छोटी छोटी प्रेरणादायी कहानियां Kahaniyan

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छोटी छोटी प्रेरणादायी कहानियां Kahaniyan

09 Oct, 08:30


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छोटी छोटी प्रेरणादायी कहानियां Kahaniyan

12 Aug, 15:11


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छोटी छोटी प्रेरणादायी कहानियां Kahaniyan

26 May, 17:36


Video from Film Writer RakeshMuni

छोटी छोटी प्रेरणादायी कहानियां Kahaniyan

05 Oct, 15:40


Best Wishes on VijayaDashami

अपने अंदर की कोई एक बड़ी कमजोरी जो आपको दुख देती है उसे छोड़ने का प्लानिंग करके पूरी तरह उससे मुक्त होगे। अपने अंदर के रावण को जला देवे आज 🔥👍

छोटी छोटी प्रेरणादायी कहानियां Kahaniyan

08 Feb, 08:35


😴 😴 👉 Story Time 👈 😴 😴

🔆 खुश रहने का रहस्य 🔆

🔷 बहुत समय पहले की बात है, एक गाँव में एक महात्मा रहते थे। आसपास के गाँवो के लोग अपनी समस्याओं और परेशानियों के समाधान के लिए महात्मा के पास जाते थे। और संत उनकी समस्याओं, परेशानियों को दूर करके उनका मार्गदर्शन करते थे। एक दिन एक व्यक्ति ने महात्मा से पूछा – गुरुवर, संसार में खुश रहने का रहस्य क्या है ?

🔶 महात्मा ने उससे कहा कि तुम मेरे साथ जंगल में चलो, मैं तुम्हे खुश रहने का रहस्य बताता हूँ। उसके बाद महात्मा और वह व्यक्ति जंगल की तरफ चल दिए। रास्ते में चलते हुए महात्मा ने एक बड़ा सा पत्थर उठाया और उस व्यक्ति को देते हुए कहा कि इसे पकड़ो और चलो। उस व्यक्ति ने वह पत्थर लिया और वह महात्मा के साथ साथ चलने लगा।

🔷 कुछ देर बाद उस व्यक्ति के हाथ में दर्द होने लगा लेकिन वह चुप रहा और चलता रहा। जब चलते चलते बहुत समय बीत गया और उस व्यक्ति से दर्द सहा नहीं गया तो उसने महात्मा से कहा कि उस बहुत दर्द हो रहा है। महात्मा ने कहा कि इस पत्थर को नीचे रख दो। पत्थर को नीचे रखते ही उस व्यक्ति को बड़ी राहत मिली।

🔶 तब महात्मा ने उससे पूछा – जब तुमने पत्थर को अपने हाथ में उठा रखा था तब तुम्हे कैसा लग रहा था। उस व्यक्ति ने कहा – शुरू में दर्द कम था तो मेरा ध्यान आप पर ज्यादा था पत्थर पर कम था। लेकिन जैसे जैसे दर्द बढ़ता गया मेरा ध्यान आप पर से कम होने लगा और पत्थर पर ज्यादा होने लगा और एक समय मेरा पूरा ध्यान पत्थर पर आ गया और मैं इससे अलग कुछ नहीं सोच पा रहा था।

🔷 तब महात्मा ने उससे दोबारा पूछा – जब तुमने पत्थर को नीचे रखा तब तुम्हे कैसा महसूस हुआ।

🔶 इस पर उस व्यक्ति ने कहा – पत्थर नीचे रखते ही मुझे बहुत राहत महसूस हुई और ख़ुशी भी महसूस हुई।

🔷 तब महात्मा ने कहा कि यही है खुश रहने का रहस्य! इस पर वह व्यक्ति बोला – गुरुवर, मैं कुछ समझा नहीं।

🔶 तब महात्मा ने उसे समझाते हुए कहा – जिस तरह इस पत्थर को थोड़ी देर हाथ में उठाने पर थोड़ा सा दर्द होता है, थोड़ी और ज्यादा देर उठाने पर थोड़ा और ज्यादा दर्द होता है और अगर हम इसे बहुत देर तक उठाये रखेंगे तो दर्द भी बढ़ता जायेगा। उसी तरह हम दुखों के बोझ को जितने ज्यादा समय तक उठाये रखेंगे हम उतने ही दुखी और निराश रहेंगे। यह हम पर निर्भर करता है कि हम दुखों के बोझ को थोड़ी सी देर उठाये रखते हैं या उसे ज़िंदगी भर उठाये रहते हैं।

