अपने सैनिकों के साथ भी उनका व्यवहार बहुत अच्छा रहता था और उनके सैनिक उनके लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहते थे. मशहूर इतिहासकार एचजी कीन अपनी किताब 'मेमॉएर्स ऑफ़ द रेसेज़ ऑफ़ द नॉर्थ वेस्ट फ़्रन्टियर' में लिखते हैं, "वो पहले मुस्लिम शासक थे जिन्होंने हमेशा अपनी प्रजा का भला चाहा."
"अपने छोटे से करियर में उन्होंने लोगों के बीच धार्मिक सौहार्द स्थापित करने पर बहुत ज़ोर लगाया. शेरशाह के शासन में हिंदुओं को महत्वपूर्ण पदों पर रखा जाता था. उनके सबसे प्रिय जनरल ब्रह्मजीत गौड़ थे जिन्हें उन्होंने चौसा और बिलग्राम की लड़ाई के बाद हुमायूं का पीछा करने भेजा था. उन्होंने पहली बार ये सोचा कि सरकार को हमेशा अपनी प्रजा के बीच लोकप्रिय होना चाहिए. बाद की किसी भी सरकार ने जिसमें अंग्रेज़ भी शामिल हैं, ये समझने की बुद्धिमानी नहीं दिखाई."
BBC