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सभी तरह के पीडीएफ नोट्स प्राप्त करने का बेहतरीन चैनल

JRF Academy With इदरीस मंसूरी (रिसर्च स्कॉलर MCBU छतरपुर) (Hindi)

जागरूकता और शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण संकेतक बन गया है - JRF Academy With इदरीस मंसूरी (रिसर्च स्कॉलर MCBU छतरपुर). यह चैनल एक शिक्षा केंद्र है जो शिक्षा और जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। इस चैनल पर आपको संपूर्ण भारतीय इतिहास के विभिन्न टॉपिक्स पर क्विज प्राप्त करने का मौका मिलेगा। इसके साथ ही आप सभी तरह के पीडीएफ नोट्स भी प्राप्त कर सकते हैं। जीआरएफ एकेडमी आपको शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति की दिशा में मदद करने के लिए यहाँ उपलब्ध है। चैनल के समर्थकों को एक समृद्ध और जानकारीपूर्ण माहौल में लेकर आने का प्रयास किया जा रहा है। इस चैनल के माध्यम से आप न केवल अपनी शिक्षा में सुधार कर सकते हैं, बल्कि अपनी जानकारी भी बढ़ा सकते हैं। इसलिए, JRF Academy With इदरीस मंसूरी (रिसर्च स्कॉलर MCBU छतरपुर) चैनल का स्वागत है। आइए इस चैनल के साथ जुड़ें और अपने ज्ञान को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाएं।

JRF Academy With इदरीस मंसूरी (रिसर्च स्कॉलर MCBU छतरपुर)

09 Jan, 10:49


तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि को समझने के लिये 1 मिलियन डॉलर के पुरस्कार की घोषणा की है।

Drishti IAS

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09 Jan, 03:04


Best of luck 🤞 💐💐💐

कल यूजीसी नेट इतिहास परीक्षा में शामिल होने वाले सभी प्रतिभागियों को अग्रिम शुभकामनाएं 💐💐💐

एग्जाम में कुछ बातो को ख्याल रखे।

👉 एग्जाम के टाइम यह सोच कर अपना कॉन्फिडेंस लॉ ना करे की कुछ भी याद नही है या याद नही आ रहा है,क्युकी एग्जाम से पहले तक सभी का यही हाल होता है,अंसार देते समय सब कुछ याद आ जाता है जो भी कुछ पढ़ा हो।

👉 जो भी प्रश्न का उत्तर आपसे नही बने उसमे अपना समय ज्यादा बर्बाद ना करे, उस प्रश्न को लेकर जो भी उत्तर दिमाग में पहली बार में क्लिक करे उसे ही लगा के आगे बढ़े।

👉 मिलान करने वाले प्रश्न को  जो भी  जोड़ा पूरी तरह से पता हो उसी के विकल्प से पूरे प्रश्न को हल करने की कोशिश करे।
ऐसे प्रश्न विकल्प से हल होने की प्रबल संभावना रहती है।

👉 कोड वाले प्रश्न में जो भी स्टेटमेंट आपको याद हो उसी विकल्प के आधार पर उस प्रश्न को हल करे,और जो भी कोड सभी विकल्प में दिया जाता हो,उसमे उलझ कर समय बर्बाद ना करे।

👉 पैराग्राफ में पहले प्रश्न को अच्छे से पढ़े उसके बाद पैराग्राफ को पढ़ कर उत्तर पता करने की कोशिश करे कम से कम 4 प्रश्न का उत्तर उसी पैराग्राफ में मिलने की संभावना होती है।

👉 पहला प्रश्न पत्र पहले ही करने की कोशिश करे और लगभग 1 घंटा 10 या 15 मिनट में पूरा करे,उसके बाद बाकी समय में इतिहास का पेपर हल करे।


👉 जिनका मैथ्स अच्छा नहीं है वो DI और मैथ्स वाली रीजनिंग में ज्यादा समय ना दे कर अपने विवेक से उसके उत्तर दे कर आगे बढ़े ( तुक्का मरने में पांच प्रश्न के अलग अलग विकल्प का  तुक्का ना मारे, सभी का कोई एक विकल्प चुन कर उत्तर दे जिससे 2 से 3 प्रश्न सही होने की संभावना होती है।)



अभ्यर्थी अपने साथ 2 पैन,2 पासपोर्ट साइज फोटो,अपना आधार या फोटू युक्त Id कार्ड, जरूर लेकर जाना है।

अपने साथ पानी की पारदर्शी बॉटल ले जा सकते है।


आपने जितना भी पढ़ा है अभी तक उसे पूरी ईमानदारी के साथ प्रेजेंट करके आना है। एग्जाम हाल में बिल्कुल घबराने की जरूरत नहीं है,क्युकी जितना आपने पढ़ा है कई लोग उससे बहुत कम पढ़ कर आए है।


नोट - एग्जाम हॉल में जाने से पहले ब्रेकफास्ट जरूर करके जाए,भूखे पेट बिल्कुल ना जाए।



💁‍♂️उम्र थका नहीं सकती, ठोकरें गिरा नहीं सकती।।
अगर जिद है जीतने की तो, परिस्थितियां हरा नहीं सकती।।
😎


All the best all of you 🎉


इदरीस मंसूरी (रिसर्च स्कॉलर MCBU छतरपुर म.प्र.)
JRF Academy

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08 Jan, 06:01


महत्वपूर्ण तथ्य 💐


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07 Jan, 16:13


https://youtu.be/9mmVf7mgGqw?si=gkuKG5PZeB-fnEKL

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07 Jan, 16:13


https://youtu.be/4-R8ksR-l5Q?si=7rRhVG5J2Mc9p_Aa

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07 Jan, 16:13


https://youtu.be/qAQRjdsjK6s?si=EJKUE4TsuBYaytGQ

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07 Jan, 15:36


Revision kr lo sbb

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04 Jan, 10:50


गज -ए -सिकंदरी -39 अंगुल

गज -ए -इलाही- 41अंगुल

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04 Jan, 04:52


सूचना 🔴

मध्य प्रदेश असिस्टेंट प्रोफेसर, राजस्थान फर्स्ट ग्रेड और असिस्टेंट प्रोफेसर तथा जून 2025 यूजीसी नेट और बिहार और दिल्ली PGT आदि इतिहास विषय की समस्त परीक्षाओं की एक बेहतरीन तैयारी का प्लेटफार्म JRF academy पर 15 जनवरी 2025 से नया टेस्ट बैच शुरू हो रहा है।

💁‍♂️इस टेस्ट बैच में प्रतिदिन टॉपिक वाइस टेस्ट होंगे।
💁‍♂️ साप्ताहिक और महीने का रिविजन टेस्ट।
💁‍♂️ इतिहास विषय का कंप्लीट सिलेबस।
💁‍♂️ पर्सनल गाइडेंस और रिसोर्स सजेशन।

