानांतरित किया। बेस्ट स्टडी चैनल-स्टडी फॉर सिविल सर्विसेज
✍️ - मार्टिन अल्फेन्सु डीसूजा  —प्रसिद्ध जेस्यूइट संत फ्रांसिस्को जेवियर इसे अपने साथ भारत ले आया था
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13 Nov, 14:43


🔸🔸लाला लाजपत राय (1865 से 1928 ) :–

शेरे पंजाब, आर्य समाज से थे...
जन्म- लुधियाना पंजाब...
हिसार में आर्य समाज की शाखा एवं संस्कृत विद्यालय स्थापित किया...
लाहौर में दयानंद एंग्लो वैदिक कॉलेज खोला .....
महत्वपूर्ण पत्र लिखे -
पंजाबी ,उर्दू दैनिक ,वंदे मातरम, द पीपल(इंग्लिश)
अमेरिका में यंग इंडिया का प्रकाशन भी किया .....

महत्वपूर्ण पुस्तक-
महान अशोक, श्री कृष्ण, छत्रपति शिवाजी, England debate to India,
The political future of India,
Unhappy India
The story of my Life (आत्मकथा )

18 माह तक उग्रपंथी गतिविधियों के कारण मांडले जेल में कैद.....
1907 में पंजाब में विशाल कृषक आंदोलन का  नेतृत्व किया।
इन्हें अजीत सिंह के साथ बर्मा निष्कासित किया गया...
1920 में लाहौर में सर्वेंटम ऑफ पीपल समिति की स्थापना .......
लाहौर में पंजाब नेशनल बैंक व लक्ष्मी बीमा कंपनी की स्थापना की.....
1920 में कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन की अध्यक्षता की.....
असहयोग आंदोलन में भाग लिया... असहयोग आंदोलन के स्थगन के बाद स्वराज पार्टी में शामिल....
1928 में साइमन कमीशन के भारत आने पर लाहौर पहुंचने पर हजारों लोगों की भीड़ में लाल लाजपत राय द्वारा प्रदर्शन, तब पुलिस की लाठियां से 17 नवंबर 1928 में मौत हो गई...

लाला लाजपत राय का कथन -
मेरी छाती पर हुआ एक-एक लाठी का वार भारत में ब्रिटिश साम्राज्यवाद की ताबूत में एक-एक कील साबित होगा।

......💐❤️🔱

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07 Nov, 11:54


गुप्तकालीन राज्य शासन व्यवस्था

मौयों के विपरीत गुप्त शासकों ने महाराजाधिराज, परमभ‌ट्टारक, परमेश्वर आरि उपाधियाँ घारण की। इससे प्रतीत होता है कि उनके अन्तर्गत छोटे-छोटे अधीनस्म शासक रहे होंगे। गुप्त शासकों ने राजत्व के दैवीकरण का भी प्रयास किया। चन्द्रमाल विक्रमादित्य ने अपनी तुलना इन्द्र, वरुण, यम और कुबेर से की है। केन्द्रीय प्रश प्रशामन का जो नियन्त्रण मौर्य युग में देखने को मिलता है, वह गुप्तकाल में नहीं मिलता। इ युग से विकेन्द्रीकरण की प्रवृत्ति बढ़ने लगी थी। समुद्रगुप्त द्वारा अधीनस्थ राजाओं द्वारा अपनाई गई नीति भी विकेन्द्रीकरण के उदय के लिए उत्तरदायी थी।WhatsApp to Get Complete pdf & daily updates 7690022111

गुप्तकाल में प्रशासनिक पदों को भी वंशानुगत किया जाने लगा था। इसका आभास हम गिरनार क्षेत्र में पर्णदत्त एवं चक्रपालित द्वारा अधिकारी के रूप में नियुक्ति में पाते हैं। इसके साथ ही साथ एक अन्य प्रवृत्ति उभरी, वह थी एक ही व्यक्ति को कई-कई पद सौंप दिए जाने की। उदाहरणार्थ प्रयाग प्रशस्ति का लेखक हरिषेण एक ही साथ कुमारामात्य, सन्धिविग्रहिक एवं महादण्डनायक के पद को सुशोभित करता था। साम्राज्य का विभाजन भुक्तियों (प्रान्तों) में हुआ वा इस पर उपरिक या उपरिक महाराज नामक अधिकारी नियुक्त किया जाता था। सीमान्त प्रदेशों के प्रशासक को गोप्ता कहा जाता था। पुण्ड्रवर्द्धन नामक प्रान्त गुप्तों के अधीन था, जहाँ का प्रशासक चिरोदत्त था। भुक्तियों (प्रान्तों) का विभाजन अनेक जिलों में किया जाता था। इन जिलों को विषय कहा जाता था। विषय का सर्वोच्च अधिकारी विषयपति या कुमारामात्य होता था। विषयपति का प्रधान कार्यालय अधिष्ठान कहलाता था। विषयपति को सहायता एवं सलाह देने के लिए एक विषय परिषद् होती थी। इनके सदस्य नगर श्रेष्ठी, सार्थवाह, प्रथम कुलिक च प्रथम कायस्थ होते थे। इनकी नियुक्ति प्रायः 5 वर्ष के लिए होती थी।

इस टॉपिक को पूरा पढ़ने और इस प्रकार के अन्य  नोटस  और pdf के लिए  group से जुड़े जहाँ पर आपकी संपूर्ण तैयारी हो जायेगी
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07 Nov, 11:52


बदायूंनी ने अपने जन्म पर अफसोस प्रकट किया लेकिन फिर आगे कहा कि खुदा का शुक्र है कि मैं इस न्याय प्रिय बादशाह (शेरशाह) के वक्त में पैदा हुआ