🔷 इसलिए अगर तुम खुश रहना चाहते हो तो अपने दुःख रुपी पत्थर को जल्दी से जल्दी नीचे रखना सीख लो और अगर संभव हो तो उसे उठाओ ही नहीं।

🔶 इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि यदि हमने अपने दुःख रुपी पत्थर को उठा रखा है तो शुरू शुरू में हमारा ध्यान अपने लक्ष्यों पे ज्यादा तथा दुखो पर कम होगा। लेकिन अगर हमने अपने दुःख रुपी पत्थर को लम्बे समय से उठा रखा है तो हमारा ध्यान अपने लक्ष्यों से हटकर हमारे दुखों पर आ जायेगा। और तब हम अपने दुखों के अलावा कुछ नहीं सोच पाएंगे और अपने दुखो में ही डूबकर परेशान होते रहेंगे और कभी भी खुश नहीं रह पाएंगे।

🔷 इसलिए अगर आपने भी कोई दुःख रुपी पत्थर उठा रखा है तो उसे जल्दी से जल्दी नीचे रखिये मतलब अपने दुखो को , तनाव को अपने दिलो दिमाग से निकल फेंकिए और खुश रहिए 😊 तथा लक्ष्य 🎯 को साधिए।

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😴😴😴😴😴😴😴😴😴😴😴

छोटी छोटी प्रेरणादायी कहानियां Kahaniyan

05 Feb, 06:04


एक प्रेरणादायक कहानी....
______

क अमीर आमी था। उने समुद् मे अकेल घूमने के लिए एक नाव बनवाई।

छुट्टी के दिन वह नाव लेकर समुद्र की सेर करने निकला। आधे समुद्र तक पहुंचा ही था कि अचानक एक जोरदार तुफान आया। उसकी नाव पुरी तरह से तहस-नहस हो गई लेकिन वह लाईफ जैकेट की मदद से समुद्र मे कूद गया। जब तूफान शांत हुआ तब वह तैरता तैरता एक टापू पर पहुंचा लेकिन वहाँ भी कोई नही था। टापू के चारो और समुद्र के अलावा कुछ भी नजर नही आ रहा था। उस आदमी ने सोचा कि जब मैंने पूरी जिदंगी मे किसी का कभी भी बुरा नही किया तो मेरे साथ ऐसा क्यूँ हुआ..?

उस आदमी को लगा कि भगवान ने मौत से बचाया तो आगे का रास्ता भी भगवान ही बताएगा। धीरे धीरे वह वहाँ पर उगे झाड-पत्ते खाकर दिन बिताने लगा।

अब धीरे-धीरे उसकी श्रध्दा टूटने लगी, भगवान पर से उसका विश्वास उठ गया। उसको लगा कि इस दुनिया मे भगवान है ही नही। फिर उसने सोचा कि अब पूरी जिंदगी यही इस टापू पर ही बितानी है तो क्यूँ ना एक झोपडी बना लूँ ......?

फिर उसने झाड की डालियो और पत्तो से एक छोटी सी झोपडी बनाई। उसने मन ही मन कहा कि आज से झोपडी मे सोने को मिलेगा आज से बाहर नही सोना पडेगा। रात हुई ही थी कि अचानक मौसम बदला बिजलियाँ जोर जोर से कड़कने लगी.! तभी अचानक एक बिजली उस झोपडी पर आ गिरी और झोपडी धधकते हुए जलने लगी।

यह देखकर वह आदमी टूट गया आसमान की तरफ देखकर बोला तू भगवान नही, राक्षस है। तुझमे दया जैसा कुछ है ही नही तू बहुत क्रूर है। वह व्यक्ति हताश होकर सर पर हाथ रखकर रो रहा था। कि अचानक एक नाव टापू के पास आई। नाव से उतरकर दो आदमी बाहर आये और बोले कि हम तुमे बचाने आये हैं। दूर से इस वीरान टापू मे जलता हुआ झोपडा देखा तो लगा कि कोई उस टापू पर मुसीबत मे है।

अगर तुम अपनी झोपडी नही जलाते तो हमे पता नही चलता कि टापू पर कोई है। उस आदमी की आँखो से आँसू गिरने लगे।

उसने ईश्वर से माफी माँगी और बोला कि मुझे क्या पता कि आपने मुझे बचाने के लिए मेरी झोपडी जलाई थी.

