MANOJ MUNTASHIR TALKS❤️❤️

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कोशिश कस्मशिस में रेह गया ता उम्र, ना जी सका होके तेरा
कभी मिले वक़्त तो करेंगे गुप्तगू ---
ए ज़िंदगी





Admin --- INDRAJEET KUMAR

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09 Aug, 18:09


तप्त ह्रदय को, सरस स्नेह से
जो सहला दे, प्रेम वही है ।
व्याकुल चित को, कोमल स्पर्श से,
जो पिघला दे, प्रेम वही है ।
शब्दकोश से भरा हुवा, पर एक शब्द से,
जो सिखला दे, प्रेम वही हैं ।
बांसुरी की धुन राधा को कृष्ण से
जो मिला दे, प्रेम वही हैं ।
तड़प हो खतम, एक झलक से
जो दिला दे, प्रेम वही है ।
अगन अंत हो, उसके आलिंगन से
जो दिला दे, प्रेम वही है

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03 Aug, 12:05


हमे उनकी हर ज़र्रे की ख़बर है
बस उसे हमारी इश्क़ का इल्म नहीं।

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25 Jun, 16:43


उसकी अहमियत है क्या, बताना भी जरूरी है
है उससे इश्क अगर तो जताना भी जरूरी है ।।

अब काम लफ्फाजी से तुम कब तक चलाओगे
उसकी झील सी आंखों में डूब जाना भी जरूरी है ।।

दिल के जज्बात तुम दिल में दबाकर मत रखो
उसको देख कर प्यार से मुस्कुराना भी जरूरी है ।।

उसे ये बार बार कहना वो कितना खूबसूरत है
उसे नग्मे मोहब्बत के सुनाना भी जरूरी है ।।

किसी भी हाल में तुम छोड़ना हाथ मत उसका
किया है इश्क़ गर तुमने, निभाना भी जरूरी है ।।

शहर अब रूठना तो इश्क़ में है लाज़मी लेकिन
कभी महबूब गर रूठे तो मानना भी जरूरी है ।।

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11 May, 13:36


यू ही नही मिलता नाम खैरात में बड़े अदब से कमाना परता है
त्याग के अपने इच्छा को शरीर जलाना परता है
दुःख पीरा कष्ट सब भूल जाओ वत्स
यहां हर रोज़ ख़ुद को जगाना परता है
परिस्थितियां बदलनी चाहेगी तुम्हारे रास्ते कई बार ,
जो लिए संकल्प तो धृंड खरा रहना परता है ।।

यहां हर रोज जीना, हर रोज़ मरना परता है
ठोकरे खा खा कर सबक सीखना परता है
पहन के रखा है मुखौटा लोगो ने यहां
बड़ी मुश्किल से लोग पहचानना परता है
सिर्फ कर्म पर तुम दो ध्यान छोड़ के सारे चिंतन को
हारना नही है तुमको आखरी प्रयास तक बचा के रखना ईंधन को ।।

गर मचले मन थोड़ा सा भी स्मरण कर लेना माँ को
क्या कहोगे लौट कर तुम अपनी उस माँ को
गर नही हुए सफल तो आदि हो जाओ समाज के ताने का
फिर सोच,,, एक बार क्या नाम दोगे बहाने का
उपहास से बचना है तो हालात बदलना होगा
समाज के उन सूक्ष्म कीड़ों को औकात दिखाना होगा
हर संभव प्रयास तक प्रयासरत रहना परता है
सिर्फ सोचना मुकम्मल नही कर के दिखाना परता है ।।
यू ही नही मिलता नाम खैरात में बड़े अदब से कमाना परता है
त्याग के अपने इच्छा को शरीर जलाना परता है।।

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18 Feb, 03:27


सरल सा तो है प्रश्न मेरा,तुम सामान्य सा उत्तर देना
समझ गए तो मुस्कान अधर पर, ना समझे तो निरुत्तर देना ।।
गर शर्म आए नयन संचार से, दुपट्टा माथे धर लेना
प्रार्थना पत्र को हे प्रिय तल्लीनता से पढ़ लेना ।।
गंभीर कर मंथन उपसंहार मर्यादा के भीतर देना
सरल सा तो है प्रश्न मेरा,तुम सामान्य सा उत्तर देना ।।

