धर्मयुग
"धर्मयुग" हिंदी साहित्यिक पत्रकारिता का एक प्रतिष्ठित और लोकप्रिय साप्ताहिक पत्र था, जिसे 1949 में डॉ. धर्मवीर भारती के संपादन में टाइम्स ग्रुप द्वारा प्रकाशित किया गया। यह पत्रिका 20वीं सदी में हिंदी पाठकों के बीच अपनी साहित्यिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि के लिए प्रसिद्ध हुई।
प्रमुख विशेषताएँ:
1. साहित्य और संस्कृति का समावेश:
"धर्मयुग" में कहानी, कविता, निबंध, और समीक्षाओं के साथ-साथ समाज, संस्कृति और राजनीति पर गहन विमर्श प्रकाशित होते थे।
2. सामाजिक मुद्दे:
पत्रिका ने दहेज, नारी समानता, और जातिवाद जैसे मुद्दों को प्रमुखता दी।
3. पाठकों का व्यापक वर्ग:
इसकी भाषा और सामग्री ऐसी थी, जो आम लोगों से लेकर बुद्धिजीवियों तक सभी को आकर्षित करती थी।
4. श्रेष्ठ साहित्यकारों का मंच:
धर्मयुग ने हिंदी के प्रतिष्ठित साहित्यकारों, जैसे फणीश्वरनाथ रेणु, अमृता प्रीतम, और हरिवंश राय बच्चन की रचनाओं को प्रकाशित कर साहित्यिक समृद्धि में योगदान दिया।
निष्कर्ष:
"धर्मयुग" ने हिंदी पत्रकारिता और साहित्य को एक नई दिशा दी। यह न केवल साहित्यिक रुचि का विकास करता था, बल्कि समाज को जागरूक और प्रेरित करने का भी माध्यम था।
(ग)विशाल भारत
उ0- विशाल भारत
"विशाल भारत" हिंदी साहित्यिक पत्रकारिता की एक प्रतिष्ठित पत्रिका थी, जिसे 1928 में रामानंद चट्टोपाध्याय ने शुरू किया। यह पत्रिका हिंदी के साथ-साथ भारतीय साहित्य और संस्कृति के प्रचार-प्रसार का एक महत्वपूर्ण माध्यम बनी।
प्रमुख विशेषताएँ:
1. राष्ट्रीयता का प्रचार:
"विशाल भारत" ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय राष्ट्रीय चेतना को बढ़ावा दिया।
2. साहित्य और संस्कृति:
यह पत्रिका हिंदी साहित्य को समृद्ध करने के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और परंपराओं को भी प्रमुखता देती थी।
3. प्रमुख साहित्यकारों का योगदान:
प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, और सुभद्राकुमारी चौहान जैसे साहित्यकारों की रचनाएँ इस पत्रिका में प्रकाशित हुईं।
4. समग्र भारतीयता:
"विशाल भारत" ने हिंदी के साथ बंगाली और अन्य भारतीय भाषाओं के साहित्य को जोड़कर समग्र भारतीयता को प्रोत्साहन दिया।
निष्कर्ष:
"विशाल भारत" हिंदी साहित्य और पत्रकारिता के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है और साहित्य, समाज, और राष्ट्रीय चेतना को प्रेरित करती है।
(घ)स्वदेश
उ0- स्वदेश
"स्वदेश" हिंदी पत्रकारिता का एक महत्वपूर्ण समाचार पत्र है, जिसने स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक जागरूकता में अहम भूमिका निभाई। इसकी स्थापना 1907 में लाला लाजपत राय ने की थी। यह अखबार राष्ट्रवादी विचारधारा और सामाजिक सुधारों का सशक्त माध्यम बना।
प्रमुख विशेषताएँ:
1. स्वतंत्रता संग्राम का समर्थन:
"स्वदेश" ने ब्रिटिश शासन की नीतियों की कड़ी आलोचना की और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का खुलकर समर्थन किया। यह अखबार जनचेतना जगाने का एक प्रमुख साधन था।
2. सामाजिक सुधार:
अखबार ने समाज में व्याप्त कुरीतियों, जैसे जातिवाद, दहेज प्रथा, और बाल विवाह के खिलाफ लेख प्रकाशित किए।
3. राष्ट्रवादी लेखनी:
"स्वदेश" की भाषा और शैली राष्ट्रवादी थी, जिसने भारतीय जनता के मन में स्वाभिमान और आत्मनिर्भरता की भावना जगाई।
4. प्रेरणास्रोत:
अखबार ने महात्मा गांधी, बाल गंगाधर तिलक, और सुभाष चंद्र बोस जैसे नेताओं के विचारों को जनता तक पहुँचाया।
निष्कर्ष:
"स्वदेश" केवल एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि राष्ट्रीय आंदोलन और सामाजिक सुधार का प्रतीक था। इसका योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और हिंदी पत्रकारिता के इतिहास में अविस्मरणीय है।