सीख- दिन चाहे सुख के हों या दुख के, भगवान अपने भक्तों के साथ हमेशा रहते है !!

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03 Feb, 16:27


रात्रि कहानी 🌝🌝

🍋🌲🌳🌴🌳🌳🍀🌿🍋

आम का पेड़


कुंतालपुर का राजा बड़ा ही न्याय प्रिय था| वह अपनी प्रजा के दुख-दर्द में बराबर काम आता था| प्रजा भी उसका बहुत आदर करती थी| एक दिन राजा गुप्त वेष में अपने राज्य में घूमने निकला तब रास्ते में देखता है कि एक वृद्ध एक छोटा सा पौधा रोप रहा है|


राजा कौतूहलवश उसके पास गया और बोला, ‘‘यह आप किस चीज का पौधा लगा रहे हैं ?’’ वृद्ध ने धीमें स्वर में कहा, ‘‘आम का|’’

राजा ने हिसाब लगाया कि उसके बड़े होने और उस पर फल आने में कितना समय लगेगा| हिसाब लगाकर उसने अचरज से वृद्ध की ओर देखा और कहा, ‘‘सुनो दादा इस पौधै के बड़े होने और उस पर फल आने मे कई साल लग जाएंगे, तब तक तुम क्या जीवित रहोगे?’


वृद्ध ने राजा की ओर देखा| राजा की आँखों में मायूसी थी| उसे लग रहा था कि वह वृद्ध ऐसा काम कर रहा है, जिसका फल उसे नहीं मिलेगा|

यह देखकर वृद्ध ने कहा, ‘‘आप सोच रहें होंगे कि मैं पागलपन का काम कर रहा हूँ| जिस चीज से आदमी को फायदा नहीं पहुँचता, उस पर मेहनत करना बेकार है, लेकिन यह भी तो सोचिए कि इस बूढ़े ने दूसरों की मेहनत का कितना फायदा उठाया है ? दूसरों के लगाए पेड़ों के कितने फल अपनी जिंदगी में खाए हैं ? क्याउस कर्ज को उतारने के लिए मुझे कुछ नहीं करना चाहिए?


क्या मुझे इस भावना से पेड़ नहीं लगाने चाहिए कि उनके फल दूसरे लोग खा सकें? जो केवल अपने लाभ के लिए ही काम करता है, वह तो स्वार्थी वृत्ति का मनुष्य होता है|’’


वृद्ध की यह दलील सुनकर राजा प्रसन्न 😊हो गया , आज उसे भी कुछ बड़ा सीखने को मिला था।
😊🌹💫💥👑

