ऋणानुबंध फाऊंडेशन (जाऊ स्वप्नांचीया गावा...)

@runanubandha


✒️मेल्यानंतर काय होते हे मेल्याशिवाय कळत नाही; पण जगुन काय केले याचे उत्तर बऱ्याचदा मेल्यानंतर हि मिळत नाही. म्हणून जिवंतपणीच जिवंतपणाचा घेतलेला शोध म्हणजे ,☘️ ऋणानुबंध फाऊंडेशन 🌴
🌞 समाजातील अंध, अपंग, निराधार व्यक्तीना मदत करणे हा प्रामाणिक हेतू आहे🇮

ऋणानुबंध फाऊंडेशन (जाऊ स्वप्नांचीया गावा...)

22 Oct, 15:21


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सुखाचा support मिळो ना मिळो

दुःखासोबत...settlement व्हायलाच हवी....

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ऋणानुबंध फाऊंडेशन (जाऊ स्वप्नांचीया गावा...)

22 Oct, 15:19


*दुःख गिळून आनंद व्यक्त करणे म्हणजे जीवन.*
*कष्ट करून फळ मिळवणे म्हणजे व्यवहार.*
*स्वतः जगून दुसऱ्यांना जगू देणे म्हणजे सहानुभूती.*
*आणि माणूसकी शिकून माणसासारखे वागणे म्हणजे अनुभूती.....*

ऋणानुबंध फाऊंडेशन (जाऊ स्वप्नांचीया गावा...)

22 Oct, 15:19


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हे जग स्वार्थी आहे पण एवढे स्वार्थी आहे याचा कधी अंदाज नव्हता ज्यावेळेस कोणाला मदत पडावी आपण आहे तसं धाऊन जाव, दुसऱ्याच्या दुःखात आपण चार पावलं समोर चालावं आणि ज्यावेळेस वेळ ही आपल्यावर येते त्यावेळेस आपण ज्यांना मदत केली ही माणसं आपल्याकडे पाठ फिरवतात आणि नको असलेली कारण देत बसतात खऱ्या अर्थाने तिथेच माणुसकीचा अंत होतो.पण वेळ ही वेळ असते थांबा थोड .......

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ऋणानुबंध फाऊंडेशन (जाऊ स्वप्नांचीया गावा...)

19 Oct, 00:43


सफलता पाने के लिए सबसे अच्छी प्रेरणादायक कहानी
(एक बार जरूर पढे)

ये कहानी है एक गांव की। जो की शहर से दूर एक बड़े से जंगल के बीचों बीच में बसा था। उस गांव के लोग हमेशा से उसी जंगल में रहते थे। वो जानते ही नही थे की उस जंगल के बाहर भी एक अलग दुनिया है। उन्होंने ना कभी शहर के बारे में सोचा और ना ही उस जंगल से बाहर निकलने की। उस गांव के लोग अपनी जरूरत की हर चीज उस बड़े से जंगल से ही पूरी कर लेते थे।
उसी गांव में एक व्यक्ति था जिसके पास बहुत से गधे थे। दूर जंगल से समान लाने का काम वही करते। उन सब में एक गधा था जो सबसे छोटा था। जिसका काम करने बिल्कुल मन नही लगता था। उसका मालिक उस गधे से बहुत काम करवाता और जब जरूरत नहीं होती तो वो उस गधे से काम करवाने के लिए उसे दूसरों को भी दे देता। वो गधा अपनी इस जिंदगी से काफी परेशान था और हमेशा उस जंगल से बाहर निकलने की सोचता।
लेकिन गांव वालों की तरह उसे भी जंगल से बाहर निकलने का रास्ता नहीं पता था। वो गधा धीरे धीरे बड़ा हुवा तो उस पर काम का बोझ भी बड़ गया। इस सबसे परेशान होकर एक दिन उसने मन बना लिया की चाहे कुछ भी हो जाए वो अब इस गांव में नही रहेगा। और उसी रात वो गधा चुपचाप उस गांव से भाग गया।

गधा सारी रात चलता रहा लेकिन उसे घने जंगल के अलावा कुछ नजर ही नहीं आ रहा था। उसने कई बार वापिस गांव जाने की भी सोची लेकिन उसका मन नही माना। आंखिरकार गधे की मेहनत रंग लाई और पूरा एक दिन बीतने के बाद वो जंगल से बाहर निकल गया। जंगल के बाहर उसे एक सड़क दिखी और वो उस सड़क से होते हुवे शहर पहुंच गया।
उधर गांव में सब गधे को ढूंढ रहे थे लेकिन गधे का कहीं पता नही चला। कुछ लोगों को लगा की गधा जंगल में कही लापता हो गया है या फिर वो इस जंगल से ही बाहर निकल गया है। ये सब बातें गांव के कुत्ते भी सुन रहे थे। जब उन्होंने सुना की गधा गांव से बाहर निकल गया है तो वो सोचने लगे की जब एक गधा गांव से बाहर जा सकता है तो हम भी इस गाँव से बाहर निकल सकते हैं। ऐसा सोचकर वो कुत्ते उस गधे की गंध का पीछा करते हुवे जंगल की तरफ भाग गए और वो भी जंगल बाहर निकल गए।
धीरे धीरे कुत्ते रोज शहर से गांव में आते और गांव से शहर चले जाते। ऐसा करते करते उन्होंने एक रास्ता बना दिया। उस रास्ते के जरिए अब गांव वाले भी शहर जाने लगे। लेकिन वो रास्ता इतना लंबा था की गांव से शहर पहुंचने में इंसानों को दो दिन लग जाते। इस समस्या को सुलझाने के लिए गांव वालों ने शहर के बड़े अधिकारियों से मदद मांगी और एक सड़क बनाने की मांग रखी। कुछ दिन बाद शहर से कुछ इंजीनियर गांव की जमीन का परीक्षण करने आए। वो लोग रोड बनाने का एक map बनाने लगे जिसमे उनका सारा दिन लग गया।

