अल्लामा इक़बाल रह०

@allama


Allama Iqbal

अल्लामा इक़बाल रह०

21 Oct, 17:40


यकीं मुहकम अमल पैहम मोहब्बत फातेहे आलम
जिहादे ज़िंदगानी में हैं यह मर्दों की शमसीरें

अल्लामा इकबाल का यह शेर है वह कह्ते हैं कि

मजबूत विश्वास लगातार काम और दुनिया पर विजय पाने वाली मोहब्बत
जिंदगी की लड़ाई में यह (तीनों चीजें) मर्दों की तलवार (हथियार व ताकत) हैं

अल्लामा इक़बाल रह०

21 Oct, 17:36


मौला! अगर तूने मुझे अजाब देने का फैसला कर लिया है तो मेरे मामले को लोगों से छुपाके रखना ताकि कोई शख्स ये न कहता फिरे,

"आज वो भी मुब्तिला ए अज़ाब है जो खुदा तक रास्ता दिखाया करते था"

~इब्ने जौज़ी रह.

अल्लामा इक़बाल रह०

20 Oct, 10:38


मिरे दीदा ए तर की बे-ख़्वाबिया,

मिरे दिल की पोशीदा बेताबियाँ !
-अल्लामा इक़बाल

अल्लामा इक़बाल रह०

18 Oct, 20:54


कट मरे अपने क़बीले की हिफाज़त के लिए,
मक़्तल-ए-शहर में ठहरे रहे, हिजरत नहीं की...

अल्लामा इक़बाल रह०

18 Oct, 09:53


मैं अपने खोए हुए दिन तलाश करता रहा
मेरे क़रीब ही बैठा था बचपना मेरा
#Iqbalashhar
میں اپنے کھوئے ہوئے دن تلاش کرتا رہا
مرے قریب ہی بیٹھا تھا بچپنا میرا
اقبال اشہر

अल्लामा इक़बाल रह०

15 Oct, 23:37


होना तो नहीं चाहिए पर जान हुआ तो
ये डर है तेरा दिल कहीं ज़िंदान हुआ तो

मेरी तो ये हसरत है मजा लूँ मैं तपन का
पर आग का कुछ और ही अरमान हुआ तो

दुत्कार दिया हमने उसे कह के भिखारी
दरवेश के उस भेस में सुल्तान हुआ तो

ख़ाबो में तेरे लम्स से मैं काँप रहा हूँ
ये हादसा गर वस्ल के दौरान हुआ तो

ये सोच के घबराता है हर एक सिपाही
अर्जुन का अगर मेरी तरफ ध्यान हुआ तो

क्या हो कि सभी लोग फ़क़त वहम हों मेरा
दुनिया में अकेला ही मैं इंसान हुआ तो

~ विष्णु विराट ❤️

अल्लामा इक़बाल रह०

11 Oct, 17:22


हम तो आवारा हैं, आवारगी पसंद है।
रातें अच्छी लगती हैं, शोर शराबा कम होता है...।

अल्लामा इक़बाल रह०

30 Sep, 20:43


बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम

"ला तअ'ख़ुज़ुहू सिनतुव वला नौम लहू मा फ़िस सामावाति वमा फ़िल अर्ज़"
अयतालकुर्सी की ये दूसरी और तीसरी लाइन है। ये अल्लाह तआला की अज़मत और उसकी बेपनाह क़ुदरत का बयान करती है।

"ला तअ'ख़ुज़ुहू सिनतुव वला नौम" – यानी अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त को न ऊँघ आती है और न नींद। यह अल्लाह की क़ुदरत और क़यूमियत का बेहतरीन बयान है, जो इस बात को वाजेह करता है कि हमारा ख़ालिक़ और मालिक न कभी थकता है, न कभी बेखबर होता है। हर वक़्त हर शै पर उसकी निगरानी है। उसकी ज़ात ऐसी है कि उसे आराम की ज़रूरत नहीं, और न उसकी हुकूमत में किसी क़िस्म की कमी या बेचारगी होती है। वो हर लम्हा अपने बंदों पर निगाह रखता है और हर हाल में अपने इख्तियार में रखता है।

"लहू मा फ़िस सामावाति वमा फ़िल अर्ज़" – यानी आसमानों और ज़मीन में जो कुछ भी है, सब उसी का है। हर चीज़ पर उसी का हक़ है, हर मख़लूक़ उसी की हुकूमत के तहत है। चाहे वो फरिश्ते हों या इंसान, जानदार हों या बेजान, हर चीज़ उसी की मल्कियत में आती है और उसके हुक्म के ताबेह रहती है। उसकी हुकूमत पूरे आलम पर फैली हुई है, और कोई भी चीज़ उसकी इजाज़त के बग़ैर हरकत में नहीं आ सकती।