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30 Jul, 11:56


*पर-निंदा के दुष्परिणाम*
राजा पृथु एक दिन सुबह-सुबह घोड़ों के तबेले में जा पहुँचे। तभी वहाँ एक साधु भिक्षा मांगने आ पहँचा। सुबह-सुबह साधु को भिक्षा मांगते देख पृथु क्रोध से भर उठे। उन्होंने साधु की निंदा करते हुये, बिना विचारे तबेले से घोड़े की लीद उठाई और उसके पात्र में डाल दी। साधु भी शांत स्वभाव का था, सो भिक्षा ले वहाँ से चला गया और वह लीद कुटिया के बाहर एक कोने में डाल दी।
कुछ समय उपरान्त राजा पृथु शिकार के लिये गये। पृथु ने जब जंगल में देखा कि, एक कुटिया के बाहर घोड़े की लीद का बड़ा सा ढेर लगा हुआ है। उन्होंने देखा कि, यहाँ तो न कोई तबेला है और न ही दूर-दूर तक कोई घोड़े दिखाई दे रहे हैं। वह आश्चर्यचकित हो कुटिया में गये और साधु से बोले, *"महाराज ! आप हमें एक बात बताइये, यहाँ कोई घोड़ा भी नहीं, न ही तबेला है, तो यह इतनी सारी घोड़े की लीद कहा से आई ?"*
साधु ने कहा, *" राजन् ! यह लीद मुझे एक राजा ने भिक्षा में दी है। अब समय आने पर यह लीद उसी को खानी पड़ेगी।"*
यह सुन राजा पृथु को पूरी घटना याद आ गई। वे साधु के पैरों में गिर क्षमा मांगने लगे। उन्होंने साधु से प्रश्न किया, *हमने तो थोड़ी-सी लीद दी थी, पर यह तो बहुत अधिक हो गई ?*
साधु ने कहा, *हम किसी को जो भी देते हैं, वह दिन-प्रतिदिन प्रफुल्लित होता जाता है और समय आने पर हमारे पास लौटकर आ जाता है, यह उसी का परिणाम है।*
यह सुनकर पृथु की आँखों में अश्रु भर आये। वे साधु से विनती कर बोले, *"महाराज ! मुझे क्षमा कर दीजिये। मैं आइन्दा ऐसी गलती कभी नहीं करूँगा। कृपया कोई ऐसा उपाय बता दीजिये, जिससे मैं अपने दुष्ट कर्मों का प्रायश्चित कर सकूँ।"* राजा की ऐसी दु:खमयी हालत देखकर साधु बोला, *"राजन् ! एक उपाय है। आपको कोई ऐसा कार्य करना है, जो देखने में तो गलत हो, पर वास्तव में गलत न हो।* जब लोग आपको गलत देखेंगे, तो आपकी निंदा करेंगे। जितने ज्यादा लोग आपकी निंदा करेंगे, आपका पाप उतना हल्का होता जायेगा। *आपका अपराध निंदा करने वालों के हिस्से में आ जायेगा।*
यह सुनकर राजा पृथु ने महल में आकर काफी सोच-विचार किया और अगले दिन सुबह से शराब की बोतल लेकर चौराहे पर बैठ गये। सुबह-सुबह राजा को इस हाल में देखकर सब लोग आपस में राजा की निंदा करने लगे कि, कैसा राजा है ? कितना निंदनीय कृत्य कर रहा है, क्या यह शोभनीय है ? आदि-आदि ! निंदा की परवाह किये बिना राजा पूरे दिन शराबियों की तरह अभिनय करते रहे। इस पूरे कृत्य के पश्चात जब राजा पृथु पुनः साधु के पास पहुँचे, तो लीद के ढेर के स्थान पर एक मुट्ठी लीद देख आश्चर्य से बोले, *"महाराज ! यह कैसे हुआ ? इतना बड़ा ढेर कहाँ गायब हो गया ?"*

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साधू ने कहा, *"यह आपकी अनुचित निंदा के कारण हुआ है राजन् ! जिन-जिन लोगों ने आपकी अनुचित निंदा की है,, आपका पाप उन सबमें बराबर-बराबर बंट गया है।*
फिर राजा बोले, *" महाराज, फिर ये मुट्ठी भर बचा क्यूँ?? ये क्यूँ नहीं बंटा??"*
तो फिर ऋषि बोले, *"राजन, ये तुम्हारा कर्म है। जितना तुमने मेरे भिक्षा पात्र मे मेरे खाने के लिए दिए थे उतना तो तुम्हें खाना ही पड़ेगा। "*
कोई कितना भी उपाय, दान, पुण्य करले उसका कर्म दोष कट तो जाएगा पर उसका मूल नष्ट नहीं होगा... उतना तो भरना ही पड़ेगा..
जब हम किसी की बेवजह निंदा करते हैं, तो हमें उसके पाप का बोझ भी उठाना पड़ता है। तथा हमें अपने किये गये कर्मों का फल तो भुगतना ही पड़ता है। अब चाहे हँसकर भुगतें या रोकर। *हम जैसा देंगे, वैसा ही लौटकर वापिस आयेगा।*
*दूसरे की निंदा करिये और अपना घड़ा भरिये।*......