अब्दुल कादिर बदायूँनी बदायूँ ( वर्तमान UP) में जन्मे  एक फ़ारसी इतिहासकार और अनुवादक थे, उन्होंने हिंदू कृतियों, रामायण और महाभारत (रज़्मनामा) का अनुवाद किया।
इन्होंने तारीख-ए-बदाउनी की रचना की जिसे मुंतखब-उत-तवारीख भी कहा जाता है,
अकबर ने इन्हें अपने दरबार में 1574 में इस्लाम धर्म के अधिकारी और सलाहकार रूप में नियुक्त किया था और उसके बाद इस कृति में हल्दीघाटी के युद्ध को वह गोगुन्दा का युद्ध कहता है। उसकी मृत्यु 1615 ई.
में आगरा में हुई।
इन्हे अकबर का विरोधक भी माना जाता है...

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27 Oct, 12:25


हरियाणा pgt history पेपर 27 oct 2024

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27 Oct, 06:53


RPSC स्कूल व्याख्याता रणनीति

(1) सर्वप्रथम आप RPSC की वेबसाइट से सिलेबस डाउनलोड कर लें, old वाला सिलेबस बहुत ही सीमित बदलावों के साथ लागू रहेगा,
हालांकि इस बार प्रथम पेपर में मनोविज्ञान को शैक्षिक प्रबंधन ( एजुकेशन मैनेजमेंट) के साथ रखा है और ICT और शिक्षा शास्त्र को सब्जेक्ट वाले पेपर में जोड़ दिया है।

अब इस चक्कर में मत पड़ना की सिलेबस चेंज होगा, क्या होगा?
कौनसे टॉपिक हटेंगे, कौनसे जुड़ेंगे इत्यादि।

सामान्य रूप से सिलेबस में अधिक से अधिक एक दो टॉपिक नए जुड़ सकते है और एकाध टॉपिक हट सकते है, इससे ज्यादा कुछ होने वाला नहीं हैं, तो आप जब तक नया सिलेबस RPSC अपलोड न कर दें, तब तक पुराने सिलेबस को ही आधार बनाएं रखना।

(2) सिलेबस को 4- 5 बार ठीक से पढ़ें, फिर आप RPSC के old स्कूल व्याख्याता भर्ती परीक्षाओं के पेपर और विगत में जितनी असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षाएं हुई हैं, उनके सभी पुराने पेपर्स प्रिंट निकालकर ले आएं।

फिर असिस्टेंट प्रोफेसर में जो सवाल स्कूल व्याख्याता वाले सिलेबस से बाहर हैं उन्हें मत पढ़ें और शेष सारे ठीक से पढ़ने है।
जैसे इतिहास दर्शन वाला हिस्सा।

नोट - मैंने इसी टेलीग्राम चैनल पर RPSC स्कूल व्याख्याता भर्ती परीक्षा के प्रथम पेपर और इतिहास विषय के ओल्ड question paper RPSC की ऑफिशियली उत्तर कुंजी के साथ pin 📍 कर रखें है, आप उनका प्रिंट निकाल कर ले आएं साथ ही अस्सिटेंट प्रोफेसर के old question paper भी उत्तर कुंजी सहित 📍 पिन कर रखे है, उनका भी प्रिंट निकाल लें।



यदि आपने थोड़ी बहुत विषय की तैयारी कर रखी है तो आप सबसे पहले सभी पुराने पेपर्स के सवालों को पढ़ लें, मुश्किल से यह काम एक-दो दिन में हो जाता है, फिर खुद का मूल्यांकन करें, कि आप किस स्तर पर है।


(3) फिर आप सीमित पुस्तकें अभी से ही चयन कर लें, उसके बाद कुछ भी न पढ़ें।
कुछेक साथीगण एक्जाम नजदीक होने पर नई नवेली रंगीन पृष्ठों वाली किताबें भी ले आते हैं, फिर न तो पुरानी वाली पुनः पढ़ पाते है और न ही नई नवेली को पूरा पढ़ पाते और इस तरह अधर में लटक जाते है और फिर आत्मविश्वास से हीन मनोदशा लिए एक्जाम सेंटर पर जाते है और उसी हीनता भाव से लिजलिजा प्रदर्शन करके आ जाते है, एक पुरानी कहानी है कि जो रोते हुए जाते है वे मरे हुए के समाचार लाते हैं।

इसलिए आप अभी से ही तय कर लें कि मैं अमुक पुस्तकों के सिवाय किसी भी पुस्तक को निहारूंगा तक नहीं।


(4) कोशिश करें कि दिवाली के बाद से और एक्जाम होने तक निरन्तर 7- 8 घंटे अवश्य अध्ययन में दें, अन्यथा तैयारी करने का   कोई मतलब नहीं है ।

कई साथीगण 10 दिन तो 12- 14 घण्टे पढ़ लेते है और फिर 3- 4 दिन कुछ भी नहीं पढ़ते, तो मेरा सुझाव है कि आप एक्जाम होने तक निरन्तरता को बनाएं रखें,
खरगोश और कछुए की कहानी पूरी तरह से उचित है।

(5) एक दिन को दो या तीन खंडों में सिलेबस के अनुसार बांट लें।

जैसे सुबह की शिफ्ट, दोपहर के बाद की शिफ्ट, और दो - घंटे रात्रिकालीन शिफ्ट।

फिर आप सुबह वाली शिफ्ट में उसी टॉपिक या उसी खण्ड का अध्ययन करें, जो सर्वाधिक अंकदाई हो, और कम बोरिंग हो
यह इसलिए बता रहा हूं, क्योंकि मॉर्निंग में हमारे पास पूरी रात सोने के बाद एनर्जी का बूस्टर होता है, जिसे ठीक से भुनाया जा सकता हैं।

