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07 Feb, 18:17


MP ASSISTANT PROFESSOR
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07 Feb, 03:28


MPGK FOUNDATION BATCH - CLASS (KACHCHHAPGHAT DYNASTY OF NARWAR) - https://samikshainstitute.classx.co.in/courses/34-mpgk-foundation-batch-english-medium

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06 Feb, 13:45


MPPSC FOOD SAFTEY OFFICER EXAM
, PART-B, UNIT-1, Introduction to Basic Food Science, SAMPLE NOTES

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06 Feb, 13:27


🌟 New Target Batch Launch! 🌟

🎯 MPPSC Mains 2025 preparation starts with our online and offline batches!
📚 Available in both mediums:
1️⃣ Hindi Medium 📝
2️⃣ English Medium 📖

Key Features of the Batch:
Expert and experienced faculty guidance.
Access to printed notes and e-books.
Comprehensive syllabus and exam-focused strategies.

💡 "The time to turn your dreams into reality is now!"

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06 Feb, 07:58


1. संतुलित आहार लें, फल, सब्ज़ियां और प्रोटीन शामिल करें।
2. पानी ज्यादा पीएं, शरीर को हाइड्रेटेड रखें।
3. व्यायाम करें, रोज़ 30 मिनट पैदल चलें या योग करें।
4. पूरा आराम करें, 7-8 घंटे की नींद लें।
5. तनाव कम करने के लिए ध्यान और गहरी सांसें लें।
6. नशे से बचें, तंबाकू और शराब से दूर रहें।
7. हाथ धोना और स्वच्छता का ध्यान रखें।

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06 Feb, 07:57


पंडित मोतीलाल नेहरू जी की पुण्यतिथि पर हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता, प्रसिद्ध वकील और जवाहरलाल नेहरू के पिता थे। उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। 🙏

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05 Feb, 23:41


Document from Narendra Bhadoria

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05 Feb, 23:41


📢 महत्वपूर्ण सूचना - MPPSC असिस्टेंट प्रोफेसर (इतिहास) कोर्स ज्वाइन करें! 📢

🎯 इस कोर्स में आपको क्या मिलेगा?
इंटरव्यू की बेहतरीन तैयारी – विशेषज्ञों द्वारा गाइडेंस
महत्वपूर्ण प्रश्नों का संकलन – सटीक और सटीक उत्तरों के साथ
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05 Feb, 18:08


SUPERVISOR EXAM 2025 , PART-4 : CHILD DEVELOPMENT PDF NOTES; english medium - https://imojo.in/C7c0Aa

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05 Feb, 07:24


https://youtu.be/8e6BbMUE4AQ?si=ex_t8HJeDu0CQbE7

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05 Feb, 07:23


https://youtu.be/8e6BbMUE4AQ

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05 Feb, 04:31


समीक्षा इंस्टिट्यूट के एमपीपीएससी के टेस्ट पेपर यदि आपने देख लिए हो तो आप लोग फीडबैक जरूर दें

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04 Feb, 16:25


📢 Important Notice – Assistant Professor (English) Interview 2025 📢

🎯 Madhya Pradesh Public Service Commission (MPPSC) is conducting interviews for the recruitment of 200 posts of Assistant Professor (English) Exam-2022 under the Higher Education Department of the Madhya Pradesh Government.

📅 Interview Dates:
🗓️ 27.02.2025, 28.02.2025 & from 03.03.2025 to 07.03.2025

📜 Download Interview Call Letters:
🔗 Available from 18.02.2025 on the official website: www.mppsc.mp.gov.in

Important Instructions:
Eligible candidates must report at the commission office by 09:30 AM on the interview day.
Carefully review all the conditions mentioned in the interview call letter and ensure compliance.

Call 9826228312
For scheduling your mock interview on 7 February 2025

📌 Best of luck to all candidates! 🍀

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04 Feb, 15:08


Revised_Exam_Plan_and_Syllabus_Food_Safety_Officer_Exam_2024.pdf

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04 Feb, 14:38


विश्व कैंसर दिवस (World Cancer Day) हर साल 4 फरवरी को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाना, इसकी रोकथाम को बढ़ावा देना और कैंसर रोगियों के प्रति सहानुभूति तथा समर्थन व्यक्त करना है। यह दिवस यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल (UICC) द्वारा शुरू किया गया था और आज यह एक वैश्विक आंदोलन बन चुका है।

कैंसर क्या है?
कैंसर शरीर की कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि का परिणाम होता है। यह शरीर के विभिन्न भागों को प्रभावित कर सकता है और समय पर इलाज न होने पर घातक हो सकता है। कैंसर के कई प्रकार होते हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

फेफड़ों का कैंसर
स्तन कैंसर
मौखिक (मुँह) कैंसर
गर्भाशय कैंसर
आंतों का कैंसर
त्वचा कैंसर
विश्व कैंसर दिवस का इतिहास
इस दिवस की शुरुआत 2000 में हुई थी, जब पेरिस चार्टर में कैंसर से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई थी। इस चार्टर का उद्देश्य दुनिया भर में कैंसर के मामलों को कम करना और रोगियों की मदद करना था। तब से लेकर अब तक, हर साल यह दिवस बड़े पैमाने पर मनाया जाता है।

थीम (विषय) और इसका महत्व
हर वर्ष विश्व कैंसर दिवस की एक थीम होती है, जिससे कैंसर से जुड़ी चुनौतियों और समाधानों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। 2022 से 2024 तक की थीम है - "Close the Care Gap" जिसका अर्थ है कैंसर उपचार की असमानता को समाप्त करना।

इस थीम के तहत मुख्य लक्ष्य हैं:

सभी लोगों को समान स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान करना
कैंसर के इलाज को किफायती बनाना
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच इलाज की असमानता को खत्म करना
कैंसर के कारण और जोखिम कारक
कैंसर के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें कुछ प्रमुख हैं:

तंबाकू और शराब का सेवन – फेफड़ों, मुंह और गले के कैंसर का मुख्य कारण
अस्वस्थ आहार और मोटापा – प्रोस्टेट, स्तन और पेट के कैंसर से जुड़ा
शारीरिक गतिविधि की कमी – कैंसर के खतरे को बढ़ाता है
वायरल संक्रमण (जैसे HPV, हेपेटाइटिस-B, C) – गर्भाशय और लिवर कैंसर का कारण
वातावरणीय प्रदूषण और केमिकल्स का संपर्क
कैंसर से बचाव के उपाय
कैंसर से बचने के लिए निम्नलिखित सावधानियाँ बरतनी चाहिए:

धूम्रपान और शराब से बचें
स्वस्थ आहार अपनाएँ (हरी सब्जियाँ, फल, साबुत अनाज)
नियमित व्यायाम करें
सनस्क्रीन का उपयोग करें और त्वचा की देखभाल करें
नियमित हेल्थ चेकअप कराएँ
HPV और हेपेटाइटिस के टीके लगवाएँ
भारत में कैंसर की स्थिति
भारत में कैंसर एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुका है। आईसीएमआर (ICMR) के अनुसार, भारत में हर साल लगभग 14 लाख नए कैंसर के मामले सामने आते हैं।

भारत में सबसे अधिक होने वाले कैंसर प्रकार:

महिलाओं में: स्तन कैंसर, गर्भाशय कैंसर
पुरुषों में: फेफड़ों का कैंसर, मुँह का कैंसर
भारत सरकार राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम (NCCP) और आयुष्मान भारत योजना जैसी योजनाओं के माध्यम से कैंसर से लड़ने के लिए प्रयास कर रही है।

विश्व कैंसर दिवस पर गतिविधियाँ
इस दिन कई कार्यक्रम और जागरूकता अभियानों का आयोजन किया जाता है, जैसे:

फ्री हेल्थ कैंप और कैंसर स्क्रीनिंग
रैलियाँ और सेमिनार
सोशल मीडिया कैंपेन
रोगियों के लिए सहायता कार्यक्रम
निष्कर्ष
विश्व कैंसर दिवस सिर्फ एक दिन का आयोजन नहीं है, बल्कि यह एक आंदोलन है, जो लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करता है और इससे बचाव के लिए प्रेरित करता है। हमें न केवल स्वयं जागरूक रहना चाहिए, बल्कि दूसरों को भी कैंसर के प्रति सचेत करना चाहिए। सही जीवनशैली अपनाकर और नियमित स्वास्थ्य जांच कराकर हम कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं।

👉 "आईए, इस विश्व कैंसर दिवस पर हम संकल्प लें कि हम इस बीमारी के खिलाफ लड़ाई में अपना योगदान देंगे!" 💜🎗

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04 Feb, 09:49


विश्व कैंसर दिवस हर साल 4 फरवरी को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों में कैंसर की रोकथाम, पहचान और इलाज के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। यह दिन यूआईसीसी (Union for International Cancer Control) द्वारा 2000 में शुरू किया गया था।

इस दिन विभिन्न स्वास्थ्य संगठनों द्वारा कैंसर से बचाव, शुरुआती पहचान और इलाज के महत्व पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियान चलाए जाते हैं, ताकि कैंसर के खिलाफ लड़ाई में लोग एकजुट हो सकें।

थीम 2024: *"Close the Care Gap" (इलाज की खाई को पाटें)*

आइए, हम सभी मिलकर कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाएँ और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इससे बचाव करें। 💪🎗

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04 Feb, 09:48


अंतरराष्ट्रीय मानव बंधुत्व दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ! 🤝

यह दिन हमें प्रेम, एकता और सद्भावना का संदेश देता है। आइए, हम सभी मानवता के मूल्यों को अपनाएँ और भाईचारे को मजबूत करें। 💖🌍

"सभी के साथ सम्मान और प्रेम से पेश आएँ, क्योंकि मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है।" 🙏

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04 Feb, 09:47


सत्येंद्रनाथ बोस जी की पुण्यतिथि 4 फरवरी को मनाई जाती है। वे भारत के महान भौतिकविद थे, जिन्होंने क्वांटम मैकेनिक्स के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके नाम पर ही बोसॉन कण का नाम रखा गया है। उन्होंने अल्बर्ट आइंस्टीन के साथ मिलकर बोस-आइंस्टीन सांख्यिकी का विकास किया, जो आधुनिक भौतिकी का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है।

सत्येंद्रनाथ बोस का जन्म 1 जनवरी 1894 को हुआ था और उनका निधन 4 फरवरी 1974 को हुआ। वे विज्ञान और गणित के क्षेत्र में अपने अमूल्य योगदान के लिए हमेशा याद किए जाते हैं। उनकी पुण्यतिथि पर वैज्ञानिक समुदाय उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

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04 Feb, 09:45


सूबेदार तानाजी मालुसरे जी की पुण्यतिथि 4 फरवरी को मनाई जाती है। वे छत्रपति शिवाजी महाराज के वीर सेनापति और बचपन के मित्र थे। तानाजी मालुसरे ने 1670 में सिंहगढ़ किले को मुगलों से मुक्त कराने के लिए बहादुरी से लड़ाई लड़ी। हालांकि इस युद्ध में उन्होंने वीरगति प्राप्त की, लेकिन उनकी वीरता और बलिदान के कारण यह किला मराठाओं के अधीन आ गया। उनकी शहादत पर शिवाजी महाराज ने कहा था – **"गढ़ तो जीता, लेकिन सिंह चला गया"**। उनकी पुण्यतिथि पर लोग उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनकी वीरता को याद करते हैं।

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04 Feb, 06:55


बिरजू महाराज जी की जयंती हर साल 4 फरवरी को मनाई जाती है। वे भारत के प्रसिद्ध कथक नृत्यकार थे और लखनऊ घराने के प्रमुख कलाकारों में से एक थे। उनका जन्म 4 फरवरी 1938 को हुआ था। उन्होंने कथक को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया और भारत सरकार से पद्म विभूषण सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त किए। उनकी जयंती पर नृत्य प्रेमी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनकी कला को याद करते हैं।

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01 Feb, 11:01


Aspects Of Eat Right Challanges In India & Tribal Food of Madhya Pradesh
भारत में सही खान-पान की चुनौतियों के पहलू और मध्य प्रदेश का जनजातीय भोजन
♥️ Live class
👇👇
https://www.youtube.com/live/azj3XpQPivE?si=oCbcne-VRbEx9fDK

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01 Feb, 10:30


*Aspects Of Eat Right Challanges In India & Tribal Food of Madhya Pradesh*
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https://www.youtube.com/live/azj3XpQPivE?si=oCbcne-VRbEx9fDK

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01 Feb, 07:36


हासिल कर लिए 91 मार्क्स इंटरव्यू में।
https://youtu.be/pqr5AScxt9I?si=S0hH-BAbJ-dRvJwJ

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01 Feb, 06:03


मेहनत ऐसी करो कि - आपकी सफलता का भौकाल मच जाएं
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Watch Video Now 👇
https://youtu.be/8EmSnVY5qQM

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01 Feb, 05:48


मेहनत ऐसी करो कि - आपकी सफलता का भौकाल मच जाएं
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Watch Video Now 👇
https://youtu.be/8EmSnVY5qQM

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01 Feb, 05:47


मेहनत ऐसी करो कि - आपकी सफलता का भौकाल मच जाएं
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Watch Video Now 👇
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01 Feb, 04:30


Mob 9826228312

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01 Feb, 04:29


⚠️ महत्वपूर्ण सूचना ⚠️

एमपीपीएससी द्वारा आयोजित असिस्टेंट प्रोफेसर इंटरव्यू में अंकों में भारी अंतर देखा गया है। प्रियंका डांगी, जिन्होंने होम साइंस विषय में टॉप किया, को 100 में से 91 अंक मिले, जबकि कुछ उम्मीदवारों को केवल 11 अंक ही मिले हैं।

➡️ इसलिए इंटरव्यू को बेहद गंभीरता से लें और पूरी तैयारी के साथ जाएं।
➡️ यह अंतिम और निर्णायक चरण है, इसे हल्के में न लें।

समीक्षा इंस्टिट्यूट ग्वालियर
मोबाइल नंबर 982622872

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31 Jan, 16:14


MPPSC Assistant Professor 2022 interview Result out | जानिए कौन रहा टॉपर | #mppsc
https://youtube.com/live/IJ-DmfprAAI?feature=share

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31 Jan, 15:52


🎉 हार्दिक बधाई प्रियंका दांगी जी! 🎉

समीक्षा इंस्टिट्यूट के असिस्टेंट प्रोफेसर इंटरव्यू प्रोग्राम को ज्वाइन करने वाली प्रियंका दांगी जी ने गृह विज्ञान विषय में मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग में टॉप किया है! 🏆

आपके साक्षात्कार में 100 में से 91 अंक आना आपकी मेहनत, ज्ञान और आत्मविश्वास का प्रमाण है! 👏🎓

💐 आपके उज्ज्वल भविष्य के लिए ढेरों शुभकामनाएँ! 🚀🌟 आप इसी तरह सफलता की नई ऊँचाइयों को छूते रहें! 💖

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31 Jan, 15:19


Assistant professor (Home science) final result
Selected candidate
NEETU AHIRWAR
Interview experience😊
https://youtu.be/Q_jDMK0yk2c

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31 Jan, 14:23


SUPERVISOR EXAM 2025 , Second Section (PART-A) : General Knowledge PDF NOTES; english medium
pdf notes
English medium
Page size - A4
Total page - 138
PRINTABLE FORMAT
Link 🔗 to download the PDF
https://imojo.in/1YRZ5Ze

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31 Jan, 10:38


https://youtube.com/live/2lQPH0qvDWU?feature=share

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31 Jan, 08:27


🪙 महिला सुपरवाइजर परीक्षा 2025
SUBJECT ➡️COMPUTER
🧾 TOPIC: Input & OutPut
✔️
Watch Now -❤️ 👇

https://youtube.com/live/dvLWMQega24?feature=share

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31 Jan, 08:20


https://youtube.com/live/dvLWMQega24?feature=share

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31 Jan, 06:07


https://youtube.com/live/yprAQ85dlZo?feature=share

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31 Jan, 05:39


🚀 Introducing the MPGK Foundation Batch! 🌟

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SAMIKSHA INSTITUTE | UPSC | MPPSC

30 Jan, 15:26


Photo from Narendra Bhadoria

SAMIKSHA INSTITUTE | UPSC | MPPSC

30 Jan, 15:26


📢 Important Announcement!