तू शांत स्वभाव का, स्वयं में शुद्ध, सरस प्रिय
मुस्कान लिखूं कली खिलना, संवाद लिखूं रस प्रिय ।।
संस्कार तुम्हारे है पता मुझे, भंग ना करोगे शालीनता
मोह, क्रोध, दया, शीतल परिपूर्ण भरी है संवेदनशीलता ।।
सहज, सुगम, सुंदर, संक्षेप में रखना अपनी बात को
समय मिलन का लिखना प्रिय अगली पूर्णिमा की रात को ।।
तुम कोमल कली मेरे बाग का मैं सिंचू तन्मय से
भंवरो से मैं दूर रखूं, रखूं दूर बिपदा भय से ।।
समस्या साधारण नही मेरा इस बात पे दृष्टिगोचर देना
सरल सा तो है प्रश्न मेरा,तुम सामान्य सा उत्तर देना ।।

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06 Jan, 02:31


मेरे जज्बातों से जो खेला तुमने,
मैं तुम्हे एक खत लिखता हु।
हो सके तो अकेले में पढ़ना,
तुम्हारे दिए सबब लिखता हु।
तुम पूर्णिमा की रात प्रिये,
मैं खुद को अमावस लिखता हु।
हर लम्हे को रख के किनारे,
जुदाई का बखत लिखता हु ।
वो सब तेरे मीठे - मीठे वादे को,
मैं सरेआम गलत लिखता हु ।
तुम्हारे साथ बिताए सफरनामे को,
मैं वक्त की खपत लिखता हु ।
कोमल सी हृदय को तुम्हारे,
मैं कठोर पत्थर लिखता हु।
तेरे प्यार से मिला सबक,
मेरा पीड़ा , असर लिखता हु ।
तुमको रकीब के साथ खुश,
खुद को मैं दुःखद लिखता हु ।
मेरे जज्बातों से जो खेला तुमने,
मैं तुम्हे एक खत लिखता हु।।

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01 Jan, 03:14


🙏🌹मेरे तरफ से आपको और आपके पूरे परिवार को नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं आप का दिन शुभ हो 🙏🌹

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20 Dec, 07:28


ज़ाम , दवा, दुवा ....जनाब कुछ नहीं असर आता हैं
इश्क़ से बिछड़े आशिक़, लाश नज़र आता हैं।।

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20 Dec, 07:28


तुम्हे जब रूबरू देखा करेंगे
ये सोचा है बहुत सोचा करेंगे

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09 Dec, 17:28


ये सर्द रात, ये तन्हाईया...... और उसकी यादें
एक तरफा आशिक़ के लिए,
इससे हसीन मौत क्या हो सकती है

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08 Dec, 09:21


मेरा प्रेम बस तुम्हे तुम्हारे एकांत में ही स्पर्श करेगा,
मेरे प्रेम को भी तुम्हारी मर्यादाओं का खयाल है।।
पंडिताईन .....🌹

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08 Dec, 09:18


काश उस दिन में नज़रे झुका लेता
काश उस दिन वो चेहरा ढक लेती
वो लम्हा थम सा गया था, सांसें रुक सी गई थी
जब उस भीर में मुझे वो मिली थी।।

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08 Dec, 09:18


उसके बारे में मेरा सक पर दुःख नही था,
दुःख तो इस बात का था की जो सोचा वो सच निकला

MANOJ MUNTASHIR TALKS❤️❤️

12 Nov, 04:29


मेरे तरफ से आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई।

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26 Sep, 11:41


इस तरह याद आके आप हमे बेचैन ना किया करो,
खुले जुल्फो को मोहतरमा संवार लिया करो
आंखें नशीली, हाय! होठों का क्या कहना
मुस्कान अधर पे रख के खुद, हमे इल्ज़ाम ना दिया करो

MANOJ MUNTASHIR TALKS❤️❤️

15 Aug, 00:37


आप सभी को 77th स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं एवम् बधाई।
🙏🙏🙏

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08 Mar, 16:51


ले गई हो ओ आंख जिससे में देख ता था
ले गई हो ओ दिल जो सिर्फ तेरे लिए धड़क ता था
जिस्मों कि बात नहीं, ये तुम्हे भी पता था
ऐन वक्त पे कुछ तो कहने देते
मेरे हिस्से कुछ तो रहने देते

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