दोपहर के उपरांत आप कोशिश करें कि प्रथम पेपर के सिलेबस से संबंधित पुस्तकों का अध्ययन करें।
ताकि आपके दोनों पेपर्स का सिलेबस साथ ही साथ कवर होता रहें।

हालांकि यदि कोई अभ्यर्थी सब्जेक्ट वाले हिस्से में कमजोर है तो उसे दोपहर वाली शिफ्ट में भी 1- 2 घंटे अधिक एफर्ट लगा देने चाहिए ताकि रिकवरी कर सकें, और यदि कोई सब्जेक्ट वाले में ठीक ठाक है तो फिर, बताये अनुसार अध्ययन कर सकता है।

रात की शिफ्ट में कोशिश करें कि ओल्ड question paper को सॉल्व अवश्य करें , कोशिश रहनी चाहिएं कि आज तक के स्कूल व्याख्याता और असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षाओं सारे ओल्ड question paper मुख जुबान याद हो।
यदि आप इनका 10- 15 बार अध्ययन कर लेंगे तो निश्चित रूप से सारे पिछले सवाल याद हो जाएंगे।


करंट अफेयर्स को भी रात में आधा घंटा दिया जा सकता है, ताकि बाद में एक्जाम के समय इधर- उधर हाथ पैर न मारने पड़ें।


शेष बिंदु अगली पोस्ट  में

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27 Oct, 06:52


स्कूल शिक्षा विभाग 2011 पेपर।

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27 Oct, 03:11


🔸🔸भीमदेव प्रथम ( गुजरात के चौलुक्य/ सोलंकी वंश शासक [1021-1064): -

🔹भीमदेव प्रथम अपने वंश का प्रथम प्रतापी शासक था इसने चालुक्य शासक सोमेश्वर प्रथम से मिलकर परमार प्रशासक भोज पर आक्रमण किया।भोज परास्त हो गया।
🔹भीमदेव प्रथम के काल की प्रमुख घटना सोमनाथ मंदिर को मुहम्मद गजनवी द्वारा लुटना थी । (1025-26) गजनवी ने सोमनाथ मंदिर की मूर्ति को खण्डित कर दिया तथा अथाह सम्पत्ति को ले गया।
[16 वां आक्रमण) मन्दिर का पुनः निर्माण पत्थर से किया।
फरिश्ता के अनुसार आक्रमण के उपरान्त भीमदेव ने  इसका पुनः निर्माण करवाया तथा - 3000 मुसलमानों की बलि दी।

▪️भीमदेव प्रथम ने भीमेश्वर देव भट्‌टारिका के मन्दिर का निर्माण करवाया ।
तथा उसके सामन्त विमलशाल ने देलवाड़ा के जैन मंदिरों का निर्माण करवाया।

• भीमदेव प्रथम के उपरान्त कर्ण, उसका उत्तराधिकारी हुआ (जो निर्बल शासक था) - जिसको मालवा के परमारों ने पराजित किया 'उसने कर्णावती नामक नगर बसाया। उस नगर में कर्णेश्वर मंदिर तथा कर्ण सागर झील का निर्माण करवाया।

🔺कर्ण के उपरान्त उसका उत्तराधिकारी जयसिंह सिद्धराज हुआ।.........

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26 Oct, 15:30


TGT/PGT HISTORY POLITY/KVS/kvs/ UPPCS GIC/Lt.grade/Dsssb sst Emrs/UGC net/ugc net/UGC NETJRF/NET jrf/net jrf pinned «असफल साथियों ! किसी का NET या JRF रुक गया है तो एक ही उपाय है , आप अनावश्यक कुछ न पढ़ें केवल AGP Publication के पुराने NET/JRF के पेपर्स तथा साथ में पप्पूसिंह प्रजापत सर की ऑब्जेक्टिव वाली बुक्स देख लेना। इन दो बुक्स के अलावा आपको सबजेक्ट में कुछ नहीं…»

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26 Oct, 15:30


असफल साथियों !

किसी का NET या JRF रुक गया है तो एक ही उपाय है ,

आप अनावश्यक कुछ न पढ़ें

केवल AGP Publication के पुराने NET/JRF के पेपर्स तथा साथ में पप्पूसिंह प्रजापत सर की ऑब्जेक्टिव वाली बुक्स देख लेना।

इन दो बुक्स के अलावा आपको सबजेक्ट में कुछ नहीं पढ़ना है ।

इन दो books को  कम से कम 5- 6 बार पढ़ लो --- सहजता से NET/JRF दोनों क्लियर हो जाएगा ।

नहीं हो तो इसकी जिम्मेदारी आप मुझ पर डाल देना, मगर आप तबीयत से इनको रगड़ो तो सही ।



और पहले पेपर के वास्ते यूथ या घटनाचक्र
में से जो भी मिले ओल्ड पेपर की books ले आओ,  आप आराम से 30 (+ - 1 ) सवाल सही कर दोगे ।

अन्यथा इधर उधर भागते रहोगे, और December 2024 आकर चली जाएगी, हर बार 500-1000 रूपये फार्म के भरते रहना और मुंह फाड़ते रहना।


कुल तीन books बता दी है, जो ज्यादा नहीं है, आप आराम से एक्जाम से पहले इनको 5- 7  बार पढ़ सकते हो ।

नहीं तो कोई बड़े बड़े पोथे बता देगा, मौर्य काल तक आओगे तब तक एक्जाम हो जायेगा और परीणाम वही ढाक के तीन पात- फुसस्स्स ।