*शुभ रात्रि*🌷🙏🌷

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26 Jun, 12:04


*🌳🦚आज की कहानी🦚🌳*

💐💐अच्छी सोच 💐💐


एक महान विद्वान से मिलने के लिये एक दिन रोशनपुर के राजा आये। राजा ने विद्वान से पुछा, ‘क्या इस दुनिया में ऐसा कोई व्यक्ति है जो बहुत महान हो लेकिन उसे दुनिया वाले नहीं जानते हो?’

विद्वान ने राजा से विनम्र भाव से मुस्कुराते हुये कहा, ‘हम दुनिया के ज्यादातर महान लोगों को नहीं जानते हैं।’ दुनिया में ऐसे कई लोग हैं जो महान लोगों से भी कई गुना महान हैं।

राजा ने विद्वान से कहा, ‘ऐसे कैसे संभव है’। विद्वान ने कहा, मैं आपको ऐसे कई व्यक्तियों से मिलवाऊंगा। इतना कहकर विद्वान, राजा को लेकर एक गांव की ओर चल पड़े। रास्ते में कुछ दुर पश्चात् पेड़ के नीचे एक बुढ़ा आदमी वहाँ उनको मिल गया। बुढ़े आदमी के पास एक पानी का घड़ा और कुछ डबल रोटी थी। विद्वान और राजा ने उससे मांगकर डबल रोटी खाई और पानी पिया।

जब राजा उस बूढ़े आदमी को डबल रोटी के दाम देने लगा तो वह आदमी बोला, ‘महोदय, मैं कोई दुकानदार नहीं हूँ। मैं बस वही कर रहा हूँ जो मैं इस उम्र में करने योग्य हूँ। मेरे बेटे का डबल रोटी का व्यापार है, मेरा घर में मन नहीं लगता इसलिये राहगिरों को ठंडा पानी पिलाने और डबल रोटी खिलाने आ जाया करता हूँ। इससे मुझे बहुत खुशी मिलती है।

विद्वान ने राजा को इशारा देते हुए कहा कि देखो राजन् इस बुढ़े आदमी की इतनी अच्छी सोच ही इसे महान बनाती है।

फिर इतना कहकर दोनों ने गाँव में प्रवेश किया तब उन्हें एक स्कूल नजर आया। स्कूल में उन्होंने एक शिक्षक से मुलाकात की और राजा ने उससे पूछा कि आप इतने विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं तो आपको कितनी तनख्वाह मिलती है। उस शिक्षक ने राजा से कहा कि महाराज मैं तनख्वाह के लिये नहीं पढ़ा रहा हूँ, यहाँ कोई शिक्षक नहीं थे और विद्यार्थियों का भविष्य दाव पर था इस कारण मैं उन्हें मुफ्त में शिक्षा देने आ रहा हूँ।

विद्वान ने राजा से कहा कि महाराज दूसरों के लिये जीने वाला भी बहुत ही महान होता है। और ऐसे कई लोग हैं जिनकी ऐसी महान सोच ही उन्हें महान से भी बड़ा महान बनाती हैं।

इसलिए राजन् अच्छी सोच आदमी का किस्मत निर्धारित करती है।

इसलिए Friends हमेशा अच्छी बातें ही सोचकर कार्य करें और महान बनें। Friends आदमी बड़ी बातों से नहीं बल्कि अच्छी सोच व अच्छे कामों से महान माना जाता है।

*शिक्षा:- Life में कुछ Achieve करने के लिये और सफलता हासिल करने के लिये बड़ी बातों को ज्यादा Importance देने के बजाय अच्छी सोच को ज्यादा महत्व देना चाहिये क्योंकि आपकी अच्छी सोच ही आपके कार्य को निर्धारित करती है*
🌹🌹🌹🌹🌹


*सदैव प्रसन्न रहिये!!*
*जो प्राप्त है-पर्याप्त है!!*
🙏🙏🙏🙏🙏🌳🌳🙏🙏🙏🙏

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23 May, 01:55


समय के राज

🗓️ 23 मई,रविवार

दोपहर 12 बजे

मूवी का लिंक 👇

https://youtu.be/xXqT8TH-fM8

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10 Jan, 10:50


❤️____Story-275____❤️

“*माँ की नसीहत*”