इस टेलीग्राम टेस्ट सीरीज से जुड़ने के लिए संपर्क करे👇

इदरीस मंसूरी
(MA.Bed.MPTET/PGT.NET JRF . PhD रिसर्च स्कॉलर MCBU छतरपुर म.प्र.)
9584695682
@idrish_mansuri143

नोट🔴 - टेलीग्राम टेस्ट सीरीज की फीस 100/महीना है।
विश्व इतिहास और यूजीसी नेट फर्स्ट पेपर का बैच भी अलग से चलाया जाता है👍


💁‍♂️गतवर्ष की उपलब्धि - 6 मप्र असिस्टेंट प्रोफेसर,45+NET, 6JRF, 3 NFSC /NFOBC/NFPwd 1ICHR
2 SET

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02 Jan, 12:49


# Coins

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09 Dec, 11:33


मध्यकालीन भारत के इतिहास जानने के प्रमुख स्रोत

1. राजतरंगिणी - कल्हण : इसमें बारहवीं शताब्दी ई. तक कश्मीर के राजाओं का इतिहास हैं,8000 श्लोक हैं।

2. तहकीक - ए - हिंद - अलबरूनी : महमुद गजनवी के सैन्य अभियान के दौरान भारत आया था। वह भारत के विभिन्न क्षेत्रों में यात्रा कर भारतीय संस्कृति का गहन अध्ययन करता रहा। अपनी पुस्तक में भारत का सजीव वर्णन किया है। भारत की धार्मिक, साहित्यिक और वैज्ञानिक परंपराओं का वर्णन किया है।

3. तबकात - ए - नासिरी - मिन्हाज उस सिराज : इस पुस्तक में भारत के आदि तुर्क सुलतानों, उनके राज्यकाल का वर्णन हैं।

4. तारीख - ए - फिरोजशाही - जियाउद्दीन बरनी : इस पुस्तक में बल्बन के शासनकाल से लेकर फिरोजशाह तुगलक के शासन के छठे वर्ष तक का वर्णन हैं। इसमें तत्कालीन राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक स्थिति का विस्तृत उल्लेख प्राप्त होता हैं।

5. फतवा - ए - जहांदारी - जियाउद्दीन बरनी : इस पुस्तक में प्रशासन के सिद्धांतो और शासन के आदर्शों का उल्लेख है।

6. किरान - उस - सादेन - अमीर खुसरो : यह मसनवी (पद्य रचना) 1289 ई. में रचित हुई थीं। इसमें बंगाल के सूबेदार बुगरा खां और उसके पुत्र सुल्तान मुईजुद्दीन कैकुबाद की भेंट का वर्णन हैं। समकालीन सांस्कृतिक स्थिति का भी उल्लेख हैं।

7. मिफ्ताह - उल - फुतूह - अमीर खुसरो : 1291 ई. में रचित यह पुस्तक मलिक छज्जू के विद्रोह और जलालुद्दीन फिरोज खिलजी के सैनिक अभियानों का उल्लेख हैं।

8. नूह सिपेहर - अमीर खुसरो : कुतुबुद्दीन मुबारक शाह खिलजी के काल की सामाजिक, सांस्कृतिक स्थिति का विस्तृत वर्णन इसमें किया गया हैं।

9. तुगलकनामा - अमीर खुसरो : इस रचना में ग्यासुद्दीन तुगलक की खुसरोशाह पर विजय का वर्णन हैं।

10. खजाइनुल फुतुह - अमीर खुसरो : इस गद्य रचना में लेखक ने अपने आश्रयदाता अलाऊद्दीन खिलजी की विजयों का , दक्षिण के बाजारों का उल्लेख किया हैं। सर्वप्रथम फारसी में जौहर का साक्ष्य इसी पुस्तक में मिलता हैं। अलाऊद्दीन खिलजी के राजत्व का प्रतिपादन लेखक ने इसी पुस्तक में किया हैं।


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09 Dec, 06:00


https://youtu.be/72U-r-JTn-4?si=Ei93OAgnHqpjmvYW

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09 Dec, 06:00


https://youtu.be/T5yYmt7jLIg?si=_acxWcv6OzB3Zizm

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09 Dec, 06:00


https://youtu.be/f0_ZOl8gFVI?si=x3OMSK80Zq4aBNiV

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08 Dec, 12:47


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08 Dec, 10:01


PYQ

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07 Dec, 03:01


संविधान सभा में कुल महिलाएं- 15,लेकिन हस्ताक्षर करने वाली महिलाएँ-8 , पहली महिला जिसने हस्ताक्षर किये थे - दुर्गाबाई देशमुख

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29 Nov, 06:45


विभिन्न राज्यों के साथ समुद्रगुप्त की नीति

Ncert

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28 Nov, 18:57


आधुनिक हिंदू धर्म का आरंभ नागो से हुआ, वकाटकों ने इसे बनाए रखा, गुप्तों ने इसका विकास किया।


के.पी. जायसवाल

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28 Nov, 11:52


अहमदनगर व खानदेश

मुगलों ने अहमदनगर के किले पर प्रबल आक्रमण कर कर उसे पर कब्जा कर लिया बालक राजा बहादुर को ग्वालियर के किले में भेज दिया गया बालाघाट को भी साम्राज्य में शामिल कर लिया गया अहमदनगर में एक मुगल रक्षा वाहिनी तैनात कर दी गई यह बात 1600 ई की है
अहमदनगर के पतन और बहादुर निजाम शाह के बंदी बनाए जाने से दक्कन में अकबर की समस्या हल नहीं अब वहा कोई ऐसा निजाम या ही राजा या सरदार नहीं रह गया था जिसकी स्थिति इस लायक रही हो कि उसे संधि वार्ता की जाए साथ ही मुग़ल सेनापतियों के बीच लगातार चल रही खींचतान के कारण स्थिति और अनिश्चित हो गई
मौके पर जाकर हालात का जायजा लेने के लिए अकबर स्वयं पहले मालवा पहुंचा और वहां से खानदेश वहां उसे मालूम हुआ कि अहमदनगर जाते हुए से शहजादा दानियाल जब खानदेश से गुजरा था तो वहां के शासक ने उसे यथेष्ट सम्मान नहीं दिया अकबर की आंख खानदेश के किले पर लगी हुई थी खानदेश का किला दक्कन का सबसे मजबूत किला माना जाता था मुगलों ने बड़ी घेराबंदी की और इसी बीच किले में महामारी फैल गई फलता राजा ने बाहर आकर आत्म समर्पण कर दिया (1601) खानदेश को मुगल साम्राज्य में मिल लिया गया

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28 Nov, 08:53


सोहगौरा, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में पाया गया एक ताम्रपत्र अभिलेख है , जो प्राकृत भाषा में ब्राह्मी लिपि में लिखा गया है । इसमें खाद्यान्न भंडारण के लिए तैयार किए गए गोदामों के बारे में बताया गया है। यह चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा बाढ़ का सामना करने की तैयारी के लिए किया गया एक उपाय था।