बाकि जितने लोग उतनी बातें है, सबकी अपनी- अपनी स्ट्रैटजी होती है ।

कोई जानकार, भाई ,साथी फैल हो गया है या नई तैयारी कर रहा है तो उसे यह तीनों books बता देना --ताकि उसके जीवन में भटकाव कम रहेगा । और जल्दी कहीं लग जाएगा ।

यू ट्यूब पर स्ट्रेटजियां देखने या किताबों की लिस्ट कहीं से देखने की आवश्यकता नहीं है।

ये टाइम बर्बादी के पैंतरे है

आपको पढ़ना पड़ेगा इन तीन पुस्तकों को,

होगा डेफिनेंटली होगा ।

इन तीन किताबों की व्याख्या को भी बड़िया से देखना, या तो सवाल सीधे के सीधे पूछ लेगा या या फिर इनकी व्याख्या से उठाकर।


भरोसा करो खुद पर ,
ईश्वर पर भी ।

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26 Oct, 15:29


स्कूल व्याख्याता भर्ती परीक्षा इतिहास विषय हेतु पुस्तक सूची।


प्राचीन भारत - उपिंदरसिंह,

मध्यकालीन भारतीय इतिहास सौरभ चौबे

आधुनिक भारत अरविंद भास्कर सर की दो पुस्तकें।

विश्व इतिहास अरविंद भास्कर

ऑब्जेक्टिव भारतीय इतिहास- पप्पूसिंह प्रजापत

विश्व इतिहास objective - अरविंद भास्कर/ पप्पूसिंह प्रजापत
गणपतसिंह राजपुरोहित (तीनों में से कोई भी एक ला सकते है)

राजस्थान इतिहास पवन भंवरिया (नाथ पब्लिकेशन) / जैन & माली (दोनों में से कोई भी एक पुस्तक लानी है)

राजस्थान इतिहास objective - पप्पू सिंह प्रजापत और गंगा विशन । (इस पुस्तक को बहुत ही शानदार तरीके से बनाया गया है)

अंत में आर्य भारतीय इतिहास या पप्पू सिंह की भारतीय इतिहास समग्र अध्ययन में से कोई एक पुस्तक लाकर रिवीजन कर देना।

ये पुस्तक सूची काफी है, यदि किसी को लगता है कि मैं इनका अध्ययन नहीं करना चाहता हूं ,तो आप किसी अन्य को भी पढ़ सकते हैं, यह सूची अन्तिम नहीं हैं।

कम से कम तीन बार रिवीजन होने पर ही याद होंगे और परीक्षा में चयन सहज महसूस करोगे।

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10 Oct, 13:07


🌿🌿  गुप्तकालीन शासकों के सिक्के .....

  चन्द्रगुप्त प्रथम ...... राज - दम्पत्ति  या विवाह प्रकार  ( चन्द्रगुप्त - कुमारदेवी प्रकार )   का पहला सिक्का चलाया ...

  समुद्रगुप्त  ...... ध्वजधारी या दण्डधारी ( गरूङ  प्रकार )  , धनुर्धारी  प्रकार  , परशुधारी प्रकार , अश्वमेध प्रकार , व्याघ्र निहःता प्रकार , वीणा वादन प्रकार

(  .... समुद्रगुप्त के सिक्कों में कभी - कभी समृद्धि एवं ऐश्वर्य की देवी अरदोक्षो को दिखाया गया है .... )

  रामगुप्त ......  रामगुप्त के कुछ तांबे के सिक्के एरण एवं भिलसा ( विदिशा ) से मिलते है तथा भिलसा से प्राप्त सिक्कों पर ही रामगुप्त नाम के साथ गरूङ का अंकन है अतः रामगुप्त पहला शासक था जिसने तांबे की मुद्राओं का प्रवर्तन किया था ...

  चन्द्रगुप्त द्वितीय ...... चन्द्रगुप्त ने सोने ( 8 प्रकार ) की स्वर्ण मुद्राऐ प्रचलित की . रजत सिक्के चलाने वाला पहला गुप्त शासक माना जाता है . इसके अतिरिक्त धनुर्धारी प्रकार , सिंह निहन्ता प्रकार , अश्वारोही प्रकार , पर्यङ्क प्रकार , छत्रधारी प्रकार , राजा - रानी प्रकार , ध्वजधारी प्रकार , चक्र - विक्रम प्रकार की मुद्रा चलाई ...
( .... इसने समुद्रगुप्त के व्याघ्रनिंहता प्रकार के सिक्कों को सिंहनिहंता में बदल दिया ....)

कुमारगुप्त ......  कुमारगुप्त की स्वर्ण , रजत एवं तांबे की मुद्राएं प्राप्त होती है . सर्वप्रथम मध्य प्रदेश में मयूरशैली की चांदी की मुद्राएं इसने ही चलाई . इस पर उसने गरूङ के स्थान पर मयूर की आकृति उत्कीर्ण कराई ..... उसने कुछ नये प्रकार की मुद्राऐ चलाई -- खड्गधारी प्रकार , गजारोही या हाथी प्रकार , कार्तिकेय प्रकार , अप्रतिघ प्रकार , खड्गनिहन्ता प्रकार ...

  स्कन्दगुप्त ......  स्कन्दगुप्त के स्वर्ण एवं रजत सिक्के मिलते है तथा लक्ष्मी या राज - लक्ष्मी प्रकार की स्वर्ण मुद्रा इसने ही चलाई इसने 2 नये प्रकार के सिक्के -- नन्दी ( वृषभ ) प्रकार , वेदिका प्रकार ....

( ... सर्वप्रथम स्कन्दगुप्त के समय से ही गुप्त स्वर्ण मुद्राएं 144 ग्रेन में डाली गई ...

