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Political science competition (English)

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04 Jan, 16:08


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23 Sep, 12:38


https://youtu.be/v3H-rQvt7dU

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13 Sep, 02:39


"मुख्‍य चुनाव आयुक्‍तों की सूची",

● भारतीय संविधान में अनुच्छेद 324 के तहत राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति, लोकसभा तथा विधानसभा हेतु स्वतन्त्रा निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया की व्यवस्था के लिए ‘निर्वाचन आयोग’ का प्रावधान किया गया है।

★ राष्ट्रपति द्वारा मुख्य चुनाव आयुक्त और दो अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की जाती है।
★ मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्तों का वेतन भारत की संचित निधि से दिया जाता है।
★ मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्तों का कार्यकाल उनके पद सम्भालने की तिथि से लेकर 6 वर्ष तक या 65 वर्ष की आयु पूरी होने तक है। दोनों में जो पहले हो वही लागू होती है।
★ मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्तों को कार्यकाल से पूर्व, कदाचार के आधार पर संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित ‘विशेष बहुमत’ से प्रस्ताव पारित कर हटाया जा सकता है।
● अब तक के भारत के मुख्‍य चुनाव आयुक्‍तों की सूची–
● सुकुमार सेन (Sukumar Sen) – 21 मार्च 1950 से 19 दिसम्बर 1958 तक
● के. वी. के. सुंदरम (K.V.K.Sundaram) – 20 दिसम्बर 1958 से 30 सितंबर 1967 तक
● एस. पी. सेन वर्मा (S. P. Sen Verma) – 1 अक्टूबर 1967 से 30 सितंबर 1972 तक
● डॉ॰ नगेन्द्र सिंह (DR. Nagendra Singh) – 1 अक्टूबर 1972 से 6 फ़रवरी 1973 तक
● टी. स्वामीनाथन (T. Swaminathan) – 7 फ़रवरी 1973 से 17 जून 1977 तक
● एस. एल. शकधर (S. L. Shakdhar) – 18 जून 1977 से 17 जून 1982 तक
● आर. के. त्रिवेदी (R. The. Trivedi) – 18 जून 1982 से 31 दिसम्बर 1985 तक
● आर. वी. एस शास्त्री (R. V. S. Shastri) – 1 जनवरी 1986 से 25 नवम्बर 1990 तक
● वी. एस. रमादेवी (V. S. Rmadevi) – 26 नवम्बर 1990 से 11 दिसम्बर 1990 तक
● टी. एन. शेषन (T. N. Seshan) – 12 दिसम्बर 1990 से 11 दिसम्बर 1996 तक
● एम. एस. गिल (M.S.Gill) – 12 दिसम्बर 1996 से 13 जून 2001 तक
● जे. एम. लिंगदोह (J. M. Lyngdoh) – 14 जून 2001 से 7 फ़रवरी 2004 तक
● टी. एस. कृष्णमूर्ति (T. S. Krishnamurthy) – 8 फ़रवरी 2004 से 15 मई 2005 तक
● बी. बी. टंडन (B. B. Tandon) – 16 मई 2005 से 28 जून 2006 तक
● एन गोपालस्वामी (N Gopalaswami) – 29 जून 2006 से 20 अप्रैल 2009 तक
● नवीन चावला (Navin Chawla) – 21 अप्रैल 2009 – 29 जुलाई 2010
● शाहबुद्दीन याकूब कुरैशी (Shahabuddin Yaqoob Qureshi) – 30 जुलाई 2010 से 10 जून 2012 तक
● वी. एस. संपत (V. S. Sampath) – 11 जून 2012 से 15 जनवरी 2015 तक
● एच॰ एस॰ ब्रह्मा (H. S. Brahma) – 16 जनवरी 2015 से 18 अप्रैल 2015 तक
● नसीम जैदी (Nasim Zaidi) – 19 अप्रैल 2015 से 6 जुलाई 2017 तक
● अचल कुमार ज्‍योति (Akal Kumar Jyoti) – 6 जुलाई 2017 से 22 जनवरी 2018 तक
● ओम प्रकाश रावत – 23 जनवरी 2018 से अब तक
● सुनील अरोड़ा - 2 दिसंबर 2018 - अक्तूबर 2021

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Political science competition

12 Sep, 13:28


भारत के संविधान की अनुसूचियाँ

संविधान को 26 नवम्बर 1949 जब संविधान सभा द्वारा पारित किया गया तब भारतीय संविधान में कुल 22 भाग, और 8 अनुसूचियां थीं । वर्तमान में संविधान में ये 22 भाग ,395 अनुच्छेद मूल संविधान में संवैधानिक संशोधनों के बाद अनुसूचियां की संख्या 12 हो गई है । संविधान संशोधन अधिनियम, 1992के अंतर्गत क्रमशः संविधान के 73वें और 74वें संशोधन द्वारा 11वीं एवं 12वीं अनुसूची को संविधान में जोड़ा गया हैं। नीचे भारत के संविधान की अनुसूचियाँ ,भाग एवं अनुच्छेद दिया गया है

भारत के संविधान की अनुसूचियाँ की सूची
1) प्रथम अनुसूची :- इसके अंतर्गत भारत के 29 राज्य तथा 7 केंद्र शासित प्रदेशो का उल्लेख किया गया है|
2) दूसरी अनुसूची : इसमें भारतीय संघ के पदाधिकारियों (राष्ट्रपति ,राज्यपाल ,लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष , राजसभा के सभापति एवं उपसभापति ,विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष,विधान परिषद् के सभापति एवं उपसभापति,उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों और भारत के नियत्रंक महालेखा परीक्षक आदि ) को मिलने वाले वेतन, भत्ते तथा पेंशन का उल्लेख है |
3) तीसरी अनुसूची :- इसमें भारत के विभिन्न पदाधिकारियों(राष्ट्रपति , उप राष्ट्रपति , उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों ) की शपथ का उल्लेख है|
4) चौथी अनुसूची :- इसके अंतर्गत राज्यों तथा संघीय क्षेत्रो की राज्यसभा में प्रतिनिधित्व का विवरण दिया गया है|
5) पाँचवी अनुसूची :- इसमें अनुसूचित क्षेत्रों तथा अनुसूचित जनजाति के प्रशासन व नियंत्रण के बारे में उल्लेख है|
6) छठी अनुसूची :- इसमें असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन के बारे में प्रावधान हैं|
7) सातवी अनुसूची :- इसके अंतर्गत केंद्र व राज्यों के बीच शक्तियों का बटवारे के बारे में दिया गया है| इसके अंतर्गत तीन सूचियां है :-
i) संघ सूची :- इसके अंतर्गत 100 विषय है| इन विषयों पर कानून बनाने का अधिकार केवल केंद्र को है | संविधान के लागू होने के समय इसमे 97 विषय थे |
ii) राज्य सूची :- इस सूची में 61 विषय है| जिन पर कानून बनाने का अधिकार केवल राज्य को है| लेकिन राष्ट्रहित से सम्बन्धित मामलो में केंद्र भी कानून बना सकता है | संविधान के लागू होने के समय इसमे 66 विषय थे |
iii) समवर्ती सूची :- इसके अंतर्गत 52 विषय है| इन पर केंद्र व राज्य दोनों कानून बना सकते है|परन्तु कानून के विषय समान होने पर केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया कानून मान्य होता है|राज्य द्वारा बनाया गया कनून केंद्र द्वारा बनाने के बाद समाप्त हो जाता है| संविधान के लागू होने के समय इसमे 47 विषय थे |
8) आठवी अनुसूची :- इसमें भारतीय संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त 22 भाषाओं का उल्लेख किया गया है| मूल संविधान में 14 मान्यता प्राप्त भाषाए थी | सन 2004 में चार नई भाषाए मैथली, संथाली, डोगरी और बोडो को इसमें शामिल किया गया |
9) नौंवी अनुसूची :- यह अनुसूची प्रथम संविधान संसोधन अधिनियम 1951 द्वारा जोड़ी गयी थी| इस अनुसूची में सम्मिलित विषयों को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती| लेकिन यदि कोई विषय मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करे तो उच्चतम न्यायालय इस कानून की समीक्षा कर सकता है| अभी तक नौंवी अनुसूची में 283 अधिनियम है, जिनमे राज्य सरकार द्वारा सम्पति अधिकरण का उल्लेख प्रमुख है|
10) दसवी अनुसूची :- इसे 52वें संविधान संशोधन अधिनियम 1985 द्वारा मूल संविधान में जोड़ा गया| इस अनुसूची में दल-बदल सम्बन्धित कानूनों का उल्लेख किया गया है|
11) ग्यारहवी अनुसूची :- यह अनुसूची 73वें संविधान संशोधन अधिनियम 1992 द्वारा मूल संविधान में जोड़ा गया| यह अनुसूची पंचायती राज से सम्बन्धित है, जिसमे पंचायती राज से सम्बन्धित 29 विषय है|
12) बारहवी अनुसूची :- यह अनुसूची 74वें संविधान संशोधन अधिनियम 1992 द्वारा मूल संविधान में जोड़ा गया| इसमें शहरी क्षेत्रों के स्थानीय स्वशासन संस्थानों से सम्बन्धित 18 विषय है|