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28 Nov, 08:53


मौर्यकालीन

बोगरा (बांग्लादेश) में महास्थान गोलाकार पत्थर शिलालेख (लगभग तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व) बंगाल में सबसे पुराना अभिलेखीय अभिलेख है। इसमें राजा द्वारा 'पुदनागला' में तैनात मंत्री को जारी किया गया आदेश दर्ज है कि बाढ़, आग या तोतों द्वारा फसलों को नुकसान पहुँचाने जैसी किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए भंडारगृह या कोष्ठागरा को आवश्यक खाद्य सामग्री से भर दिया जाए।

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28 Nov, 08:23


अशोक स्तंभ बनेगा महाकुंभ में प्रमुख आकर्षण का केंद्र

अशोक स्तंभ और उस पर लिखी सम्राट समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति से लोग परिचित हो सकेंगे।

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28 Nov, 08:11


यूनानी इतिहासकार एरियन के अनुसार उस समय "युद्ध कला में भारतीय, समकालीन अन्य राष्ट्रों से कहीं बेहतर थे।"

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28 Nov, 04:11


🔴 सूचना

जो अभ्यर्थी UGC NET EXAM दिसंबर 2024 जिसकी परीक्षा जनवरी 2025 में आयोजित होने वाली है,उसमें अपनी बेहतर तैयारी करना चाहते है,उनके लिए एक सुनहरा मौका है।

🔴शुरुआत - 1 दिसंबर 2024

इस कोर्स में आपको संपूर्ण भारतीय इतिहास का एक ब्रीफ रिविजन करवाया जाएगा जिसमें प्रतिदिन इतिहास के तीनों भाग से टॉपिक वाइस टेस्ट दिन में 3 टाइम करवाया जायेगा।
यह कोर्स लगभग 30 से 40 दिन के बीच में पूरा हो जाएगा 👍


जिसमें सभी previous year मैं पूछे गए किसी भी TGT.PGT. NET.Assistant professor.GIC GDC.PCS.UPSC आदि परीक्षाओं के प्रश्नो तथा क्रोनोलॉजी वाले आदि सभी प्रश्न को शामिल किया जाएगा।
इसके अतिरिक्त यहां पर क्वेश्चन चैप्टर वाइज चलेगा। जो इस प्रकार है:-

🔴 प्राचीन भारत का इतिहास
1. पाषाण काल
2. सिंधु सभ्यता
3. वैदिक काल
4. धार्मिक आंदोलन
5. छठी शताब्दी ईसा पूर्व की राजनीतिक स्थिति
6. मौर्य काल
7. मौर्योत्तर काल
8. गुप्त एवं गुप्तोत्तर काल
9. समकालीन दक्षिण भारत
10.पूर्व मध्यकालीन दक्षिण भारत
11.पूर्व मध्यकालीन उत्तर भारत
12.विविध प्राचीन

🔴  मध्यकालीन भारत
13.भारत पर मुस्लिम आक्रमण
14.दिल्ली सल्तनत -गुलाम वंश
15.खिलजी वंश
16.तुगलक वंश
17.सैयद एवं लोदी वंश
18.सल्तनत कालीन प्रशासनिक आर्थिक एवं कलात्मक गतिविधियां
19.मध्यकालीन क्षेत्रीय राज्य
20.मध्यकालीन धार्मिक आंदोलन
21.मुगल कालीन भारत बाबर
22.हुमायूं
21.अकबर
22.जहांगीर
23.शाहजहां
24.औरंगजेब
25.मुगलकालीन प्रशासन एवं अर्थव्यवस्था
26.मुगलकालीन कला
27.मुगलकालीन साहित्यिक रचनाएं
28.सूरवंश
29.सिख संप्रदाय

🔴 आधुनिक भारतीय इतिहास
30.भारत में विदेशी व्यापारियों का आगमन
31.ईस्ट इंडिया कंपनी और बंगाल के नवाब
32.मराठा राज्य या संघ
33.पंजाब अवध एवं मैसूर
34.अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति एवं अन्य विद्रोह
35.सामाजिक एवं धार्मिक सुधार आंदोलन
36.ब्रिटिश भारत में शैक्षिक गतिविधियां
37.ब्रिटिश भारत में आर्थिक गतिविधियां
38.भारत में संवैधानिक विकास
39.गवर्नर तथा गवर्नर जनरल
40.भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
41.भारत में क्रांतिकारी आंदोलन
42.भारत के बाहर क्रांतिकारी आंदोलन
43.बीसवीं शताब्दी के राष्ट्रीय आंदोलन
44.भारत में सांप्रदायिकता का विकास
45.समाचार पत्र पत्रिकाएं एवं पुस्तकें
46.विविध

🔴 Note - इस ग्रुप को शुरू करने का उद्देश बस ज्यादा से ज्यादा और जो वास्तविक तैयारी करने वाले विद्यार्थी है,उनको सफल करवाना है। इसी को ध्यान में रखते हुए,बहुत ही निम्न शुल्क का प्रावधान रखा गया है,जिससे हर वर्ग का विद्यार्थी इसका लाभ अर्जित कर सके।

धन्यवाद 💐💐💐


🔴 किसी भी इतिहास परीक्षा में सर्वाधिक प्रश्न टेस्ट से मिलने की फुल गारंटी 👍

🔴 इस  quiz group से जुड़ने के लिए आपको सहयोग शुल्क के रूप में ₹100/माह की राशि जमा करनी होगी।


संपर्क सूत्र -


@idrish_mansuri143

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कॉल मेसेज करे

🔴 सफलता - दिसंबर 2023 के यूजीसी नेट परीक्षा में ग्रुप से कुल 25 लोगो ने परीक्षा दी थी,जिसमे से 19 लोगो का नेट क्लियर हुआ है।

जून 2024 में 37 लोगों में से 22 लोगों का NET तथा 6 लोगों का JRF हुआ है।


👉एक कदम सफलता की ओर👈

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27 Nov, 18:36


सातवाहन साम्राज्य का अधिकतम विस्तार

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14 Nov, 11:11


चतु:वर्ण व्यवस्था

Ganapat sir ke notes

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14 Nov, 07:38


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13 Nov, 20:08


Rpsc 1st grade

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13 Nov, 20:08


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13 Nov, 13:46


25 ka right answer kya h

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13 Nov, 13:31


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13 Nov, 13:31


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13 Nov, 06:35


जागीरदारी व्यवस्था को मुगल साम्राज्य के पतन के मुख्य कारण के रूप में इस प्रकार देख सकते हैं

