*देहदान - महादान- एक नयी पहल*
हम सभी के प्यारे नाना( राजीव सर के पिताजी) हमारे बीच नहीं रहे l
नाना जी के अंतिम इच्छानुसार राजीव सर ने एक सराहनीय एवं अनुकरणीय पहल किया है उन्होंने अपने पिता जी के *शरीर को मेकाहारा अस्पताल में दान* कर दिया गया है ताकि जरूरतमंद को काम आ सकेl
*देहदान करने का निर्णय अत्यंत पुण्य और महान कार्य है।*
देहदान के कई महत्वपूर्ण लाभ हैं, जिसे मैं आपके समक्ष रखना चाहता हूं, जिनसे समाज और चिकित्सा क्षेत्र को अत्यधिक लाभ मिलता है।
1. चिकित्सा अनुसंधान में योगदान: शरीर दान से मेडिकल शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों को नई बीमारियों, उनके इलाज, और शरीर की कार्यप्रणाली को समझने में मदद मिलती है। यह चिकित्सा विज्ञान के विकास में सहायक होता है।
2. चिकित्सा शिक्षा: मेडिकल छात्रों को मानव शरीर के बारे में गहराई से सीखने के लिए वास्तविक शरीर पर काम करने की आवश्यकता होती है। दान किया गया शरीर उन्हें व्यावहारिक अनुभव प्रदान करता है, जिससे वे अच्छे डॉक्टर बनते हैं।
3. अंग प्रत्यारोपण में मदद: शरीर के स्वस्थ अंगों को दान कर अन्य जरूरतमंद व्यक्तियों की जान बचाई जा सकती है। यह अंग प्रत्यारोपण के जरिए जीवनदान देने का सबसे बड़ा माध्यम है।
4. सामाजिक सेवा और परोपकार: शरीर दान एक महान परोपकारी कार्य है, जिससे मानवता की सेवा होती है। मृत्यु के बाद भी व्यक्ति दूसरों की भलाई के लिए योगदान दे सकता है।
5. पारिवारिक संतोष: शरीर दान से परिवार को इस बात का सुकून मिलता है कि उनके प्रियजन की मृत्यु के बाद भी उनका शरीर किसी उपयोगी कार्य में लगा है और यह एक सामाजिक योगदान है।
6. अर्थव्यवस्था में सहायता: शरीर दान से अंग प्रत्यारोपण और चिकित्सा शिक्षा से जुड़े खर्चों में कमी आती है। इससे देश की स्वास्थ्य सेवा पर आर्थिक बोझ कम होता है।
देह दान करने का निर्णय समाज, विज्ञान और मानवीयता की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो दूसरों की भलाई में योगदान देता है।
*आपका यह निर्णय अत्यंत सराहनीय और प्रेरणादायक है। शरीर दान करने से न केवल किसी जरूरतमंद को नई जिंदगी मिलेगी, बल्कि मानवता की सेवा में यह योगदान हमेशा अमर रहेगा। इस नेक कार्य के लिए आपको दिल से बधाई और सम्मान। आपका यह कदम आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगा।*