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12 Sep, 06:30


" "भारतीय संविधान",

प्रश्न :- भारतीय संविधान में कुल कितने अनुच्छेद हैं ?
उत्तर:- 444
प्रश्न :- भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में यह लिखा है कि भारत राज्यों का एक संघ होगा ?
उत्तर:- अनुच्छेद-1
प्रश्न :- किस अनुच्छेद में नागरिकों को मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं ?
उत्तर:- अनुच्छेद 12-35
प्रश्न :- किस अनुच्छेद में नागरिकता संबंधी प्रावधान है ?
उत्तर:- अनुच्छेद 5-11
प्रश्न :- नौकरियों तथा शैक्षणिक संस्थाओं में समाज के कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार को कौन-सा अनुच्छेद अधिकार प्रदान करता है ?
उत्तर:- अनुच्छेद-16
प्रश्न :- संविधान के किस अनुच्छेद में राज्य में नीति-निर्देशक तत्वों का उल्लेख है ?
उत्तर:- अनुच्छेद 36-51
प्रश्न :- भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में कल्याणकारी राज्य की अवधारणा वर्णित है ?
उत्तर:- अनुच्छेद-39
प्रश्न :- संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत भारत में राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाया जा सकता है ?
उत्तर:- अनुच्छेद-61
प्रश्न :- किस अनुच्छेद में मंत्रिगण सामूहिक रुप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होते हैं ?
उत्तर:- अनुच्छेद-75
प्रश्न :- महान्यायवादी की नियुक्ति किस अनुच्छेद के अंतर्गत की जाती है ?
उत्तर:- अनुच्छेद-76
प्रश्न :- संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत राष्ट्रपति लोकसभा भंग कर सकता है ?
उत्तर:- अनुच्छेद-85
प्रश्न :- किस अनुच्छेद में संसद के संयुक्त अधिवेशन का प्रावधान है ?
उत्तर:- अनुच्छेद-108
प्रश्न :- संविधान के किस अनुच्छेद में धन विधेयक की परिभाषा दी गई है ?
उत्तर:- अनुच्छेद-110
प्रश्न :- संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत राष्ट्रपति अध्यादेश जारी करता है ?
उत्तर:- अनुच्छेद-123
प्रश्न :- संविधान के किस अनुच्छेद में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश पर महाभियोग चलाया जा सकता है ?
उत्तर:- अनुच्छेद-124
प्रश्न :- राष्ट्रपति किस अनुच्छेद के अंतर्गत सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श मांग सकता है ?
उत्तर:- अनुच्छेद-233
प्रश्न :- किस अनुच्छेद के अंतर्गत केंद्र के पास अवशिष्ट शक्तियाँ है ?
उत्तर:- अनुच्छेद-248
प्रश्न :- किस अनुच्छेद में अंतर्राष्ट्रीय समझौते लागू करने के लिए शक्ति प्रदान की गई है ?
उत्तर:- अनुच्छेद-253
प्रश्न :- किस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति वित्त आयोग का गठन करता है ?
उत्तर:- अनुच्छेद-280
प्रश्न :- संपत्ति का अधिकार किस अनुच्छेद में है ?
उत्तर:- अनुच्छेद-300 (क)
प्रश्न :- संविधान के किस अनुच्छेद में संघ और राज्यों के लिए लोकसेवा आयोग का प्रावधान है ?
उत्तर:- अनुच्छेद-315
प्रश्न :- किस अनुच्छेद के अंतर्गत हिन्दी भाषा को राजकीय भाषा घोषित किया गया है ?
उत्तर:- अनुच्छेद-343 (I)
प्रश्न :- संविधान के किस अनुच्छेद के तहत अनुसूचित जनजातियों के लिए एक राष्ट्रीय आयोग के गठन का प्रावधान है ?
उत्तर:- अनुच्छेद-338 (A)
प्रश्न :- संसद को संविधान संशोधन का अधिकार किस अनुच्छेद में है ?
उत्तर:- अनुच्छेद-368
प्रश्न :- संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत संविधान की प्रक्रिया का उल्लेख है ?
उत्तर:- अनुच्छेद-356
प्रश्न :- संविधान के किस अनुच्छेद में ‘मंत्रिमंडल’ शब्द का प्रयोग संविधान में एक बार हुआ है ?
उत्तर:- अनुच्छेद-352
प्रश्न :- जम्मू-कश्मीर को किस अनुच्छेद के अंतर्गत विशेष दर्जा प्राप्त है ?
उत्तर:- अनुच्छेद-370
प्रश्न :- अनुच्छेद-356 का संबंध किससे है ?
उत्तर:- राष्ट्रपति शासन से
प्रश्न :- भारतीय संविधान में समानता का अधिकार पाँच अनुच्छेदों द्वारा प्रदान किया गया है, वे कौन-से हैं ?
उत्तर:- अनुच्छेद-14-18
प्रश्न :- संविधान के किस अनुच्छेद में मूल कर्तव्यों का उल्लेख है ?
उत्तर:- अनुच्छेद-51 (क)
प्रश्न :- ‘भारत के नागरिक का कर्तव्य होगा प्राकृतिक पर्यावरण का संरक्षण एवं सुधार’ यह कथन किस अनुच्छेद में है ?
उत्तर:- अनुच्छेद-(A)
प्रश्न :- संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत राज्य सरकार को ग्राम पंचायत के संगठन का निर्देश दिया गया है ?
उत्तर:- अनुच्छेद-40
प्रश्न :- वर्तमान में संविधान में कितनी अनुसूचियाँ हैं ?
उत्तर:- 12
प्रश्न :- संविधान की द्वितीय अनुसूची का संबंध किस से है ?
उत्तर:- महत्वपूर्ण पद अधिकारियों के वेतन-भत्तों से
प्रश्न :- कौन-सी अनुसूची में 22 भाषाओं को मान्यता दी गई है ?
उत्तर:- आठवीं अनुसूची
प्रश्न :- दल-बदल के आधार पर निर्वाचित सदस्यों की अयोग्यता संबंधी विवरण किस अनुसूची में है ?
उत्तर:- 10वीं अनुसूची
प्रश्न :- संविधान की छठी अनुसूची किस राज्य में लागू नहीं होता है ?
उत्तर:- मणिपुर
प्रश्न :- किस राज्य के आरक्षण विधेयक को 9वीं अनुसूची में सम्मिलिति किया गया है ?
उत्तर:- तमिलनाडु
प्रश्न :- भारतीय संविधान की कौन-सी अनुसूची राज्य में नामों की सूची तथा राज्य क्षेत्रों का ब्यौरा देती है ?
उत्तर:- पहली अनुसूची
प्रश्न :- भारतीय संविधान में 9वीं अनुसूची परिवर्तित हुई ?

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12 Sep, 06:30


- प्रथम संशोधन द्वारा
प्रश्न :- किस अनुच्छेद के अंतर्गत उपराष्ट्रपति पद की व्यवस्था है ?
उत्तर:- अनुच्छेद-63
प्रश्न :- वित्तीय आपात की घोषणा किस अनुच्छेद के अंतर्गत होती है ?
उत्तर:- अनुच्छेद-360
प्रश्न :- राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग का गठन किस अनुच्छेद के अंतर्गत किया जाता है ?
उत्तर:- अनुच्छेद-340
प्रश्न :- किस अनुसूची में केंद्र व राज्यों के बीच शक्तियों के बंटवारे का वर्णन है ?
उत्तर:- सातवीं अनुसूची में
प्रश्न :- समवर्ती सूची किस राज्य में संबंधित नहीं है ?
उत्तर:- जम्मू-कश्मीर से
प्रश्न :- संविधान लागू होने के समय समवर्ती सूची में कितने विषय थे ?
उत्तर:- 47 विषय
प्रश्न :- वर्तमान में राज्य सूची में कितने विषय हैं ?
उत्तर:- 66 विषय
प्रश्न :- वर्तमान में संघ सूची में कितने विषय हैं ?
उत्तर:- 97 विषय
प्रश्न :- किस अनुसूची में असम, मेघालय, त्रिपुरा व मिजोरम राज्यों के जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन के बारे में प्रावधान है ?
उत्तर:- छठीं अनुसूची में

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08 Sep, 12:25


Watch "blood group - RH factor @Khan GS Research Centre" on YouTube
https://youtu.be/PCeIw49UT44

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07 Sep, 11:45


क्या आप खान सर से पढ़ना चाहते हैं

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25 Aug, 09:21


लोकसभा : सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी

👉🏼 ● कौन-सी लोकसभा के चुनाव चार चरणों में हुए— 14वीं

👉🏼 ● लोकसभा का सदस्य बनने के लिए न्यूनतम आयु कितनी होनी चाहिए— 25 वर्ष

👉🏼 ● कौन-सा राज्य सबसे अधिक प्रतिनिधि लोकसभा में भेजता है— उत्तर प्रदेश

👉🏼 ● उत्तर प्रदेश के बाद सबसे अधिक संसदीय क्षेत्र किस राज्य में है— महाराष्ट्र में

👉🏼 ● किस राज्य में लोकसभा सदस्यों की संख्या
सबसे कम है— नागालैंड, सिक्किम व मिजोरम

👉🏼 ● लोकसभा का नेता कौन होता है— प्रधानमंत्री

👉🏼 ● लोकसभा का नेता कौन होता है— लोकसभा अध्यक्ष को

👉🏼 ● भूतपूर्व सांसद सदस्यों को पेंशन व्यवस्था कब लागू की गई— 1976 ई.