🔥 Samiksha Institute brings you the MPPSC Assistant Professor Sociology Class (Paper-2)! 🔥

📖 Course Highlights:
Bilingual Classes (Hindi & English)
Comprehensive Coverage of all 10 Units
Classes by Subject Experts
MCQ Set & Test Series for Practice

📅 Start Date: 30th January

📍 Location:
1️⃣ 4, New Khedapati Colony, in front of GDA Office, Phoolbagh (Gwalior)
2️⃣ Pinto Park Tiraha, Vivekanand School, Bhind Road (Gwalior)

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SAMIKSHA INSTITUTE | UPSC | MPPSC

31 Dec, 11:15


https://youtu.be/omYlPsvJOtM?si=37sO_GN8Vs2pjJu1

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31 Dec, 11:14


🔈 Stay Updated with MP Current Affairs | Madhya Pradesh Latest News & Events 2024🔖

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31 Dec, 06:05


📣🧲 MPPSC ASSISTANT PROFESSOR NEW VACANCY
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कौन कौन से सब्जेक्ट में कितनी VACANCY है 🔓

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31 Dec, 05:56


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SAMIKSHA INSTITUTE | UPSC | MPPSC

30 Dec, 19:13


असिस्टेंट प्रोफेसर स्पोर्ट्स ऑफिसर
कुल पद - 187
नए बैच 1 जनवरी से शुरू
9826228312

SAMIKSHA INSTITUTE | UPSC | MPPSC

30 Dec, 19:10


असिस्टेंट प्रोफेसर _Librarian
कुल पद - 80
नए बैच 1 जनवरी से शुरू
9826228312

SAMIKSHA INSTITUTE | UPSC | MPPSC

30 Dec, 18:24


Advt_Assistant_Professor_(Computer_Application)
असिस्टेंट प्रोफेसर Computer_Application
कुल पद - 7
नए बैच 1 जनवरी से शुरू
9826228312.pdf

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30 Dec, 18:19


असिस्टेंट प्रोफेसर समाजशास्त्र (sociology)
कुल पद - 92
नए बैच 1 जनवरी से शुरू
9826228312

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30 Dec, 18:15


असिस्टेंट प्रोफेसर भूगोल (geography)
कुल पद - 96
नए बैच 1 जनवरी से शुरू
9826228312

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30 Dec, 18:13


असिस्टेंट प्रोफेसर इंग्लिश
कुल पद - 96
नए बैच 1 जनवरी से शुरू
9826228312

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30 Dec, 18:07


असिस्टेंट प्रोफेसर इतिहास (history)
कुल पद - 97
नए बैच 1 जनवरी से शुरू
9826228312

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30 Dec, 18:03


असिस्टेंट प्रोफेसर वाणिज्य (commerce)
कुल पद - 111
नए बैच 1 जनवरी से शुरू
9826228312

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30 Dec, 17:59


असिस्टेंट प्रोफेसर हिंदी साहित्य
कुल पद - 113
नए बैच 1 जनवरी से शुरू
9826228312

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30 Dec, 17:53


असिस्टेंट प्रोफेसर राजनीति विज्ञान (political science)
124
नए बैच 1 जनवरी से शुरू
9826228312

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30 Dec, 17:31


असिस्टेंट प्रोफेसर अर्थशास्त्र (economy)
नए बैच 1 जनवरी से शुरू
9826228312

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30 Dec, 17:23


असिस्टेंट प्रोफेसर मैथ्स (गणित)
कुल पद 177
नए बैच 1 जनवरी से शुरू
9826228312

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30 Dec, 17:19


असिस्टेंट प्रोफेसर फिजिक्स
कुल पद 186
नए बैच 1 जनवरी से शुरू
9826228312

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30 Dec, 17:19


असिस्टेंट प्रोफेसर जूलॉजी
कुल पद पर - 187
नए बैच 1 जनवरी से शुरू
9826228312

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28 Dec, 04:04


🎉 Mahila Supervisor New Batch Starting From 1st January

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समीक्षा इंस्टीट्यूट ग्वालियर

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28 Dec, 03:48


Document from Narendra Bhadoria

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27 Dec, 16:29


असिस्टेंट प्रोफेसर इंटरव्यू हुई थी हेतु MP SPECIAL करंट अफेयर की Pdf

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27 Dec, 16:12


https://www.youtube.com/live/i3gqrR3Bq3I?si=knk9DfBRFtchDC7u

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27 Dec, 15:59


Big ब्रेकिंग 🔥🔥🔥🔥
MP ESB कैलेंडर 2025 जारी
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27 Dec, 14:58


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27 Dec, 14:51


असिस्टेंट प्रोफेसर के इंटरव्यू में पूछे जाने वाले करंट अफेयर्स के इसी प्रकार के और प्रश्न प्राप्त करने के लिए समीक्षा इंस्टिट्यूट के असिस्टेंट प्रोफेसर के इंटरव्यू के कोर्स को ज्वाइन करें

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27 Dec, 13:49


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27 Dec, 07:47


MPPSC ASSISTANT PROFESSOR WRITTEN EXAM group - https://t.me/mppscset2023

MPPSC ASSISTANT PROFESSOR WRITTEN EXAM (History) group - https://t.me/+X21rNFSr4zI2ZGI1

MPPSC ASSISTANT PROFESSOR WRITTEN EXAM (SOCIOLOGY) group - https://t.me/mppscapsociology

PPSC ASSISTANT PROFESSOR WRITTEN EXAM (Political science) group - https://t.me/mppscappolitical

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27 Dec, 07:04


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27 Dec, 06:44


"📢 Important Update for MPPSC Aspirants! 🚨

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26 Dec, 18:06


अलविदा डॉ. मनमोहन सिंह जी। 🙏🙏

Former Prime Minister Manmohan Singh passed away on Thursday at the age of 92. The senior Congress leader had been admitted to AIIMS Delhi in a critical condition on Thursday evening after his health deteriorated. Singh retired from the Rajya Sabha earlier this year ending a 33 year stint within the Upper House of Parliament.

#manmohansingh #manmohansinghpassedaway #ripmanmohansingh #congress

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26 Dec, 16:44


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26 Dec, 15:38


Must Watch!
"Assistant Professor: समाजशास्त्र में सफलता के राज़"
💡 By Narendra Bhadoria Sir
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26 Dec, 14:44


MPPSC ASSISTANT PROFESSOR WRITTEN EXAM group - https://t.me/mppscset2023

MPPSC ASSISTANT PROFESSOR WRITTEN EXAM (History) group - https://t.me/+X21rNFSr4zI2ZGI1

MPPSC ASSISTANT PROFESSOR WRITTEN EXAM (SOCIOLOGY) group - https://t.me/mppscapsociology

PPSC ASSISTANT PROFESSOR WRITTEN EXAM (Political science) group - https://t.me/mppscappolitical

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24 Dec, 04:15


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24 Dec, 04:00


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23 Dec, 03:57


Must Watch

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21 Dec, 10:03


विश्व ध्यान दिवस: मानसिक शांति और जागरूकता का उत्सव
परिचय
विश्व ध्यान दिवस (World Meditation Day) एक ऐसा विशेष अवसर है, जो हर साल 21 मई को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य ध्यान की महत्ता को समझाना, मानसिक स्वास्थ्य पर इसके सकारात्मक प्रभावों को उजागर करना और इसे एक दैनिक आदत के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित करना है। आज के तेज़ भागदौड़ भरे जीवन में मानसिक शांति और ध्यान का महत्व पहले से कहीं अधिक बढ़ गया है।

ध्यान का महत्व
ध्यान केवल एक आध्यात्मिक प्रथा नहीं है, बल्कि यह मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को संतुलित रखने का एक विज्ञान भी है। नियमित ध्यान से तनाव कम होता है, एकाग्रता बढ़ती है, और व्यक्ति अपने जीवन में अधिक सकारात्मकता महसूस करता है।

विश्व ध्यान दिवस का इतिहास
विश्व ध्यान दिवस पहली बार 2018 में आधिकारिक रूप से मनाया गया। इसका उद्देश्य दुनिया भर में ध्यान के महत्व को बढ़ावा देना और इसे हर उम्र और हर वर्ग के लोगों के लिए सुलभ बनाना था। इस दिन की शुरुआत एक वैश्विक आंदोलन के रूप में हुई, जो मानवता को मानसिक शांति, आंतरिक संतुलन और सामूहिक चेतना की ओर ले जाने के लिए प्रेरित करता है।

इस दिन के मुख्य उद्देश्य

ध्यान के प्रति जागरूकता बढ़ाना: लोगों को ध्यान की सरल तकनीकों और इसके लाभों से परिचित कराना।
मानसिक स्वास्थ्य में सुधार: तनाव, चिंता और अवसाद जैसे मानसिक समस्याओं को कम करने के लिए ध्यान को बढ़ावा देना।
सामूहिक शांति का संदेश: दुनिया भर के लोगों को सामूहिक ध्यान में भाग लेने के लिए प्रेरित करना, जिससे वैश्विक शांति का संदेश दिया जा सके।
कैसे मनाया जाता है विश्व ध्यान दिवस?

सार्वजनिक कार्यक्रम: कई स्थानों पर सामूहिक ध्यान सत्र का आयोजन किया जाता है।
ऑनलाइन सत्र: ध्यान विशेषज्ञ और योग गुरु ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से ध्यान की विधियां सिखाते हैं।
सेमिनार और वर्कशॉप: ध्यान के शारीरिक और मानसिक लाभों पर आधारित चर्चाएं आयोजित की जाती हैं।
सामाजिक पहल: गरीब और वंचित समुदायों में ध्यान की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास किए जाते हैं।
ध्यान के लाभ

मानसिक लाभ: तनाव और चिंता को कम करना, भावनात्मक स्थिरता लाना।
शारीरिक लाभ: रक्तचाप कम करना, नींद में सुधार करना, और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना।
आध्यात्मिक लाभ: आत्म-जागरूकता और आंतरिक शांति को प्राप्त करना।
कैसे शुरू करें ध्यान?
ध्यान शुरू करना आसान है। इसके लिए किसी विशेष स्थान या उपकरण की आवश्यकता नहीं होती।

शांत स्थान चुनें: ध्यान के लिए एक ऐसा स्थान चुनें, जहां कोई व्यवधान न हो।
आरामदायक मुद्रा अपनाएं: पद्मासन या किसी आरामदायक मुद्रा में बैठें।
सांस पर ध्यान केंद्रित करें: अपनी सांस की गति पर ध्यान दें और गहरी सांस लें।
सोच को नियंत्रित करें: अपने मन को भटकने से रोकने की कोशिश करें और वर्तमान क्षण में रहें।
निष्कर्ष
विश्व ध्यान दिवस हर व्यक्ति को अपने जीवन में ध्यान को अपनाने के लिए प्रेरित करता है। यह दिन न केवल मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार लाने का एक अवसर है, बल्कि यह आंतरिक शांति और वैश्विक एकता की दिशा में भी एक कदम है। आइए, हम सब इस दिन को मनाकर अपने जीवन को अधिक संतुलित और सकारात्मक बनाएं।

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21 Dec, 06:01


❇️FOREST SURVEY REPORT 2023 just released today

🔅DATA WILL BE PROVIDED very soon along with the video lecture....