👉नवनियुक्त मनसबदारों को जागीरें देते-देते साम्राज्य के संसाधन लगभग समाप्त हो गए, परिणामस्वरूप केंद्रीय सता के कमज़ोर पड़ जाने से साम्राज्य के विघटन की प्रक्रिया तीव्र हो गई।
👉मनसबदारों की संख्या में वृद्धि से जागीरों की संख्या में कमी हुई फलस्वरूप कई जागीरदार अधिक-से-अधिक राजस्व वसूल करने की कोशिश करने लगे जिससे किसानों एवं भूमि की सेहत पर विपरीत असर पड़ा।
👉इस पर नियंत्रण से जुड़े कदम उठाए जाने के बावजूद जागीरदार किसानों और ज़मींदारों से निर्धारित लगान से हमेशा ज़्यादा ही वसूलते थे जिससे किसानों में रोष उत्पन्न हुआ , शासक वर्ग के हितों को क्षति पहुँची एवं छोटे और बड़े ज़मींदार एक-दूसरे से टकराने लगे।
👉मनसबदारों एवं जागीरों की संख्या के असंतुलन को समाप्त करने के लिये पुराने मनसबदारों के भाग में कटौती की जाने लगी जिससे राजनीतिक गुटबंदी और तनाव में वृद्धि हुई ।
👉छोटे जागीरदारों ने लगान वसूल करने के लिये लगान का ठेका (इजारादारी प्रथा) देना शुरू कर दिया जिससे किसानों पर अत्याचार के मामलों में वृद्धि हुई और वे भूमि छोड़कर भागने लगे।
👉अठारहवीं शताब्दी में सामाजिक अधिशेष एवं शासक वर्ग के बीच बढ़ती हुई मांगों से असंतुलन में वृद्धि हुई। जागीरदारों की एक निश्चित छोटी अवधि के बाद बदली अनिवार्य थी जिससे वे कृषि उत्पादन बढ़ाने के इच्छुक नहीं थे।
👉मनसब एवं जागीर दोनों ही प्रणालियों के सुचारु रूप से कार्य न करने के कारण सम्राज्य की आर्थिक, राजनीतिक एवं सैनिक शक्ति क्षीण होती गई जिसका संबंधित वर्गों ने लाभ उठाया।
👉धार्मिक नीति, मुगल अमीरों का राजनीतिक षड्यंत्र; प्रौद्योगिकी, विशेष रूप से विदेशों से आई नई तकनीकों कोअपनाने में असफलता जैसे अन्य कारण भी उत्तरदायी थे।
👉जागीरदारी संकट के साथ-साथ व्यक्तिगत स्तर पर निजी क्षमताएँ भी विघटनकारी शक्तियों को बढ़ावा देने के लिये ज़िम्मेदार थीं।

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13 Nov, 02:49


💐💐💐💐मूल अधिकार💐💐💐💐💐



वर्तमान में भारतीय नागरिकों को कल 6 प्रकार के मूल अधिकार प्राप्त हैं जो इस प्रकार वर्णित है।



👉(1) समानता का अधिकार अनुच्छेद (14 से 18)


👉(2) स्वतंत्रता का अधिकार अनुच्छेद (19 से 22)


👉(3) शोषण के विरुद्ध अधिकार अनुच्छेद (23 से 24)


👉(4) धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार अनुच्छेद (25 से 28)


👉(5) संस्कृति तथा शिक्षा संबंधी अधिकार अनुच्छेद (29 से 30)


👉(6)संवैधानिक उपचारों का अधिकार अनुच्छेद 32

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05 Nov, 00:58


🔸🔸'कोहिनूर हीरे' का इतिहास :– 🔱

• इसका सर्वप्रथम उल्लेख अलाउद्दीन खिलजी के समय में मिलता है। जब तेलंगाना के शासक 'प्रताप रूद्रदेव' से प्रथम बार यह हीरा सल्तनत कालीन शासक अलाउद्दीन खिलजी को उसके एक सेनापत्ति 'मलिक काफूर' ने 1310 ई. में भेंट किया था।

• पानीपत के प्रथम युद्ध (1526) के बाद ग्वालियर के राजा 'विक्रमजीत सिंह' से यह हीरा हुमायूं को मिला। उस समय कोहिनूर हीरे का वजन 320 रती समग्र विश्व के लिए ढाई दिन के भोजन के बराबर था।

🔹 हुमायूँ के बाद कोहिनूर हीरा क्रमशः मुगल शासकों के राजमुकुट की शोभा बढ़ाता रहा। 1739 ई. को मुगल शासक मुहम्मदशाह पर आक्रमण कर यह हीरा ईरान का नेपोलियन कहा जाने वाला 'नादिरशाह' लूट ले गया था।

🔹• नादिरशाह की मृत्यु के बाद इस पर अहमदशाह अब्दाली का अधिकार हो गया और उसके बाद पुत्र शाहशुजा को प्राप्त हुआ।

▪️ 1809 ई. के लगभग यह कोहिनूर हीरा अफगानिस्तान के शासक शाहशुजा ने महाराजा रणजीत सिंह (अंतिम सिख शासक) को भेंट कर दिया। 30 मार्च, 1849 को 'गुजरात के युद्ध' में अंग्रेजों से दिलीप सिंह पराजित हो गये। उसी समय दिलीप सिंह से यह हीरा लेकर तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी ने ब्रिटेन की तत्कालीन महरानी को भेंट कर दिया, तब से यह हीरा जो वर्तमान में 03 टुकड़ों में विभाजित है। प्रथम टुकड़ाः ब्रिटिश म्यूजियम में है जबकि द्वितीय व तृतीय टुकड़ाः ब्रिटेन की महारानी के मुकुट में विद्यमान हैं।......... 💐❤️

https://t.me/HistoryEducation08 💐

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04 Nov, 16:27


https://youtu.be/dNz2Rm1u9q0?si=EPpRa6AG_JZbGx5H

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04 Nov, 14:05


🔸🔸 बारडोली सत्याग्रह (1928 ई.)

• गुजरात में स्थित बारडोली के किसानों ने सरकार द्वारा बढ़ाये गये 30% कर के विरोध में वल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में सत्याग्रह किया।

• बाद में 30% लगान बढ़ोत्तरी को गलत बताते हुए इसे घटाकर 6.3% कर दिया।

• बारडोली सत्याग्रह के सफल होने के बाद वहाँ की महिलाओं ने वल्लभ भाई पटेल को 'सरदार' की उपाधि प्रदान की।.......💐❤️

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04 Nov, 12:24


🔸निम्नलिखित में से किस मुगल शासक ने रूढ़िवादी और धार्मिक प्रवृत्ति को लोगों को दिखाया की भाषा एक प्राकृतिक प्रक्रिया(ज़ुबान ए कुदरत) नहीं है, अपितु यह एक सीखने का सांसारिक तरीका है। अपने तर्क को सिद्ध करने के लिए उसने व्यवहारिक प्रयोग द्वारा नवजात शिशुओं को सर्वथा एकान्त स्थान में रखा, जिसे "गूंग महल" के नाम से जाना जाता था?

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04 Nov, 09:52


भारत में नाट्यशालाओं के साक्ष्य

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04 Nov, 09:23


वराहमिहिर

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04 Nov, 07:03


जब आंबेडकर ने जलाई मनुस्मृति


डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने 25 जुलाई, 1927 को महाराष्ट्र के कोलाबा ज़िले में (वर्तमान में रायगड) के महाद में सार्वजनिक रूप से मनुस्मृति को जलाया.

