लोक आस्था का महापर्व छठ मुख्य रूप से तीन - चार दिनों तक मनाया जाता है, यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को आरंभ होता है, षष्ठी को छठ पूजा विशेष महत्व रखती है, सप्तमी को उगते सूर्य देव को अर्ध्य देकर समाप्त होता है। पूर्वांचल संस्कृति एवं समाज से, गहरा लगाव होने के कारण यह मेरे दिल के अत्यधिक करीब है। सूर्योपासना का यह अनुपम पर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तरप्रदेश एवं नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है परंतु अब इसका प्रचलन देश के अन्य हिस्सों के अलावा विश्व भर में हो गया है।
सूर्य को अर्ध्य देना, छठी मईया की पूजा करना, महिलाओं का लगभग 36 घण्टे तक निर्जला व्रत रखना, ठेकुआ (छठ पूजा के लिए विशेष प्रसाद) एवं कचवनिया (चावल के लड्डू)बनाना तथा खरना प्रक्रिया को पूर्ण करना इस पर्व की मुख्य विशेषताएं हैं।
माना जाता है की सर्वप्रथम यह व्रत माता सीता ने किया था तत्पश्चात द्वापर युग में माता कुन्ती ने किया था जिसके बाद सूर्य देव से उन्हें कर्ण की प्राप्ति हुई। यह व्रत कठिन तपस्या की तरह है व्रत रखने वाली महिलाओं को 'परवैतिन' कहा जाता है। यह पर्व सहनशीलता एवं समर्पण का प्रतीक है। जहाँ एक तरफ पुत्र प्राप्ति एवं उसकी कुशलता के लिए यह व्रत किया जाता है, वहीं व्रत की समाप्ति के पश्चात पुत्री के जन्म की कामना की जाती है।पुनः सभी को छठ पूजा की बधाई🙏
Gaurav Mishra
Educator✍️