🙏🏼TEAM SAMIKSHA

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21 Dec, 04:39


भंवरकुआ और भोलाराम के ज्ञानियों

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20 Dec, 10:39


सिख शहीदी सप्ताह (सिख शहादत का सप्ताह)

सिख धर्म के इतिहास में बलिदान और शहादत का अत्यधिक महत्व है। हर साल दिसंबर का महीना सिख समुदाय के लिए श्रद्धा और बलिदान की गाथाओं को याद करने का समय होता है। इस दौरान, सिख शहीदी सप्ताह मनाया जाता है, जिसमें गुरु गोबिंद सिंह जी के परिवार के असाधारण बलिदान और सिख धर्म के लिए उनकी महान तपस्या का स्मरण किया जाता है।

सिख शहीदी सप्ताह का महत्व
सिख शहीदी सप्ताह उन घटनाओं का स्मरण है, जब गुरु गोबिंद सिंह जी के चारों साहिबजादों (पुत्रों) ने धर्म, न्याय और मानवता की रक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया। इस सप्ताह के दौरान, सिख धर्म के अनुयायी शहीदों की वीरता, बलिदान और निस्वार्थ सेवा को याद करते हैं। यह सप्ताह हर साल 21 दिसंबर से 27 दिसंबर के बीच मनाया जाता है।

शहादत की गौरवशाली कहानियां
1. बड़े साहिबजादों की शहादत
गुरु गोबिंद सिंह जी के बड़े साहिबजादे, साहिबजादा अजीत सिंह (18 वर्ष) और साहिबजादा जुझार सिंह (14 वर्ष), चमकौर की गढ़ी की लड़ाई में वीरगति को प्राप्त हुए।

जब मुगलों और पहाड़ी राजाओं की संयुक्त सेना ने गढ़ी पर आक्रमण किया, तो इन दोनों ने अद्भुत वीरता का प्रदर्शन किया।
दोनों साहिबजादों ने अपने पिता गुरु गोबिंद सिंह जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ाई की और अंततः धर्म की रक्षा करते हुए बलिदान दिया।
2. छोटे साहिबजादों की शहादत
गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादे, साहिबजादा जोरावर सिंह (9 वर्ष) और साहिबजादा फतेह सिंह (7 वर्ष), ने इतिहास में सबसे अमानवीय घटना का सामना किया।

उन्हें सरहिंद के नवाब वजीर खान ने इस्लाम धर्म स्वीकार करने के लिए कहा।
इन नन्हे वीरों ने धर्म परिवर्तन से इनकार कर दिया और धर्म की रक्षा के लिए ठंडे मौसम में ज़िंदा दीवार में चुनवा दिया गया।
उनकी इस शहादत ने पूरे सिख समुदाय को मानवता, सत्य और धर्म की रक्षा के लिए प्रेरित किया।
सप्ताह के मुख्य कार्यक्रम
अखंड पाठ और कीर्तन दरबार
गुरुद्वारों में इस दौरान अखंड पाठ और कीर्तन का आयोजन होता है, जिसमें साहिबजादों और अन्य शहीदों की वीरता का गुणगान किया जाता है।

प्रकाश पर्व और अरदास
श्रद्धालु शहीदों की आत्मा की शांति और सिख धर्म की समृद्धि के लिए सामूहिक अरदास करते हैं।

प्रेरणादायक भाषण और चर्चा
सिख धर्मगुरु और विद्वान शहादत के महत्व और धर्म के प्रति साहिबजादों की निष्ठा पर प्रकाश डालते हैं।

सेवा कार्य
लंगर और अन्य सेवा कार्यों के माध्यम से सिख समुदाय गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करता है।

सिख शहीदी सप्ताह का संदेश
धर्म की रक्षा: साहिबजादों की शहादत यह सिखाती है कि धर्म और सत्य की रक्षा के लिए किसी भी प्रकार का त्याग किया जा सकता है।
मानवता और न्याय: यह सप्ताह हमें न्याय, समर्पण और मानवता की सेवा के लिए प्रेरित करता है।
अहिंसा और करुणा: साहिबजादों की कहानी हमें यह सिखाती है कि अत्याचारों का सामना साहस और धैर्य के साथ करना चाहिए।
निष्कर्ष
सिख शहीदी सप्ताह केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह मानवता के प्रति अपने कर्तव्य को याद करने और धर्म के मार्ग पर अडिग रहने का प्रतीक है। गुरु गोबिंद सिंह जी और उनके साहिबजादों का बलिदान हमें सिख धर्म की महानता और उसके मूल्यों को समझने का अवसर प्रदान करता है। यह सप्ताह हमें याद दिलाता है कि सत्य और धर्म की राह पर चलने के लिए साहस, त्याग और अटूट विश्वास की आवश्यकता होती है।

"जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल!"

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20 Dec, 10:36


अंतरराष्ट्रीय मानव एकजुटता दिवस (Antarashtriya Manav Ekjutata Divas)

अंतरराष्ट्रीय मानव एकजुटता दिवस हर साल 20 दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिन संयुक्त राष्ट्र द्वारा मानव एकजुटता के महत्व को रेखांकित करने और दुनिया भर में एकता, सहयोग और सहानुभूति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से समर्पित है।

महत्व और उद्देश्य
इस दिन का मुख्य उद्देश्य मानवता के बीच भाईचारे, एकजुटता और सहयोग की भावना को प्रोत्साहित करना है। यह विभिन्न समुदायों और देशों के बीच समन्वय स्थापित करने और वैश्विक चुनौतियों से एक साथ निपटने की प्रतिबद्धता को मजबूत करने का अवसर प्रदान करता है।

इतिहास
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 22 दिसंबर 2005 को संकल्प 60/209 के तहत अंतरराष्ट्रीय मानव एकजुटता दिवस को आधिकारिक मान्यता दी। इसे 2005 के विश्व शिखर सम्मेलन में गरीबी उन्मूलन और सामाजिक विकास के उद्देश्यों को बढ़ावा देने के लिए अपनाया गया था। यह दिन संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा मान्यता प्राप्त है, जो दुनिया भर में समानता और समावेशन पर काम करता है।

एकजुटता का महत्व
सामाजिक समानता: यह दिन गरीबी, भेदभाव और अन्य सामाजिक असमानताओं के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने का संदेश देता है।
वैश्विक चुनौतियां: जलवायु परिवर्तन, महामारी, अशिक्षा और गरीबी जैसी समस्याओं का समाधान एकजुटता के माध्यम से ही संभव है।
सांस्कृतिक विविधता: यह दिन विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों और समुदायों के बीच सम्मान और समझ को बढ़ावा देता है।
मुख्य उद्देश्य
गरीबी उन्मूलन: संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को हासिल करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करता है।
मानव अधिकारों की रक्षा: यह दिन सभी व्यक्तियों के अधिकारों और स्वतंत्रता की सुरक्षा को सुनिश्चित करता है।
सामाजिक समावेशन: समाज में हर व्यक्ति को समान अवसर प्रदान करने का आह्वान करता है।
अंतरराष्ट्रीय मानव एकजुटता दिवस का महत्व आज के समय में
आज की दुनिया में जहां विभाजन, हिंसा और असमानता तेजी से बढ़ रही है, ऐसे में यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि हम सभी एक ही मानवता के हिस्से हैं। आपदाओं, संघर्षों और अन्य चुनौतियों का सामना करने के लिए हमें आपसी सहयोग और समझदारी की आवश्यकता है।

कैसे मनाएं यह दिवस?
शिक्षा और जागरूकता: स्कूलों, कॉलेजों और समुदायों में कार्यशालाएं और सेमिनार आयोजित किए जा सकते हैं।
सहायता कार्य: जरूरतमंदों की मदद के लिए धन जुटाना, खाद्य वितरण करना और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना।
सांस्कृतिक कार्यक्रम: विभिन्न संस्कृतियों और समुदायों के बीच समरसता बढ़ाने के लिए कार्यक्रम आयोजित करना।
निष्कर्ष
अंतरराष्ट्रीय मानव एकजुटता दिवस न केवल एक दिन है, बल्कि यह एक ऐसा संदेश है जो हमें यह सिखाता है कि दुनिया में शांति और समृद्धि केवल तभी संभव है जब हम सभी एकजुट होकर काम करें। यह दिवस हमें हमारी मानवता के प्रति हमारी जिम्मेदारियों की याद दिलाता है और एक बेहतर, समानता आधारित समाज के निर्माण का संकल्प लेने का अवसर प्रदान करता है।

"हम सभी एक हैं, और हमारी एकता ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।"

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19 Dec, 18:43


समीक्षा इंस्टिट्यूट, ग्वालियर द्वारा, MPPSC अभ्यर्थियों के आंदोलन का समर्थन करते हुए आर्थिक योगदान दिया है।

हम आपसे अपील करते हैं कि इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए यथासंभव सहयोग करें। यह संघर्ष छात्रों के भविष्य का है, आइए इसे मिलकर मजबूत करें।

#MPPSC_PROTEST
NEYU CHANNEL (आंदोलन का संगठन)
https://t.me/NEYUOFFICIAL

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19 Dec, 18:19


समीक्षा इंस्टिट्यूट, ग्वालियर द्वारा, MPPSC अभ्यर्थियों के आंदोलन का समर्थन करते हुए आर्थिक योगदान दिया है।

हम आपसे अपील करते हैं कि इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए यथासंभव सहयोग करें। यह संघर्ष छात्रों के भविष्य का है, आइए इसे मिलकर मजबूत करें।

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NEYU CHANNEL (आंदोलन का संगठन)
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19 Dec, 17:45


अपील: छात्रों के भविष्य के लिए आगे आएं

मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) में हो रही अनियमितताओं और लापरवाही के कारण छात्रों का भविष्य अंधकार में है। इंदौर में छात्रों द्वारा चलाए जा रहे महा आंदोलन में आप सभी का समर्थन आवश्यक है। यह केवल आंदोलन नहीं, बल्कि छात्रों के हक और न्याय की लड़ाई है।

मुख्य समस्याएं:

परीक्षा और इंटरव्यू समय पर नहीं हो रहे।
अंक और मुख्य परीक्षा की कॉपियां नहीं दिखाई जा रहीं।
पारदर्शिता की कमी से आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल।


हमारी जिम्मेदारी:
आज यह समस्या किसी और की है, लेकिन कल आप भी इससे प्रभावित हो सकते हैं। इसलिए छात्रों के हितों के लिए आवाज़ उठाना हम सभी का कर्तव्य है।

आपसे निवेदन:
👉 बड़ी संख्या में इंदौर पहुंचकर आंदोलन का समर्थन करें।
👉 इस मुद्दे को सोशल मीडिया और अन्य मंचों पर उठाएं।
👉 अन्य साथियों को जागरूक करें।

छात्रों का यह संघर्ष केवल वर्तमान के लिए नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य के लिए है। आइए, इसे एक जन आंदोलन बनाएं और अपने अधिकारों के लिए खड़े हों।

"आपकी भागीदारी से ही बदलाव संभव है।"

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19 Dec, 15:58


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03 Dec, 12:15


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03 Dec, 10:47


पंचमहायज्ञ ( MPPSC 2025 ).pdf

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03 Dec, 10:20


खुदीराम बोस: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अमर बलिदानी

खुदीराम बोस का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। वह उन युवा क्रांतिकारियों में से एक थे जिन्होंने अंग्रेज़ों के शासन को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया। उनका साहस, दृढ़ निश्चय और मातृभूमि के प्रति प्रेम हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

प्रारंभिक जीवन
खुदीराम बोस का जन्म 3 दिसंबर 1889 को पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले के हबीबपुर गांव में हुआ था। उनके पिता त्रैलोक्यनाथ बोस एक तहसीलदार थे और माता लक्ष्मीप्रिया देवी धार्मिक विचारों वाली महिला थीं। खुदीराम के बचपन में ही उनके माता-पिता का निधन हो गया, जिसके बाद उनकी बहन ने उनका पालन-पोषण किया।

खुदीराम बचपन से ही स्वतंत्रता संग्राम की ओर आकर्षित थे। वह वीरता की कहानियाँ सुनकर प्रेरित होते थे और उन्होंने अपने देश को विदेशी शासन से मुक्त कराने का प्रण लिया।

स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
1905 में बंगाल विभाजन के बाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा मिली। विभाजन के विरोध में 'स्वदेशी आंदोलन' शुरू हुआ, जिसने युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। खुदीराम बोस इस आंदोलन से गहराई से प्रभावित हुए और उन्होंने क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लेना शुरू किया।

16 साल की उम्र में, खुदीराम ने पहली बार बम फेंकने की योजना बनाई। उन्होंने क्रांतिकारी संगठन "अनुशीलन समिति" के साथ काम किया, जो अंग्रेज़ी हुकूमत के खिलाफ सशस्त्र क्रांति की वकालत करता था।

मुकदमा और बलिदान
1908 में मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी किंग्सफोर्ड को मारने की योजना बनाई गई। किंग्सफोर्ड अपनी क्रूरता और भारतीयों के प्रति भेदभावपूर्ण रवैये के लिए कुख्यात था। खुदीराम और प्रफुल्ल चाकी को यह कार्य सौंपा गया। 30 अप्रैल 1908 को उन्होंने मुजफ्फरपुर क्लब के पास बम फेंका, लेकिन दुर्भाग्यवश वह किंग्सफोर्ड के बजाय एक अन्य गाड़ी पर गिरा, जिसमें दो ब्रिटिश महिलाएँ मारी गईं।

घटना के बाद खुदीराम और प्रफुल्ल चाकी को पुलिस ने पकड़ने की कोशिश की। प्रफुल्ल चाकी ने खुद को गोली मार ली, जबकि खुदीराम को गिरफ्तार कर लिया गया। मुकदमे के बाद 11 अगस्त 1908 को उन्हें मात्र 18 वर्ष की आयु में फांसी दे दी गई।

प्रभाव और विरासत
खुदीराम बोस का बलिदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अमर हो गया। उनकी मृत्यु ने युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। आज भी उनका नाम देशभक्ति और साहस का प्रतीक है।

उनकी याद में कई स्थानों पर उनकी मूर्तियाँ स्थापित की गई हैं और सड़कों के नाम उनके सम्मान में रखे गए हैं। खुदीराम बोस की कहानी हमें यह सिखाती है कि मातृभूमि के लिए समर्पण और बलिदान से बड़ा कोई धर्म नहीं है।

निष्कर्ष
खुदीराम बोस ने अपने छोटे से जीवन में वह कर दिखाया जो इतिहास में दुर्लभ है। उनकी कहानी हमें बताती है कि यदि संकल्प मजबूत हो तो कोई भी बाधा हमें अपने लक्ष्य तक पहुँचने से रोक नहीं सकती। उनका बलिदान हर भारतीय को स्वतंत्रता और न्याय के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने की प्रेरणा देता रहेगा।

भारत माता के इस सच्चे सपूत को शत-शत नमन!