आंबेडकर अपनी किताब 'फ़िलॉसफ़ी ऑफ हिंदूइज़्म' में लिखते हैं, "मनु ने चार वर्ण व्यवस्था की वकालत की थी. मनु ने इन चार वर्णों को अलग-अलग रखने के बारे में बताकर जाति व्यवस्था की नींव रखी. हालांकि, ये नहीं कहा जा सकता है कि मनु ने जाति व्यवस्था की रचना की है. लेकिन उन्होंने इस व्यवस्था के बीज ज़रूर बोए थे."

उन्होंने मनुस्मृति के विरोध को अपनी किताब 'कौन थे शूद्र' और 'जाति का अंत' में भी दर्ज कराया है.

उस दौर में दलितों और महिलाओं को एक सामान्य ज़िंदगी जीने का अधिकार नहीं था. इसके साथ ही ब्राह्मणों के प्रभुत्व की वजह से जाति व्यवस्था का जन्म हुआ.

डॉ. आंबेडकर बताते हैं कि जाति व्यवस्था एक कई मंजिला इमारत जैसी होती है जिसमें एक मंजिल से दूसरी मंजिल में जाने के लिए कोई सीढ़ी नहीं होती है.

उन्होंने कहा है, "वर्ण व्यवस्था बनाकर सिर्फ कर्म को ही विभाजित नहीं किया गया बल्कि काम करने वालों को भी विभाजित कर दिया."

BBC

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04 Nov, 07:01


राजीव लोचन बताते हैं


"महात्मा ज्योतिबा फुले मनुस्मृति को चुनौती देने वाले पहले व्यक्ति थे. खेतिहर मजदूरों, सीमांत किसान और समाज के दूसरे वंचित और शोषित तबकों की सोचनीय हालत देखकर उन्होंने ब्राह्मणों और व्यापारियों की आलोचना की."


BBC

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04 Nov, 04:19


💐💐 आलवार :👇👇

शैव धर्म के साथ साथ पल्लवकालीन समाज मे वैष्णव धर्म का भी प्रसार हुआ। दक्षिण भारत में वैष्णव भक्ति से जुड़े सन्त 'अलवार' कहे जाते है। 'आलवार' का अर्थ है ' अन्तर्ज्ञान रखने वाला व्यक्ति' जो ईश्वरीय चिन्तन में पूर्णतया विलीन हो गया है। अलवार सन्तों की कुल संख्या 12 है। जिनका आविर्भाव सातवीं से नवीं शताब्दी ईस्वी के मध्य हुआ। आलवार भक्ति परम्परा के भक्त तथा मायोन(विष्णु) या भाल(कृष्ण) के बीच प्रेमी-प्रेयसी सम्बन्धों की अभिव्यक्ति देखने को मिलती है। वे 'गोपीभाव' को सर्वोत्तम मानते है। भगवान की प्रति उत्कृष्ट प्रेम ही भक्ति है। भक्ति को 'काम' कहते हैं किन्तु यह लौकिक काम से भिन्न सच्चिदानन्द भगवान के प्रति दिव्य प्रेम हैं। यह उल्लेखनीय है कि आलवारों की भक्ति भावना भगवान विष्णु, नारायण, श्रीरंगनाथ, राम व कृष्ण के प्रति समान भाव से हुई है। उन्हें किसी एक की सीमा में नही बाँधा जा सकता। कुछ सन्दर्भों में माता-पुत्र के बीच के सम्बन्ध का भी आह्वान देखने को मिलता है। अनुष्ठान व कर्मकाण्डों का उनके लिए कोई अर्थ नही था, सम्पूर्ण ध्यान केवल भगवान से प्रीति पर था।

12 आलवार सन्त :- (तमिल-संस्कृत मिश्रित नाम)

1.पोयगई(सरोयोगी-जन्म-काँची)

2. पोडिय(सम्भवतः भूतयोगी / भूततार- जन्म-पल्लई)

3.पेय (महायोगी-जन्म-मलयापुरम)

(उपर्युक्त तीनों प्रारम्भिक (मुदल) आलवार माने थे।)

4. तिरूमलिशई (भक्तिसार-पल्लव-महेन्द्रवर्मन समकालीन) (उपर्युक्त चारों का जन्म पल्लव क्षेत्र में हुआ)

5. परांकुश मुनि/शठकोप (नाम्मालवार)

6.गोदा/कोडई(आण्डाल)

7.मधुर कवि

8.विष्णुचित्त (पेरियालवार)

(उपर्युक्त चारों का जन्म पाण्ड्य क्षेत्र में हुआ था)

9.कुलशेखर (पेरूमाल-चेर शासक-केरल क्षेत्र)

10. भक्तांघ्रिरेणु (तोण्डर-अडि-पोडिय)

11. योगिवाह(तिरुप्पान)

12.परकाल( तिरूमंगई)

(उपर्युक्त तीनों चोल देश के निवासी थे)

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04 Nov, 04:06


प्रमुख धर्मनिरपेक्ष साहित्यिक स्रोत

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04 Nov, 03:24


भारत छोड़ो आंदोलन
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8 अगस्त, 1942 को महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन को समाप्त करने का आह्वान किया और मुंबई में अखिल भारतीय काॅन्ग्रेस कमेटी के सत्र में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया।
गांधीजी ने ग्वालिया टैंक मैदान में अपने भाषण में "करो या मरो" का आह्वान किया, जिसे अब अगस्त क्रांति मैदान के नाम से जाना जाता है।
स्वतंत्रता आंदोलन की 'ग्रैंड ओल्ड लेडी' के रूप में लोकप्रिय अरुणा आसफ अली को भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान मुंबई के ग्वालिया टैंक मैदान में भारतीय ध्वज फहराने के लिये जाना जाता है।

'भारत छोड़ो' का नारा एक समाजवादी और ट्रेड यूनियनवादी यूसुफ मेहरली द्वारा गढ़ा गया था, जिन्होंने मुंबई के मेयर के रूप में भी काम किया था।
मेहरअली ने "साइमन गो बैक" का नारा भी गढ़ा था।

कारण
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क्रिप्स मिशन की विफलता

आंदोलन का तात्कालिक कारण क्रिप्स मिशन की समाप्ति/ मिशन के किसी अंतिम निर्णय पर न पहुँचना था।
संदर्भ

इस मिशन को स्टेफोर्ड क्रिप्स के नेतृत्व में भारत में एक नए संविधान एवं स्वशासन के निर्माण से संबंधित प्रश्न को हल करने के लिये भेजा गया था।
क्रिप्स मिशन के पीछे कारण
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दक्षिण-पूर्व एशिया में जापान की बढ़ती आक्रामकता, युद्ध में भारत की पूर्ण भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिये ब्रिटिश सरकार की उत्सुकता, ब्रिटेन पर चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बढ़ते दबाव के कारण ब्रिटेन की सत्तारूढ़ लेबर पार्टी के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल द्वारा मार्च 1942 में भारत में क्रिप्स मिशन भेजा गया।
पतन का कारण
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यह मिशन विफल हो गया क्योंकि इसने भारत के लिये पूर्ण स्वतंत्रता नहीं बल्कि विभाजन के साथ डोमिनियन स्टेटस की पेशकश की।
नेताओं के साथ पूर्व परामर्श के बिना द्वितीय विश्व युद्ध में भारत की भागीदारी
द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटिश सरकार का बिना शर्त समर्थन करने की भारत की मंशा को भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस द्वारा सही से न समझा जाना।

