एक वक्त था जब तू मुझे खोने के ख्याल से डरता था,
एक आज है जब शायद ग़लती से भी कभी ख्याल नहीं आता,
एक वक्त था जब तू मुझे एक पल न देख कर बेचैनी हो उठती थी,
एक आज है जब मेरे सामने से तू अंजान सी गुजर गयी!
एक वक़्त था जब हम पता एक करना चाहते थे,
एक आज है मेरा वजूद लापता सा हो गया है!
सालों साल गुजर रहे है, कभी कभी लगता है मैं दिन ब दिन किसी गहरे कुएं में जाता जा रहा हूँ!
रह रह कर उठती है कभी तुझे देखने की चाहत ,कभी तुझसे मिलने की तमन्ना, कभी साथ हँसना ,कभी तुम्हारे छूअन का एहसास करना,
फिर अंततः पाता हूँ ख़ुद को इस वीरान दुनिया का खामोश सिपाही,
तुम्हारा, अंजान प्रेमी
~Abhiwrites 🩵