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03 Dec, 10:18


मेजर ध्यानचंद: भारतीय हॉकी के जादूगर

मेजर ध्यानचंद का नाम भारतीय खेल इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। हॉकी के मैदान में उनकी कुशलता और खेल के प्रति समर्पण ने उन्हें न केवल भारत का गौरव बनाया, बल्कि उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान दिलाई।

प्रारंभिक जीवन
ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज), उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनका पूरा नाम ध्यान सिंह था, लेकिन खेल के प्रति उनकी लगन और चांद की रोशनी में अभ्यास करने की आदत के कारण उन्हें "चंद" नाम से पुकारा जाने लगा। उनके पिता सेना में थे, इसलिए उनका परिवार अक्सर एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित होता था।

ध्यानचंद ने औपचारिक शिक्षा में ज्यादा ध्यान नहीं दिया और कम उम्र में ही सेना में भर्ती हो गए। यहीं से उनके हॉकी करियर की शुरुआत हुई।

हॉकी करियर
ध्यानचंद ने भारतीय हॉकी टीम के लिए 1926 से 1948 तक खेला। इस दौरान उन्होंने तीन ओलंपिक (1928, 1932 और 1936) में भारत को स्वर्ण पदक दिलाया। उनके खेल का जादू ऐसा था कि विरोधी टीमों के खिलाड़ी और दर्शक उनकी हॉकी स्टिक में गोंद होने की बात तक करने लगे।

1936 के बर्लिन ओलंपिक में उन्होंने अपनी कप्तानी में भारत को स्वर्ण पदक दिलाया। इस टूर्नामेंट में भारतीय टीम ने जर्मनी को 8-1 से हराया। इस मैच में ध्यानचंद ने अद्भुत प्रदर्शन करते हुए विरोधी टीम को पूरी तरह से मात दी।

ध्यानचंद का खेल कौशल
ध्यानचंद का खेल कौशल अद्वितीय था। उनकी ड्रिब्लिंग, पासिंग, और गोल करने की क्षमता अद्भुत थी। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय करियर में 400 से अधिक गोल किए।
उनके खेल प्रदर्शन का सम्मान करते हुए जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने उन्हें अपनी सेना में उच्च पद की पेशकश की, जिसे ध्यानचंद ने विनम्रता से अस्वीकार कर दिया।

सम्मान और उपलब्धियां
ध्यानचंद के जन्मदिन (29 अगस्त) को भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
उनके सम्मान में भारत सरकार ने 1956 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया।
1979 में उनके नाम पर भारतीय डाक विभाग ने डाक टिकट जारी किया।
नई दिल्ली में स्थित ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम उनके प्रति श्रद्धांजलि का प्रतीक है।
व्यक्तिगत जीवन
ध्यानचंद बेहद सरल और विनम्र स्वभाव के व्यक्ति थे। खेल से संन्यास लेने के बाद उन्होंने खेल कोच के रूप में अपनी सेवाएं दीं।

ध्यानचंद का प्रभाव
ध्यानचंद ने हॉकी को भारत में नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनकी खेल भावना और उपलब्धियों ने भारतीय युवाओं को प्रेरित किया। आज भी वे हर खिलाड़ी के लिए आदर्श हैं।

निधन
ध्यानचंद का निधन 3 दिसंबर 1979 को हुआ। उनके जाने के बाद भी उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी।

निष्कर्ष
मेजर ध्यानचंद न केवल भारतीय हॉकी के जादूगर थे, बल्कि वे भारतीय खेल जगत के महानतम खिलाड़ियों में से एक हैं। उनका जीवन और उपलब्धियां हम सभी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।

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03 Dec, 10:15


विश्व विकलांग दिवस: विशेष दिवस, समावेश और सशक्तिकरण का प्रतीक

परिचय
विश्व विकलांग दिवस (International Day of Persons with Disabilities) हर वर्ष 3 दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों, गरिमा और समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। इसकी शुरुआत संयुक्त राष्ट्र ने 1992 में की थी। इसका उद्देश्य विकलांग व्यक्तियों के प्रति समाज में जागरूकता बढ़ाना और उनके समावेशी विकास के लिए कार्य करना है।

महत्व और उद्देश्य
सामाजिक जागरूकता:
समाज में विकलांग व्यक्तियों के प्रति संवेदनशीलता और समानता का भाव उत्पन्न करना।

सशक्तिकरण:
विकलांग व्यक्तियों को स्वावलंबी बनाने के लिए शिक्षा, रोजगार और तकनीकी सहायता को बढ़ावा देना।

नीतियों का निर्माण:
सरकारों और संगठनों को विकलांग व्यक्तियों के लिए समावेशी नीतियां बनाने के लिए प्रेरित करना।

समाज में भागीदारी:
विकलांग व्यक्तियों को मुख्यधारा में शामिल कर उनके अधिकारों और योगदान को मान्यता देना।

विषय (थीम) 2024
हर वर्ष विश्व विकलांग दिवस एक विशेष थीम पर आधारित होता है। 2024 की थीम “समावेशी समाज की ओर: सभी के लिए समान अवसर” है। यह थीम विकलांग व्यक्तियों के समग्र विकास और समान अवसर सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।

भारत में विकलांग व्यक्तियों की स्थिति
भारत में विकलांग व्यक्तियों को "दिव्यांग" कहा जाता है, जिसका अर्थ है "विशेष अंगों वाले व्यक्ति"। भारतीय संविधान और कानून जैसे 'दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016' ने विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

भारत सरकार द्वारा प्रमुख योजनाएं:
सुगम्य भारत अभियान:
विकलांग व्यक्तियों के लिए सार्वजनिक स्थानों को अधिक सुलभ बनाना।

दिव्यांग पेंशन योजना:
आर्थिक रूप से कमजोर दिव्यांगों को वित्तीय सहायता।

दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग:
विकलांग व्यक्तियों के समावेशी विकास के लिए विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों का संचालन।

विश्व विकलांग दिवस का महत्व क्यों है?
अवसर प्रदान करना:
यह दिन विकलांग व्यक्तियों की प्रतिभा और क्षमताओं को प्रदर्शित करने का अवसर देता है।

भेदभाव को समाप्त करना:
समाज में व्याप्त विकलांगता से जुड़े पूर्वाग्रहों और भेदभाव को मिटाने की दिशा में कदम उठाया जाता है।

सामाजिक समरसता:
यह दिन विकलांग व्यक्तियों के साथ समाज के हर वर्ग को जोड़ने का संदेश देता है।

कैसे मनाया जाता है यह दिवस?
कार्यक्रम और वर्कशॉप्स:
विभिन्न संस्थाओं द्वारा दिव्यांग व्यक्तियों के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

सम्मान समारोह:
इस दिन उन विकलांग व्यक्तियों को सम्मानित किया जाता है जिन्होंने समाज में विशेष योगदान दिया हो।

स्पोर्ट्स और सांस्कृतिक आयोजन:
दिव्यांग व्यक्तियों के लिए खेल और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

चुनौतियां और समाधान
चुनौतियां:
भौतिक और डिजिटल ढांचागत सुविधाओं की कमी।
रोजगार और शिक्षा में असमानता।
समाज में जागरूकता की कमी।
समाधान:
समावेशी नीति और योजनाओं का कार्यान्वयन।
जागरूकता अभियान।
सार्वजनिक स्थानों और सेवाओं को सुलभ बनाना।
निष्कर्ष
विश्व विकलांग दिवस केवल एक दिन मनाने का विषय नहीं है; यह हमारे समाज की मानसिकता बदलने और विकलांग व्यक्तियों को समान अधिकार देने का अवसर है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर व्यक्ति को अपनी क्षमताओं को प्रदर्शित करने का अवसर मिले और उन्हें आत्मनिर्भर बनने में सहायता मिले।

"सभी के लिए समान अवसर" के लक्ष्य को पूरा करने के लिए समाज, सरकार और हर नागरिक को एकजुट होकर काम करना होगा।

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03 Dec, 10:14


अधिवक्ता दिवस (Adhivakta Divas)

परिचय:
भारत में अधिवक्ता दिवस (Advocate’s Day) हर साल 3 दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिन भारतीय विधि प्रणाली में वकीलों के योगदान को सम्मानित करने और समाज में न्याय की प्रक्रिया में उनकी भूमिका को मान्यता देने के लिए समर्पित है। इस दिन को खासतौर पर डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जो भारत के पहले राष्ट्रपति और एक प्रतिष्ठित अधिवक्ता थे।

अधिवक्ता दिवस का महत्व
अधिवक्ता दिवस समाज में न्याय और विधि व्यवस्था बनाए रखने के लिए वकीलों के योगदान को रेखांकित करता है। वकील न केवल अदालतों में मुवक्किलों के लिए न्याय की पैरवी करते हैं, बल्कि वे सामाजिक और राजनीतिक सुधारों के लिए भी काम करते हैं।
यह दिन विशेष रूप से युवा अधिवक्ताओं को उनके कर्तव्यों और नैतिकता के प्रति जागरूक करता है। यह अधिवक्ताओं को यह याद दिलाता है कि उनके पेशे का मुख्य उद्देश्य समाज में समानता और न्याय की स्थापना करना है।

डॉ. राजेंद्र प्रसाद का योगदान
डॉ. राजेंद्र प्रसाद न केवल एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि एक कुशल वकील भी थे। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई और विधि क्षेत्र में भी अपनी कुशलता का प्रदर्शन किया। उनकी न्यायप्रियता, विनम्रता, और कर्तव्यनिष्ठा आज भी अधिवक्ताओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
उन्होंने अपने करियर में यह साबित किया कि एक वकील केवल मुवक्किल के अधिकारों का रक्षक नहीं होता, बल्कि समाज के प्रति उसकी गहरी जिम्मेदारी होती है।

अधिवक्ता दिवस पर होने वाले कार्यक्रम
सम्मेलन और संगोष्ठियां:
इस दिन अधिवक्ताओं के लिए विशेष संगोष्ठियां और कानूनी संगठनों द्वारा कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इनमें विधि क्षेत्र के समकालीन मुद्दों पर चर्चा की जाती है।

सम्मान समारोह:
अधिवक्ता दिवस के अवसर पर प्रतिष्ठित वकीलों और न्यायिक अधिकारियों को उनके योगदान के लिए सम्मानित किया जाता है।

युवाओं के लिए जागरूकता कार्यक्रम:
युवा अधिवक्ताओं को विधिक नैतिकता, सामाजिक उत्तरदायित्व और उनके कर्तव्यों के बारे में जागरूक किया जाता है।

न्याय प्रणाली में वकीलों की भूमिका
संविधान का संरक्षक:
वकील संविधान और कानून का पालन करते हुए न्यायालयों में पैरवी करते हैं।

मौलिक अधिकारों की रक्षा:
वे नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करते हैं और कानून के दायरे में न्याय दिलाने का प्रयास करते हैं।

सामाजिक न्याय:
वकील समाज के उपेक्षित वर्गों की मदद करते हैं और उनकी आवाज बनते हैं।

अधिवक्ता दिवस का संदेश
अधिवक्ता दिवस यह संदेश देता है कि समाज में विधिक पेशेवरों का काम केवल एक करियर नहीं, बल्कि सेवा का माध्यम है। यह दिन वकीलों को उनकी नैतिकता, पारदर्शिता और समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारी की याद दिलाता है।

निष्कर्ष:
अधिवक्ता दिवस न केवल भारतीय न्याय प्रणाली में वकीलों की भूमिका को पहचानने का अवसर है, बल्कि समाज में न्याय, समानता और सत्य की स्थापना के लिए उनके प्रयासों की सराहना करने का भी दिन है। यह दिन विधिक क्षेत्र में नए लक्ष्यों को प्राप्त करने और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को दोहराने का एक प्रेरणादायक अवसर प्रदान करता है।

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03 Dec, 10:12


डॉ. राजेंद्र प्रसाद: भारत के प्रथम राष्ट्रपति
डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता, एक महान शिक्षाविद, और भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे। उन्होंने अपने जीवन का हर क्षण देश और समाज की सेवा में समर्पित किया। उनकी सादगी, ईमानदारी, और अद्वितीय नेतृत्व क्षमता के कारण वे "अजातशत्रु" के नाम से प्रसिद्ध हुए। आइए, उनके जीवन के प्रमुख पहलुओं पर प्रकाश डालते हैं।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 को बिहार के सीवान जिले के जीरादेई गाँव में हुआ था। उनका परिवार एक समृद्ध जमींदार ब्राह्मण परिवार था। उनके पिता महादेव सहाय संस्कृत और फारसी के विद्वान थे, और उनकी माता कमलेश्वरी देवी धर्मपरायण महिला थीं।

राजेंद्र प्रसाद बचपन से ही प्रतिभाशाली छात्र थे। उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की और अपनी शिक्षा में कई बार उच्चतम अंक प्राप्त किए। 1915 में उन्होंने कानून में मास्टर्स (एलएलएम) किया और डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।

स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका
डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भाग लिया। उन्होंने चंपारण सत्याग्रह (1917) और खेड़ा सत्याग्रह (1918) में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन आंदोलनों ने उन्हें गांधीजी के करीब ला दिया।

1920 में उन्होंने अपने पेशेवर करियर को छोड़कर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में पूर्णकालिक योगदान देना शुरू किया। वे कांग्रेस के विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर रहे और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई बार जेल गए।

संविधान सभा और भारत का पहला राष्ट्रपति
1946 में डॉ. राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का अध्यक्ष चुना गया। उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में एक निर्णायक भूमिका निभाई। उनकी नेतृत्व क्षमता और संयम ने संविधान सभा में कई कठिनाइयों को हल करने में मदद की।

26 जनवरी 1950 को जब भारत गणराज्य बना, तो डॉ. राजेंद्र प्रसाद को सर्वसम्मति से भारत का पहला राष्ट्रपति चुना गया। वे 1950 से 1962 तक इस पद पर रहे और लगातार दो बार राष्ट्रपति बनने वाले इकलौते व्यक्ति हैं।

सादगी और व्यक्तित्व
डॉ. राजेंद्र प्रसाद अपनी सादगी और नैतिक मूल्यों के लिए प्रसिद्ध थे। राष्ट्रपति रहते हुए भी वे बेहद साधारण जीवन जीते थे। उनकी सादगी का यह आलम था कि वे अपने भोजन और कपड़ों पर कम से कम खर्च करते थे।

उनकी यह विशेषता देशवासियों के दिलों में उनके प्रति सम्मान और प्यार बढ़ाती थी। वे हमेशा राष्ट्रहित को अपने व्यक्तिगत हितों से ऊपर रखते थे।

पुरस्कार और सम्मान
1962 में, राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद, उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। यह भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, जो उनके देश के प्रति समर्पण और योगदान को मान्यता देता है।

निधन
डॉ. राजेंद्र प्रसाद का निधन 28 फरवरी 1963 को पटना में हुआ। उनका जीवन देशभक्ति, समर्पण, और सादगी का अद्वितीय उदाहरण है। आज भी वे भारतीयों के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं।