👉🏼 ● लोकसभा में कम से कम कितने सत्र जरूरी होते हैं— वर्ष में दो बार

👉🏼 ● लोकसभा को कौन भंग कर सकता है— राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की सलाह पर

👉🏼 ● वित्तीय बिल कहाँ पास हो सकता है— लोकसभा में

👉🏼 ● अविश्वास प्रस्ताव किस सदन में लाया जाता है— लोकसभा

👉🏼 ● बजट किसके द्वारा पारित किया जाता है— लोकसभा द्वारा

👉🏼 ● लोकसभा के सदस्यों की निर्योग्यता से संबंधित प्रश्नों का निर्णय कौन करता है— लोकसभा अध्यक्ष

👉🏼 ● अस्थाई लोकसभा अध्यक्ष को क्या कहते हैं— प्रोटेम स्पीकर

👉🏼 ● प्रोमेट स्पीकर की नियुक्ति कौन करता है— राष्ट्रपति

👉🏼 ● कितने दिनों तक अनुपस्थित रहने पर लोकसभा के सदस्य की सदस्यता समाप्त हो जाती है— 2 माह

👉🏼 ● किस विधेयक को केवल लोकसभा ही पारित करती है— वित्त विधेयक

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25 Aug, 09:20


ांच हजार रूपये का आर्थिक दंड शामिल है

 

राजस्थान जन सुनवाई का अधिकार अधिनियम 2012

यह अधिनियम राजस्थान में 1 अगस्त 2012 से लागू हुआ

अधिनियम आम आदमी की समस्याओं तथा अभाव अभियोग पर उनके अपने क्षेत्र में ही एक निश्चित समय सीमा में सुनवाई का अधिकार है

लोक सुनवाई अधिकारी सुनवाई का अधिकार सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार के हर विभाग में एक लोक सुनवाई का अधिकारी नियुक्त है

इस से संतुष्ट ना होने पर अपीलीय अधिकारी के पास मामला जाएगा जो दोनों पक्षों को सुनकर मामला तय करेगा

यदि वह नहीं सुनता है तो उस पर ₹5000 का जुर्माना होगा

इनके क्षेत्राधिकार निम्न है

 ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम सेवक राजस्व मामले पटवारी

 तहसील स्तर पर तहसीलदार

 पंचायत समिति में बीडीओ

 उपखंड स्तर पर एसडीओ

 जिला स्तर पर SDM सभी विभागों के अधिकारी

 जिला परिषद मुख्य कार्यकारी अधिकारी

नगर पालिका अधिशासी अधिकारी

नगर परिषद आयुक्त

 नगर निगम सीईओ

संभाग स्तर पर अतिरिक्त संभागीय आयुक्त वह सभी विभागों के संभाग स्तर के अधिकारी

इस अधिकार के क्षेत्र राजस्थान लोक सेवा प्रदान करने की गारंटी अधिनियम 2011 के लिए अधिसूचित 153 सेवाओं को प्राप्त करने वाली कठिनाइयों का समाधान राज्य एवं केंद्र की सभी जन कल्याणकारी योजनाओं तथा कार्यक्रमों की क्रिया को लाभ प्राप्त करने में आमजन की कठिनाइयों का निराकरण

इस अधिनियम के तहत तीन स्तर स्थापित किए गए हैं

पहला स्तर सूचना या सुगम केंद्र पर शिकायत संबंधी परिवारवाद सादे कागज पर या निर्धारित प्रारूप में दर्ज कराने की व्यवस्था होगी तथा रसीद भी मिलेगी लोक सुनवाई अधिकारी 15 दिन में सुनवाई वह निपटारा करेगा परिवारवाद कार्यकरणी खारिज करने का कारण लिखित रूप में स्पष्ट करना होगा

दूसरा स्तर लोक सुनवाई अधिकारी के निर्णय के खिलाफ 30 दिन में समय सीमा में सुनवाई नहीं होने पर प्रथम अपीलीय अधिकारी की अपील यहां निस्तारण 21 दिन में होगा

तीसरा प्रथम अपील के निर्णय के खिलाफ 30 दिन में या उसके आदेश का पालन नहीं होने पर द्वितीय अपील अधिकारी से अपील.

 


 

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25 Aug, 09:20


Legal Rights and Civil Rights Letters

विधिक अधिकार एवं नागरिक अधिकार-पत्र

1. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ( Consumer Protection Act ) 1986

विश्व में सर्वप्रथम 15 मार्च 1963 को United States of america में उपभोक्ता संरक्षण अधिकार अधिनियम लागू हुआ

तभी से संपूर्ण विषय में 15 मार्च विश्व उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है

स्वतंत्र भारत में उपभोक्ता आंदोलन प्रारंभ करने का श्रेय चक्रवर्ती राजगोपालाचारी को जाता है

भारत में सर्वप्रथम उपभोक्ता आंदोलन महाराष्ट्र में 1904 में शुरू हुआ

संसद में 24 दिसंबर 1986 को उपभोक्ता संरक्षण कानून पास किया गया

जो 15 अप्रैल 1987 को जम्मू कश्मीर को छोड़कर समस्त भारत में लागू हुआ

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत है संपूर्ण राजस्थान में एक त्रिस्तरीय अर्ध न्यायिक व्यवस्था स्थापित की गई

उपभोक्ता विवादों को निपटाने के लिए जिला और राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर त्रिस्तरीय निवारण व्यवस्था स्थापित की गई

जिसमें सिर्फ स्तर पर राष्ट्रीय आयोग राज्य स्तर पर राज्य उपभोक्ता संरक्षण आयोग और जिला स्तर पर जिला उपभोक्ता मंच स्थापित किए गए हैं

उपभोक्ता न्यायालयों का संगठन स्वरूप और क्षेत्राधिकार

जिला उपभोक्ता फोरम ( District Consumer Forum )

जिला उपभोक्ता फोरम की खंडपीठ में अध्यक्ष सहित तीन सदस्य होते हैं इन सदस्यों में एक महिला सदस्य होना अनिवार्य है

जिला उपभोक्ता फोरम पर 20 लाख रुपए तक के दावे किए जाते हैं

राज्य आयोग ( State commission ) 

इसमें एक अध्यक्ष तथा कम से कम 2 सदस्य होते हैं इसमें भी एक महिला सदस्य होना अनिवार्य है

राज्य आयोग का अध्यक्ष उच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त न्यायाधीश होता है

 यहां पर जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा किए गए निर्णय के विरुद्ध अपील की जाती है

राज्य आयोग में 20 लाख से अधिक तथा एक करोड़ रुपए तक के दावे किए जाते हैं

राष्ट्रीय आयोग ( National commission )

 केंद्रीय स्तर पर देश में एक राष्ट्रीय आयोग स्थापित है इसका मुख्यालय दिल्ली में है इसमें एक अध्यक्ष तथा कम से कम 4 सदस्य होने चाहिए

 इसका अधिक सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश होता है

इसमें भी एक महिला सदस्य होना अनिवार्य है यह आयोग राज्य आयोग द्वारा किए गए निर्णय के मामलों को सुनता है

 इस आयोग के निर्णय के विरुद्ध केवल सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है

राष्ट्रीय आयोग एक करोड़ से ऊपर की दावे सुनता है

राष्ट्रीय आयोग के निर्णय के विरुद्ध 30 दिन सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है

उपभोक्ता के अधिकार  ( Consumer rights )