ब्रिटिश विरोधी भावना का प्रसार
ब्रिटिश-विरोधी भावना तथा पूर्ण स्वतंत्रता की मांग ने भारतीय जनता के बीच लोकप्रियता हासिल कर ली थी।
कई छोटे आंदोलनों का केंद्रीकरण
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अखिल भारतीय किसान सभा, फारवर्ड ब्लाक आदि जैसे काॅन्ग्रेस से संबद्ध विभिन्न निकायों के नेतृत्त्व में दो दशक से चल रहे जन आंदोलनों ने इस आंदोलन के लिये पृष्ठभूमि निर्मित कर दी थी।
देश में कई स्थानों पर उग्रवादी विस्फोट हो रहे थे जो भारत छोड़ो आंदोलन के साथ जुड़ गए

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02 Nov, 03:58


महाभारत

वेदव्यास द्वारा संकलित व प्रोक्त महाभारत बहुत विशाल ग्रंथ है। इसमें कहा भी गया है 'जो इसमें है वह अन्यत्र भी हो सकता है, जो इसमें नहीं है वह अन्यत्र कहीं नहीं है।' प्रारम्भ में महर्षि व्यास ने अपने शिष्य वैशम्पायन के सम्मुख इस कथा का प्रवचन किया, तब इसका नाम 'जय संहिता' था तथा इसमें 8800 श्लोक थे । वैशम्पायन ने पाण्डव अर्जुन के पौत्र 'जनमेजय' के सम्मुख इसका प्रवचन किया, तब इसका नाम 'भारत संहिता' हुआ, जिसमें 24000 श्लोक थे। महाभारत का तीसरा संस्करण भार्गववंशी कुलपति 'शौनक' के समय संकलित हुआ, तब इसे 'महाभारत' (शतसहस्त्री संहिता) कहा गया, जिसके 1 लाख श्लोक हैं।

✍️ एक लाख श्लोकों के सम्पूर्ण महाभारत का सर्वप्रथम अभिलेखीय साक्ष्य गुप्तकालीन 5वीं सदी ई. का महाराजा शरवन्थ का ताम्रलेख है।

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02 Nov, 02:02


🔸🔸प्रमुख समाचार-पत्र अधिनियम :–

🔹अधिनियम ▪️गवर्नर जनरल/वायसराय

1. पत्रेक्षण अधिनियम-1799.

लॉर्ड वेजेजली

2. अनुज्ञप्ति नियम-1823

जॉन एडम्स

3. अनुज्ञप्ति अधिनियम-1857

लॉर्ड कैनिंग

4. पंजीकरण अधिनियम-1867

जॉन लारेन्स

5. वर्नाकुलर प्रेस एक्ट-1878

लॉर्ड लिटन

6. समाचार-पत्र अधिनियम-1908

लॉर्ड मिण्टो-II

7. भारतीय समाचार-पत्र अधिनियम-1910

लॉर्ड मिण्टो-II

8. भारतीय समाचार-पत्र अधिनियम-1931 .............

लॉर्ड इरविन

.......💐❤️

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01 Nov, 16:57


लॉर्ड डलहौजी,स्लीमैन और ईश्वरी प्रसाद की अवध के बारे में टिप्पणियां

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01 Nov, 13:06


*"दिवाली का इतिहास* "
दिवाली, जिसे दीपावली के नाम से भी जाना जाता है, को मनाने के लिए कई परंपराओं की मान्यताएं हैं जो निम्नानुसार हैं:
# हिन्दू धर्म में
दिवाली, राक्षस राजा रावण को हराने के बाद 14 साल के वनवास से भगवान विष्णु के अवतार राजकुमार राम की वापसी का उत्सव है। यह बुराई पर अच्छाई की, अंधकार पर प्रकाश की, तथा अज्ञान पर ज्ञान की विजय का भी प्रतीक है।
# जैन धर्म में
दिवाली उस दिन की याद में मनाई जाती है जब जैन तीर्थंकर भगवान महावीर को कैवल्य या ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
# सिख धर्म में
दिवाली, गुरु हरगोबिंद की सम्राट जहांगीर से विजय का उत्सव है, जिन्होंने 1617 में उन्हें कैद कर लिया था।
आम तौर पर
दिवाली, आंतरिक प्रकाश और हमारी अंतर्निहित वास्तविकता का उत्सव है। यह अच्छाई और आशा की जीत पर खुशी मनाने का भी पर्व है।
# मुग़ल बादशाहों ने दिवाली को *जश्न _ए _चिरागा* के नाम से मनाया था
# *अकबर* के समय से मुग़ल काल में दिवाली मनाने की परंपरा शुरु हुई, अकबर ने आगरा में शाही दिवाली मनाई ,अकबर के समय आगरा किले से फतेहपुर सीकरी तक हर जगह को रोशन किया जाता था, अकबर ने कश्मीर में भी दिवाली मनाई थी,
# *जहांगीर* भी इन परंपराओं को सुचारू रखा,जहांगीर के समय दीपक की जगह मशालों का प्रयोग किया जाता था,
# *शाहजहां* के समय दिवाली मनाने की शुरूआत दिल्ली में हुई (राजधानी दिल्ली बनाई थी)
शाहजहां दिवाली पर ' *रक्क* ' (नृत्य) भी करते थे
शाहजहां के समय रानियां, शहजादे और शहजादियां कुतुबमीनार से आतिशबाजी देखते थे
*#दारा शिकोह* दिवाली की रात हाथी पर बैठकर शहर में घूमता था
# *बहादुर शाह जफर* के समय में महल में लक्ष्मी पूजा होती थी
# मुग़ल बादशाहों को गहने आभूषणों से तोला जाता थी फिर उसको ग़रीबों में और नए कपड़े दान दिए जाते थे
# लाल किले पर 50 फीट ऊंचाई पर ध्रुव दीपक लगाया जाता था जिससे रोशनी चांदनी चौक तक जाती थी
*# ब्रिटिश काल में विलियम जोन्स* ने 1799 के अपने शोध पत्र में दिवाली के चार दिवसीय उत्सव के बारे में जानकारी दी है
# *Happy diwali*
*Dr. Ravi fageria*

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01 Nov, 12:31


मीर जाफ़र


प्लासी की लड़ाई जीतने के एक साल के अंदर ही मीर जाफ़र का जलवा ख़त्म होने लगा था. कुछ समय पहले मीर जाफ़र की पुरज़ोर वकालत करने वाले क्लाइव उन्हें ' द ओल्ड फ़ूल' यानि 'बुड्ढा बेवकूफ़' और उनके बेटे मीरान को 'अ वर्थलेस यंग डॉग' यानी 'बेकार कुत्ता' कहने लगे थे.