निष्कर्ष
डॉ. राजेंद्र प्रसाद न केवल एक महान नेता थे, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं के प्रतीक भी थे। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चे नेतृत्व और निस्वार्थ सेवा से ही समाज और देश का कल्याण संभव है। उनके योगदान को भारतीय इतिहास में सदैव स्मरण किया जाएगा।

“सच्चा नेता वही है जो खुद को लोगों की सेवा में समर्पित कर दे।” - डॉ. राजेंद्र प्रसाद

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03 Dec, 05:11


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03 Dec, 04:54


Bilingual Weekly Current affairs -
03 November 2024

Hindi and English medium
Detailed news
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02 Dec, 12:51


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02 Dec, 10:27


राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस: महत्व, उद्देश्य और उपाय
राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस हर साल 2 दिसंबर को मनाया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य लोगों को प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों के प्रति जागरूक करना और इसे रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाना है। यह दिन विशेष रूप से 1984 की भोपाल गैस त्रासदी में मारे गए हजारों निर्दोष लोगों की स्मृति में मनाया जाता है।

राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस का इतिहास
भोपाल गैस त्रासदी का संदर्भ
2-3 दिसंबर 1984 की रात को मध्य प्रदेश के भोपाल में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) नामक जहरीली गैस का रिसाव हुआ। यह मानव इतिहास की सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक थी।

इस दुर्घटना में 3,000 से अधिक लोगों की तुरंत मृत्यु हो गई।
15,000 से अधिक लोग धीरे-धीरे अपनी जान गंवा बैठे।
लाखों लोग गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझते रहे, जिनमें श्वसन रोग, त्वचा रोग और जन्म दोष शामिल थे।
इस त्रासदी के बाद प्रदूषण नियंत्रण और औद्योगिक सुरक्षा पर जोर दिया गया। राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस इस घटना के पीड़ितों को श्रद्धांजलि अर्पित करने और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कदम उठाने के लिए समर्पित है।

राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस के उद्देश्य
प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों के प्रति जागरूकता बढ़ाना:
वायु, जल, और ध्वनि प्रदूषण के दुष्प्रभावों को समझाना।
पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहन देना:
औद्योगिक प्रक्रियाओं में पर्यावरणीय मानकों का पालन सुनिश्चित करना।
औद्योगिक दुर्घटनाओं को रोकना:
सुरक्षित औद्योगिक प्रथाओं और आपातकालीन योजनाओं का प्रचार करना।
नए पर्यावरणीय उपायों की पहचान:
प्रदूषण नियंत्रण के लिए नई तकनीकों और रणनीतियों को अपनाना।
भारत में प्रदूषण के प्रकार और उनके प्रभाव
1. वायु प्रदूषण
कारण: वाहनों से निकलने वाला धुआँ, औद्योगिक उत्सर्जन, पराली जलाना।
प्रभाव: श्वसन रोग, हृदय संबंधी बीमारियाँ, जलवायु परिवर्तन।
2. जल प्रदूषण
कारण: फैक्ट्रियों से बहने वाला अपशिष्ट, घरेलू कचरा, प्लास्टिक का उपयोग।
प्रभाव: पीने योग्य पानी की कमी, जलीय जीवन का विनाश।
3. मिट्टी का प्रदूषण
कारण: रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक, औद्योगिक कचरा।
प्रभाव: फसल उत्पादन में कमी, भूमि की उर्वरता का ह्रास।
4. ध्वनि प्रदूषण
कारण: वाहनों का शोर, औद्योगिक उपकरण, निर्माण कार्य।
प्रभाव: सुनने की क्षमता का नुकसान, तनाव और अनिद्रा।
प्रदूषण रोकने के लिए सरकारी प्रयास
1. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
भारत में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और राज्य स्तर के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कार्यरत हैं।
ये बोर्ड प्रदूषण मानकों का निर्धारण और पालन सुनिश्चित करते हैं।
2. राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP)
2019 में शुरू किया गया यह कार्यक्रम वायु गुणवत्ता में सुधार करने और प्रदूषण को 20-30% तक कम करने का लक्ष्य रखता है।
3. जल संरक्षण और स्वच्छता अभियान
नमामि गंगे परियोजना: गंगा नदी की सफाई के लिए।
स्वच्छ भारत अभियान: कचरा प्रबंधन और स्वच्छता पर जोर।
4. वाहनों के लिए BS-VI मानक
वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए BS-VI उत्सर्जन मानक लागू किए गए हैं।
प्रदूषण नियंत्रण में हमारा योगदान
वाहनों का सीमित उपयोग:

सार्वजनिक परिवहन, साइकिल, और कारपूल का उपयोग करें।
प्लास्टिक का कम उपयोग:

एकल-उपयोग प्लास्टिक का बहिष्कार करें और पुन: उपयोग योग्य सामग्री अपनाएँ।
ऊर्जा संरक्षण:

बिजली बचाने के लिए LED बल्ब और ऊर्जा दक्ष उपकरणों का उपयोग करें।
पुनर्चक्रण (Recycling):

कचरे को पुनर्चक्रण कर पर्यावरणीय दबाव कम करें।
पेड़ लगाना और हरित क्षेत्र बढ़ाना:

वृक्षारोपण से वायु गुणवत्ता में सुधार होता है और कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण होता है।
राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस का महत्व
भोपाल गैस त्रासदी की याद:

यह दिन हमें उन निर्दोष लोगों की याद दिलाता है जिन्होंने प्रदूषण के कारण अपनी जान गंवाई।
प्रदूषण के खिलाफ कार्रवाई का प्रेरणास्रोत:

यह दिन पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए ठोस कदम उठाने की प्रेरणा देता है।
सतत विकास के लिए जागरूकता:

यह दिवस लोगों को पर्यावरण और विकास के बीच संतुलन बनाने का महत्व समझाता है।
निष्कर्ष
राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस न केवल एक स्मरण दिवस है, बल्कि यह एक चेतावनी भी है कि यदि प्रदूषण को नियंत्रित नहीं किया गया, तो इसका दुष्प्रभाव आने वाली पीढ़ियों पर पड़ेगा। हमें अपने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर कदम उठाने की आवश्यकता है।
"स्वच्छ पर्यावरण, स्वस्थ जीवन" का संदेश हमें अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए।

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30 Nov, 19:17


https://youtu.be/7ahbY1e7b_4?si=l4ZCYmVWr2TRCm14

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30 Nov, 05:58


Bilingual Weekly Current affairs -
30 November 2024

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30 Nov, 05:58


कंप्यूटर सुरक्षा दिवस (Computer Security Day) हर साल 30 नवंबर को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को कंप्यूटर सुरक्षा और उनके व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा के महत्व के प्रति जागरूक करना है।

इस दिन का उद्देश्य:
साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाना:
डिजिटल युग में व्यक्तिगत और पेशेवर डेटा को सुरक्षित रखना बहुत महत्वपूर्ण है। यह दिन लोगों को सुरक्षा उपायों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है।

सुरक्षा उपायों की याद दिलाना:

पासवर्ड बदलना और मजबूत पासवर्ड का उपयोग करना।
अपने कंप्यूटर और मोबाइल डिवाइस पर एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर इंस्टॉल करना।
फायरवॉल और डेटा एन्क्रिप्शन का उपयोग करना।
डेटा प्राइवेसी का महत्व:
डेटा लीक और हैकिंग के बढ़ते मामलों को देखते हुए, यह दिन डेटा प्राइवेसी की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

संगठनों के लिए:
कंपनियों और संगठनों को अपने सिस्टम की सुरक्षा को सुनिश्चित करने, नियमित बैकअप लेने और कर्मचारियों को साइबर सुरक्षा के महत्व के बारे में शिक्षित करने के लिए प्रेरित किया जाता है।

आप क्या कर सकते हैं?
अपने डिवाइस का नियमित बैकअप लें।
संदिग्ध ईमेल, लिंक या वेबसाइट से बचें।
नियमित रूप से सॉफ़्टवेयर अपडेट करें।
किसी भी सार्वजनिक वाई-फाई का उपयोग करते समय सतर्क रहें।
कंप्यूटर सुरक्षा दिवस का महत्व:
आज के युग में, जहां साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं, यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि हमारी डिजिटल जानकारी को सुरक्षित रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। सुरक्षा उपाय अपनाने से न केवल व्यक्तिगत डेटा, बल्कि व्यवसायिक और संवेदनशील जानकारियों को भी सुरक्षित रखा जा सकता है।

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30 Nov, 05:57


डॉ. जगदीश चंद्र बोस (1858–1937) भारत के महान वैज्ञानिक, भौतिकविद्, और जीवविज्ञानी थे। उन्हें आधुनिक भारतीय विज्ञान का जनक माना जाता है। वे अपने समय के अद्वितीय वैज्ञानिक थे जिन्होंने भौतिकी, जीवविज्ञान और रेडियो विज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया।

डॉ. जगदीश चंद्र बोस के प्रमुख योगदान:
रेडियो विज्ञान में योगदान:
डॉ. बोस ने 1895 में रेडियो तरंगों पर शोध किया और उनके प्रसारण को प्रदर्शित किया। उन्होंने मारconi से पहले ही इस क्षेत्र में काम किया था। हालांकि, उन्होंने अपने शोध का व्यावसायिक पेटेंट नहीं कराया, क्योंकि उनका मानना था कि विज्ञान मानवता के लिए होना चाहिए।

पौधों में संवेदनशीलता का प्रमाण:
उन्होंने यह सिद्ध किया कि पौधों में भी संवेदनशीलता होती है और वे बाहरी प्रभावों (जैसे गर्मी, ठंड, और प्रकाश) का अनुभव कर सकते हैं। इसके लिए उन्होंने क्रेस्कोग्राफ नामक उपकरण का आविष्कार किया।

भौतिकी और माइक्रोवेव रिसर्च:
डॉ. बोस ने माइक्रोवेव (सूक्ष्म तरंगों) पर शोध किया और उनकी व्यवहारिकता को समझाने के लिए उपकरण तैयार किए। उनके कार्य ने रेडियो और दूरसंचार तकनीक को नया आयाम दिया।

साहित्य और विज्ञान का संगम:
वे न केवल वैज्ञानिक थे, बल्कि एक साहित्य प्रेमी भी थे। उनके लेखन में भारतीय दर्शन और विज्ञान का गहरा मिश्रण देखने को मिलता है।

बोस रिसर्च इंस्टीट्यूट:
उन्होंने 1917 में बोस रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना की, जो भारत का पहला आधुनिक शोध संस्थान था। यह संस्थान आज भी उनके योगदान को आगे बढ़ा रहा है।

सम्मान और उपलब्धियां:
वे रॉयल सोसाइटी ऑफ लंदन के सदस्य बनने वाले पहले भारतीय वैज्ञानिक थे।
उनका काम न केवल भारत, बल्कि वैश्विक स्तर पर विज्ञान को प्रभावित करता है।
डॉ. जगदीश चंद्र बोस ने विज्ञान को मानवता के लिए एक साधन माना और अपने समर्पण और विचारों से देश को गौरवान्वित किया। उनके कार्य आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं।

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30 Nov, 05:26


राजीव दीक्षित जी एक प्रसिद्ध भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता, विचारक और स्वदेशी आंदोलन के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने अपने जीवन को भारतीय संस्कृति, स्वास्थ्य और शासन के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्पित कर दिया। राजीव दीक्षित भारतीय परंपराओं, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों के प्रबल पक्षधर थे।

राजीव दीक्षित जी के कार्यों की मुख्य विशेषताएं:
स्वदेशी आंदोलन:
उन्होंने भारतीय उत्पादों के उपयोग और स्वनिर्भर जीवन शैली को अपनाने पर जोर दिया, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ किया जा सके।

स्वास्थ्य और प्राकृतिक चिकित्सा:
उन्होंने आयुर्वेद और पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धतियों के लाभों को समझाया और एलोपैथिक उपचार पर निर्भरता को कम करने की सलाह दी।

सामाजिक जागरूकता:
राजीव दीक्षित ने वैश्वीकरण के दुष्प्रभावों और भारतीय सांस्कृतिक व ऐतिहासिक धरोहरों को बचाने की आवश्यकता पर जागरूकता फैलाई।

व्याख्यान और भाषण:
उन्होंने भारत भर में यात्रा की और राजनीति, अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य जैसे विभिन्न विषयों पर प्रभावशाली व्याख्यान दिए।

भारतीय स्वाभिमान ट्रस्ट:
बाबा रामदेव द्वारा स्थापित इस ट्रस्ट से जुड़े हुए थे, जो सामाजिक सुधार और स्वदेशी अभियान को बढ़ावा देने पर काम करता है।

राजीव दीक्षित जी का 30 नवंबर 2010 को निधन हो गया, लेकिन उनके विचार और शिक्षाएं आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं।

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29 Nov, 04:51


https://youtube.com/shorts/-p2HS3b6E1c?feature=share

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29 Nov, 04:48


इंटरनेशनल सिस्टम इंजीनियर डे (International Systems Engineer Day) हर साल नवंबर के आखिरी गुरुवार को मनाया जाता है। यह दिन उन इंजीनियरों और तकनीकी पेशेवरों को समर्पित है जो जटिल सिस्टम डिज़ाइन, प्रबंधन और उनके प्रभावी संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

इस दिन का महत्व:
सिस्टम इंजीनियरों का योगदान:
सिस्टम इंजीनियर विभिन्न क्षेत्रों जैसे आईटी, एयरोस्पेस, रक्षा, हेल्थकेयर, और मैन्युफैक्चरिंग में तकनीकी और व्यावसायिक समस्याओं का समाधान करते हैं।

जटिलता का प्रबंधन:
ये इंजीनियर जटिल सिस्टम को सरल और उपयोगी बनाने में विशेषज्ञ होते हैं। वे विभिन्न तकनीकों और टीमों को जोड़कर कुशलता से कार्य करते हैं।

समर्पण का सम्मान:
यह दिन उनके समर्पण, नवाचार और संगठन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देने का अवसर है।

