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राजस्थान प्राचीन सभ्यताएं Rajasthan History | Jail Prahari, REET, Patwar, VDO, Rajasthan Police
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राजस्थान उच्च न्यायालय
राजस्थान उच्च न्यायालय की स्थापना 29 अगस्त 1949 को हुई थी यह राजस्थान का उच्च न्यायालय है राजस्थान के एकीकरण से पहले राज्यों की अलग-अलग इकाइयों में पांच उच्च न्यायालय थे इन सभी को राजस्थान उच्च न्यायालय अध्यादेश 1949 के जरिए खत्म कर दिया गया।
राजस्थान उच्च न्यायालय की पीठे जयपुर और जोधपुर में स्थित है।
राजस्थान उच्च न्यायालय की स्थापना के बाद नागरिक, आपराधिक, और संवैधानिक ,मामलों पर फैसला लेने की जिम्मेदारी इसी न्यायालय ने संभाली
राजस्थान उच्च न्यायालय के नियम 1952 राजस्थान उच्च न्यायालय अध्यादेश 1949 की धारा 46 के तहत बनाए गए हैं
राजस्थान उच्च न्यायालय के पहले मुख्य न्यायाधीश कमलाकांत वर्मा थे और वर्तमान न्यायाधीश जस्टिस मनिंदर मोहन श्रीवास्तव है
इसी न्यायालय में 29 अगस्त 1949 को राज्य प्रमुख महामहिम महाराजा सवाई मानसिंह द्वारा 11 माननीय न्यायाधीशों को शपथ दिलाई गई।
राजस्थान उच्च न्यायालय में 50 माननीय न्यायाधीशों की पद संख्या अनुमोदित है
राजस्थान राज्य में कुल 36 न्याय क्षेत्र कार्यरत हैं जिनमें 1250 से अधिक अधीनस्थ अदालते हैं।
राजस्थान उच्च न्यायालय की स्थापना 29 अगस्त 1949 को हुई थी यह राजस्थान का उच्च न्यायालय है राजस्थान के एकीकरण से पहले राज्यों की अलग-अलग इकाइयों में पांच उच्च न्यायालय थे इन सभी को राजस्थान उच्च न्यायालय अध्यादेश 1949 के जरिए खत्म कर दिया गया।
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राजस्थान उच्च न्यायालय की स्थापना के बाद नागरिक, आपराधिक, और संवैधानिक ,मामलों पर फैसला लेने की जिम्मेदारी इसी न्यायालय ने संभाली
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Rajasthan History Introduction (राजस्थान का इतिहास) | The Expert GK Series |
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डॉ गौरीशंकर हीराचन्द ओझा ( भारत के इतिहासकार एवं हिन्दी लेखक)
डॉ गौरीशंकर हीराचन्द ओझा का जन्म 15 सितंबर 1863 को रोहिड़ा ग्राम राजस्थान राज्य में हुआ। इनके पिता श्री का नाम हीराचंद ओझा था इसी कारण यह अपने नाम के पीछे हीराचंद ओझा लगते थे
इन्हें इतिहास पुरातत्व और प्राचीन लिपि में विशेषज्ञ प्राप्त थी इन्होंने सिरोही राज्य सोलंकिया तथा राजपूतानो के कहीं इतिहास लिखे एवं अन्य विषयक कहीं ग्रंथ भी लिखें
इनको वर्ष 1937 को" काशी हिन्दू विश्वविद्यालय" ने डी लिट और साहित्य वाचस्पति की उपाधि से सम्मानित किया था
इन्होंने इतिहास में सर्वप्रथम कर्नल टॉड की पुस्तक का अध्ययन किया इस ग्रंथ ने उन्हें बहुत प्रेरणा दी और यूरोपीय विद्वान वुर्हलर की लिपि संबंधित पुस्तक का अध्ययन भी किया । और उसके बाद सन 1894 ईस्वी में भारतीय प्राचीन लिपि माला नामक पुस्तक लिखकर गौरी शंकर ने भाषा और लिपि के क्षैत्र में क्रांति ला दी । इन्होंने कहीं इतिहास लिखे--- जैसे उदयपुर इतिहास, 'डूंगरपुर इतिहास' बांसवाड़ा इतिहास' बीकानेर,इतिहास 'जोधपुर, प्रतापगढ़ इतिहास, इसके साथ कहीं निबंध और पत्र पत्रिकाओं का भी प्रकाशन किया। श्यामलदास को गुरु माना
डॉ गौरीशंकर हीराचन्द ओझा का जन्म 15 सितंबर 1863 को रोहिड़ा ग्राम राजस्थान राज्य में हुआ। इनके पिता श्री का नाम हीराचंद ओझा था इसी कारण यह अपने नाम के पीछे हीराचंद ओझा लगते थे
इन्हें इतिहास पुरातत्व और प्राचीन लिपि में विशेषज्ञ प्राप्त थी इन्होंने सिरोही राज्य सोलंकिया तथा राजपूतानो के कहीं इतिहास लिखे एवं अन्य विषयक कहीं ग्रंथ भी लिखें
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इन्होंने इतिहास में सर्वप्रथम कर्नल टॉड की पुस्तक का अध्ययन किया इस ग्रंथ ने उन्हें बहुत प्रेरणा दी और यूरोपीय विद्वान वुर्हलर की लिपि संबंधित पुस्तक का अध्ययन भी किया । और उसके बाद सन 1894 ईस्वी में भारतीय प्राचीन लिपि माला नामक पुस्तक लिखकर गौरी शंकर ने भाषा और लिपि के क्षैत्र में क्रांति ला दी । इन्होंने कहीं इतिहास लिखे--- जैसे उदयपुर इतिहास, 'डूंगरपुर इतिहास' बांसवाड़ा इतिहास' बीकानेर,इतिहास 'जोधपुर, प्रतापगढ़ इतिहास, इसके साथ कहीं निबंध और पत्र पत्रिकाओं का भी प्रकाशन किया। श्यामलदास को गुरु माना