JRF Academy With इदरीस मंसूरी (रिसर्च स्कॉलर MCBU छतरपुर)

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22 Oct, 17:33


धार्मिक सौहार्द पर ज़ोर : शेरशाह सूरी



अपने सैनिकों के साथ भी उनका व्यवहार बहुत अच्छा रहता था और उनके सैनिक उनके लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहते थे. मशहूर इतिहासकार एचजी कीन अपनी किताब 'मेमॉएर्स ऑफ़ द रेसेज़ ऑफ़ द नॉर्थ वेस्ट फ़्रन्टियर' में लिखते हैं, "वो पहले मुस्लिम शासक थे जिन्होंने हमेशा अपनी प्रजा का भला चाहा."

"अपने छोटे से करियर में उन्होंने लोगों के बीच धार्मिक सौहार्द स्थापित करने पर बहुत ज़ोर लगाया. शेरशाह के शासन में हिंदुओं को महत्वपूर्ण पदों पर रखा जाता था. उनके सबसे प्रिय जनरल ब्रह्मजीत गौड़ थे जिन्हें उन्होंने चौसा और बिलग्राम की लड़ाई के बाद हुमायूं का पीछा करने भेजा था. उन्होंने पहली बार ये सोचा कि सरकार को हमेशा अपनी प्रजा के बीच लोकप्रिय होना चाहिए. बाद की किसी भी सरकार ने जिसमें अंग्रेज़ भी शामिल हैं, ये समझने की बुद्धिमानी नहीं दिखाई."



BBC

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22 Oct, 16:06


🔸🔸ब्रिटिश भारत में अर्थव्यवस्था से जुड़ी प्रथायें :–

• तिनकठिया प्रथा : इस प्रथा के अन्तर्गत चम्पारन (बिहार) के किसानों को अपने अंग्रेज बागान मालिकों के अनुबन्ध पर अपनी जमीन के करीब 3/20 भाग पर नील की खेती करना अनिवार्य होता था। (BPSC)

• ददनी प्रथा : इस प्रथा के अन्तर्गत ब्रिटिश व्यापारी भारतीय उत्पादकों, कारीगरों एवं शिल्पियों को अग्रिम पेशगी (संविदा) के रूप में धन दे देते थे। (IAS)

• कमियौंटी प्रथा : इस प्रथा के अन्तर्गत बिहार एवं उड़ीसा में कृषि दास के रूप में खेती करने वाले कुर्मी जाति के लोग अपने मालिकों द्वारा प्राप्त ऋण पर दी जाने वाली ब्याज की राशि के बदले में जीवन भर इनकी सेवा करते थे।

• दुबला हाली प्रथा : यह प्रथा सूरत में प्रचलित थी। इस प्रथा के अनुसार दुबला हाली भू-दास अपनी सम्पत्ति एवं स्वयं का संरक्षक अपने मालिकों को मानते थे।
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22 Oct, 15:17


मआसिर-ए-आलमगीरी’


मुस्तैद खाँ ने ‘मआसिर-ए-आलमगीरी’ नामक ग्रंथ लिखा, जिसमें उसने मथुरा के केशवराय मंदिर के विध्वंस की चर्चा की थी।

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22 Oct, 15:11


जवाबित


औरंगज़ेब ने धर्म-निरपेक्ष फरमान जारी किये, जिसे वह जवाबित कहता था। जवाबित-ए-आलमगीरी नामक एक कृति में उसके फरमानों का संकलन किया गया है। सिद्धांत: जवाबित का उद्देश्य शरा की अनुपूर्ति करना था ,परंतु व्यवहार में जवाबित शरा को बहुधा संशोधित कर देते थे जिसका कारण यह था कि भारत में कुछ ऐसी परिस्थिति मौजूद थीं जिनके बारे में शरा में कोई व्यवस्था नहीं थी।


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22 Oct, 11:28


🔸🔸मराठों द्वारा की गयी प्रमुख संधियां:–

🔹सालाबाई की संधि
1782
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माधवराव नारायण राव व अंग्रेज

🔹. बसीन की संधि
1802
बाजीराव द्वितीय व अंग्रेज

🔹देवगांव की संधि
1803
भोंसले (बरार) व अंग्रेज

🔹 सुर्जी-अर्जुन गांव की संधि
1803
सिंधिया व अंग्रेज

🔹 राजापुर घाट की संधि
1804
होल्कर व अंग्रेज

🔹 पूना की संधि
1817
बाजीराव द्वितीय व अंग्रेज

🔹. ग्वालियर की संधि
1817
दौलतराव सिंधिया व अंग्रेज

🔹 मंदसौर की संधि
1818
होल्कर व अंग्रेज

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22 Oct, 11:12


🔸🔸प्रमुख मराठा क्षेत्र व
राजधानी :–

🔹मराठा क्षेत्र : राजधानी

1. गायकवाड़.....बड़ौदा

2. होल्कर ..... इंदौर

3. भोंसले.... नागपुर

4. सिंधिया..... ग्वालियर

5. छत्रपति.....
सतारा

6. पेशवा ...पुणे

....❤️💐

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22 Oct, 05:35


🔸🔸ब्रिटिश शासन ने ऐसी नीतियाँ बनाई जिससे ब्रिटिश तैयार माल की बड़ी खपत भारत में हो सके अर्थात् उन्हें एक
बड़ा बाजार मिल सके। इसलिए उन्होंने अनेक प्रतिबंध लगाये।

🔹जैसे,
1820 ई० के बाद ब्रिटिश बाजारों के दरवाजे भारतीय मालों के
लिए बन्द करना,
▪️1835 ई० में भारत में रूई से तैयार ब्रिटिश माल
पर केवल 2.5 प्रतिशत आयात कर लगाना, जबकि भारत की बनी
हुई रूई के माल पर 15 प्रतिशत चुंगी वसूल करना।
1849 ई० में समुद्री नियम में परिवर्तन करना, जिससे इंग्लैण्ड का कोई भी माल केवल इंग्लैण्ड के जहाज से ही आ सकता था अन्य से नहीं।
भारतीय रेशमी और सूती कपड़ों पर इतना अधिक निर्यात कर लगा देना कि इंग्लैण्ड के बाजारों में उनका प्रवेश ही न हो सके। 1877 ई० में ब्रिटिश निर्मित कपड़े पर से आयात शुल्क हटा लेना आदि अनेक प्रतिबंधों के कारण भारत का लघु व कुटीर उद्योग ध्वस्त हो गया। 💐❤️

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