कैसे मनाया जाता है?
प्रशंसा: इस दिन सिस्टम इंजीनियरों को उनके योगदान के लिए सराहा जाता है।
कार्यशालाएं और सेमिनार: कंपनियां और तकनीकी संगठन इंजीनियरिंग में नई प्रौद्योगिकियों और दृष्टिकोणों पर चर्चा के लिए कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
टीम एक्टिविटी: टीमों के बीच प्रेरणा बढ़ाने के लिए विशेष गतिविधियां आयोजित की जाती हैं।

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29 Nov, 04:44


जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा (J.R.D. Tata) (1904–1993) भारत के सबसे प्रतिष्ठित उद्योगपतियों और टाटा समूह के चेयरमैन थे। वे भारत के औद्योगिक विकास के प्रतीक और आधुनिक भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले व्यक्तित्वों में से एक थे। उन्हें "भारतीय विमानन उद्योग के जनक" के रूप में भी जाना जाता है।

प्रमुख योगदान:
टाटा समूह के चेयरमैन:
1938 में जे.आर.डी. टाटा ने टाटा समूह की बागडोर संभाली। उनके नेतृत्व में समूह ने स्टील, इंजीनियरिंग, ऊर्जा, केमिकल्स, ऑटोमोबाइल्स, और सॉफ्टवेयर जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय सफलता हासिल की।

भारत में विमानन उद्योग की शुरुआत:
1932 में, उन्होंने भारत की पहली वाणिज्यिक एयरलाइन टाटा एयरलाइंस (जो बाद में एयर इंडिया बनी) की स्थापना की। उन्होंने स्वयं पहले उड़ान पायलट के रूप में कराची से मुंबई तक की उड़ान भरी।

कर्मचारियों का कल्याण:
जे.आर.डी. ने अपने कर्मचारियों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने कर्मचारियों के लिए वेतनभोगी छुट्टी, मेडिकल सुविधाएं, और पेंशन योजनाओं की शुरुआत की।

पर्यावरण संरक्षण:
उन्होंने न केवल उद्योगों के विकास में योगदान दिया, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और स्थिर विकास पर भी जोर दिया।

सम्मान और पुरस्कार:

1955 में उन्हें पद्म विभूषण और 1992 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
उनकी प्रबंधन और नेतृत्व शैली आज भी व्यापार की दुनिया में प्रेरणा का स्रोत है।
सामाजिक सुधार और शिक्षा:
जे.आर.डी. टाटा ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) जैसे कई संस्थानों की स्थापना में मदद की।

व्यक्तिगत जीवन:
जे.आर.डी. का जन्म पेरिस में हुआ था। वे फ्रांसीसी और पारसी संस्कृति से गहराई से प्रभावित थे। वे उच्च नैतिक मूल्यों, अनुशासन और प्रगतिशील सोच के लिए जाने जाते थे।

जे.आर.डी. टाटा को भारतीय उद्योग और सामाजिक विकास के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा।

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29 Nov, 04:43


ठक्कर बापा, जिनका पूरा नाम अमृतलाल विठ्ठलदास ठक्कर (1869–1951) था, एक प्रमुख भारतीय समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी और जनजातीय अधिकारों के समर्थक थे। उन्होंने अपना जीवन वंचित समुदायों, विशेष रूप से आदिवासियों (जनजातियों) के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया और उन्हें मुख्यधारा के समाज में शामिल करने के लिए अथक प्रयास किया।

प्रमुख योगदान:
जनजातीय कल्याण:
ठक्कर बापा जनजातीय लोगों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए सबसे अधिक जाने जाते हैं। उन्होंने उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक अधिकारों के लिए आवाज उठाई।

भील सेवा मंडल की स्थापना:
1922 में, ठक्कर बापा ने पश्चिम भारत में भील जनजाति की सहायता के लिए भील सेवा मंडल की स्थापना की।

महात्मा गांधी से संबंध:
वे महात्मा गांधी के साथ निकटता से जुड़े थे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे। उनकी सादगी और सेवा के आदर्श गांधीवादी सिद्धांतों से मेल खाते थे।

हरिजन सेवा संघ:
वे हरिजन सेवा संघ के सक्रिय सदस्य थे, जो दलित समुदाय से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए गठित किया गया था।

संविधान सभा में योगदान:
ठक्कर बापा भारत की संविधान सभा के सदस्य थे और भारतीय संविधान के निर्माण में जनजातीय कल्याण पर हुई चर्चाओं में योगदान दिया।

विरासत:

ठक्कर बापा का नाम भारत भर में विभिन्न संस्थानों, सड़कों और सामाजिक कल्याण परियोजनाओं में स्मरण किया जाता है।
उन्हें एक समाज सुधारक के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने अपना जीवन समाज के हाशिये पर रहने वाले वर्गों की सेवा में समर्पित कर दिया।

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29 Nov, 04:09


Bilingual Weekly Current affairs -
29 November 2024

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28 Nov, 14:46


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24 Nov, 19:27


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24 Nov, 19:19


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24 Nov, 05:19


समीक्षा इंस्टीट्यूट द्वारा सूचना

एमपीपीएससी असिस्टेंट प्रोफेसर (इतिहास) की विशेष इंटरव्यू कक्षा आज आयोजित की जा रही है।

दिनांक: 24 नवंबर 2024
समय 1:00 से
स्थान: समीक्षा इंस्टीट्यूट, फूलबाग ब्रांच, ग्वालियर

इस कक्षा में विशेषज्ञों का मार्गदर्शन प्राप्त होगा:

1. प्रोफेसर श्रीमती शशि द्विवेदी, विभाग अध्यक्ष राजनीति विज्ञान, रानी अवंती बाई कन्या महाविद्यालय, ग्वालियर।


2. नरेंद्र सिंह भदौरिया, डायरेक्टर, समीक्षा इंस्टीट्यूट, इतिहास और समाजशास्त्र विषय के विशेषज्ञ।


3. श्री जगदीश चौरसिया, राजनीति विज्ञान और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विशेषज्ञ।


4. उज्जवल श्रोत्री, इतिहास और लोक प्रशासन विषय के विशेषज्ञ।


सभी उम्मीदवारों से अनुरोध है कि समय पर उपस्थित होकर इस अवसर का लाभ उठाएं।

समीक्षा इंस्टीट्यूट
फूलबाग ब्रांच, ग्वालियर

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23 Nov, 10:40


विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस (Suicide Prevention Day) - 23 नवंबर पर विस्तृत जानकारी

परिचय:
23 नवंबर को आत्महत्या रोकथाम दिवस (Suicide Prevention Day) के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य आत्महत्या के कारणों और इसके रोकथाम के तरीकों के प्रति जागरूकता फैलाना है। इस दिन को कई संगठनों, मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों, और सरकारों द्वारा आत्महत्या को रोकने के लिए वैश्विक प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है।

आत्महत्या एक जटिल समस्या है, जिसमें मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक, और भावनात्मक मुद्दों की भूमिका होती है। इस दिवस के आयोजन का मुख्य उद्देश्य जागरूकता बढ़ाना, बातचीत को प्रोत्साहित करना, और आत्महत्या रोकने के लिए मदद उपलब्ध कराना है।

आत्महत्या के कारण और इसके प्रभाव:
आत्महत्या के प्रमुख कारण:
मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं:
अवसाद (डिप्रेशन), चिंता (एंग्जायटी), बायपोलर डिसऑर्डर जैसे मानसिक रोग।
सामाजिक दबाव:
पारिवारिक समस्याएं, तलाक, आर्थिक तंगी, बेरोजगारी।
भावनात्मक तनाव:
व्यक्तिगत रिश्तों में समस्याएं, आत्म-सम्मान की कमी, बचपन का आघात।
लत और नशे की समस्या:
शराब, ड्रग्स या अन्य मादक पदार्थों की लत।
सामाजिक अलगाव और अकेलापन:
समाज से कटाव या समर्थन प्रणाली की कमी।
आत्महत्या के प्रभाव:
परिवार और समाज पर असर:
आत्महत्या न केवल एक व्यक्ति को प्रभावित करती है, बल्कि उसके परिवार, दोस्तों और समुदाय को भी गहरे भावनात्मक आघात देती है।
आर्थिक नुकसान:
इसके कारण स्वास्थ्य देखभाल और उत्पादकता हानि होती है।
आत्महत्या की रोकथाम के उपाय:
1. जागरूकता फैलाना:
आत्महत्या से जुड़े कलंक को समाप्त करना और इसे एक सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दा मानना।
मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना और इसे सामान्य चर्चा का हिस्सा बनाना।
2. मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना:
चिकित्सा और परामर्श सेवाओं की पहुंच को बढ़ाना।
मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की संख्या बढ़ाना।
3. सहायता उपलब्ध कराना:
हेल्पलाइन्स और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना।
24/7 क्राइसिस सेंटर बनाना।
4. आत्महत्या के संकेतों को पहचानना:
आत्महत्या की सोच रखने वाले व्यक्ति के संकेतों को समझना और समय पर मदद पहुंचाना।
जैसे: निरंतर उदासी, आत्मसम्मान की कमी, सामाजिक गतिविधियों से दूरी, आत्महत्या की योजना के संकेत।
5. समुदाय में संवाद बढ़ाना:
आत्महत्या से जुड़े मुद्दों पर खुलकर चर्चा करना।
स्कूलों, कॉलेजों और कार्यस्थलों पर मानसिक स्वास्थ्य पर कार्यक्रम आयोजित करना।
23 नवंबर को आत्महत्या रोकथाम दिवस का उद्देश्य:
संदेश:
"आप अकेले नहीं हैं। मदद हमेशा उपलब्ध है।"
लक्ष्य:
आत्महत्या से जुड़ी जागरूकता फैलाना, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता देना और लोगों को सहायता मांगने के लिए प्रेरित करना।
सहायता अभियान:
कई संस्थाएं इस दिन मुफ्त काउंसलिंग, सेमिनार और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करती हैं।
महत्वपूर्ण आंकड़े (WHO और अन्य रिपोर्ट्स के अनुसार):
हर साल लगभग 8 लाख लोग आत्महत्या करते हैं।
यह 15-29 वर्ष की आयु के लोगों के बीच मौत का दूसरा प्रमुख कारण है।
आत्महत्या की दर को कम करने के लिए जागरूकता और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार अत्यंत आवश्यक है।
इस दिन का आयोजन:
वैश्विक स्तर पर गतिविधियां:

आत्महत्या रोकथाम के लिए मार्च और रैलियों का आयोजन।
सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा मुफ्त मानसिक स्वास्थ्य जांच।
ऑनलाइन और ऑफलाइन जागरूकता कार्यक्रम।
सोशल मीडिया अभियान:

#SuicidePreventionDay, #MentalHealthMatters जैसे हैशटैग का उपयोग।
लोगों को अपनी कहानियां साझा करने के लिए प्रेरित करना।
कैसे मदद करें? (सामान्य व्यक्ति के रूप में):
सुनें और समझें:
किसी व्यक्ति को उसकी भावनाओं को साझा करने के लिए प्रोत्साहित करें।
सहायता के लिए मार्गदर्शन करें:
जरूरतमंद व्यक्ति को परामर्शदाता, हेल्पलाइन, या मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचने में मदद करें।
नेगेटिव बातें न करें:
उनकी भावनाओं को हल्के में न लें या उन्हें दोषी न ठहराएं।
निष्कर्ष:
आत्महत्या रोकथाम दिवस हमें याद दिलाता है कि यह समस्या वैश्विक स्तर पर एक गंभीर मुद्दा है। इसे रोकने के लिए हमें मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को समझने और इसे प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। आत्महत्या को रोका जा सकता है, अगर हम समय पर ध्यान दें, जागरूकता फैलाएं और एक सहायक समाज का निर्माण करें।

संदेश:
अगर आप या आपका कोई जानने वाला आत्महत्या के बारे में सोच रहा है, तो कृपया मदद लें। आप अकेले नहीं हैं, और मदद हमेशा उपलब्ध है।

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23 Nov, 10:29


परिचय:
हीरेन्द्रनाथ मुखर्जी (Hiren Mukherjee), जिन्हें "डॉ. हीरेन मुखर्जी" के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय राजनीति के एक प्रख्यात नेता, विद्वान और कम्युनिस्ट पार्टी के प्रभावशाली सदस्य थे। उनका नाम भारतीय राजनीति में उनकी बौद्धिकता, सादगी और प्रगतिशील दृष्टिकोण के लिए याद किया जाता है। वह संसद में अपनी शानदार वाक्पटुता और सामाजिक न्याय के लिए समर्पित रुख के कारण बेहद लोकप्रिय थे।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:
हीरेन्द्रनाथ मुखर्जी का जन्म 1900 के दशक के शुरुआती वर्षों में बंगाल में हुआ था।

उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कोलकाता में प्राप्त की।
बाद में, उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड की ओर रुख किया।
लंदन के प्रसिद्ध सेंट कैथरीन कॉलेज, ऑक्सफोर्ड से उन्होंने कानून और राजनीति में अपनी शिक्षा पूरी की।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से प्रेरित होकर वे भारत लौटे और साम्यवाद के विचारों से प्रभावित हुए।
राजनीतिक जीवन:
हीरेन्द्रनाथ मुखर्जी ने राजनीति में प्रवेश भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान किया। वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के प्रमुख नेता और विचारक बने।

सांसद के रूप में योगदान:
1952 से 1967 तक, वह लोकसभा के सदस्य रहे।
संसद में उनकी पहचान एक सशक्त वक्ता और समाज के शोषित वर्गों की आवाज उठाने वाले नेता के रूप में हुई।
उनकी वाक्पटुता और तथ्यात्मक तर्क संसद की चर्चाओं को नई दिशा देने में सहायक होती थी।
सामाजिक मुद्दों पर ध्यान:
मुखर्जी ने हमेशा श्रमिकों, किसानों और समाज के निचले तबकों के अधिकारों की वकालत की।
उन्होंने भूमि सुधार, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों को लेकर संसद में कई बार आवाज उठाई।
मुख्य उपलब्धियां:
विद्वता और लेखन:

हीरेन्द्रनाथ मुखर्जी न केवल एक राजनेता थे, बल्कि एक प्रखर विद्वान और लेखक भी थे।
उन्होंने साम्यवाद, समाजवाद और भारतीय राजनीति पर कई लेख और पुस्तकें लिखीं।
उनके लेखन में समाज के सुधार और निचले वर्गों की उन्नति के प्रति गहरी प्रतिबद्धता दिखती है।
वक्तृत्व कला:

मुखर्जी की संसद में दिए गए भाषण आज भी उनकी तार्किक क्षमता और वाक्पटुता के उदाहरण माने जाते हैं।
उनके भाषण न केवल राजनीतिक मुद्दों पर आधारित होते थे, बल्कि समाज की गहरी समझ और सांस्कृतिक मूल्यों का भी प्रतिनिधित्व करते थे।
साम्यवाद का प्रचार:

उन्होंने साम्यवाद के सिद्धांतों को भारतीय समाज के अनुरूप ढालने का प्रयास किया।
उनका मानना था कि भारत जैसे देश में सामाजिक समानता के लिए साम्यवादी नीतियां बेहद आवश्यक हैं।
व्यक्तिगत जीवन और गुण:
हीरेन्द्रनाथ मुखर्जी अपनी सादगी और नैतिकता के लिए जाने जाते थे। उन्होंने राजनीति को सेवा का माध्यम माना और कभी भी व्यक्तिगत लाभ के लिए इसका उपयोग नहीं किया।

वे अत्यधिक अनुशासित और ईमानदार नेता थे।
उनकी जीवनशैली साधारण थी और वे हमेशा जनता के करीब रहे।
सम्मान और विरासत:
सम्मान:

हीरेन्द्रनाथ मुखर्जी को भारतीय राजनीति और समाज में उनके योगदान के लिए कई बार सम्मानित किया गया।
वे उन चुनिंदा नेताओं में से थे जिनका सम्मान उनकी पार्टी और विपक्ष दोनों के नेताओं ने किया।
विरासत:

मुखर्जी ने भारतीय राजनीति में नैतिकता और विचारधारा का एक उच्च मानदंड स्थापित किया।
उनकी वकालत ने भारतीय कम्युनिस्ट आंदोलन को नई दिशा दी और साम्यवादी राजनीति को मजबूती प्रदान की।
उनकी सोच और विचारधारा आज भी प्रगतिशील राजनीति में प्रासंगिक मानी जाती है।
निधन:
हीरेन्द्रनाथ मुखर्जी का निधन 1993 में हुआ। उनके जाने से भारतीय राजनीति ने एक ऐसे नेता को खो दिया, जो न केवल एक कुशल राजनीतिज्ञ थे, बल्कि समाज सुधारक और विचारक भी थे।

निष्कर्ष:
हीरेन्द्रनाथ मुखर्जी भारतीय राजनीति के उन नेताओं में से थे, जिन्होंने नैतिकता, सिद्धांत और समाज के प्रति सेवा भावना को सर्वोपरि माना। उनका जीवन और कार्य हमें यह सिखाते हैं कि राजनीति केवल सत्ता का खेल नहीं है, बल्कि यह समाज के हर व्यक्ति के कल्याण का माध्यम है। मुखर्जी का योगदान भारतीय लोकतंत्र और साम्यवादी आंदोलन के लिए हमेशा याद किया जाएगा।

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23 Nov, 10:24


अंतरराष्ट्रीय आभा जागरूकता दिवस (International Aura Awareness Day)

परिचय:
अंतरराष्ट्रीय आभा जागरूकता दिवस हर साल नवंबर के चौथे रविवार को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य "आभा" (Aura) के प्रति जागरूकता बढ़ाना और इसे समझने के महत्व को उजागर करना है। आभा को हमारे शरीर के चारों ओर एक ऊर्जा क्षेत्र माना जाता है, जो हमारे मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को प्रतिबिंबित करता है। यह दिवस 2002 में कैनाडा की एक ऊर्जा चिकित्सक सिंथिया सुगानाथन द्वारा शुरू किया गया था।

आभा क्या है?
आभा को ऊर्जा का एक ऐसा क्षेत्र माना जाता है, जो प्रत्येक जीवित प्राणी को घेरता है। यह व्यक्ति के विचारों, भावनाओं और स्वास्थ्य की स्थिति को दर्शाता है। इसे सामान्यतः सात परतों में विभाजित किया जाता है, जो मानव चक्र प्रणाली से जुड़ी होती हैं।

सात आभा परतें:

भौतिक परत (Physical Layer): शरीर से निकटतम, शारीरिक स्वास्थ्य दर्शाने वाली।
आत्मीय परत (Etheric Layer): जीवन शक्ति और ऊर्जा प्रवाह से जुड़ी।
भावनात्मक परत (Emotional Layer): व्यक्ति की भावनात्मक स्थिति।
मानसिक परत (Mental Layer): विचारों और विश्वासों का क्षेत्र।
आध्यात्मिक परत (Spiritual Layer): व्यक्ति की आत्मा और आध्यात्मिक जागरूकता।
बुद्धि परत (Celestial Layer): अंतरात्मा और आध्यात्मिक मार्गदर्शन से जुड़ी।
उपस्थितिजन्य परत (Ketheric Layer): उच्चतम आत्मिक ऊर्जा का प्रतीक।
इस दिन का उद्देश्य:
जागरूकता फैलाना: लोगों को आभा के महत्व और उसके प्रभाव के बारे में जागरूक करना।
स्वास्थ्य को समझना: यह समझने में मदद करना कि आभा का असंतुलन मानसिक और शारीरिक समस्याओं का कारण बन सकता है।
सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार: मानसिक और आध्यात्मिक ऊर्जा को संतुलित करने के तरीकों को बढ़ावा देना।
चिकित्सा और हीलिंग: ऊर्जा चिकित्सा जैसे योग, ध्यान, रेकी आदि के महत्व को पहचानना।
मनाने के तरीके:
ध्यान और योग: आभा को संतुलित और शुद्ध करने के लिए ध्यान और योग का अभ्यास।
रेकी और हीलिंग सत्र: ऊर्जा चिकित्सा विधियों का अनुभव करना।
कार्यशालाएं और सेमिनार: आभा के विज्ञान पर आधारित कार्यक्रम।
सृजनात्मक गतिविधियाँ: पेंटिंग, संगीत, या

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23 Nov, 04:52


Bilingual Current affairs -
23 November 2024

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23 Nov, 04:30


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22 Nov, 18:52


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22 Nov, 18:11


❇️IFFCO की पहल पर ICA के 130 साल के इतिहास में पहली बार ICA महासभा और वैश्विक सहकारी सम्मेलन की मेजबानी भारत करेगा।

🔅प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 का शुभारंभ करेंगे।

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22 Nov, 12:00


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17 Nov, 09:47


❇️नाइजीरिया प्रधानमंत्री मोदी को ग्रैंड कमांडर ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ द नाइजर (GCON) से सम्मानित करेगा।

🔆वह यह सम्मान पाने वाले दूसरे विदेशी गणमान्य व्यक्ति होंगे। महारानी एलिजाबेथ एकमात्र विदेशी गणमान्य व्यक्ति हैं जिन्हें 1969 में GCON से सम्मानित किया गया था।

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17 Nov, 02:57


https://youtube.com/shorts/5v1Cqs1kmVU?si=SrMg5UrwsqeKJb9Q

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17 Nov, 02:57


पंजाब केसरी लाला लाजपत राय: बलिदान और प्रेरणा का प्रतीक

लाला लाजपत राय, जिन्हें 'पंजाब केसरी' और 'लायन ऑफ पंजाब' के नाम से जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान नेता और प्रेरणा स्रोत थे। उनका जन्म 28 जनवरी 1865 को पंजाब के मोगा जिले में हुआ था। उन्होंने न केवल स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई, बल्कि समाज सुधार, शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय योगदान दिया।

जीवन और स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका

लाला लाजपत राय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से एक थे। बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चंद्र पाल के साथ वे "लाल-बाल-पाल" की त्रिमूर्ति का हिस्सा थे, जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ भारतीयों को संघर्ष के लिए प्रेरित किया। उन्होंने स्वदेशी आंदोलन को बढ़ावा दिया और विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करने की अपील की।

लाला लाजपत राय का जीवन संघर्ष और बलिदान की कहानी है। वे अपने भाषणों और लेखों के माध्यम से युवाओं में स्वतंत्रता के प्रति जोश भरते थे। उनका मानना था कि शिक्षा और सामाजिक सुधार के बिना समाज का विकास संभव नहीं है। उन्होंने दयानंद एंग्लो वैदिक स्कूल और कॉलेज की स्थापना में मदद की, जो आज भी शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी हैं।

साइमन कमीशन का विरोध और शहादत

1928 में जब ब्रिटिश सरकार ने साइमन कमीशन को भारत भेजा, तो इसका भारत में तीव्र विरोध हुआ। इस कमीशन में एक भी भारतीय सदस्य नहीं था, जो भारतीयों का अपमान था। 30 अक्टूबर 1928 को लाला लाजपत राय ने लाहौर में साइमन कमीशन के खिलाफ एक विशाल प्रदर्शन का नेतृत्व किया। इस विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया। वे गंभीर रूप से घायल हो गए।

इस घटना के बाद लाला लाजपत राय ने कहा था, "मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश साम्राज्य के ताबूत में आखिरी कील साबित होगी।" उनके इस बलिदान ने देशवासियों को स्वतंत्रता के लिए प्रेरित किया। 17 नवंबर 1928 को लाला लाजपत राय ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया, लेकिन उनका बलिदान स्वतंत्रता संग्राम का एक प्रमुख मोड़ बन गया।

विरासत और प्रेरणा

लाला लाजपत राय का जीवन हमें यह सिखाता है कि साहस और दृढ़ संकल्प के साथ कोई भी संघर्ष किया जा सकता है। उनके बलिदान ने देश को एकजुट किया और युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

आज उनकी पुण्यतिथि पर, हमें उनके योगदान और बलिदान को याद करते हुए उनके सिद्धांतों को अपनाने का संकल्प लेना चाहिए। वे न केवल स्वतंत्रता के लिए प्रेरणा थे, बल्कि एक बेहतर समाज के निर्माण के प्रतीक भी थे। उनका नाम भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित रहेगा।

"जय हिंद!"

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16 Nov, 18:38


नमस्कार,

ग्रह जिला ग्वालियर और मुरेना संबंधित प्रश्न सामिक्षा इंस्टिट्यूट ऐप पर अपलोड किए जा चुके हैं। आप लोग MPPSC Assistant Professor Interview कोर्स में जाकर इन्हें चेक कर सकते हैं।

आगे बढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: https://samikshainstitute.page.link/a4E6M2pF3ceGHKgr8

सामिक्षा इंस्टिट्यूट
धन्यवाद।

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16 Nov, 15:29


Interview ke liye introduction

https://www.youtube.com/live/1wHPo3HlgpY?si=XYOyN45ZgMj8lS_M

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16 Nov, 14:09


https://youtube.com/shorts/FDGyWVbh3Sw

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16 Nov, 10:26


https://www.youtube.com/live/CbRt2C6BfL4?si=8CyjC1vl7oF3w-RC

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16 Nov, 05:01


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16 November 2024

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16 Nov, 03:34


कवि अकबर इलाहाबादी: व्यंग्य और यथार्थ के शायर

अकबर इलाहाबादी (1846-1921) उर्दू साहित्य के प्रमुख कवियों में से एक थे, जिन्हें उनके व्यंग्यात्मक और यथार्थवादी काव्य के लिए जाना जाता है। उनका असली नाम सैयद अकबर हुसैन रिज़वी था, और वह उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में पैदा हुए थे। अकबर इलाहाबादी ने अपनी शायरी में सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक मुद्दों को बड़े ही व्यंग्यपूर्ण और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया।

जीवन परिचय

अकबर इलाहाबादी का जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा मदरसे में ली और बाद में अंग्रेजी शिक्षा प्राप्त की। वे पेशे से न्यायधीश थे, लेकिन उनकी रुचि साहित्य और काव्य में थी। अंग्रेजी शासन और उस समय के समाज पर उनके विचार उनकी शायरी में स्पष्ट रूप से झलकते हैं।

साहित्यिक विशेषताएं

अकबर इलाहाबादी की शायरी में हास्य, व्यंग्य और यथार्थ का अनोखा मिश्रण देखने को मिलता है। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज की कमजोरियों, पाखंड और अंग्रेजी शासन की विसंगतियों पर प्रहार किया। उनकी शैली सरल, प्रवाहपूर्ण और तीव्र है।
उनकी रचनाओं में आधुनिकता और परंपरा का द्वंद्व, पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव, और भारतीय समाज के बदलाव को समझने की गहराई है।

मुख्य विषय और शैली

1. व्यंग्य:
अकबर इलाहाबादी की कविताओं में व्यंग्य का एक खास स्थान है। उन्होंने समाज के दोहरे मापदंडों और पश्चिमी सभ्यता की अंधी नकल पर करारा प्रहार किया।

"हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम,
वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होती।"



2. सामाजिक यथार्थ:
उनकी कविताएं समाज की वास्तविकताओं का आईना हैं। वे उपभोक्तावाद, दिखावे और आडंबर के खिलाफ लिखते थे।


3. धार्मिक और सांस्कृतिक चेतना:
अकबर इलाहाबादी ने भारतीय समाज में पाश्चात्य संस्कृति के बढ़ते प्रभाव के प्रति अपनी चिंताओं को शायरी के माध्यम से व्यक्त किया।



प्रमुख रचनाएं

अकबर इलाहाबादी ने मुख्य रूप से ग़ज़लें और नज़्में लिखीं। उनके काव्य संग्रह इस प्रकार हैं:

खुमार-ए-अकबर

सुरूर-ए-अकबर

साहिर-ए-अकबर


अकबर और उनका समय

अकबर इलाहाबादी का समय ऐसा था जब भारतीय समाज में बड़े पैमाने पर परिवर्तन हो रहे थे। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेजी हुकूमत ने भारतीय जीवन पर गहरा प्रभाव डाला। अकबर ने इन बदलावों का गहराई से अध्ययन किया और उन्हें अपनी रचनाओं में शामिल किया।

उनकी लोकप्रियता का कारण

अकबर इलाहाबादी की शायरी आज भी प्रासंगिक है क्योंकि उन्होंने जो विषय उठाए थे, वे आज भी समाज में देखे जा सकते हैं। उनके व्यंग्य, सरल भाषा और गहरे संदेश उन्हें आम जनता के करीब लाते हैं।

निष्कर्ष

अकबर इलाहाबादी एक ऐसे कवि थे, जिन्होंने अपनी शायरी से समाज और राजनीति का दर्पण प्रस्तुत किया। उनका व्यंग्य और यथार्थ दृष्टिकोण आज भी प्रेरणादायक है। उन्होंने जिस अंदाज में सामाजिक पाखंड और विसंगतियों को उजागर किया, वह उन्हें उर्दू साहित्य में एक विशिष्ट स्थान दिलाता है। उनके लेखन ने यह साबित किया कि साहित्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि समाज को जागरूक करने का एक साधन भी हो सकता है।

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16 Nov, 03:29


अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस: विविधता में एकता का संदेश

16 नवंबर को हर साल अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन सहिष्णुता, आपसी समझ और शांति के महत्व को रेखांकित करने का अवसर प्रदान करता है। इसे संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1995 में यूनेस्को द्वारा घोषित "सहिष्णुता के वर्ष" के तहत स्थापित किया। इस दिन का उद्देश्य समाज में सहिष्णुता को बढ़ावा देना और असहिष्णुता, कट्टरता और भेदभाव के खिलाफ जन-जागरूकता फैलाना है।

सहिष्णुता का अर्थ और महत्व

सहिष्णुता का अर्थ है विविधता को स्वीकार करना, दूसरों के विचारों, विश्वासों और अधिकारों का सम्मान करना, और मतभेदों के बावजूद शांति से रहना। यह मानवता की नींव है और समाज के हर स्तर पर इसकी आवश्यकता है।
आज की दुनिया में, जहां विविधता हमारी पहचान है, सहिष्णुता का महत्व और भी बढ़ जाता है। यह न केवल समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखने में सहायक है, बल्कि यह एक ऐसा माहौल भी तैयार करता है, जहां हर व्यक्ति को समान अवसर और अधिकार मिल सकें।

सहिष्णुता की आवश्यकता क्यों है?