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10 Oct, 13:06


दिल्ली में स्थित सफदरजंग का मकबरा मुग़ल वास्तुकला का एक बेहतरीन नमूना है। 1754 में अवध के नवाब सफदरजंग के लिए बनाया गया यह मकबरा, हुमायूँ के मकबरे से प्रेरित है। इसकी लाल बलुआ पत्थर की दीवारें, जालीदार काम और सममित डिजाइन इसे एक ख़ूबसूरत और शाही आभा देते हैं।

यह मकबरा न सिर्फ सफदरजंग की याद में बना था, बल्कि मुग़ल साम्राज्य के वैभव और शान का भी प्रतीक है। इसकी बाग़बानी और चारबाग़ शैली इसे और भी ख़ूबसूरत बनाती है।

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03 Oct, 03:49


Jay mata di

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01 Oct, 13:08


हीगल (1770-1831) (जर्मनी) के प्रमुख कथन-

1-'इतिहास में घटनाओं की पुनरावर्ती नहीं होती।"

2-'इतिहास चक्रीय नहीं बल्कि सर्पाली गति से चलता है।"

3-'इतिहास हमें यह सीख देता है. कि हम इतिहास से कोई सीख नहीं लेते।"

4-"जैसे-जैसे इतिहास आगे बढ़ेगा, विचार जिन्दा रहेंगे अर्थात् पुरानी संस्कृति के तत्व जिन्दा रहेंगे।'

5-राष्ट्र नैतिक बुद्धि की सर्वोच्च अभिव्यक्ति है।

6-सम्पूर्ण इतिहास विवेकपूर्ण है।

7-"विश्व इतिहास की मुख्य प्रवृत्ति मानव स्वतंत्रता का विकास है। मानव स्वतंत्रता का अर्थ नैतिक बुद्धि का प्रसार है।

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01 Oct, 12:32


कथासरित्सागर

लेखक - सोमदेव भट्ट

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01 Oct, 05:53


मौर्यकालीन प्रमुख अधिकारी

अमात्य योग्य अधिकारियों का एक समूह।

इन्हीं में से मंत्रिण: ,मंत्री परिषद तथा विभिन्न विभागों के अध्यक्षों की नियुक्ति होती थी।


अग्रमात्य -प्रधानमंत्री को अग्रमात्य कहा जाता था।

महामात्य- यह प्रमुख अमात्य था यह मुख्यत: महत्वपूर्ण नगरों का अधिकारी था।

अंत महामात्य- यह सीमावर्ती प्रदेशों में धर्म प्रचार के लिए जाया करते थे।

इनकी नियुक्ति असभ्य जनजातियों के बीच की जाती थी ।

इनका उल्लेख अशोक 12 वे  शिलालेख में है

इतिझाखा महामात्य -स्त्रियों की देख रेेख  करने वाली अधिकारी

अशोक के 12 वे दीर्घ शिलालेख में इसका उल्लेख है

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01 Oct, 05:52


एस्ट्रोनोमोई- नगर का प्रमुख अधिकारी।🍁

एग्रोनोमोई- जिले एवं सड़क निर्माण का प्रमुख अधिकारी।🍁

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01 Oct, 05:52


प्रदेष्ठा-  मंडल का प्रमुख अधिकारी ,अशोक के अभिलेखों में इसका उल्लेख है


प्रदेष्टा- अर्थशास्त्र के अनुसार फौजदारी न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश

          ......

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01 Oct, 03:00


🔸🔸गुप्तकाल:–

🔸-गुप्तकालीन भारत में सांस्कृतिक विकास व उत्कृष्ट सौन्दर्यबोध के असाधारण प्रतिमान स्थापित होने के कारण इस काल को 'क्लासिकल युग', पेरीक्लीन युग (एल. डी. बानेंट)
व स्वर्ण युग (सर्वप्रथम के.एम. मुंशी),
भारत का एलिजाबेथ व स्टुअर्ट काल (वी.ए. स्मिथ)
श्रेण्य युग (आर.सी. मजूमदार) आदि कहा जाता है।

🔹 ए. के. मजूमदार, आर.एन. दण्डेकर, आर.सी. मजूमदार, भगवतशरण उपाध्याय भी गुप्त काल को स्वर्ण युग मानने वाले इतिहासकार हैं।।.........

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01 Oct, 02:59


षड्गुण नीति

- शासक द्वारा विभिन्न परिस्थितियों से जूझने के लिए कौटिल्य ने 6 नीतियों(सातवें अधिकरण में) का उल्लेख किया है,

🔺यदि शत्रु मजबूत हो तो उसके साथ 'संधि',

🔻अगर शत्रु कमजोर हो तो 'विग्रह' या 'दुश्मनी',

🔺 यदि शत्रु बराबर की शक्ति वाला हो तो 'आसन्न' (जिसमें कुछ भी नही किया जाना चाहिए),

🔻यदि शत्रु बहुत कमजोर हो तो 'यान' (सैन्य अभियान की नीति),

🔺 यदि शत्रु से बहुत कमजोर हो तो 'संश्रय' (उसके आश्रय में चले जाना),

🔻 यदि किसी शत्रु को किसी संधी मित्र की सहायता से देखना है, तो उस नीति को 'द्वैधीभाव' अर्थात एक राजा के साथ संधि दुसरे राजा के साथ विग्रह की नीति अपनानी चाहिए।

