Rajpootana Notes

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2nd Grade First Paper (PDF) available –
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18 Oct, 06:16


Grade 2nd GK (2025)
👉 शैक्षिक मनोविज्ञान के 4 टॉपिक अपलोड कर दिए है।
👉 गत परीक्षाओं में आए हुए सभी प्रश्नोत्तर (पंक्तिबद्ध) भी अपलोड कर दिए गए हैं।

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Educational Psychology Grade II

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16 Oct, 02:26


All Solved Papers (Grade II)👇

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12 Oct, 14:18


खानवा का युद्ध (1527)

राणा सांगा एवं बाबर के मध्य खानवा का युद्ध 17 मार्च 1527 को रूपवास तहसील भरतपुर में गम्भीरी नदी के किनारे हुआ।
खानवा के युद्ध में राणा सांगा की तरफ से निम्न शासको व सरदारो ने भाग लिया- अफगान सुल्तान मोहम्मद लोदी, मेव शासक हसन खॉ मेवाती (अलवर दुर्ग का निर्माता), बीकानेर से राव जैतसी का पुत्र कुंवर कल्याणमल, मारवाड़ से राव गंगा का पुत्र मालदेव, आमेर का कच्छवाहा शासक पृथ्वीराज, मेड़ता का रायमल राठौड़, ईडर का भारमल, रायसीन का सलहदी तंवर, नागौर का खानजादा, सिरोही का अखैराज, डूंगरपुर का रावल उदयसिंह, चंदेरी का मेदिनीराय, सलम्बूर का रावत रतनसिंह, वीरमदेव मेड़तिया, बागड़ का उदयसिंह, सादड़ी का झाला अज्जा, जगनेर (U.P) का अशोक परमार, गोकुल दास परमार आदि ।
खानवा के युद्ध से पहले सलहदी तंवर की सहायता से बाबर ने सांगा से पत्र व्यवहार व वार्तालाप किया।
रायसीन का सलहदी तंवर व नागौर का खानजादा युद्ध के अंतिम दौर में बाबर से मिल गए।
राणा सांगा ने शिविर जगनेर राज्य (U.P) में लगाया।
जगनेर के राजा जगत सिंह ने सम्पूर्ण सेना की रसद की पूर्ति की। बाबर ने फतेहपुर सीकरी में र्मोचाबन्दी की।
इसी समय काबुल से आए ज्योतिषी मुहम्मद शरीफ ने बाबर की पराजय की भविष्यवाणी कर दी तब बाबर ने सेना का मनोबल बढ़ाने के लिए शराब न पीने की प्रतिज्ञा की, तमगा नामक कर (व्यापारिक कर) समाप्त कर दिया व युद्ध को जिहाद (धर्म युद्ध) घोषित कर दिया।
इस युद्ध में सांगा के घायल होने पर झाला अज्जा को सांगा का राजचिन्ह धारण करवाया गया।
झाला अज्जा युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो गए।
कर्मचन्द पंवार भी इस युद्ध में मारे गए।
अशोक परमार की वीरता से प्रभावित होकर राणा सांगा ने बिजौलिया का ठिकाना अशोक परमार को भेंट किया। इस युद्ध में बाबर विजयी रहा।
इस युद्ध के बाद बाबर ने गाजी की उपाधि धारण की।
कर्नल टॉड के अनुसार राणा की सेना में 7 उच्च श्रेणी के राजा, 9 राव एवं 104 बड़े सरदार थे।
लेनपुल ने लिखा "खानवा के युद्ध ने हिन्दूओं के महान संगठन को कुचल दिया"