एक बार मालदा शहर के बगीचे में एक अफगान व्यापारी वशीर मोहम्मद ने रात बिताई । सवेरे अपना सामान समेटकर वह वहां से चल पड़ा । कई मील पहुंचने के बाद उसे याद आया कि सोने के सिक्कों से भरी थैली तो एक पेड़ की डाली पर ही लटकी रह गई है । धन के बिना व्यापार के लिए भी आगे नहीं जाया जा सकता । दुःखी मन से वह वापस उसी ओर चल पड़ा ।

संयोगवश वीरेश्वर मुखोपाध्याय नामक एक बालक बगीचे में पहुंचा । खेलते-खेलते वह उस पेड़ के पास पहुंच गया, जिस पर सिक्कों से भरी थैली टंगी थी । बालक ने उत्सुकतावश थैली उतारी । उसके अन्दर सोने की मुद्राएँ देखकर वह हैरान रह गया । उसने माली से पूछताछ की तो पता चला कि काबुल का व्यापारी रात गुजारकर यहां से दक्षिण की ओर रवाना हुआ है । यह सुनते ही बालक थैली लेकर दक्षिण की ओर दौड़ चला ।

तभी उसे वशीर मोहम्मद उस ओर आता हुआ नजर आया । बालक ने उसकी पोशाक देखकर अंदाजा लगा लिया कि यही काबुल व्यापारी है । उधर वशीर मोहम्मद ने भी बालक के हाथ में अपनी थैली देखी । बालक बोला, ‘शायद यह थैली आपकी ही है ।’ मैं इसे आपको लौटाने के लिए आ रहा था । एक नन्हे बालक के मुंह से यह सुनकर वशीर मोहम्मद दंग होकर बोला, ‘क्या तुम्हें रुपयों से भरी थैली देखकर लालच नहीं आया ।’ यह सुनकर बालक सहजता से बोला, ‘मेरी माँ मुझे कहानियाँ सुनाते हुए बताया करती है कि दूसरे के धन को मिट्टी के समान समझना चाहिए । चोरी करना घोर पाप है ।'

बालक की बात पर वशीर बोला, ‘धन्य है तुम्हारी माँ ।’
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31 Dec, 12:38


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*📚★ प्रेरणदायक कहानियाँ ★📚*

*☝️परमात्मा का आसरा ☝️*

_★ एक बार एक राजा नगर भ्रमण पर निकले तो रास्ते में देखते हैं कि एक छोटा बच्चा माटी के खिलौनों को कान में कुछ कहता फिर तोड़ कर माटी में मिला रहा है।_

_● राजा को बड़ा आश्चर्य हुआ I उसने बच्चे से पूछा कि तुम क्या कर रहे हो..? बच्चे ने जवाब दिया कि मैं इन से पूछता हूँ कि कभी राम नाम जपा और माटी को माटी में मिला रहा हूँ। तो राजा ने सोचा इतना छोटा सा बच्चा इतनी ज्ञान की बात ..._

_● राजा ने बच्चे से पूछा कि तुम मेरे साथ मेरे राजमहल में रहोगे ? तो बच्चे ने कहा कि जरुर रहूंगा पर मेरी चार शर्त है I_

_● १ .जब मैं सोऊं तब तुम्हें जागना पड़ेगा।_

_● २. मैं भोजन खाऊंगा तुम्हें भूखा रहना पड़ेगा ।_

_● ३. मैं कपड़े पहनूंगा मगर तुम्हें नग्न रहना पड़ेगा।_

_● ४. और जब मैं कभी मुसीबत में होऊँ तो तुम्हें अपने सारे काम छोड़ कर मेरे पास आना पड़ेगा ।_

_◆ अगर आपको ये शर्तें मंज़ूर हैं तो मैं आपके राजमहल में चलने को तैयार हूँ । राजा ने कहा कि ये तो असम्भव है तो बच्चे ने कहा राजन तो मैं उस परमात्मा का आसरा छोड़ कर आपके सहारे क्यों रहूँ । जो खुद नग्न रह कर मुझे पहनाता है । खुद भूखा रह कर मुझे खिलाता है । खुद जागता है और मैं निश्चिंत सोता हूँ। और जब मैं किसी मुश्किल में होता हूँ तो वो बिना बुलाए मेरे लिए अपने सारे काम छोड़ कर दौड़ा आता है ।_