BBC

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01 Nov, 12:16


व्हिग इतिहासकार थॉमस बैबिंगटन मैकाले ने बंगालियों के बारे में कहा था:

"भैंस के लिए सींग का मतलब जो होता है... बंगालियों के लिए छल का मतलब है। बड़े-बड़े वादे, चिकने बहाने, परिस्थितिजन्य झूठ, धोखाधड़ी, झूठी गवाही, जालसाजी के विस्तृत ढांचे, निचली गंगा के लोगों के आक्रामक और रक्षात्मक हथियार हैं।"


BBC

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01 Nov, 09:25


डी.डी.कोसाम्बी : परिचय
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डी. डी.कोसांबी (दामोदर धर्मानंद कोसांबी) जन्म 31 जुलाई 1907 को गोवा में हुआ
अमेरिका के हारवर्ड विश्वविद्यालय अध्ययन अध्यापन किया
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में अध्ययन के बाद 1932 में पूना के फर्ग्यूसन कॉलेज में गणित के प्रोफेसर पद पर कार्य किया
1946 में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च में आमंत्रित किया गया जहा 16 वर्ष तक कार्य किया
कोसांबी के भारत के संदर्भ में प्रमाणु ऊर्जा की तुलना में सौर ऊर्जा श्रेष्ठ ठहराने का मुखर और घोषित तर्क के कारण जे एल नेहरू के मित्र होमी जहांगीर भाभा से मतभेद के कारण टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च से इस्तीफा दे दिया

इतिहास में योगदान
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1951 में कोसंबी ने उर्वशी पुरुरवा के प्रसंग से संबंधित ऋग्वेद की 18 ऋचाओं को रोमन लिपि में प्रकाशित किया (पुस्तक मिथ एंड रियलिटी का दूसरा अध्याय उर्वशी एंड पुरुरावज लिखा) इस में इनका स्रोत कालिदास कृत विक्रमोर्वशियम,शथपत ब्राह्मण और ऋग्वेद है
इन्होंने बौद्ध धर्म के क्षेय और नालंदा के उदय के संबंध में भी विचार दिया
कोसांबी मूलत गणितज्ञ थे बाद में मार्क्सवादी इतिहासकार के रूप में उभरे तथा मार्क्सवादी दृष्टिकोण से प्राचीन भारतीय इतिहास पर अध्ययन किया और अपने विचार व्यक्त किए और भारत में मार्क्सवाद इतिहास के जनक कहलाए
इन्होंने आर्य नस्ल सिद्धांत को अस्वीकार किया था लेकिन इस बात को स्वीकार किया की आर्य भाषा भाषी लोग भारत के उत्तर पश्चिम में आकर बस गए और धीरे धीरे गंगा घाटी में फेल गए
बौद्ध और जैन धर्म के उदय की आर्थिक व्याख्या में प्रोद्योगिकी संबंधी परिवर्तन,जनजातियों का लोप और नगरवादी दृष्टिकोण महत्वपूर्ण घटक माना
मार्क्स की एशियाटीक उत्पादन पद्धति को पूर्ण रूप से स्वीकार नहीं किया

लेखन
👇👇
👉 एन इंट्रोडक्शन टू द स्टडी ऑफ इंडियन हिस्ट्री(1956)
👉 द कल्चर एंड सिविलाइजेशन ऑफ़ एंशियंट इंडिया इन हिस्टोरिकल आउटलाइन (1965)
👉 एक्जेस्परेटिंग एसेज एक्सरसाइज इन द डालेक्टिकल मेथड

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01 Nov, 02:57


🔸🔸दास प्रथा :–

🔹 मेगस्थनीज के अनुसार भारत में दास नहीं थे। परंतु कौटिल्य ने 9 प्रकार के दासों का वर्णन किया है।

1. ध्वजाहूत .....युद्ध में जीता हुआ दास

2. उदर दास....पेट का दास

3. गृहजात .... घर में दासी द्वारा उत्पन्न दास

4. दायागत पैतृक सम्पत्ति के रूप में प्राप्त दास

5. लब्ध दान में प्राप्त हुआ दास

6. क्रीत .......क्रय किया हुआ दास

7. आत्मविक्रपी..... स्वयं को बेचने वाला दास

8. अहितक ऋण के बदले धरोहर के रूप में रखा गया दास

9. दंडप्रणीत दण्ड के परिणाम स्वरूप बनाया गया दास....

........💐❤️🔱

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31 Oct, 12:53


राजस्थान के एकीकरण के समय गठित प्रमुख समितियां
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👉बी आर पटेल समिति- 30 मार्च 1949 को जो वृहत राजस्थान का जयपुर, जोधपुर ,जैसलमेर ,बीकानेर को मिलाकर निर्माण किया गया था तब जयपुर और जोधपुर के बीच राजधानी को लेकर विवाद हो गया था तब बी आर पटेल के अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया जिसमें टी सी पुरी तथा एस पी सिन्हा अन्य सदस्य थे इस समिति ने जयपुर को राजधानी बनाने की सिफारिश की थी

👉 जब 15 मई 1949 को मत्स्य संघ का विलय किया गया था तब इस विलय के लिए एक समिति का गठन किया गया था जिसमें शंकरराव देव अध्यक्ष थे तथा अन्य प्रभूदयाल तथा आर के सिद्धवा थे

👉1 नवंबर 1956 को जब राजस्थान बनकर तैयार हो गया तब जयपुर और अजमेर के बीच राजधानी को लेकर विवाद हो गया तब सत्यनारायण राव समिति का गठन किया गया जिसमें अन्य सदस्य विश्वनाथन तथा वीके गुप्ता थे



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31 Oct, 05:01


🔸🔸प्रमुख युद्ध........💐💐

🔹शूरमार युद्ध –
641-42 A.D.

नरसिंहवर्मन-1 व पुलकेशिन-II

नरसिंहवर्मन विजेता।।

🔹परिमल युद्ध –
641-42 A.D.

नरसिंहवर्मन-1 व पुलकेशिन- द्वितीय

नरसिंह वर्मन विजेता।।


🔹 मणिमंगलाई युद्ध –
642 A.D.
नरसिंह वर्मन प्रथम व पुलकेशिन- द्वितीय

नरसिंहवर्मन विजेता ।।

🔹त्रिपक्षीय युद्ध –
8-10वी सदी

पाल, प्रतिहार व राष्ट्रकूट
▪️प्रतिहार विजेता।।

🔹कोन्गु युद्ध –
चेर व अज्ञात शासक

चेर विजेता।।

🔹वैण्निका युद्ध -
चोल बनाम चैर, पाण्ड्य सहित 11 शासक

चोल विजेता।।

🔹 बेल्लूर का युद्ध –
परान्तक बनाम पाण्ड्य व श्रीलंका
परान्तक विजेता ।।

🔹 तक्कोलम का युद्ध
949 A.D.

