महाभारत युद्ध में जब भीष्म बुरी तरह से घायल हुए तब शीतकाल में सूर्य दक्षिणायन था.
इसीलिए इच्छामृत्यु के बरदान से बिभूषित भीष्म ने बाणों की शैय्या पर सूर्य के उत्तरायण होने तक प्रतीक्षा की।
उनकी मान्यता थी कि दक्षिणायन सूर्य में स्वर्ग का द्वार बन्द होता है अतः जब सूर्य ने संक्रांति को दक्षिणायण होकर मकर राशि में प्रवेश किया तो भीष्म ने प्राण त्यागे।