_● कहने का भाव केवल इतना ही है कि हम लोग सब कुछ जानते समझते हुए भी बेकार के विषय विकारों में उलझ कर परमात्मा को भुलाए बैठे हैं ,जो हमारी पल पल संभाल रहे हैं उस सतगुरु प्यारे के नाम को भूलाए बैठे हैं।_

*💞★ ओम शन्ति ★💞*

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छोटी छोटी प्रेरणादायी कहानियां Kahaniyan

16 Dec, 12:26


💞💞💞 रात्रि कहानी 💞💞💞
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
एक बार बुरी आत्माओं ने भगवान से शिकायत की कि उनके साथ इतना बुरा व्यवहार क्यों किया जाता है, अच्छी आत्माएं इतने शानदार महल में रहती हैं और हम सब खंडहरों में, आखिर ये भेदभाव क्यों है, जबकि हम सब आप ही की संतान हैं।

भगवान ने उन्हें समझाया, ” मैंने तो सभी को एक जैसा ही बनाया पर तुम ही अपने कर्मो से बुरी आत्माएं बन गयीं।

पर भगवान के समझाने पर भी बुरी आत्माएं भेदभाव किये जाने की शिकायत करतीं रहीं।

इसपर भगवान ने कुछ देर सोचा और सभी अच्छी-बुरी आत्माओं को बुलाया और बोले, “ बुरी आत्माओं के अनुरोध पर मैंने एक निर्णय लिया है, आज से तुम लोगों को रहने के लिए मैंने जो भी महल या खँडहर दिए थे वो सब नष्ट हो जायेंगे, और अच्छी और बुरी आत्माएं अपने अपने लिए दो अलग-अलग शहरों का निर्माण करेंगी। ”

तभी एक आत्मा बोली, “ लेकिन इस निर्माण के लिए हमें ईंटें कहाँ से मिलेंगी ?”

“जब पृथ्वी पर कोई इंसान सच या झूठ बोलेगा तो यहाँ पर उसके बदले में ईंटें तैयार हो जाएंगी। सभी ईंटें मजबूती में एक सामान होंगी, अब ये तुम लोगों को तय करना है कि तुम सच बोलने पर बनने वाली ईंटें लोगे या झूठ बोलने पर!”, भगवान ने उत्तर दिया ।

बुरी आत्माओं ने सोचा, पृथ्वी पर झूठ बोलने वाले अधिक लोग हैं इसलिए अगर उन्होंने झूठ बोलने पर बनने वाली ईंटें ले लीं तो एक विशाल शहर का निर्माण हो सकता है, और उन्होंने भगवान से झूठ बोलने पर बनने वाली ईंटें मांग ली।

दोनों शहरों का निर्माण एक साथ शुरू हुआ, पर कुछ ही दिनों में बुरी आत्माओं का शहर विशाल रूप लेने लगा, उन्हें लगातार ईंटों के ढेर मिलते जा रहे थे और उससे उन्होंने एक शानदार महल बना लिया। वहीँ अच्छी आत्माओं का निर्माण धीरे -धीरे चल रहा था, काफी दिन बीत जाने पर भी उनके शहर का एक ही हिस्सा बन पाया था।

कुछ दिन और ऐसे ही बीते, फिर एक दिन अचानक एक अजीब सी घटना घटी। बुरी आत्माओं के शहर से ईंटें गायब होने लगीं … दीवारों से, छतों से, इमारतों की नीवों से,… हर जगह से ईंटें गायब होने लगीं और देखते -देखते उनका शहर खंडहर का रूप लेने लगा। परेशान आत्माएं तुरंत भगवान के पास भागीं और पुछा, “ हे प्रभु, हमारे महल से अचानक ये ईंटें गायब क्यों होने लगीं …हमारा महल शहर तो फिर से खंडहर बन गया ?”