1 सुरक्षा का अधिकार
2 सूचना का अधिकार
3 चयन का अधिकार
4 सुनवाई का अधिकार
5 शिकायत के समाधान
6 उपभोक्ता का शिक्षा का अधिकार

राजस्थान राज्य उपभोक्ता संरक्षण आयोग जयपुर 1988 राजस्थान उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत 26 मई 1988 को राज्य उपभोक्ता संरक्षण आयोग का गठन कर दिया गया
जिस के प्रथम अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायाधीश श्री कृष्णमल लोढा थे

इसका मुख्यालय जयपुर में है इसकी एक सर्किट बेंच जोधपुर में है
राज्य के सभी जिलों एक
एक उपभोक्ता जिला मंच हैं
जबकि जयपुर में दो जिला मचं स्थापित किए गए हैं

सूचना का अधिकार ( Right to information )

भारत में सूचना का अधिकार को प्राप्त करने के आंदोलन की शुरुआत ब्यावर से 6 अप्रैल 1995 को मजदूर किसान शक्ति संघ की प्रिय नेता अरुणा राय द्वारा की गई

अगस्त 2004 में सूचना स्वतंत्रता अधिनियम में संशोधनों की सिफारिश पर सरकार को सौंपी गई

11 मई 2005 को लोकसभा ने इस विधेयक को पारित कर दिया गया

12 मई 2005 को संसद द्वारा पारित होकर 15 जून 2005 को राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त हुई

सूचना का अधिकार अधिनियम में केंद्र सरकार राज्य सरकार स्थानीय शहरी निकाय पंचायती राज संस्थाएं वे सभी निकाय जो सरकार के अधीन आते हैं इन सभी संस्थाओं पर सूचना का अधिकार प्रभावी है

15 जून 2005 को जम्मू कश्मीर को छोड़कर पूरे भारत में लागू होगा

राजस्थान में लोक सेवाओं को प्रदान करने की गारंटी अधिनियम 2011

 14 नवंबर 2011 से पूरे प्रदेश में लागू हुआ

 इस अधिनियम में 18 विभागों के 53 विषयों की 153 सेवाएं शामिल है

 राज्य विधानसभा द्वारा 29 अगस्त 2011 को इस अधिनियम को मंजूरी दी गई

अधिनियम के मुख्य प्रावधान

इसमें जनता से जुड़े 18 विभाग शामिल है जिला प्रशासन को भी इसमें शामिल किया गया है

इन 18 विभागों के तहत जनता से संबंधित प्रतिदिन के कार्य एवं कल्याणकारी योजनाओं के 53 विषयों की 153 सेवाओं को समयबद्ध एवं पारदर्शी रूप से निर्धारित समय सीमा में उपलब्ध कराने की गांरटी

किसी विभाग का कोई अधिकारी या कर्मचारी अपनी क्षेत्राधिकार में शामिल सेवाओं को निर्धारित समय में पूरा नहीं करता है उस पर ₹500 से लेकर अधिकतम ₹5000 तक का दंड प्रावधान है

यदि वह सेवा प्रदान करने में विलंब करता है तो प्रतिदिन ढाई सौ से लेकर

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25 Aug, 09:19


✍️"भारतीय संविधान के स्रोत",🖋️

प्रश्न :- भारतीय संविधान संसदीय प्रणाली किस देश के संविधान से ली गई है ?
उत्तर:- इंग्लैंड
प्रश्न :- भारतीय संविधान का कौन-सा लक्षण आयरिश संविधान से अनुप्रेरित है ?
उत्तर:- नीति-निर्देशक तत्व
प्रश्न :- भारतीय संविधान का सबसे बड़ा एकाकी स्त्रोत कौन-सा है ?
उत्तर:- गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट, 1935
प्रश्न :- भारतीय संविधान की संघीय व्यवस्था किस देश की संघीय व्यवस्था से समानता रखती है ?
उत्तर:- कनाडा
प्रश्न :- संविधान में समवर्ती सूची की प्रेरणा कहाँ से ली गई है ?
उत्तर:- ऑस्ट्रेलिया
प्रश्न :- भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्यों को किस देश से लिया गया है ?
उत्तर:- रुस के संविधान से
प्रश्न :- राज्य में कलेक्टर का पद औपनिवेशिक शासन ने किस देश से उधार लिया था ?
उत्तर:- इंग्लैंड से
प्रश्न :- ‘कानून के समक्ष समान संरक्षण’ वाक्य कहाँ से लिया गया है ?
उत्तर:- संयुक्त राज्य अमेरिका से
प्रश्न :- सर्वोच्च न्यायालय की व्यवस्था भारतीय संविधान ने किस देश के संविधान से ली है ?
उत्तर:- संयुक्त राज्य अमेरिका
प्रश्न :- भारतीय संविधान की संशोधन प्रक्रिया किस देश के संविधान से प्रभावित है ?
उत्तर:- दक्षिण अफ्रीका
@s.k.s
प्रश्न :- ‘विधि के समक्ष समता’ कहाँ से ली गई है ?
उत्तर:- इंग्लैंड से
प्रश्न :- वह संवैधानिक दस्तावेज कौन-सा है जिसका भारतीय संविधान तैयार करने में गहरा प्रभाव पड़ा ?
उत्तर:- भारत सरकार अधिनिमय 1935
प्रश्न :- भारत के राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियाँ किस देश से ली गई हैं ?
उत्तर:- जर्मनी के वीमार संविधान से
प्रश्न :- भारत के सविधान में मूल अधिकार किस देश के संविधान से प्रेरित है ?
उत्तर:- संयुक्त के वीमर संविधान से
प्रश्न :- संविधान में ‘कानून द्वारा स्थापित’ शब्दावली किस देश के संविधान से ली गई है ?
उत्तर:- संयुक्त राज्य अमेरिका
प्रश्न :- प्रस्तावना की भाषा किस देश से ली गई है ?
उत्तर:- ऑस्ट्रेलिया

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30 Jul, 08:38


ीवित हो जाता है।
→ मूल संविधान में उल्‍लेख था कि आपात के दौरान अनुच्‍छेद 359 के अनुसार राष्‍ट्रपति आदेश निकालकर किसी भी मूल अधिकार का निलंबन कर सकता है। निलंबन कितने समय के लिये होगा इसकी घोषणा राष्ट्रिपति के आदेश में ही की जाएगी। ’44वे संविधान संशोधन 1978′ के द्वारा अनुच्‍छेद 359 पर यह शर्तें आरोपित कर दी गई कि-
→ अनुच्‍छेद 359 के तहत जारी आदेश से अनुच्‍छेद 20 और 21 द्वारा प्रदत्‍त मूल अधिकारों को निलंबित नहीं किया जा सकेगा।
→ संसद द्वारा पारित किसी कानून को अनुच्‍छेद 359 के तहत उन्‍मुक्ति तभी प्राप्‍त होगी जब उस कानून में स्‍पष्‍ट उल्‍लेख ि‍कया गया हो कि उसका संबंध उस समय लागू आपात की उद्घोषणा से है। ऐसे कानूनों के तहत दिय गए कार्यकारी आदेशों को भी यह उन्‍मुक्ति हासिल होगी।

" "name": "राष्‍ट्रीय आपात की घोषणा",
● अनुच्‍छेद 352 के तहत पहली उद्घोषणा के चीनी आक्रमण के कारण 26-10-1962 को की गई और यह 10-1-1968 तक जारी रही। अत: 1965 में पाकिस्‍तान के विरूद्ध हुए युद्ध में नया आपातकाल जारी करने की आवश्‍यकता नहीं हुई। दूसरी उद्घोषणा पाकिस्‍तान द्वारा अघोषित युद्ध के आधर पर 3-12-1971 को की गई। दूसरी उद्घोषणाजब प्रवर्तन में थी उसी समय ‘आभ्‍यांतरिक (आंतरिक) अशांति‘ के नाम पर 25-6-1975 को तीसरी उद्घोषणा की गई। दूसरी और तीसरी उद्घोषणा को 21-3-1977 को वापस ले‍ लिया गया। इसके बाद अभी तक किसी भी राष्‍ट्रीय आपात की घोषणा नहीं हुई।

" "name": "2- राज्‍य आपात या राष्‍ट्रपति शासन",
● किसी भी राज्‍य में राज्‍य आपात या राष्‍ट्रपति शासन दो आधारों पर लगाया जा सकता है-