ये अल्फ़ाज़ हमें अल्लाह तआला की बेहद बुलंदी, उसकी तन्हा मालिकियत और उसके हर वक़्त निगरानी करने का एहसास दिलाते हैं। इस आयत में छुपी हकीकत को समझ कर इंसान बस यही कह सकता है, "सुब्हान अल्लाह", कि कैसी बे मिसाल हुकूमत और कैसी बेपनाह रहमत है हमारे रब की, जिसने हर चीज़ को अपनी क़ुदरत में लिया हुआ है।

ये आयत हमें अल्लाह की तन्हा कुदरत, उसकी बेनज़ीर हुकूमत और उसकी हर हाल में निगरानी की याद दिलाती है, अल्लाह पर कामिल यक़ीन रखने वाले हर इंसान को चाहिए कि उसकी इबादत और इताअत में कमी न करे।

अल्लामा इक़बाल रह०

30 Sep, 20:40


बिस्मिल्लाहिर-रहमानिर-रहीम

"अल्लाहु ला इलाहा इल्ला हुवल हय्युल क़य्यूम"

ऊपर जो लिखा है वो अल्लाह का कलाम है। यह अयतालकुर्सी की पहली लाइन है। आयत अल कुर्सी को क़ुरआन की सबसे अज़ीम और ताक़तवर आयत कहा जाता है। वैसे तो पूरा क़ुरआन ही अपने आप मे एक मौजज़ा है।

अयतालकुर्सी को सबसे को सबसे और ताक़तवर आयत इसलिए कहते हैं क्योंकि इसका मतलब बहुत गहराई और ख़ूबसूरती लिए हुए है। आइए अयतालकुर्सी की इस पहली लाइन का मतलब समझते हैं। ये कलाम अल्लाह की बेमिसाल सिफ़तों का इज़हार करता है, जिसे समझना और महसूस करना हर मुसलमान के ईमान का हिस्सा है।

इस आयत का पहला हिस्सा, "अल्लाहु" यानी अल्लाह, वह ज़ात है जो तमाम कायनात का मालिक और पैदा करने वाला है। जब हम अल्लाह का नाम लेते हैं, तो हमारे दिल में उस एक रब की याद ताज़ा होती है जो हर चीज़ पर क़ुदरत रखता है।

"ला इलाहा इल्ला हुव" का मतलब है, अल्लाह के सिवा कोई भी इबादत के लायक़ नहीं। यानी, इंसान चाहे कितनी ही दुनिया की चीज़ों से मुतास्सिर हो जाए, असल में उसकी बंदगी और इबादत सिर्फ़ अल्लाह के लिए है, क्योंकि वही एक है जिसका कोई शरीक नहीं, और वही अकेला सच्चा माबूद है।

"अल-हय्य" का मतलब है वह जो हमेशा से है और हमेशा रहेगा। अल्लाह की हयात (ज़िन्दगी) ऐसी है जिसे कभी ख़त्म नहीं होना। उसकी ज़िन्दगी किसी वक़्त, हालत या वजूद की मोहताज नहीं, बल्कि वह ख़ुद अपने आप से है और हमेशा रहेगा। ना वो पैदा हुआ ना उसे मौत आएगी।

"अल-क़य्यूम" का मतलब है, वह जो हर चीज़ को क़ायम रखने वाला है। यानी अल्लाह न सिर्फ़ अपनी ज़िन्दगी में अज़ली और अबदी है, बल्कि वह तमाम मख़लूकात को भी सँभालता है, उन्हें रोज़ी देता है, उनके अमलात को चलाता है। पूरी कायनात उसके इख़्तियार में है, और उसके हुक्म के बग़ैर कोई चीज़ चल नहीं सकती।

यह आयत हमें यह एहसास दिलाती है कि हमारी ज़िन्दगी का हर लम्हा अल्लाह की रहमत और क़ुदरत के तले गुज़र रहा है। वह हमारी ज़रूरतों का ख़याल रखने वाला है।

फज़ीलत:

आयतुल कुर्सी को पढ़ने के फ़ज़ाइल (फायदे) इस्लामी तालीमात में ज़्यादा बयान किए गए हैं। इसे पढ़ने से इंसान को हिफाज़त मिलती है, शैतान दूर रहता है, और यह दिल को सुकून देती है। इसे मायने समझ कर कामिल यक़ीन के साथ पढ़ने वाला कभी डिप्रेशन में नही जाता।

रात को सोने से पहले आयतुल कुर्सी पढ़ने वाला अल्लाह की हिफाज़त में रहता है, और उसकी निगरानी अल्लाह के फरिश्ते करते हैं।