भगवान मुस्कुराये और बोले, “ ईंटें गायब होने लगीं!! अच्छा -अच्छा, लगता है जिन लोगों ने झूठ बोला था उनका झूठ पकड़ा गया, और इसीलिए उनके झूठ बोलने से बनी ईंटें भी गायब हो गयीं।

मित्रों,इस कहानी से हमें कई ज़रूरी बातें सीखने को मिलती है, जो हम बचपन से सुनते भी आ रहे हैं पर शायद उसे इतनी गंभीरता से नहीं लेते :

झूठ की उम्र छोटी होती है, आज नहीं तो कल झूठ पकड़ा ही जाता है।

झूठ और बेईमानी के रास्ते पर चल कर सफलता पाना आसान लगता है पर अंत में वो हमें असफल ही बनाता है।

वहीँ सच्चाई से चलने वाले धीरे -धीरे आगे बढ़ते हैं पर उनकी सफलता स्थायी होती है. अतः हमें हमेशा सच्चाई की बुनियाद पर अपने सफलता की इमारत खड़ी करनी चाहिए, झूठ और बेईमानी की बुनियाद पर तो बस खंडहर ही बनाये जा सकते है ।

💞💞💞💞💞💞💞💞💞

छोटी छोटी प्रेरणादायी कहानियां Kahaniyan

13 Dec, 12:34


एक प्रेरणादायक कहानी....
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एक अमीर आदमी था। उसने समुद्र मे अकेले घूमने के लिए एक नाव बनवाई।

छुट्टी के दिन वह नाव लेकर समुद्र की सेर करने निकला। आधे समुद्र तक पहुंचा ही था कि अचानक एक जोरदार तुफान आया। उसकी नाव पुरी तरह से तहस-नहस हो गई लेकिन वह लाईफ जैकेट की मदद से समुद्र मे कूद गया। जब तूफान शांत हुआ तब वह तैरता तैरता एक टापू पर पहुंचा लेकिन वहाँ भी कोई नही था। टापू के चारो और समुद्र के अलावा कुछ भी नजर नही आ रहा था। उस आदमी ने सोचा कि जब मैंने पूरी जिदंगी मे किसी का कभी भी बुरा नही किया तो मेरे साथ ऐसा क्यूँ हुआ..?

उस आदमी को लगा कि भगवान ने मौत से बचाया तो आगे का रास्ता भी भगवान ही बताएगा। धीरे धीरे वह वहाँ पर उगे झाड-पत्ते खाकर दिन बिताने लगा।

अब धीरे-धीरे उसकी श्रध्दा टूटने लगी, भगवान पर से उसका विश्वास उठ गया। उसको लगा कि इस दुनिया मे भगवान है ही नही। फिर उसने सोचा कि अब पूरी जिंदगी यही इस टापू पर ही बितानी है तो क्यूँ ना एक झोपडी बना लूँ ......?

फिर उसने झाड की डालियो और पत्तो से एक छोटी सी झोपडी बनाई। उसने मन ही मन कहा कि आज से झोपडी मे सोने को मिलेगा आज से बाहर नही सोना पडेगा। रात हुई ही थी कि अचानक मौसम बदला बिजलियाँ जोर जोर से कड़कने लगी.! तभी अचानक एक बिजली उस झोपडी पर आ गिरी और झोपडी धधकते हुए जलने लगी।

यह देखकर वह आदमी टूट गया आसमान की तरफ देखकर बोला तू भगवान नही, राक्षस है। तुझमे दया जैसा कुछ है ही नही तू बहुत क्रूर है। वह व्यक्ति हताश होकर सर पर हाथ रखकर रो रहा था। कि अचानक एक नाव टापू के पास आई। नाव से उतरकर दो आदमी बाहर आये और बोले कि हम तुमे बचाने आये हैं। दूर से इस वीरान टापू मे जलता हुआ झोपडा देखा तो लगा कि कोई उस टापू पर मुसीबत मे है।

अगर तुम अपनी झोपडी नही जलाते तो हमे पता नही चलता कि टापू पर कोई है। उस आदमी की आँखो से आँसू गिरने लगे।

उसने ईश्वर से माफी माँगी और बोला कि मुझे क्या पता कि आपने मुझे बचाने के लिए मेरी झोपडी जलाई थी.

सीख- दिन चाहे सुख के हों या दुख के, भगवान अपने भक्तों के साथ हमेशा रहते है !!

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