● अनुच्‍छेद 356 के अनुसार यदि राष्‍ट्रपति को यह समाधान हो जाता है कि ऐसी स्थिति उत्‍पन्‍न हो गई है जिसमें राज्‍य का शासन संवैधानिक उपबंधों के अनुसार नहीं चलाया जा सकता है। राष्‍ट्रपति को यह समाधान राज्‍यपाल की रिपोर्ट के आधार पर भी हो सकता है और अन्‍यथा भी। संविधान में इस स्थिति को ‘संवैधानिक तंत्र का टूट जाना‘ के रूप में अभिव्‍यक्‍त किया है।
● अनुच्‍छेद 365 में उल्‍लेख है कि यदि कोई राज्‍य अनुच्‍छेद 256 और 257 के तहत केन्‍द्र द्वारा दिये गये निर्देशों का पालन नहीं कर रहा है या पालन करने में असमर्थ है, तो राष्‍ट्रपति के लिये यह निष्‍कर्ष निकालना विधिपूर्ण (Lawful) होगा कि राज्‍य की सरकार को संवैधानिक उपबंधों के अनुासर नहीं चलाया जा सकता है और अनुच्‍छेद 356 के तहत उद्घोषणा करना विधिसंगत होगा।

" "name": "अवधि और अनुमोदन",
● राष्‍ट्रपति द्वारा अनुच्‍छेद 356 के तहत की जाने वाली प्रत्‍येक उद्घोषणा संसदीय अनुमोदन की अपेक्षा रखती है। इन्‍हें निम्‍नलिखित बिंदुओं के माध्‍यम से समझा जा सकता है-

● राष्‍ट्रपति कभी भी ऐसी उद्घोषणा कर सकता है और वह तुरंत प्रभाव से लागू हो जाती है। दो माह की अवधि तक वह संसदीय अनुमोदन के बिना प्रवृत्‍त रह सकती है।
● यदि संसद के दोनों सदन उद्घोषणा लागू होने के दो माह के भीतर उसका अनुमोदन न कर दें तो यह अवधि पूरी होने पर वह स्‍वत: समाप्‍त हो जाती है। अनुमोदन के लिये दोनों सदनों का साधारण बहुमत ही पर्याप्‍त होता है।
● यदि उद्घोषणा किये जाने के समय लोकसभा विघटित हो या इन दो महीनों की अवधि के भीतर उद्घोषणा का अनुमोदन किये बिना वह विघटित हो जाए: किंतु राज्‍यसभा ने उद्घोषणा का अनुमोदन कर दिया हो, तो लोकसभा के पुनर्गठन तक वह लागू रहेगी। नई लोकसभा जिस दिन पहली बार बैठेगी, उसके 30 दिनों की अवधि के भीतर यदि वह उद्घोषणा का अनुमोदन कर देती है तो ठीक: नहीं तो यह अवधि पूरी होते ही उद्घोषणा स्‍वत: समाप्‍त हो जाएगी।
● दोनों सदनों से अनुमोदन होने के बाद उद्घोषणा 6 माह की अवधि के लिये वैध होगी। अवधि की गणना मूल उद्घोषणा की तिथि से होगी। जितनी बार उद्घोषणा को बढ़ाया जाएगा, वह हर बार 6 माह के लिये ही बढ़ेगी। यदि लोकसभा इस दौरान विघटित हो गई तो वह केवल राज्‍यसभा के अनुमोदन से बढ़ जाएगी किंतु लोकसभा को अपने पुनर्गठन के बाद पहली बैठक के 30 दिनों के भीतर उसका अनुमोदन करना होगा, नहीं तो वह स्‍वत: रद्द हो जायेगी।
● एक वर्ष तक उद्घोषणा को उपरोक्‍त विधि से बढ़ाया जा सकता है, किंतु यदि उसे एक वर्ष की अवधि के बाद भी बढ़ाना हो तो उसके लिये दो अन्‍य शर्तें पूरी होनी जरूरी है-
→ संपूर्ण देश या उसके किसी भाग में अनुच्‍छेद 352 के तहत आपात की उद्घोषणा लागू हे, तथा
→ निर्वाचन आयोग ने प्रमाणित किया है कि वर्तमान में संबद्ध राज्‍य के साधारण चुनाव कराने में कठिनाइयों के कारण उद्घोषणा को प्रवृत्‍त बनाए रखना आवश्‍यक है।

गौरतलब है कि यह प्रावधान मूल संविधान में नहीं था, इसे ’44वे संशोधन, 1978′ द्वारा जनता पार्टी की सरकार ने अनुच्‍छेद 356(5) जोड़कर शामिल किया था।
● उपरोक्‍त शर्तें पूरी होने पर भी किसी राज्‍य में अनुच्‍छेद 356 के तहत की गई उद्घोषणा की अधिकतम अवधि 3 वर्ष ही हो सकती है।

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30 Jul, 08:38


● उद्घोषणा को पस लेना बिल्‍कुल आसान है। राष्‍ट्रपति जब चाहे, किसी पश्‍चात्वर्ती उद्घोषणा द्वारा मूल उद्घोषणा को वापस ले सकता है। ऐसा करने के लिये संसद के अनुमोदन की आवश्‍यकता नहीं है।

"उद्घोषणा का न्‍यायिक पुनर्विलोकन",

● वर्ष 1978 में जनता पार्टी की सरकार ने 44वें संशोधन द्वारा उस उपबंध को संविधान से बाहर कर दिया जो राष्‍ट्रपति के समाधान की न्‍यायिक पुनर्विलोकन से परे करता था तथा ‘एस.आर. बोम्‍मई बनाम भारत संघ 1994‘ में उच्‍चतम न्‍यायालय ने स्‍पष्‍ट किया कि सीमित आधारोंपर उद्घोषणा का न्‍यायिक पुनर्विलोकन हो सकेगा। इस संबंध में न्‍यायालय केवल दो बातों की जॉंच करेगा-

● क्‍या राष्‍ट्रपति का समाधान अनुचित है या असद्भावपूर्ण हे या पूर्णत: बाह्य और असंगत कारणों पर आधारित है?
● क्‍या अनुच्‍छेद 356 के तहत निष्‍कर्ष पर पहुँचने के लिये राष्‍ट्रपति के पास पर्याप्‍त सामग्री मौजूद थी? राष्‍ट्रपति के समक्ष ऐसी सामग्री होनी चाहिये जिस पर विचार करके कोई तार्किक व्‍यक्ति अनुच्‍छेद 356 के प्रयोग करने के निष्‍कर्ष पर पहॅुंचता है।

"उद्घोषणा का प्रभाव",
●यदि किसी राज्‍य में अनुच्‍छेद 356 के तहत उद्घोषणा की जाती है तो राष्‍ट्रपति-
● राज्‍य सरकार के सभी या कोई कृत्‍य अपने हाथ में ले सकता है।
● राज्‍यपाल या किसी अन्‍य निकाय या प्राधिकारी में निहित या प्रयुक्‍त सभी या कोई शक्तियां अपने हाथ में ले सकता है।
● वह घोषणा कर सकताहै कि राज्‍य विधानमंडल की शक्तियाँ संसद के द्वारा या उसके प्राधिकार के अधीन प्रयोग की जाएगी।
● वह ऐसे आनुषंगिक या पारिणामिक उपबंध कर सकता है जो उद्घोषणा को प्रभावी करने के लिये आवश्‍यक है

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30 Jul, 08:38


"संविधान के आपातकालीन उपबंध",

● सामान्‍य परिस्थितियों में भारतीय संविधान ससंघात्‍मक ढॉंचे का अनुसरण करता है परन्‍तु, हमारे संविधान निर्माताओं को इस बात का अहसास था कि यदि देश की सुरक्षा खतरे में हो या उसकी एकता और अखण्‍डता को खतरा हो, तो यह ढॉंचा परेशानी का कारण भी बन सकता है। ऐसी परिसस्‍थतियों में देश की रक्षा के लिये परिसंघ के सिद्धातों को त्‍याग दिया जाता है और जैसे ही देश की स्थितियॉं सामान्‍य होती हैं, संविधान पुन: अपने सामान्‍य रूप में कार्य करने लगता है।

भारतीय संविधान निर्माताओं ने संविधान के भाग 18 के अनुक्ष्‍छेद (352-360) में तीन प्रकार के आपातों का उल्‍लेख किया है –
● युद्ध, बाह्य आक्रमण या सशस्‍त्र विद्रोह की स्थिति में उत्‍पन्‍न आपात जिसे आम-बोलचाल में ‘राष्‍ट्रीय आपात’ कहा जाता है। हालॉंकि संविधान में इसके लिये ‘आपात की उद्घोषणा‘ शीर्षक का प्रयोग हुआ है।
● राज्‍यों में संवैधानिक तंत्र के विफल हो जाने की स्थिति से उत्‍पन्‍न परिस्थिति। प्रचलित भाषा में इसे राष्‍ट्रपति शासन के नाम से जाना जाता है। संविधान में इसके लिये कहीं भी आपात या आपातकाल शब्द का उल्‍लेख नहीं मिलता है।
● ऐसी स्थिति जिसमें भारत का वित्‍तीय स्‍थायित्‍व या साख संकट में हो, तो उसे वित्‍तीय आपात कहते हैं। संविधान में भी इसे ‘वित्‍तीय आपात‘ कहा गया है।