आयतुल कुर्सी अपनी मआनी और अज़मत के एतबार से एक ऐसी आयत है, जो अल्लाह की रब्बूबियत और उसकी क़ुदरत को बयान करती है।

अल्लामा इक़बाल रह०

29 Sep, 21:19


हर चीज़ को अलविदा कहने के लिए हमेशा तैयार रहें।

चाहे लोग हो, चीज़ें हो या ख़्यालात हो - क्यूंकि वो हमें तसल्ली देते हैं, लेकिन सच तो ये है कि बहुत ज़्यादा मज़बूती से चिमटे रहने से दर्द ही होता है, जब वो लामहला फिसल ही जाते हैं।

अल्लामा इक़बाल रह०

28 Sep, 17:01


नुमाया होकर दिखला दे कभी जमाल अपना,

बहुत मुद्दत से है चर्चे तेरे बारीक बीनों में..!

अल्लामा इक़बाल रह०

28 Sep, 16:56


कटी है हंगामा ए गुश्तरी में रात तेरी
सहर क़रीब है अल्लाह का नाम ले साक़ी!

अल्लामा इक़बाल रह०

27 Sep, 19:30


जो कोहरा ग़ैर शनासी का था छटा ही नहीं
न जाने क्या हुआ उसको वो देखता ही नहीं

हज़ार बार मै धोया हूँ आंसुओं से उसे
लिखा था जो मिरी क़िस्मत मे ग़म मिटा ही नहीं

गुज़र गया था वो कल पास से मेरे ऐसे
कि जैसे उसका मेरा सामना हुआ ही नहीं

हमेशा वो ही क्यूँ होता है साथ मे मेरे
मै जिसको ख़्वाब ख़यालों मे सोचता ही नहीं

मेरे नसीब मे लिक्खा है एक तरफा इश्क
मै जिस किसी को भी चाहूँ वो चाहता ही नहीं

कोई तो ऐब है मुझमे य़ा है वफा मे कमी
वो पेश आया है ऐसे कि जानता ही नहीं

वो एक शख्स जो आँखों से हो गया ओझल
वो है सदा मेरे दिल मे कहीं गया ही नहीं

मुझे अज़ीज़ है काशिफ वो जान से ज़्यादा
कि जिसको दिल मिरा वहशत मे भूलता ही नहीं

- काशिफ़ अहसान काश कन्नौजी

अल्लामा इक़बाल रह०

26 Sep, 09:41


कुछ भी हो जाये रूह हमेशा उदास रहेगी, क्यों कि ये दुनिया उसका घर नहीं।

~ मौलाना रूमी

अल्लामा इक़बाल रह०

25 Sep, 19:38


ऐ वा'दा-शिकन ख़्वाब दिखाना ही नहीं था
क्यूँ प्यार किया था जो निभाना ही नहीं था

इस तरह मेरे हाथ से दामन न छुड़ाओ
दिल तोड़ के जाना था तो आना ही नहीं था

अल्लाह न मिलने के बहाने थे हज़ारों
मिलने के लिए कोई बहाना ही नहीं था

देखो मेरी सर फोड़ के मरने की अदा भी
वर्ना मुझे दीवाना बनाना ही नहीं था

रोने के लिए सिर्फ़ मोहब्बत ही नहीं थी
ग़म और भी थे दिल का फ़साना ही नहीं था

न हम सही कहते न बनी दिल की कहानी
या गोश-बर-आवाज़ ज़माना ही नहीं था

'क़ैसर' कोई आया था मेरी बख़िया-गरी को
देखा तो गरेबाँ का ठिकाना ही नहीं था

क़ैसर उल जाफ़री

अल्लामा इक़बाल रह०

23 Sep, 18:42


हमारी छत पे भी सूरज का इंतिज़ाम हुआ
ये और बात कि ये काम वक़्त-ए-शाम हुआ
.
उठे रक़ीब तो फिर मुझ से बैठने को कहा
तुम्हारी बज़्म में यूँ मेरा एहतिराम हुआ
.
सफ़र में तुम से किनारा किया तुम्हारे लिए
मगर बिछड़ने का अफ़सोस गाम गाम हुआ
.
कि जैसे डाँट दे कोई यतीम बच्चे को
हमारी हसरत-ए-दिल का यूँ इख़्तिताम हुआ
.
हमारे दिल को दिखाई गई नई दुनिया
कुछ इस तरह ये परिंदा भी ज़ेर-ए-दाम हुआ
.
बिछड़ के तुझ से हुनर शा'इरी का सीख लिया
यूँ अहल-ए-दर्द के जीने का इंतिज़ाम हुआ
.
......................... ✍️ Hamza Bilal ✍️
.
.