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30 Sep, 15:58


•••⚜️◼️वारेन हेस्टिंग्स- (1772-85)◼️⚜️•••

वारेन हेस्टिंग्स बंगाल का अंतिम गवर्नर था।

हेस्टिंग्स ने न्याय व्यवस्था में भी सुधार किया। न्यायिक सुधार में मुगल व्यवस्था को ही आधार बनाया। सर्वप्रथम उसने सिविल अदालतों की श्रंखला स्थापित की। प्रत्येक जिले में जिला दीवानी अदालतें स्थापित करायीं जो कि यूरोपीय कलेक्टर के अधीन कर दी गई । यह ₹500 तक के मामलों की सुनवाई करती थी। सबसे ऊपर कोलकाता की सदर दीवानी अदालत थी।
इसी तरह वारेन हेस्टिंग्स ने फौजदारी अदालतों का अभी पुनर्गठन किया प्रत्येक जिले में एक फौजदारी अदालत स्थापित की गई जो क़ाज़ी मुफ्ती एवं मौलवी के अधीन होती थी। इसके ऊपर कोलकाता की सदर निजामत अदालत थी। यह दरोगा -ए- अदालत प्रधान काजी तथा प्रधान मुफ्ती के अधीन होती थी।

वारेन हेस्टिंग्स ने 1772 में द्वैध शासन व्यवस्था को समाप्त कर फार्मिंग सिस्टम( इजारेदारी व्यवस्था) की शुरुआत राजस्व वसूली के लिए की अर्थात कंपनी भू राजस्व की जिम्मेदारी उसे सौंपती थी जो सबसे अधिक बोली लगाता था। यह व्यवस्था 5 वर्ष के लिए लगाई गई थी किंतु 1777 में एक वर्षीय व्यवस्था क़ायम कर दी गई उसमें जमीदारों को प्राथमिकता दी गई।

वारेन हेस्टिंग्स ने 1776 में " ए कोड आफ जैन्टू ला " तैयार करवाया।

वारेन हेस्टिंग्स के समय 1784 ईस्वी में विलियम जोंस ने "बंगाल एशियाटिक सोसाइटी" की स्थापना की।

1781 में मुस्लिम शिक्षा में सुधार के लिए कोलकाता में प्रथम मदरसा स्थापित कराया।

वारेन हेस्टिंग्स ने राजकीय कोषागार मुर्शिदाबाद से कोलकाता स्थानांतरित कराया।

अभिज्ञान शाकुंतलम का अंग्रेजी अनुवाद कराया था।

वारेन हेस्टिंग्स ने देसी रियासतों के साथ घेरे की नीति (Ring fence policy) अपनाई।

वारेन हेस्टिंग्स पाश्चात्य भाषा के साथ-साथ कई भारतीय भाषाओं का भी ज्ञाता था।

इसने चुंगी व्यवस्था में संशोधन कर जमीदारों के द्वारा जगह-जगह चुंगी लेने की पद्धति को बंद कर दिया ।इसके बदले हुगली, मुर्शिदाबाद, ढाका कोलकाता एवं पटना इन्हीं पांच जगहों पर चुंगी ली जा सकती थी ।अब सभी प्रकार की सामग्रियों पर 2.5% चुंगी ली जाती थी।

इसी के समय ही रेगुलेटिंग एक्ट आया और बंगाल का गवर्नर ' गवर्नर जनरल ' कहलाने लगा। 1773 का रेगुलेटिंग एक्ट के तहत गवर्नर जनरल के पद के साथ चार सदस्यों की कौंसिल को जोड़ दिया गया।
इन चार सदस्यों के नाम हैं- फ्रान्सिस, करले, मानसन एवं वारवेल।

1773 का रेगुलेटिंग एक्ट के तहत बंगाल में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की गई इसमें केवल बंगाल के लोगों के मुकदमें सुने जा सकते थे। सुप्रीम कोर्ट के मुकदमों की सुनवाई ब्रिटिश कानून के अनुसार होती थी जबकि भारती कोर्ट में निर्णय भारतीय कानून के अनुसार दिए जाते थे। 1781 में इस द्वैधता को समाप्त करके हेस्टिंग्स ने सुप्रीम कोर्ट के सर्वोच्च न्यायाधीश एलिजा इम्पे को 5000 के वेतन पर भारतीय न्यायालय का अधीक्षक नियुक्त किया। परंतु कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स ने इस प्रस्ताव को रद्द कर दिया है इम्पे को हटना पड़ा।

1784 में पिट्स इंडिया एक्ट पारित हुआ इसके अनुसार काउंसिल के सदस्य संख्या घटाकर तीन कर दी गई ।इसी एक्ट के आधार पर " बोर्ड आफ कंट्रोल " की स्थापना की गई।

बंगाल के एक समृद्ध ब्राह्मण नंद कुमार ने हेस्टिंग्स पर आरोप लगाया कि हेस्टिंग्स ने मीर जाफर की विधवा मुन्नी बेगम को नवाब मुबारिक उद दौला का संरक्षक बनाने के लिए 3.30 लाख रुपए की घूस ली है। इस कारण वारेन हेस्टिंग्स पर महाभियोग चला परंतु हेस्टिंग्स ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सर एलिजा इम्पे के सहयोग से 1775 में नंदकुमार को फांसी की सजा दिला दी।

वारेन हेस्टिंग्स ने अवध के नवाब शुजाउद्दौला के साथ 1773 में बनारस की संधि की। इसी के समय मीरानपुर कटरा के युद्ध में कंपनी की सेना की मदद से 1774 में हाफिज रहमत खां को हराकर अवध के नवाब शुजाउद्दौला ने रुहेलखंड को अवध में मिला।

1775 में यह कंपनी ने आसफउद्दौला के साथ फैजाबाद की संधि की।

प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध तथा प्रथम आंग्ल मैसूर युद्ध के समय बंगाल का गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स ही था।