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12 Oct, 14:08


तराइन का द्वितीय युद्ध

1192 ई. में पृथ्वीराज चौहान व मोहम्मद गौरी मे मध्य हुआ।
इसमें पृथ्वीराज की हार हुई व भारत में मुस्लिम शासन की स्थापना हुई।
इस युद्ध से पूर्व गौरी ने दो बार दूत पृथ्वीराज के पास भेजे थे। क्विाम-उल-मुल्क नामक दूत को गौरी ने पृथ्वीराज के पास भेजा था कि वह गौरी की अधिनता स्वीकार कर ले।
इस युद्ध के समय पृथ्वीराज का मंत्री सोमेश्वर जो युद्ध के पक्ष में नही था, पृथ्वीराज द्वारा दण्डित करने पर शत्रुओं से मिल गया।
उदयराज जो पृथ्वीराज का सेनाध्यक्ष था, युद्ध लिए उपयुक्त समय पर राजधानी से रवाना नहीं हो सका।
तराइन के मैदान मे गोविन्दराय (खाण्डेराय) पृथ्वीराज के अग्रीम दल का नेतृत्व कर रहा था।
पृथ्वीराज केन्द्रीय सेना का नेतृत्व कर रहा था।
सेना के बाएँ भाग का संचालन प्रधानमंत्री भोला कर रहा था।
दाहिने भाग का नेतृत्व बदमसा (पद्मशाह) रावल कर रहा था।
गौरी सेना के अग्रीम भाग का नेतृत्व खारबक कर रहा था।
पृथ्वीराज प्रबन्ध के अनुसार पृथ्वीराज का मंत्री प्रतापसिंह शत्रु से मिल गया था।
ऐसा कहा जाता है कि तराइन के मैदान में पृथ्वीराज को बंदी बना लेने पर उसको छुड़वाने के लिए इच्छिनी देवी (आबू नरेश की पुत्री) युद्ध भूमि में गई और वहीं वीरगति को प्राप्त हो गई।

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12 Oct, 14:03


महाकवि चन्दरबरदाई एवं पृथ्वीराज रासो

इनका जन्म 1148 ई. में लाहौर में हुआ था।
इन्हें प्रथम हिन्दी महाकवि माना जाता है।
इनकी रचना पृथ्वीराज रासो की सबसे पुरानी प्रति बीकानेर के राजकीय संग्रहालय में है।
पृथ्वीराज की भाषा पिंगल है।
पृथ्वीराज रासो हिन्दी का प्रथम महाकाव्य है। इसे पूरा चन्दरबरदाई के पुत्र जिल्हण ने किया।
पृथ्वीराज रासो में 69 सर्ग तथा तत्कालीन 6 भाषाओं का वर्णन है।
पृथ्वीराज रासो को छन्दों का अजायबघर कहा जाता है।
इतिहासकार शिव सिंह सेंगर ने चन्दरबरदाई को छप्पन का राजा कहा है।

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12 Oct, 13:51


RPSC Grade II First Paper 2025 PDF
Unit 6. अभिप्रेरणा, अधिगम प्रक्रिया में भूमिका, उपलब्धि अभिप्रेरणा अपलोड कर दिया गया है.
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10 Oct, 01:34


राज्य में पेट्रोलियम उत्पादक क्षेत्र

राजस्थान भारत में कच्चे तेल का महत्वपूर्ण उत्पादक है। भारत के कच्चे तेल के कुल उत्पादन में राज्य का योगदान लगभग 14.95 प्रतिशत है।
➥राज्य में पेट्रोलियम उत्पादक क्षेत्र निम्नलिखित 4 पेट्रोलीफेरस बेसिन के अन्तर्गत लगभग 1,50,000 वर्ग किमी. क्षेत्र में विस्तृत है -
1. बाड़मेर-सांचौर बेसिन - बाड़मेर, सांचौर एवं जालौर जिले.
2. जैसलमेर बेसिन- जैसलमेर जिला.
3. बीकानेर-नागौर  बेसिन  -  बीकानेर, नागौर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ एवं चूरू जिले.
4. विंध्यन बेसिन - कोटा, बारां, बून्दी, झालावाड़ जिले तथा भीलवाड़ा एवं चित्तौड़गढ़ जिलों का कुछ हिस्सा.

स्रोत : राजस्थान
आर्थिक समीक्षा 2023-24

Rajpootana Notes

08 Oct, 23:53


राजस्थान भूगोल (old) के हस्तलिखित नोट्स 👇

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08 Oct, 23:44


पुराना भूगोल ही पढ़कर तैयारी करें
नई जनगणना को लेकर राज्यों/जिलों की फ्रीज की गई सीमाएं पुनः खोली गई है। 31 दिसम्बर 2024 तक राजस्थान सरकार नये बने जिलों में संशोधन कर सकती है। अतः जो परीक्षाएं जनवरी-फरवरी 2025 तक होने जा रही है, उनके लिए पुराना भूगोल ही पढ़कर तैयारी करें।
नये जिलें बनने के बावजूद अभी तक परीक्षाओं में पुराना भूगोल ही आ रहा है। जहां तक हमें याद है अभी एक प्रश्न ही आया है जिसमें नवीन बने संभागों के बारे में पूछा गया था। हालांकि यह प्रश्न समसामयिक का था।
वैसे देखा जाए तो नये जिलों की स्पष्ट स्थिति बजट 2025-26 में ही देखने को मिलेगी। बजट फरवरी 2025 के अन्त में या मार्च के प्रथम सप्ताह में आने की संभावना रहेगी।

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