B "1- राष्‍ट्रीय आपात",

● भारतीय संविधान के अनुच्‍छेद 352 के अनुसार राष्‍ट्रपति को आपात की उद्घोषणा करने की शक्ति प्राप्‍त है यदि उसे यह समाधान हो जाता है कि, ‘युद्ध’, ‘बाह्य आक्रमण’ या ‘सशस्‍त्र विद्रोह’ के कारण भारत या उसके किसी क्षेत्र की सुरक्षा संकट में है। जरूरी नहीं है कि संकट वास्‍तव में मौजूद हो यदि संकट सन्निकट है तो भी उद्घोषणा की जा सकती है। 44वे संविधान संशोधन द्वारा यह स्‍पष्‍ट किया गया है कि राष्‍ट्रपति ऐसी उद्घोषणा केवल तभी कर सकता है जब संघ का मंत्रीमंडल (Cabinet) इस संदर्भ में अपने विनिश्‍चय की सूचना लिखित रूप में प्रदान करें।
मूल संविधान में आपात की उद्घोषणा का आधार ‘युद्ध’, ‘बाह्य आक्रमण’ और ‘आंतरिक अशांति‘ था परंतु 44वें संविधान संशोधन के द्वारा ‘आंतरिक अशांति’ के स्‍थान पर ‘सशस्‍त्र विद्रोह‘ को आधार बनाया गया।
मूल संविधान में इस बात की कोई चर्चा नहीं थी कि आपात की एक ही उद्घोषणा की जा सकती है या एकाधिक उद्घोषणाएँ भी संभव हैं। ’38वें संविधान संशोधन 1975′ द्वारा अनुच्‍छेद 352 में एक नया खण्‍ड जोड़कर यह स्‍पष्‍ट किया गया कि राष्‍ट्रपति को इस अनुच्‍छेद के तहत विभिन्‍न आधारों पर एक ही समय में विभिन्‍न घोषणाऍं करने की शक्ति होगी, चाहे राष्‍ट्रपति ने पहले से कोई उद्घोषणा कर रखी हो और वह प्रवर्तन में हो।
नोट: भारतीय संविधान में केवल अनुच्‍छेद 352 में ही एक बार मंत्रिमंडल (Cabinet) शब्‍द का प्रयोग हुआ है, शेष सभी स्‍थानों पर मंत्रिपरिषद शब्‍द का उल्‍लेख है।

● उद्घोषणा का राज्‍यक्षेत्रीय विस्‍तार (Territorial extension of the proclamation) ~~
मूल संविधान में विशिष्‍ट तौर पर यह नहीं कहा गया था कि आपात की उद्घोषणा को भारत के किसी विशिष्‍ट भाग तक भी सीमित किया जा सकता है। इसका अर्थ यह निकाला जाता था कि समस्‍या चाहे देश के किसी विशिष्‍ट भाग तक ही सीमित क्‍यों न हो परंतु आपात की उद्घोषणा पूरे देश के लिये की जाएगी। 42वे संविधान संशोधन 1976 द्वारा राष्‍ट्रपति को य‍ह अधिकार प्रदान किया गया है कि वह आपात की उद्घोषणा को पूरे भारत या उसके किसी विशिष्‍ट क्षेत्र तक भी सीमित रख सकता है। यह संशोधन युक्तियुक्‍त और तर्कसंगत है जैसे यदि संकट लद्दाख पर हो तो यह आवश्‍यक नहीं कि कन्‍याकुमारी में भी आपात लागू किया जाये। संकट किस क्षेत्र पर है, इसका निर्णय राष्‍ट्रपति करेगा। यहाँ राष्‍ट्रपति के निर्णय का अर्थ मंत्रिमंडल के निर्णय से है।

"आपात का अनुमोदन और अवधि ",

●44वें संविधान संशोधन 1978 से पूर्व उद्घोषणा दो मास तक की अवधि तक विधिमान्‍य और प्रवर्तन में रहती थी। किन्‍तु, यदि दो मास की अवधि के समाप्‍त होने से पूर्व संसद के दोनों सदन सामान्‍य बहुमत के संकल्‍प द्वारा उसका अनुमोदन कर देते थे तो वह उद्घोषणा अनिश्चित काल तक ( जब तक मंत्रिपरिषद चाहे तब तक ) बनी रह सकती थी।

44वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा यह प्रावधान किया गया कि आरंभ में उद्घोषणा एक माह की अवधि तक प्रवृत्‍त रहेगी। यदि संसद के दोनों सदन एक माह के भीतर विशेष बहुमत द्वाारा संकल्‍प पारित कर देते हैं तो वह दूसरा संकल्‍प पारित किये जाने की तिथि‍ से छ: माह तक बनी रहेगी। प्रत्‍येक छ: माह के पश्‍चात् उद्घोषणा की अवधि को आगे बढ़ाने के लिये पुन: विशेष बहुमत से अनुमोदन आवश्‍यक है। स्‍पष्‍टत: प्रत्‍येक अनुमोदन से उद्घोषणा को केवल छ: माह का जीवनकाल प्राप्‍त होता है और उसे नया जीवनकाल प्राप्‍त करने के लिये

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30 Jul, 08:38


नुमोदन की आवश्‍यकता होती है।

यदि लोकसभा का विघटन हो गया है तो ऐसी स्थिति में राज्‍यसभा उद्घोषणा का अनुमोदन करेगी और लोकसभा के पुनर्गठन के पश्‍चात् पहली बैठक के 30 दिनों के भीतर उद्घोषणा का लोकसभा द्वारा अनुमोदन आवश्‍यक है। ध्‍यातव्‍य है कि जब लोकसभी अस्तित्‍व में न हो और केवल राज्‍यभा द्वारा ही आपात उद्घोषणा का अनुमोदन किया जा रहा हो, तब भी उद्घोषणा की अवधि एक बार में छ: माह से अधिक नहीं हो सकती।
नोट: विशेष बहुमत का अर्थ है कि संकल्‍प सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्‍यों के 2/3 बहुमत से पारित हो और साथ ही साथ यह संख्‍या सदन की कुल संख्‍या का बहुमत भी हो।

" "name": "उद्घोषणा की स‍माप्ति",
●अनुच्‍छेद 352 के आधार पर की गई आपात की उद्घोघणा तीन तरह से समाप्‍त हो सकती है –

यदि निर्धारित समय सीमा के भीतर संसद के दोनों सदन विशेष बहुमत से उद्घोषणा का अनुमोदन या काल विस्‍तार नहीं करते तो वह स्‍वत: समाप्‍त हो जाती है।
राष्‍ट्रपति जब चाहे उद्घोषणा को वापस ले सकता है। उद्घोषणा को वापस लेने के लिये संसद के अनुमोदन की आवश्‍यकता नहीं होती।
यदि लोकसभा अपनी कुल संख्‍या के कम से कम 1/10 सदस्‍यों के हस्‍ताक्षर द्वारा राष्‍ट्रपति को यह सूचित करती है कि उद्घोषणा को वापस ले लिया जाए तो ऐसी सूचना के 14 दिनों के भीतर लोकसभा की विशेष बैठक बुलाना अनिवार्य है, जिसमें संकल्‍प पर विचार होता है लेकिन संकल्‍प पारित किये जाने के लिये विशेष बहुमत का प्रावधान नहीं है। इसका अर्थ है, यदि इस बैठक में साधारण बहुमत से आपात की उद्घोषणा को वापस लेने का संकल्‍प पारित हो जात ाहै तो उद्घोषणा समाप्‍त हो जाएगी।

" "name": "आपात उद्घोषणा के प्रभाव",
●भारतीय राज्‍यव्‍यवस्‍था पर आपात की उद्घोषणा का बहुत व्‍यापक प्रभाव पड़ता है। संघ की कार्यपालिका को अपूर्व शक्तियॉं मिल जाती हैं। आष्‍ट्रीय आपात की उद्घोषणा का विभिन्‍न अंगों पर निम्‍नलिखित प्रभाव पड़ता है।