परान्तक बनाम राष्ट्रकूट व पश्चिमी गंग
परान्तक विजेता।

🔹तिलकाड़ का युद्ध -
गंग बनाम वेंगी के चालुक्य (विष्णुवर्धन)

विष्णुवर्धन विजेता

🔹कोप्पम का युद्ध
1052 A.D.
में........💐❤️

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22 Oct, 17:33


धार्मिक सौहार्द पर ज़ोर : शेरशाह सूरी



अपने सैनिकों के साथ भी उनका व्यवहार बहुत अच्छा रहता था और उनके सैनिक उनके लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहते थे. मशहूर इतिहासकार एचजी कीन अपनी किताब 'मेमॉएर्स ऑफ़ द रेसेज़ ऑफ़ द नॉर्थ वेस्ट फ़्रन्टियर' में लिखते हैं, "वो पहले मुस्लिम शासक थे जिन्होंने हमेशा अपनी प्रजा का भला चाहा."

"अपने छोटे से करियर में उन्होंने लोगों के बीच धार्मिक सौहार्द स्थापित करने पर बहुत ज़ोर लगाया. शेरशाह के शासन में हिंदुओं को महत्वपूर्ण पदों पर रखा जाता था. उनके सबसे प्रिय जनरल ब्रह्मजीत गौड़ थे जिन्हें उन्होंने चौसा और बिलग्राम की लड़ाई के बाद हुमायूं का पीछा करने भेजा था. उन्होंने पहली बार ये सोचा कि सरकार को हमेशा अपनी प्रजा के बीच लोकप्रिय होना चाहिए. बाद की किसी भी सरकार ने जिसमें अंग्रेज़ भी शामिल हैं, ये समझने की बुद्धिमानी नहीं दिखाई."



BBC

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22 Oct, 16:06


🔸🔸ब्रिटिश भारत में अर्थव्यवस्था से जुड़ी प्रथायें :–

• तिनकठिया प्रथा : इस प्रथा के अन्तर्गत चम्पारन (बिहार) के किसानों को अपने अंग्रेज बागान मालिकों के अनुबन्ध पर अपनी जमीन के करीब 3/20 भाग पर नील की खेती करना अनिवार्य होता था। (BPSC)

• ददनी प्रथा : इस प्रथा के अन्तर्गत ब्रिटिश व्यापारी भारतीय उत्पादकों, कारीगरों एवं शिल्पियों को अग्रिम पेशगी (संविदा) के रूप में धन दे देते थे। (IAS)

• कमियौंटी प्रथा : इस प्रथा के अन्तर्गत बिहार एवं उड़ीसा में कृषि दास के रूप में खेती करने वाले कुर्मी जाति के लोग अपने मालिकों द्वारा प्राप्त ऋण पर दी जाने वाली ब्याज की राशि के बदले में जीवन भर इनकी सेवा करते थे।

• दुबला हाली प्रथा : यह प्रथा सूरत में प्रचलित थी। इस प्रथा के अनुसार दुबला हाली भू-दास अपनी सम्पत्ति एवं स्वयं का संरक्षक अपने मालिकों को मानते थे।
.....💐💐❤️

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22 Oct, 15:17


मआसिर-ए-आलमगीरी’


मुस्तैद खाँ ने ‘मआसिर-ए-आलमगीरी’ नामक ग्रंथ लिखा, जिसमें उसने मथुरा के केशवराय मंदिर के विध्वंस की चर्चा की थी।

Old ncert 11th class

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22 Oct, 15:11


जवाबित


औरंगज़ेब ने धर्म-निरपेक्ष फरमान जारी किये, जिसे वह जवाबित कहता था। जवाबित-ए-आलमगीरी नामक एक कृति में उसके फरमानों का संकलन किया गया है। सिद्धांत: जवाबित का उद्देश्य शरा की अनुपूर्ति करना था ,परंतु व्यवहार में जवाबित शरा को बहुधा संशोधित कर देते थे जिसका कारण यह था कि भारत में कुछ ऐसी परिस्थिति मौजूद थीं जिनके बारे में शरा में कोई व्यवस्था नहीं थी।


Old ncert 11th class

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22 Oct, 11:28


🔸🔸मराठों द्वारा की गयी प्रमुख संधियां:–

🔹सालाबाई की संधि
1782
-----
माधवराव नारायण राव व अंग्रेज

🔹. बसीन की संधि
1802
बाजीराव द्वितीय व अंग्रेज

🔹देवगांव की संधि
1803
भोंसले (बरार) व अंग्रेज

🔹 सुर्जी-अर्जुन गांव की संधि
1803
सिंधिया व अंग्रेज

🔹 राजापुर घाट की संधि
1804
होल्कर व अंग्रेज

🔹 पूना की संधि
1817
बाजीराव द्वितीय व अंग्रेज

🔹. ग्वालियर की संधि
1817
दौलतराव सिंधिया व अंग्रेज

🔹 मंदसौर की संधि
1818
होल्कर व अंग्रेज

....❤️💐

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22 Oct, 11:12


🔸🔸प्रमुख मराठा क्षेत्र व
राजधानी :–

🔹मराठा क्षेत्र : राजधानी

1. गायकवाड़.....बड़ौदा

2. होल्कर ..... इंदौर

3. भोंसले.... नागपुर

4. सिंधिया..... ग्वालियर

5. छत्रपति.....
सतारा

6. पेशवा ...पुणे

....❤️💐

JRF Academy With इदरीस मंसूरी (रिसर्च स्कॉलर MCBU छतरपुर)

22 Oct, 05:35


🔸🔸ब्रिटिश शासन ने ऐसी नीतियाँ बनाई जिससे ब्रिटिश तैयार माल की बड़ी खपत भारत में हो सके अर्थात् उन्हें एक
बड़ा बाजार मिल सके। इसलिए उन्होंने अनेक प्रतिबंध लगाये।

🔹जैसे,
1820 ई० के बाद ब्रिटिश बाजारों के दरवाजे भारतीय मालों के
लिए बन्द करना,
▪️1835 ई० में भारत में रूई से तैयार ब्रिटिश माल
पर केवल 2.5 प्रतिशत आयात कर लगाना, जबकि भारत की बनी
हुई रूई के माल पर 15 प्रतिशत चुंगी वसूल करना।
1849 ई० में समुद्री नियम में परिवर्तन करना, जिससे इंग्लैण्ड का कोई भी माल केवल इंग्लैण्ड के जहाज से ही आ सकता था अन्य से नहीं।
भारतीय रेशमी और सूती कपड़ों पर इतना अधिक निर्यात कर लगा देना कि इंग्लैण्ड के बाजारों में उनका प्रवेश ही न हो सके। 1877 ई० में ब्रिटिश निर्मित कपड़े पर से आयात शुल्क हटा लेना आदि अनेक प्रतिबंधों के कारण भारत का लघु व कुटीर उद्योग ध्वस्त हो गया। 💐❤️

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