– यूनेस्को और विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने संयुक्त रूप से 21 जनवरी 2025 को ‘वर्ष 2025’ को ग्लेशियरों के संरक्षण का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष (IYGP) घोषित किया है।
– ग्लेशियरों के संरक्षण के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष 2025 की शुरुआत करने के लिए, 21 जनवरी 2025 को जिनेवा, स्विटज़रलैंड में और ऑनलाइन एक उच्च-स्तरीय लॉन्च कार्यक्रम आयोजित किया गया।
– इसमें ग्लेशियरों की सुरक्षा के लिए वैश्विक स्तर पर बढ़ती चिंता को उजागर किया गया है, क्योंकि ये 2 अरब से ज्यादा लोगों के लिए मीठे पानी के अहम स्रोत हैं।
– यह अंतरराष्ट्रीय वर्ष दुनिया भर से सहयोग जुटाने, शोध को बढ़ावा देने और क्रायोस्फीयर से जुड़े आंकड़ों को अधिक सुलभ बनाने पर केंद्रित है, ताकि तेज़ी से पिघलते ग्लेशियरों के प्रभाव को कम किया जा सके।
नोट: संयुक्त राष्ट्र (UN) के मौसम विशेषज्ञों (WMO) ने पुष्टि की है कि वर्ष 2024 अब तक का सबसे गर्म साल था, जिसमें तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.55 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा।
– साथ ही 2025 से प्रत्येक वर्ष 21 मार्च को विश्व ग्लेशियर दिवस के रूप में मनाने की भी घोषणा की है।
किस देश के सभी ग्लेशियर पिघलकर खत्म हो गए?
– वेनेजुएला अपने सभी ग्लेशियर खोने वाला पहला देश है।
– मई 2024 में वैज्ञानिकों ने कहा है, कि वेनेजुएला का आखिरी बचा ग्लेशियर, हम्बोल्ट ग्लेशियर अब खत्म हो गया है।
– वैज्ञानिकों को उम्मीद थी कि हम्बोल्ट ग्लेशियर एक और दशक तक चलेगा। हालाँकि, यह अपेक्षा से अधिक तेज़ गति से पिघल गया।
– वेनेजुएला 6 ग्लेशियरों का घर हुआ करता था।
– यहां वर्ष 2011 तक उनमें से पांच ग्लेशियर गायब हो गए।
ग्लेशियर क्यों खत्म हुए
– इसकी बड़ी वजह ग्लोबल वार्मिंग है।
– अल नीनो भूमध्यरेखीय (equatorial) प्रशांत महासागर में सतह के पानी के असामान्य रूप से गर्म होने को कहा जाता है, जिससे महासागर में पानी गर्म होने लगा है।
– जलवायु विज्ञानी और मौसम इतिहासकार मैक्सिमिलियानो हेरेरा ने द गार्जियन को बताया, कि “वेनेजुएला के एंडियन क्षेत्र में, 1991-2020 के औसत से ऊपर +3C/+4C तक तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की गई, जो ऐसे ट्रॉपिकल एरिया के लिए सही नहीं है।
– वर्ष 2023 की स्टडी के अनुसार, हम्बोल्ट ग्लेशियर की तरह, दुनिया भर के अन्य ग्लेशियर तेजी से सिकुड़ रहे हैं।
– वर्तमान जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया के दो-तिहाई का अस्तित्व 2100 तक पिघल जाने का अनुमान है।
ग्लेशियर क्या हैं?
– ग्लेशियर मूल रूप से बर्फ के बड़े और मोटे समूह हैं जो सदियों से बर्फ जमा होने के कारण भूमि पर बनते हैं।
– ये आमतौर पर उन क्षेत्रों में मौजूद होते हैं जहां औसत वार्षिक तापमान फ्रीजिंग प्वाइंट के करीब पहुंच जाता है।
– अपने huge mass और गुरुत्वाकर्षण (gravity) के कारण ग्लेशियर बहुत धीमी नदियों की तरह बहते हैं।
पिघलने का कारण
– ग्लोबल वार्मिंग के कारण गलेश्यिर पिघल रहे हैं।
– जैसे बर्फ का टुकड़ा गर्मी के संपर्क में आने पर पिघल जाता है, वैसे ही ग्लेशियर गर्म तापमान के कारण पिघल रहे हैं। इन तापमान का कारण है ग्रीनहाउस गैसें (जीएचजी)।
– वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन गैस बढ गई हैं। जिससे वैश्विक तापमान में वृद्धि हुई हैl
– जिसके परिणाम गर्मी की लहरें, बाढ़, सूखा, समुद्र जल स्तर में वृद्धि हुई है और ग्लेशियरों का गायब होना शुरू हो गया है।
– एंडीज, अर्जेंटीना, बोलीविया, चिली, कोलंबिया, इक्वाडोर, पेरू और वेनेजुएला के कुछ हिस्सों से होकर गुजरने वाली एक पर्वत श्रृंखला में पिछले सात दशकों में 0.10 डिग्री सेल्सियस की उच्च दर से तापमान में वृद्धि देखी गई है।
– यही एक प्रमुख कारण है, कि वेनेजुएला ने अपने सभी ग्लेशियर खो दिए हैं।
ग्लेशियर खत्म होने के नुकसान
– ग्लेशियर मीठे पानी का एक स्रोत है, खासकर गर्म, शुष्क मौसम के दौरान।
– उनके गायब होने का मतलब यह होगा, कि किसी को मीठे पानी के लिए पूरी तरह से बारिश पर निर्भर रहना होगा।
– ग्लेशियरों से बहने वाला ठंडा पानी नीचे की ओर पानी के तापमान को ठंडा रखता है।
– कई जलीय प्रजातियों (aquatic species) को जीवित रहने के लिए ठंडे पानी के तापमान की जरूरत होती है। ग्लेशियर के नष्ट होने का सीधा असर ऐसी प्रजातियों पर पड़ता है।
– विशेषज्ञों का सुझाव है, कि वेनेज़ुएला के हम्बोल्ट ग्लेशियर में समुद्र के स्तर को बढ़ाने के लिए पर्याप्त बर्फ नहीं है।
– लेकिन, अगर बड़े ग्लेशियर पिघलते हैं, तो उससे समुद्र के जलस्तर में बढ़ोतरी होती है, जिससे समुद्र की तटीय शहरों पर खतरा मंडरा सकता है।
भारत के ग्लेशियर पर भी खतरा
– वर्ष 2023 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हिंदू कुश हिमालय पर्वत श्रृंखला में ग्लेशियर पिघल रहे हैं और यदि गैसों के उत्सर्जन में कमी नहीं की गई, तो इस शताब्दी में उनकी मात्रा 80% तक कम हो सकती है।