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Última Atualização 10.03.2025 08:07
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पूर्व RBI गवर्नर शशिकांत दास बने PM नरेन्द्र मोदी के प्रिंसिपल सेक्रेटरी ।
बच्चे का बाप के प्रति इतना प्यार😍
की दूसरे देश के जगह हिंदुस्तान का नेशनल एंथम प्ले कर दिया 🤣🤣
और इनको कश्मीर चाहिए 😁😁
और इनको कश्मीर चाहिए 😁😁
"सफलता और संघर्ष: मानसिक दबाव से कैसे बचें?"
झारखंड पीएससी टॉपर शालिनी, उनके IRS भाई और मां की दुखद घटना हमें यह सिखाती है कि मानसिक दबाव कितना खतरनाक हो सकता है। समाज में सफलता की चमक के पीछे छिपा संघर्ष अक्सर अनदेखा रह जाता है।
क्या सीखा जाए?
1. मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें – करियर और समाज के दबाव से खुद को अकेला न महसूस करें।
2. मदद मांगने से न हिचकिचाएं – अगर आप तनाव महसूस कर रहे हैं, तो परिवार, दोस्तों या प्रोफेशनल्स से बात करें।
3. सफलता ही सबकुछ नहीं – जीवन सिर्फ उपलब्धियों से नहीं, संतुलन और खुशी से बनता है।
4. सोशल मीडिया पर सिर्फ खुशियों की तस्वीरें ही न देखें – हर चमकदार फोटो के पीछे एक कहानी होती है, इसलिए खुद की तुलना न करें।
अगर आपको या किसी को भी मानसिक तनाव महसूस हो रहा है, तो खुलकर बात करें। आप अकेले नहीं हैं!
#MentalHealthMatters #YouAreNotAlone
झारखंड पीएससी टॉपर शालिनी, उनके IRS भाई और मां की दुखद घटना हमें यह सिखाती है कि मानसिक दबाव कितना खतरनाक हो सकता है। समाज में सफलता की चमक के पीछे छिपा संघर्ष अक्सर अनदेखा रह जाता है।
क्या सीखा जाए?
1. मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें – करियर और समाज के दबाव से खुद को अकेला न महसूस करें।
2. मदद मांगने से न हिचकिचाएं – अगर आप तनाव महसूस कर रहे हैं, तो परिवार, दोस्तों या प्रोफेशनल्स से बात करें।
3. सफलता ही सबकुछ नहीं – जीवन सिर्फ उपलब्धियों से नहीं, संतुलन और खुशी से बनता है।
4. सोशल मीडिया पर सिर्फ खुशियों की तस्वीरें ही न देखें – हर चमकदार फोटो के पीछे एक कहानी होती है, इसलिए खुद की तुलना न करें।
अगर आपको या किसी को भी मानसिक तनाव महसूस हो रहा है, तो खुलकर बात करें। आप अकेले नहीं हैं!
#MentalHealthMatters #YouAreNotAlone
राष्ट्रपति शासन लगाने पर सुप्रीम कोर्ट का रुख क्या है?(What is the Supreme Court’s Stand on Imposition of President’s Rule? )
एसआर बोम्मई केस, 1994: सुप्रीम कोर्ट (एससी) ने फैसला दिया कि अनुच्छेद 356 न्यायिक समीक्षा के अधीन है , और राज्य सरकार की बर्खास्तगी फ्लोर टेस्ट के आधार पर होनी चाहिए, राज्यपाल की राय के आधार पर नहीं।
सर्बानंद सोनोवाल केस, 2005: अनुच्छेद 355 का दायरा बढ़ा दिया गया , जिससे संघ को राज्य शासन और संवैधानिक सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए व्यापक कार्रवाई करने में सक्षम बनाया गया।
रामेश्वर प्रसाद केस, 2006: सर्वोच्च न्यायालय ने बिहार विधानसभा को बिना शक्ति परीक्षण के भंग करने की निंदा की तथा अनुच्छेद 356 के राजनीतिक दुरुपयोग की आलोचना की।
अनुच्छेद 356 का उपयोग दलबदल जैसी सामाजिक बुराइयों से निपटने के लिए नहीं किया जा सकता ।
अनुच्छेद 361 के तहत प्रतिरक्षा न्यायालय को कार्यवाही की वैधता की समीक्षा करने से नहीं रोकती है ।
एसआर बोम्मई केस, 1994: सुप्रीम कोर्ट (एससी) ने फैसला दिया कि अनुच्छेद 356 न्यायिक समीक्षा के अधीन है , और राज्य सरकार की बर्खास्तगी फ्लोर टेस्ट के आधार पर होनी चाहिए, राज्यपाल की राय के आधार पर नहीं।
सर्बानंद सोनोवाल केस, 2005: अनुच्छेद 355 का दायरा बढ़ा दिया गया , जिससे संघ को राज्य शासन और संवैधानिक सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए व्यापक कार्रवाई करने में सक्षम बनाया गया।
रामेश्वर प्रसाद केस, 2006: सर्वोच्च न्यायालय ने बिहार विधानसभा को बिना शक्ति परीक्षण के भंग करने की निंदा की तथा अनुच्छेद 356 के राजनीतिक दुरुपयोग की आलोचना की।
अनुच्छेद 356 का उपयोग दलबदल जैसी सामाजिक बुराइयों से निपटने के लिए नहीं किया जा सकता ।
अनुच्छेद 361 के तहत प्रतिरक्षा न्यायालय को कार्यवाही की वैधता की समीक्षा करने से नहीं रोकती है ।