अल्लामा इक़बाल रह०

18 Sep, 09:39


फिर चराग़ -ए- लाला से रौशन हुए कोह ओ दहन
मुझ को फिर नग्मों पे उकसाने लगा मुर्ग -ए- चमन

फूल हैं सहरा में या परियाँ क़तार अंदर क़तार
ऊदे ऊदे नीले नीले पीले पीले पैरहन

बर्ग ए गुल पर रख गई शबनम का मोती बाद ए सुब्ह
और चमकती हैं उस मोती को सूरज की किरन

हुस्त्र -ए- बे-परवा को अपनी बे-नकामी के लिए
हो अगर शहरों से बन प्यारे तो शहर अच्छे कि बन

अपने मन में डूब कर पा जा सुराग़ ए जिंदगी
तू अगर मेरा नहीं बनता तो न बन अपना तो बन

मन की दुनिया मन की दुनिया सोज़ ओ मस्ती जज़्ब ओ शौक़
तन की दुनिया तन की दुनिया सूद ओ सौदा मक्र ओ फ़न

मन की दौलत हाथ आती हैं तो फिर जाती नहीं
तन की दौलत छाँव हैं आता हैं धन जाता हैं धन

मन की दुनिया में न पाया मैंने अफ़रंगी का राज़
मन की दुनिया में न देखें मैं ने शौख़ ओ बरहन

पानी पानी कर गई मुझ को कलंदर की ये बात
तू झुका जब गै़र के आगे न मन न तेरा तन

अल्लामा इक़बाल रह०

17 Sep, 20:04


टेलीग्राम पर बहुत से ऐसे bot हैं जिनको इस्तेमाल करने से हमें बहुत सी एप्लीकेशन इन्स्टॉल करने का झंझट नहीं करना पड़ता  और यूं मोबाइल की RAM अज़ाफ़ी बोझ से बच जाती है ।

कुछ अच्छे bot पेशे ख़िदमत हैं

यह तीन डिक्शनरी bot हैं , किसी एक को ज्वायन करें ,
यहां अंग्रेजी का कोई लफ्ज़ भेजें यह उसकी व्याख्या करके आपको बतायेंगे । डिक्शनरी इन्स्टॉल करने की ज़रूरत नहीं

@diction_bot
@DictionBot
@LexicoBot


किसी इलाक़े का मैप चाहिये Map app इन्स्टॉल करने की ज़रूरत नहीं इस bot को जगह का नाम भेंजें, यह आपको Map भेज देगा ।

@openmap_bot


मुख़तलिफ़ वीडियोज़, आडियो, तस्वीरें, डाकुमेंट्स और ebooks को मुख़तलिफ़ फ़ारमेट में बदलने वाला Converter bot इस्तेमाल  करें और एप्लीकेशन से जान छुड़ायें ।

@newfileconverterbot



ग़ैर मुस्तकिल ईमेल आईडी बनाने वाला bot यह है , जितनी मर्ज़ी हो ईमेल आईडी बनायें ।

@DropmailBot


अपनी फाइल्ज़ आनॅलाईन अपलोड करके Save करने के लियो कोई App इस्तेमाल ना करे, यह वाला bot भी करता है ।

@filetobot


किसी वेब पेज ( वेबसाइट  ) का लिंक इस bot को भेजें तो यह सारे पेज का स्क्रीन शाॅट आपको भेज देगा

@URL2IMGBot


आप इंग्लिश में अपनी आवाज़ रिकार्ड करके इस bot को भेजें यह फ़ौरन उसको अल्फाज़ बनाकर आपको भेजदेगा  । यह
Voice to text सॉफ्टवेयर के जैसा काम करता है ।

@voicybot


यूट्यूब वीडियोज़ डाऊनलोड करने का सबसे बेहतरीन bot यह  है।

@utuberabot


Gmail का आफिशियल टेलीग्राम bot , अपनी ईमेल Gmail एप की बजाये  टेलीग्राम में हासिल करते रहें ।

@GmailBot

अब Zoom वीडियो काल एप इन्स्टॉल करने की ज़रूरत नहीं 
यह bot काफ़ी है ।

@zoombot


टिकटाॅक, यूट्यूब, Pinterest, Instagram, वीडियो डाउन्लोडर bot

@allsaverbot

Twitter , वीडियोज़ डाऊनलोडर bot

@twittervid_bot


यह तमाम bot आज़माये हुवे है और बिलकुल ठीक काम करते है ।

अल्लामा इक़बाल रह०

16 Sep, 17:15


दिमाग शैतान बनने पर मजबूर करता है
दिल कहता है जन्नत मोमिनों की है..!!

अल्लामा इक़बाल रह०

16 Sep, 17:15


आज कल के मुसलमान को काईल करना पड़ता है
के मुश्किल कुशा और हाजत रवा सिर्फ अल्लाह है..!!