हेस्टिंग्स ने प्राचीन विधाओं तथा साहित्य को संरक्षण दिया। वह अरबी, फारसी जानता था और बांग्ला बोल सकता था।

हेस्टिंग्स ने चार्ल्स विलकिंस के गीता के प्रथम अनुवाद की प्रस्तावना लिखी।

विलिकिंस ने फारसी तथा बंगला मुद्रण के लिए ढलाई के अक्षरों का आविष्कार किया था।

हालहेड ने 1778 में संस्कृत व्याकरण प्रकाशित किया।

वारेन हेस्टिंग्स ने हिंदू तथा मुस्लिम विधियों को भी एक पुस्तक का रूप देने का यत्न किया। 1776 में संस्कृत में एक पुस्तक " कोड आफ जैन्टू ला "छपी।
इसी प्रकार " फतवा -ए -आलमगिरी " का अंग्रेजी में अनुवाद करने का प्रयत्न भी किया गया।

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29 Sep, 18:39


तिलक ने लड़कियों के लिए मुफ़्त और अनिवार्य शिक्षा का विरोध किया.

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25 Sep, 18:53


षड्गुण नीति

- शासक द्वारा विभिन्न परिस्थितियों से जूझने के लिए कौटिल्य ने 6 नीतियों(सातवें अधिकरण में) का उल्लेख किया है,

🔺यदि शत्रु मजबूत हो तो उसके साथ 'संधि',

🔻अगर शत्रु कमजोर हो तो 'विग्रह' या 'दुश्मनी',

🔺 यदि शत्रु बराबर की शक्ति वाला हो तो 'आसन्न' (जिसमें कुछ भी नही किया जाना चाहिए),

🔻यदि शत्रु बहुत कमजोर हो तो 'यान' (सैन्य अभियान की नीति),

🔺 यदि शत्रु से बहुत कमजोर हो तो 'संश्रय' (उसके आश्रय में चले जाना),

🔻 यदि किसी शत्रु को किसी संधी मित्र की सहायता से देखना है, तो उस नीति को 'द्वैधीभाव' अर्थात एक राजा के साथ संधि दुसरे राजा के साथ विग्रह की नीति अपनानी चाहिए।

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25 Sep, 18:52


टीपू की सेना द्वारा युद्ध में रॉकेट का इस्तेमाल

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25 Sep, 10:52


अमीर खुसरो

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21 Sep, 11:01


🔸🔸जगदीश मंदिर :

    उदयपुर शहर (राजस्थान)का सर्वप्रमुख एवं प्राचीन जगदीश मंदिर राजमहल के पास स्थित है।
इसका निर्माण सन् 1651 में महाराणा जगतसिंह प्रथम द्वारा करवाया गया था।

इस मंदिर का निर्माण अर्जुन, सूत्रधार भाणा और मुकुन्द की देखरेख में शुरू हुआ।

🔹मंदिर में काले पत्थर से निर्मित भगवान जगदीश (विष्णु) की विशाल प्रतिमा स्थित है। इस मंदिर के निर्माण में स्वप्न संस्कृति का बड़ा योगदान रहा है। इसलिए इसे 'सपने से बना मंदिर' भी कहते हैं।

🔹यह मन्दिर पंचायतन शैली का है।
चार लघु मंदिरों से परिवृत होने के कारण इसे पंचायतन कहा गया है। मन्दिर के चारों कोनों में शिव पार्वती, गणपति, सूर्य तथा देवी के चार लघु मन्दिर तथा गर्भगृह के सामने गरूड़ की विशाल प्रतिमा है।
..........💐💐❤️
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20 Sep, 01:43


🔸(शब्द)      :     🔹(अर्थ)

(A) बक्काल : अनाज व्यापारी

(B) बलाहार : किसानों का निम्नतम वर्ग

(C) सिलहदारः एक सशस्त्र व्यक्ति

(D) तुमान : दस हजार सैनिको का एक समूह

..........💐

🔸मध्यकालीन भारतीय इतिहास 💐

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20 Sep, 01:36


वारेन हेस्टिंग्स ने लिखा था कि "आमतौर पर यूरोप के किसी भी देश के लोगों के मुकाबले भारत के लोग पढ़ने लिखने और अंकगणित में अधिक प्रतिभाशाली थे।"

पिट्स इंडिया एक्ट 1784 के विरोध में इस्तीफा देकर वारेन हेस्टिंग्स 1785 में इंग्लैंड पहुंचा तो एडमंड बर्क द्वारा उसके ऊपर महाभियोग का मुकदमा दायर किया गया परंतु 1795 में से सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया।

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20 Sep, 01:35


•••⚜️◼️वारेन हेस्टिंग्स- (1772-85)◼️⚜️•••

वारेन हेस्टिंग्स बंगाल का अंतिम गवर्नर था।

हेस्टिंग्स ने न्याय व्यवस्था में भी सुधार किया। न्यायिक सुधार में मुगल व्यवस्था को ही आधार बनाया। सर्वप्रथम उसने सिविल अदालतों की श्रंखला स्थापित की। प्रत्येक जिले में जिला दीवानी अदालतें स्थापित करायीं जो कि यूरोपीय कलेक्टर के अधीन कर दी गई । यह ₹500 तक के मामलों की सुनवाई करती थी। सबसे ऊपर कोलकाता की सदर दीवानी अदालत थी।
इसी तरह वारेन हेस्टिंग्स ने फौजदारी अदालतों का अभी पुनर्गठन किया प्रत्येक जिले में एक फौजदारी अदालत स्थापित की गई जो क़ाज़ी मुफ्ती एवं मौलवी के अधीन होती थी। इसके ऊपर कोलकाता की सदर निजामत अदालत थी। यह दरोगा -ए- अदालत प्रधान काजी तथा प्रधान मुफ्ती के अधीन होती थी।