ये देखकर गांव का मुखिया उनके पास आया और बोला, “ये सब आप लोग क्या कर रहें जिस रास्ते से हम लोग आते जाते हैं आप उसी में सड़क क्यों नही बना देते। इतनी लिखाई पढ़ाई करने की क्या जरूरत है।”
मुखिया की बात सुनकर एक इंजीनियर ने पूछा, “एक बात बताइए ये रास्ता सबसे पहले किसने बनाया?”
मुखिया बोला, “सबसे पहले तो एक गधा इस रास्ते से निकला था और उसी ने ये रास्ता बनाया है।”
इंजीनियर हंसा और बोला, “मुझे यकीन था की ये रास्ता एक गधा ही बना सकता है क्योंकि ये इस गांव से निकलने का सबसे लंबा रास्ता है और जो रास्ता हम बनाएंगे उसकी मदद से आप सिर्फ कुछ ही घंटों में इस जंगल से निकलकर शहर में आ जा सकते हैं।”
वो मुखिया चुप हो गया और वहां से चला गया।

सीख जो हमें इस short hindi story for success से मिलती है
सीधी सी बात ये कहानी हमे सीखती है की हमें हमेशा दूसरों के बनाएं रास्तों पर नही चलना चाहिए बल्कि अपने रास्ते खुद बनाने चाहिए। दूसरों के बनाए रास्ते पर चलना भले आसान होता है लेकिन वो रास्ते आपको उस अनुभव से दूर कर देते हैं जो आप खुद के बनाए रास्ते से सीखते हैं। जिंदगी में आप सफल तभी होंगे जब आप अपनी सोच से खुद कुछ करेंगे।

दूसरों की देखा देखी करके जरूरी नहीं है की आपको भी सफलता मिल ही जाए। इसलिए अपना लक्ष्य खुद बनाएं। उस लक्ष्य अपने तरीके से पूरा करें। दूसरों से सीखें लेकिन बिलकुल वैसा ना करें जैसा दूसरों ने किया हो। खुद के रास्ते खुद बनाएं और उन रास्तों पर चलने की पूरी हिम्मत रखें। सफलता आपको जरूर मिलेगी।

ऋणानुबंध फाऊंडेशन (जाऊ स्वप्नांचीया गावा...)

17 Oct, 12:33


नाराजगी की उम्र अगर कम हो
तो रिश्तो की उम्र बढ़ जाती है

ऋणानुबंध फाऊंडेशन (जाऊ स्वप्नांचीया गावा...)

17 Oct, 01:36


अतुल परचुरे सर .... छोटीसी झलक...... ☺️

ऋणानुबंध फाऊंडेशन (जाऊ स्वप्नांचीया गावा...)

16 Oct, 16:13


*ओळख नसते, पाळख नसते असे आपणास कोणीतरी भेटते मग एकमेकांची ओळख पटते त्याची-आपली गट्टी जमते एकमेकांच्या मनातील भाषा कळते इतकी मग पक्कड बसते. सहज तोडणे अवघड असते त्यालाच जग 'मैत्री ' म्हणत असते*💫❣️⛱️🥳

ऋणानुबंध फाऊंडेशन (जाऊ स्वप्नांचीया गावा...)

16 Oct, 15:42


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चंद्र तर दररोजच आकाशात दिसत असतो पण प्रत्येक दिवस मात्र कोजागिरी होत नाहीत तसंच आयुष्य तर सर्वच जगत असतात पण सर्वांच्या आयुष्याच सोन होत नाही
...............The Gs***

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ऋणानुबंध फाऊंडेशन (जाऊ स्वप्नांचीया गावा...)

16 Oct, 15:34


"योग्य व्यक्ती सोबत असली की, चुकलेल्या रस्त्यावर, सुध्दा नवी वाट सापडते...!"
❤️

ऋणानुबंध फाऊंडेशन (जाऊ स्वप्नांचीया गावा...)

16 Oct, 04:06


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या जगात जेवढे चांगले वागाल तेवढा जास्त त्रास होईल, जेवढे वाईट वागाल तेवढा त्रास कमी, थोडक्यात काय तर ज्या मधमाश्या दिवसभर कष्ट करून मध जमा करतात पण असेही काही लोक असतात त्याच मधमाशांना जाळून त्यांना त्रास देऊन ते मध हिरावून घेतात आणि ईथेच माणुसकीचा अंत होतो.

..................... The G.s***

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