येनाक्रमन्त्यृषयो ह्याप्तकामा यत्र तत् सत्यस्य परमं निधानम् ॥
सत्य’ की ही विजय होती है असत्य की नहीं; ‘सत्य’ के द्वारा ही देवों का यात्रा-पथ विस्तीर्ण हुआ, जिसके द्वारा आप्तकाम ऋषिगण वहां आरोहण करते हैं जहाँ ‘सत्य’ का परम धाम है।
Truth alone triumphs, not falsehood Through truth the divine path is spread out by which the sages whose desires have been completely fulfilled, reach where that supreme treasure of Truth resides.
Mundaka Upanishad 3.1.6
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