वारेन हेस्टिंग्स ने 1772 में द्वैध शासन व्यवस्था को समाप्त कर फार्मिंग सिस्टम( इजारेदारी व्यवस्था) की शुरुआत राजस्व वसूली के लिए की अर्थात कंपनी भू राजस्व की जिम्मेदारी उसे सौंपती थी जो सबसे अधिक बोली लगाता था। यह व्यवस्था 5 वर्ष के लिए लगाई गई थी किंतु 1777 में एक वर्षीय व्यवस्था क़ायम कर दी गई उसमें जमीदारों को प्राथमिकता दी गई।

वारेन हेस्टिंग्स ने 1776 में " ए कोड आफ जैन्टू ला " तैयार करवाया।

वारेन हेस्टिंग्स के समय 1784 ईस्वी में विलियम जोंस ने "बंगाल एशियाटिक सोसाइटी" की स्थापना की।

1781 में मुस्लिम शिक्षा में सुधार के लिए कोलकाता में प्रथम मदरसा स्थापित कराया।

वारेन हेस्टिंग्स ने राजकीय कोषागार मुर्शिदाबाद से कोलकाता स्थानांतरित कराया।

अभिज्ञान शाकुंतलम का अंग्रेजी अनुवाद कराया था।

वारेन हेस्टिंग्स ने देसी रियासतों के साथ घेरे की नीति (Ring fence policy) अपनाई।

वारेन हेस्टिंग्स पाश्चात्य भाषा के साथ-साथ कई भारतीय भाषाओं का भी ज्ञाता था।

इसने चुंगी व्यवस्था में संशोधन कर जमीदारों के द्वारा जगह-जगह चुंगी लेने की पद्धति को बंद कर दिया ।इसके बदले हुगली, मुर्शिदाबाद, ढाका कोलकाता एवं पटना इन्हीं पांच जगहों पर चुंगी ली जा सकती थी ।अब सभी प्रकार की सामग्रियों पर 2.5% चुंगी ली जाती थी।

इसी के समय ही रेगुलेटिंग एक्ट आया और बंगाल का गवर्नर ' गवर्नर जनरल ' कहलाने लगा। 1773 का रेगुलेटिंग एक्ट के तहत गवर्नर जनरल के पद के साथ चार सदस्यों की कौंसिल को जोड़ दिया गया।
इन चार सदस्यों के नाम हैं- फ्रान्सिस, करले, मानसन एवं वारवेल।

1773 का रेगुलेटिंग एक्ट के तहत बंगाल में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की गई इसमें केवल बंगाल के लोगों के मुकदमें सुने जा सकते थे। सुप्रीम कोर्ट के मुकदमों की सुनवाई ब्रिटिश कानून के अनुसार होती थी जबकि भारती कोर्ट में निर्णय भारतीय कानून के अनुसार दिए जाते थे। 1781 में इस द्वैधता को समाप्त करके हेस्टिंग्स ने सुप्रीम कोर्ट के सर्वोच्च न्यायाधीश एलिजा इम्पे को 5000 के वेतन पर भारतीय न्यायालय का अधीक्षक नियुक्त किया। परंतु कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स ने इस प्रस्ताव को रद्द कर दिया है इम्पे को हटना पड़ा।

1784 में पिट्स इंडिया एक्ट पारित हुआ इसके अनुसार काउंसिल के सदस्य संख्या घटाकर तीन कर दी गई ।इसी एक्ट के आधार पर " बोर्ड आफ कंट्रोल " की स्थापना की गई।

बंगाल के एक समृद्ध ब्राह्मण नंद कुमार ने हेस्टिंग्स पर आरोप लगाया कि हेस्टिंग्स ने मीर जाफर की विधवा मुन्नी बेगम को नवाब मुबारिक उद दौला का संरक्षक बनाने के लिए 3.30 लाख रुपए की घूस ली है। इस कारण वारेन हेस्टिंग्स पर महाभियोग चला परंतु हेस्टिंग्स ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सर एलिजा इम्पे के सहयोग से 1775 में नंदकुमार को फांसी की सजा दिला दी।

वारेन हेस्टिंग्स ने अवध के नवाब शुजाउद्दौला के साथ 1773 में बनारस की संधि की। इसी के समय मीरानपुर कटरा के युद्ध में कंपनी की सेना की मदद से 1774 में हाफिज रहमत खां को हराकर अवध के नवाब शुजाउद्दौला ने रुहेलखंड को अवध में मिला।

1775 में यह कंपनी ने आसफउद्दौला के साथ फैजाबाद की संधि की।

प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध तथा प्रथम आंग्ल मैसूर युद्ध के समय बंगाल का गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स ही था।

हेस्टिंग्स ने प्राचीन विधाओं तथा साहित्य को संरक्षण दिया। वह अरबी, फारसी जानता था और बांग्ला बोल सकता था।

हेस्टिंग्स ने चार्ल्स विलकिंस के गीता के प्रथम अनुवाद की प्रस्तावना लिखी।

विलिकिंस ने फारसी तथा बंगला मुद्रण के लिए ढलाई के अक्षरों का आविष्कार किया था।

हालहेड ने 1778 में संस्कृत व्याकरण प्रकाशित किया।

वारेन हेस्टिंग्स ने हिंदू तथा मुस्लिम विधियों को भी एक पुस्तक का रूप देने का यत्न किया। 1776 में संस्कृत में एक पुस्तक " कोड आफ जैन्टू ला "छपी।
इसी प्रकार " फतवा -ए -आलमगिरी " का अंग्रेजी में अनुवाद करने का प्रयत्न भी किया गया।

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