RPSC स्कूल व्याख्याता रणनीति
(1) सर्वप्रथम आप RPSC की वेबसाइट से सिलेबस डाउनलोड कर लें, old वाला सिलेबस बहुत ही सीमित बदलावों के साथ लागू रहेगा,
हालांकि इस बार प्रथम पेपर में मनोविज्ञान को शैक्षिक प्रबंधन ( एजुकेशन मैनेजमेंट) के साथ रखा है और ICT और शिक्षा शास्त्र को सब्जेक्ट वाले पेपर में जोड़ दिया है।
अब इस चक्कर में मत पड़ना की सिलेबस चेंज होगा, क्या होगा?
कौनसे टॉपिक हटेंगे, कौनसे जुड़ेंगे इत्यादि।
सामान्य रूप से सिलेबस में अधिक से अधिक एक दो टॉपिक नए जुड़ सकते है और एकाध टॉपिक हट सकते है, इससे ज्यादा कुछ होने वाला नहीं हैं, तो आप जब तक नया सिलेबस RPSC अपलोड न कर दें, तब तक पुराने सिलेबस को ही आधार बनाएं रखना।
(2) सिलेबस को 4- 5 बार ठीक से पढ़ें, फिर आप RPSC के old स्कूल व्याख्याता भर्ती परीक्षाओं के पेपर और विगत में जितनी असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षाएं हुई हैं, उनके सभी पुराने पेपर्स प्रिंट निकालकर ले आएं।
फिर असिस्टेंट प्रोफेसर में जो सवाल स्कूल व्याख्याता वाले सिलेबस से बाहर हैं उन्हें मत पढ़ें और शेष सारे ठीक से पढ़ने है।
जैसे इतिहास दर्शन वाला हिस्सा।
नोट - मैंने इसी टेलीग्राम चैनल पर RPSC स्कूल व्याख्याता भर्ती परीक्षा के प्रथम पेपर और इतिहास विषय के ओल्ड question paper RPSC की ऑफिशियली उत्तर कुंजी के साथ pin 📍 कर रखें है, आप उनका प्रिंट निकाल कर ले आएं साथ ही अस्सिटेंट प्रोफेसर के old question paper भी उत्तर कुंजी सहित 📍 पिन कर रखे है, उनका भी प्रिंट निकाल लें।
यदि आपने थोड़ी बहुत विषय की तैयारी कर रखी है तो आप सबसे पहले सभी पुराने पेपर्स के सवालों को पढ़ लें, मुश्किल से यह काम एक-दो दिन में हो जाता है, फिर खुद का मूल्यांकन करें, कि आप किस स्तर पर है।
(3) फिर आप सीमित पुस्तकें अभी से ही चयन कर लें, उसके बाद कुछ भी न पढ़ें।
कुछेक साथीगण एक्जाम नजदीक होने पर नई नवेली रंगीन पृष्ठों वाली किताबें भी ले आते हैं, फिर न तो पुरानी वाली पुनः पढ़ पाते है और न ही नई नवेली को पूरा पढ़ पाते और इस तरह अधर में लटक जाते है और फिर आत्मविश्वास से हीन मनोदशा लिए एक्जाम सेंटर पर जाते है और उसी हीनता भाव से लिजलिजा प्रदर्शन करके आ जाते है, एक पुरानी कहानी है कि जो रोते हुए जाते है वे मरे हुए के समाचार लाते हैं।
इसलिए आप अभी से ही तय कर लें कि मैं अमुक पुस्तकों के सिवाय किसी भी पुस्तक को निहारूंगा तक नहीं।
(4) कोशिश करें कि दिवाली के बाद से और एक्जाम होने तक निरन्तर 7- 8 घंटे अवश्य अध्ययन में दें, अन्यथा तैयारी करने का कोई मतलब नहीं है ।
कई साथीगण 10 दिन तो 12- 14 घण्टे पढ़ लेते है और फिर 3- 4 दिन कुछ भी नहीं पढ़ते, तो मेरा सुझाव है कि आप एक्जाम होने तक निरन्तरता को बनाएं रखें,
खरगोश और कछुए की कहानी पूरी तरह से उचित है।
(5) एक दिन को दो या तीन खंडों में सिलेबस के अनुसार बांट लें।
जैसे सुबह की शिफ्ट, दोपहर के बाद की शिफ्ट, और दो - घंटे रात्रिकालीन शिफ्ट।
फिर आप सुबह वाली शिफ्ट में उसी टॉपिक या उसी खण्ड का अध्ययन करें, जो सर्वाधिक अंकदाई हो, और कम बोरिंग हो
यह इसलिए बता रहा हूं, क्योंकि मॉर्निंग में हमारे पास पूरी रात सोने के बाद एनर्जी का बूस्टर होता है, जिसे ठीक से भुनाया जा सकता हैं।
दोपहर के उपरांत आप कोशिश करें कि प्रथम पेपर के सिलेबस से संबंधित पुस्तकों का अध्ययन करें।
ताकि आपके दोनों पेपर्स का सिलेबस साथ ही साथ कवर होता रहें।
हालांकि यदि कोई अभ्यर्थी सब्जेक्ट वाले हिस्से में कमजोर है तो उसे दोपहर वाली शिफ्ट में भी 1- 2 घंटे अधिक एफर्ट लगा देने चाहिए ताकि रिकवरी कर सकें, और यदि कोई सब्जेक्ट वाले में ठीक ठाक है तो फिर, बताये अनुसार अध्ययन कर सकता है।
रात की शिफ्ट में कोशिश करें कि ओल्ड question paper को सॉल्व अवश्य करें , कोशिश रहनी चाहिएं कि आज तक के स्कूल व्याख्याता और असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षाओं सारे ओल्ड question paper मुख जुबान याद हो।
यदि आप इनका 10- 15 बार अध्ययन कर लेंगे तो निश्चित रूप से सारे पिछले सवाल याद हो जाएंगे।
करंट अफेयर्स को भी रात में आधा घंटा दिया जा सकता है, ताकि बाद में एक्जाम के समय इधर- उधर हाथ पैर न मारने पड़ें।
शेष बिंदु अगली पोस्ट में
https://t.me/TGT_PGT_HISTORY_POLITY