बिस्मिल्लाहिर-रहमानिर-रहीम
"अल्लाहु ला इलाहा इल्ला हुवल हय्युल क़य्यूम"
ऊपर जो लिखा है वो अल्लाह का कलाम है। यह अयतालकुर्सी की पहली लाइन है। आयत अल कुर्सी को क़ुरआन की सबसे अज़ीम और ताक़तवर आयत कहा जाता है। वैसे तो पूरा क़ुरआन ही अपने आप मे एक मौजज़ा है।
अयतालकुर्सी को सबसे को सबसे और ताक़तवर आयत इसलिए कहते हैं क्योंकि इसका मतलब बहुत गहराई और ख़ूबसूरती लिए हुए है। आइए अयतालकुर्सी की इस पहली लाइन का मतलब समझते हैं। ये कलाम अल्लाह की बेमिसाल सिफ़तों का इज़हार करता है, जिसे समझना और महसूस करना हर मुसलमान के ईमान का हिस्सा है।
इस आयत का पहला हिस्सा, "अल्लाहु" यानी अल्लाह, वह ज़ात है जो तमाम कायनात का मालिक और पैदा करने वाला है। जब हम अल्लाह का नाम लेते हैं, तो हमारे दिल में उस एक रब की याद ताज़ा होती है जो हर चीज़ पर क़ुदरत रखता है।
"ला इलाहा इल्ला हुव" का मतलब है, अल्लाह के सिवा कोई भी इबादत के लायक़ नहीं। यानी, इंसान चाहे कितनी ही दुनिया की चीज़ों से मुतास्सिर हो जाए, असल में उसकी बंदगी और इबादत सिर्फ़ अल्लाह के लिए है, क्योंकि वही एक है जिसका कोई शरीक नहीं, और वही अकेला सच्चा माबूद है।
"अल-हय्य" का मतलब है वह जो हमेशा से है और हमेशा रहेगा। अल्लाह की हयात (ज़िन्दगी) ऐसी है जिसे कभी ख़त्म नहीं होना। उसकी ज़िन्दगी किसी वक़्त, हालत या वजूद की मोहताज नहीं, बल्कि वह ख़ुद अपने आप से है और हमेशा रहेगा। ना वो पैदा हुआ ना उसे मौत आएगी।
"अल-क़य्यूम" का मतलब है, वह जो हर चीज़ को क़ायम रखने वाला है। यानी अल्लाह न सिर्फ़ अपनी ज़िन्दगी में अज़ली और अबदी है, बल्कि वह तमाम मख़लूकात को भी सँभालता है, उन्हें रोज़ी देता है, उनके अमलात को चलाता है। पूरी कायनात उसके इख़्तियार में है, और उसके हुक्म के बग़ैर कोई चीज़ चल नहीं सकती।
यह आयत हमें यह एहसास दिलाती है कि हमारी ज़िन्दगी का हर लम्हा अल्लाह की रहमत और क़ुदरत के तले गुज़र रहा है। वह हमारी ज़रूरतों का ख़याल रखने वाला है।
फज़ीलत:
आयतुल कुर्सी को पढ़ने के फ़ज़ाइल (फायदे) इस्लामी तालीमात में ज़्यादा बयान किए गए हैं। इसे पढ़ने से इंसान को हिफाज़त मिलती है, शैतान दूर रहता है, और यह दिल को सुकून देती है। इसे मायने समझ कर कामिल यक़ीन के साथ पढ़ने वाला कभी डिप्रेशन में नही जाता।
रात को सोने से पहले आयतुल कुर्सी पढ़ने वाला अल्लाह की हिफाज़त में रहता है, और उसकी निगरानी अल्लाह के फरिश्ते करते हैं।
आयतुल कुर्सी अपनी मआनी और अज़मत के एतबार से एक ऐसी आयत है, जो अल्लाह की रब्बूबियत और उसकी क़ुदरत को बयान करती है।