● कार्यपालिका पर प्रभाव: आपात की उद्घोषणा के समय केन्‍द्र की कार्यपालिका शक्ति का वितर किसी राज्‍य को यह निर्देश देने तक हो जाएगा कि राज्‍य अपनी कार्यपालिका शक्ति का प्रयो किस प्रकार करेगा। इस प्रकार राज्‍य सरकार को केन्‍द्र सरकार के निर्देशों के तहत शासन चलाना होता है। यदि आपात किसी क्षेत्र विशेष तक सीमित है तब भी अन्‍य राज्‍यों को निर्देश दिया जा सकेगा। सामान्‍य समय में राज्‍यों को केवल कुछ विषयों के बारे में ही निर्देश दिया जा सकता है परन्‍तु आपात की उद्घेाषणा के समय राज्‍यों को किसी भी विषय के बारे में निेर्दश दिया जा सकता है।
● विघायिका पर प्रभाव: राष्‍ट्रीय आपात के समय संसद, राज्‍य सूची के किसी भी विषय पर विधि बना सकती है और राष्‍ट्रपति राज्‍यसूची के किसी भी विषय पर अध्‍यारोहण करने की शक्ति मिल जाती है। इस प्राकर संसद राष्‍ट्रहित में तुरंत कार्य करने में समर्थ हो जाती है और उसे राज्‍य द्वारा कदम उठाए जाने की प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ती। इस प्रकार संविधान एक प्रकार से ऐकिक हो जाता है। (ध्‍यातव्‍य है कि राष्‍ट्रीय आपात की उद्घेषणा से राज्‍य विधानमंडल को लिनंबित नहीं किया जाता किंतु केंद्र और राज्‍यों के बीच विधायी शक्तियों के समान्‍य विभाजन का निलंबन हो जाता है।)
● वित्‍तीय वितरण पर प्रभाव: राष्‍ट्रीय आपात की उद)घोषाणा के प्रवर्तन के समय राष्‍ट्रपति केन्‍द्र और राज्‍य के मध्‍य राजस्‍व वितरण से संबंधित उपबंधों को संशोधित कर सकता है। ये संशोधन उस वित्‍तीय वर्ष के अंत तक जारी रहते हैं जिसमें आपात की उद्घोश्‍ज्ञणा समाप्‍त होती है। राष्‍ट्रपति द्वारा किया गया कोई भी संशोधन यथाशीघ्र संसद के प्रत्‍ये सदन के समक्ष रखा जाता है।
● लोकसभा व विधानसभाओं के कार्यकाल पर प्रभाव: राष्‍ट्रीय आपात की उद)घोषणा के दौरान संसद विधि द्वारा लोकसभा व किसी भी विधानसभा कार्यकाल एक बार में एक वर्ष के लिये बढ़ा सकती है। कार्यकाल कितनी भी बार बढ़ाया जा सकता है परंतु एक बार में एक वर्ष तक के लिये ही बढ़ेगा। आपात की उद्घोषणा समाप्‍त होने के पश्‍चात् कार्रूकाल का विस्‍तार छ:माह से अधिक नहीं होगा।
● मूल अधिकारों पर प्रभाव: आपात के दौरान मूल अधिकारों पर पड़ने वाले प्रभावों को अनुच्‍छेद 358 और 359 में स्‍पष्‍ट किया गया है। जिनका विवरण निम्‍न है –
→ अनुच्‍छेद 358 के अनुसार आपात के दौरान अनुच्‍छेद 19 का स्‍वत: निलंबन होता है। इसके लिये कोई पृथक घोषणा नहीं करनी पड़ती। अनुच्‍छेद 19 का निलंबन युद्ध और बाह्य आक्रमण के समय ही होता है, सशस्‍त्र विद्रोह के कारण घोषित आपात की स्थिति में नहीं। अनुच्‍छेद 358 केवल उन्‍हीं विधियों को सुरक्षा प्रदान करता है जिनका सीधा संबंध आपातकाल के साथ है और जिनमें इस आशय की स्‍पष्‍ट घोषणा की गई है। ऐसे कानूनों केतहत दिये गये आदेशों को भी यह सुरक्षा प्राप्‍त होती है। आपात की उद्घोषणा के समाप्‍त होते ही अनुच्‍छेद 19 पुन:

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30 Jul, 04:35


भारत की राजधानी कहा है ?

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26 Jul, 13:54


"राष्ट्रपति",

● भारत की कार्यपालिका का अध्यक्ष कौन होता है— राष्ट्रपति
● भारत के राष्ट्रपति की तुलना किस देश के सम्राट से की जा सकती है— ब्रिटेन के सम्राट से
● राष्ट्रपति पद्धति में समस्त कार्यपालिका की शक्तियाँ किसमें निहित होती है— राष्ट्रपति
● भारतीय संविधान के अनुसार भारत का प्रथम नागरिक कौन होता है— राष्ट्रपति
● भारत की तीनों सेनाओं का सर्वोच्च सेनापति कौन होता है— राष्ट्रपति
● भारत के राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार की न्यूनतम आयु कितनी होनी चाहिए— 35 वर्ष
● राष्ट्रपति का चुनाव किस पद्धति द्वारा होता है— समानुपातिक प्रतिनिधित्व एंव एकल संक्रमणीय प्रणाली द्वारा
● भारत के राष्ट्रपति का चुनाव कौन संचालित करता है— निर्वाचन आयोग
● राष्ट्रपति के चुनाव संबंधी मामले कहाँ भेजे जाते हैं— उच्चतम् न्यायालय में
● भारत के राष्ट्रपति का चुनाव किनते वर्षों के लिए होता है— 5 वर्ष
● राष्ट्रपति को उनके पद से कैसे हटाया जा सकता है— संसद द्वारा महाभियोग चलाकर
● राष्ट्रपति पर महाभियोग किस आधार पर लगाया जाता है— संविधान का अतिक्रमण करने पर
● राष्ट्रपति पर महाभियोग किस आधार पर लगाया जाता है— अमेरिका से
● भारत के राष्ट्रपति को पद एवं गोपनीयता की शपथ कौन दिलाता है— भारत का मुख्य न्यायाधीश
● संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत राष्ट्रपति मुख्य न्यायाधीश के समक्ष शपथ ग्रहण करता है— अनुच्छेद-60
● राष्ट्रपति अपना त्यागपत्र किसे सौंपता है— उपराष्ट्रपति को
● राष्ट्रपति के त्यागपत्र की सूचना उपराष्ट्रपति किसे देता है— लोकसभाध्यक्ष को
● भारत के कौन-से राष्ट्रपति निर्विरोध चुने गए थे— नीलम संजीव रेड्डी
● स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति किस राज्य के थे— बिहार से
● भारत के किस राष्ट्रपति की मृत्यु कार्यकाल खत्म होने से पहले हुई— डॉ. जाकिर हुसैन
● भारत का राष्ट्रपति किसकी नियुक्ति नहीं करता है— उपराष्ट्रपति की
● वित्त बिल के लिए किसकी स्वीकृति आवश्यक है— राष्ट्रपति
● लोकसभा व राज्यसभा में राष्ट्रपति कुल कितने सदस्य मनोनीत कर सकता है— 14
● भारत के राष्ट्रपति को कौन सलाह देता है— संघीय मंत्रीपरिषद
● कौन-सा व्यक्ति कार्यवाहक राष्ट्रपति तथा उच्चतम न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश रहा— एम. हिदायतुल्ला
● किस विधेयक को राष्ट्रपति पुनर्विचार के लिए नहीं लौटाता है— धन विधेयक को
● युद्ध अथवा बाहरी आक्रमण की स्थिति में आक्रमणकारी के विरुद्ध युद्ध की घोषण कौन कर सकता है— राष्ट्रपति
● किसी व्यक्ति को दोषी पाये जाने पर कौन उसे क्षमादान दे सकता है— राष्ट्रपति
● भारत के राष्ट्रपति ने किस मामले में वीटो शक्ति का प्रयोग किया था— भारतीय डाकघर अधिनियम
● भारत के राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति की अनुप्स्थिति में कार्यभार कौन ग्रहण करेगा— सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश
● अध्यादेश जारी करने का अधिकार राष्ट्रपति का कौन-सा अधिकार है— विधायी अधिकार
● भारत का राष्ट्रपति किसके द्वारा चुना जाता है— सांसदों व विधानसभा सदस्यों द्वारा
● श्रीमति प्रतिभा पाटिल भारतीय गणतंत्र में कौन-सी राष्ट्रपति बनी थीं— 12वीं
● कौन-से राष्ट्रपति दो बार राष्ट्रपति चुने गए— डॉ. राजेंद्र प्रसाद
● किसी भौगोलिक क्षेत्र को अनुसूचित क्षेत्र घोषित करने का अधिकार किसको है— राष्ट्रपति को
● भारत का संवैधानिक अध्यक्ष कौन होता है— राष्ट्रपति
● भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का चुनाव कैसे हुआ— संविधान सभा द्वारा
● भारत का राष्ट्रपति राज्यसभा में कितने सदस्य मनोनीत कर सकता है— 12
● भारत के राष्ट्रपति का वेतन कितना है— 1,50,000 रुपए प्रतिमाह
● किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन किसने समय के लिए रह सकता है— 3 वर्ष
● राज्य में राष्ट्रपति शासन की घोषणा कौन करता है— राष्ट्रपति
● भारतीय संविधान के अनुसार भारत का राष्ट्रपति राज्य का क्या होता है— राज्य का संवैधानिक अध्यक्ष
● भारत के राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है— अप्रत्यक्ष रूप से
● राष्ट्रपति चुनाव के लिए प्रस्तावक एवं अनुमोदकों की संख्या कितनी होती है— 50-50
● भारत में किसके चुनाव में अनुपातिक प्रतिनिधित्व चुनाव प्रणाली अपनाई जाती है— राष्ट्रपति के चुनाव में
● राष्ट्रपति पद रिक्त होने पर कितने समय में भरना आवश्यक है— 6 माह में
● भारत के राष्ट्रपति की मर्जी तक किसी राज्य में अपने पद पर कौन रह सकता है— राज्यपाल
● राष्ट्रपति किस सूची के विषय पर अध्यादेश जारी कर सकता है— संघ व समवर्ती सूची पर
● जब किसी विधेयक को संसद में प्रस्तुत किया जाता है तो किसकी अनुमति के बाद वह अधिनियम बन जाता है— राष्ट्रपति की अनुमति के बाद