1. विविधता की स्वीकृति: दुनिया विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों, भाषाओं और परंपराओं का संगम है। सहिष्णुता से ही इस विविधता को एकजुट रखा जा सकता है।


2. भेदभाव और हिंसा का समाधान: असहिष्णुता अक्सर नस्लीय भेदभाव, सांप्रदायिक दंगे और हिंसा का कारण बनती है। सहिष्णुता इन समस्याओं को कम करने में मदद करती है।


3. समाज की प्रगति: जब लोग आपसी मतभेद भूलकर मिलजुलकर काम करते हैं, तो समाज तेजी से प्रगति करता है।


4. मानवाधिकारों की रक्षा: सहिष्णुता से हर व्यक्ति के अधिकारों और गरिमा का सम्मान किया जाता है।



आज की दुनिया में सहिष्णुता की चुनौतियां

1. धार्मिक और सांप्रदायिक असहिष्णुता: कई जगह धर्म और जाति के आधार पर समाज में भेदभाव और हिंसा की घटनाएं होती हैं।


2. आर्थिक और सामाजिक असमानता: गरीबी और असमानता असहिष्णुता को जन्म देती हैं।


3. आतंकवाद और कट्टरता: चरमपंथ और कट्टर सोच समाज में असहिष्णुता का बड़ा कारण हैं।


4. डिजिटल असहिष्णुता: सोशल मीडिया पर फेक न्यूज़, हेट स्पीच और ट्रोलिंग ने असहिष्णुता को एक नया आयाम दिया है।



सहिष्णुता को बढ़ावा देने के उपाय

1. शिक्षा का प्रचार: सहिष्णुता का बीज बचपन में ही बोया जा सकता है। शिक्षा के माध्यम से बच्चों में आपसी सम्मान और सहिष्णुता की भावना विकसित की जानी चाहिए।


2. संवाद का महत्व: संवाद से गलतफहमियां दूर की जा सकती हैं और एक-दूसरे के प्रति समझ बढ़ाई जा सकती है।


3. समानता का समर्थन: समाज में हर व्यक्ति को समान अवसर और अधिकार देना सहिष्णुता को प्रोत्साहित करता है।


4. धार्मिक और सांस्कृतिक संगोष्ठियां: विविध समुदायों के बीच आपसी समझ बढ़ाने के लिए संगोष्ठियां और सांस्कृतिक आदान-प्रदान महत्वपूर्ण हैं।



निष्कर्ष

अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस हमें यह सिखाता है कि सहिष्णुता केवल एक गुण नहीं, बल्कि मानवता के अस्तित्व के लिए एक आवश्यकता है। असहमति और मतभेद स्वाभाविक हैं, लेकिन सहिष्णुता से ही इन मतभेदों को सुलझाया जा सकता है।
इस दिन, हमें सहिष्णुता के मूल्यों को अपनाने और उसे अपने जीवन का हिस्सा बनाने का संकल्प लेना चाहिए। एक सहिष्णु समाज ही वह आधार है, जो विश्व को शांति, सद्भाव और प्रगति की ओर ले जा सकता है।
"सहिष्णुता का मार्ग ही मानवता का मार्ग है।"

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16 Nov, 03:21


करतार सिंह सराभा: भारत के अमर क्रांतिकारी

करतार सिंह सराभा का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है। मात्र 19 वर्ष की आयु में शहीद होने वाले इस युवा क्रांतिकारी ने अपने अदम्य साहस और बलिदान से लाखों देशभक्तों को प्रेरित किया। 16 नवंबर 1915 को फांसी के फंदे को गले लगाकर उन्होंने अपनी मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया। उनकी पुण्यतिथि हमें उनकी देशभक्ति और त्याग की याद दिलाती है।

प्रारंभिक जीवन

करतार सिंह सराभा का जन्म 24 मई 1896 को पंजाब के लुधियाना जिले के सराभा गांव में हुआ था। वह बचपन से ही प्रतिभाशाली और साहसी थे। उच्च शिक्षा के लिए वे अमेरिका गए, जहां उन्होंने भारतीय समुदाय की दुर्दशा और अंग्रेजी शासन के अन्याय को महसूस किया।

गदर आंदोलन और क्रांतिकारी गतिविधियां

करतार सिंह सराभा अमेरिका में गदर पार्टी से जुड़े, जो भारतीय स्वतंत्रता के लिए विदेशों में सक्रिय एक प्रमुख संगठन था। उन्होंने "गदर" नामक पत्रिका के माध्यम से भारतीयों में क्रांति की भावना जगाई। उनका मानना था कि भारत की स्वतंत्रता केवल सशस्त्र क्रांति से ही संभव है।

1914 में प्रथम विश्व युद्ध के दौरान गदर पार्टी ने भारत में क्रांति की योजना बनाई। करतार सिंह अपने साथियों के साथ भारत लौटे और ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया। हालांकि, योजना विफल हो गई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

बलिदान और प्रेरणा

करतार सिंह सराभा पर लाहौर षड्यंत्र केस में मुकदमा चलाया गया। न्यायालय में उन्होंने निडरता से अपने विचार रखे और फांसी की सजा स्वीकार की। 16 नवंबर 1915 को उन्हें फांसी दी गई।

उनकी अंतिम इच्छा थी कि उनकी शहादत भारतीय युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम में जुड़ने के लिए प्रेरित करे। भगत सिंह जैसे महान क्रांतिकारी भी उनसे प्रेरित हुए।

यादगार

करतार सिंह सराभा आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उनका नाम स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में न केवल एक क्रांतिकारी के रूप में, बल्कि भारत माता के सच्चे सपूत के रूप में दर्ज है।

निष्कर्ष

करतार सिंह सराभा का जीवन हमें यह सिखाता है कि देश की सेवा में अपना सब कुछ अर्पित करने का साहस हर किसी में नहीं होता। उनकी पुण्यतिथि पर हमें उनके बलिदान को स्मरण करते हुए देश के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाने की प्रेरणा लेनी चाहिए। उनका त्याग और बलिदान हमेशा हमारे दिलों में अमर रहेगा।

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16 Nov, 03:13


राष्ट्रीय प्रेस दिवस: अभिव्यक्ति की आज़ादी का प्रतीक

भारत में हर साल 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भारतीय प्रेस परिषद (Press Council of India) की स्थापना का प्रतीक है, जो 1966 में प्रेस की स्वतंत्रता बनाए रखने और उसे दुरुपयोग से बचाने के उद्देश्य से गठित की गई थी। यह दिवस न केवल प्रेस की स्वतंत्रता का जश्न मनाने का अवसर है, बल्कि जिम्मेदार और निष्पक्ष पत्रकारिता के महत्व को भी रेखांकित करता है।


राष्ट्रीय प्रेस दिवस अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की जिम्मेदारी की याद दिलाने वाला एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह दिन हमें यह समझने का मौका देता है कि एक मजबूत और स्वतंत्र प्रेस के बिना एक सशक्त लोकतंत्र की कल्पना करना असंभव है। इस दिन हमें न केवल प्रेस की स्वतंत्रता का सम्मान करना चाहिए, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि पत्रकारिता का उपयोग समाज की भलाई और सच्चाई की खोज के लिए हो।

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16 Nov, 01:44


https://www.youtube.com/live/urIH-SS1TOM?si=MBGTIuJRYdCD-rX7

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16 Nov, 01:43


https://www.youtube.com/live/1wHPo3HlgpY?si=P_ufpedKFra9jmr1

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15 Nov, 14:34


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03 Nov, 05:47


📢 सूचना: सभी कक्षाएँ कल से फिर से शुरू होंगी - समीक्षा इंस्टीटूटे 📢

प्रिय छात्रों,

आशा है कि आप सभी ने दिवाली की छुट्टियों का आनंद लिया होगा! 🎉 यह सूचना है कि सभी कक्षाएँ कल, 4 नवंबर 2024 से फिर से शुरू होंगी। कृपया निर्धारित समय पर उपस्थित रहें और पूरी तैयारी के साथ आएं।

जो नए बैच में शामिल होना चाहते हैं, वे 9826228312 पर संपर्क कर लें।

आप सभी से मिलने का इंतजार रहेगा!

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01 Nov, 05:50


Let's try some quiz🤔 on Madhya pradesh Foundation Day👇

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01 Nov, 01:58


मध्यप्रदेश स्थापना दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं! 🎉💐

सभी aspirants को मेरी ओर से ढेर सारी शुभकामनाएं। आपकी मेहनत और समर्पण से आप सभी अपने लक्ष्यों को प्राप्त करें और प्रदेश के विकास में अपना योगदान दें। जय मध्यप्रदेश! 🌟

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30 Oct, 18:08


https://youtube.com/shorts/5m1FcOkyuso?si=EgyzRrjGnu4gs2M7

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29 Oct, 18:28


❇️MPPSC PRE 2025 TEST SERIES UPDATED SCHEDULE..
🔆तैयारी की समीक्षा 20.0🔆

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29 Oct, 10:09


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29 Oct, 07:10


https://www.youtube.com/live/RvbDpQi9K-U?si=IE95fihNupEZIlq4

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29 Oct, 06:11


धनतेरस के शुभ अवसर पर बरसे धन और संपत्ति।। इस धनतेरस आपकी, सुख और समृद्धि बढ़े।। माता लक्ष्मी का आपके घर वास हो। धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएं!

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29 Oct, 05:58


Bilingual Current affairs -
29 October 2024

Hindi and English medium
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29 Oct, 04:21


29 October 2024
https://youtube.com/shorts/vEE_86P-xXk?si=Attn3TzmOSLLblKd

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28 Oct, 17:56


❇️हिंदी ग्रंथ अकादमी की पुस्तकों में से कैसे प्रश्न बनाएं जो हर बार पूछे जाते हैं एमपीपीएससी प्रीलिम्स में...?

महत्वपूर्ण प्रश्न कौन से हैं?

गागर में सागर जैसी पढ़ाई कैसी होगी?

इन्ही सब बातों को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है
तैयारी की समीक्षा 20.0 प्रीलिम्स टेस्ट सीरीज़...

जुड़ें और निश्चिंत ही आप 2025 में मुख्य परीक्षा लिखेंगे

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28 Oct, 14:58


MPPSC PRE 2025 अब क्या करें छात्र?? https://youtube.com/live/RFoi-kWYMIE?feature=share

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28 Oct, 11:38


❇️MPPSC PRELIMS 16 FEB 2025

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28 Oct, 10:24


https://www.youtube.com/live/huYo8HRPIWk?si=Feb7q4TOUGsMFGIA

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28 Oct, 09:04


https://youtube.com/live/XsFom_gJGjE?feature=share

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28 Oct, 08:12


QTS 908 EXPLANATION ( MPPSC PRE TEST SERIES 2025)

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28 Oct, 08:12


QTS 908 TEST PDF ( MPPSC PRE TEST SERIES 2025)

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28 Oct, 08:12


QTS 908 ANSWER KEY ( MPPSC PRE TEST SERIES 2025)

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28 Oct, 05:30


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28 Oct, 04:06


Bilingual Current affairs -
28 October 2024

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26 Oct, 13:11


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26 Oct, 10:56


भारत की प्रायदीपीय नदियां : गोदावरी एवं कृष्णा नदी

1. महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न
2. Origin, Tributery
3. किस क्षेत्र में
3. सहायक नदियां
4. भारत में किस स्थान से,

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26 Oct, 10:40


https://www.youtube.com/live/JnTlMICg3yw?si=bNVc4Alb_7D9kj1b

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26 Oct, 10:40


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26 Oct, 09:27


भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्य
ये सर्वाधिक महत्वपूर्ण पार्ट क्यों है 😱😱

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26 Oct, 08:34


बक्सर का युद्ध | Battle Of Buxar

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26 Oct, 06:41


इस बार के exam में ये वाले प्रश्न 101% आयेंगे 🔥🔥

Exam से पहले जरूर देख लेना

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25 Oct, 07:05


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25 Oct, 05:58


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25 Oct, 05:58


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25 Oct, 05:57


Bilingual Current affairs -
25 October 2024

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24 Oct, 16:58


रतलाम का सीएम राइज स्कूल विश्व का सर्वश्रेष्ठ स्कूल घोषित


मध्यप्रदेश के रतलाम का विनोबा सीएम राइज स्कूल 'विश्व के सर्वश्रेष्ठ स्कूल पुरस्कार, 2024' के 'नवाचार' श्रेणी में प्रथम स्थान पर घोषित हुआ है।

लंदन स्थित टी-4 एजुकेशन संस्था ने आज विभिन्न श्रेणियों में विश्व के सर्वश्रेष्ठ स्कूलों की घोषणा की।

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24 Oct, 13:09


https://youtu.be/2x5XYRy2Ff8

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