" "सर्वोच्च न्यायालय",

● भारतीय न्यायालय कहां पर है? – नई दिल्ली में तिलक रोड स्थित 22 एकड़ जमीन में बना
● ऐसा कोन सा मुख्य न्यायाधीश जिन्होंने राष्ट्रपति के रूप में काम किया? – जस्टिस एम. हिदायतुल्ला
● किस के बाद उच्च न्यायालय के

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26 Jul, 13:54


ीश अन्य उच्च न्यायालय तथा सर्वोच्च न्यायालय दोनों में हिमायत कर सकते है? – सेवानिवृत्ति
● जनहित याचिका को दायर सर्वोच्च कोन न्यायालय में की जा सकती है? – दोनों में
● भारत के उच्च न्यायालय को सलाहकार किस अनुच्छेद में बनाया गया है? – अनुच्छेद 143
● भारत के उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या को बढ़ने की अनुमती किस के पास है? – संसद के पास
● भारत के मूल रूप से संविधान में सर्वोच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश के अलावा कितने न्यायाधीश की व्यवस्था थी? – 7 और न्यायाधीश की
● भारत के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों के पद खाली हो तो उस समय कौन काम करता है? – भारत के मुख्य न्यायाधीश
● भारत के सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना किसके अनुसार हुई? – भारत सरकार अधिनियम, 1935
● भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पहले मुख्य न्यायाधीश कौन थे? – हीरालाल जे. कानिया
● भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद पर सबसे लंबी अवधि तक कोन पदस्थ रहा? – वाई. वी. चन्द्रचूड़
● भारत के सर्वोच्च न्यायालय में तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति किस देश की न्याय प्रणाली से प्रेरित है? – फ्रांस
● भारत में किस तरह की न्यायपालिका है? – स्वतंत्र न्यायपालिका
● भारत में किस न्यायपालिका का स्वरूप माना जाता है? – संघटित न्यायपालिका का
● भारत में न्यायिक काम-काज के लिए किस भाषा का इस्तेमाल किया जाता है? – अंग्रेजी
● भारत में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को उसके पद से किसके आधार पर हटा जा सकता है? – अक्षमता प्रमाणित मौलिकता पर
● भारत में उच्चतम न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश कौन थी? – फातिमा बीबी
● भारत सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद पर सबसे कम अवधि तक कौन रहा? – कमल नारायण सिंह
● भारतीय न्यायिकता की समीक्षा करने का अधिकार किसके पास है? – उच्चतम न्यायालय
● भारतीय संविधान के व्याख्याकार और संरक्षक किस को कहा जाता हैं? – सर्वोच्च न्यायालय
● भारतीय संसद द्वारा न्यायाधीशों की मूल संख्या को कब और कितनी बढाई गयी? – 1956 में आठ से बढ़ाकर ग्यारह, 1960 में चौदह, 1978 में अठारह, 1986 में छब्बीस और 2008 में इकत्तीस

" "name": "उच्च न्यायालय",
● उच्च न्यायालय का न्यायाधीश कितनी आयु तक अपने पद पर रह सकता है? – 62 वर्ष की आयु तक
● उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार को हटाने या बढ़ाने का अधिकार किसको है? – भारतीय संसद को
● उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को उसके पद व गोपनीयता की शपथ कौन दिलाता है? – राज्यपाल
● उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति कौन करता है? – राष्ट्रपति
● उच्च न्यायालय में प्रथम महिला मुख्य न्यायाधीश कौन थीं? – श्रीमती लीला सेठ
● उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु क्या है? – 65 वर्ष की आयु तक
● उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या में वृद्धि करने का अधिकार किसको है? – संसद को
● ओड़िशा राज्य का उच्च न्यायालय कहाँ स्थित है? – कटक
● किस अधिनियम के अंतर्गत सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना हुई? – रेग्युलेटिंग एक्ट 1773
● किस अनुच्छेद के अंतर्गत् संविधान सर्वोच्च न्यायालय को अभिलेख न्यायालय का स्थान प्रदान करता है? – अनुच्छेद-129
● किस अनुच्छेद में उच्चतम न्यायालय को परामर्शदाती बनाया गया है? – अनुच्छेद-143
● किस उच्च न्यायालय में सबसे अधिक स्थाई/अस्थाई खंडपीठ है? – गुवाहटी उच्च न्यायालय में
● किसी न्यायाधीश को एक न्यायालय से दूसरे न्यायालय में भेजने का अधिकार किसको है? – राष्ट्रपति को
● किसी राज्य के उच्च न्यायालय के न्यायधीशों के वेतन एवं भत्ते का संबंध किससे होता है? – संबंधित राज्य की लोकलेखा निधि से
● केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली का उच्च न्यायालय कहाँ स्थित है? – दिल्ली में
● केरल का उच्च न्यायालय कहाँ स्थित है? – एर्नाकुलम
● क्या सेवानिवृत्ति के पश्चात् सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश किसी जगह वकालत कर सकते हैं? – नहीं
● जनहित याचिका कहाँ दायर की जा सकती है? – सर्वोच्च न्यायालय में
● न्यायिक पुनर्विलोकन का अधिकार किसे है? – स्वतंत्र
● पटना उच्च न्यायालय की स्थापना कब हुई? – 1916 ई.
● भारत का चलित न्यायालय किसका मानसंपुज है? – डॉ. ए.पी.जे. कलाम आजाद
● भारत का सबसे बड़ा उच्च न्यायालय कौन-सा है? – इलाहाबाद उच्च न्यायालय
● भारत के किस उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या सबसे कम है? – सिक्किम उच्च न्यायालय
● भारत के किस न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या सबसे अधिक है? – इलाहाबाद उच्च न्यायालय
● भारत के प्रथम मुख्य न्यायधीश कौन थे? – हरिलाल जे. कानिया
● भारत में कुल कितने उच्च न्यायालय हैं? – 24
● मध्य प्रदेश का उच्च न्यायालय कहाँ स्थित है? – जबलपुर
● मौलिक अधिकारों की रक्षा कौन करता है? – सर्वोच्च न्यायालय
● यदि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति अनुपस्थित हों तो भारत के राष्ट्रपति पद को कौन संभालता है? – वाई. वी. चंद्रचूड़
● वर्तमान में

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च्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश सहित न्यायाधीशों की कुल संख्या कितनी है? – 31
● संविधान का संरक्षक व व्याख्याकार कौन है? – सर्वोच्च न्यायालय
● संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत उच्च न्यायालय द्वारा दिया गया निर्देश परिवर्तित किया जा सकता है? – अनुच्छेद-226
● संविधान के किस भाग में संघीय न्यायपालिका का उल्लेख है? – भाग-V
● संविधान में मूल रूप से मुख्य न्यायाधीश के अतिरिक्त कितने न्यायाधीशों की व्यवस्था सर्वोच्च न्यायालय में की गई थी? – 7
●सर्वोच्च न्यायालय का गठन एवं उसकी शक्तियाँ व न्यायाधीशों को हटाने की विधि किस देश के संविधान से ली गई है? – अमेरिका
● सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायधीश कौन हो सकता है? – जिसने कम से कम 10 वर्ष उच्च न्यायालय में वकालत की हो या वह 5 वर्ष किसी उच्च न्यायालय में न्यायाधीश रहा हो
● सर्वोच्च न्यायालय के जजों का वेतन किससे आहरित होता है? – संचित निधि से
● सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति कौन करता है? – राष्ट्रपति
● सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को उसके पद से कैसे हटाया जा सकता है? – महाभियोग द्वारा
● सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान की आधारभूत संरचना की घोषणा किस मामले में की थी? – केशवानंद भारतीवाद में

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